PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

Punjab State Board PSEB 11th Class Sociology Book Solutions Chapter 5 संस्कृति Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Sociology Chapter 5 संस्कृति

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न (Textual Questions)

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 1-15 शब्दों में दीजिए :

प्रश्न 1.
संस्कृति के मूल तत्त्वों को बताओ।
उत्तर-
परंपराएं, सामाजिक परिमाप तथा सामाजिक कीमतें संस्कृति के मूल तत्त्व हैं।

प्रश्न 2.
संस्कृति ‘लोगों के रहने का सम्पूर्ण तरीका’ है, किसका कथन है ?
उत्तर-
यह शब्द क्लाईड कल्ककोहन (Clyde Kluckhohn) के हैं।

प्रश्न 3.
किस तरीके से अनपढ़ समाज में संस्कृति को हस्तांतरित किया जाता है ? .
उत्तर-
क्योंकि संस्कृति सीखा हुआ व्यवहार है, इसलिए अनपढ़ समाजों में संस्कृति को सीख कर हस्तांतरित किया जाता है।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

प्रश्न 4.
संस्कृति के वर्गीकरण को विस्तृत रूप में लिखिए ?
उत्तर-
संस्कृति के दो भाग होते हैं-भौतिक संस्कृति तथा अभौतिक संस्कृति।

प्रश्न 5.
अभौतिक संस्कृति के कुछ उदाहरणों के नाम लिखो ?
उत्तर-
विचार, परिमाप, कीमतें, आदतें, आदर्श, परंपराएं इत्यादि।

प्रश्न 6.
सांस्कृतिक पिछड़ेपन का सिद्धांत किसने दिया है।
उत्तर-
सांस्कृतिक पिछड़ेपन का सिद्धांत विलियम एफ० आगबर्न (William F. Ogburn) ने दिया था।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 30-35 शब्दों में दीजिए :

प्रश्न 1.
संस्कृति क्या है ?
उत्तर-
हमारे रहने-सहने के ढंग, फिलास्फी भावनाएं, विचार, मशीनें, कार, पेन, किताबें इत्यादि सभी अभौतिक तथा भौतिक वस्तुएं हैं तथा यह ही संस्कृति है। ये सभी वस्तुएं समूहों द्वारा ही उत्पन्न तथा प्रयोग की जाती हैं। इस प्रकार संस्कृति वह वस्तु है जिस पर हम कार्य करते हैं, विचार करते हैं तथा अपने पास रखते हैं।

प्रश्न 2.
सांस्कृतिक पिछड़ापन क्या है ?
उत्तर-
संस्कृति के दो भाग होते हैं-भौतिक तथा अभौतिक। नए आविष्कारों के कारण भौतिक संस्कृति में तेजी से परिवर्तन आते हैं परन्तु हमारे विचार, परंपराएं, अर्थात् अभौतिक संस्कृति में उतनी तेज़ी से परिवर्तन नहीं आता है। इस कारण दोनों में अंतर उत्पन्न हो जाता है जिसे सांस्कृतिक पिछड़ापन कहा जाता है।

प्रश्न 3.
सामाजिक मापदंड क्या है ?
उत्तर–
प्रत्येक समाज ने अपने सदस्यों के व्यवहार करने के लिए कुछ नियम बनाए होते हैं जिन्हें परिमाप कहा जाता है। इस प्रकार परिमाप व्यवहार के लिए कुछ दिशा निर्देश हैं। परिमाप समाज के सदस्यों के व्यवहार को निर्देशित तथा नियमित करते हैं। यह संस्कृति का बहुत ही महत्त्वपूर्ण हिस्सा होते हैं।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

प्रश्न 4.
आधुनिक भारत के केन्द्रित मूल्य क्या हैं ?
उत्तर-
आधुनिक भारत की प्रमुख केन्द्रित मूल्य हैं-लोकतान्त्रिक व्यवहार, समानता, न्याय, स्वतन्त्रता, धर्मनिष्पक्षता इत्यादि। अलग-अलग समाजों की अलग-अलग प्रमुख कीमतें होती हैं। छोटे समुदाय किसी विशेष कीमत पर बल देते हैं परन्तु बड़े समाज सर्वव्यापक कीमतों पर बल देते हैं।

प्रश्न 5.
पारम्परिक भारतीय समाज के सन्तुष्ट मूल्यों को बताइए।
उत्तर-
प्रत्येक समाज की अलग-अलग प्रमुख कीमतें होती हैं। कोई समाज किसी कीमत पर बल देता है तो . कोई किसी पर। परंपरागत भारतीय समाज की प्रमुख कीमतें हैं-सब कुछ छोड़ देना (detachment), दुनियादारी तथा धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष के चार पुरुषार्थों की प्राप्ति।

प्रश्न 6.
संस्कृति के ज्ञानात्मक घटकों को कैसे दर्शाया जाता है ?
उत्तर-
संस्कृति के भौतिक भाग को कल्पनाओं, साहित्य, कलाओं, धर्म तथा वैज्ञानिक सिद्धांतों की सहायता से दर्शाया जाता है। विचारों को साहित्य में दर्शाया जाता है तथा इस प्रकार एक संस्कृति की बौद्धिक विरासत को संभाल कर रखा जाता है।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 75-85 शब्दों में दीजिए :

प्रश्न 1.
किस प्रकार संस्कृति लोगों का सम्पूर्ण जीवन है ?
उत्तर-
इसमें कोई शक नहीं है कि संस्कृति लोगों के जीवन का सम्पूर्ण तरीका है। संस्कृति और कुछ नहीं बल्कि जो कुछ भी हमारे पास है, वह ही संस्कृति है। हमारे विचार, आदर्श, आदतें, कपड़े, पैसे, जायदाद इत्यादि सब कुछ जो मनुष्य ने आदि काल से लेकर आज तक प्राप्त किया है वह उसकी संस्कृति है। अगर इन सभी चीजों को मनुष्य के जीवन में से निकाल दिया जाए तो मनुष्य के जीवन में कुछ भी नहीं बचेगा तथा वह दोबारा आदि मानव. के स्तर पर पहुंच जाएगा। चाहे प्रत्येक समाज की संस्कृति अलग-अलग होती है परन्तु सभी संस्कृतियों में कुछेक तत्त्व ऐसे भी हैं, जो सर्वव्यापक होते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि संस्कृति लोगों के जीवन का सम्पूर्ण तरीका है।

प्रश्न 2.
भौतिक तथा अभौतिक संस्कृति को विस्तृत रूप में लिखो।
उत्तर-
भौतिक संस्कृति का अर्थ है वह संस्कृति जिसमें व्यक्ति द्वारा बनी सभी वस्तुओं को शामिल किया जाता है। यह संस्कृति मूर्त होती है क्योंकि हम इसको देख सकते हैं, स्पर्श सकते हैं, जैसे-स्कूटर, टी० वी०, मेज़, कुर्सी, बर्तन, बस, कार, जहाज़ आदि उपरोक्त सब वस्तुएं मूर्त हैं पर भौतिक संस्कृति है।

अभौतिक संस्कृति अर्थात् वह संस्कृति जिसमें वह सब वस्तुओं को शामिल किया जाता है जो अमूर्त होती हैं। इन सबको न तो हम पकड़ सकते हैं और न ही देख सकते हैं बल्कि इनको केवल महसूस ही किया जाता है। जैसे परंपराएं (Traditions), रीति-रिवाज (Customs), मूल्य (Values), कलाएं (Skills), परिमाप (Norms) आदि। वे सब वस्तुएं अमूर्त होती हैं। इनको अभौतिक संस्कृति में शामिल किया जाता है।

प्रश्न 3.
संस्कृति के मूल तत्त्वों पर विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर-

  • रिवाज तथा परंपराएं (Customs and Traditions)—सामाजिक व्यवहार के प्रकार हैं जो संगठित होते हैं तथा दोबारा प्रयोग किए जाते हैं। यह व्यवहार करने के स्थायी तरीके हैं। प्रत्येक समाज तथा संस्कृति . के रिवाज तथा परंपराएं अलग-अलग होती हैं।
  • परिमाप (Norms) भी संस्कृति का आवश्यक तत्त्व होते हैं। समाज के प्रत्येक व्यक्ति से यह आशा की जाती है कि वह किस प्रकार से व्यवहार करे। परिमाप व्यवहार करने के वह तरीके हैं जिन्हें मानने की सभी से आशा की जाती है।
  • कीमतें (Values) भी इसका एक अभिन्न अंग होती हैं। प्रत्येक समाज की कुछ कीमतें होती हैं जो मुख्य होती हैं तथा सभी से यह आशा की जाती है कि वह इन कीमतों को माने। इससे उसे यह पता चलता है कि क्या ग़लत है तथा क्या ठीक है।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

प्रश्न 4.
“संस्कृति एक सीखा व्यवहार है।” इस कथन का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर-
इसमें कोई शक नहीं है कि संस्कृति मनुष्यों द्वारा सीखी जाती है। यह कोई जैविक गुण नहीं है जो व्यक्ति जन्म से ही लेकर पैदा होता है। उसे यह अपने माता-पिता से नहीं बल्कि समाज में रहकर धीरे-धीरे समाजीकरण की प्रक्रिया के साथ मिलता है। कोई भी पैदा होने के साथ विचार, भावनाएं साथ लेकर नहीं आता बल्कि वह उस समाज के अन्य लोगों के साथ अन्तक्रियाएं करते हुए सीखता है। हम किसी भी प्रकार का कार्य ले सकते हैं, प्रत्येक कार्य को समाज में रहते हुए सीखा जाता है। इससे यह स्पष्ट है कि संस्कृति सीखा हुआ व्यवहार है।

IV. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 250-300 शब्दों में दें :

प्रश्न 1.
किस प्रकार सामाजिक विश्लेषण में संस्कृति रोज़मर्रा में प्रयोग किए जा रहे शब्द संस्कृति से भिन्न है ?
उत्तर-
दैनिक प्रयोग के शब्द ‘संस्कृति’ के अर्थ समाजशास्त्र के शब्द ‘संस्कृति’ से निश्चित रूप से ही अलग है। दैनिक प्रयोग में संस्कृति कला तक ही सीमित है अथवा कुछ वर्गों, देशों की जीवन शैली के बारे में बताती है। परन्तु समाजशास्त्र में इसके अर्थ कुछ अलग ही हैं। समाजशास्त्र में इसके अर्थ हैं-व्यक्ति ने प्राचीन काल से लेकर आजतक जो कुछ भी प्राप्त किया है या पता किया है वह उसकी संस्कृति है। संस्कार, विचार, आदर्श, प्रतिमान, रूढ़ियां, कुर्सी, मेज़, कार, पैन, किताबें, लिखित ज्ञान इत्यादि जो कुछ भी व्यक्ति ने समाज में रह कर प्राप्त किया है वह उसकी संस्कृति है। इस प्रकार संस्कृति शब्द के अर्थ समाजशास्त्र की दृष्टि में तथा दैनिक प्रयोग में अलग-अलग हैं।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

प्रश्न 2.
संस्कृति से आप क्या समझते हैं ? संस्कृति की विशेषताओं को बताइए।
उत्तर-
पशुओं एवं मनुष्यों में सबसे महत्त्वपूर्ण जो वस्तु अलग है वह है ‘संस्कृति’ जो मनुष्य के पास है, जानवरों के पास नहीं है। मनुष्य के पास सबसे महत्त्वपूर्ण वस्तु जो है वह है संस्कृति । यदि मनुष्य से उसकी संस्कृति ले ली जाए तो उसके पास कुछ नहीं बचेगा। संसार के सभी प्राणियों में से केवल मानव के पास ही योग्यता है कि संस्कृति को बना कर उसे बचाकर रख सके। संस्कृति केवल मनुष्य की अन्तक्रियाओं से ही पैदा नहीं होती है बल्कि मनुष्य की अगली अन्तक्रियाओं को भी रास्ता दिखाती है। संस्कृति व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में सहायता करती है और उसको समाज में रहने योग्य बनाती है। संस्कृति ऐसे वातावरण का निर्माण करती है, जिसमें रहकर व्यक्ति समाज में कार्य करने के योग्य बन जाता है।

इस तरह संस्कृति और व्यक्ति के एक-दूसरे के साथ काफ़ी गहरे सम्बन्ध होते हैं क्योंकि संस्कृति ही व्यक्तियों को पशुओं से और समूहों को एक-दूसरे से अलग करती साधारण भाषा में संस्कृति को पढ़ाई के समानार्थक अर्थों में लिया गया है कि पढ़ा-लिखा व्यक्ति सांस्कृतिक एवं अनपढ़ व्यक्ति असांस्कृतिक है परन्तु संस्कृति का यह अर्थ ठीक नहीं है। समाजशास्त्री संस्कृति का अर्थ काफ़ी व्यापक शब्दों में लेते हैं। समाजशास्त्रियों के अनुसार जिस किसी भी वस्तु का निर्माण व्यक्ति ने अपनी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिये किया है वह संस्कृति है।

संस्कृति में दो तरह की वस्तुएं होती हैं-(i) भौतिक एवं (ii) अभौतिक। भौतिक वस्तुओं में वह सब कुछ आ जाता है जिसको हम देख सकते हैं और स्पर्श कर सकते हैं। परन्तु अभौतिक वस्तुओं में वह वस्तुएं शामिल होती हैं जिनको हम न तो देख सकते हैं, न ही स्पर्श सकते हैं केवल महसूस (Feel) कर सकते हैं। भौतिक वस्तुओं में मेज़, कुर्सी, किताब, स्कूटर, कार इत्यादि सब कुछ आ जाते है, परन्तु अभौतिक वस्तुओं में हम अपने विचार, संस्कार, तौर-तरीके, भावनाओं एवं भाषाओं को ले सकते हैं। संक्षेप में संस्कृति का अर्थ रहने के ढंग, विचार, भावनाएं, वस्तुएं, मशीनों, कुर्सियों इत्यादि सभी भौतिक एवं अभौतिक पदार्थों से है, अर्थात् व्यक्ति द्वारा प्रयोग की जाने वाली प्रत्येक वस्तु से है चाहे उसने उस वस्तु को बनाया है या नहीं। संस्कृति एक ऐसी वस्तु है जिसके भीतर सभी वह वस्तुएं हैं, जिनके ऊपर समाज के सदस्य विचार करते हैं, कार्य करते हैं और अपने पास रखते हैं।

परिभाषाएं (Definitions) –
1. मैकाइवर व पेज (Maclver and Page) के अनुसार, “हमारे रहने-सहने के ढंगों में, हमारे दैनिक व्यवहार एवं सम्बन्धों में, विचारों के तरीकों में, हमारी कला, साहित्य, धर्म, मनोरंजन के आनन्द में हमारी प्रकृति का जो प्रकटाव होता है, उसे संस्कृति कहते हैं।”

2. बीयरस्टैड (Bierstdt) के अनुसार, “संस्कृति उन वस्तुओं की जटिल समग्रता है, जो समाज के सदस्य के रूप में हम सोचते, करते और रखते हैं।”

3. ऑगबर्न एवं निमकॉफ (Ogburn and Nimkoff) के अनुसार, “संस्कृति मानवीय वातावरण का वह भाग है, जिसमें वह केवल पैदा हुआ है। इसमें इमारतें, हथियार, पहनने वाली वस्तुएं, धर्म एवं वह सभी कार्य करने के तरीके आते हैं, जो व्यक्ति सीखता है।”

4. मजूमदार (Mazumdar) के अनुसार, “संस्कृति मानव की प्राप्तियों भौतिक एवं अभौतिक का सम्पूर्ण मेल होती है जो समाज वैज्ञानिक रूप से भाव जो परम्परा एवं ढांचे क्षितिज एवं लम्ब रूप में संचलित होने के योग्य होती है।”

उपरोक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि संस्कृति में वह सब शामिल है, जो व्यक्ति समाज के बीच रहते हुए सीखता है जैसे-कला कानून, भावनाएं, रीति-रिवाज, पहरावा, खाने-पीने, साहित्य, ज्ञान, विश्वास इत्यादि। ये सभी संस्कृति का भाग हैं और संस्कृति के यह सभी भाग अलग-अलग न होकर बल्कि एक-दूसरे से मिलकर कार्य करते हैं और संगठन बनाते हैं। इस संगठन को ही संस्कृति कहते हैं। संक्षेप में जो वस्तुएं व्यक्ति ने सीखी हैं, या जो कुछ व्यक्ति को अपने पूर्वजों से मिला है इसे संस्कृति कहते हैं । विरासत में हथियार, व्यवहार के तरीके, विज्ञान के तरीके, कार्य करने के तरीके इत्यादि सभी शामिल हैं।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि संस्कृति समूह के द्वारा पैदा की गई, प्रयोग की गई, विचार की गई, प्रत्येक वस्तु के साथ शामिल है। मनुष्य अपने जन्म के पश्चात् कुछ न कुछ सीखना आरम्भ कर देता है और व्यवहार के तौरतरीकों के द्वारा कार्य करने लग पड़ता है। इस कारण इसको सांस्कृतिक पशु भी कहते हैं।

संस्कृति की विशेषताएं तथा कार्य (Functions and Characteristics of Culture)-

1. संस्कति पीढी दर पीढी आगे बढ़ती है (Culture Move from Generation to Generation)संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दिया जाता है क्योंकि बच्चा अपने माता-पिता से ही व्यवहार के तरीके सीखता है। मनुष्य अपने पूर्वजों की प्राप्तियों से ही काफ़ी कुछ सीखता है। कोई भी किसी कार्य को शुरू से आरम्भ नहीं करना चाहता है। इसलिये वह अपने पूर्वजों के द्वारा किए गये कार्यों को ही आगे बढ़ाता है। इस पीढ़ी दर पीढ़ी का संचार सदियों से चला आ रहा है। इसी कारण ही प्रत्येक व्यक्ति को अलग व्यक्तित्व प्राप्त होता है। कोई भी व्यक्ति पैदा होने के वक्त से अपने साथ कुछ नहीं लेकर आता है, उसको धीरे-धीरे समाज में रहते हएं अपने मातापिता, दादी-दादा, नाना-नानी से बहुत कुछ प्राप्त होता है। इस तरह संस्कृति पीढ़ी दर पीढ़ी संचारित होती रहती है।

2. संस्कृति सामाजिक है (Culture is Social)-संस्कृति कभी भी किसी की व्यक्तिगत मनुष्य की जायदाद नहीं होती। यह तो सामाजिक होती है क्योंकि न तो कोई व्यक्ति संस्कृति को बनाता है और न ही संस्कृति उसकी जायदाद होती है। जब भी कोई व्यक्ति किसी वस्तु का अनुसंधान करता है तो यह वस्तु उसकी न होकर समाज की हो जाती है क्योंकि उस वस्तु को वह अकेला प्रयोग नहीं करता बल्कि सम्पूर्ण समाज प्रयोग करता है। कोई भी वस्तु संस्कृति का भाग तभी कहलाती है जब उस वस्तु को समाज के बहुसंख्यक लोग स्वीकार कर लेते हैं। इस तरह उस वस्तु की सर्वव्यापकता संस्कृति का आवश्यक तत्त्व है। इस तरह हम कह सकते हैं कि संस्कृति व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामाजिक है।

3. संस्कृति सीखी जाती है (Culture can be Learned)–संस्कृति मनुष्यों के द्वारा सीखी जाती है। यह कोई जैविक गुण नहीं है जो कि व्यक्ति को अपने माता-पिता से मिलता है। संस्कृति तो व्यक्ति धीरे-धीरे समाजीकरण द्वारा सीखता है। कोई भी पैदा होने के साथ-साथ विचार एवं भावनाएं अपने साथ लेकर नहीं आता बल्कि यह तो वह समाज के अन्य लोगों के साथ अन्तक्रिया करते हुए सीखता है। हम किसी भी प्रकार का कार्य ले सकते हैं। प्रत्येक कार्य को समाज में रहते हुए सीखा जाता है। इससे स्पष्ट है कि संस्कृति सीखा हुआ व्यवहार है।

4. संस्कृति आवश्यकताएं पूरी करती हैं (Culture fulfills needs)-यदि किसी वस्तु का अनुसंधान होता है, तो वह अनुसंधान इसलिये किया जाता है क्योंकि वह उसकी आवश्यकता है। इस तरह संस्कृति के प्रत्येक पक्ष को किसी-न-किसी समय मनुष्यों के सामने किसी-न-किसी की तरफ़ से ले आया गया हो, ताकि अन्य मनुष्यों की आवश्यकता पूरी की जा सके। व्यक्ति गेहूं की पैदावार करनी क्यों सीखा ? क्योंकि मनुष्य को अपनी भूख दूर करने के लिये इसकी आवश्यकता थी। इस तरह व्यक्ति भोजन पैदा करना सीख गया और यही सीखा हुआ व्यवहार संस्कृति का एक हिस्सा बन कर पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता गया। आवश्यकता केवल जैविक नहीं, बल्कि सामाजिक संस्कृतियां भी हो सकती हैं। भूख के साथ-साथ व्यक्ति को प्यार एवं हमदर्दी की भी आवश्यकता होती है, जो व्यक्ति समाज में रहते हुआ सीखता है। इस तरह संस्कृति के भिन्न-भिन्न हिस्से समाज की भिन्न-भिन्न आवश्यकताओं को पूर्ण करते हैं। संस्कृति का जो भाग लोगों की आवश्यकताएं पूरा नहीं करता वह धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है।

5. संस्कृति में परिवर्तन आते रहते हैं (Changes often comes in Culture)-संस्कृति कभी भी एक स्थान पर खड़ी नहीं रहती बल्कि उसमें परिवर्तन आते रहते हैं क्योंकि कोई भी वस्तु एक जगह नहीं रुकती। यह प्रत्येक वस्तु की प्रकृति होती है कि उसमें परिवर्तन आये और जब प्रत्येक वस्तु में परिवर्तन होना निश्चित ही है, तो वह वस्तु परिवर्तनशील है। संस्कृति समाज की प्रत्येक आवश्यकताएं पूरी करती है और समाज की आवश्यकताओं में परिवर्तन आते रहते हैं क्योंकि अवस्थाएं सदैव एक-सी नहीं रहतीं। अवस्थाओं में परिवर्तन आने से आवश्यकताएं भी बदल जाती हैं और आवश्यकताओं में परिवर्तन होने से उनकी पूर्ति करने वाले साधनों में परिवर्तन लाना आवश्यक है। उदाहरण के लिये पहले जनसंख्या कम होने के कारण कृषि हल की सहायता से की जाती थी। परन्तु जनसंख्या के बढ़ने से आवश्यकताएं बढ़ गईं जिससे प्रयुक्त साधन भी बदल गये और हल की जगह ट्रैक्टरों, कम्बाइनों आदि ने ले ली और इससे आवश्यकताएं पूरी की गईं। इस तरह अवस्थाओं के परिवर्तन से संस्कृति में परिवर्तन भी आवश्यक है।

6. एक ही संस्कृति में कई संस्कृतियां होती हैं (One culture consists of many culture)-प्रत्येक संस्कृति के बीच हम कुछ साझे परिमाप, परम्पराएं, भावनाएं, रीति-रिवाज, व्यवहार आदि देख सकते हैं। परन्तु उसके साथ-साथ हम कई तरह के अलग-अलग रहन-सहन के तरीके, खाने-पीने के तरीके, व्यवहार करने के तरीके भी देख सकते हैं जिससे पता चलता है कि एक संस्कृति के बीच ही कई संस्कृतियां विद्यमान होती हैं। उदाहरणार्थ भारतीय संस्कृति में ही कई तरह की संस्कृतियां मिल जायेंगी। क्योंकि भारतवर्ष में कई प्रकार के लोग रहते हैं प्रत्येक व्यक्ति के अपने-अपने खाने-पीने के तरीके, रहने-सहने का ढंग, व्यवहार करने का ढंग है जिससे पता चलता है कि हमारी संस्कृति में कई संस्कृतियां हैं।

प्रश्न 3.
संस्कृति के दो प्रकारों की विस्तृत रूप में चर्चा कीजिए।
उत्तर-
संस्कृति के दो प्रकार हैं तथा वह हैं भौतिक संस्कृति तथा अभौतिक संस्कृति । इनका वर्णन इस प्रकार है-

(i) भौतिक संस्कृति (Material Culture)-भौतिक संस्कृति अप्राकृतिक संस्कृति होती है। इसकी मुख्य विशेषता यह होती है कि व्यक्ति द्वारा बनाई गई सभी वस्तुओं को इसमें शामिल किया जाता है। इस कारण से ही भौतिक संस्कृति मूर्त (concrete) वस्तुओं से संबंध रखती है। इस संस्कृति में पाई जाने वाली सभी वस्तुओं को हम देख या स्पर्श कर सकते हैं। उदाहरण के लिए मशीनें, औज़ार, यातायात के साधन, बर्तन, किताब, पैन इत्यादि। भौतिक संस्कृति मनुष्यों द्वारा किए गए अविष्कारों से संबंधित होती है।

भौतिक संस्कृति में संस्कृति में आया नया तकनीकी ज्ञान भी शामिल है। भौतिक संस्कृति में वह सब कुछ शामिल है जो कुछ आज तक बना है, सुधरा है अथवा हस्तांतरित किया गया है। संस्कृति के यह भौतिक पक्ष अपने सदस्यों को अपने व्यवहार को परिभाषित करने में सहायता करते हैं। उदाहरण के लिए चाहे अलग-अलग क्षेत्रों में कृषि करने वाले लोगों का कार्य चाहे एक जैसा होता है परन्तु वह अलग-अलग प्रकार की मशीनों का प्रयोग करते हैं।

(ii) अभौतिक संस्कृति (Non-material Culture)-अभौतिक संस्कृति की मुख्य विशेषता यह होती है कि यह अमूर्त (Abstract) होती है। अमूर्त का अर्थ उन वस्तुओं से है जिन्हें न तो हम पकड़ सकते हैं तथा न ही स्पर्श कर सकते हैं। उदाहरण के लिए धर्म, परंपराएं, संस्कार, रीति-रिवाज, कला, साहित्य, परिमाप, आदर्श, कीमतें इत्यादि को अभौतिक संस्कृति में शामिल किया जाता है। इन सबके कारण ही समाज में निरन्तरता बनी रहती है। परिमाप तथा कीमतें व्यवहार के तरीकों के आदर्श हैं जो समाज में स्थिरता लाने में सहायता करते हैं।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

प्रश्न 4.
सांस्कृतिक विलम्बना या पिछड़पन को विस्तृत रूप में लिखो।
उत्तर-
सबसे पहले सांस्कृतिक पिछड़ेपन के संकल्प को ऑगबर्न (Ogburn) ने प्रयोग किया ताकि समाज के बीच पैदा हुई समस्याएं और तनाव की स्थितियों को जान सकें। ऑगबर्न पहला समाजशास्त्री था जिसने सांस्कृतिक पिछड़ेपन के संकल्प के विस्तृत अर्थ दिए थे।

यद्यपि स्पैन्सर, समनर, मूलर आदि ने अपनी रचनाओं में सांस्कृतिक पिछड़ेपन शब्द का प्रयोग किया। परन्तु ऑगबन ने सर्वप्रथम ‘सांस्कृतिक पिछड़ेपन’ शब्द का प्रयोग अपनी पुस्तक ‘सोशल चेंज’ (Social change) में 1921 में किया जिसके द्वारा सामाजिक असंगठन तनाव इत्यादि को समझा गया। ऑगबन ऐसा पहला समाजशास्त्री था जिसने सांस्कृतिक पिछड़ेपन को एक सिद्धान्त के रूप में पेश किया। समाजशास्त्रीय विषय में इस सिद्धान्त को अधिकतर स्वीकार किया गया। . सांस्कृतिक पिछड़ेपन का अर्थ (Meaning of Cultural lag)-आधुनिक संस्कृति के दोनों भागों में परिवर्तन समान गति के साथ नहीं होता है। एक भाग में परिवर्तन दूसरे भाग से अधिक गति से होता है। परन्तु संस्कृति एक व्यवस्था है, यह विभिन्न अंगों से मिलकर बनती है। इसके विभिन्न अंगों में परस्पर सम्बन्ध और अन्तर्निर्भरता होती है। संस्कृति की यह व्यवस्था तब तक बनी रह सकती है, जब तक इसके एक भाग में तेजी से परिवर्तन हो और दूसरे भाग में बराबर गति के साथ परिवर्तन हो। वास्तव में होता यह है कि जब संस्कृति का एक भाग किसी अनुसंधान के कारण बदलता है तो उससे सम्बन्धित या उस पर निर्भर भाग में परिवर्तन होता है। परन्तु दूसरे भाग में परिवर्तन होने में काफ़ी समय लग जाता है। दूसरे भाग में परिवर्तन होने में कितना समय लगेगा ये दूसरे भाग की प्रकृति के ऊपर निर्भर करता है। ये पिछड़ापन कई वर्षों तक चलता रहता है जिस कारण संस्कृति में अव्यवस्था पैदा हो जाती है। संस्कृति के दो परस्पर सम्बन्धित या अन्तर्निर्भर भागों के परिवर्तनों में यह पिछड़ापन सांस्कृतिक पिछड़ापन कहलाता है।

पिछड़ापन शब्द अंग्रेजी के शब्द LAG का हिन्दी रूपान्तर है। पिछड़ापन का अर्थ है पीछे रह जाना। इस पिछड़ेपन के अर्थ को ऑगबन ने उदाहरण देकर समझाया है। उनके अनुसार कोई भी वस्तु कई भागों से मिलकर बनती है। यदि उस वस्तु के किसी हिस्से में परिवर्तन आयेगा तो उस वस्तु के दूसरे हिस्से में भी परिवर्तन अवश्य आयेगा तो वह परिवर्तन उस वस्तु के अन्य भागों को भी प्रभावित करेगा। यह भाग जिन पर उस परिवर्तन का प्रभाव पड़ता है धीरे-धीरे समय के साथ आप भी परिवर्तित हो जाते हैं। यह जो परिवर्तन धीरे-धीरे आते हैं इसमें कुछ समय लग जाता है। इस समय के अन्तर से पिछड़ जाना या पीछे रह जाना या पिछड़ापन कहते हैं।

ऑगबर्न ने अपने सांस्कृतिक पिछड़ापन के सिद्धान्त की भी व्याख्या इसी ढंग से की है। उनके अनुसार संस्कृति के दो पक्ष होते हैं जो आपस में सम्बन्धित होते हैं। यदि एक पक्ष में परिवर्तन आता है तो वह दूसरे पक्ष को प्रभावित करता है। यह दूसरे पक्ष धीरे-धीरे अपने आप को इन परिवर्तनों के अनुसार ढाल लेते हैं व उसके अनुकूल बन जाते हैं परन्तु इस ढालने में कुछ समय लग जाता है। इस समय के अन्तर को जो परिवर्तन के आने व अनुकूलन के समय में होता है, सांस्कृतिक पिछड़ापन कहते हैं। जब संस्कृति का कोई भाग तरक्की करके आगे निकल जाता है व दूसरा भाग गति के कारण पीछे रह जाता है तो यह कहा जाता है कि सांस्कृतिक पिछड़ापन मौजूद है।

ऑगबन के अनुसार संस्कृति के दो भाग होते हैं-(1) भौतिक संस्कृति (2) अभौतिक संस्कृति। भौतिक संस्कृति में वह सभी चीजें शामिल हैं जो हम देख सकते हैं या छू सकते हैं जैसे-मशीनें, मेज़, कुर्सी, किताब, टी० वी०, स्कूटर आदि। अभौतिक संस्कृति में वह सभी वस्तुएं शामिल हैं जो हम देख नहीं सकते केवल महसूस कर सकते हैं जैसे-आदतें, विचार, व्यवहार, भावनाएं, तौर-तरीके, रीति-रिवाज इत्यादि। यह दोनों संस्कृति के भाग एक-दूसरे से गहरे रूप में सम्बन्धित हैं। परिवर्तन प्रकृति का नियम है। यदि एक भाग में परिवर्तन आता है, तो दूसरे भाग में परिवर्तन आना अनिवार्य है। यह नियम भौतिक व अभौतिक संस्कृति पर लागू होना भी अनिवार्य है। भौतिक संस्कृति में परिवर्तन आते रहते हैं और यह परिवर्तन अति शीघ्र आते रहते हैं। चूंकि नवीन खोजें होती रहती हैं इसलिए भौतिक संस्कृति तो काफ़ी तेजी से बदल जाती है। यह अभौतिक संस्कृति जिसमें भावनाएं, विचार, रीतिरिवाज आदि शामिल हैं उनमें परिवर्तन नहीं आते या परिवर्तन की गति काफ़ी धीमी होती है। इस कारण भौतिक संस्कृति, जिसमें परिवर्तन की गति कम होती है, पीछे रह जाती है। इस प्रकार भौतिक संस्कृति से अभौतिक संस्कृति के पीछे रह जाने को ही सांस्कृतिक पिछड़ापन कहते हैं।

उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट हो जाता है कि संस्कृति पिछड़ेपन के लिए कई कारण ज़िम्मेदार होते हैं, जिनमें से एक कारण यह भी होता है कि भिन्न-भिन्न संस्कृति के तत्त्वों में परिवर्तन का सामर्थ्य भी भिन्न-भिन्न है। अभौतिक संस्कृति तेजी से परिवर्तन को अपनाने में असफल रह जाती है, जिसके परिणामस्वरूप सांस्कृतिक पिछड़ापन पैदा हो जाता है। 19वीं और 20वीं सदी में औद्योगिक परिवर्तन पहले हुए व परिवार इस परिवर्तन में पिछड़ेपन की वजह से रह गया। मानव के विचार अभी भी हर तरह के परिवर्तन के लिए तैयार नहीं होते अर्थात् लोग वैज्ञानिक खोजों को देखते हैं, पढ़ते हैं परन्तु फिर भी वह अपनी पुरानी परम्पराओं, रीति-रिवाजों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions) :

प्रश्न 1.
पशुओं एवं मनुष्यों में पृथकता करने वालों की कौन-सी वस्तु है ?
(A) संस्कृति
(B) A & C
(C) समूह
(D) कोई नहीं।
उत्तर-
(A) संस्कृति।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

प्रश्न 2.
किस वस्तु को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तान्तरित किया जा सकता है ?
(A) समाज
(B) स्कूटर
(C) संस्कृति
(D) कार।
उत्तर-
(C) संस्कृति।

प्रश्न 3.
संस्कृति के प्रसार के लिए कौन-सी वस्तु आवश्यक नहीं है?
(A) देश का टूटना
(B) लड़ाई
(C) सांस्कृतिक रुकावट
(D) कोई नहीं।
उत्तर-
(C) सांस्कृतिक रुकावट।

प्रश्न 4.
संस्कृतिकरण के लिए क्या आवश्यक है ?
(A) समूह के मूल्य
(B) मनोवैज्ञानिक तैयारी
(C) सामूहिक संस्कृति
(D) कोई नहीं।
उत्तर-
(B) मनोवैज्ञानिक तैयारी।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

प्रश्न 5.
किस समाजशास्त्री ने संस्कृति को भौतिक एवं अभौतिक संस्कृतियों में बांटा था ?
(A) आगबर्न
(B) गिडिंग्ज़
(C) मैकाइवर
(D) पारसन्ज।
उत्तर-
(A) आगबर्न।

प्रश्न 6.
अभौतिक संस्कृति ……………. होती है ?
(A) मूर्त
(B) मूर्त एवं अमूर्त
(C) अमूर्त
(D) कोई नहीं।
उत्तर-
(C) अमूर्त।

प्रश्न 7.
भौतिक संस्कृति ……………… होती है ?
(A) मूर्त
(B) मूर्त एवं अमूर्त
(C) अमूर्त
(D) कोई नहीं।
उत्तर-
(A) मूर्त।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

प्रश्न 8.
कौन-से वर्ष में ऑगबर्न ने ‘संस्कृति पिछड़ापन’ शब्द का प्रयोग किया था?
(A) 1911
(B) 1921
(C) 1931
(D) 1941.
उत्तर-
(B) 1921.

प्रश्न 9.
समीकरण में क्या मिल जाता है ?
(A) समाज
(B) संस्कृतियां
(C) देश
(D) कोई नहीं।
उत्तर-
(B) संस्कृतियां।

प्रश्न 10.
संस्कृति का विकसित रूप क्या है ?
(A) सभ्यता
(B) भौतिक संस्कृति
(C) देश समाज
(D) अभौतिक संस्कृति।
उत्तर-
(A) सभ्यता।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

II. रिक्त स्थान भरें (Fill in the blanks) :

1. …………………… ने संस्कृति को जीने का संपूर्ण ढंग कहा है।
2. संस्कृति के ……… भाग होते हैं।
3. विचार, आदर्श, कीमतें संस्कृति के ………. भाग के उदाहरण हैं।
4. ………….. वह नियम है जिन्हें मानने की सभी से आशा की जाती है।
5. सांस्कृतिक पिछड़ेपन का सिद्धांत …………. ने दिया था।
6. ………… को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित किया जाता है।
7. कुर्सी, टेबल, कार संस्कृति के ……….. भाग का हिस्सा होते हैं।
उत्तर-

  1. क्लाइड कल्ककोहन,
  2. दो,
  3. अभौतिक,
  4. करें-कीमतें,
  5. विलियम एफ० आगबर्न,
  6. संस्कृति,
  7. भौतिक।

III. सही/गलत (True/False):

1. अरस्तु के अनुसार मनुष्य एक राजनीतिक प्राणी है।
2. आदिकाल से लेकर मनुष्य ने आज तक जो कुछ प्राप्त किया है, वह संस्कृति है।
3. जिन वस्तुओं को हम देख सकते हैं वह भौतिक संस्कृति है।
4. जिन वस्तुओं को हम देख नहीं सकते, वह अभौतिक संस्कृति है।
5. संस्कृति के दो भाग-भौतिक व अभौतिक होते हैं।
6. संस्कृति के अविकसित रूप को सभ्यता कहते हैं।
7. संस्कृति मनुष्यों के बीच अन्तक्रियाओं का परिणाम होती है।
उत्तर-

  1. गलत
  2. सही
  3. सही
  4. सही
  5. सही
  6. गलत
  7. सही।

IV. एक शब्द/पंक्ति वाले प्रश्न उत्तर (One Wordline Question Answers) :

प्रश्न 1.
‘मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है’, यह शब्द किसके हैं ?
उत्तर-
यह शब्द अरस्तु (Aristotle) के हैं।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

प्रश्न 2.
मनुष्यों तथा पशुओं के बीच सबसे अलग वस्तु क्या है ?
उत्तर-
मनुष्यों तथा पशुओं के बीच सबसे अलग वस्तु मनुष्यों की संस्कृति है।

प्रश्न 3.
मनुष्य किस प्रकार के वातावरण में रहता है ?
उत्तर-
मनुष्य दो प्रकार के वातावरण–प्राकृतिक तथा अप्राकृतिक में रहता है।

प्रश्न 4.
संस्कृति क्या है ?
उत्तर-
आदिकाल से लेकर आज तक मनुष्य ने जो कुछ भी प्राप्त किया है, वह संस्कृति है।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

प्रश्न 5.
संस्कृति किस चीज़ का परिमाप है ?
उत्तर-
संस्कृति मनुष्यों के बीच अन्तक्रियाओं का परिमाप होती है।

प्रश्न 6.
संस्कृति कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर-
संस्कृति दो प्रकार की होती है-भौतिक संस्कृति तथा अभौतिक संस्कृति।

प्रश्न 7.
भौतिक संस्कृति क्या होती है ?
उत्तर-
जिन वस्तुओं को हम देख या स्पर्श कर सकते हैं, वह भौतिक संस्कृति होती है।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

प्रश्न 8.
हम भौतिक संस्कृति में क्या शामिल कर सकते हैं ?
उत्तर-
हम भौतिक संस्कृति में पुस्तकें, कुर्सी, मेज़, जहाज़, टी० वी०, कार इत्यादि जैसी सभी वस्तुएं शामिल कर सकते हैं।

प्रश्न 9.
अभौतिक संस्कृति क्या होती हैं ? ।
उत्तर-
जिन वस्तुओं को हम देख या स्पर्श नहीं कर सकते, वह अभौतिक संस्कृति का हिस्सा होते हैं।

प्रश्न 10.
हम अभौतिक संस्कृति में क्या शामिल कर सकते हैं ?
उत्तर-
इसमें हम विचार, आदर्श, प्रतिमान, परंपराएं इत्यादि शामिल कर सकते हैं।

प्रश्न 11.
सभ्यता क्या होती है ?
उत्तर-
संस्कति के विकसित रूप को सभ्यता कहते हैं।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

अति लघु उतरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
संस्कृति क्या है ?
उत्तर-
हमारे रहन-सहन के ढंग, फिलासफी, भावनाएं, विचार, मशीनें इत्यादि सभी भौतिक तथा अभौतिक वस्तुएं संस्कृति का हिस्सा होती हैं। यह सभी वस्तुएं समूह की तरफ से उत्पन्न तथा प्रयोग की जाती हैं। इस प्रकार संस्कृति ऐसी वस्तु है जिस पर हम विचार तथा कार्य करके अपने पास रख सकते हैं।

प्रश्न 2.
संस्कृति की दो विशेषताएं बताएं।
उत्तर-

  1. संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित किया जाता है क्योंकि बच्चा अपने माता-पिता के व्यवहार से ही सीखता है।
  2. संस्कृति व्यक्ति की आवश्यकताएं पूर्ण करती है क्योंकि अगर किसी चीज़ का आविष्कार होता है तथा वह आविष्कार सभी की आवश्यकताएं पूर्ण करता है।

प्रश्न 3.
सभ्यता क्या होती है ?
उत्तर-
संस्कृति के विकसित रूप को ही सभ्यता कहा जाता है। जो भौतिक अथवा उपयोगी वस्तुओं के संगठन, जिनकी सहायता से मनुष्य ने प्राकृतिक तथा अप्राकृतिक वातावरण के ऊपर विजय प्राप्त की है तथा उस पर नियन्त्रण किया है, उसे ही सभ्यता कहा जाता है।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

प्रश्न 4.
पर संस्कृति ग्रहण क्या होता है ?
उत्तर-
पर संस्कृति ग्रहण एक प्रक्रिया है जिसमें दो संस्कृतियों के लोग एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं तथा वह एक-दूसरे के सभी नहीं तो बहुत से तत्त्वों को ग्रहण करते हैं। इन तत्त्वों को ग्रहण करने की प्रक्रिया के साथ दोनों संस्कृतियों के बीच एक-दूसरे के प्रभाव के अन्तर्गत काफ़ी परिवर्तन आ जाता है।

प्रश्न 5.
सांस्कृतिक प्रसार।
उत्तर-
जब किसी एक समूह के सांस्कृतिक पैटर्न दूसरे समूह में भी प्रचलित हो जाते हैं तो इस प्रकार के प्रसार को सांस्कृतिक प्रसार कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है। पहला सांस्कृतिक प्रसार अचानक तथा संयोग से होता है परन्तु दूसरी प्रकार का सांस्कृतिक प्रसार निर्देशित ढंग से प्रसारित किया जाता है।

प्रश्न 6.
सांस्कृतिक पैटर्न।
उत्तर-
जब तत्त्व तथा सांस्कृतिक परिवार आपस में काफ़ी हद तक संबंधित हो जाते हैं तो सांस्कृतिक पैटर्नो का निर्माण होता है। प्रत्येक सांस्कृतिक पैटर्न की समाज में कोई-न-कोई भूमिका अवश्य होती है जो उसे निभानी ही पड़ती है। उदाहरण के लिए परंपराएं।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

प्रश्न 7.
उप-संस्कृति।
उत्तर-
प्रत्येक विशेष समूह के कुछ सांस्कृतिक तत्त्व होते हैं । हिन्दुओं की अपनी एक संस्कृति होती है। हिन्दू संस्कृति भारतीय संस्कृति का ही एक भाग है। एक संस्कृति का एक हिस्सा, जो कुछ विशेषताओं पर आधारित होता है, उप-संस्कृति होता है।

लघु उतरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
संस्कृति।
उत्तर-
संस्कृति मानवीय समाज की विशेषता है, जो मानवीय समाज को पशु समाज से भिन्न करती है। व्यक्ति को सामाजिक व्यक्ति भी संस्कृति के द्वारा बनाया जा सकता है व एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को, एक समूह या एक समुदाय को दूसरे समूह या समुदायों द्वारा भिन्न भी किया जाता है। संस्कृति में हम वह सब चीजें शामिल करते हैं, जो कुछ भी मनुष्य समाज से ग्रहण करता है व सीखता है। जैसे रीति-रिवाज, कानून, पहरावा, संगीत, भाषा साहित्य, ज्ञान, आदर्श, लोकाचार, लोक रीतें इत्यादि। सामाजिक विरासत में शामिल हुई हर चीज़ संस्कृति कहलाती है।

प्रश्न 2.
क्या संस्कृति अमूर्त है ?
उत्तर-
संस्कृति मूर्त भी होती है व अमूर्त भी। इसमें जब हम भौतिक तत्त्वों जैसे कुर्सी, मकान, स्कूटर आदि के बारे में बात करते हैं अर्थात् ये सब वस्तुएं अमूर्त हैं। इसी कारण यह संस्कृति को मूर्त बताते हैं। परन्तु जब हम विश्वास, रीति-रिवाजों आदि की बात करते हैं तो ये सब वस्तुएं अमूर्त होती हैं। भाव कि इन्हें हम देख नहीं सकते। कहने का अर्थ यह है कि संस्कृति न केवल मूर्त है बल्कि अमूर्त भी है क्योंकि इसमें उपरोक्त दोनों तत्त्व पाए जाते है।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

प्रश्न 3.
संस्कृति की दो विशेषताएं।
उत्तर-
1. संस्कृति का संचार पीढ़ी-दर-पीढ़ी होता है (Transmited from generation to generation)—व्यक्ति अपनी पिछली पीढ़ियों के लिए कुछ न कुछ कर सकता है। कोई भी वस्तु नए सिरे से आरम्भ नहीं होती। यह संचार की प्रक्रिया होती है।

2. संस्कृति सामाजिक है (Culture is social) संस्कृति व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामाजिक है क्योंकि समाज के अधिक संख्या वाले व्यक्ति उसको अपनाते हैं। सर्व व्यापक संस्कृति का अपनाया जाना ही इसका एक ज़रूरी तत्त्व है।

प्रश्न 4.
संस्कृति कैसे सामाजिक मानी जा सकती है ?
उत्तर-
संस्कृति व्यक्तिगत न होकर सामाजिक होती है। इसको समाज में बहु-गणना के द्वारा स्वीकारा जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी भौतिक या अभौतिक तत्त्व को समूह के दो या चार व्यक्ति ही अपनाएं तो यह तत्त्व संस्कृति नहीं कहे जा सकते। – परन्तु यदि इन तत्त्वों को समूह के सारे ही सदस्य स्वीकार कर लेते हैं तो यह संस्कृति बन जाती है। इसी कारण इसको सामाजिक कहा जाता है।

प्रश्न 5.
‘सांस्कृतिक पिछड़ापन’।
अथवा
सांस्कृतिक पश्चतता।
उत्तर-
अंग्रेजी के शब्द ‘lag’ का शाब्दिक अर्थ है to fall behind पीछे रह जाना। इसका अर्थ पीछे रह जाना या पिछड़ जाने से है। समाज में प्रत्येक वस्तु भिन्न-भिन्न भागों से मिल कर बनी होती है व समाज में पाए गए सभी भाग आपस में एक-दूसरे के साथ अन्तर्सम्बन्धी (Inter-related) भी होते हैं जब एक भाग में परिवर्तन आता है। डब्ल्यू० जी० ऑगबर्न (W. G. Ogburn) ने संस्कृति को दो भागों में बांटा-भौतिक संस्कृति व अभौतिक संस्कृति। इसके अनुसार एक हिस्से में पाया गया परिवर्तन दूसरे हिस्से को भी प्रभावित करता है। अर्थात् एक हिस्से में परिवर्तन तेज़ी से आता है व दूसरे में धीमी रफ्तार से। धीमी रफ़्तार से सम्बन्धित भाग कुछ देर पीछे रह जाता है परन्तु कुछ समय बीतने पर अपने आप परिवर्तन के अनुकूल बन जाता है। इनमें पाई गई यह दूरी सांस्कृतिक पिछड़ना कहलाती है।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

प्रश्न 6.
संस्कृति सीखा हुआ व्यवहार है।
उत्तर-
समाज में जब व्यक्ति जन्म लेता है। वह जैविक मानव कहलाता है। परन्तु समाज में रह कर वह समाज के दूसरे व्यक्तियों से सम्पर्क स्थापित कर लेता है। इस सम्पर्क से उसकी बाकी समाज के मैम्बरों से अन्तक्रिया (Interaction) शुरू हो जाती है। इसके शुरू होने के बाद सीखने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है। यह सीखने की प्रक्रिया व्यक्ति को मानवीय जीव से सांस्कृतिक जीव बना देती है। इस प्रकार संस्कृति सीखा गया व्यवहार होती है।

प्रश्न 7.
पर संस्कृति ग्रहण।
अथवा
सांस्कृतिक संक्रमण।
उत्तर-
पर संस्कृति ग्रहण एक ऐसी प्रक्रिया है जो अलग-अलग पृष्ठभूमियों तथा व्यक्तियों के लगातार सम्पर्क के कारण विकसित होती है। इस कारण मूल संस्कृति तथा दूसरी संस्कृति में परिवर्तन होती है। मैलिनोवस्की के अनूसार पर संस्कृति ग्रहण करने के दो कारण होते हैं। पहला तो वह कारण है जिनका विकास स्वाभाविक रूप में होता है तथा दूसरा जब अलग-अलग संस्कृतियां एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सभ्यता क्या होती है ? संस्कृति एवं सभ्यता में क्या अन्तर होता है ? .
उत्तर-
संस्कृति के दो भाग होते हैं-(1) भौतिक (2) अभौतिक। भौतिक वस्तुओं में वह सभी वस्तुएं आती हैं, जिन्हें हम स्पर्श कर सकते हैं, देख सकते हैं, जैसे-कुर्सी, मेज़, किताब, इमारत एवं कार, जहाज़ इत्यादि। अभौतिक वस्तुओं में वह वस्तुएं शामिल हैं जिन्हें हम न देख सकते हैं, न ही स्पर्श कर सकते हैं केवल महसूस कर सकते हैं जैसे-विचार, भावनाएं, व्यवहार करने के तरीके, धर्म, संस्कार, आदर्श, इत्यादि। भौतिक संस्कृति मूर्त (Concrete) होती है और अभौतिक संस्कृति अमूर्त होती है। इससे ही सभ्यता का अर्थ भी निकाला जाता है। जो भौतिक एवं उपयोगी वस्तुएं या हथियारों एवं संगठनों, जिनकी सहायता के साथ मनुष्य ने प्राकृतिक और अप्राकृतिक वातावरण के ऊपर विजय प्राप्त की और उस पर नियन्त्रण किया है, को सभ्यता कहते हैं। ये सभी वस्तुएं हमारी सभ्यता का ही भाग हैं। सभ्यता को वास्तव में संस्कृति का विकसित रूप ही कहा जाता है। संस्कृति में वह सब कुछ शामिल होता है, जो व्यक्ति ने आरम्भ से लेकर अब तक प्राप्त किया, पर सभ्यता वह है जिससे मनुष्य आधुनिक बना। सभ्यता का सही अर्थ जानने के लिये यह आवश्यक है कि हम प्रसिद्ध समाजशास्त्रियों की सभ्यता के बारे में दी गई परिभाषाएं जान लें। समाज के अनुसार, “सभ्यता संस्कृति का विकसित एवं जटिल रूप है और यह एक तुलनात्मक शब्द है।”

1. वैबर (Weber) के अनुसार, “सभ्यता में उपयोगी भौतिक पदार्थ और उसका निर्माण करने और प्रयोग करने वाली विधियां शामिल होती हैं।”

2. फिचटर (Fichter) के अनुसार, “सभ्यता को Civilized या सभ्य व्यक्तियों के साथ जोड़ा गया है। उनके अनुसार सभ्य व्यक्ति वह लोग हैं, जो अपने विचारों में स्थिर, पढ़े-लिखे एवं जटिल होते हैं।”

3. ऑगबर्न एवं निमकॉफ (Ogburn and Nimkoff) के अनुसार, “परजीवी संस्कृति के पश्चात् की अवस्था के रूप में सभ्यता की परिभाषा दी जा सकती है।”
इन परिभाषाओं से पता चलता है ऑगबर्न एवं निमकौफ के अनुसार, “सभ्यता संस्कृति का सुधरा हुआ रूप और बाद की अवस्था है।”

4. ग्रीन (Green) के अनुसार, “एक संस्कृति सभ्यता तब बनती है जब उसके पास एक लिखित भाषा, विज्ञान, दर्शन, बहुत अधिक विशेषीकरण वाला श्रम विभाजन, एक जटिल, तकनीकी एवं राजनीतिक पद्धति हो।”

5. गिलिन एवं गिलिन (Gillen and Gillen) के अनुसार, “संस्कृति के अधिक विकसित एवं जटिल रूप को ही सभ्यता कहा जाता है।”

6. मैकाइवर (MacIver) के अनुसार, “सभ्यता आवश्यकताओं को पूरा करने का साधन है। मैकाइवर कहता है कि सभ्यता भौतिक संस्कृति होती है और इसमें वे सब वस्तुएं आती हैं जो उपयोगी हों। इसी प्रकार पुनः मैकाइवर के अनुसार, “सभ्यता का अर्थ उपयोगी वस्तुएं जीवन की स्थितियों को नियन्त्रित करने के लिये मानव के द्वारा योजित सभी संगठन एवं पत्रकर्ता है।”

इस तरह इन परिभाषाओं को देखने के पश्चात् हम कह सकते हैं कि संस्कृति का सुधरा हुआ रूप ही सभ्यता है तथा समाजशास्त्रियों ने सभ्यता को संस्कृति से उच्च स्तर का माना है। परन्तु यहां पर आकर एक मुश्किल खड़ी हो जाती है और वह मुश्किल है कि समाजशास्त्री ‘मैकाइवर और पेज’ इस बात से सहमत नहीं कि केवल भौतिक वस्तुएं ही सभ्यता का भाग हैं। उनके अनुसार भौतिक, धार्मिक, विचारों, भावनाओं, आदर्शों इत्यादि की उन्नति व तरक्की भी संस्कृति का भाग बननी चाहिए।

मैकाइवर व पेज के अनुसार मानव द्वारा बनाई गई सभी वस्तुएं जैसे-मोटर कार, बैंक, पैसा, नोट, इमारतें इत्यादि सभी सभ्यता का भाग हैं। परन्तु यह सब वस्तुएं समाज के बीच रहते हुए, सामाजिक अवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए विकसित हुईं। इसके लिये मनुष्य के भौतिक पक्ष के अतिरिक्त सामाजिक पक्ष को भी इसमें शामिल करना चाहिये। इसलिये संस्कृति में धर्म, कला, दर्शन, साहित्य, भावनाएं आदि वस्तुओं को शामिल करना चाहिये। इस तरह उनके अनुसार मानव निर्मित भौतिक वस्तुएं सभ्यता ही हैं और मानव निर्मित अभौतिक वस्तुएं संस्कृति ही है। यहां आकर हमें संस्कृति एवं सभ्यता में कई प्रकार के अंतरों का पता चलता है जिनका वर्णन निम्नलिखित है-

1. सभ्यता उन्नति करती है पर संस्कृति नहीं (Civilization always develops But not the Culture) यदि हम अपने पुराने समय और आजकल के आधुनिक समय की तुलना करें तो यह बात स्पष्ट हो जाती है कि सभ्यता तो उन्नति करती है परन्तु संस्कृति नहीं करती। क्योंकि मशीनें, कारें, मोटरें या आप कह सकते हैं कि भौतिक वस्तुओं में तो समय-समय पर उन्नति आई है, परन्तु धर्म, कला, विचारों आदि के बारे में आप ऐसा नहीं कह सकते जो अभौतिक संस्कृति का ही भाग है। क्या आजकल के लोगों के विचार, धार्मिक भावनाएं आदि पहले समय के लोगों से अधिक ऊंचे एवं उन्नत हैं ? शायद नहीं। इस तरह हम कह सकते हैं कि सभ्यता उन्नति करती है, संस्कृति नहीं।

2. सभ्यता को बिना परिवर्तन के ग्रहण किया जा सकता है, परन्तु संस्कृति को नहीं (Civilization can be taken without change but not Culture)—यह बात बिल्कुल नहीं कि सभ्यता को बिना परिवर्तन के ग्रहण किया जा सकता है परन्तु संस्कृति को नहीं। किसी भी मशीन, ट्रेक्टर, मोटर कार इत्यादि को बिना परिवर्तन के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित किया जा सकता है कि नहीं, यही वस्तुओं, विचार, आदर्शों इत्यादि में भी हो सकता है। शायद नहीं। विचारों, धर्म, आदर्शों इत्यादि को बिना परिवर्तन आदि के ग्रहण नहीं किया जा सकता। क्योंकि विचार धर्म, आदर्श, जैसे-जैसे अगली पीढ़ी को सौंप दिये जाते हैं, उनमें परिवर्तन आना स्वाभाविक है। उदाहरण के लिये अरब देशों के मुसलमानों में और भारतीय मुसलमानों में काफ़ी अन्तर है। इस तरह भारतीय इसाइयों एवं यूरोपीय इसाइयों में काफ़ी अन्तर है।

3. संस्कति आन्तरिक होती है पर सभ्यता बाहरी है (Culture is Internal but Civilization is External)-सभ्यता में बाहर की बहुत-सी वस्तुएं शामिल हैं। इसलिये यह मूर्त (Concrete) है। संस्कृति के बीच व्यक्ति के अन्दर की वस्तुएं जैसे-विचार, भावना, धर्म, आदर्श, व्यवहार के तरीके आदि शामिल हैं। इसलिये यह बाहरी है और अमूर्त (Abstract) है। सभ्यता संस्कृति को प्रकट करती है।

4. सभ्यता को मापा जा सकता है पर संस्कृति को नहीं (Civilization can be measured But not Culture)-सभ्यता को मापा जा सकता है पर संस्कृति को नहीं। सभ्यता के बीच आने वाली सभी वस्तुएं उपयोग होने वाली होती हैं और इनको निश्चित मापदण्डों में रखकर मापा जा सकता है। पर संस्कृति में आने वाली वस्तुएं जैसे-आदर्शों, धर्म, व्यवहार के तरीके, भावनाएं इत्यादि को कौन-से मापदण्डों में रखकर मापेंगे। ये तो बनाये ही नहीं जा सकते। इस तरह हम कह सकते हैं कि सभ्यता को मापा जा सकता है पर संस्कृति को नहीं।

5. सभ्यता बिना कोशिशों से संचारित हो सकती है पर संस्कृति नहीं (Civilization can be passed without efforts but not Culture)-सभ्यता में वह सभी वस्तुएं आती हैं जिनका व्यक्तियों द्वारा उपयोग होता है। क्योंकि इनका सम्बन्ध व्यक्ति के बाहरी जीवन के साथ होता है इसलिये इनको अगली पीढ़ी या किसी और देश को देने के लिये किसी कोशिश की आवश्यकता नहीं पड़ती। पर संस्कृति इसके विपरीत है। संस्कृति का सम्बन्ध उन सभी वस्तुओं से है, जो हमारे अन्दर हैं, जिनको कोई देख नहीं सकता। इनको एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक न पहुंचाया जाए तो यह उस व्यक्ति तक ही समाप्त हो जाएंगी। इसलिये इनको एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने के लिये किसी विशेष प्रयत्न की आवश्यकता होती है। सभ्यता बिना किसी कोशिश के अपनाई जा सकती है परन्तु संस्कृति को इस तरह अपनाया नहीं जा सकता।

6. सभ्यता बिना हानि के ग्रहण की जा सकती है परन्तु संस्कृति नहीं (Civilization borrowed without change But not Culture)-सभ्यता के कारण ही संचार के साधन विकसित हुए हैं जिसके कारण सभ्यता के सभी साधन संसार में फैल जाते हैं। कितने टी०वी०, रेडियो, किसी एक देश के अधिकार में नहीं हैं। प्रत्येक देश तकनीकी अनुसंधान कर रहा है और प्रत्येक देश इन अनुसंधानों का आपस में आदान-प्रदान कर रहे हैं। सभ्यता को अपनी परिस्थिति के अनुसार थोड़ा-बहुत बदला जा सकता है परन्तु संस्कृति का पूरी तरह त्याग नहीं कर सकते। इस तरह सभ्यता का विस्तार आसानी से, जल्दी और अच्छे बुरे की चिन्ता के बिना होता है परन्तु संस्कृति में परिवर्तन संकोच के साथ होता है।

यद्यपि उपरोक्त संस्कृति एवं सभ्यता में परिवर्तन बताया गया है परन्तु फिर भी दोनों एक-दूसरे से अलग नहीं रह सकते। सभ्यता की कई वस्तुएं संस्कृति की तरफ से प्रभावित होती हैं। सभ्यता की कई वस्तुएं संस्कृति का स्वरूप धारण कर लेती हैं। संस्कृति का उत्पादन किसी-न-किसी तकनीकी प्रक्रिया के ऊपर निर्भर करता है। संक्षेप में सभ्यता समाज की चालक शक्ति है और संस्कृति समाज को दिशा दिखाती है।

PSEB 11th Class Sociology Solutions Chapter 5 संस्कृति

संस्कृति PSEB 11th Class Sociology Notes

  • मनुष्य को जो वस्तु जानवरों से अलग करती है वह है संस्कृति जो मनुष्यों के पास है परन्तु जानवरों के पास नहीं है। अगर मनुष्यों से संस्कृति छीन ली जाए तो वह भी जानवरों के समान ही हो जाएगा। इस प्रकार संस्कृति तथा समाज दोनों ही एक-दूसरे साथ गहरे रूप से अन्तर्सम्बन्धित हैं।
  • मनुष्य ने आदि काल से लेकर आज तक जो कुछ भी प्राप्त किया है वह उसकी संस्कृति है। संस्कृति एक सीखा हुआ व्यवहार है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित किया जाता है। व्यक्ति इसको केवल उस समय ही प्राप्त कर सकता है जब वह किसी समाज का सदस्य होता है।
  • संस्कृति के दो प्रकार होते हैं-भौतिक संस्कृति तथा अभौतिक संस्कृति । भौतिक संस्कृति में वह सब कुछ शामिल है जिसे हम देख या स्पर्श कर सकते हैं जैसे कि कुर्सी, टेबल, कार, पैन, घर इत्यादि। अभौतिक संस्कृति में वह सब कुछ शामिल है जिसे हम देख या स्पर्श नहीं कर सकते जैसे कि हमारे विचार, नियम, परिमाप इत्यादि।
  • संस्कृति तथा परंपराएं एक दूसरे से गहरे रूप से संबंधित हैं। इस प्रकार सामाजिक परिमाप तथा कीमतें भी संस्कृति का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। अगर इन्हें संस्कृति में से निकाल दिया जाए तो शायद संस्कृति में कुछ भी नहीं बचेगा।
  • संस्कृति के दो भाग होते हैं-भौतिक तथा अभौतिक। इन दोनों भागों में परिवर्तन आते हैं परन्त भौतिक संस्कृति में परिवर्तन तेज़ी से आते हैं तथा अभौतिक संस्कृति में धीरे-धीरे। इस कारण दोनों भागों में अंतर उत्पन्न हो जाता है। भौतिक भाग आगे निकल जाता है तथा अभौतिक भाग पीछे रह जाता है। इस अंतर को सांस्कृतिक पिछड़ापन कहा जाता है।
  • संस्कृति में परिवर्तन आने का अर्थ है समाज के पैटर्न में परिवर्तन आना। यह परिवर्तन अंदरूनी तथा बाहरी कारकों के कारण आता है।
  • संस्कृति (Culture)-आदि काल से लेकर आज तक मनुष्य ने जो कुछ भी प्राप्त किया है वह उसकी संस्कृति है।
  • भौतिक संस्कृति (Material Culture)-संस्कृति का वह भाग जिसे हम देख या स्पर्श कर सकते हैं।
  • अभौतिक संस्कृति (Non-Material Culture)—संस्कृति का वह भाग जिसे हम देख या स्पर्श नहीं कर सकते।
  • सांस्कृतिक पिछड़ापन (Cultural Lag)—संस्कृति के दोनों भागों में परिवर्तन आने से भौतिक संस्कृति आगे निकल जाती है तथा अभौतिक संस्कृति पीछे रह जाती है। दोनों के बीच उत्पन्न हुए अंतर को सांस्कृतिक पिछड़ापन कहते हैं।
  • परिमाप (Norms)-समाज में स्थापित व्यवहार करने के वह तरीके जिन्हें सभी लोग मानते हैं।
  • कीमतें (Values)—वह नियम जिन्हें मानने की सबसे आशा की जाती है।
  • सांस्कृतिक परिवर्तन (Cultural Change)—वह तरीका जिसमें समाज अपनी संस्कृति के पैटर्न बदल लेता है।

Leave a Comment