PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 18 समय नहीं मिला

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 समय नहीं मिला Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 18 समय नहीं मिला

Hindi Guide for Class 12 PSEB समय नहीं मिला Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 60 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
लेखक के अनुसार कौन-से लोग बड़े हैं ?
उत्तर:
ऐसे बहुत से लोग हैं जो शीघ्र पत्रोत्तर न देने का बहाना यह कहकर देते हैं कि समय नहीं मिला। इस प्रकार लिखने का कुछ फैशन ही हो गया है। लोग भूल जाते हैं कि बड़े आदमी तो पत्रोत्तर देने में देरी कर सकते हैं, काम की अधिकता के कारण, किन्तु दूसरे लोग भी जो पत्रोत्तर देरी से देते हैं अपने आपको बड़ा समझने लगते हैं।

प्रश्न 2.
भारत और विदेश में समय की पाबंदी के सन्दर्भ में लेखक ने क्या विचार व्यक्त किये हैं ?
उत्तर:
लेखक लिखते हैं कि भारत में कोई सम्मेलन हो, कोई सभा हो, कोई मीटिंग हो, कभी सभा समय पर शुरू नहीं होती। कहीं भी समय की पाबन्दी का ध्यान नहीं रखा जाता। मीटिंग में दिए गए समय से घण्टा दो घण्टा बाद ही सभासद या सदस्य पहुँचते हैं, जबकि इंग्लैंड और यूरोप के दूसरे देशों में सभाएँ समय पर होती हैं।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 18 श्रीमन्नारायण

प्रश्न 3.
विदेशों में लोग समय को किस प्रकार बर्बाद करते हैं ?
उत्तर:
विदेशों में लोग सिनेमा और थियेटर के टिकट लेने के लिए दो-दो, तीन-तीन घण्टे लगातार कतारों में खड़े रहकर समय बर्बाद करते हैं। यही हाल टेनिस या फुटबाल मैच देखने के टिकट घरों के सामने लम्बी-लम्बी कतारों में खड़े व्यक्तियों का है। इन कतारों में जवान-बूढ़े, स्त्री-पुरुष सभी दिखाई देते हैं।

प्रश्न 4.
इस निबन्ध से आपको क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
प्रस्तुत निबन्ध से हमें पहली शिक्षा तो यह मिलती है कि किसी मित्र या रिश्तेदार का पत्र प्राप्त होने पर उसका तुरन्त उत्तर देना चाहिए, यह बहाना कभी न बनाना चाहिए कि समय नहीं मिला। दूसरी शिक्षा यह मिलती है कि सदा समय को धन समझते हुए उसकी उपयोगिता और महत्त्व को समझना चाहिए।

प्रश्न 5.
लेखक ने समय के सदुपयोग के लिए क्या सुझाव दिया है ?
उत्तर:
लेखक का सुझाव है कि हमें अपने जीवन पर गहरी और तीखी नज़र डालकर यह देखना चाहिए कि हमने कितना समय नष्ट किया है और उसका क्या सदुपयोग हो सकता है। यदि केवल सुबह जल्दी उठना शुरू कर दें तो हम काफ़ी समय बचा सकेंगे और दिन भर स्फूर्ति भी महसूस करेंगे।

(ख) लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 6.
‘समय नहीं मिला’ निबन्ध का सार अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
देखिए पाठ के आरम्भ में दिया गया निबन्ध का सार।

प्रश्न 7.
समय धन से भी कहीं ज्यादा अहम चीज़ है-लेखक के इस कथन से आप कहां तक सहमत हैं ?
उत्तर:
लेखक के इस कथन से कि समय ही धन है, हम पूरी तरह सहमत हैं। क्योंकि धन को तो हाथों का मैल माना जाता है और हमारे हाथ काफ़ी मैले रहते ही हैं। इसका अर्थ यह है कि धन तो कभी भी कमाया जा सकता है और धन तो घटता-बढ़ता रहता है। इसीलिए शायद लक्ष्मी को चंचला कहा गया है कि यह एक स्थान पर टिक कर नहीं बैठती। किन्तु समय के महत्त्व से इनकार नहीं किया जा सकता। दिन में समय 24 घण्टों का ही रहेगा इसे न कम किया जा सकता है न बढ़ाया जा सकता है। गया हुआ धन तो लौट कर फिर आ सकता है किन्तु गया हुआ समय कभी लौट कर नहीं आता। जब चिड़ियाँ खेत चुग जाती हैं तो पछताने के सिवा कोई चारा नहीं रहता।

कहते हैं वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन इसीलिए हार गया था क्योंकि उसने पाँच मिनट समय को नहीं समझा। कहा तो यह भी जाता है कि आषाढ़ का चूका किसान और डाल से चूका बन्दर कहीं का नहीं रहता। ऐसा इसलिए है कि समय का निज़ाम सबके लिए एक जैसा है। किसी चित्रकार ने समय का चित्र बनाते समय उसके माथे पर बालों का गुच्छा बनाया था और पीछे से उसका सिर गंजा दिखाया था। इस चित्र का आशय यही है कि समय को सामने से आते हुए पकड़ो नहीं तो उसके गुजर जाने पर हाथ उसके गंजे सिर पर ही पड़ेगा। समय को जिसने धन मान लिया, समझ लिया वही जीवन में सफल है। भौतिक धन तो आज है कल नहीं भी हो सकता। अतः समय को ही धन समझना चाहिए।

(ग) सप्रसंग व्याख्या करें:

1. मेरा तो यह भी अनुभव है कि जो लोग सचमुच बड़े हैं और बहुत व्यस्त रहते हैं उनका पत्र व्यवहार भी बहुत व्यवस्थित रहता है।
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमन्नारायण द्वारा लिखित निबन्ध ‘समय नहीं मिला’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत निबन्ध में लेखक ने समय के सदुपयोग के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या:
लेखक बड़े आदमियों की व्यस्तता के कारण उनके पत्रोत्तर में देरी को उचित मानते हुए कहते हैं कि उसका यह अनुभव है जो लोग सचमुच बड़े हैं और व्यस्त रहते हैं उनका पत्र व्यवहार अर्थात् पत्रोत्तर देने का स्वभाव अत्यन्त ठीक हालत में रहता है।

विशेष:

  1. लेखक कहना चाहते हैं कि बड़े लोगों का जीवन क्योंकि नियमित रहता है इसलिए उनका पत्रोत्तर भी निहायत व्यवस्थित रहता है। इसी कारण वे बड़े लोग कहलाते हैं।
  2. भाषा तत्सम प्रधान तथा शैली आत्मकथात्मक है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 18 श्रीमन्नारायण

2. धन की दुनिया में अमीर-गरीब, बादशाह-कंगाल का फर्क है। पर खुशकिस्मती से समय के साम्राज्य में ऊँच-नीच का भेदभाव नहीं है। वक्त के निज़ाम में सब बराबर हैं, उसमें आदर्श लोकतंत्र है।
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमन्नारायण द्वारा लिखित निबन्ध ‘समय नहीं मिला’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक धन और समय की तुलना करता हुआ समय को आदर्श लोकतन्त्र के समान बता रहा है।

व्याख्या:
लेखक समय ही धन की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि धन तो घटता-बढ़ता रहता है किन्तु समय को घटाया-बढ़ाया नहीं जा सकता। दूसरे धन की दुनिया में किसी के पास अधिक धन है तो वह अमीर है, बादशाह है और किसी के पास धन कम है तो वह ग़रीब या कंगाल है किन्तु खुशकिस्मती से समय के साम्राज्य में ऊँच-नीच का छोटे-बड़े का भेदभाव नहीं है। समय के सम्मुख सभी बराबर हैं। उसमें आदर्श लोकतन्त्र है जिसमें सबको बराबर के अधिकार हैं। समय सबके लिए एक जैसा होता है, कोई उसकी उपयोगिता को समझ लेता है तो कोई नहीं।

विशेष:

  1. समय सब के लिए बराबर अवसर प्रदान करता है। वह भेदभाव नहीं करता।
  2. भाषा भावपूर्ण तथा शैली उद्बोधनात्मक है।

PSEB 12th Class Hindi Guide समय नहीं मिला Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘समय नहीं मिला’ किस के द्वारा रचित निबंध है?
उत्तर:
श्री मन्नारायण।

प्रश्न 2.
श्री मन्नारायण का जन्म कहाँ और कब हुआ था?
उत्तर:
इटावा में सन् 1912 ई० में।

प्रश्न 3.
श्री मन्नारायण ने किन-किन पत्रिकाओं का संपादन कार्य किया था?
उत्तर:

  1. सबकी बोली
  2. राष्ट्र भाषा प्रचार।

प्रश्न 4.
श्री मन्नारायण किसकी विचारधारा से प्रभावित थे?
उत्तर:
गांधी जी की विचारधारा से।

प्रश्न 5.
श्री मन्नारायण जी के द्वारा रचित तीन रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
रोटी का राग, मानव, सेवांग।

प्रश्न 6.
‘समय नहीं मिला’ निबंध का मूलभाव क्या है ?
उत्तर:
समय का सदुपयोग।

प्रश्न 7.
लेखक की शैली में किस तत्व की प्रधानता है?
उत्तर:
व्यंग्यात्मकता।

प्रश्न 8.
किस ने कहा था कि यदि भोजन करने का समय हो सकता है तो धार्मिक पुस्तकें पढ़ने का भी समय मिल सकता है?
उत्तर:
अंग्रेजी साहित्यकार डॉ० जॉनसन ने।

प्रश्न 9.
लेखक ने किस कहावत की व्याख्या की थी?
उत्तर:
‘समय ही धन’।

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प्रश्न 10.
लेखक ने अपने निबंध में किसे बधाई दी है ?
उत्तर:
उन लोगों को जो समय को बर्बाद नहीं करते और समय का पूरा लाभ उठाते हैं।

प्रश्न 11.
लेखक ने कभी भी न कहने के लिए क्या कहा था?
उत्तर:
‘समय नहीं मिलता।

प्रश्न 12.
किन देशों में सभाएँ सदा समय पर ही होती हैं ?
उत्तर:
इंग्लैंड और यूरोप के अन्य देशों में।

प्रश्न 13.
विदेशों में लोग समय कैसे बर्बाद करते हैं ?
उत्तर:
सिनेमा, थियेटर और मैच देखकर।

प्रश्न 14.
लेखक ने ‘समय नहीं मिलता’ में क्या संदेश दिया है?
उत्तर:
सदा समय का महत्त्व समझो और कभी झूठे बहाने न बनाओ।

प्रश्न 15.
‘समय बचाने’ के लिए लेखक ने क्या सुझाव दिया है ?
उत्तर:
सुबह जल्दी उठने से काफी समय बचाया जा सकता है।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 16.
……अमीर ग़रीब, बादशाह-कंगाल का फर्क है।
उत्तर:
धन की दुनिया में।

प्रश्न 17.
………………में सब बराबर है।
उत्तर:
वक्त के निज़ाम।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 18.
लेखक का मानना है कि अधिक व्यस्त लोगों का पत्र व्यवहार अधिक व्यवस्थित होता है?
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 19.
समय के साम्राज्य में ऊंच-नीच का भेदभाव नहीं है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 20.
समय ही धन है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 21.
विदेशों में लोगों के द्वारा समय अधिक खराब किया जाता है।
उत्तर:
नहीं।

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प्रश्न 22.
लेखक ने निबंध में व्यंग्य का सहारा नहीं लिया है।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 23.
समय ही धन है।
उत्तर:
हाँ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. सब की बोली तथा राष्ट्र भाषा प्रचार पत्रिकाओं के संपादक कौन थे ?
(क) श्री मन्नारायण
(ख) श्रीमान नारंग
(ग) श्री प्रफुल्ल पटेल
(घ) श्री हंस।
उत्तर:
उत्तर:

2. ‘समय नहीं मिला’ रचना की विद्या क्या है ?
(क) कहानी
(ख) उपन्यास
(ग) निबंध
(घ) संस्मरण।
उत्तर:
(ग) निबंध

3. ‘समय नहीं मिला’ कैसी रचना है ?
(क) व्यंग्यात्मक
(ख) विचारात्मक
(ग) विवेचनात्मक
(घ) आत्म कथात्मक।
उत्तर:
(क) व्यंग्यात्मक

4. लेखक के अनुसार सबसे बड़ा धन क्या है ?
(क) पैसा
(ख) समय
(ग) धन
(घ) सोना
उत्तर:
(ख) समय

5. समय नहीं मिला निबंध का मूलभाव है
(क) समय का सदुपयोग
(ख) समय की मांग
(ग) धन का उपयोग
(घ) धन की मांग
उत्तर:
(क) समय का सदुपयोग

कठिन शब्दों के अर्थ

मशगूल = व्यस्त। यथा समय = निश्चित समय पर। बेशुमार = अनगिनत। व्यवस्थित = ठीक हालत में। अस्त-व्यस्त = बिखरा हुआ। ख्याल = विचार। अक्सर = प्रायः । दिलासा = तसल्ली। इन्तजाम = प्रबन्ध। अहम = महत्त्वपूर्ण । कुदरत = प्रकृति । ज्वारभाटा = समुद्री तूफान । निज़ाम = बन्दोबस्त, प्रबन्ध। शरीक = शामिल। लालसा = इच्छा। तितर-बितर हो जाना = इधर-उधर बिखर जाना। हताश = निराश। बदकिस्मती = दुर्भाग्य। इक्के-दुक्के = कोई-कोई, कम संख्या में। अपवाद = नियमों के उल्लंघन करने का उदाहरण। मुकर्रर = निश्चित किया हुआ। जाहिर करना = प्रकट करना। संयोजक = सभा या मीटिंग का आयोजन करने वाला। अमुक = फलां, कोई खास । लतीफ़ा = चुटकला, हंसी की बात। हमदर्दी = सहानुभूति। मुमकिन = सम्भव, जो हो सके। प्रतिनिधि = नुमाइंदा। मुबारकबाद = बधाई। स्फूर्ति = ताज़गी। खुश मिजाज = हंसमुख।

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समय नहीं मिला Summary

समय नहीं मिला जीवन परिचय

श्रीमन्नारायण जी का जीवन-परिचय लिखिए।

श्रीमन्नारायण का जन्म सन् 1912 में इटावा में हुआ था। एम०ए० करने के बाद आप ‘सबकी बोली’ तथा ‘राष्ट्र भाषा प्रचार’ पत्रिकाओं के सम्पादक रहे। बाद में आप राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के महामन्त्री भी रहे। आप . गाँधीवादी विचारधारा से विशेष रूप से प्रभावित रहे। कांग्रेस के आन्दोलनों में आप शुरू से ही सक्रिय भाग लेते रहे। इनकी प्रमुख रचनाएँ-रोटी का राग, मानव, सेवांग का सन्त हैं। दैनिक जीवन से जुड़ी अनेक घटनाओं पर आप ने बहुत से छोटे-छोटे शिक्षाप्रद निबन्ध भी लिखे हैं।

समय नहीं मिला निबन्ध का सार

‘समय नहीं मिला’ निबन्ध का सार लगभग 150 शब्दों में लिखो।

प्रस्तुत निबन्ध में लेखक ने समय के सदुपयोग के महत्त्व पर प्रकाश डाला है। लेखक ने बड़े ही व्यंग्यात्मक ढंग से उन लोगों पर प्रहार किया है जो समय नहीं मिला का बहाना बनाते हैं कि ‘मुझे आपका काम तो याद है पर क्या करूँ बिल्कुल समय ही नहीं मिला’ कुछ इसी तरह का बहाना लोग पत्रोत्तर देने में करते हैं। लेखक ने उदाहरण देते हुए बताया कि एक व्यक्ति ने प्रसिद्ध अंग्रेजी के साहित्यकार डॉ० जानसन से जाकर कहा कि उसे धार्मिक पुस्तकें पढने का समय नहीं मिलता। साहित्यकार ने समझाया कि यदि भोजन करने का समय हो सकता है तो धार्मिक पुस्तकें पढ़ने का भी समय मिल सकता है।

लेखक ने ‘समय ही धन’ कहावत की व्याख्या करते हुए बताया है कि हम पैसा तो जितनी मेहनत करें कमा सकते हैं किन्तु समय को घटा या बढ़ा नहीं सकते। समय का प्रबंध सबके लिए बराबर है किन्तु फिर भी हम उसके महत्त्व को नहीं समझते। हम काम के घण्टे कम करने का शोर मचाते हैं पर यह नहीं सोचते कि खाली समय में लोग करेंगे क्या। क्या वे अपना समय सिनेमा का टिकट पाने के लिए बर्बाद न करेंगे।

लेखक उन लोगों को बधाई देता है जो समय का पूरा लाभ उठाकर एक मिनट भी बर्बाद नहीं करते। लेखक की सलाह है खुशमिजाज रहकर अपने समय का जितना अच्छा उपयोग कर सकें, उतनी ही आपकी प्रशंसा है। किन्तु आज से यह किसी से न कहें कि समय नहीं मिला।

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