PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 17 अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 17 अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़

Hindi Guide for Class 12 PSEB अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़ Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 60 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
जलियांवाले बाग में सभा का आयोजन किस उद्देश्य से किया गया ?
उत्तर:
रविवार का दिन था, वैशाखी का त्योहार था। 13 अप्रैल, सन् 1919 की संध्या के साढ़े चार बजे जलियांवाले बाग में एक विशाल जनसभा का आयोजन हुआ था। उस समय शहर की जो बुरी स्थिति थी उस पर विचार करने के उद्देश्य से सभा का आयोजन हुआ था। लोग चाहते थे कि शांति स्थापना के साधनों की खोज की जाए। सब लोग बहुत गम्भीर थे। वे किसी प्रकार की शरारत करना नहीं चाहते थे।

प्रश्न 2.
ब्रिटिश फौज के बाग में प्रवेश का चित्रात्मक वर्णन करो।
उत्तर:
जलियांवाले बाग की विशाल जनसभा अभी शुरू भी नहीं होने पाई थी कि कुछ दूरी पर घुड़सवार पुलिस, उसके पीछे फौजी गाड़ी में बैठा जनरल डायर, उसके पीछे मशीनगनें, तोप ले जाने वाली गाड़ियाँ और फिर मार्च करती हुई फौजें-सब चले जा रहे थे। सैनिकों के बूटों की आवाज़ गूंज रही थी। हाल्ट’ का आदेश मिलने पर कानों को फाड़ने वाला शब्द हुआ। सैनिकों ने मोर्चा सम्भाला और घुटने झुकाकर बन्दूकों में कारतूस भरने लगे।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 17 विष्णु प्रभाकर

प्रश्न 3.
जलियांवाले बाग में गोलियों की बौछार से बचने के लिए लोगों ने क्या किया ?
उत्तर:
जलियांवाले बाग के भीषण नरसंहार में सैनिकों की गोलियों से बचने के लिए लगभग बारह व्यक्ति एक वृक्ष के पीछे जा छिपे थे। सैनिकों ने उन्हें मार गिराया। कुछ लोग बाग़ की दीवारों पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे। लोग लाशों पर पैर रखकर दीवार को फाँद रहे थे। बाग में एक कुआँ था। घबरा कर लोग उसमें कूद पड़े। लोग कूदते गए, उसमें गिरते, कुचले जाते और मर जाते।

(ख) लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 4.
जलियांवाला बाग में हुआ नरसंहार एक अमानवीय घटना थी। स्पष्ट करें।
उत्तर:
रविवार का दिन, वैशाखी का त्योहार, 13 अप्रैल, सन् 1919 समय संध्या के साढ़े चार बजे जलियांवाला बाग में एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया था। यह जनसभा ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत की जनता पर किये जा रहे अत्याचारों के विरोध करने के लिए बुलाई गई थी। जनसभा अभी शुरू भी नहीं हुई थी कि जनरल डायर मशीनगनों और तोपों से लैस फौज को लेकर वहाँ पहुँच गया और अचानक निहत्थे और शान्त लोगों पर गोलियाँ बरसाने लगा। क्षण भर में वहाँ लाशों के ढेर लग गए। प्राण रक्षा के लिए लोग इधर-उधर भागने लगे।

कोई वृक्ष की आड़ में छिप गए, कुछ दीवारें फाँदने का प्रयास करने लगे। बहुत-से लोग जलियांवाला बाग में स्थित एक कुएँ में घबरा कर छलाँगें मारने लगे। सारा सभास्थल घायलों की चीखों पुकार से भर उठा था। गोलियाँ चलनी बन्द होते ही और अन्धेरा उतरते ही लोग बाग के आँगन में आकर अपने रिश्तेदारों और मित्रों की तलाश करने लगे। ऐसा दृश्य पहले कभी न देखा गया था। इस नरसंहार की अमानवीय घटना ने आजादी की लड़ाई को और भी तेज़ कर दिया और आखिरकार अंग्रेज़ों को भारत छोड़कर जाना ही पड़ा।

प्रश्न 5.
लेखक ने जलियांवाले बाग में घायल हुए लोगों की तथा मृत लोगों के परिजनों की मनोदशा का मार्मिक चित्रण किया है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
जलियांवाले बाग में जब जनरल डायर के आदेश से सैनिकों ने अन्धाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी तो क्षण भर में हताहतों की चीख-पुकार, लहूलुहान कपड़े, लाशों से पटती धरती, प्राण रक्षा के लिए भागते भयाक्रांत नागरिक। तभी बारह वर्ष का एक छोटा-सा बालक गोली लगने पर नीचे आ गिरा। फिर दूसरे छज्जे पर बैठा एक बालक और गिरा। एक वृक्ष के पीछे लगभग 12 व्यक्ति जा छिपे थे। सैनिकों ने एक-एक करके उन सबको मार डाला। घायलों की चीख पुकार से कान फट रहे थे। लोग प्राण बचाने के लिए दीवारों पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे।

दोनों ओर लाशों के ढेर थे। बहुत-से लोग भीड़ में कुचले गए थे। जलियांवाले बाग में एक कुआँ था। घबरा कर लोग उसमें कूद पड़े। कूदने वालों का तांता लग गया। अन्धेरा उतरते ही लोग डरते-काँपते घटनास्थल पर अपने रिश्तेदारों और मित्रों की तलाश में आने लगे। एक सिक्ख युवक, जिसकी आंतें बाहर बिखरी थीं। वह चिल्ला-चिल्ला कर कह रहा था ‘गुरु के नाम पर मुझे मार डालो।’ एक हिन्दू युवक रोता हुआ अपने भाई की लाश पीठ पर लादे जा रहा था। एक औरत अपने पति की लाश को सारी रात अपनी गोद में लेकर पत्थर की मूर्ति बनी वहाँ बैठी रही।

(ग) सप्रसंग व्याख्या करें:

1. ऊपर उड़ता हुआ एक हवाई जहाज़….. पाश्व सत्ता का प्रतीक, नीचे मैं-चारों ओर से मंज़िलों, इमारतों से घिरा हुआ। बाहर निकलने के एकमात्र मार्ग पर फौजी पहरा और ऊपर चबूतरे से गोली बरसाती फौज। काश, मैं गोलियों और जनता के बीच अड़ जाता। पर मैं तो जड़ बन कर रह गया था।
उत्तर:
प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश श्री विष्णु प्रभाकर द्वारा आत्मकथा शैली में लिखे गए निबन्ध ‘अगर ये बोल पाते : जलियांवाला बाग’ में से लिया गया है। प्रस्तुत पंक्तियों में जलियांवाला बाग़ सन् 1919 में हुए नरसंहार की घटना का वर्णन कर रहा है।

व्याख्या:
जलियांवाला बाग़ अपने आँगन में हुए नरसंहार की घटना का उल्लेख करते हुए कहता है कि जब जनरल डायर के आदेश पर सैनिक निहत्थे व शान्त लोगों पर गोलियाँ बरसा रहे थे उस समय अंग्रेज़ी हकूमत की पाशविकता का प्रतीक हवाई जहाज़ ऊपर आसमान में उड़ रहा था और नीचे मैं बहुमंजिली इमारतों से घिरा हुआ। मेरे आँगन से बाहर निकलने का एकमात्र मार्ग था उस पर भी फौजी पहरा लगा हुआ था अर्थात् कोई भी व्यक्ति उस रास्ते से गोलीबारी से बचने के लिए बाहर नहीं निकल सकता था और मेरे ऊपर जो चबूतरे थे वहाँ से फौजी लोग गोलियाँ बरसा रहे थे। जलियांवाला बाग सोचता है कि काश, उस समय वह गोलियों और जनता के बीच आकर जनता को बचा पाते किन्तु मैं तो उस भयानक दृश्य को देखकर पहले ही जड़ हो चुका था।

विशेष:

  1. जलियाँवाला बाग में हुए नरसंहार का यथार्थ चित्रण किया गया है।
  2. भाषा सहज, भावपूर्ण और शैली आत्मकथात्मक है।

2. मरते हुए व्यक्तियों की सिसकियाँ और आहें बता रही थीं किं जैसे चारों ओर मौत का साम्राज्य है। मेरा सारा शरीर गोलियों से छलनी हो चुका था, लेकिन मैं आसानी से मरने वाला नहीं था। काश, यदि मर जाता तो वह दृश्य तो नहीं देख पाता।
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश श्री विष्णु प्रभाकर द्वारा आत्मकथा शैली में लिखे गए निबन्ध ‘अगर ये बोल पाते : जलियांवाला बाग’ में से लिया गया है। प्रस्तुत पंक्तियों में जलियांवाला बाग सन् 1919 में हुई नरसंहार की घटना का वर्णन करते हुए अपने ऊपर होने वाले प्रभाव का वर्णन कर रहा है।

व्याख्या:
जलियांवाला बाग नरसंहार की घटना के बाद की स्थिति का वर्णन करते हुए कहता है कि इस भीषण नरसंहार में मारे जाने वाले व्यक्तियों की सिसकियाँ और आहों से यह पता चल रहा था कि यहाँ मौत का चारों ओर साम्राज्य रहा है। उस समय मेरे सारे शरीर को गोलियों से छलनी कर दिया गया। किन्तु मैं आसानी से मरने वाला नहीं था। काश, यदि मर जाता तो यह भयावह दृश्य तो न देखता।

विशेष:

  1. लेखक की मानसिक पीड़ा और हताशा शब्दों के माध्यम से स्पष्ट दिखाई देती है।
  2. भावात्मक शैली, तत्सम तद्भव शब्दावली और स्वाभाविकता व्यक्त हुई है।

PSEB 12th Class Hindi Guide अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़ Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग’ पाठ के रचयिता का नाम लिखिए।
उत्तर:
विष्णु प्रभाकर।

प्रश्न 2.
श्री विष्णु प्रभाकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
उनका जन्म सन् 1912 ई० में मुजफ्फर नगर के एक गाँव में हुआ था।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 17 विष्णु प्रभाकर

प्रश्न 3.
श्री विष्णु प्रभाकर ने स्नातक स्तर की शिक्षा किस विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी?
उत्तर:
पंजाब विश्वविद्यालय से।

प्रश्न 4.
श्री विष्णु प्रभाकर ने किसका संपादन कार्य किया था ?
उत्तर:
पत्र-पत्रिकाओं का।

प्रश्न 5.
श्री प्रभाकर पर किस व्यक्ति का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा था?
उत्तर:
महात्मा गांधी का।

प्रश्न 6.
किस धार्मिक संस्था से विष्णु प्रभाकर बहुत प्रभावित हुए थे?
उत्तर:
आर्य समाज से।

प्रश्न 7.
विष्णु प्रभाकर की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
अवारा मसीहा, जाने-अनजाने।

प्रश्न 8.
आप के पाठ्यक्रम में श्री विष्णु प्रभाकर की कौन-सी रचना संकलित है?
उत्तर:
अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग’।

प्रश्न 9.
‘अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग’ किस साहित्यिक विधा से संबंधित रचना है?
उत्तर:
निबंध विधा।

प्रश्न 10.
‘अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग’ किस शैली में रचित है?
उत्तर:
आत्म कथात्मक।

प्रश्न 11.
जलियाँवाला बाग की घटना किस त्योहार के दिन घटित हुई थी?
उत्तर:
वैशाखी के दिन (13 अप्रैल, सन् 1919)।

प्रश्न 12.
निबंध के अनुसार किसका चित्र कुर्सी पर रखा हुआ था?
उत्तर:
डॉ० किचलू का।

प्रश्न 13.
देशव्यापी हड़ताल किसके आह्वान पर और क्यों की गई थी?
उत्तर:
महात्मा गांधी के आह्वान पर रोल्ट एक्ट के विरोध में।

प्रश्न 14.
जलियाँवाला बाग में कौन-सा जनरल फौज़ लेकर आया था?
उत्तर:
जनरल डायर।

प्रश्न 15.
लोग गोलियों से बचने के लिए कहाँ कूद गए थे?
उत्तर:
कुएं में।

प्रश्न 16.
जलियाँवाला बाग में से बाहर निकलने के कितने रास्ते थे ?
उत्तर:
केवल एक।

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वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 17.
ऊपर उड़ता हुआ एक हवाई जहाज……….
उत्तर:
पाश्व सत्ता का प्रतीक।

प्रश्न 18.
मेरा सारा शरीर गोलियों से………………..
उत्तर:
छलनी हो चुका था।

प्रश्न 19.
………………………..तो वह दृश्य तो नहीं देख पाता।
उत्तर:
काश, यदि मर जाता तो वह दृश्य तो नहीं देख पाता।

प्रश्न 20.
“गुरु के नाम पर…………………।”
उत्तर:
गुरु के नाम पर मुझे मार डालो।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 21.
जनरल डायर के आदेश से सैनिकों ने अंधाधुध गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 22.
चारों ओर मौत का साम्राज्य नहीं था।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 23.
दूसरे छज्जे पर बैठा एक बालक और गिरा।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 24.
वृक्ष के पीछे लगभग 12 व्यक्ति जा छिपे थे।
उत्तर:
हाँ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. विष्णु प्रभाकर पर किसके जीवन दर्शन का प्रभाव पड़ा ?
(क) आर्य समाज का
(ख) महात्मा गांधी का
(ग) आर्य समाज एवं महात्मा गांधी का
(घ) देव का।
उत्तर:
(ग) आर्य समाज एवं महात्मा गांधी का

2. ‘अगर ये बोल पाते’ किस विधा की रचना है ?
(क) आत्मकथात्मक
(ख) विचारात्मक
(ग) व्यंग्यात्मक
(घ) हास्यात्मक।
उत्तर:
(क) आत्मकथात्मक

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3. जलियांवाला बाग की घटना कब घटित हुई ?
(क) 13 अप्रैल 1918
(ख) 13 अप्रैल 1919
(ग) 13 अप्रैल 1920
(घ) 13 अप्रैल 19211
उत्तर:
(ख) 13 अप्रैल 1919

4. जलियांवाला बाग के हत्याकांड को करने के लिए किसने गोलियां चलाने का आदेश दिया था ?
(क) जनरल डायर ने
(ख) अंग्रेज़ ने
(ग) डगलस ने
(घ) डबलस ने
उत्तर:
(क) जनरल डायर ने

कठिन शब्दों के अर्थ

स्तब्ध = हैरान। मिसाल = उदाहरण। ऐलान = घोषणा। परिपाटी = सिलसिला, प्रथा, रीति। न भूतो न भविष्यति = जो कभी पहले हुआ न आगे होगा। जुल्म = अत्याचार। हाल्ट = रुको। कर्ण भेदी = कानों को फाड़ने वाले। निनाद = शब्द, ध्वनि। हतप्रभ = जिसकी कांति क्षीण हो गई हो। अप्रत्याशित = अचानक, जिसकी आशा न रही हो। हता हतो = मरने वालों और घायलों। पाशव सत्ता = पशुओं जैसी सत्ता। प्रतीक = चिह्न, नमूना। धराशायी = धरती पर गिरना। छेदना = बींधना। बेतहाशा = बिना सोचे विचारे, बदहवास होकर। क्रंदन = चीख पुकार। मादरे वतन = मातृ भूमि। सरजमी = धरती। वीरांगना = बहादुर स्त्री। लोमहर्षक = रौंगटे खड़े करने वाला, रोमांचकारी। बर्बर = असभ्य। आकांक्षा = इच्छा, कामना।

अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़ Summary

अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़ जीवन परिचय

विष्णु प्रभाकर जी का जीवन परिचय लिखिए।

विष्णु प्रभाकर का जन्म जून, सन् 1912 में मुजफ्फर नगर के एक गाँव में हुआ। पंजाब विश्वविद्यालय से बी०ए० करने के बाद आप हरियाणा में सरकारी सेवा में आ गए। नौकरी के साथ-साथ आप साहित्य सृजन में भी संलग्न रहे। आप कई वर्षों तक आकाशवाणी के नाटक विभाग से भी जुड़े रहे। कुछ पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। आपके जीवन पर आर्य समाज तथा महात्मा गाँधी के जीवन दर्शन का गहरा प्रभाव है।

रचनाएँ:
प्रभाकर जी ने हिन्दी साहित्य को कहानियाँ, उपन्यास, निबन्ध, नाटक और एकांकी दिये। जाने-अनजाने और आवारा मसीहा इनकी गद्य रचनाएँ हैं।

अगर ये बोल पाते : जलियाँवाला बाग़ निबन्ध का सार

‘अगर ये बोल पाते : जलियांवाला बाग़’ निबन्ध का सार लगभग 150 शब्दों में लिखें।

प्रस्तुत निबन्ध आत्मकथा शैली में लिखा गया है। जलियांवाले बाग अपनी कहानी अपनी जुबानी सुना रहा है।
जलियांवाला बाग कहता है कि रविवार का दिन, वैशाखी का त्योहार 13 अप्रैल, सन् 1919 संध्या के साढ़े चार बजे थे। मेरे आँगन में एक विशाल जनसभा का आयोजन हुआ था। डॉ०, किचलू का चित्र कुर्सी पर रखा था। गाँधी जी ने रोल्ट एक्ट के विरोध में देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था। अंग्रेजी सरकार ने सभा से एक दिन पहले मार्शल लॉ लागू कर दिया था। सारे नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। इस पर भी सभा हुई। सभा अभी शुरू भी नहीं हुई थी कि जनरल डायर फौज को लेकर वहाँ आया और बिना चेतावनी दिये अन्धाधुंध गोलियाँ चला दीं। लोगों ने गोलियों की बौछार से बचने के लिए वृक्षों की आड़ ली। दीवारों पर चढ़ने की कोशिश की।

मेरे आँगन में एक कुआँ था लोग घबरा कर उसी में कूदने लगे। इस नरसंहार में हज़ारों लोग हताहत हुए। इनमें हिन्दू, मुसलमान, सिक्ख सभी थे। गोलियाँ बरसनी थमते ही लोगों ने अपने-अपने परिजनों को तलाशने की कोशिश की। यह भयानक दृश्य देखकर मेरा पत्थर दिल भी चीत्कार कर उठा। इस बर्बर हत्याकांड के कारण ही आज़ादी की लड़ाई तेज़ हुई। मेरे आँगन में होने वाले उस महान् बलिदान की नींव . पर ही स्वाधीनता का महल खड़ा हुआ। मुझे गर्व है कि मेरा देश आज़ाद हुआ। आओ, हम उस बलिदान को याद करते हुए देश की स्वाधीनता की रक्षा करें।

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