Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 29 हरियाली Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 29 हरियाली
Hindi Guide for Class 11 PSEB हरियाली Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
‘हरियाली’ लघु कथा का विषय राष्ट्रीय महत्त्व का है-आपका इस के बारे में क्या विचार है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी में हरियाली को राष्ट्रीय समृद्धि से जोड़ा गया है। विदेशों में बनी वस्तुएँ भले ही हमें थोड़ी देर के लिए आकर्षक और सुन्दर लगें, किन्तु जब हमें यह पता चलता है कि विदेशी वस्तुओं के खरीदने से देश आर्थिक दृष्टि से कितना कमज़ोर हो रहा है, देश का धन विदेशों में जाने की बात समझ में आने पर हमारी आँखें खुलती हैं। अतः भारतीय बनो और भारतीय खरीदो का सन्देश देने वाली इस कहानी का विषय राष्ट्रीय महत्त्व का है। इसी उद्देश्य से स्वदेशी जागरण मंच की स्थापना हुई है।
प्रश्न 2.
नरेन्द्र की चिन्ता का क्या विषय है ? लेखक के घर में विदेशी ब्लेडों के प्रयोग को लेकर वह क्या कहता
उत्तर:
नरेन्द्र की चिन्ता का विषय है उसका मित्र लेखक विदेशी ब्लेडों का प्रयोग करता है। विदेशों में बना सामान खरीदने से देश का धन विदेशों में चला जाता है और देश की आर्थिक दशा कमज़ोर होती है। नरेन्द्र का कहना है कि विदेशों में बना माल भले ही हमें थोड़ी देर आकर्षक लगता है, किन्तु हमारा ध्यान इससे होने वाली हानि की ओर नहीं जाता।
प्रश्न 3.
लेखक के अनुसार अमीर आदमी के पड़ोसी होने का क्या फायदा है ? आपका अपना इस विषय पर क्या विचार है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
लेखक के अनुसार अमीर आदमी के पड़ोसी होने का यह फायदा है कि फलदार वृक्ष चाहे पड़ोसी ने उगाए वृक्ष झुके तो हमारे कोठे की तरफ हैं। हमारा मत लेखक से भिन्न है। बेगानी छाछ पर कोई मूंछे नहीं मुंडवा देता, जैसे लेखक के पडोसी के सुन्दर पेड-पौधे उसके घर की नींव को खोखला कर देते हैं। तब उसे फलदार वृक्ष अच्छे नहीं लगते हैं। वह सोचने लगता है कि पड़ोसी से कहकर पेड़ कटवा देने चाहिए। मनुष्य पर जब स्वयं पर संकट आता है तब वह अपने विषय के साथ-साथ देश के विषय में सोचने लगता है और अपना विरोध प्रकट करने के लिए उपाय सोचने लगता है। व्यक्ति को अपनी ही चादर का ध्यान रखना चाहिए। कहा भी है देख बेगानी चोपड़ी न तरसाइए जी।
प्रश्न 4.
“देखो तो इन पौधों की जड़ें तुम्हारे मकान की नींव को खाए जा रही हैं।” नरेन्द्र के इन शब्दों का गहन अर्थ क्या है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
नरेन्द्र के प्रस्तुत शब्दों का गहन अर्थ यह है कि विदेशों में बनी वस्तुएँ भले ही हमें आकर्षक और सुन्दर लगती हैं किन्तु इससे होने वाली हानि का हमें बाद में पता चलता है। जैसे भारतेन्दु जी ने भी कहा है-“पै धन विदेश चलि जाव इहै अतिवारी” अर्थात् विदेशी माल खरीदने पर हमारे देश का धन विदेशों में चला जाएगा और हमारे ही पैसे से विदेशी हाथ मज़बूत होंगे। जैसे लेखक के अमीर पड़ोसी के सुन्दर पेड़-पौधों की जड़ें लेखक के मकान की जड़ें खोखली कर रही हैं, वैसे ही हमारे देश की आर्थिक स्थिति कमज़ोर हो रही है।
प्रश्न 5.
सप्रसंग व्याख्या करें
(i) आपकी बात सही है। नींव ही खोखली हो गई तो दीवारें ढहते कितनी देर लगती है।
उत्तर:
प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री सुरेन्द्र मंथन द्वारा लिखित लघु कथा हरियाली में से ली गई हैं। इन पंक्तियों में लेखक के मित्र ने उनका ध्यान घर की नींव खोखली हो रही है इस ओर दिलाया।
व्याख्या :
लेखक ने अपने मित्र नरेन्द्र से कहा कि तुम्हारी बात सही है कि पड़ोसी के सुन्दर दिखने वाले पेड़-पौधे मेरे मकान की नींव को खोखला कर रहे हैं। नींव खोखली हो गई तो दीवारों को गिरने में देर नहीं लगेगी।
(ii) यही तो फायदा है अमीर आदमी के पड़ोसी होने का। फल चाहे पड़ोसी ने उगाए हैं-झुके तो हमारे कोठे की तरफ हैं।
उत्तर:
प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियां श्री सुरेश मंथन द्वारा लिखित लघु कथा हरियाली में से ली गई हैं। इन पंक्तियों में लेखक अपने मित्र को अमीर आदमी के पड़ोसी होने का लाभ बता रहे हैं।
व्याख्या :
लेखक के मित्र ने जब उसके पड़ोसी के सुन्दर पेड़-पौधों का उल्लेख किया तो लेखक ने कहा कि अमीर आदमी के पड़ोस में रहने का यही तो फायदा है। फलदार वृक्ष भले ही पड़ोसी ने लगाए हैं किन्तु ये झुके तो हमारे कोठे (आंगन) की ओर ही हैं।
(iii) तुम्हें नहीं लगता, हमारे ही पैसे से विदेशी हाथ मज़बूत होंगे ? अपना आर्थिक ढाँचा चरमरा जाएगा।
उत्तर:
प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री सुरेन्द्र मंथन द्वारा लिखित लघु कथा ‘हरियाली’ में से लो गई हैं। इन पंक्तियों में लेखक मित्र विदेशी चीजों की खरीदारी से दूर रहने को कहता है।
व्याख्या :
लेखक को विदेशी ब्लेड प्रयोग करते देख और लेखक द्वारा उनकी प्रशंसा करने पर लेखक का मित्र नरेन्द्र कहता है कि विदेशों में बना माल खरीदने पर तुम्हें यह नहीं लगता कि हमारे देश का धन विदेशों में जा रहा है। हमारे ही धन से विदेशी हाथ मज़बूत हो रहे हैं जिससे हमारा आर्थिक ढाँचा चरमरा रहा है।
PSEB 11th Class Hindi Guide हरियाली Important Questions and Answers
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
‘हरियाली’ लघुकथा किस भावना पर आधारित है ?
उत्तर:
स्वदेशी भावना पर आधारित है।
प्रश्न 2.
देश की आर्थिकता की नींव को कौन खोखला कर रहा है ?
उत्तर:
विदेशी समान की चकाचौंध।
प्रश्न 3.
नरेन्द्र क्यों खुश होता है ?
उत्तर:
नरेन्द्र पड़ोसी के घर उगे पेड़-पौधों को देखकर खुश हो जाता है।
प्रश्न 4.
लेखक किस ब्लेड से शेव बनाता था ?
उत्तर:
विदेशी ब्लेड से।
प्रश्न 5.
लेखक के मित्र का क्या नाम था ?
उत्तर:
नरेन्द्र।
प्रश्न 6.
विदेशी सामान के बारे में लेखक का मित्र उसे क्या कहता है ?
उत्तर:
विदेशी सामान खरीदकर हम अपने देश की आर्थिक स्थिति कमज़ोर कर रहे हैं।
प्रश्न 7.
………… के पौधे लेखक को फल और छाया देते थे।
उत्तर:
पड़ोसी।
प्रश्न 8.
नरेन्द्र ने लेखक का ध्यान किस ओर खींचा ?
उत्तर:
पेड़ की जड़ों की ओर।
प्रश्न 9.
पेड़ की जड़ें कहाँ सीलन पैदा कर रही थीं ?
उत्तर:
लेखक के घर की दीवारों पर।
प्रश्न 10.
सीलन के कारण घर की नींव ………. हो रही थी।
उत्तर:
खोखली।
प्रश्न 11.
लेखक का पड़ोसी कैसा था ?
उत्तर:
अमीर और दबदबे वाला।
प्रश्न 12.
घर की दीवारें कब गिरने लगती हैं ?
उत्तर:
नींव के कमजोर होने पर।
प्रश्न 13.
लेखक अपना विरोध प्रकट करने के लिए क्या करता है ?
उत्तर:
विदेशी ब्लेड का पैकट पडोसी के घर फेंक देता है।
प्रश्न 14.
लेखक ने पाठ में हरियाली को किससे जोड़ा है ?
उत्तर:
राष्ट्रीय समृद्धि से।
प्रश्न 15.
‘हरियाली’ लघुकथा भारतीय बनो और ……. खरीदों का संदेश देती हैं।
उत्तर:
भारतीय।
प्रश्न 16.
‘हरियाली’ लघुकथा का मूल विषय क्या है ?
उत्तर:
राष्ट्रीय महत्त्व।
बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘हरियाली’ रचना की विधा क्या है ?
(क) लघु कथा
(ख) कथा
(ग) कहानी
(घ) संस्मरण।
उत्तर:
(क) लघु कथा
प्रश्न 2.
हरियाली लघु कथा किस भावना पर आधारित है ?
(क) प्रेम
(ख) विरह
(ग) स्वदेशी
(घ) विदेशी।
उत्तर:
(ग) स्वदेशी
प्रश्न 3.
विदेशी सामान किस नींव को खोखला कर रहा है ?
(क) आर्थिक
(ख) धार्मिक
(ग) राजनैतिक
(घ) सामाजिक।
उत्तर:
(क) आर्थिक।
कठिन शब्दों के अर्थ :
पैंफ्लेट-विज्ञापन-पत्र। चरमराना-गिरना। आत्म विभोर होना-प्रसन्न होना।
हरियाली Summary
हरियाली कथा सार
‘हरियाली’ लघु कथा सुरेन्द्र मंथन द्वारा लिखित है। यह स्वदेशी भावना पर आधारित है। विदेशी सामान की चकाचौंध देश की आर्थिकता की नींव को खोखला किए जा रही है। लेखक विदेशी ब्लेड से शेव बनाता है उसका मित्र नरेन्द्र उसे कहता है कि विदेशी सामान खरीदकर हम अपने देश की आर्थिक स्थिति को कमज़ोर कर रहे हैं। नरेन्द्र लेखक के पड़ोसी के घर में उगे पेड़-पौधे देखकर खुश होता है। लेखक कहता है कि दूसरों के पौधे उसे फल और छाया देते हैं। परन्तु नरेन्द्र उसका ध्यान पेड़ की जड़ों की ओर खींचता है। पेड़ की जड़ें, लेखक के घर की दीवारों पर सीलन पैदा कर रही थीं तथा घर की नींव को खोखला कर रही थीं। लेखक का पड़ोसी अमीर और दबदबे वाला व्यक्ति है, परन्तु जब अपने घर की नींव के खोखले होने की बात आती है तो वह सोचने पर मजबूर हो जाता है। घर हो या देश जब नींव ही कमजोर हो जाएगी तो दीवारें तो गिर ही जाएंगी। वह अपना विरोध प्रकट करने के लिए विदेशी ब्लेड का पैकेट पड़ोसी के घर फेंक देता है।