Punjab State Board PSEB 11th Class Geography Book Solutions Chapter 1 पृथ्वी Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 11 Geography Chapter 1 पृथ्वी
PSEB 11th Class Geography Guide पृथ्वी Textbook Questions and Answers
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-चार शब्दों में लिखो
प्रश्न (क)
नैबुयला का सिद्धान्त सर्वप्रथम किस विचारवान ने पेश किया ?
उत्तर-
फ्रांसीसी गणित शास्त्री लैपलेस (Laplace) ने।
प्रश्न (ख)
पृथ्वी के भूमध्य रेखीय और ध्रुवीय व्यासों में कितना अंतर है ?
उत्तर-
42 किलोमीटर।
प्रश्न (ग)
प्राचीन खगोल विद्या के अनुसार युद्ध, प्रेम और स्वर्ग के देवता कौन-से ग्रह हैं ?
उत्तर-
- युद्ध का देवता – मंगल (Mars)
- प्रेम का देवता – शुक्र (Venus)
- स्वर्ग का देवता – अरुण (Uranus)
प्रश्न (घ)
सूर्य मंडल के कौन-से ग्रह ‘गैस जॉयंट्स’ (Gas-Giants) माने जाते हैं ?
उत्तर-
गैसों से बने ग्रहों को ‘गैस जॉयंट्स’ कहते हैं। जैसे-बृहस्पति, शनि, अरुण तथा वरुण।
प्रश्न (ङ)
ISRO का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर-
ISRO = Indian Space Research Organisation.
प्रश्न (च)
पृथ्वी का सबसे ऊँचा व सबसे गहरा स्थान कौन-सा है ?
उत्तर-
- सबसे ऊँचा स्थान : हिमालय पर्वत और माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर)
- सबसे गहरा स्थान : प्रशांत महासागर में मैरीन ट्रैच (11033 मीटर)
प्रश्न (छ)
अक्षांशों और देशांतरों की आरंभिक रेखाओं के नाम बताएं।
उत्तर-
अक्षांशों की आरंभिक रेखा : भूमध्य रेखा।
देशांतरों की आरंभिक रेखा : मुख्य मध्यमान रेखा।
प्रश्न (ज)
मुख्य मध्यमान रेखा पृथ्वी को किन दो गोलार्डों में बाँटती है ?
उत्तर-
पूर्वी गोलार्द्ध और पश्चिमी गोलार्द्ध।
प्रश्न (झ)
IST और GMT का पूरा नाम बताएं।
उत्तर-
IST : Indian Standard Time.
GMT : Greenwich Mean Time.
प्रश्न (ञ)
समोया और फिज़ी के समय का आपसी अंतर कितना है ?
उत्तर-
एक दिन।
2. प्रश्नों के उत्तर 2-3 वाक्यों में दें-
प्रश्न (क)
सूर्य मंडल के ग्रहों के कितने-कितने उपग्रह हैं ?
उत्तर-
- बुध – कोई नहीं
- शुक्र – कोई नहीं
- पृथ्वी – 1
- मंगल – 2
- बृहस्पति – 63
- शनि – 47
- यूरेनस – 27
- नेपच्यून – 13.
प्रश्न (ख)
पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में सिद्धांत किन विचारवानों ने दिए ? लिखें।
उत्तर-
गणित शास्त्री लैपलेस, एमनुअल कांट, चैमबरलेन व मोल्टन, जेमस जीनज़, हैराल्ड जैफरी, आटोस्मिथ तथा ऐडविन हबल।
प्रश्न (ग)
पृथ्वी अपनी गतियों को कितने-कितने समय में पूर्ण करती है ?
उत्तर-
- दैनिक गति – 23 घंटे, 56 मिनट 4 सैकिंड।
- वार्षिक गति — 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सैकिंड।
प्रश्न (घ)
सूर्योदय के समय में भिन्नता किस प्रकार सिद्ध करती है कि पृथ्वी गोल है ?
उत्तर-
पृथ्वी के गोल होने के कारण सभी स्थानों पर सूर्य निकलने का समय भिन्न होता है। यदि पृथ्वी चपटी होती तो सभी स्थानों पर सूर्य एक ही समय पर नज़र आता ।
प्रश्न (ङ)
अक्षांश और देशांतर निश्चित करने में कौन-से वैज्ञानिक शामिल थे ?
उत्तर-
जॉन हैरीसन, एमेरिगो वैसमकी, हिमोरकस, इरेटोस्थनीज़।
प्रश्न (च)
‘जीनिथ’ अथवा ‘शिखर बिंदु’ क्या होता है ?
उत्तर-
किसी स्थान का उच्च सीमा शिखर बिंदु आकाश में काल्पनिक बिंदु है, जो देखने वाले के सिर के ठीक ऊपर हो।
प्रश्न (छ)
दुमेल (क्षितिज) क्या होता है ?
उत्तर-
जहाँ धरती और आकाश मिलते हुए दिखाई देते हैं, उसे दुमेल (क्षितिज) (Horizon) कहते हैं।
प्रश्न (ज)
देशान्तर (लंबकार) वास्तव में पूर्ण चक्कर होते हैं, कैसे ?
उत्तर-
देशान्तर रेखाओं की आकृति अर्ध-गोला चाप होती है। दो देशान्तर रेखाएँ मिलकर पूर्ण चक्कर बनाती हैं।
3. प्रश्नों के उत्तर 60-80 शब्दों में दें-
प्रश्न (क)
‘पृथ्वी चपटी नहीं बल्कि गोलाकार है’, इस स्थिति से पड़ते तीन प्रभाव लिखें।
उत्तर-
(क) समुद्र तल पर दूर से आ रहा समुद्री जहाज़ एक ही समय पूरा दिखाई नहीं देता।
(ख) सूर्य निकलने का समय अलग-अलग स्थानों पर भिन्न होता है।
(ग) जब क्षितिज को अलग-अलग ऊँचाइयों से देखें तो क्षितिज की चौड़ाई भिन्न होती है।
प्रश्न (ख)
दिन व रात के समय नक्षत्रों से दिशाओं का ज्ञान कैसे होता है ?
उत्तर-
पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है, इसलिए यदि हम सूर्य की ओर मुँह करके खड़े हों तो हमारे सामने पूर्व दिशा और पीछे पश्चिम दिशा होगी।
प्रश्न (ग)
पृथ्वी के काल्पनिक अक्षांशों सहित ताप खंडों में विभाजन करें।
उत्तर-
अक्षांश रेखाएँ भूमध्य रेखा के समानांतर होती हैं। सूर्य की किरणें 21 जून और 22 दिसम्बर को क्रमवार कर्क रेखा और मकर रेखा के ऊपर बिल्कुल सीधी पड़ती हैं। इसकी सहायता से पृथ्वी को तापखंडों में बाँटा जाता है। कर्क रेखा और मकर रेखा के मध्यांतर क्षेत्र को उष्ण कटिबंध, ध्रुव चक्र तक के क्षेत्र को शीतोष्ण कटिबंध और ध्रुवों तक के क्षेत्र को शीत कटिबंध कहा जाता है।
प्रश्न (घ)
पुच्छल तारों (Commets) पर एक संक्षेप नोट लिखें।
उत्तर-
लम्बी पूंछ वाले गैसीय आकाशीय पिंडों को धूमकेतु अथवा पुच्छल तारे कहा जाता है। हैली धूमकेतु को सबसे पहले एडमंड हैली ने 1682 ई० में देखा था। यह पूंछ वाला तारा 76 सालों के समय के बाद दिखाई देता है। यह तारा सूर्य के आस-पास 76 वर्षों में 5.3 अरब किलोमीटर लम्बे ग्रह-पथ पर एक चक्कर पूरा करता है। इसकी लम्बाई 3.2 किलोमीटर होती है। यह धूमकेतु 1986 में फिर दिखाई दिया था। यह अन्य ग्रहों के समान सूर्य की परिक्रमा करता है। प्राचीन काल में इसको देखना अपशकुन माना जाता था। अब यह तारा सन् 2062 में फिर नज़र आएगा।
प्रश्न (ङ)
प्रकाश वर्ष क्या होता है ? यह क्या नापने की इकाई है ?
उत्तर-
आकाश में तारों की दूरी नापने के लिए प्रकाश वर्ष (Light year) का प्रयोग किया जाता है। प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो रोशनी की किरणें एक साल में तय करती हैं। प्रकाश की किरणों की गति 3 लाख कि० मी० प्रति सैकिंड है। इस प्रकार प्रकाश वर्ष की दूरी 95 खरब कि० मी० है।
Light year = 3,00,000 x 365 days x 24 hours x 60 minutes x 60 Seconds = 94,60,80,00,000 कि० मी०।
प्रश्न (च)
पृथ्वी से संबंधित आँकड़ों में से कोई तीन तथ्य लिखें।
उत्तर-
पृथ्वी संबंधित आँकड़े (Statistical data of the Earth)-सौर मण्डल में पृथ्वी पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है।
व्यास (Diameter)-
भूमध्य रेखीय व्यास (Equatorial Diameter) = 12,756 कि०मी०
ध्रुवीय व्यास (Polar Diameter) = 12,714 कि०मी०
घेरा (Circumference)-
भूमध्य रेखीय घेरा (Equatorial Circumference) = 40,077 कि० मी०
ध्रुवीय घेरा (Polar Circumference) = 40,009 कि० मी०
कुल धरातलीय क्षेत्रफल (Total Surface Area) = 51 करोड़ वर्ग कि०मी०
= (510 million Sq. km.)
= 29% covered by continents
= 71% covered by oceans
= 1,000,000 million Cu. km.
प्रश्न (छ)
पृथ्वी की वार्षिक गति दर्शाता हुआ चार अवस्थाओं वाला चित्र बनाएँ।
उत्तर-
प्रश्न (ज)
‘Blue Planet’, ‘Red Planet’ और ‘Veiled Planet’ कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
- पृथ्वी को ‘Blue Planet’ कहते हैं क्योंकि इसकी सतह पर 71% पानी है।
- मंगल ग्रह को Red Planet कहते हैं क्योंकि इसकी मिट्टी में लोहे के कण अधिक होते हैं।
- शुक्र ग्रह को Veiled Planet कहते हैं क्योंकि इसमें कार्बन-डाइऑक्साइड बहुत अधिक होती है।
4. प्रश्नों के उत्तर 150 से 250 शब्दों में दें-
प्रश्न (क)
पृथ्वी की दो गतियों पर सचित्र नोट लिखें।
उत्तर-
पृथ्वी स्थिर नहीं है, बल्कि पृथ्वी की दो गतियाँ हैं-
(i) दैनिक गति (ii) वार्षिक गति।
I. दैनिक गति (Rotation)-जब पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती हुई लगभग 24 ___घंटों में एक चक्कर लगाती है, तो इसको दैनिक गति कहते हैं। पृथ्वी अपनी धुरी पर 23 घंटे 56 मिनट 4 सैकिंड में एक चक्कर पूरा करती है। (The spinning of the earth on its polar axis is called rotation), इस समय को एक दिन कहा जाता है। पृथ्वी की धुरी एक कल्पित रेखा है, जो लम्ब रूप में नहीं है, परन्तु लम्ब दिशा पर 23/2° झुकी हुई है। पृथ्वी की धुरी ग्रह-पथ रेखा पर 66%2° का कोण बनाती है, पृथ्वी की दैनिक गति 29 किलोमीटर प्रति मिनट है और भूमध्य रेखा पर सबसे अधिक है।
प्रभाव-पृथ्वी की दैनिक गति के प्रभाव नीचे लिखे हैं-
1. दिन-रात का बनना- गोलाकार पृथ्वी का केवल आधा भाग ही एक समय पर प्रकाश में होता है, बाकी आधा भाग अंधकार में होता है। प्रत्येक भाग क्रम से सूर्य के सामने आता है और वहाँ दिन होता है। जो भाग अंधकार में होता है, वहाँ रात होती है।
2. समय के माप का होना-दैनिक गति के एक चक्कर की 24 घंटे की लम्बाई होने के कारण एक दिन 24 घंटे के बराबर माना गया है।
3. नक्षत्र, ग्रहों आदि का पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर चलते हुए प्रतीत होना-पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है परन्तु बाकी ग्रह इसकी विपरीत दिशा में पूर्व से पश्चिम की ओर जाते हुए प्रतीत होते हैं। उदाहरण के लिए रेलगाड़ी में बैठे यात्री को बाहर की वस्तुएँ उल्टी दिशा में चलती हुई दिखाई देती हैं।
4. पवनों तथा धाराओं की दिशा में परिवर्तन-दैनिक गति पर फैरल का सिद्धान्त (Ferral’s Law) आारित है। पृथ्वी के घूमने के कारण पवनें तथा धाराएँ उत्तरी गोलार्द्ध में अपने दाएँ ओर मुड जाती हैं। इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध में पवनें तथा धाराएँ अपने बाएँ ओर मुड़ जाती हैं।
5. देशांतर रेखाओं का निर्माण-दैनिक गति के आधार पर गोलाकार पृथ्वी को 360 देशांतर रेखाओं में बाँटा गया है। इस प्रकार घूमने के फलस्वरूप पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण आदि चार प्रमुख दिशाओं का निर्माण होता है।
6. ध्रुवों का पिचका होना-दैनिक गति के कारण केंद्रमुखी शक्ति के प्रभाव से ध्रुव केंद्र की ओर पिचक या धंस गए हैं।
7. सुबह, दोपहर और शाम का होना-घूमने के कारण जो भाग सूर्य के सामने सबसे पहले आता है, वहाँ सूर्योदय (Sunrise) होता है। सूर्य के ठीक सामने वाले भाग में दोपहर (Noon) होती है। पृथ्वी का वह भाग, जो सूर्य से दूर होने लगता है, वहाँ शाम (Evening) होती है।
8. ज्वारभाटे का आना-चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण दिन में दो बार समुद्र के जल में ज्वारभाटा आता है।
II. वार्षिक गति-जब पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ एक अंडाकार पथ पर 365-1/4दिनों में एक चक्कर पूरा करती है, तो इसे वार्षिक गति कहते हैं। पृथ्वी अपने ग्रह-पथ पर 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सैकिंड में एक चक्कर पूरा करती है। इस ग्रहपथ (Orbit) की लम्बाई लगभग 95 करोड़ किलोमीटर है। पृथ्वी की गति 30 किलोमीटर प्रति सैकिंड है। पृथ्वी का यह पथ गोलाकार नहीं है, बल्कि अंडाकार है। इसलिए जब पृथ्वी सूर्य के निकटतम होती है, तो इस स्थिति को पेरीहीलियन (Perihelian) कहा जाता है। इस स्थिति में पृथ्वी और सूर्य के बीच 14 करोड़ 73 लाख किलोमीटर की दूरी होती है। जब पृथ्वी सूर्य से बहुत अधिक दूर होती है, तो इस स्थिति को ऐपहीलियन (Aphelian) कहा जाता है। इस स्थिति में सूर्य और पृथ्वी के बीच 15 करोड़ 21 लाख किलोमीटर की दूरी होती है।
प्रभाव-पृथ्वी की वार्षिक गति के प्रभाव नीचे लिखे हैं-
1. समय का पैमाना-पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 365-1/4 दिनों में पूरा करती है, इसीलिए एक वर्ष में 365 दिन गिने जाते हैं। हर चौथा वर्ष 366 दिनों का होता है, जिसको लीप का साल कहते हैं।
2. दिन-रात की लम्बाई में समानता नहीं-परिक्रमा के समय पृथ्वी अपनी स्थिति बदलती रहती है। पृथ्वी के झकाव के कारण कभी उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर झुका होता है और कभी दक्षिणी गोलार्द्ध। इस झुकाव के कारण, एक स्थान पर दिन-रात छोटे होते रहते हैं।
3. ध्रुवों पर छह-छह महीने का दिन और रात का होना-धुरी के झुकाव के कारण उत्तरी ध्रुव 6 महीने सूर्य की ओर झुका रहता है और प्रकाश में रहता है। इसी प्रकार उत्तरी ध्रुव 6 महीने अंधकार में ही रहता है। परिक्रमा के कारण ही उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिणी गोलार्द्ध में एक-दूसरे के विपरीत ऋतुएँ होती हैं।
4. ऋतु परिवर्तन-परिक्रमण और दूरी के झुकाव के कारण दिन-रात की लम्बाई में अंतर होता रहता है। कभी सूर्य की किरणें लम्ब रूप में और कभी ‘तिरछी पड़ती है, जिस के कारण सूर्य के ताप की मात्रा बदलती रहती है। फलस्वरूप, एक वर्ष में चार स्पष्ट ऋतुओं का निर्माण होता है, जिन्हें गर्मी, पतझड़, सर्दी और वसन्त ऋत कहते हैं।
5. ताप कटिबंधों की रचना-परिक्रमा के कारण और सूर्य की किरणों के अनुसार अलग-अलग ताप कटिबंधों का विस्तार पता लगता है। कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच सूर्य की किरणें लगभग लम्ब रूप में पड़ती हैं और इसे ऊष्णकटीय बन्ध कहा जाता है। ध्रुवों तथा ध्रुवीय चक्रों के बीच के भाग को शीतकटीय बन्ध कहते हैं। यहां 24 घंटे से अधिक लम्बे दिन और रातें होती हैं और सूर्य की किरणें बहुत ही तिरछी पड़ती हैं। ऊष्णकटीय बन्ध और शीतकटीय बन्ध के बीच वाले भाग को शीत-ऊष्ण कटीय बन्ध (शीतोष्ण-कटीयबंध) कहते हैं।
6. आधी रात का सूर्य-21 मार्च से 23 सितम्बर तक 6 महीने के समय में आर्कटिक चक्र से उत्तर के भाग सूर्य की ओर झुके रहते हैं। इसलिए यहाँ दिन की लम्बाईं 24 घंटे से भी अधिक होती है। यहाँ आधी रात को भी सूर्य चमकता है, इसलिए नॉर्वे को ‘आधी रात के सूर्य का देश’ (Land of Midnight Sun) भी कहा जाता है।
7. भूमध्य रेखा, मकर रेखा और कर्क रेखा को निश्चित करना- जब 21 मार्च और 23 सितम्बर को सूर्य की किरणें पृथ्वी के मध्यवर्ती भाग पर लम्ब रूप में पड़ती हैं, तो इसे भूमध्य रेखा कहते हैं। 21 – जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर और 22 दिसम्बर को मकर रेखा पर लम्ब रूप में पड़ती हैं।
प्रश्न (ख)
सूर्य मंडल (Solar System) के ग्रहों पर संक्षेप नोट लिखें।
उत्तर-
सूर्य, ग्रह, उपग्रह और अनगिनत खगोलीय पिंड मिलकर सूर्य मंडल की रचना करते हैं। इसे सूर्य परिवार भी कहते हैं। सूर्य, सूर्य मंडल का केन्द्र और संचालक भी है। सूर्य मंडल में 8 ग्रह, 60 उपग्रह, अनगिनत उल्का, तारे और अनेक पुच्छल तारे शामिल हैं। ये सभी खगोलीय पिंड अपने-अपने ग्रह-पथ पर सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सूर्य मंडल के अलग-अलग सदस्यों का वर्णन इस प्रकार है-
1. सूर्य (Sun)-सूर्य, सूर्य मंडल का सबसे बड़ा सदस्य है। सूर्य जलती हुई गैसों का एक विशाल तारा है। सूर्य के केंद्र का तापमान लगभग दो करोड़ सैंटीग्रेड है। इसका व्यास 14 लाख 94 हज़ार कि०मी० है। सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण सभी ग्रह इसके चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं। सूर्य हमारी धरती से लगभग 15 करोड़ कि० मी० दूर है। इसका प्रकाश धरती पर 812 मिनट में पहुँचता है। इसके ताप तथा प्रकाश के कारण ही पृथ्वी पर जीवन मिलता है।
2. ग्रह (Planets)—सूर्य मंडल के 8 ग्रह हैं, जो सूर्य के इर्द-गिर्द अंडाकार पथ पर परिक्रमा करते हैं।
सूर्य की दूरी के अनुसार इनके नाम हैं-बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण। बुध सूर्य के सबसे निकट और वरुण सबसे दूर स्थित है। वृहस्पति सबसे बड़ा और बुध सबसे छोटा है। यदि इन आठ ग्रहों को एक पंक्ति में रखा जाए, तो यह एक सिगार की शक्ल की रचना करते हैं।
i) बुध (Mercury)—यह सूर्य के सबसे निकट और सबसे छोटा ग्रह है। यह 88 दिनों में सूर्य की परिक्रमा करता है। वायु-मंडल रहित ग्रह होने तथा अधिक तापमान के कारण यहाँ जीवन संभव नहीं है। यह सूर्य के उदय होने से दो घंटे पहले दिखाई देता है। इसे पूर्वी आकाश में ‘सुबह का तारा’ (Morning Star) कहा जाता है।
ii) शुक्र (Venus)-यह सूर्य मंडल का सबसे अधिक चमकीला ग्रह है। इसका आकार, व्यास और घनत्व पृथ्वी के समान है। यह आम तौर पर सूर्य अस्त होने के बाद पश्चिमी आकाश में दिखाई देता है। इसे ‘संध्या का तारा’ (Evening Star) कहते हैं। इसे Veiled Planet भी कहा जाता है।
iii) पृथ्वी (Earth)—पृथ्वी एक भाग्यशाली ग्रह है, क्योंकि यहाँ मनुष्य-जीवन संभव है। यह सूर्य से लगभग 15 करोड़ कि० मी० दूर है। इसका एक उपग्रह है, जिसे चन्द्रमा कहते हैं। यह अंडाकार पथ से 36574 दिनों में सूर्य की परिक्रमा करती है। इसे Blue Planet भी कहा जाता है।
iv) मंगल (Mars)–यह पृथ्वी का पड़ोसी ग्रह है। अंतरिक्ष उपग्रह Viking द्वारा लिए गए इसके चित्रों से अनुमान लगाया गया है कि यहाँ वायुमंडल के कारण जीवन संभव है। मंगल ग्रह पर पहले ही प्रयास में पहुँचने वाला देश भारत है। 24 सितम्बर, 2014 को ISRO के Mars Orbit Mission के अधीन अन्तरिक्ष जहाज़ मंगल यान ने मंगल के Orbit में प्रवेश किया।
v) वृहस्पति (Jupiter)…यह सूर्य मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इस ग्रह के बहुत कम है और यहाँ हज़ारों किलोमीटर मोटी बर्फ जमी हुई है। मंगल और वृहस्पति ग्रहों के बीच
खाली स्थान पर छोटे-छोटे अवांतर ग्रह (Asteroids) फैले हुए हैं।
vi) शनि (Saturn)—यह सूर्य मंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। यह एक सुन्दर परन्तु क्रूर ग्रह माना जाता है। इसके चारों तरफ तीन छल्ले चक्कर लगाते हैं। इसके 62 उपग्रह हैं। इसका सबसे बड़ा उपग्रह टाईटन (Titan) है।
vii) अरुण (Uranus)—इसकी खोज विलियम हरशौल ने 1781 में की थी। यहाँ तापमान कम होने के कारण जीवन की संभावना नहीं है।
viii) वरुण (Neptune)—यह ग्रह सूर्य से 450 करोड़ कि० मी० दूर है। यह सूर्य की परिक्रमा 165 वर्षों में करता है। इसका रंग हरा दिखाई देता है।
3. उपग्रह (Satellites)-उपग्रह अपने-अपने ग्रहों के इर्द-गिर्द चक्कर लगाने वाले खगोलीय पिंड होते हैं। इनकी कुल संख्या 153 है। यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि सभी ग्रहों के उपग्रह नहीं हैं। केवल पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण के ही उपग्रह हैं। बुध, शुक्र और कुबेर का कोई उपग्रह नहीं है। ग्रहों के समान उपग्रहों का भी न अपना तापमान होता है और न ही अपना प्रकाश होता है। ये अपना ताप और प्रकाश सूर्य से प्राप्त करते हैं।
4. अवांतर ग्रह (Asteroids)—मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच लगभग 1500 छोटे-छोटे ग्रह हैं। ग्रहों के समान ये भी सूर्य से प्रकाश प्राप्त करते हैं और अपने-अपने अंडाकार पथों पर सूर्य के इर्द-गिर्द चक्कर लगाते हैं।
5. धूमकेतू अथवा पुच्छल तारे (Comets)-ये लम्बी पूंछ वाले पिन्ड हैं, जो गैसीय पदार्थों से बने होते हैं। ये कभी-कभी ही दिखाई देते हैं। पुच्छल तारे का नाम उस वैज्ञानिक के नाम पर रखा जाता है, जो उसका पता लगाता है। हैली (Halley) पुच्छल तारा 76 वर्षों बाद दिखाई देता है।
6. उल्का पिंड (Meteors)-रात के समय चलते हुए पदार्थ आकाश से धरती की ओर आते हुए नज़र आते हैं और पलभर में आलोप भी हो जाते हैं। इन टूटते हुए तारों को उल्का तारे कहते हैं। आमतौर पर ये मार्ग में ही जलकर राख हो जाते हैं और कुछ धरती पर भी गिरते हैं। रूस और अमेरिका की तरफ से छोड़े गए छोटे खगोलीय पिंड (स्पूतनिक) आदि भी पृथ्वी के इर्द-गिर्द चक्कर लगाते हैं।
प्रश्न (ग)
प्रमाणों का ज़िक्र करते हुए सिद्ध करें कि पृथ्वी गोल है।
उत्तर-
पृथ्वी का रूप (Shape of the Earth)-
प्राचीन विचार-प्राचीन काल में पृथ्वी के रूप के सम्बन्ध में कुछ अजीब विचार थे, परन्तु हज़ारों वर्षों के ज्ञान और अलग-अलग प्रयोगों ने इन्हें ग़लत सिद्ध कर दिया है।
पृथ्वी का चपटा रूप-देखने में पृथ्वी चपटी नज़र आती है, इसलिए बहुत-से विद्वानों ने इसे चपटी (Flat Disc) माना।
यूनान (Greek) के विद्वान् थेलज़ (Thales) के अनुसार ‘पृथ्वी गोल मेज़ की भाँति चपटी और गोल चक्कर (Disc shaped) के समान है।’ अनैक्सीमेंडर के अनुसार, “पृथ्वी बेलनाकार है।”
गोलनुमा पृथ्वी-प्राचीन समय में ही अरस्तु (Aristotle), टॉलमी (Ptolemy), आर्यभट्ट, भास्कर, आचार्य, फिलोलस (Philolaus), पाईथागोरस (Phythagorus) आदि विद्वानों ने प्रमाण प्रस्तुत किए हैं कि पृथ्वी गोलाकार है।
आधुनिक विचार-16वीं सदी में कॉपरनिकस (Copernicous) ने पृथ्वी की परिक्रमा (Revolution) के प्रमाणों से सिद्ध किया है कि पृथ्वी गोल है। परन्तु वास्तव में न्यूटन (Newton) ने 17वीं सदी में वैज्ञानिक प्रमाण पेश किया कि पृथ्वी पूरी तरह एक गोले के समान गोल नहीं है, बल्कि गोल वस्तु का बिगड़ा हुआ रूप है और गोलनुमा (Spheroid) है। 1903 ई० में सर जेमस जीनज़ (Sir James Jeans) ने बताया कि पृथ्वी नाशपाती के आकार (Pear Shaped) की है। पृथ्वी का अपना अलग आकार है। इसे नारंगी (Orange) अथवा नाशपाती आदि में से किसी के बिल्कुल अनुरूप नहीं कहा जा सकता। वास्तव में पृथ्वी का अपना अलग ही आकार है, जिसकी उपमा किसी अन्य वस्तु के साथ नहीं की जा सकती। यह विशेष आकार केवल पृथ्वी का ही है, इसलिए इस आकार को Geoid कहा गया है।
(Geo + Oid) (भू + आकार)
पृथ्वी ध्रुवों पर पिचकी या सी हुई (Flattered) है, पर भूमध्य रेखा पर बाहर की ओर उभरी हुई (Bulging) है। यही कारण है कि पृथ्वी के दोनों व्यास बराबर नहीं हैं जबकि एक गोले (Sphere) के सभी व्यास समान होते हैं।
पृथ्वी के विशेष आकार का कारण-पृथ्वी का विशेष आकार पृथ्वी की रोज़ाना गति (Rotation) के कारण है। पृथ्वी अपनी धुरी (Axis) के इर्द-गिर्द घूमती है।
विकेंद्रित शक्ति (Centrifugal force) के कारण प्रत्येक घूमती हुई गोल वस्तु का रूप बिगड़ जाता है, इसीलिए पृथ्वी को भी a sphere of Rotation कहा गया है।
पृथ्वी एक गोलाकार पिंड का बिगड़ा हुआ रूप है। नीचे लिखे प्रमाण इस तथ्य की पुष्टि करते हैं-
1. दूर से आ रहे समुद्री जहाज़ की स्थिति-यदि समुद्र तट से दूर से आते हुए जहाज़ को देखें , तो सबसे पहले हमें उसका ऊपरी भाग भाव चिमनी दिखाई देती है। निकट आने पर धीरे-धीरे समुद्री जहाज़ पूरा दिखाई देने लगता है। यह गोलाकार पृथ्वी के कारण ही है। यदि पृथ्वी चपटी होती तो शुरू से ही समुद्री जहाज़ पूरे का पूरा एक साथ ही नज़र आ जाता।
2. दूसरे ग्रहों का गोल होना-सूर्य मंडल के दूसरे ग्रह और सूर्य गोलाकार पिंड हैं। पृथ्वी भी सूर्यमंडल का एक सदस्य है। इन्हीं के समान पृथ्वी भी अवश्य गोलाकार ही होगी।
3. क्षितिज का गोल होना-क्षितिज (जहाँ धरती और आकाश मिलते हुए प्रतीत होते हैं) सभी दिशाओं में गोल प्रतीत होता है। अधिक ऊँचाई पर क्षितिज का आकार बढ़ता जाता है। यदि पृथ्वी चपटी होती, तो क्षितिज का विस्तार हर एक ऊँचाई पर एक समान होता।
4. सूर्य का उदय और अस्त होना-गोलाकार पृथ्वी के कारण अलग-अलग प्रदेशों में सूर्य के उदय और अस्त होने का समय भिन्न होता है। यदि पृथ्वी चपटी होती है तो पूरे संसार में सूर्योदय और सूर्यास्त का एक ही समय होता और समूचे तल पर एक ही समय में प्रकाश पहुँचता।
5. पृथ्वी की परिक्रमा-मैगेलन (Magallan) और फ्रांसिस ड्रेक नाविकों ने समुद्री जहाज़ से पृथ्वी की __ परिक्रमा करके यह सिद्ध किया कि पृथ्वी गोलाकार है। वे बिना मुड़े उसी स्थान पर पहुँच गए, जहाँ से उन्होंने यात्रा शुरू की थी।
6. बेडफोर्ड लेवल नहर का प्रयोग-सन् 1870 ई० में इंग्लैण्ड की बेडफोर्ड लेवल नाम की एक नहर में ए० आर० वैलेस (A.R.Wallace) ने एक प्रयोग से सिद्ध किया कि पृथ्वी गोलाकार है। उसने नहर में एक-एक मील की दूरी पर बराबर ऊँचाई के तीन खम्भे इस तरह गाड़े कि वे जल-सतह से 14 फुट ऊँचे थे। सीधा देखने पर बीच वाला खम्भा आठ इंच ऊँचा दिखाई दिया। यह पृथ्वी की गोलाई के कारण है।
7. अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा प्रमाण-अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरिक्ष और चंद्रमा से धरती के जो चित्र लिए हैं, उनसे सिद्ध होता है कि पृथ्वी गोलाकार है। ऐसे ही चित्र यूरी गार्गिन, नील आर्मस्ट्रांग और राकेश शर्मा ने अन्तरिक्ष में लिए थे।
प्रश्न (घ)
पृथ्वी पर मौसमों का बदलाव कैसे और क्यों होता है ? लिखें।
उत्तर-
ऋतु परिवर्तन-वर्ष भर में एक जैसा मौसम नहीं रहता। परिक्रमण तथा धुरी के झुकाव के कारण पृथ्वी की स्थिति सूर्य के सामने बदलती रहती है। फलस्वरूप दिन-रात की लम्बाई, सूर्य के ताप की मात्रा अलग-अलग होती है। इसी प्रकार परिक्रमा के दौरान पृथ्वी की अलग-अलग अवस्थाओं के अनुसार चार मुख्य ऋतुओं का निर्माण होता है-गर्मी की ऋतु, पतझड़ की ऋतु, सर्दी की ऋतु और वसंत की ऋतु। यह अवस्थाएँ क्रमानुसार 21 जून, 23 सिम्तबर, 21 मार्च और 22 दिसंबर को होती हैं।
ऋतु परिवर्तन के कारण-
- पृथ्वी की धुरी का अपने ग्रह-पथ तल पर 66%2° के कोण पर झुका हुआ होना।
- पृथ्वी की धुरी का सदा एक ही दिशा में झुका होना।
- पृथ्वी की परिक्रमण गति।
- दिन रात का छोटे और बड़े होना।
1. 21 जून की अवस्था-
- इस अवस्था में सूर्य कर्क रेखा पर लम्ब रूप में चमकता है।
- उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर झुका होता है और दक्षिणी ध्रुव सूर्य से दूर होता है।
- उत्तरी गोलार्द्ध का अधिक भाग सूर्य की रोशनी में रहता है। उत्तरी गोलार्द्ध में दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं। 21 जून उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन होता है।
- दक्षिणी गोलार्द्ध का अधिक भाग अंधकार में रहता है। यहाँ दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं। 21 जून दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे छोटा दिन होता है।
- इस प्रकार लम्ब रूप किरणों तथा दिन बड़े होने के कारण, उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य के ताप की मात्रा अधिक होती है और गर्मी की ऋतु होती है। इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध में तिरछी किरणों और छोटे दिनों के कारण सर्दी की ऋतु होती है।
- इस अवस्था को कर्क संक्रांति अथवा कर्क समपात (Summer Solstice) कहते हैं।
2. 22 दिसम्बर की अवस्था-
- इस अवस्था में सूर्य की किरणें मकर रेखा पर लम्ब रूप में पड़ती हैं।
- दक्षिणी ध्रुव सूर्य के सामने और उत्तरी ध्रुव सूर्य से परे होता है।
- दक्षिणी गोलार्द्ध का अधिक भाग सूर्य की रोशनी में रहता है। फलस्वरूप दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं। 22 दिसम्बर दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन होता है।
- उत्तरी गोलार्द्ध में अधिक भाग अंधकार में रहता है। यहाँ दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं। 22 दिसम्बर उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे छोटा दिन होता है।
- इस प्रकार लम्ब रूप में किरणों, बड़े दिनों और अधिक सूर्य के ताप की मात्रा के कारण दक्षिणी गोलार्द्ध में गर्मी की ऋतु होती है। इसके विपरीत उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दी की ऋतु होती है।
- इस अवस्था को मकर संक्रांति अथवा मकर समपात (Winter Solstice) भी कहते हैं।
3. 21 मार्च और 23 सितम्बर की अवस्थाएँ-
- इन अवस्थाओं में दोनों ध्रुव सूर्य की ओर समान रूप से झुके होते हैं।
- सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लम्ब रूप में चमकती हैं।
- रोशनी चक्र बिल्कुल ध्रुवों के बीच से निकलता है और दोनों ध्रुवों पर समान रूप से रोशनी पहुँचती है।
- प्रत्येक अक्षांश का आधा भाग अन्धकार में तथा आधा भाग प्रकाश में रहता है, इसीलिए पृथ्वी पर दिन रात. बराबर होते हैं।
- दोनों गोलार्डों में सूर्य का ताप और दिन-रात बराबर होने के कारण एक समान ऋतुएँ होती हैं।
- 21 मार्च को उत्तरी गोलार्द्ध में वसन्त ऋतु और दक्षिणी गोलार्द्ध में सर्दी की ऋतु होती है। इस स्थिति को वसन्त समरात्रि (Spring equinox) भी कहते हैं।
- 23 सितम्बर को उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दी की ऋतु और दक्षिणी गोलार्द्ध में वसन्त ऋतु होती है। इस अवस्था को पतझड़ समरात्रि (Autumn equinox) कहते हैं।
प्रश्न (ङ)
उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी गोलार्डों पर नोट लिखें।
उत्तर-
अक्षांश रेखाएँ किसी स्थान की स्थिति के बारे में जानकारी देती हैं। पृथ्वी के मध्य में जो काल्पनिक रेखा खींची गई है, उसे भूमध्य रेखा कहते हैं। पृथ्वी गोल है और इसका नाप 360° है। भूमध्य रेखा और पृथ्वी की धुरी (90° N से 90° S 32) मिलकर पृथ्वी को चार भागों में बाँटते हैं। भूमध्य रेखा को 0° अक्षांश माना जाता है।
इस प्रकार पृथ्वी के चार भाग नीचे लिखे हैं-
- उत्तरी गोलार्द्ध – . 0° to 90° N
- दक्षिणी गोलार्द्ध – 0° to 90° S
- पूर्वी गोलार्द्ध – 0° to 180° E
- पश्चिमी गोलार्द्ध – 0° to 180° W.
मुख्य मध्याह्न (Prime Meridian)—यह पृथ्वी को दो भागों में बाँटती है-पूर्वी गोलार्द्ध और पश्चिमी गोलार्द्ध। मुख्य मध्याह्न रेखा के पूर्वी भाग को पूर्वी गोलार्द्ध कहते हैं, जबकि पश्चिमी भाग को पश्चिमी गोलार्द्ध कहते हैं। पूर्वी गोलार्द्ध में समय आगे होता है और पश्चिमी गोलार्द्ध में समय पीछे होता है। 180° देशांतर पर पूर्वी और पश्चिमी देशांतर रेखाएँ मिल जाती हैं।
प्रश्न (च)
पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में कथा का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में भिन्न-भिन्न सिद्धान्त-
- पृथ्वी की उत्पत्ति के सम्बन्ध में लैपलेस के अतिरिक्त ऐमनुअल कांट (Cant), चैम्बरलेन और मोल्टन ने भी अपने सिद्धान्त दिए।
- जेम्स जीनज़ और हैरोल्ड जैफरी ने चैम्बरलेन के मत का समर्थन किया।
- सन् 1950 में रूस के ऑटोस्मिथ और जर्मनी के कार्ल वाईजास्कर ने निहारिका परिकल्पना में कुछ सुधार किया। इनके मतानुसार सूर्य एक ओर से निहारिका से घिरा हुआ है, जो मुख्य रूप से हाइड्रोजन, हीलियम और धूल-कणों से बना हुआ है। इन कणों की रगड़ से एक चपटी तश्तरी की आकृति के बादल का निर्माण हुआ।
आधुनिक सिद्धान्त-आधुनिक युग का सबसे अधिक माना जाने वाला सिद्धान्त बिग बैंग सिद्धान्त (Big Bang Theory) है। सन् 1920 में एडेविन हबल ने यह प्रमाण दिए कि ब्रह्मांड फैल रहा है। 1950 और 1960 में इस सिद्धान्त को निश्चित समझ लिया गया।
- 1972 में यह सही मान लिया गया कि कॉस्मिक बैकग्राउंड एक्सप्लोरर (Cosmic Background Explorer) के प्रमाण के कारण, इस सिद्धान्त के अनुसार वे सभी पदार्थ, जिनसे ब्रह्मांड बना है, अत्यधिक छोटे बिंदुओं के रूप में एक ही स्थान पर स्थित थे।
- इनमें एक भयानक विस्फोट हुआ। बिग बैंग के पहले तीन मिनट के भीतर ही पहले अण का निर्माण हुआ।
- यह घटना 15 अरब (Billion) वर्ष पहले घटी थी।
- इस विस्फोट के फलस्वरूप बाद में आकाश गंगा, तारों और ग्रहों का जन्म हुआ। इस प्रकार जैसे-जैसे ब्रह्मांड फैलता गया, आकाश गंगा (Galaxies) एक-दूसरे से दूर होती गईं। यह माना जाता है कि एक आग के गोले (Single fireball) के धमाके से कई टुकड़े अलग होने की घटना 15 अरब साल (Billion) पहले घटी थी।
चित्र-बिग बैंग प्रक्रिया का काल्पनिक ग्राफिक थी।
Geography Guide for Class 11 PSEB पृथ्वी Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 2-4 शब्दों में दें-
प्रश्न 1.
सूर्य मण्डल के सबसे बड़े ग्रह का नाम बताएँ।
उत्तर-
वृहस्पति।
प्रश्न 2.
सूर्य और पृथ्वी के बीच कितनी दूरी है ?
उत्तर-
15 करोड़ किलोमीटर।
प्रश्न 3.
सूर्य से धरती पर प्रकाश की किरणें कितनी देर में पहुँचती हैं ?
उत्तर-
8 मिनट 22 सैकिंड।
प्रश्न 4.
पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास बताएँ।
उत्तर-
12714 किलोमीटर।
प्रश्न 5.
बेडफोर्ड लेवल नहर का प्रयोग किसने किया था ?
उत्तर-
ए० आर० वैलेस ने।
प्रश्न 6.
सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लम्ब रूप में कब पड़ती हैं ?
उत्तर-
21 जून।
प्रश्न 7.
भारत का प्रामाणिक समय किस देशांतर से लिया जाता है ?
उत्तर-
82/2° पूर्व।
प्रश्न 8.
कर्क रेखा का अक्षांश बताएँ।
उत्तर-
23172° N.
प्रश्न 9.
पृथ्वी अपनी धुरी पर एक चक्कर कितने समय में लगाती है ?
उत्तर-
23 घंटे 56 मिनट 4 सैकिंड।
प्रश्न 10.
उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे लंबा दिन बताएँ।
उत्तर-
21 जून।
बहुविकल्पी प्रश्न
नोट-सही उत्तर चुनकर लिखें-
प्रश्न 1.
सूर्य के सबसे निकट के ग्रह का नाम बताएँ-
(क) पृथ्वी
(ख) शुक्र
(ग) बुध
(घ) शनि।
उत्तर-
बुध।
प्रश्न 2.
पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास बताएँ-
(क) 12000 कि०मी०
(ख) 12500 कि०मी०
(ग) 12710 कि०मी०
(घ) 12714 कि०मी० ।
उत्तर-
12714 कि०मी०।
प्रश्न 3.
बैडफोर्ड लेवल नहर कहाँ है ?
(क) इंग्लैंड
(ख) जर्मनी
(ग) फ्रांस
(घ) हॉलैंड।
उत्तर-
इंग्लैंड।
प्रश्न 4.
1° देशांतर के लिए समय में अंतर बताएं-
(क) 2 मिनट
(ख) 3 मिनट
(ग) 4 मिनट
(घ) 5 मिनट।
उत्तर-
4 मिनट।
प्रश्न 5.
‘आधी रात का सूर्य’ किस देश को कहते हैं ?
(क) नॉर्वे
(ख) स्वीडन
(ग) फिनलैंड
(घ) आईसलैंड।
उत्तर –
नॉर्वे!
अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 2-3 वाक्यों में दें-
प्रश्न 1.
पृथ्वी की आयु का वर्णन करें।
उत्तर-
पृथ्वी की आयु ब्रह्मांड से लगभग एक-तिहाई है। पृथ्वी का गठन 4.54 अरब वर्ष पहले हुआ। इसकी सतह पर जीवन का विकास लगभग 1 अरब वर्ष पूर्व हुआ।
प्रश्न 2.
बिग बैंग से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
बिग बैंग (Big Bang) एक बहुत बड़े विस्फोट को कहा जाता है, जिसके कारण पृथ्वी की उत्पत्ति हुई।
प्रश्न 3.
नेबुयला सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर-
नेबुयला बहुत ठंडा, गैसों और धूल का बादल था, जिसके सिकुड़ने के कारण पृथ्वी की उत्पत्ति हुई। विकिरण के कारण नेबुयला में से कई छल्ले बाहर की ओर फेंके गए, जो ठंडे होकर ग्रह बन गए। यह सिद्धान्त कांट और लैपलेस ने प्रस्तुत किया।
प्रश्न 4.
आकाश-गंगा का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
रात को तारों की एक चौड़ी और लम्बी चमकदार सड़क दिखाई देती है। इस चमकदार मेहराब (Arch) को आकाश–गंगा कहते हैं।
प्रश्न 5.
सूर्य मंडल के कुल मादे के अलग-अलग पदार्थ बताएँ।
उत्तर-
सूर्य – 99.85%
ग्रह – 0.135%
पूँछ वाले तारे – 0.01%
उपग्रह – 0.00005%
उल्का . – 0.0000001%
प्रश्न 6.
सूर्य के अलग-अलग भाग बताएँ और उनका तापमान बताएँ।
उत्तर-
सूर्य का जो भाग हमें दिखाई देता है, उसे प्रकाश-मण्डल (Photosphere) कहते हैं, जिसका तापमान 6000° kelvin है। मध्यभाग को क्रोमोस्फीयर (Chromosphere) कहते हैं, जिसका तापमान 10,000 Kelvin है। मध्यवर्ती केंद्रीय भाग को कोरोना (Corona) कहते हैं, जिसका तापमान 10 लाख दर्जे Kelvin है।
प्रश्न 7.
सूर्य कलंक तथा चुंबकीय क्षेत्र क्या हैं ?
उत्तर-
सूर्य पर बने काले धब्बों को सूर्य कलंक कहते हैं। जब इन धब्बों की गिनती बहुत बढ़ जाती है तो धरती पर चुम्बकीय हवाएं चलती हैं। इससे जहाज़ों की दिशा में भूल हो जाती है।
प्रश्न 8.
सूर्य मण्डल के अन्दरूनी और बाहरी ग्रह कौन-से हैं ?
उत्तर-
सूर्य के निकट घूमने वाले ग्रहों को अदंरूनी ग्रह (Inner Planets) अथवा Terrestial Planets कहते हैं। ये चार ग्रह हैं-बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल।
सूर्य से दूर घूमने वाले ग्रहों को बाहरी ग्रह (Outer Planets) अथवा Jovian Planets कहते हैं। ये चार ग्रह हैं-बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण।
प्रश्न 9.
शनि ग्रह की प्रमुख विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर-
- यह सूर्य मण्डल का दूसरा बड़ा ग्रह है।
- इसके इर्द-गिर्द तीन छल्ले (Rings) चक्कर लगाते हैं।
- कम तापमान (-150°C) के कारण यहाँ जीवन संभव नहीं है।
प्रश्न 10.
सुबह का तारा और शाम का तारा किस ग्रह को कहते हैं ?
उत्तर-
बुध ग्रह को सुबह का तारा और शुक्र ग्रह को शाम का तारा कहते हैं।
प्रश्न 11.
बौने ग्रह (Dwarf Planets) कौन-से हैं ?
उत्तर-
छोटे आकार के बौने ग्रह नीचे लिखे हैं.-
- सीरस
- एरीज़
- मेक मेक
- हयुमीया।
प्रश्न 12.
उल्का से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
रात को कभी-कभी आसमान में टूटते हुए तारे दिखाई देते हैं। इन्हें उल्का अथवा Shooting Stars कहते हैं। इनके छोटे टुकड़े धरती पर भी गिरते हैं, जिन्हें Meteroits कहते हैं। अमेरिका के ऐरीजोना के मरुस्थल में एक उल्का के गिरने से एक बड़ा क्रेटर बन गया था।
प्रश्न 13.
पृथ्वी के आकार का नाप करने वाले वैज्ञानिकों के नाम बताएँ।
उत्तर-
सबसे पहले हेवरीज नामक विद्वान् ने धरती की आकृति अर्द्ध-चक्र जैसी बताई। इसके बाद थेलज़ ने पृथ्वी को गोल मेज़ की तरह बताया। ऐंगज़ीलैंडर ने पृथ्वी को बेलनाकार बताया। इसके बाद ईरेटोस्थनीज़ ने पृथ्वी को गोल बताया।
प्रश्न 14.
पृथ्वी की प्रमुख अक्षांश रेखाएँ बताएँ।
उत्तर-
- भूमध्य रेखा – 0°
- कर्क रेखा – 23.5° N
- मकर रेखा – 23.5° S
- 3706f2afi alghi – 66\(\frac{1}{2}\)° N
- अंटार्कटिक चक्र – 66\(\frac{1}{2}\) S
- उतरी धुव – 90° N
- दक्षिणी – 90°S
प्रश्न 15.
भारत के मानक समय पर एक नोट लिखें ।
उत्तर-
भारत में 82\(\frac{1}{2}\)° पूर्व देशांतर के स्थानीय समय को पूरे भारत में मानक समय माना जाता है। \(\frac{1}{2}\)° देशांतर इलाहाबाद और मिर्जापुर के मध्य से निकलती है।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)
नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 60-80 शब्दों में दें-
प्रश्न 1.
सूर्य मण्डल के नौ ग्रहों की सूर्य से दूरी के क्रम और आकार के अनुसार नाम बताएँ।
उत्तर-
सूर्य और नौ ग्रह मिलकर सूर्य मण्डल अथवा सूर्य-परिवार की रचना करते हैं। सूर्य से दूरी के अनुसार ग्रहों के नाम इस प्रकार हैं(i) बुध (ii) शुक्र (iii) पृथ्वी (iv) मंगल (v) बृहस्पति (vi) शनि (vii) अरुण (viii) वरुण। इस प्रकार बुध ग्रह सूर्य से सबसे निकट है और वरुण ग्रह सूर्य से सबसे दूर है।
सूर्य मण्डल के ग्रहों का आकार एक समान नहीं है। सूर्य मण्डल में बृहस्पति सबसे बड़ा ग्रह है और बुध सबसे छोटा ग्रह है। बृहस्पति, शनि, अरुण बड़े ग्रह हैं और बुध, वरुण, मंगल, शुक्र और पृथ्वी छोटे ग्रह हैं। आकार के अनुसार इनका क्रम इस प्रकार है(i) बृहस्पति (i) शनि (iii) अरुण (iv) वरुण (v) पृथ्वी (vi) शुक्र (vii) मंगल (viii) बुध ।
प्रश्न 2.
सूर्य के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
सूर्य, सूर्य मण्डल का सबसे बड़ा सदस्य है। सूर्य एक विशाल जलता हुआ खगोलीय पिंड हैं। इस गर्म पिंड की सतह पर तापमान लगभग 6000°C है। इसका व्यास 14 लाख 93 हज़ार किलोमीटर है। आयतन के अनुसार सूर्य धरती से 13 लाख गुणा बड़ा है। आकार की दृष्टि से सूर्य धरती से 3 लाख 30 हज़ार गुणा बड़ा है। सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण सभी ग्रह इसके इर्द-गिर्द चक्कर लगाते हैं। सूर्य चारों तरफ से गैसों के गोलों से घिरा हुआ है। यह सूर्य मंडल को प्रकाश और गर्मी प्रदान करता है।
प्रश्न 3.
चन्द्रमा (Moon) पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर–
चन्द्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है। यह पृथ्वी से लगभग 3 लाख 52 हज़ार किलोमीटर दूर है। पृथ्वी के इर्द-गिर्द एक चक्कर लगाने में इसे 29/2 दिन लगते हैं। इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी की शक्ति का 1/5 भाग है। चन्द्रमा हवा और पानी से रहित उपग्रह है। यहाँ कम तापमान होने के कारण जीवन संभव नहीं है। चन्द्रमा सूर्य से ताप और प्रकाश ग्रहण करता है। सबसे पहले नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong) नाम का अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री 28 जुलाई, 1969 को चन्द्रमा पर उतरा था।
प्रश्न 4.
पुच्छल तारे और उल्का तारे में अंतर बताएँ।
उत्तर-
पुच्छल तारे और उल्का तारे में अंतर-
पुच्छल तारे (Comets)- | उल्का तारे (Meteors)- |
1. ये गैसों से बने लम्बी पूंछ वाले तारे होते हैं। | 1. ये ठोस खगोलीय पिंड होते हैं, जो पृथ्वी की ओर चलते हुए प्रतीत होते हैं। |
2. इन्हें धूमकेतू (Comets) भी कहा जाता है। | 2. इन्हें टूटते हुए तारे (shooting stars) भी कहा जाता है। |
3. ये सूर्य की आकर्षण शक्ति के साथ पृथ्वी के निकट आते हैं। | 3. ये पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण वायुमंडल में प्रवेश करते हैं। |
4. इनकी अपनी रोशनी नहीं होती। ये अंडाकार रूप में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। | 4. ये वायुमंडल की रगड़ से जलने लगते हैं और पृथ्वी पर गिरकर धंस जाते हैं। |
प्रश्न 5.
पृथ्वी और मंगल ग्रह की तुलना करें।
उत्तर-
पृथ्वी और मंगल ग्रह की तुलना-
पृथ्वी (Earth) – | मंगल ग्रह |
1. पृथ्वी का व्यास 12736 किलोमीटर है। | 1. मंगल ग्रह का व्यास 6,752 किलोमीटर है। |
2. पृथ्वी सूर्य से 14 करोड़ 90 लाख किलोमीटर दूर है। | 2. मंगल ग्रह सूर्य से 22 करोड़ 27 लाख किलोमीटर दूर है। |
3. पृथ्वी अपने ग्रह-पथ पर 23 घंटे 56 मिनटों में एक चक्कर पूरा करती है। | 3. मंगल ग्रह अपने ग्रह-पथ पर 24 घंटे 37 . मिनटों में एक चक्कर पूरा करता है। |
4. पृथ्वी 365-1/4 दिनों में सूर्य के इर्द-गिर्द एक चक्कर पूरा करती है। | 4. मंगल ग्रह सूर्य के इर्द-गिर्द 687 दिनों में एक चक्कर पूरा करता है। |
5. पृथ्वी का एक उपग्रह है। | 5. मंगल ग्रह के दो उपग्रह हैं। |
प्रश्न 6.
पृथ्वी को एक भाग्यशाली ग्रह क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है, जिस पर जीवन संभव है। ऑक्सीजन और नाइट्रोजन गैसों के कारण यहाँ मनुष्य और वनस्पति जीवित हैं। पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी केवल 81 मिनटों में पहुंच जाती है। पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण मौसम बनते हैं। सूर्य ताप, पवनों और वर्षा को जन्म देता है। चन्द्रमा पृथ्वी का उपग्रह है, जो पृथ्वी पर ज्वारभाटा पैदा करता है। यही कारण हैं कि इसे भाग्यशाली ग्रह कहते हैं।
प्रश्न 7.
“पृथ्वी गोलनुमा होते हुए भी चपटी नज़र आती है।” कारण बताएँ।।
उत्तर-
आमतौर पर पृथ्वी गोलाकार है। यह एक विशाल गोलनुमा पिंड है। इसका घेरा 40,000 किलोमीटर है। इतने बड़े घेरे वाले गोले में साधारण उभार नज़र नहीं आता है। यह गोलाई छोटे-से क्षेत्र में नाम मात्र ही होती है। इस प्रकार प्रत्येक भाग में पृथ्वी चपटी और सपाट ही प्रतीत होती है। अन्तरिक्ष से ही धरती के रूप का अनुभव होता है।
प्रश्न 8.
अन्तरिक्ष यात्री और महासागरों की परिक्रमा करने वाले यात्रियों के नाम बताएँ और प्रमाण सहित बताएँ कि पृथ्वी गोल है।
उत्तर-
अन्तरिक्ष यात्रियों द्वारा प्रमाण–अन्तरिक्ष यात्रियों ने अन्तरिक्ष और चन्द्रमा से धरती के जो चित्र लिए हैं, उनसे सिद्ध होता है कि पृथ्वी गोलाकार है। ऐसे चित्र यूरी गार्गिन, नील आर्मस्ट्रांग, राकेश शर्मा और कल्पना चावला ने अन्तरिक्ष में लिए थे।
पृथ्वी की परिक्रमा–मैगेलिन (Megallan) और फ्रांसिस ड्रेक नाविकों ने समुद्री जहाज़ के द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा करके यह सिद्ध किया कि पृथ्वी गोलाकार है। वे बिना मुड़े उसी स्थान पर पहुँच गए, जहाँ से उन्होंने यात्रा शुरू की थी।
प्रश्न 9.
भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर देशान्तर की लम्बाई कम क्यों होती जाती है ?
उत्तर-
पृथ्वी गोलाकार पिन्ड है। भूमध्य रेखा धरती पर सबसे बड़ा अक्षांश चक्र है। ध्रुवों की ओर जाने पर अक्षांश चक्र छोटे होते जाते हैं। ऐसा धरती के गोलाकार होने के कारण है। इनके फलस्वरूप प्रत्येक अक्षांश पर 10 देशान्तर की लम्बाई भी कम होती जाती है। ध्रुवों के निकट देशान्तर के लिए स्थान कम हो जाता है, जिस प्रकार-
- भूमध्य रेखा पर देशान्तर की लम्बाई = 111 km
- 45° अक्षांश पर देशान्तर को लम्बाई – 79 km
- 60° अक्षांश पर देशान्तर की लम्बाई = 55 km
- 90° अक्षांश पर देशान्तर की लम्बाई = Zero
प्रश्न 10.
प्रत्येक देशान्तर पर समय का चार मिनट का अन्तर क्यों होता है ?
अथवा
देशांतर और समय में क्या संबंध है ?
उत्तर-
देशान्तर और समय का निकट का सम्बन्ध है। पृथ्वी 24 घण्टों में अपने ध्रुवों के इर्द-गिर्द एक चक्कर पूरा करती है भाव पृथ्वी 360° घूम जाती है। इसलिए 1° देशान्तर घूमने के लिए समय = \(\frac{24 \times 60}{360}\) मिनट = 4 मिनट होता है। यदि दो स्थानों में 1° देशान्तर का अन्तर है, तो उनके स्थानीय समय में 4 मिनट का अन्तर होगा। यदि यह अन्तर 15° हो, तो समय में अन्तर 15 x 4 = 60 मिनट अथवा एक घण्टा होगा।
पृथ्वी के पश्चिम से पूर्व की ओर घूमने की गति के कारण पूर्व की ओर जाने पर समय बढ़ जाता है, परन्तु पश्चिम की ओर जाने से समय कम हो जाता है। इस सम्बन्ध में नीचे लिखे नियमों का प्रयोग किया जाता है
(East-Gain–Add)
(West–Lose—Subtract)
प्रश्न 11.
मानक समय की क्या ज़रूरत है ?
उत्तर-
1. ज़रूरत (Necessity)-
- अलग-अलग स्थानों पर अलग समय होने के कारण स्थानीय समय का प्रयोग नहीं किया जा सकता। इससे रोज़ाना के जीवन में अनेक कठिनाइयाँ पैदा हो जाती हैं। प्रत्येक देशान्तर पर हमें घड़ी चार मिनट आगे या पीछे करनी पड़ेगी।
- प्रत्येक स्थान पर स्थानीय समय के प्रयोग से डाक, तार, रेल आदि विभागों के काम में विघ्न पड़ जाता है।
- प्रत्येक देश में समय की एकरूपता (Uniformity of Time) कायम करने के लिए मानक समय का होना ज़रूरी है।
- अलग-अलग देशों के समय के साथ सम्बन्ध रखने के लिए मानक समय का होना जरूरी है।
- हवाई जहाजों, समुद्री जहाजों पर लम्बी यात्रा और संचार साधनों के लिए प्रामाणिक समय का ज्ञान ज़रूरी है।
2. अक्षांश रेखाओं से किसी स्थान की भूमध्य रेखा से दूरी पता की जा सकती है। 1° देशान्तर में लगभग 111 किलोमीटर की दूरी होती है।
3. अक्षांश रेखाओं की मदद से किसी स्थान के तापमान का अनुमान लगाया जा सकता है।
4. ये रेखाएँ मानचित्र बनाने में भी सहायक होती हैं।
प्रश्न 12.
जब साइबेरिया (रूस) में पहली जनवरी की तिथि होती है, तब अलास्का (संयुक्त राज्य) में 31 दिसम्बर की तिथि होगी। क्यों ?
उत्तर-
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा 180° देशान्तर रेखा के साथ-साथ निश्चित की गई एक रेखा है। इस तिथि रेखा को पार करने पर समुद्री जहाज़ समय में एक दिन को कम कर लेते हैं या बढ़ा लेते हैं, ताकि अलगअलग देशों का प्रामाणिक समय अलग-अलग होने के कारण समय में विघ्न न पड़े। साइबेरिया पूर्व में स्थित है और अलास्का पश्चिम में। पूर्व से पश्चिम की ओर जाते हुए यात्री अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा पार करने के बाद एक दिन का अंतर करके अगले दिन को भी वही दिन समझ लेते हैं। इस प्रकार अलास्का में पहली जनवरी के स्थान पर 31 दिसम्बर की तिथि होती है।
प्रश्न 13.
समय-कटिबंध पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
कई बड़े देशों का पूर्व-पश्चिम में देशान्तरीय विस्तार अधिक है, जिस प्रकार सोवियत रूस का विस्तार 165° देशान्तर है। इन देशों में कई मानक समयों का प्रयोग किया जाता है। देश के अलग-अलग मानक समयों वाले भागों को समय-कटिबंध (Time Zone) कहते हैं। किसी देश को अलग-अलग क्षेत्रों में बांटा जाता है। प्रत्येक क्षेत्र का अपना मानक समय होता है। एक समय-कटिबंध से दूसरे समय-कटिबंध में प्रवेश करने पर घड़ि दूसरे कटिबंध के समय के अनुसार ठीक करनी पड़ती हैं। प्रत्येक समय-कटिबंध का विस्तार 15° देशान्तर होता है और समय में एक घण्टे का अन्तर होता है। संयुक्त राज्य में 4 समय-कटिबंध, कनाडा में 6 समय-कटिबंध और रूस में 11 समय-कटिबंध हैं। ट्रांस-साईबेरियन रेल मार्ग के यात्रियों को अन्तिम स्टेशन तक पहुँचते-पहुँचते कई बार अपनी घड़ियाँ ठीक करनी पड़ती हैं।
प्रश्न 14.
देशान्तर और देशान्तर रेखाओं में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
देशान्तर और देशान्तर रेखाओं में अन्तर-
देशान्तर (Longitude)- | देशान्तर रेखा (Line of Longitude)- |
1. पश्चिम की ओर कोणात्मक दूरी को देशान्तर कहते हैं। | 1. देशान्तर रेखाएँ उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों को मिलाती हैं और भूमध्य रेखा को लम्ब रूप में काटती हैं। |
2. देशान्तर किसी स्थान की दूरी को प्रकट करता है। | 2. देशान्तर रेखाएँ किसी स्थान का देशान्तर प्रकट करती हैं। |
3. देशान्तर को रेखांश (Parallels) भी कहा जाता है। | 3. इन्हें मध्याह्न रेखाएँ (Meridians) भी कहा जाता है। |
4. देशान्तर 180° पूर्व और 180° पश्चिम तक होता है। | 4. देशान्तर रेखाएँ उत्तर-दक्षिण दिशा में खींची जाती हैं। |
5. ग्रीनविच का देशान्तर शून्य माना गया है। | 5. देशान्तर रेखाएँ समान लम्बाई वाली होती हैं। |
प्रश्न 15.
स्थानीय समय और प्रामाणिक समय में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
स्थानीय समय और प्रामाणिक समय में अन्तर-
मानक समय (Standard Time) | स्थानीय समय (Local time) |
1. स्थानीय समय प्रत्येक स्थान के देशान्तर के अनुसार होता है। | 1. मानक समय किसी देश के केंद्रीय देशान्तर के अनुसार होता है। |
2. प्रत्येक स्थान पर स्थानीय समय अलग-अलग होता है। | 2. सभी स्थानों पर मानक समय एक समान होता है। |
3. जब किसी देशान्तर पर दोपहर को सूर्य लम्ब रूप में हो, तब 12 बजे का समय होता है। | 3. मानक समय का दोपहर के समय सूर्य की स्थिति से कोई सम्बन्ध नहीं होता। |
4. एक देशान्तर पर सभी स्थानों का समय एक होता है। | 4. किसी देश के सभी स्थानों पर मानक समय एक होता है। |
5. 1° देशान्तर पर समय में चार मिनट का अन्तर होता है। | 5. मानक समय में कोई परिवर्तन नहीं होता। |
प्रश्न 16.
दिन-रात किस प्रकार बनते हैं ? चित्र द्वारा समझाएँ।
उत्तर-
धरती की दैनिक गति के कारण दिन और रात बनते हैं। धरती अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। गोलाकार होने के कारण धरती का आधा भाग सूर्य के सामने प्रकाश में रहता है और वहाँ दिन
होता है। बाकी आधा भाग सूर्य से परे अन्धकार में रहता है और वहाँ रात होती है। प्रत्येक भाग क्रम से सूर्य के सामने आता है और दूसरा अन्धकार में चला जाता है। इस प्रकार दिन और रात बनते हैं।
प्रश्न 17.
दिन और रात छोटे-बड़े होने का क्या कारण है ?
उत्तर-
गरमी के मौसम में दिन बड़े होते हैं और रातें छोटी होती हैं, जबकि सर्दी के मौसम में दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं। इसके नीचे लिखे कारण हैं-
- पृथ्वी की वार्षिक गति-परिक्रमा के कारण छह महीने के लिए उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर झुका होता है और वहाँ दिन बड़े होते हैं और रातें छोटी होती हैं, परंतु दूसरे छह महीने दक्षिणी ध्रुव सूर्य की ओर झुका होता है। इसलिए उत्तरी गोलार्द्ध में रातें छोटी और दिन बड़े होते हैं।
- धुरी का झुका होना-पृथ्वी की धुरी ग्रह-पथ पर 66/2° के कोण पर झुकी हुई है, इसलिए प्रत्येक अक्षांश पर दिन-रात समान नहीं होते।
प्रश्न 18.
नॉर्वे को ‘आधी रात के सूर्य का देश’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
नॉर्वे उत्तरी ध्रुवीय चक्र (66/2° अक्षांश) के उत्तर में स्थित है। गर्मी की ऋतु में उत्तरी ध्रुवीय चक्र से उत्तर के प्रदेशों में दिन की लम्बाई 24 घण्टे से अधिक होती है। यह प्रदेश सूर्य की ओर झुके होने के कारण छह महीनों तक लगातार प्रकाश में होता है। यहाँ सूर्य लगातार क्षितिज के ऊपर ही रहता है और उस समय भी दिखाई देता है, जब बाकी के भागों में घड़ी के अनुसार आधी रात का समय होता है। इसीलिए नॉर्वे को आधी रात के सूर्य का देश (Land of midnight sun) भी कहा जाता है।
प्रश्न 19.
दैनिक गति और वार्षिक गति में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
दैनिक गति और वार्षिक गति में अन्तर-
दैनिक गति (Rotation) – | दैनिक गति (Rotation) – |
1. जब पृथ्वी अपनी धुरी पर लटू के समान घूमती है, तो इसे दैनिक गति कहते हैं। | 1. जब पृथ्वी अपनी धुरी पर लटू के समान घूमती है, तो इसे दैनिक गति कहते हैं। |
2. दैनिक गति में एक चक्कर पूरा करने में 23 घण्टे 56 मिनट 4 सैकिंड का समय लगता है। | 2. दैनिक गति में एक चक्कर पूरा करने में 23 घण्टे 56 मिनट 4 सैकिंड का समय लगता है। |
3. पृथ्वी धुरी पर पश्चिम से पूर्व दिशा में घूमती है। | 3. पृथ्वी धुरी पर पश्चिम से पूर्व दिशा में घूमती है। |
प्रश्न 20.
कर्क संक्रांति और मकर संक्रांति में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
कर्क संक्रांति और मकर संक्रांति में अन्तर-
कर्क संक्रांति (Summer Solstice) | मकर संक्रांति (Winter Solstice) |
1. परिक्रमा के समय 21 जून को पृथ्वी की अवस्था को मकर संक्रांति कहते हैं। | 1. परिक्रमा के समय 22 दिसम्बर को पृथ्वी की अवस्था को कर्क संक्रांति कहते हैं। |
2. इस अवस्था में उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर झुका होता है और सूर्य मकर रेखा पर लम्ब रूप में चमकता है। | 2. इस अवस्था में दक्षिणी ध्रुव सूर्य की ओर झुका होता है और सूर्य कर्क रेखा पर लम्ब रूप में चमकता है। |
3. उत्तरी गोलार्द्ध में दिन बड़े होते हैं और गर्मी की ऋतु होती है। दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन छोटे हैं और सर्दी की ऋतु होती है। | 3. उत्तरी गोलार्द्ध में दिन छोटे होते हैं और सर्दी की ऋतु होती है। दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन बड़े और गर्मी की ऋतु होती है। |
4. यह अवस्था 22 दिसम्बर की अवस्था के विपरीत होती है। | 4. यह अवस्था 21 जून की अवस्था के विपरीत होती है। |
निबंधात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 150-250 शब्दों में दें-
प्रश्न 1.
पृथ्वी के विस्तार का नाप किस प्रकार किया गया है ?
उत्तर-
पृथ्वी का विस्तार (Size of the Earth)—पृथ्वी का आकार गोलनुमा (Spheroid) है। प्राचीन काल में पृथ्वी को चपटा माना जाता था। जब प्राचीन नक्षत्र वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के गोलाकार होने के प्रमाण दिए, तब पृथ्वी के विस्तार की जानकारी प्राप्त करने के प्रयत्न किए गए।
सबसे पहले सन् 200B.C. में एक यूनानी नक्षत्र वैज्ञानिक ईरेटोस्थनीज़ (Eratosthenes) ने पृथ्वी के विस्तार को मापने का प्रयत्न किया। उसने 21 जून के दिन नील नदी पर स्थित साइन (Syene) शहर (इस समय आसवान शहर) में दोपहर के समय सूर्य की किरणें एक कुएं के पानी पर लम्ब रूप में पड़ती हुई देखीं। उसने अनुमान लगाया कि वहां सूर्य की ऊँचाई 90° है।
अगले वर्ष 21 जून को अल्गज़ानद्रिया शहर में सूर्य की किरणों की ऊँचाई देखी। यह ऊँचाई लम्ब रूप में नहीं थी। यह ऊँचाई साइन शहर में मापी गई ऊँचाई से 7.2° कम थी। साइन शहर और अल्गजानद्रिया शहर के बीच की दूरी 5000 स्टेडिया थी, जो कि 925 किलोमीटर के बराबर है। इस प्रकार पृथ्वी को गोलाकार और इसके केंद्र में चक्र के समान 360° के कोण को मान कर पृथ्वी का घेरा निकालने का प्रयत्न किया गया।
इस तरह वर्तमान काल में पृथ्वी का मापा गया घेरा, व्यास आदि और ईरेटोस्थनीज़ द्वारा किए गए माप में बहुत अन्तर नहीं है।
प्रश्न 2.
अक्षांश और देशान्तर रेखाओं से क्या तात्पर्य है ? उनकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर-
अक्षांश रेखाएँ (Lines of Latitude)-अक्षांश रेखाएँ वे कल्पित रेखाएँ हैं, जो बराबर अक्षांश वाले स्थानों को मिलाती हैं। ये रेखाएँ भूमध्य रेखा के समानांतर होती हैं और गोल-चक्र होती हैं। ये रेखाएँ पूर्वपश्चिमी दिशा में खींची जाती हैं। भूमध्य रेखा पृथ्वी को दो बराबर भागों में बाँटती हैं। भूमध्य रेखा सबसे बड़ा अक्षांश चक्र है। पृथ्वी की गोलाई के कारण अक्षांश रेखाओं की लम्बाई ध्रुवों की ओर लगातार कम होती जाती है। ध्रुव केवल बिन्दु मात्र ही रह जाते हैं। अक्षांश रेखाओं की कुल गिनती 180 होती है- 90° उत्तर और 90° दक्षिण प्रमुख अक्षांश रेखाएँ नीचे लिखी हैं-
(i) भूमध्य रेखा–0° अक्षांश
(ii) कर्क रेखा-237° उत्तर
(iii) मकर रेखा-23/2° दक्षिण
(iv) उत्तरी ध्रुव चक्र-66/2° उत्तर
(v) दक्षिणी ध्रुव चक्र-66/2° दक्षिण
(vi) उत्तरी ध्रुव-90° उत्तर
(vii) दक्षिणी ध्रुव-90° दक्षिण।
देशान्तर रेखाएँ (Lines of Longitude)—देशान्तर रेखाएँ वे कल्पित रेखाएँ हैं, जो समान देशान्तर वाले स्थानों को मिलाती हैं। ये रेखाएँ उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव को मिलाती हुई भूमध्य रेखा को समकोण पर काटती हैं। ये अर्धचक्र के समान होती हैं। ये रेखाएँ उत्तर-दक्षिण दिशा में खींची जाती हैं। इनकी कुल संख्या 360 होती है–180° पूर्व और 180° पश्चिम। सभी देशान्तर रेखाओं की लंबाई समान होती है। इन रेखाओं को मध्याह्न रेखाएँ (Meridian) भी कहा जाता है। लंदन के निकट ग्रीनविच में से निकलने वाली देशांतर रेखा को प्रधान मध्याह्न रेखा (Prime Meridian) कहते हैं। इसे शून्य (0°) देशान्तर कहते हैं। यह रेखा धरती को दो बराबर भागों में पूर्वी गोलार्द्ध और पश्चिमी गोलार्द्ध में बाँटती है। सभी देशान्तर रेखाएँ ध्रुवों पर मिलती हैं। 180° पूर्व और 180° पश्चिम देशान्तर एक ही रेखा है, जिसे अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा भी कहते हैं।
प्रश्न 3.
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा की स्थिति और महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर-
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line)-180° देशान्तर रेखा के साथ-साथ खींची गई रेखा को अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहते हैं, जिसको पार करने पर तिथि में एक दिन का अंतर कर दिया जाता है।
ज़रूरत (Necessity)—पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए 180° देशान्तर रेखा तक पहुँचने के समय में एक दिन का अन्तर आ जाता है। समुद्री यात्रा करते हुए नाविकों को आम तौर पर एक दिन की भूल हो जाती थी। इस भूल को दूर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा निश्चित की गई।
प्रत्येक देशान्तर के समय में 4 मिनट का अन्तर आ जाता है। यदि किसी दिन ग्रीनविच (0° देशांतर रेखा) पर रात के 12 बजे हों और हम पूर्व की ओर से 180° देशांतर रेखा पर पहुँचें, तो वहाँ अगले दिन के दोपहर के 12 बजे का समय होगा। यदि ग्रीनविच से पश्चिम की ओर चलते हुए 180° पश्चिम देशान्तर रेखा पर पहुँचें तो वहाँ उसी दिन दोपहर के 12 बजे होंगे। इस प्रकार 180° देशान्तर रेखा पर दो तिथियाँ आ जाती हैं। यदि इसके पूर्व में पहली जनवरी है तो पश्चिम में 31 दिसंबर होगी। .
उदाहरण-जब सन् 1522 में मैगेलन (Magellan) समुद्रीमार्ग से पूरे विश्व का चक्कर लगाकर स्पेन वापस पहुँचा, तो उसने उस दिन को 5 सितम्बर समझ लिया, जबकि वास्तव में उस दिन 6 सितंबर तिथि थी। पश्चिम की ओर से यात्रा करने के कारण उसने 1 दिन का समय गँवा दिया और यह भूल हुई थी।
तिथि परिवर्तन का नियम-
1. पूर्व (जापान) से पश्चिम (संयुक्त राज्य अमेरिका) जाते हुए यात्री इस रेखा को पार करते समय अपनी तिथि से एक दिन कम कर देता है। वह अगले दिन को भी वही दिन समझेगा, जिस दिन वह तिथि- रेखा को पार करता है। इस प्रकार उसका सप्ताह 8 दिन का हो जाता है।
2. पश्चिम (संयुक्त राज्य अमेरिका) से पूर्व (जापान) जाते हुए यात्री अपनी तिथि में एक दिन जोड़ लेता है। उसके लिए अगला दिन एक दिन छोड़ के होगा। इस प्रकार उसका सप्ताह 6 दिन का ४६ हो जाता है।
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि-रेखा की स्थिति-यह रेखा लगभग 180° देशांतर रेखा के साथ-साथ स्थित है। प्रशान्त महासागर में अनेक द्वीप (Island) हैं, जिनके मध्य से 180° देशांतर रेखा निकलती है। कुछ मुश्किलों से बचने के लिए इसे टेढ़ी माना गया है। इस रेखा को सीधी न रख कर कहीं-कहीं टेढ़ा किया गया है, ताकि एक ही टापू के मध्य से न निकले। इस प्रकार एक ही द्वीप के दो भागों में दो अलग-अलग तिथियाँ न हो जाएँ। उत्तरी भाग में यह अल्यूशियन द्वीप के पश्चिम में मुड़ जाती है, जबकि दक्षिणी भाग में यह रेखा फ़िज़ी द्वीप (Fiji Island) के पूर्व की ओर मुड़ जाती है।
प्रश्न 4.
स्थानीय समय और मानक समय किसे कहते हैं ? मानक समय की ज़रूरत का वर्णन करें।
उत्तर-
स्थानीय समय (Local Time) किसी स्थान पर या देशान्तर पर दोपहर के समय सूर्य की स्थिति के अनुसार निश्चित समय को स्थानीय समय कहा जाता है। (Local time of a place is the time of its own Meridian) जब सूर्य लम्ब रूप में हो अथवा उसकी ऊँचाई अधिक-से-अधिक हो, तो वहाँ दोपहर के 12 बजे का समय होता है। उस स्थान की घड़ियाँ उस समय के अनुसार चलाई जाती हैं। इस प्रकार स्थानीय समय दोपहर के सूर्य की ऊँचाई की सहायता से निश्चित किया गया किसी देशान्तर विशेष का समय होता है।
विशेषताएँ (Characteristics)-
- पृथ्वी के घूमने के कारण प्रत्येक देशान्तर क्रम से सूर्य के सामने आता है। इसीलिए प्रत्येक देशांतर के दोपहर का समय अथवा स्थानीय समय अलग-अलग होता है।
- एक ही देशान्तर पर स्थित सभी स्थानों का स्थानीय समय एक होता है, क्योंकि ये सभी स्थान एक साथ सूर्य के सामने आते हैं।
- स्थानीय समय सूर्य की स्थिति पर निर्भर करता है।
- यह समय मापने का एक प्राचीन ढंग है, जब दिन के समय धूप-घड़ी (Sun dial) की सहायता से समय को मापा जाता था।
- एक ही देश में अलग-अलग शहरों में अलग-अलग स्थानीय समय मिलता है, जैसे बंबई (मुंबई), कोलकाता और दिल्ली अलग-अलग देशान्तरों में स्थित हैं और उनका स्थानीय समय भी अलग-अलग है।
- प्रधान मध्याह्न रेखा से पूर्व की ओर जाने पर समय बढ़ता है और पश्चिम की ओर जाने पर समय कम होता है। समय का अंतर 4 मिनट प्रति देशान्तर होता है।
मानक समय (Standard Time)–जब किसी देश के मध्यवर्ती स्थान अथवा केन्द्रीय देशांतर के स्थानीय समय को समूचे देश में लागू कर दिया जाता है, तब उसे प्रामाणिक समय कहा जाता है। यह समय किसी देश के सभी स्थानों पर एक ही होता है।
उदाहरण-भारत में 8272% पूर्व देशांतर केन्द्रीय और मानक देशान्तर रेखा है, इसलिए 8212 पूर्व देशान्तः रेखा का स्थानीय समय भारतीय मानक समय (Indian Standard Time) माना जाता है। यह देशांतर रेखा इलाहाबाः शहर के निकट से निकलती है। इंग्लैण्ड में ग्रीनविच शहर के स्थानीय समय को सारे देश का मानक समय मा जाता है और इसे G.M.T. कहा जाता है। भारतीय मानक समय I.S.T. ग्रीनविच के समय से 5\(\frac{1}{2}\) घं आगे है।
ज़रूरत (Necessity)
- अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग समय होने के कारण स्थानीय समय का प्रयोग नहीं किया जा सकता। इसमें रोज़ाना के जीवन में कई मुश्किलें पैदा हो जाती हैं। प्रत्येक देशान्तर पर हमें घड़ी चार मिनट आगे या पीछे करनी पड़ेगी।
- प्रत्येक स्थान के स्थानीय समय के प्रयोग से डाक, तार, रेल आदि विभागों के काम में विघ्न पैदा हो जाता है।
- प्रत्येक देश में समय की एकरूपता (Uniformity of Time) कायम करने के लिए मानक समय जरूर होता है।
- अलग-अलग देशों के समय के साथ सम्बन्ध रखने के लिए मानक समय ज़रूरी है।
- हवाई जहाजों, समुद्री जहाज़ों के लंबे सफर और संचार साधनों के लिए मानक समय का ज्ञान ज़रूरी है।
स्थानीय समय जानना (To find out the Local Time)
प्रश्न 1.
इलाहाबाद (82\(\frac{1}{2}\) °E) में स्थानीय समय क्या होगा, जबकि ग्रीनविच में शाम के चार बजे हों ?
उत्तर-
1. देशान्तर में अन्तर (Difference in Longititude)
82″E इलाहाबाद का देशांतर = 82 \(\frac{1}{2}\) E
ग्रीनविच का देशांतर = 0°
अन्तर = 82\(\frac{1}{2}\)°
= \(\frac{165°}{2}\)
(East-Gain-Add)
2. समय में अन्तर (Difference in Time)
यदि देशान्तर में अंतर 1° है तो समय में अन्तर = 4 मिनट
यदि देशान्तर में अंतर \(\frac{165°}{2}\) है तो समय में अन्तर = \(\frac{165 \times 4}{2}\) = 30 मिनट।
= 5 घंटे 30 मिनट।
3. इलाहाबाद का समय निकालना
ग्रीनविच का समय = 4.00 P.M. घंटे मिनट
= 4.00 + 12.00 = 16.00
समय में अन्तर = Add + 5.30
21.30 भाव शाम के 9.30 बजे।
कारण-क्योंकि इलाहाबाद ग्रीनविच के पूर्व में स्थित है, इसलिए वहाँ स्थानीय समय अधिक होगा। इसलिए नियम अनुसार जोड़ करना पड़ेगा।
(Rule-East-sgain-Add)
प्रश्न 2.
न्यूयॉर्क (75°W) में स्थानीय समय क्या होगा जबकि काहिरा (30°E) में दोपहर के 12 बजे हों ?
उत्तर-
न्यूयॉर्क का देशान्तर = 75°W
काहिरा का देशान्तर = 30°E
देशांतर में अन्तर = 75° + 30° = 105°
समय में अन्तर 105 x 4 = 420 मिनट
= 7 घंटे।
(क्योंकि न्यूयॉर्क ग्रीनविच के पश्चिम में स्थित है, इसलिए समय में अन्तर को कम करेगा।)
(Ruie = West – Loss – Subtract)
घंटे मिनट
काहिरा का समय = 12.00
समय में अन्तर = – 7.00
न्यूयॉर्क में स्थानीय समय = 5.00 A.M.