Punjab State Board PSEB 11th Class Geography Book Solutions Chapter 8 नमी और वर्षण क्रिया Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 11 Geography Chapter 8 नमी और वर्षण क्रिया
PSEB 11th Class Geography Guide नमी और वर्षण क्रिया Textbook Questions and Answers
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो शब्दों में दें-
प्रश्न (क)
विशिष्ट नमी का अंग्रेज़ी में क्या नाम लिया जाता है?
उत्तर-
Specific Humidity.
प्रश्न (ख)
अगर वाष्पीकरण काफी हो, तो हवा में कौन-सी नमी बढ़ती है?
उत्तर-
निरपेक्ष नमी।
प्रश्न (ग)
नमी का तरल रूप क्या है?
उत्तर-
जल।
प्रश्न (घ)
ओले ठोस होते हैं, इनका पहला गैस रूप क्या होता है?
उत्तर-
जल वाष्प।
प्रश्न (ङ)
अग्रभागी वर्षा का पंजाबी नाम क्या है ?
उत्तर-
चक्रवाती वर्षा।
2. प्रश्नों के उत्तर 60-80 शब्दों में दें-
प्रश्न 1. (क)
नमी क्या होती है? इसकी किस्मों के नाम लिखें।
उत्तर-
वायुमंडल में मौजूद नमी (जलवाष्प) को नमी कहते हैं। यह पानी के गैसीय रूप में विद्यमान रहती है। वायुमंडल में मौजूद नमी तीन प्रकार की होती है
- निरपेक्ष नमी
- विशिष्ट नमी
- सापेक्ष नमी।
प्रश्न (ख)
वर्षा से क्या अभिप्राय है? इसकी किस्मों के नाम लिखें।
उत्तर-
वायुमंडल में मौजूद जल वाष्प संघनन होकर जब बूंदों के रूप में भू-तल पर गिरते हैं, तो उसे वर्षा कहते हैं। वर्षा की तीन किस्में हैं-
- संवहन वर्षा
- पर्वतीय वर्षा
- चक्रवाती वर्षा।
प्रश्न (ग)
वर्षण और वर्षा में क्या अंतर है? बताएं।
उत्तर-
जब वायु का तापमान ओस बिंदु से भी नीचे गिरता है, तो उसमें जलवाष्प जल में बदलकर किसी-न-किसी रूप में भू-तल पर गिरते हैं, उसे वर्षण कहते हैं। इसके तीन रूप हैं-बर्फबारी, ओले और वर्षा, परंतु जब ये जलवाष्प जल की बूंदों के रूप में भू-तल पर गिरते हैं, तो उसे वर्षा कहते हैं।
प्रश्न (घ)
संतृप्त वायु क्या होती है ? व्याख्या करें।
उत्तर-
जब हवा का तापमान इतना कम हो जाए कि हवा जल वाष्प को संभाल न सके तो उसे संतृप्त हवा कहते हैं। हवा में जितना सामर्थ्य होता है, यदि हवा में उतनी नमी मौजूद हो, तो उस हवा को संतृप्त हवा कहते हैं। इस हालत में हवा में संघनन क्रिया आरंभ हो जाती है।
प्रश्न (ङ)
वायु, नमी व तापमान का क्या संबंध है ? संक्षेप में बताएँ।
उत्तर-
तापमान के बढ़ने से हवा में जलवाष्प (नमी) धारण करने का सामर्थ्य बढ़ जाता है। तापमान कम होने पर नमी कम हो जाती है। गर्म हवा में नमी का सामर्थ्य बढ़ जाता है, परंतु वास्तविक नमी कम होती है।
नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 100 से 250 शब्दों में दें-
प्रश्न (क)
नमी की किस्मों की विस्तृत व्याख्या करें।
उत्तर-
1. निरपेक्ष नमी या वास्तविक नमी (Absolute Humidity)—किसी समय में किसी तापमान पर हवा में जितनी नमी मौजूद हो, उसे हवा की निरपेक्ष या वास्तविक नमी कहते हैं। यह एक ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर द्वारा प्रकट की जाती है। तापमान बढ़ने या कम होने पर भी हवा की वास्तविक नमी वही रहेगी, जब तक उसमें और अधिक जलवाष्प शामिल न हों या कुछ जल-कण अलग न हो जाएँ। वाष्पीकरण द्वारा वास्तविक नमी बढ़ जाती है और वर्षा द्वारा कम हो जाती है। हवा के ऊपर उठकर फैलने पर अथवा नीचे उतरकर सिकुड़ने से भी यह मात्रा बढ़ या कम हो जाती है। इस प्रकार की वायु की निरपेक्ष या वास्तविक नमी कभी भी स्थिर नहीं रहती।
विभाजन (Distribution)-
- भूमध्य रेखा पर सबसे अधिक निरपेक्ष नमी होती है और यह ध्रुवों की ओर कम होती जाती है।
- गर्मी की ऋतु में सर्दियों की तुलना में और दिन में रात की तुलना में हवा की निरपेक्ष नमी अधिक होती है।
- थल खंडों की अपेक्षा महासागरों में निरपेक्ष नमी अधिक होती है।
- उच्च वायुदाब के क्षेत्रों में नीचे उतरती हुई हवाओं के कारण निरपेक्ष नमी कम होती है।
- इससे वर्षा के संबंध में अनुमान लगाने में सहायता नहीं मिलती।
2. सापेक्ष नमी (Relative Humidity)-किसी तापमान पर हवा में कुल जितनी नमी समा सकती है, उसका जितना प्रतिशत अंश उस वायु में मौजूद हो, उसे सापेक्ष नमी कहते हैं।
दूसरे शब्दों में, यह हवा की निरपेक्ष नमी और उसकी नमी धारण करने के सामर्थ्य का प्रतिशत अनुपात है।
उदाहरण (Example)-यदि किसी हवा में 70° F पर 4 grain प्रति घन फुट नमी मौजूद है, परंतु यदि यह हवा 70°F तापमान पर 8 grain प्रति घन फुट नमी सहन कर सकती है, तो उस हवा की सापेक्ष नमी = 4/8 x 100 = 50 प्रतिशत होगी।
नोट-सापेक्ष नमी को भिन्न (Fraction) की अपेक्षा % से प्रकट किया जाता है।
इसे हवा की संतृप्तता का प्रतिशत अंश भी कहा जाता है। हवा के फैलने या सिकुड़ने से विशेष नमी बदल जाती है। तापमान के बढ़ने से हवा का वाष्प ग्रहण करने का सामर्थ्य बढ़ जाता है और सापेक्ष नमी कम हो जाती है। तापमान कम होने से हवा ठंडी हो जाती है और वाष्प धारण करने का सामर्थ्य कम हो जाता है। इस प्रकार सापेक्ष नमी बढ़ जाती है।
विभाजन (Distribution)—
- भूमध्य रेखा पर सापेक्ष नमी अधिक होती है।
- गर्म मरुस्थलों में सापेक्ष नमी कम हो जाती है।
- निम्न वायु दाब वाले क्षेत्रों में सापेक्ष नमी अधिक परंतु उच्च वायु दाब वाले क्षेत्रों में सापेक्ष नमी कम होती है।
- महाद्वीपों के भीतरी क्षेत्रों में सापेक्ष नमी कम होती है।
- दिन को सापेक्ष नमी कम होती है, पर रात को यह बढ़ जाती है।
- वर्षा ऋतु में सापेक्ष नमी बढ़ जाती है।
3. विशिष्ट नमी (Specific Humidity)-हवा के प्रति इकाई भार में मौजूद जल वाष्प के भार को विशिष्ट नमी कहते हैं अथवा हवा में मौजूद जल वाष्प के भार और उस वायु के भार के अनुपात को विशिष्ट नमी कहते हैं। वायु के आयतन के बढ़ने या कम होने से वायु का भार बढ़ या कम हो जाता है और विशिष्ट नमी बदल जाती है। भूमध्य रेखा और सागरों पर विशिष्ट नमी अधिक होती है।
प्रश्न (ख)
वर्षा की किस्मों की व्याख्या करें।
उत्तर-
वायु में मौजूद जल वाष्प जब संघनन द्वारा जल का रूप धारण करके भू-तल पर गिरते हैं, तो उसे वर्षा कहते हैं। हवा की नमी ही वर्षा का आधार है। वर्षा होने का मुख्य कारण है-संतृप्त हवा का ठंडा होना। (Rainfall is caused due to the cooling of saturated air.) इस प्रकार जल-कणों का धरती पर गिरना ही वर्षा कहलाता है। वर्षा के लिए जरूरी है कि
- हवा में पर्याप्त नमी हो।
- हवा का किसी प्रकार ठंडा होना या द्रवीकरण क्रिया का होना।
- हवा में धूल के कणों का होना।
वर्षा की किस्में (Types of Rainfall) हवा तीन दशाओं में ठंडी होती है-
- गर्म और नम हवा का संवाहक धाराओं के रूप में ऊपर उठना।
- किसी पर्वत से टकराकर नम हवा का ऊपर उठना।
- ठंडी और गर्म वायु समूह का आपस में मिलना।
इन दशाओं के आधार पर वर्षा तीन प्रकार की होती है-
इसे चक्रवाती वर्षा (Cylonic Rainfall) कहते हैं। यह वर्षा लगातार बहुत देर तक परंतु थोड़ी मात्रा में होती है।
उदाहरण (Examples)
- शीतोष्ण कटिबंध में सर्दी की ऋतु में पश्चिमी यूरोप में इसी प्रकार की वर्षा होती है।
- पंजाब में सर्दी ऋतु में कुछ वर्षा रोम सागर से आने वाले चक्रवातों द्वारा होती है।
प्रश्न (ग)
विश्वभर में वर्षा के विभाजन की व्याख्या करें।
उत्तर-
विश्व में वर्षा का विभाजन (World Distribution of Rainfall)-
तापमान, वायु दाब और पवनें वर्षा की मात्रा को निर्धारित करते हैं। ये सभी दशाएँ विभिन्न कटिबंधों में भिन्न होती हैं। इसी कारण वर्षा का विभाजन भी इन्हीं कटिबंधों में एक समान नहीं होता है। ऋतु वैज्ञानिक पैटर्सन ने वर्षा का विभाजन कटिबंधों के अनुसार किया है, जो कि नीचे लिखे अनुसार है-
1. भूमध्य रेखीय प्रदेश (Equatorial Region)-भूमध्य रेखीय या डोलड्रम प्रदेश का विस्तार लगभग 7° उत्तरी और 7° दक्षिणी अक्षांशों के बीच होता है। यहाँ निरंतर संवहन धाराएँ उठती रहती हैं, जिसके कारण सारा साल वर्षा होती रहती है। यहाँ शुष्क ऋतु नहीं होती। इस प्रदेश में मुख्य रूप में संवहन वर्षा होती है, परंतु प्रदेश के पर्वतीय भागों में पर्वतीय वर्षा भी होती है। इस प्रदेश में वार्षिक वर्षा का औसत 200 सैंटीमीटर से अधिक होता है।
2. व्यापारिक पवन पेटी (Trade Winds Belt)-ये कटिबंध दोनों गोलार्डों में 7° से 22° अक्षांशों के बीच _फैले हुए हैं। इन कटिबंधों में व्यापारिक और मानसूनी पवनों द्वारा वर्षा होती है। व्यापारिक पवनें महाद्वीपों के पूर्वी तटों पर वर्षा करती हैं। इन कटिबंधों में वर्षा की मात्रा गर्मी की ऋतु में अधिक होती है। वार्षिक वर्षा का औसत 100 से 200 सैंटीमीटर के बीच होता है परंतु कम वर्षा वाले क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा का औसत 50 सैंटीमीटर से भी कम होता है।
3. उपोष्ण शुष्क कटिबंध (Sub-Tropical Dry Belt) दोनों गोलार्डों में 22° से 33° के बीच ये कटिबंध फैले हुए हैं। इनमें वर्षा की मात्रा कम होती है। वर्ष में 50° सैंटीमीटर से भी कम वर्षा होती है। इन कटिबंधों के पश्चिमी भागों में विशाल मरुस्थल स्थित हैं क्योंकि यहाँ पहुँचते-पहुँचते पवनें शुष्क हो जाती हैं। इनके निकट शीतल धाराएँ भी बहती हैं।
4. भूमध्य सागरीय प्रदेश (Mediterranean Regions)—ये प्रदेश 33° से 44° अक्षांशों के बीच महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में स्थित हैं। शीतकाल में ये उच्च वायु दाब का केंद्र होते हैं, इसीलिए यहाँ वर्षा नहीं होती। परंतु सर्दी की ऋतु में पश्चिमी पवनों की पेटी के प्रभाव में आ जाने के कारण यहाँ वर्षा होती है।
5. पश्चिमी पवन कटिबंध (Westerlies Belt) दोनों गोलार्डों में 40° से 61° अक्षांशों के बीच विस्तृत इन कटिबंधों में पश्चिमी पवनों द्वारा सारा साल वर्षा होती है। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 150 से 200 सैंटीमीटर के बीच होती है।
6. ध्रुवीय प्रदेश (Polar Region)—ये प्रदेश दोनों गोलार्डों में 60°–90° अक्षांशों के बीच स्थित हैं। यहाँ वर्षा हिम के रूप में होती है।
1. संवहन वर्षा (Convectional Rainfall)-थल पर अधिक गर्मी के कारण हवा गर्म होकर फैलती है और हल्की हो जाती है। आस-पास की ठंडी हवा इस हवा का स्थान ले लेती है और गर्म होकर ऊपर उठ जाती है। इस प्रकार संवाहक धाराएँ पैदा हो जाती हैं। इन धाराओं के कारण कुछ ही ऊँचाई पर हवा ठंडी हो जाती है और वर्षा होती है। इसे संवहनीय वर्षा (Convectional Rainfall) कहते हैं। यह वर्षा घनघोर, अधिक मात्रा में और तेज़ बौछारों के रूप में होती है। यह वर्षा स्थानीय गर्मी के कारण होती है। .
उदाहरण (Examples)-
- भूमध्य रेखा पर हवा प्रतिदिन दोपहर तक गर्म होकर ऊपर उठती है और शाम को वर्षा होती है।
- उत्तरी महाद्वीपों के भीतरी भागों में गर्मियों की ऋतु तु चित्र-संवहन वर्षा में कभी-कभी इस प्रकार की वर्षा होती है।
2. पर्वतीय वर्षा (Orographic or Relief Rainfal)—किसी पर्वत के ऊपर उठती हुई, जल वाष्पों से लदी हुई हवा से होने वाली वर्षा को पर्वतीय वर्षा (Relief Rainfall) कहते हैं। इस प्रकार की वर्षा के लिए ज़रूरी है कि हवा में काफी मात्रा में नमी हो और पर्वतों का विस्तार पवन-दिशा में लंबवत् हो। विश्व में अधिकांश वर्षा इसी प्रकार की होती है, पर यह वर्षा पर्वतों की पवनमुखी ढलानों (windward slopes) पर अधिक होती है। पर्वतों की पवन-विमुखी या दूसरी ओर की ढलानों (Leeward Slopes) पर बहुत कम वर्षा होती है। ऐसे प्रदेश वर्षा छाया (Rain Shadow) के प्रदेश कहलाते हैं। पर्वत के दूसरी तरफ नीचे उतर रही हवाएँ (Descending winds) वर्षा नहीं करती हैं। उतरने की क्रिया में दबाव से हवा का तापमान बढ़ जाता है और द्रवीकरण क्रिया नहीं होती। पर्वत के पीछे तक पहुँचते-पहुँचते हवा की नमी समाप्त हो जाती है।
उदाहरण (Example)-
- भारत में पश्चिमी घाट पर समुद्र की ओर से आने वाली पवनें लगभग 400 सें०मी० वर्षा करती हैं, परंतु पूर्वी ढलानों पर वर्षा छाया (Rain Shadow) के कारण केवल 65 सें०मी० वर्षा होती है।
- हिमालय के पीछे स्थित होने के कारण तिब्बत एक वर्षा छाया (Rain Shadow) वाला क्षेत्र है।
3. चक्रवाती वर्षा (Cyclonic Rainfall)-चक्रवातों में गर्म और नम तथा ठंडी और शुष्क हवा के मिलने से एक शक्ति पैदा होती है और यह एक निम्न वायु भार केंद्र बन जाता है। इसके मध्य भाग में ठंडी हवा गर्म हवा को ऊपर उठा देती है। ऊपर उठने पर गर्म हवा के जल वाष्प ठंडे होकर वर्षा के रूप में गिरते हैं।
Geography Guide for Class 11 PSEB नमी और वर्षण क्रिया Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न तु (Objective Type Questions)
नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 2-4 शब्दों में दें-
प्रश्न 1.
सापेक्ष नमी कितने % होती है ?
उत्तर-
100%.
प्रश्न 2.
संघनन के अलग-अलग रूप लिखें।
उत्तर-
हिम, पाला, ओस, धुंध और बादल।
प्रश्न 3.
नमी मापने वाले यंत्र का नाम बताएँ।
उत्तर-
हाइग्रो मीटर।
प्रश्न 4.
नमी के दो प्रकार बताएँ।
उत्तर-
- सापेक्ष नमी
- निरपेक्ष नमी।
प्रश्न 5.
सापेक्ष नमी किस इकाई में मापी जाती है ?
उत्तर-
प्रतिशत में।
प्रश्न 6.
वर्षण के भिन्न-भिन्न रूप बताएँ।
उत्तर-
वर्षा, हिम और ओले।
प्रश्न 7.
वर्षा होने का क्या कारण होता है ?
उत्तर-
संतृप्त हवा का ठंडा होना।
प्रश्न 8.
वर्षा मापने वाले यंत्र का नाम बताएँ।
उत्तर-
रेन-गेज़।
प्रश्न 9.
भूमध्य रेखीय खंड में हर रोज़ की वर्षा किस प्रकार की होती है ?
उत्तर-
संवहनीय वर्षा।
प्रश्न 10.
पर्वत की ओट की शुष्क ढलान को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
वर्षा छाया।
प्रश्न 11.
भारत में किसी एक वर्षा छाया क्षेत्र का नाम बताएँ।
उत्तर-
दक्षिण पठार।
प्रश्न 12.
शीतकाल में उत्तर-पश्चिमी भारत में किस प्रकार की वर्षा होती है ?
उत्तर-
चक्रवाती।
प्रश्न 13.
किस प्राकृतिकखंड में सबसे अधिक वर्षा होती है ?
उत्तर-
भूमध्य-रेखीय खंड में।
बहुविकल्पीय प्रश्न
नोट-सही उत्तर चुनकर लिखें-
प्रश्न 1.
विश्व में सबसे अधिक वर्षा के क्षेत्र बताएँ।
(क) भूमध्य रेखीय खंड
(ख) ध्रुवीय प्रदेश
(ग) 20°-30° अक्षांश
(घ) उष्ण कटिबंध।
उत्तर-
भूमध्य रेखीय खंड।
प्रश्न 2.
किस खंड में सबसे अधिक निरपेक्ष नमी होती है ?
(क) भूमध्य रेखा
(ख) मरुस्थल
(ग) ध्रुवीय खंड
(घ) पर्वतीय खंड।
उत्तर-
भूमध्य रेखा।
प्रश्न 3.
हवा के जलवाष्प के जल में बदलने की क्रिया है
(क) संघनन
(ख) वाष्पीकरण
(ग) विकिरण
(घ) संवहन।
उत्तर-
संघनन।
प्रश्न 4.
सापेक्ष नमी मापक है-
(क) हाइड्रो मीटर
(ख) हाइग्रो मीटर
(ग) बैरोमीटर
(घ) एनिमो मीटर।
उत्तर-
हाइग्रो मीटर।
प्रश्न 5.
पंजाब में शीतकाल की वर्षा किस प्रकार की होती है ?
(क) संवहनीय
(ख) पर्वतीय
(ग) चक्रवाती
(घ) वातावरणीय।
उत्तर-
चक्रवाती।
अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 2-3 वाक्यों में दें-
प्रश्न 1.
नमी किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वायु में जलवाष्प की मात्रा को नमी कहते हैं।
प्रश्न 2.
वाष्पीकरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जिस क्रिया के द्वारा जल द्रव अवस्था से जलवाष्प के रूप में बदल जाता है, उसे वाष्पीकरण कहा जाता है।
प्रश्न 3.
वाष्पीकरण की मात्रा किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर-
- शुष्क हवा
- तापमान
- वायु संचार
- जल खंड।
प्रश्न 4.
संतृप्त वायु से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब वायु किसी निश्चित तापमान पर अपने सामर्थ्य के अनुसार अधिकतम जल वाष्प ग्रहण कर लेती है, उसे संतृप्त वायु कहते हैं।
प्रश्न 5.
निरपेक्ष नमी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी भी समय वायु के किसी निश्चित आयतन में मौजूद जलवाष्प की मात्रा को निरपेक्ष नमी कहते हैं।
प्रश्न 6.
विशिष्ट नमी (Specific Humidity) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वायु में मौजूद जलवाष्प के भार और वायु के भार के अनुपात को विशिष्ट नमी कहा जाता है।
प्रश्न 7.
सापेक्ष नमी की परिभाषा दें।
उत्तर-
किसी निश्चित तापमान पर वायु में स्थित जलवाष्प की मात्रा और उस तापमान पर अधिकतम जलवाष्प ग्रहण करने के सामर्थ्य के अनुपात को सापेक्ष नमी कहते हैं।
प्रश्न 8.
सापेक्ष नमी ज्ञात करने का फार्मूला लिखें।
उत्तर-
प्रश्न 9.
संघनन क्या होता है ?
उत्तर-
वायु में मौजूद जलवाष्प के जल रूप धारण करने की क्रिया को संघनन कहते हैं।
प्रश्न 10.
ओस बिंदु (Dew Point) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जिस तापमान पर संघनन क्रिया शुरू होने लगती है, उस तापमान को ओस बिंदु कहते हैं।
प्रश्न 11.
संघनन के अलग-अलग रूपों के नाम लिखें।
उत्तर-
- ओस
- पाला
- धुंध
- कोहरा।
प्रश्न 12.
धुंध और कोहरे में क्या अंतर है ?
उत्तर-
हल्के कोहरे को धुंध कहते हैं, जिसमें 2 किलोमीटर की दूरी तक की वस्तुएँ दिखाई देती हैं। घने बादलों के रूप को कोहरा कहते हैं, जिसमें 200 मीटर से अधिक दूर की वस्तुएँ नहीं दिखाई देतीं।
प्रश्न 13.
स्मॉग (Smog) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
Smoke + Fog के सुमेल से Smog शब्द बनता है। औद्योगिक क्षेत्रों में धुएँ और जलवाष्प जम जाने से घना कोहरा बनता है, जिसे Smog कहते हैं।
प्रश्न 14.
बादल कैसे बनते हैं ?
उत्तर-
जब संघनन क्रिया के बाद जल की बूंदें धूल कणों पर लटकने लगती हैं, तो बादल बनते हैं।
प्रश्न 15.
वर्षण किसे कहते हैं ? इसके अलग-अलग रूप बताएँ।
उत्तर-
किसी क्षेत्र में वायुमंडल से नीचे बरसने वाले कुल पानी की मात्रा को वर्षण कहते हैं। वायुमंडल से वर्षा. जल, बर्फबारी और ओलों का गिरना ही वर्षण कहलाता है। इसके तीन रूप हैं
- वर्षा – (Rainfall)
- बर्फबारी – (Snowfall)
- 37147 – (Hail Stones)
प्रश्न 16.
एक सैंटीमीटर वर्षा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब वर्षा बिल्कुल सपाट धरती पर पड़े और वर्षा होने के बाद न उसके वाष्प बनें, न ज़मीन ही उसे सोखे और न ही पानी बह जाए और एक सैंटीमीटर पानी की परत धरती पर हो, तब उसे एक सैंटीमीटर वर्षा कहा जाता है।
प्रश्न 17.
सम वर्षा रेखा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सम वर्षा रेखा (Isohyet)-‘Isohyet’ दो शब्दों “Iso’ और ‘hyetos’ के मेल से बना है। ‘ISO’ शब्द का अर्थ है-‘समान’ और ‘hyetos’ शब्द का अर्थ है-‘वर्षा’। इस प्रकार किसी निश्चित समय में हुई समान वर्षा वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा को सम वर्षा रेखा कहते हैं। (“Isohyetos are the lines joining the places of equal rainfall.”)
प्रश्न 18.
‘वर्षा की छाया’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पर्वतों के सामने वाली पवन-मुखी ढलान पर बहुत वर्षा होती है, परंतु पर्वतों की ओट वाली ढलान शुष्क रह जाती है। पवन-मुखी ढलान के ऊपर उठती पवनें ठंडी होकर वर्षा करती हैं, परंतु ओट वाली ढलान से नीचे उतरती पवनें गर्म होकर शुष्क हो जाती हैं और वर्षा नहीं करतीं। इसलिए पर्वतों की ओट वाली ढलान को वर्षा की छाया (Rain Shadow) कहते हैं।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)
नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 60-80 शब्दों में दें-
प्रश्न 1.
वाष्पीकरण किन तत्त्वों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
वायु जब जल के संपर्क में आती है, तो जल के कुछ कणों को यह सोख लेती है। जो जल वायु सोखता है, वह जल वायुमंडल में अदृश्य रूप में वायु में मौजूद रहता है। वायुमंडल में इस अदृश्य जल को जलवाष्प (Watervapour) का नाम दिया जाता है। जल के द्रव्य अवस्था से वाष्प रूप में बदल कर वायुमंडल में विलीन हो जाने को वाष्पीकरण (Evaporation) कहा जाता है। वाष्पीकरण की मात्रा और दर चार कारकों पर निर्भर करती है-
- शुष्क हवा (Dry Air)-शुष्क हवा में वाष्प सोख लेने का अधिक सामर्थ्य होता है। नम हवा के कारण वाष्पीकरण की मात्रा और दर कम हो जाती है।
- तापमान (Temperature)–धरातल पर तापमान के बढ़ जाने से वाष्पीकरण बढ़ जाता है, जबकि ठंडे धरातल पर कम वाष्पीकरण होता है।
- वायु संचार (Movement of Air)-वायु की हिलजुल के कारण वाष्पीकरण की मात्रा बढ़ जाती है।
- जल खंड (Water Bodies)-बड़े या विशाल महासागरों पर थल भाग की अपेक्षा अधिक वाष्पीकरण होता है।
प्रश्न 2.
नमी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
नमी (Humidity) वायुमंडल में मौजूद नमी को जलवायु मंडलीय नमी (Atmospheric Humidity) कहा जाता है। वायुमंडल में पाई जाने वाली विभिन्न गैसों का अनुपात भू-तल के निकट स्थानों पर लगभग समान रहता है, परंतु जलवाष्प की मात्रा समय और स्थान के अनुसार बदलती रहती है। उदाहरण के तौर पर मरुस्थलीय और शुष्क प्रदेशों में इसकी मात्रा बहुत कम और उष्ण सागरों में बहुत अधिक होती है। जंगलों से ढकी वनस्पति, इनसे रहित भूमि की तुलना में वायुमंडल को अधिक नमी प्रदान करती है। जलवाष्प का आधे से अधिक भाग वायुमंडल की निचली सतहों में लगभग 2000 मीटर की ऊँचाई तक होता है। वायुमंडल में नमी रखने की शक्ति वायु की गर्मी पर निर्भर करती है। अधिक गर्म वायु जलवाष्प को अधिक मात्रा में सोखने का सामर्थ्य रखती है। इस प्रकार वह कम नम होती है।
प्रश्न 3.
संवहन वर्षा और पर्वतीय वर्षा में अंतर बताएँ।
उत्तर-
संवहन वर्षा (Convectional Rainfall) –
- जब संवहन धाराओं के कारण ऊपर उठती हवा से हवा ठंडी होकर वर्षा करती है, तो उसे संवहन |
- यह वर्षा स्थानीय गर्मी के कारण होती है।
- यह वर्षा तेज़ बौछार के रूप में थोड़े समय के लिए होती है।
- भूमध्य रेखीय खंड में हर रोज़ संवहन वर्षा होती है।
पर्वतीय वर्षा (Orographic Rainfall)
- किसी पर्वत के सहारे ऊपर उठती हुई नम होने वाली वर्षा को पर्वतीय वर्षा कहते हैं। वर्षा कहते हैं।
- यह वर्षा समुद्र से आने वाली नम हवा से होती है।
- पर्वतों के सामने वाली ढलान पर अधिक वर्षा होती है और पर्वतों की ओट वाली ढलान शुष्क रहती है।
- भारत में मानसून पवनें पश्चिमी घाट पर पर्वतीय वर्षा करती हैं।
प्रश्न 4.
निरपेक्ष नमी और सापेक्ष नमी में क्या अंतर है ? सापेक्ष नमी और वर्षा में संबंध बताएँ। .
उत्तर-
निरपेक्ष नमी (Absolute Humidity) किसी समय किसी तापमान पर हवा में जितनी नमी मौजूद हो, उसे हवा की निरपेक्ष नमी कहते हैं। यह एक ग्राम प्रति घन सैंटीमीटर द्वारा प्रकट की जाती है। तापमान बढ़ने या कम होने पर भी हवा की वास्तविक नमी उतनी ही रहेगी, जब तक कि उसमें और अधिक जल कण शामिल न हों, या कुछ जल कण अलग न हो जाएँ। वाष्पीकरण द्वारा वास्तविक नमी बढ़ जाती है और वर्षा द्वारा कम हो जाती है। हवा के ऊपर उठकर फैलने या नीचे उतरकर सिकुड़ने से भी यह मात्रा कम या बढ़ जाती है। इस प्रकार की वायु की वास्तविक नमी कभी भी स्थिर नहीं रहती है। भूमध्य रेखा पर सबसे अधिक निरपेक्ष या वास्तविक नमी होती है और ध्रुवों की ओर कम हो जाती है।
सापेक्ष नमी (Relative Humidity)-किसी तापमान पर हवा में कुल जितनी नमी समा सकती है, उसका जितना प्रतिशत अंश उस वायु में मौजूद हो, उसे सापेक्ष नमी कहते हैं।
नोट-सापेक्ष नमी को भिन्न की अपेक्षा % से प्रकट किया जाता है।
भूमध्य रेखा पर सापेक्ष नमी अधिक होती है। गर्म मरुस्थलों में सापेक्ष नमी कम होती है। महाद्वीपों के भीतरी क्षेत्रों में सापेक्ष नमी कम होती है।
प्रश्न 5.
द्रवीकरण क्या होता है ?
उत्तर-
द्रवीकरण (Condensation)-जिस क्रिया के द्वारा हवा के जल-कण पानी रूप में बदल जाएँ, उसे द्रवीकरण कहते हैं। जल-कणों के वाष्प की स्थिति से तरल स्थिति में बदलने की क्रिया को द्रवीकरण कहते हैं। (“Change of Water-Vapours in to water is called Condensation”.) वायु का तापमान कम होने से, उस वायु की वाष्प ज़ब्त करने की शक्ति कम हो जाती है। कई बार तापमान उस अंक से नीचे इतना कम हो जाता है कि वायु जल-कणों को संभाल नहीं सकती और जल-कण द्रव बनकर वर्षा के रूप में गिरते हैं। इस क्रिया के उत्पन्न होने के कई कारण हैं-
- जब हवा लगातार ऊपर उठकर ठंडी हो जाए।
- जब नमी से भरी हवा किसी पर्वत के सहारे ऊँची उठकर ठंडी हो जाए।
- जब गर्म और ठंडी वायु-राशियाँ आपस में मिलती हों।
प्रश्न 6.
कोहरा और धुंध में अतंर बताएँ।
उत्तर-
कोहरा (Fog)-वायु में अनेक प्रकार के जल-कण, मिट्टी और रेत के कण तैरते रहते हैं। कोहरा एक प्रकार का बादल है, जो धरातल के निकट हवा में धूल के कणों पर लटके हुए जल की बूंदों से बनता है। (Fog is Condensed vapours hanging in the air.”) ठंडे धरातल या ठंडी हवा के संपर्क में आकर नमी से भरी हुई हवा जल्दी ठंडी हो जाती है। हवा में उड़ते रहने वाले धूल-कणों और जल-कणों का कुछ भाग जल की बूंदों के रूप में जमा हो जाता है, जिससे वातावरण धुंधला हो जाता है और दो सौ मीटर से अधिक दूर की वस्तु दिखाई नहीं देती और हवाई जहाज़ों की उड़ानें बंद करनी पड़ती हैं। ऐसा आम तौर पर साफ और शांत मौसम में सर्दी ऋतु की लंबी रातों के कारण होता है, जबकि धरातल पूरी तरह ठंडा हो जाता है। इसे धरती का कोहरा (Ground Fog) भी कहते हैं। नदियों, झीलों और समुद्रों के निकट के प्रदेशों में भी कोहरा मिलता है। औद्योगिक नगरों में धुएँ के साथ उड़ी हुई राख पर जल-बिंदु टिकने से कोहरा छाया रहता है। ऐसी धुएँ से मिली हुई धुंध को Smog कहते हैं। न्यू फांउडलैंड (New Found Land) के किनारे पर खाड़ी की गर्म धारा और लैबरेडोर की ठंडी धारा मिलने के कारण भी कोहरा छाया रहता है।
धुंध (Mist)-हल्के कोहरे को धुंध कहते हैं। (“A thin fog is called a mist.”) कोहरे और धुंध मे कोई बहुत अधिक अंतर नहीं होता क्योंकि दोनों एक जैसी स्थितियों में बनते हैं। कोहरे की अपेक्षा धुंध में घनापन कम होता है और 2 किलोमीटर की दूरी तक की वस्तुएँ दिखाई दे जाती हैं। कोहरे में शुष्कता अधिक होती है, परंतु धुंध में नमी अधिक होती है, पानी की बूंद बड़े आकार की होती हैं। सर्दी की ऋतु में शीतोष्ण कटिबंध में धुंध एक आम बात है। सूर्य निकलने या तेज़ हवाओं के कारण धुंध जल्दी ही समाप्त हो जाती है।
प्रश्न 7.
ओलों की रचना कैसे होती है ?
उत्तर-
ओले (Hail Stones) जब द्रवीकरण की क्रिया 0°C या 32°F से कम तापमान पर होती है, तो जल वाष्प हिम-कणों में बदल जाते हैं। कई बार तूफान (Thunder Storm) के कारण होने वाली वर्षा में ये हिम-कण ठोस ओलों के रूप में गिरते हैं। नीचे से ऊपर जाने वाली संवहन धाराएँ जल-कणों को बार-बार हिम-कणों के संपर्क में ले आती हैं और उनका आकार बड़ा हो जाता है। धाराओं के वेग के कम होने पर ये नीचे गिरने लगते हैं। जब ओले गिरते हैं, तो बिजली चमकती है, गर्जना होती है और तेज़ हवा चलती है।
प्रश्न 8.
वर्षा किस प्रकार होती है ?
उत्तर-
हवा की नमी ही वर्षा का आधार है। वर्षा होने का प्रमुख कारण है-संतृप्त हवा का ठंडा होना। (“Rainfall is caused due to the cooling of Saturated air.”) वर्षा होने की क्रिया कई चरणों (Stages) में होती है-
1. द्रवीकरण (Condensation) होना-नम हवा के ऊपर उठने से उसका तापमान प्रति 1000 फुट पर 50°C कम हो जाता है। तापमान के लगातार कम होने से हवा की वाष्प शक्ति कम हो जाती है। हवा संतृप्त हो जाती है और द्रवीकरण क्रिया (Condensation) होती है।
2. बादलों का बनना (Formation of Clouds) हवा में लाखों धूल-कण तैरते रहते हैं। जल वाष्प इन कणों पर जमा हो जाते हैं। ये बादलों का रूप धारण कर लेते हैं।
3. जल-कणों का बनना (Formation of Rain Drops)-छोटे-छोटे बादल-कणों के आपस में मिलने से पानी की बूंदें (Rain drops) बनती हैं। जब इन जल कणों का आकार और भार बढ़ जाता है, तो हवा इन्हें संभाल नहीं सकती। ये जल-कण धरती पर वर्षा के रूप में गिरते हैं।
प्रश्न 9.
ओस और ओस बिंदु में अंतर बताएँ।
उत्तर-
ओस (Dew)-
- धरातल और वनस्पति पर जमा पानी की छोटी छोटी बूंदों को ओस कहते हैं।
- ओस बनने के लिए लंबी रातें, साफ आकाश और शांत वायुमंडल की ज़रूरत होती है।
- धरातलीय विकिरण के कारण हवा ठंडी और संतृप्त हो जाती है तथा जल वाष्प बूंदों में बदल जाते हैं।
- ओस बनने के लिए तापमान 0°C से अधिक होता है।
ओस बिंदु (Dew Point)
- जिस तापमान पर संघनन की क्रिया शुरू होती है, उसे ओस बिंदु कहते हैं।
- तापमान कम होने से हवा ओस बिंदु पर पहुँच जाती है।
- जब संतृप्त हवा जल वाष्प जब्त नहीं कर सकती, तो उस तापमान को ओस बिंदु कहते हैं।
- ओस बिंदु पर सापेक्ष नमी 100% होती है।
प्रश्न 10.
वर्षा और वर्षण में अंतर बताएँ।
उत्तर-
वर्षा (Rainfall)-
- जल-कणों का धरती पर गिरना वर्षा कहलाता है।
- वर्षा मुख्य रूप में संवाहक, पर्वतीय और चक्रवाती होती है।
- जब जल-कणों का आकार बड़ा हो जाता है, तो वे धरती पर वर्षा के रूप में गिरते हैं।
वर्षण (Precipitation)-
- वायुमंडल से नीचे बरसने वाली कुल जल-राशि को वर्षण कहते हैं।
- वर्षण मुख्य रूप में तरल और ठोस रूप में होता है।
- संघनन के बाद वर्षा, बर्फबारी और ओले वर्षण के प्रमुख प्रकार हैं।
प्रश्न 11.
कोहरे और धुंध में अंतर बताएँ।
उत्तर-
कोहरा (Fog)
- कोहरा एक प्रकार का घना बादल होता है, जो धरातल के निकट हवा में धूल के कणों पर लटके हुए जल की बूंदों से बनता है।
- कोहरा घना होता है और इसमें 200 मीटर से अधिक दूर की वस्तुएँ दिखाई नहीं देतीं।
- कोहरा शुष्क होता है।
- सर्दी ऋतु की लंबी रातों के कारण धरती पर कोहरा बनता है।
धुंध (Mist)
- हल्के कोहरे को धुंध कहते हैं। इसमें भी जल-वाष्प के लटके हुए कण होते हैं।
- धुंध में घनापन कम होता है और 2 किलोमीटर दूर तक की वस्तुएँ दिखाई देती हैं।
- धुंध में नमी अधिक होती है।
- सर्दी की ऋतु में शीतोष्ण कटिबंध में धुंध एक साधारण बात है।
प्रश्न 12.
संवहन वर्षा और पर्वतीय वर्षा में अंतर बताएँ।
उत्तर –
संवहन (Convectional Rainfall)
- जब संवहन धाराओं के कारण ऊपर उठती हुई हवा ठंडी होकर वर्षा करती है, तो उसे संवहन वर्षा कहते हैं।
- यह वर्षा स्थानीय गर्मी के कारण होती है।
- यह वर्षा तेज़ बौछार के रूप में थोड़े समय के लिए होती है।
- भूमध्य रेखीय खंड में हर रोज़ संवहन वर्षा होती है।
पर्वतीय वर्षा (Orographic Rainfall)
- किसी पर्वत के सहारे ऊपर उठती हई नम हवा से होने वाली वर्षा को पर्वतीय वर्षा कहते हैं।
- यह वर्षा समुद्र से आने वाली नम हवा से होती है।
- पर्वतों के सामने की ढलान पर अधिक वर्षा होती है परंतु पर्वतों की ओट वाली ढलान शुष्क रहती है।
- भारत में मानसून पवनें पश्चिमी घाट पर पर्वतीय वर्षा करती हैं।
निबंधात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 150-250 शब्दों में दें-
प्रश्न 1.
किसी स्थान की वर्षा किन बातों पर निर्भर करती है ?
उत्तर-
किसी स्थान की वर्षा नीचे लिखी बातों पर निर्भर करती है-
1. भूमध्य रेखा से दूरी (Lattitude)-वर्षा का सीधा संबंध तापमान से होता है। (“Rain follows the sun”) अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में अधिक नमी और अधिक वर्षा होती है। भूमध्य रेखा पर पूरा वर्ष अधिक गर्मी के कारण औसत वार्षिक वर्षा 200 सें०मी० से अधिक होती है, परंतु भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर वर्षा की मात्रा कम होती जाती है।
2. समुद्र से दूरी (Distance from the sea)-तट के निकट के स्थानों पर भीतरी स्थानों की अपेक्षा अधिक वर्षा होती है। देश के भीतरी भागों तक पहुँचते-पहुँचते पवनों की नमी सूख जाती है।
3. प्रचलित पवनें (Prevailing Winds)-समुद्र से आने वाली पवनें जल-कणों से भरी होती हैं और अधिक वर्षा करती हैं, परंतु थल से आने वाली पवनें शुष्क होती हैं।
4. पवनों की दिशा (Direction of the Winds)-जिस तरफ से पवनें चलती हैं, उसके निकट के क्षेत्रों में अधिक वर्षा होती है, परंतु दूर के प्रदेशों तक पहुँचने पर हवा की नमी समाप्त हो जाती है और वर्षा नहीं होती।
5. पर्वतों की दिशा (Direction of the Mountains)—पर्वतों की स्थिति और दिशा भी वर्षा पर प्रभाव डालते हैं। यदि कोई पर्वत पवनों की लंबवत् दिशा में स्थित हो, तो वह पवनों को रोक लेता है। अरावली पर्वत के मानसून पवनों के समानांतर होने के कारण राजस्थान में वर्षा नहीं होती।
प्रश्न 2.
वर्षण से क्या अभिप्राय है ? इसकी किस्में लिखें।
उत्तर-
वर्षण (Precipitation)—जब वायु का तापमान ओस बिंदु से नीचे गिरता है, तो उसमें संघनन क्रिया द्वारा जलवाष्प जल में परिवर्तित हो जाते हैं। जब यह जल किसी-न-किसी रूप में भू-तल पर गिरता है, तो उसे वर्षण कहते हैं। वर्षण तीन रूपों में धरती पर गिरता है। इसके तीन रूप हैं-हिमपात या बर्फ गिरना, ओले और वर्षा ।
1. हिमपात या बर्फ गिरना (Snowfall)—वायु में संघनन होते समय जब इसका तापमान हिम अंक से कम हो जाता है, तो जलवाष्प जल-कणों में नहीं बदलते, बल्कि हिमकणों में बदल जाते हैं। दूसरे शब्दों में, ओस अंक के हिम अंक से नीचे हो जाने पर जलवाष्प ठोस हिमकणों का रूप धारण कर लेते हैं। आरंभ में, हिमकण सूक्ष्म होते हैं, परंतु आपस में मिलकर बड़े आकार के हो जाते है और रूई की तरह भूतल पर गिरते हैं। इन्हें बर्फ के फाहे (Snow flakes) कहते हैं। ध्रुवीय और उच्च अक्षांशों के प्रदेशों और उच्च पर्वतों पर बहुत अधिक सर्दी के कारण भारी हिमपात होता है।
2. ओले (Hail Stones)-संघनन द्वारा जलवाष्प से बनी जल की बूंदें भूतल पर आ रही होती हैं, तो कभी कभी इनके मार्ग में ऐसी वायु-सतह आ जाती है जिसका तापमान हिम अंक से नीचे होता है। इस वायु-सतह को पार करते समय जल की बूंदें ठोस हिम का रूप धारण कर लेती हैं और भूतल पर गिरती हैं। इन्हें ओले कहते हैं। कभी-कभी जलवाष्प से बनी जल की बूंदों को तेजी से ऊपर उठने वाली संवहन धाराएँ इतनी ऊँचाई पर ले जाती हैं, जहाँ तापमान हिम अंक से कम होता है। फलस्वरूप ये बूंदें जमकर ठोस रूप धारण लेती हैं और अपने भार के करण भूतल पर ओलों के रूप में गिरती हैं।
3. वर्षा (Rainfall) वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प घने होकर जब बूंदों का रूप धारण करके भू-तल पर गिरते हैं, तो उसे वर्षा कहते हैं। वायु का तापमान जब ओस से नीचे हो जाता है, तो उसके जलवाष्प सूक्ष्म जलकणों में परिवर्तित होकर बादलों का रूप धारण कर लेते हैं। बादलों में जलकण अत्यंत सूक्ष्म होते हैं, जिनका व्यास एक मिलीमीटर के 100वें भाग के बराबर होता है। ये सूक्ष्म जल-कण आसानी से लटके रहते हैं और भूतल पर गिरने में असमर्थ होते हैं।
यदि वे किसी प्रकार नीचे गिर भी जाते हैं, तो भूतल तक पहुँचने से पहले ही इनका वाष्पीकरण हो जाता है। इन जलकणों का आकार तब बढ़ता है, जब जलवाष्प अधिक मात्रा में जल का रूप धारण करें, भाव उसका तापमान ओस अंक से अधिक नीचे हो जाए। जब जलकणों का आकार एक मिलीमीटर के पाँचवें भाग के बराबर होता है, तो वे वर्षा की बंदों के रूप में भू-तल पर आ गिरते हैं।