Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Hindi व्याकरण रस : शृंगार, हास्य, करुण, शांत, वीर, रौद्र, भयानक, वीभत्स, अद्भुत Questions and Answers, Notes.
PSEB 11th Class Hindi व्याकरण रस : शृंगार, हास्य, करुण, शांत, वीर, रौद्र, भयानक, वीभत्स, अद्भुत
(ग) रस
प्रश्न 1.
रस की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
आचार्य विश्वनाथ ने रस को काव्य की आत्मा माना है। ‘वाक्यं रसात्मकं काव्यं’ अर्थात् रसात्मक वाक्य ही काव्य है।
प्रश्न 2.
रस के विभिन्न अंग कौन-से हैं ?
उत्तर:
रस स्थायीभाव, विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से बनता है या अभिव्यक्त होता है। इन चारों को ही रस के अंग माना जाता है।
प्रश्न 3.
स्थायी भाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो भाव सहृदयजन के चित्त में स्थायी रूप से विद्यमान रहते हैं उन्हें स्थायी भाव कहा जाता है। ये भाव अनुकूल परिस्थिति आने पर प्रकट होते हैं।
प्रश्न 4.
स्थायी भावों के नाम उनके रसों के नाम सहित लिखें।
उत्तर:
- शृंगार-रति
- वीर-उत्साह
- शांत-निर्वेद
- करुण-शोक
- रौद्र-क्रोध
- भयानक-भय
- वीभत्स-घृणा
- अद्भुत-विस्मय
- हास्य-हास।
प्रश्न 5.
विभाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
विभाव से अभिप्राय उन वस्तुओं और विषयों के वर्णन से है जिनके प्रति किसी प्रकार की संवेदना होती है अर्थात् भाव के जो कारण होते हैं उन्हें विभाव कहते हैं।
प्रश्न 6.
विभाव कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
विभाव के दो प्रकार होते हैं-आलम्बन और उद्दीपन।
प्रश्न 7.
अनुभाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
अनुभाव सदा आश्रय से सम्बन्धित होते हैं अर्थात् जहाँ विषय की बाहरी चेष्टाओं को उद्दीपन कहा जाता है वहाँ आश्रय के शरीर विकारों को अनुभाव कहते हैं।
प्रश्न 8.
संचारी भाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मन के चंचल विकारों को संचारी भाव कहते हैं। ये सदा आश्रय के मन में उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 9.
रस के कितने भेद हैं ?
उत्तर:
साहित्य में रस नौ प्रकार के माने गए हैं
श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, शांत और अद्भुत। कुछ लोग वात्सल्य और भक्ति को भी रस की संज्ञा देते हैं।
प्रश्न 10.
विभिन्न रसों के स्थायी भाव लिखिए।
उत्तर:
- श्रृंगार-रति
- हास्य-हास
- वीर-उत्साह
- करुण-शोक
- रौद्र-क्रोध
- भयानक-भय।
- वीभत्स-घृणा (जुगुप्सा)
- अद्भुत-विस्मय
- शांत-शान्त हो जाना, निर्वेद
- वात्सल्य–सन्तान स्नेह।
प्रश्न 11.
रस की निष्पत्ति कैसे होती है ?
उत्तर:
जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव का संयोग स्थायी भाव से होता है तब रस की निष्पत्ति होती है।
प्रश्न 12.
श्रृंगार रस और वात्सल्य रस में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
शृंगार रस में रति स्थायी भाव अपने प्रिय (पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका) के प्रति होता है। जबकि वात्सल्य रस में अपनी सन्तान या छोटे बच्चों या भाई बहन के प्रति स्नेह के कारण होता है।
1. शृंगार रस
प्रश्न 13.
श्रृंगार रस किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
सहृदय जनों में रति स्थायी भाव अनुकूल वातावरण पाकर परिपक्व अवस्था में पहुँचता है तो उसे शृंगार रस कहा जाता है।
प्रश्न 14.
श्रृंगार रस के कितने भेद हैं ? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
शृंगार रस के दो भेद हैं
- संयोग शृंगार
- वियोग शृंगार।
संयोग में नायक नायिका के मिलन, वार्तालाप, दर्शन, स्पर्श आदि का वर्णन होता है।
उदाहरण-
एक पल मेरे प्रिया के दृग पलक,
थे उठे ऊपर, सहज नीचे गिरे।
चपलता के इस विकंपित पुलक से,
दृढ़ किया मानो प्रणय सम्बन्ध था।
वियोग की अवस्था में जब नायक नायिका के प्रेम का वर्णन हो तो उसे वियोग श्रृंगार कहा जाता है।
उदाहरण-
निसिदिन बरसत नैन हमारे। सदा रहत पावस ऋतु हम पै जब तै स्याम सिधारे ।। दृग अंजन लागत नहिं कबहू उर कपोल भये कारे ।।
2. हास्य रस
प्रश्न 15.
हास्य रस का लक्षण उदाहरण सहित दें।
उत्तर:
लक्षण-हास्य रस का विषय हास (हँसी) होता है। किसी विचित्र आकार, वेश या चेष्टा वाले लोगों को देखकर एवं उनकी विचित्र चेष्टाएं, कथन आदि को देख-सुनकर जब हँसी आए तो हास्य रस उत्पन्न होता है। उदाहरण-वेणी कवि को किसी ने श्राद्ध के दिन बासी पेड़े दे दिए, तब वेणी कवि ने कहा
माटिह में कुछ स्वाद मिले, इन्हें खाय तो ढूँढत हर्रे बहेड़ो,
चौंकि परयो पितुलोक में बाप, धरे जब पूत सराध के पेड़े।
अथवा
एक कबूतर देख हाथ में पूछा कहाँ अपर है ?
उसने कहा अपर कैसा ? वह उड़ गया समर है।
उत्तेजित हो पूछा उसने, उड़ा अरे वह कैसे ?
‘फड़’ से उड़ा दूसरा बोली, उड़ा देखिए ऐसे।
3. करुण रस
प्रश्न 16.
करुण रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
लक्षण-करुण रस का विषय शोक होता है। किसी प्रिय व्यक्ति के मर जाने पर या किसी प्रिय वस्तु के नष्ट होने पर जो शोक जागृत होता है उसे करुण रस कहते हैं।
उदाहरण-
हा पुत्र ! कहकर शीघ्र ही वे मही पर गिर पड़े,
क्या वज्र गिरने पर बड़े भी वृक्ष रह सकते खड़े।
अथवा
देखि सुदामा की दीन दसा करुना करि कै करुना निधि रोये।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैननि के जल सों पग धोये॥
4. शांत रस
प्रश्न 17.
शांत रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
संसार की असारता, नश्वरता को देखकर ईश्वर का रूप जानकर हृदय को जो शान्ति मिलती है उसे ही शान्त रस कहते हैं।
उदाहरण-
समता लहि सीतल भया, मिटी मोह की ताप।
निसि-वासर सुख निधि लह्या, अंतर प्रगट्या आप॥
अथवा
तू ही है सर्वत्र व्याप्त हरि तुझ में यह सारा संसार।
इसी भावना से अंतर भर मिलूँ सभी से तुझे निहार ।।
अथवा
पोथी पढ़ी-पढ़ी जग मुवा, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय ।।
5. वीर रूस
प्रश्न 18.
वीर रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
लक्षण-वीर रस का विषय उत्साह या जोश होता है। जैसे किसी व्यक्ति को देखकर लड़ने का उत्साह, किसी दीन-हीन को देखकर उसकी सहायता करने का उत्साह आदि।
उदाहरण-
जय के दृढ़ विश्वास-युक्त थे दीप्तिमान जिनके मुख-मंडल।
पर्वत को भी खण्ड-खण्ड कर रजकण कर देने को चंचल॥
अथवा
हे सारथे ! द्रोण क्या ? आवें स्वयं देवेन्द्र भी।
वे भी न जीतेंगे समर में आज क्या मुझ से कभी॥
6. रौद्र रस
प्रश्न 19.
रौद्र रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
लक्षण-रौद्र रस का विषय क्रोध है। अपने अपकार करने वाले या शत्रु को सामने देखकर जो भाव मन में पैदा होते हैं उन्हें रौद्र रस कहा जाता है।
उदाहरण-
मातु पितहि जानि सोच बस, करसि महीप किशोर।
गर्भन के अर्भक दलन, परशु मोर अति घोर ॥
अथवा
श्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
सब शोक अपना भूलकर करतल-युगल मलने लगे।
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े।
करते हुए यह घोषणा वे हो गये उठकर खड़े॥
अथवा
उस काल मारे क्रोध के तनु उनका कांपने लगा।
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।।
7. भयानक रूस
प्रश्न 20.
भयानक रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
किसी भयानक वस्तु को देखने से या किसी बलवान् शत्रु आदि को देखकर या उसकी डरावनी बातें सुनने से जो भाव जागृत होते हैं उसे भयानक रस कहा जाता है।
उदाहरण-
समस्त सॉं संग श्याम ज्यों कढ़े
कालिंद की नंदिनी के सु-अंक से।
खड़े किनारे जितने मनुष्य थे,
सभी महा शंकित भीत हो उठे॥
अथवा
नभ ते झपटत बाज़ लखि, भूल्यो सकल प्रपंच।
कंपित तन व्याकुल नयन, लावक हिल्यों न रंप ॥
8. वीभत्स रस
प्रश्न 21.
वीभत्स रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
रक्त, मांस-मज्जा, दुर्गन्ध आदि वस्तुओं को देखकर हृदय में जो ग्लानि या जुगुप्सा के भाव जागृत होते हैं उन्हें वीभत्स कहा जाता है।
उदाहरण-
बहुँस्थान इक अस्थिखंड लै चरि चिचोरत,
कहु कारो महि काक चोंच सो ठोरि टटोरत।
अथवा
रक्त-मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है,
महाघो दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा।
9. अद्भुत रस
प्रश्न 22.
अद्भुत रस का लक्षण उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
लक्षण-किसी अलौकिक या अदृष्टपूर्व वस्तु को देखकर जब हृदय में विस्मय का भाव जागृत होता है तो उसे अद्भुत रस कहा जाता है।
उदाहरण-
अखिल भुवन चर-अचर जग हरि मुख में लखि मातु।
चकित भई, गद्गद् वचन, विकसित दृग, पुलकातु॥
अथवा
जहँ चितवइ तहँ प्रभु आसीना। सेवहि सिद्ध मुनीस प्रवीना॥
सोई रघुबर, सोई लक्ष्मण सीता। देखि सती अति भयी सभीता॥
बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
1. रस को काव्य की आत्मा माना है ?
(क) आचार्य विश्वनाथ ने
(ख) आचार्य शुक्ल ने
(ग) अज्ञेय ने
(घ) भवभूति ने
उत्तर:
(क) आचार्य विश्वनाथ
2. श्रृंगार रस का स्थायी भाव है ?
(क) रति
(ख) उत्साह
(ग) निर्वेद
(घ) शोक
उत्तर:
(क) रति
3. करुण रस का स्थायी भाव है
(क) रति
(ख) शोक
(ग) निर्वेद
(घ) उत्साह
उत्तर:
(ख) शोक
4. निर्वेद स्थायी भाव का रस है
(क) शांत
(ख) करुण
(ग) वीर
(घ) शृंगार
उत्तर:
(क) शांत
5. वीर रस का स्थायी भाव है।
(क) करुण
(ख) उत्साह
(ग) शांत
(घ) वीभत्स
उत्तर:
(ख) उत्साह
6. “कहत-नटत, रीझत, खिझत, मिलत खिलत लजियात भरे मौन में करत है नैनहूं ही सब बात” में निहित रस है।
(क) करुण
(ख) शृंगार
(ग) वीर
(घ) भयानक
उत्तर:
(ख) शृंगार