PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 3 शारीरिक रचना और क्रिया विज्ञान का परिचय

Punjab State Board PSEB 11th Class Physical Education Book Solutions Chapter 3 शारीरिक रचना और क्रिया विज्ञान का परिचय Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Physical Education Chapter 3 शारीरिक रचना और क्रिया विज्ञान का परिचय

PSEB 11th Class Physical Education Guide शारीरिक रचना और क्रिया विज्ञान का परिचय Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
रिक्त स्थान भरो : (Fill in the blanks)

  1. मानवीय शरीर एक ……………….. मशीन है।
  2. मानवीय शरीर के भिन्न-भिन्न अंग मिलकर शरीर की को चलाते हैं।

उत्तर-

  1. उलझी
  2. क्रिया प्रणाली।

प्रश्न 2.
कोशिका क्या है ? (What is cell ?)
उत्तर-
कोशिका (Cell) कोशिका अंगों का जन्म मानवीय कोशिका (सैल) के पैदा होने के साथ हुआ है।
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यह मानवीय जीवन की प्राथमिक इकाई होती है। इन्हें नंगी आँख के साथ नहीं देखा जा सकता। इनका काम अपने :अन्दर भोजन को एकत्रित करके रखना है और भोजन के ऑक्सीकरण द्वारा ऊर्जा पैदा करना होता है।
सैल के प्रकार (Types of Cell)—सैल दो प्रकार के होते हैं-यूकेरेओटिक तथा प्रकोरीओटिक। यूकेरेओटिक सैल पौधों, जानवरों तथा मनुष्यों में पाया जाता है।
यूकेरेओटिक सैलों के आधारभूत ढांचों में डी०एन०ए० (DNA) रिबोसोम, एंडोप्लास्मिक रैटीक्यूलम, गॉलजी उपकरण, साइटोस्केलेटन, माईटोकॉड्रिया, सैंटीअलाइज़, लाइसोम, प्लाज्मा झिल्ली और साइटोप्लाज्म आदि शामिल होते हैं। ।
सैल की बनावट तथा फंक्शन चार्ट
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Fig. Different types of cells

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प्रश्न 3.
हड्डियाँ क्या हैं ? इनकी किस्मों के बारे में विस्तारपूर्वक लिखें। (What are the bones ? Write in detail about their types.)
उत्तर-
“हड्डियां” (Bones)-मनुष्य के शरीर की रचना अनगिनत कोशिकाओं (Cells) से बनी हुई है। मनुष्य शरीर के अंग भिन्न-भिन्न किस्म की कोशिकाओं से बने हुए हैं जो अलग-अलग तरह के काम में लगे हुए हैं। शरीर के सारे अंग चमड़ी द्वारा ढके हुए हैं। चमड़ी शरीर के अंगों की रक्षा करती है। यदि शरीर में किसी भाग को ज़ोर से दबाकर देखा जाए तो हमें कुछ चीज़ महसूस होगी। ये सख्ती हड्डियों के कारण होती है। हड्डियां कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थों के मिलाप से बनती हैं। ये संवेदनशील अंगों की रक्षा करती हैं। हमारे शरीर में 206 हड्डियां होती हैं।

हड्डी की कड़क एवं रचना (Stiffiness and Construction of Bones)-शरीर के लगभग सारे अंगों में हड्डियां होती हैं। ये हड्डियां कई प्रकार की मज़बूत और कठोर कोशिकाओं से बनी होती हैं। हड्डियों में कड़क कुछ विशेष प्रकार के लक्षणों के कारण होती है। इनमें प्रमुख लक्षण कैल्शियम कारबोनेट, मैग्नीशियम फास्फेट और कैल्शियम फास्फेट की बड़ी हड्डियों के साथ-साथ छोटी-छोटी हड्डियां होती हैं जो इन तत्त्वों से ही बनी होती हैं।

मनुष्य का अस्थि पिंजर (Human Skeleton)-शरीर के अन्दर मिलने वाली बड़ी और छोटी हड्डियां मिलकर एक पिंजर की रचना करती हैं। ये पिंजर की भिन्न-भिन्न हड्डियां जब मिलकर शरीर के लिए काम करती हैं तो इसको हम मानवीय अस्थि पिंजर (Human Skeleton) कहते हैं।
मानवीय अस्थि पिंजर के कार्य (Functions of Human Skeleton)—

  1. मनुष्य अस्थि पिंजर शरीर को एक विशेष प्रकार की शक्ल देता है।
  2. ये शरीर को सीधा रखता है।
  3. पेशी प्रबन्ध और अन्य अंगों को सहारा देता है और उसके साथ मिलकर शरीर के अलग-अलग अंगों को हिलने और चलने-फिरने की शक्ति देता है।
  4. मनुष्य पिंजर में स्थान-स्थान पर उत्तोलक (Levers) बनते हैं।
  5. पिंजर का कुछ भाग जैसे पसलियां (Ribs) और सीना हड्डी (Sternum) की खास क्रिया सहायक होता है।
  6. अनियमित हड्डियां (Irregular Bones)-जैसे रीढ़ की हड्डियां।

हड्डियों का वर्गीकरण (Different Types of Bones)—

  1. लम्बी हड्डियां-ये अपने आकार में लम्बी होती हैं। ये लम्बी सॉफ्ट से मिलकर बनती हैं जिसके दो सिरे होते हैं। ये आमतौर पर सघन होती हैं, परंतु हड्डी के अंत में ये गुद्देदार होती हैं । टांग (फीमर), बाजू (ह्यूमर्स) आदि लम्बी हड्डियों की उदाहरण हैं।
  2. छोटी हड्डियां-ये आमतौर पर लम्बकारी, चपटी और आकार में छोटी हड्डियां होती हैं। ये ज्यादातर स्पंजी हड्डियां हैं जो कि सघन हड्डी की पतली परत के साथ ढकी होती हैं। छोटी हड्डियों में कलाई तथा ऐड़ी की हड्डियां शामिल होती हैं।
  3. चपटी हड्डियां-पतली, स्टीपांड और आमतौर पर समतल होती हैं; जैसे-खोपड़ी तथा कुछ चेहरे की हड्डियां।
  4. अनियमित हड्डियां-हड्डियां जो कि उपरोक्त तीनों श्रेणियों में नहीं आती, वह मुख्य तौर पर खोखली हड्डियां होती हैं। ये आमतौर पर स्पंजी हड्डियां होती हैं जो कि कॉमपैक्ट हड्डी की पतली परत के साथ ढकी होती हैं। रीढ़ की हड्डी तथा कुछ खोपड़ी की हड्डियां इसी की उदाहरण हैं।
  5. तिल रूप की हड्डियां-ये हड्डियां जोड़ों को पकड़ने में सहायक होती हैं। ये बीज के आकार की होती हैं। ये जोड़ों के नज़दीक मांस-पेशियों में पाई जाती हैं।

अस्थि पिंजर की कुल हड्डियों की गिनती
(Total Number of Bones in Human Skelton)

हड्डियां कुल गिनती
खोपड़ी और चेहरे की हड्डियां 22
धड़ की हड्डियां 33
पसलियों की हड्डियां 24
छाती की हड्डी 01
कॉलर की हड्डियां 02
कंधे की हड्डियां 02
बाजुओं की हड्डियां 60
टांगों की हड्डियां 62
कुल हड्डियां 206

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Fig. Different Types of Bones

मानव हड्डियों का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है :—
खोपड़ी की हड्डियां (Bones of the Skull)-खोपड़ी की हड्डियों में दिमाग घर की हड्डियां (Bones of the craniãUm) और चेहरे की हड्डियां (Bones of the face) शामिल हैं। ये कुल 22 हड्डियां हैं। 8 हड्डियां दिमाग घर और 14 चेहरे की हैं।
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Fig. Bones of the Skull

दिमाग घर की हड्डियां (Bones at the skull)-दिमाग घर की हड्डियां इस प्रकार हैं—

  1. माथे की हड्डी या ललाट हड्डी (Fronta-1 Bone)—ये हड्डी सामने माथे और ऊपरी भाग का निर्माण करती
  2. मोति अस्थि या टोकरी की हड्डियां (Parietal Bones)—ये हड्डियां गिनती में 2 हैं। ये खोपड़ी को दो बराबर भागों में बांटती हैं। इस प्रकार ये दाएं-बाएं और बाएं-दाएं का निर्माण करती हैं।
  3. कनपटी की हड्डियां (Temporal Bones)—ये गिनती में 2 हैं। ये दाएं कनपटी और बाईं कनपटी की बनाक्ट करती हैं।
  4. पंचर हड्डी (Sphenoid Bone)-इस हड्डी द्वारा खोपड़ी के आधार (Base) का निर्माण होता है। इसकी शक्ल चमगादड़ (Bat) या खुले हुए पंख जैसी होती है। कनपटी की हड्डियों और पिछली कपाल अस्थि (Dicipital Bones) में मिलती है।
  5. पिछली कपाल अस्थि (Occipital Bones)-ये हड्डी सिर के पिछले भाग का निर्माण करती है।
  6. छानगी हड्डी (Ethnoid Bone)-ये हड्डी नाक की छत का निर्माण करती है। ये पंचर हड्डी के आगे होती है। ये कनपटी को दो बराबर भागों में बांटती है। यह सामने की तरफ की ललाट हड्डी Frontal Bones से मिलती है।

चेहरे की हड्डियां (Bones of the face) चेहरे की कुल 14 हड्डियां हैं। ये इस प्रकार हैं—

  1. ऊपरी जबड़े की दो हड्डियां (Superior Maxillary Bones)
  2. निचले जबड़े की हड्डी (Inferior Maxillary Bones)
  3. तालू की दो हड्डियां (Palate Bones)
  4. नाक की हड्डियां (Nasal Bones)
  5. गोल की दो हड्डियां (Molar Bones)
  6. सीप आकार की दो हड्डियां (Spongy Bones)
  7. अश्रु की हड्डियां (Lachrymal bones) ये छोटी-छोटी दो हड्डियां हैं जो आंखों के रगेल का अगला भाग बनाती हैं।
  8. नाक के पर्दे वाली हड्डी (Vomer bone) एक ऐसी हड्डी है जो नाक के पर्दे का निर्माण करती है।

धड़ की हड्डियां (Bones of the Trunk)-मानवीय शरीर के गर्दन से लेकर कमर तक के भाग को धड़ (Trunk) कहते हैं। डायाफ्राम (Diaphragm) इस भाग के आधे में होता है जो उसको दो भागों में बांटता है। सामने की ओर सीना हड्डी (Breast Bones Sternum) और पिछले भाग में रीढ़ की हड्डी है। इन दोनों तरह की हड्डियों से पसली की हड्डियां जुड़ी होती हैं। इन सब हड्डियों को हम धड़ की हड्डियां (Bones of the Trunk) कहते हैं।

हम ऐसे भी कह सकते हैं कि धड़ की हड्डियों में रीढ़ की हड्डी पसलियां, कंधे की हड्डी, डायाफ्राम और गुर्दे की हड्डियां हैं। इन सबका बारी-बारी वर्णन निम्नलिखित है—

रीढ़ की हड्डी (Vertebral Column)-रीढ़ की हड्डी को मानवीय शरीर का आधार कहा जाता है। ये गर्दन से शुरू होकर मल-मूत्र के निकास स्थान तक जाती है। आदमी के शरीर में इसकी लम्बाई 70 सैंटीमीटर और औरतों के शरीर में 60 सैंटीमीटर होती है। इस बीच 33 मोहरे या मनके (Vertebral) हैं। इन 33 मनकों के संग्रह को हम रीढ़ की हड्डी (Vertebral Column) कहते हैं। रीढ़ की हड्डी का बीच का भाग खोखला होता है। ये मोहरे की नली (Neural Canal) का निर्माण करती है। इस बीच सुषम्ना नाड़ी (Spinal Cord) निकलती है।
रीढ़ की हड्डी के भाग (Parts of Vertebral Column)-रीढ़ की हड्डी को हम निम्नलिखित पांच प्रमुख भागों में बांट सकते हैं—

1. गर्दन के मनके (Cervical Vertebrae)-पहले सात मनकों को हम गर्दनी मनके कहते हैं। ये कंधे के ऊपर होते हैं। सब से पहले मनके को सिर का आधार स्थान (Atlas) कहते हैं। ये सिर को सहारा देता है। दूसरे गर्दन के मनके को (Axis) कहते हैं। पहले दोनों मनकों की बनावट शेष मनकों से अलग है।

2. पीठ के मनके (Dorsal Vertebrae)-ये 12 मनकों का समूह है। इन मनकों के आगे पसलियां होती हैं। ये सब मनके सामने की पसलियों के साथ और पीछे पीठ की रीढ़ की हड्डी से जुड़े होते हैं।

3. कमर के मनके (Lumber vertebrae)-ये पांच मनके होते हैं जो कमर का निर्माण करते हैं। इसकी कुल लम्बाई 18 सैंटीमीटर होती है। ये हिलने वाले मनके होते हैं। सबसे नीचे वाला मनका कीमत की या तिडागी की . हड्डी (Sacrum) ऊपर टिका होता है।
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4. तिलम की या तिड़ागी हड्डी (Sacrum)—इस बीच पांच मनके होते हैं जो मिलकर एक तिकोणी हड्डी का निर्माण करते हैं, जो मुलेह के ऊपरी और पिछले भाग में स्थित हैं। ये कूल्हे के बीच दोनों हड्डियों के बीच एक पंचर की तरह होती है।

5. हड्डियां (Bones)-ये रीढ़ की हड्डी का सबसे निचला भाग है। ये चार मनकों का संग्रह है। छाती की हड्डी (Stornum)-ये लगभग 6-7 इंच लम्बी होती है। इसका ऊपरी भाग चौड़ा और नीचे वाला भाग पतला होता है। इसके ऊपरी भाग या चौड़े भाग में गर्दनी मनके (Cervical vertabrae) दोनों ओर जुड़े होते हैं। ये गर्दनी मनके ऊपर और नीचे (Cortal Cartilages) द्वारा पड़ती है।

पसलियां (Ribs)-छाती की हड्डी के दोनों ओर 12-12 पसलियां होती हैं। इनका अगला भाग Cortal Cartilages द्वारा छाती की हड्डी में जुड़ता है। पहली सात पसलियां छाती की हड़ी से अलग-अलग रूप में जुड़ जाती हैं। आठवीं, नौवीं और दसवीं पसलियां छाती की हड्डी के साथ जुड़ने से पहले ही सातवीं पसली में जुड़ जाती हैं। आखरी दो पसलियां स्वतन्त्र हैं। इनको उड़ती या तैरती VERTEBRAL FLOATING पसलियां (Floating Ribs) भी कहा जाता है। ये सब पसलियां मिलकर एक पिंजर का निर्माण करती हैं। ये पिंजर दिल और फेफड़ों की रक्षा करता है। पसलियों के बीच के स्थान में मांसपेशियां होती हैं। ये मांसपेशियां श्वास लेने से फैलती या सिकुड़ती हैं जिस कारण ये पिंजर ऊपर नीचे उठता बैठता रहता है।
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भुजाओं की हड्डियां (Bones of the upper limbs)-भुजाओं की हड्डियों की गिनती 64 है। भुजाओं की गिनती 2 है। इस तरह प्रत्येक भुजा में 32 हड्डियां हैं। भुजाओं की हड्डियों में कंधे व हाथों की हड्डियां शामिल हैं। आइए इन हड्डियों का अलग-अलग तौर पर वर्णन करें—

(क) कंधे की हड्डियां (Bones of the shoulders)-कन्धे की हड्डियों में दो प्रमुख हड्डियां हैं—
1. हंसली हड्डियां या छाती की हड्डियां (Clavicles or Collar Bones)

(ख) मौर की हड्डी (Scapula)-इनका विस्तार से वर्णन नीचे किया गया है—
1. हंसली हड्डी या मौर की हड्डी (Clavicles or Collar Bones)-हंसली हड्डी की शक्ल अंग्रेजी के अक्षर S की तरह होती है। यह छाती के ऊपरी भाग में अगली तरफ स्थित होती है। यह एक तरफ छाती की हड्डी के सिरे के साथ व दूसरी तरफ कंधे की हड्डी के साथ जुड़ी होती है। दूसरा मुख्य काम कंधे की हड्डी को अपनी जगह पर स्थिर रखना है। छाती की हड्डी से जुड़े हुए हिस्से को छाती का बाहरी तल (External surface) व मौर की हड्डी के साथ जुड़ने वाले हिस्से को अर्सकुट तल (Acrominal surface) कहते हैं।
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Fig. Clavicles or Collar Bones
मौर की हड्डी (Scapula)—यह चौड़ी व तिकोने आकार की होती है। यह पीठ के ऊपरी भाग में होती है। इसके ऊपर वाले बाहरी कोण पर एक चिकना अंडे की तरह का गड्ढा होता है। इसमें डौले की हड्डी ठीक तरह बैठती है।
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बाजू की हड्डी (Bones of upper Arms)-बाजू की हड्डियों का वर्णन नीचे किया गया है—
डौले की हड्डी (Humerus)-डौले की एक लम्बी हड्डी होती है। इसका ऊपरी भाग गोल होता है जो कि कंधे की हड्डी में ठीक बैठता है। इसका निचला भाग बीणी व दोनों हड्डियों से मिल कर कुहनी के जोड़ (Elbow Joint) का निर्माण करती है।
बाज के अगले भाग की हड़ियां (Bones of for Arms)

1. छोटी वीण-हड्डी रेडियस (Radius)-यह बाजू के अगले भाग में अंगठे की तरफ एक बड़ी हड्डी है। इस हड्डी का ऊपरी सिरा गोल होता है। यह दोनों की हड्डी के साथ जुड़ा होता है। इसका नीचे का भाग हाथ के पास हड्डियों से जुड़ा होता है।

2. बड़ी वीण हड्डी (UIna)—यह बाजू के बीच में होता है। यह रेडियस या छोटी वीण हड्डी से कुछ बड़ी होती है। इसके तीन भाग होते हैं—
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(1) ऊपरी
(2) बीच वाला
(3) नीचे वाला
यह डौले की हड्डी के साथ कुहनी के जोड़ के द्वारा मिलती है। इसके
ऊपरी सिरे पर एक हड्डी बाहर को निकली रहती है। जिस के साथ कुहनी पर नोकदार उभार (Obsecranon) वाला है। जिसका निचला सिरा छोटा व गोल होता है, जोकि हाथ के पास हड्डियों से मिलता है।

3. कलाई की हड्डियां (Carpal Bones)—यह छोटी-छोटी 8 हड्डियां हैं जो कि चार-चार की दो लाइनों में स्थित हैं। यह इनके द्वारा जुड़ कर अपने स्थान पर ठीक तरह कायम रहती हैं। यह हड्डी के ऊपरी भाग बड़ी वीण हड्डी व निचली तरफ हथेली हड्डी के साथ जुड़ी होती है।

4. हथेली की हड्डियां (Metacarpal bones)–हथेली की पांच छोटी व पांच बड़ी हड्डियां हैं। ये एक तरफ उंगलियों की हड्डियों से जुड़ी होती हैं।

5. उंगलियों की हड्डियां (Bones of the fingers or Phalanges)-उंगलियों में कुल 14 हड्डियां हैं। प्रत्येक उंगली में तीन-तीन व अंगूठे में दो हड्डियां होती हैं। ये हड्डियां छोटी व मज़बूत होती हैं। हथेली की तरफ प्रत्येक हड्डी हथेली की हड्डियों से जुड़ी होती है। यह अंगुली के भीतर उंगली हड्डी जोड़ का निर्माण करती है।

टांग की हड्डियां (Bones of leg)-टांग की हड्डियों का वर्णन निम्नलिखित किया गया है—
1. हिप की हड्डी (The Hip Bone)-इस हड्डी की शक्ल बेढंगी सी होती है। ये काफ़ी बड़ी होती है। ये ऊपर और नीचे फैली हुई होती है और बीच से पतली होती है। ये हड्डी अगले तरफ दूसरे तरफ की साथी हड्डी से जुड़ती है। ये दोनों हड्डियां हड्डी Loccyx और तिड़ागी हड्डी (Sacrum) से मिलकर, पेडू गर्लड (Pelvic Girdle) का निर्माण करती है। हिप की हड्डी के नीचे लिखे तीन प्रमुख भाग हैं—

  1. पेडू अस्थि (Illum)-ये कूल्हे का ऊपरी चौड़ा भाग है।
  2. आसन अस्थि (Ischenum)—ये कूल्हे का निचला भाग है।
  3. पिऊबिस (Pubis)—ये कूल्हे का निचला भाग है।

ये तीन भाग बच्चों में उप-अस्थि से जुड़े होते हैं परन्तु आयु के बढ़ने के साथ जवानी तक ये हड्डी द्वारा जुड़ जाते हैं। कूल्हे के ये तीन भाग ही हड्डी से मिलकर एक प्याले या टोपी की शक्ल का निर्माण करते हैं। इस प्याले को एसीटैनबुलम (Acetabulum) कहते हैं। इस बीच जांघ की हड्डी (Femur) का गोल सिरा घूमता है। पेडू-अस्थि Pelvis की शक्ल एक बर्तन की तरह होती है जिसको निचली टांगें सहारा देकर रखती हैं। यह बर्तन पेट के कोमल अंगों की रक्षा करता है।
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2. जांघ की हड्डी (The Femur)-हमारे शरीर की जांघ की हड्डी सबसे लम्बी हड्डी है। यह शरीर की सभी … हड्डियों से शक्तिशाली होती है। यह डोलों की हड्डी की तरह होती है। इस का नीचे वाला भाग चौड़ा होता है व यह पिंडी की टिबिया (Tibia) हड्डी के साथ जोड़ का निर्माण करती है। इसके ऊपरी भाग पर गोल आकार की एक टोपी या प्याले जैसे होती है जो कि ऐसीटेबुलम (Acetabulum) में फंस कर चूल्हे के जोड़ का निर्माण करती है।
3. पिंजनी अस्थि या टिबिया (The Tibia)—यह टांग की दोनों हड्डियों से मोटी व बलशाली होती है। यह शरीर में लम्बाई व ताकत में जांच की हड्डी के बाद दूसरे नम्बर पर है। इसका रूप कुछ चपटा होता है। इस के दो सिरे उभरे होते हैं—

  1. ऊपरी भाग (Upper end)—यह मोटा होता है। इसका रूप कुछ चपट होता है।
  2. नीचे वाला भाग (Lower end) यह नीचे पैर के पास हड्डियों के साथ मिलता है। इसकी शाफ्ट (Shaft) तिकोनी होती है।

4. बाहरी पिंजनी अस्थि (The Fibula)—यह आकार में पिंजनी अस्थि (Tibia) से पतली है। यह पिंजनी वाली तरफ स्थित होती है। यह शरीर का सारा भार उठाती है। इस के नीचे लिखे मुख्य भाग हैं—
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1. ऊपरी
2. मध्य वाला
3. नीचे वाला

इसका ऊपरी व नीचे वाला भाग दोनों ही मजबूती के साथ जुड़े होते हैं। इस कारण यह पिंजनी अस्थि टिबिया के आसपास नहीं घूम सकती। यह टिबिया के बिल्कुल समानान्तर होती है। पिंजनी अस्थि (Tibia) व बाहरी पिंजनी अस्थि (Fibula) दोनों मिल कर नीचे के जोड़ का निर्माण करती हैं।

5. घुटने की हड्डी (Knee Cap or Patella)यह तिकोने आकार की हड्डी होती है। यह चौदह मज़बूत तंतुओं द्वारा स्थित रहती है। यह घुटने के जोड़ के ऊपर होती है व जोड़ की रक्षा करती है।
6. पैर की हड्डियां (Bones of the foot)-पैर की हड़ियां मुख्य रूप में नीचे लिखे तीन तरह की होती हैं—
(i) टखने की हड्डियां
(ii) पंजे की हड्डियां
(ii) उंगलियों की हड्डियां

  1. टखने की हड्डियां (Ankle Bones or Tarsal Bones) ये संख्या में सात हैं। ये छोटी-छोटी हड्डियां होती हैं। ये पैर के पिछले आधे भाग यानि एड़ी रखने व पैर का निर्माण करती हैं। ये हड्डियां कलाई की हड्डी से मोटी व मज़बूत होती हैं। ये शरीर का सारा भार बांट कर उठाती हैं। ये भी कलाई की हड्डियों की तरह दो लाइनों में होती हैं।
  2. पंजे की हड्डियां (In-stepbones, Meta Carpal Bones)—इनकी संख्या भी पांच है। यह आकार में पतली व लम्बी होती हैं। ये अगली तरफ उंगलियों व पिछली तरफ टखने की हड्डियों से जुड़ी होती हैं।
  3. उंगलियों की हड्डियां (The Phalenges of the foot or toes) हाथों की उंगलियों की हड्डियों की तरह पैर की उंगलियों की हड्डियों की संख्या में व बनावट में मिलती-जुलती हैं। अंगूठे में दो व प्रत्येक उंगली में तीनतीन हड्डियां होती हैं। यह हाथ की उंगलियों की हड्डियों के मुकाबले में लम्बाई में छोटी होती हैं।

पैरों को शरीर का सारा भार उठाना पड़ता है। इस कारण पैरों की हड्डियों की तरफ़ से ही भारी, चपटी व मजबूत होती है। पैरों में एक खाली स्थान (ARCH) होता है, जो मनुष्य को चलने में मदद करता है।

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प्रश्न 4.
जोड़ क्या हैं ? इनकी किस्में लिखें। किसी एक जोड़ की पूरी जानकारी दीजिए। (What are joints ? Names their types and explain any one type in detail.)
उत्तर-
परिभाषा (Definition)-प्रत्येक वह जगह जहां की दो या दो से अधिक हड्डियों से सिरे मिलते हैं, उनको जोड़ (Joints) कहते हैं।
जोड़ों की बनावट (Structure of Joints)-लम्बी हड्डियां अपने सिरों, बेडौल हड्डियां अपने तलों के कुछ हिस्सों व चपटी हड़ियां अपने किनारों के साथ जोड़ों का निर्माण करती हैं।
जोड़ मानव पिंजर (Human skeleton) को लचक देते हैं। आम तौर पर जोड़ों के तल हड्डियों के शाफ्टों से मोटे होते हैं।
जोड़ों की किस्में या श्रेणियों में बांट (Kinds, Types, Classification of Joints)—जोड़ों के कार्य और इनकी बनावट के आधार पर हम इनको निम्नलिखित मुख्य श्रेणियों में बांट सकते हैं—

  1. रिसावदार अथवा सिनोवीयल (Synovial) जोड़।
  2. रेशेदार जोड़।
  3. उप-अस्थि जोड़।

जोड़ों की इन श्रेणियों का संक्षिप्त वर्णन नीचे किया गया है—
1. रिसावदार अथवा सिनोवीयल जोड़ (Synovial Joints)-शरीर में इस प्रकार के काफ़ी जोड़ हैं, जैसे कि टांगों और भुजाओं के जोड़। इन जोड़ों के अन्दर बहुत ही मुलायम सिनोवीयल (Synovial) झिल्ली होती है। इस प्रकार के जोड़ों में रक्त की नाड़ियां (Blood Vessels) और लसीका वाहनियों (Lymphatic Vessels) का बहुत प्रसार होता है। यह जोड़ों के ठीक प्रकार से कार्य करने के लिए आवश्यक हैं। ये जोड़ शेष दो प्रकार के जोड़ों से काफ़ी अलग प्रकार के हैं।
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Fig. Synovial Joint
Fig. Section of Synovial Joint
रिसावदार जोड़ों की किस्में (Classification of Synovial Joints)-गति के आधार पर रिसावदार जोड़ों को हम निम्नलिखित मुख्य भागों में बांट सकते हैं—

1. कब्जेदार जोड़ (Hinged Joints)-इन जोड़ों में विरोधी तल इस प्रकार लगे होते हैं कि गति केवल एक ओर ही हो सकती है। इस प्रकार के जोड़ों की हड्डियां बहुत ही सुदृढ़ उप-अस्थियों के साथ बन्धी हुई हैं, जैसे-टखनों और उंगलियों के जोड़।

2. घूमने वाले जोड़ (Pivot Joints)—इस प्रकार को जोड़ों की गति चक्र में होती है। इस प्रकार के जोड़ में एक हड्डी छल्ला बनाती है और दूसरी इसमें एक धुरी की भांति फंसी हुई होती है। यह छल्ला एक सख़्त हड्डी और उपअस्थि का बना होता है। इसी प्रकार के जोड़ का निर्माण एटलस (Atlas) और एक्सिस (Axis) कशेरुकाओं के साथ होता है।
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Fig. Hinged Joint

3. फिसलनदार जोड़ (Sliding Joints)—इन जोड़ों में गति फिसलनदार होती है। इन जोड़ों की गति इनका निर्माण करने वाले तन्तुओं (Ligaments) के ऊपर निर्भर करती है। इस प्रकार के जोड़ साधारणतया तलों की विरोधता से बनते हैं। इस प्रकार के जोड़ प्राय: कलाई, घुटने और रीढ़ की हड्डी की कशेरुकाओं में मिलते हैं।

4. गेंद और छेद वाले जोड़ (Ball and Socket Joints)-इस प्रकार के जोड़ में हड्डी का एक सिरा गेंद
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Fig. Ball and Socket Joints
की भांति गोल और दूसरा एक प्याले की भांति होता है। गेंद वाला भाग प्याले में फिट होता है। इस प्रकार गेंद वाली हड्डी किसी भी दिशा में घूम सकती है। इस प्रकार के जोड़ कन्धे और कूल्हे में होते हैं।

5. कोनडिलॉयड जोड़ (Condyloid Joint)—ये कब्जेदार जोड़ जैसे ही जोड़ होते हैं। परंतु इनमें गति दोनों तरफ होती है। इस तरह के जोड़ों में लचकता, फैलाव जैसी गतियां या हलचलें पैदा की जाती हैं।

6. सैडल जोड़ (Saddle Joint)—इस प्रकार के जोड़ों में हड्डी उत्तल तथा अवतल प्रकार से जुड़ी होती है। अंगूठे का जोड़ इसका उदाहरण है।

2. रेशेदार जोड़ (Fibrous Joints)-वे जोड़ जिनमें हड्डियों के तल धागे जैसे बारीक रेशों से बन्धे हुए होते. हैं, रेशेदार जोड़ कहलाते हैं। ये जोड़ गतिहीन होते हैं, जैसे कपाल की हड़ियों के जोड़।
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Fig. Fibrous Joints
Fig. Cartilagenous Joints

3. उप-अस्थि जोड़ (Cartilaginous Joints)-इन विरोधी हड्डियों के सिरे उप-अस्थियों के साथ जुड़े होते हैं और इनमें गति किसी विशेष सीमा तक ही होती है। यह उप-अस्थि अन्त में हड्डी का रूप धारण कर लेती है। इस प्रकार की उप-अस्थियों में सीधा रक्त प्रसार नहीं होता। वे अपनी खुराक जोड़ के अन्दर से सिनोवीयल रस से प्राप्त करते हैं। यह स्वस्थ मांस पट्टी काफ़ी सुदृढ़ होती है और इसमें काफ़ी लचक भी होती है परन्तु जब जोड़ों में से सिनोवीयल रस की मात्रा समाप्त हो जाती है तो ये सख्त हो जाते हैं और इसी कारण जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है।

PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 3 शारीरिक रचना और क्रिया विज्ञान का परिचय

Physical Education Guide for Class 11 PSEB शारीरिक रचना और क्रिया विज्ञान का परिचय Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
रीढ़ की हड्डी के मनके होते हैं ?
उत्तर-
रीढ़ की हड्डी के कुल 33 मनके होते हैं।

प्रश्न 2.
जब दो या दो से अधिक हड्डियां एक जगह मिलें तो उसे क्या कहते हैं ?
उत्तर-
जब दो या दो से अधिक हड्डियां एक जगह मिलें तो उसे जोड़ कहते हैं।

प्रश्न 3.
जोड़ों की किस्में होती हैं :
(a) रिसावदार अथवा सिनोवीयल जोड़
(b) रेशेदार जोड़
(c) उप-अस्थि जोड़।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 4.
रिसावदार की किस्में होती हैं.
(a) चार
(b) तीन
(c) दो
(d) पाँच।
उत्तर-
(a) चार।

प्रश्न 5.
(1) बड़ी वीण हड्डी (UIna)
(2) छोटी वीण हड्डी-हड्डी रेडियस (Radius) ये हड्डियाँ कहाँ पाई जाती हैं ?
उत्तर–
बाजू की हड्डियों में पाई जाती हैं।

प्रश्न 6.
रिसावदार जोड़ों की कितनी किस्में हैं ?
उत्तर-
रिसावदार जोड़ों की चार किस्में हैं।

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प्रश्न 7.
लम्बी हड्डियां शरीर में कहाँ पाई जाती हैं ?
उत्तर-
लम्बी हड्डियां शरीर में बाजू और टांगों में पाई जाती हैं।

प्रश्न 8.
मनुष्य में कुल मिला कर कितनी हड्डियां होती हैं ?
उत्तर-
मनुष्य में कुल मिलाकर 206 हड्डियां होती हैं।

प्रश्न 9.
जोड़ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब दो या दो से अधिक हड्डियां एक स्थान पर मिलें तो उसे जोड़ कहते हैं।

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प्रश्न 10.
अनाटमी क्या है ?
उत्तर-
अनाटमी वह विज्ञान है जो शरीर की बनावट और सभी अंगों का आपसी सम्बन्ध की जानकारी देते हैं।

अति छोटे उत्तरों वाले प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
शारीरिक शिक्षा और खेलों के बीच अनाटमी और फिजिओलोजी के दो लाभ लिखें।
उत्तर-

  1. खिलाड़ियों के प्रदर्शन में वृद्धि होती है।
  2. अच्छी सेहत बनती है।

प्रश्न 2.
कोशिकाएं (Cells) क्या हैं ?
उत्तर-
कोशिकाएं जीवन की प्राथमिक इकाई हैं। इन कोशिकाओं और कोशिका अंगों को नंगी आँख के साथ नहीं देखा जा सकता। इन्हें सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है। ये अपने भीतर को एकत्रित करके रखते हैं और भोजन के ऑक्सीकरण द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। इस ऊर्जा का प्रयोग शारीरिक क्रियाएं करने के लिए किया जाता है।

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प्रश्न 3.
लम्बी हड्डियां शरीर में कहां पाई जाती हैं ?
उत्तर-
इस किस्म की हड्डियां टांगों तथा बाजुओं में पाई जाती हैं। यह हमें चलने-फिरने तथा क्रियाएं करने में मदद करती हैं। इन हड़ियों के बिना शारीरिक क्रियाएं करना असम्भव है। इन हड्डियों के दो सिरे तथा एक शाफ्ट होती है।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अस्थि पिंजर के कोई तीन कार्य लिखो।
उत्तर-

  1. मनुष्य अस्थि पिंजर शरीर को एक खास प्रकार की शक्ल देता है।
  2. यह शरीर को सीधा रखता है।
  3. मनुष्य पिंजर में जगह-जगह पर उतोलक (Livers) बनते हैं।

प्रश्न 2.
हड्डियों की किस्में लिखो।
उत्तर-

  1. लम्बी हड्डियाँ
  2. छोटी हड्डियाँ
  3. चपटी हड्डियाँ
  4. बेढंगी हड्डियाँ
  5. तिल रूपी हड्डियाँ।

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प्रश्न 3.
शारीरिक रचना विज्ञान क्या है ?
उत्तर-
मानवीय शरीर रचना विज्ञान का अध्ययन करने से पता लगता है कि शारीरिक अंगों का जन्म मानवीय कोशिका (सैल) के उत्पन्न होने के साथ हुआ है। कोशिका (सैल) के समूह से ऊतक (टिशु) बनते हैं, और उतकों का समूह एकत्रित होकर अंग और अंगों के सुमेल से प्रबंध बनते हैं।

प्रश्न 4.
ऊतक तथा प्रबन्ध का वर्णन करो।
उन्नर-
1. ऊतक (Tissue)-कोशिका (सैल) के समूह से ऊतक बनते हैं। जब एक ही आकृति और काम करने वाली कोशिकाओं के समूह मिलकर काम करते हैं, तो उन्हें ऊतक कहा जाता है। इन ऊतकों में 60% से 90 तक पानी होता है। मानवीय शरीर में चार तरह के ऊतक पाये जाते हैं, जैसे-संयोजक ऊतक, मांसपेशियां ऊतक एवं नाड़ी ऊतक।

2. प्रबंध (System).-सैल के समूह ऊतक, ऊतक के समूह से अलग-अलग अंग तथा एक जैसे काम करने वाले अलग-अलग अंग मिलकर प्रबंध (System) बनाते हैं। साधारण शब्दों में शरीर के अलग-अलग अंगों के मिश्रण से प्रबंध बनते हैं, जैसे-श्वास प्रबंध, रक्त प्रवाह प्रबंध, मांसपेशियां प्रबंध, नाड़ी प्रबंध, मल त्याग आदि। ये अंग अपनाअपना काम लय और दूसरे अंगों के सहयोग के साथ करते हैं।

प्रश्न 5.
उड़ती या तैरती पसलियां क्या होती हैं ?
उत्तर-
छाती की हड्डी के दोनों ओर 12-12 पसलियां होती हैं। इनका अगला भाग Cortal Cartilages द्वारा छाती ” की हड्डी में जुड़ता है। पहली सात पसलियां छाती की हड्डी से अलग-अलग रूप में जुड़ जाती हैं। आठवीं, नौवीं और दसवीं पसलियां छाती की हड्डी के साथ जुड़ने से पहले ही सातवीं पसली में जुड़ जाती हैं। आखरी दो पसलियां स्वतन्त्र हैं। इनको उड़ती या तैरती पसलियां (Floating Ribs) भी कहा जाता है। ये सब पसलियां मिलकर एक पिंजर का निर्माण करती हैं। ये पिंजर दिल और फेफड़ों की रक्षा करता है। पसलियों के बीच के स्थान में मांसपेशियां होती हैं। ये मांसपेशियां श्वास लेने से फैलती या सिकुड़ती हैं। जिस कारण ये पिंजर ऊपर नीचे उठता बैठता रहता है।

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बड़े उत्तरों वाले प्रश्न | (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
शारीरिक क्रियाओं और खेलों के क्षेत्र में अनाटमी और फिजिओलोजी का योगदान तथा लाभ के बारे में लिखें।
उत्तर-
आधुनिक युग में शारीरिक शिक्षा और खेलों का मानवीय जीवन में बहुत महत्व हैं। ये व्यक्ति का सम्पूर्ण विकास करने में सहायक होते है। खिलाड़ियों की तरफ से रोज़ खेल के मैदान में अलग-अलग प्रकार की क्रियाएं की जाती हैं। इन खेल क्रियाओं के अभ्यास से खिलाड़ियों के खेल प्रदर्शन में सुधार होता रहता है। जिससे खिलाड़ियों के अंगों और प्रबंधों के कार्य करने की समर्था में वृद्धि होती है। इसलिए खेल क्रियाओं में सुधार के लिए विभिन्न अंगों की बनावट और काम को समझना अनिवार्य है। शरीर को नया निरोग, ताकतवर रखने के लिए, शारीरिक रचना और क्रिया विज्ञान (Anatomy and Physiology) के बारे में जानकारी होना बहुत अनिवार्य है।
शारीरिक शिक्षा और खेलों के क्षेत्र में अनाटमी और फिजिओलोजी के लाभ—

  1. ये खिलाड़ी की समार्थ्यता के मूटयांकन में मदद करता है।
  2. ये मानवीय शरीर पर अभ्यासों के प्रभावों के अध्ययन में मदद करता है।
  3. ये ट्रेनिंग सैशन के दौरान शरीर की सही स्थिति बनाने में मदद करता है।
  4. ये चोटों की किस्मों की पहचान करने में मदद करता है।
  5. यह स्पोर्टस पोषण की आधारभूत जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है।
  6. ये खेल की चोटों के शीघ्र उपचार करने में मदद करता है।
  7. ये किसी खिलाड़ी की स्पोर्टस कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में मदद करता है।
  8. ये खिलाड़ी को शरीरिक शक्ति के अनुसार किसी खेल का चुनाव करने में मदद करता है।
  9. ट्रेनिंग सैशन के दौरान हुई थकावट की रिकवरी में मदद करता है।
  10. ये किसी खिलाड़ी के शारीरिक ढांचे के सकारात्मक या नकारात्मक पहलुओं की जानकारी प्रदान करता है।

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प्रश्न 2.
मानवीय अस्थि पिंजर पर व्यायाम के प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर-
मानवीय अस्थि पिंजर पर व्यायाम के प्रभाव (Effects of Exercise on Human Skeletal System)-व्यायाम के मानवीय अस्थि पिंजर पर क्या प्रभाव पड़ते हैं ? इस बात को समझने के लिए कम समय और लगातार व्यायाम करते रहना भाव प्रशिक्षण (Training) में अन्तर डालना चाहिए। थोड़ी-थोड़ी और लगातार व्यायाम करने के लिए मानवीय अस्थि पिंजर (Human Skeleton) के ऊपर कई प्रभाव पड़ जाते हैं। कभी-कभी अनियमित ढंग के साथ व्यायाम करने के साथ शरीर के ऊपर जो प्रभाव पड़ते हैं, थोड़ी देर के लिए (अस्थायी) होते हैं। अगर इस प्रकार के व्यायाम को कुछ दिन न किया जाए तो शरीर पहले की अवस्था पर आ जाता है, परन्तु कुछ महीनों तक लगातार नियमानुसार व्यायाम करते रहने पर शरीर में पूरी तरह परिवर्तन आ जाता है। जिनकी पहचान बहुत आसानी के साथ की जा सकती है।
लागातार व्यायाम करते रहने से मानवीय अस्थि पिंजर के ऊपर जो प्रभाव पड़ते हैं वह इस प्रकार हैं—

1. लम्बाई में वृद्धि (Increase in Height)-कुछ समय लगातार व्यायाम करने के साथ नवयुवकों की हड़ियों की लम्बाई में रुकावट की वृद्धि होती है। जिस कारण उनके शरीर की लम्बाई में बढ़ोत्तरी होती है। परन्तु इसमें याद रखने योग्य बात यह है कि वृद्धि बचपन की अवस्था के अन्त तक होती है।

2. जोड़ के तन्तुओं की ताकत में वृद्धि (Increase in the strength of ligaments of Joints) लगातार नियमानुसार व्यायाम करते रहने के साथ हड्डियों और जोड़ के तन्तुओं में मजबूती आ जाती है। जिस के साथ वह ज्यादा खिंच सहने योग्य हो जाते हैं।

3. शरीर सामर्थ्य में वृद्धि और शरीर के पित्त वाले विकारों की समाप्ति (Increase in physical capacity and elimination of physical defects)-शारीरिक सामर्थ्य में वृद्धि होती है और शरीर के पित्त वाले विकार भी काफ़ी ज्यादा खत्म हो जाते हैं।

4. जोड़ों में तड़क (Flexibility of Joints) लगातार व्यायाम करने के कारण जोड़ों में तड़क उत्पन्न होती

5. आसन सम्बन्धी अवगुणों का दूर होना (Removing Postural defects) लगातार व्यायाम करने के कारण शरीर के आसन सम्बन्धी अवगुण जिस तरह कुबड़ापन या रीढ़ की हड्डी आदि का सिकुड़ना दूर हो जाते हैं।

6. प्रणालियों को दोषों से मुक्त करना (Preventing defects in systems) लगातार व्यायाम करते रहने से आसन सम्बन्धी दोषों को दूर करके शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है।

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