PSEB 11th Class Practical Geography Chapter 1 नक्शे

Punjab State Board PSEB 11th Class Geography Book Solutions Practical Geography Chapter 1 नक्शे.

PSEB 11th Class Practical Geography Chapter 1 नक्शे

प्रश्न 1.
नक्शे से क्या अभिप्राय है ? इसकी विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर-
नक्शा (Map)-धरती या उसके किसी भाग के ऊपर से दिखाई देने वाले स्वरूप को समतल कागज़ पर चित्रण को नक्शा कहते हैं (A map is the conventional representation of the earth or a part of it as seen from the above.)। किसी भी क्षेत्र के लक्षणों को स्पष्ट करने के लिए नक्शे बनाए जाते हैं । नक्शा या मानचित्र (Map) शब्द लातीनी भाषा के शब्द मप्पा (Mappa) से लिया गया है। नक्शे की विशेषताएँ-

  1. नक्शे समतल कागज़ पर बनाए जाते हैं, जिनमें लंबाई और चौड़ाई भी दिखाई जा सकती है।
  2. नक्शे एक निश्चित पैमाने पर ही बनाए जाते हैं।
  3. प्राकृतिक और सांस्कृतिक लक्षणों को रूढ़ चिन्हों द्वारा दिखाया जाता है। नक्शे अक्षांश और देशांतर रेखाओं की मदद से बनाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
नक्शे के आवश्यक तत्त्व बताएँ।
उत्तर-
नक्शे के आवश्यक तत्त्व-किसी भाग का ठीक वर्णन देने के लिए नक्शों पर नीचे लिखे तत्त्व ज़रूर दिखाए जाते हैं

  1. नक्शे का शीर्षक
  2. पैमाना
  3. दिशा
  4. संकेत
  5. अक्षांश और देशांतर रेखाएँ।

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 1 नक्शे

प्रश्न 3.
मानचित्र कला की परिभाषा दें।
उत्तर-
मानचित्र कला-नक्शा बनाने की कला को मानचित्र कला या नक्शाकशी की कला (Cartography) कहा जाता है। इसमें धरातलीय नक्शे, हवाई फोटो नक्शे आदि बनाए जाते हैं।

प्रश्न 4.
चार्ट (Chart) और प्लान (Plan) में अंतर बताएँ।
उत्तर-
चार्ट (Chart) और (Plan)—चार्ट शब्द फ्रांसीसी भाषा के शब्द कार्टे (Carte) से लिया गया है। चार्ट शब्द का अर्थ नक्शा होता है। वास्तव में चार्ट अलग-अलग आंकड़ों का रेखाचित्र होता है। इन चार्टों पर समुद्री जहाज़ों के मार्ग भी दिखाए जाते हैं।
‘प्लान’ शब्द भवनों के नक्शों के लिए प्रयोग होता है। इसका पैमाना 6″ : 1 मील से बड़ा होता है। इससे किसी जायदाद या भूमि का विस्तारपूर्वक वर्णन किया जाता है।

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 1 नक्शे

प्रश्न 5.
नक्शों की क्या ज़रूरत होती है ?
उत्तर-
नक्शों की ज़रूरत-पृथ्वी एक गोला है। यह केवल ग्लोब के साथ ही सही रूप में दिखाई जा सकती है। ग्लोब पृथ्वी का एक छोटा-सा प्रतिरूप या नमूना है। परंतु कई बार ग्लोब के प्रयोग में मुश्किलें आती हैं, जिसके लिए नक्शों का प्रयोग ज़रूरी हो जाता है।

  1. ग्लोब पर पूरी पृथ्वी का एक समय में अध्ययन नहीं हो सकता।
  2. ग्लोब पर किसी क्षेत्र को विस्तारपूर्वक दिखाया नहीं जा सकता।
  3. ग्लोब पर दो स्थानों की दूरी मापनी मुश्किल होती है।
  4. ग्लोब पर दो क्षेत्रों का तुलनात्मक अध्ययन संभव नहीं है।
    यही कारण है कि नक्शों के प्रयोग को आवश्यक समझा जाता है। पृथ्वी या उसके किसी भाग को एक समतल कागज़ पर दिखाया जा सकता है।

प्रश्न 6.
नक्शों के महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर-
नक्शों का महत्त्व-नक्शे भौगोलिक अध्ययन के लिए ज़रूरी उपकरण (Tools) हैं। आज के युग में नक्शों . का महत्त्व बहुत बढ़ गया है। वास्तव में नक्शे ही भूगोल की कुंजी होते हैं। ये भूगोल के विद्यार्थियों के लिए एक संकेत लिपि (Short Hand) का काम करते हैं। नक्शों का महत्त्व कई क्षेत्रों में बढ़ता जा रहा है।

  1. भूगोल-प्रयोगात्मक भूगोल के लिए नक्शे आवश्यक होते हैं। इनके बिना भूगोल का विद्यार्थी एक ऐसे सिपाही के समान होता है, जिसके पास हथियार नहीं हों।
  2. युद्धों में प्रयोग-आज के युग में युद्ध नक्शों के सहारे ही लड़े जाते हैं। दूसरे विश्वयुद्ध में कई करोड़ नक्शे तैयार किए गए थे। हिटलर के शब्दों में “Give me a detailed map of a country and I shall conquer it.”
  3. यात्रियों के लिए-नक्शे यात्रियों और पर्यटकों के लिए ज़रूरी होते हैं। ये मार्ग-प्रदर्शन में सहायता करते हैं।
  4. प्रबंधकों के लिए-नक्शों के द्वारा ही अलग-अलग प्रांतों का राज्य-प्रबंध चलाया जाता है।
  5. आवागमन के साधनों के लिए-नक्शे रेल, सड़क, समुद्री और हवाई मार्गों की जानकारी के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
  6. नक्शे विद्यार्थियों, अध्यापकों, उद्योगपतियों, अर्थशास्त्रियों, इतिहासकारों और इंजीनियरों के लिए लाभदायक होते हैं।

PSEB 11th Class Geography Practical Chapter 1 नक्शे

प्रश्न 7.
नक्शों का वर्गीकरण करें।
उत्तर-
नक्शों का वर्गीकरण-नक्शाकशी की कला बड़ी प्राचीन है। आज से लगभग चार हजार वर्ष पहले भी नक्शे बनाए जाते थे। प्राचीन समय में भारतीय, यूनानी, रोमन आदि जातियों को इस कला की जानकारी थी। नक्शे कई प्रकार के होते हैं। इनका वर्गीकरण दो प्रकार से किया जा सकता है-

  1. पैमाने के आधार पर (According to Scale)
  2. उद्देश्य के आधार पर (According to Purpose)

1. पैमाने के आधार पर नक्शे (According to Scale)-
पैमाने के आधार पर नक्शे दो प्रकार के होते हैं1. छोटे पैमाने के नक्शे (Small Scale Maps)—ये नक्शे छोटे पैमाने पर बनाए जाते हैं। इनमें पैमाना – 1 इंच : 16 मील से छोटा होता है। संसार के नक्शे, एटलस नक्शे और दीवारी नक्शे इस प्रकार के हो सकते हैं।
2. बड़े पैमाने के नक्शे (Large Scale Maps)—इन नक्शों पर भवनों और संपत्ति का अधिक विस्तृत वर्णन दिखाया जाता है। यह आमतौर पर 6″ : 1 मील पैमाने पर होता है। इस प्रकार पैमाने के आधार पर चार प्रकार के नक्शे होते हैं-

  • सीमावर्ती नक्शे (Cadastral Maps) ये बड़े पैमाने के नक्शे होते हैं, जिनमें जायदाद संबंधी विषय दिखाए जाते हैं। इनका प्रयोग पटवारी और नगरपालिकाएँ करती हैं।
  • स्थल-आकृतिक नक्शे (Topographical Maps)-1″ : 1 मील के पैमाने से बने नक्शे किसी क्षेत्र के प्राकृतिक और सांस्कृतिक लक्षणों को दिखाते हैं। जिस प्रकार सर्वे विभाग के नक्शे।
  • दीवारी नक्शे (Wall Maps)-शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग किए जाने वाले नक्शे छोटे पैमाने के होते हैं।
  • एटलस नक्शे (Atlas Maps)-ये छोटे पैमाने के नक्शे होते हैं। कई प्रकार के नक्शों को पुस्तकीय आकार देकर मान-चित्रावली तैयार की जाती है।

2. उद्देश्य के आधार पर नक्शे (Maps According to Purpose)-
उद्देश्य को आधार मानकर नीचे लिखे प्रकार के भौतिक और सांस्कृतिक नक्शे बनाए जाते हैं-

  • धरातलीय नक्शे (Relief Maps)—इसमें किसी क्षेत्र के धरातल, जल-प्रवाह, मिट्टी आदि का विभाजन दिखाया जाता है।
  • भू-गर्भीय नक्शे (Geological Maps)-इनमें अलग-अलग प्रकार की चट्टानों आदि का विभाजन दिखाया जाता है।
  • मौसमी नक्शे (Weather Maps)—वायुमंडल की दशाओं को दिखाने वाले नक्शों को मौसमी नक्शे कहा जाता है। भारत में ये नक्शे पुणे (Pune) में तैयार किए जाते हैं।
  • वनस्पति नक्शे (Vegetation Maps)-इन नक्शों में भूमि के प्रयोग और विभाजन दिखाए जाते हैं।
  • भूमि-प्रयोग के नक्शे (Land use Maps)-इन नक्शों में भूमि के प्रयोग और विभाजन दिखाए जाते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय नक्शे (International Maps)—ये नक्शे 1/1000000 के पैमाने पर बनाए जाते हैं।
  • राजनीतिक नक्शे (Political Maps)—इन नक्शों पर राजनीतिक सीमाएँ, देश, नगर और राजधानियाँ दिखाई जाती हैं।
  • आबादी के नक्शे (Population Maps)—इन नक्शों पर आबादी का विभाजन और घनत्व दिखाए जाते हैं।
  • परिवहन नक्शे (Transport Maps)-इन नक्शों पर सड़कों, रेलों, समुद्री और हवाई मार्गों के नक्शे दिखाए जाते हैं।
  • आर्थिक नक्शे (Economic Maps)—इन नक्शों पर कृषि, पशु-पालन उद्योग, व्यापार आदि कारकों का वर्णन किया जाता है।
  • भाषा संबंधी नक्शे (Linguistic Maps)—अलग-अलग प्रदेशों में बोली जाने वाली भाषाओं का विभाजन इन नक्शों पर दिखाया जाता है।
    मानव-जाति के नक्शे (Ethnographic Maps)—इन नक्शों पर अलग-अलग प्रदेशों में रहने वाली मानव-जातियों का विभाजन दिखाया जाता है।

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