Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 21 मधुआ Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 21 मधुआ
Hindi Guide for Class 12 PSEB मधुआ Textbook Questions and Answers
(क) लगभग 60 शब्दों में उत्तर दें:
प्रश्न 1.
‘मधुआ’ कहानी में लेखक ने एक बालक द्वारा शराबी के हृदय परिवर्तन का सुन्दर चित्रांकन किया है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
मधुआ कहानी में लेखक ने बालक मधुआ के रोने-सिसकने की आवाज़ सुनकर एक शराबी के हृदय में उस बालक के प्रति संवेदना, सहानुभूति जागृत होने की बात कहकर एक शराबी, आलसी, निकम्मे व्यक्ति का हृदय परिवर्तन दिखाया है। बालक की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर आने के कारण वह फिर से कर्मठ बन जाता है और अपने पुराने धन्धे सान धरने का काम करना शुरू कर देता है। इसके लिए वह शराब पीने से तौबा भी कर लेता है।
प्रश्न 2.
‘मधुआ’ कहानी का नामकरण कहाँ तक सार्थक है ?
उत्तर:
कहानी का शीर्षक उसके मूलभाव, मूल संवेदना, मार्मिक घटना आदि का परिचायक होता है। इसी कारण शीर्षक कहानी का सम्पूर्ण अंशों में प्रतिनिधित्व करता है। ‘मधुआ’ कहानी का शीर्षक सरल, सुबोध, संक्षिप्त एवं आकर्षक है। जो उस बालक से सम्बद्ध होने के कारण और भी कुतूहलपूर्ण एवं रोचक है, जिसने एक शराबी के जीवन को कर्मण्यता की ओर प्रेरित करके उसे नया जीवन प्रदान किया। इसलिए प्रस्तुत कहानी का नामकरण अत्यन्त सार्थक एवं सोद्देश्य है।
प्रश्न 3.
मधुआ कहानी द्वारा लेखक ने मद्यपान के कुप्रभावों को सामने रखते हुए दायित्व और स्नेह द्वारा इस समस्या का अनूठा समाधान ढूँढ़ा है-आपके इस विषय में क्या विचार हैं ?
उत्तर:
हमारा विचार है कि मानवीय मनोविज्ञान का एक सत्य यह भी है कि जब व्यक्ति पर कोई दायित्व आ जाता है, तब उसके भीतर से एक ऐसी प्रेरणा प्रस्फुटित होती है, जो उसके जीवन की दिशा को बदल देती है। शराब पीने की लत से निष्क्रिय बने शराबी पर जब मधुआ की ज़िम्मेदारी आ पड़ती है तो उसे शराब छोड़कर फिर से काम धन्धे पर लग जाना पड़ता है। वह फिर से घरवारी बन जाता है।
(ख) लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें:
प्रश्न 4.
मधुआ कहानी के आधार पर मधुआ का चरित्र चित्रण करें।
उत्तर:
मधुआ ठाकुर सरदार सिंह के बेटे के बंगले पर लखनऊ में नौकरी करता है। वह कुंवर साहब का ओवर कोट उठाए दिनभर खेल में उनके साथ रहा करता था। एक दिन ऐसा संयोग हुआ कि खेल से जब कुंवर साहब सात बजे लौटे तो उसे घर का कुछ और काम भी करना पड़ा। काम करते हुए उसे रात के नौ बज गए। आटा वह रख नहीं सका था इसलिए रोटी न बना सका। सारा दिन भूखा रहने की शिकायत करने जब वह कुंवर साहब के नौकर के पास गया तो नौकर ने उसे इतनी डाँट पिलाई कि उसकी आँखों में आँसू छलक आए।
मधुआ को रोता हुआ देखकर शराबी के दिल में उसके प्रति हमदर्दी जागी, वह उसे साथ लेकर फाटक के बाहर चला आया। रात के दस बजे थे। कड़ाके की सर्दी थी। दोनों चुपचाप चलने लगे। शराबी ने मधुआ के फिर से सिसकने की आवाज़ सुनी। पूछने पर मधुआ ने बताया कि वह दिनभर का भूखा है। यह सुनकर शराबी उसे अपनी कोठरी में बिठाकर पूरे एक रुपए की मिठाई, पूरी आदि लेकर वापिस आया। गले में तरावट आते ही मधुआ हँसने लगा। दूसरे दिन सवेरे शराबी ने मधुआ की सुन्दर और कोमल काया से प्रभावित होकर कर्मठ बनने की बात सोची। मधुआ दूसरे दिन से शराबी के साथ सान धरने की मशीन पर काम करने लगा। उसने शराबी को यह बताया कि उसका इस दुनिया में कोई नहीं है।
प्रश्न 5.
‘मधुआ’ कहानी के आधार पर शराबी का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर:
‘मधुआ’ कहानी का शीर्षक भले ही एक बालक के नाम पर दिया गया है किन्तु इस कहानी का केन्द्रीय पात्र शराबी है। शराबी को शराब पीने की लत है। उसकी सारी माया, ममता शराब की बोतल पर ही टिकी है। इस शराब की लत के कारण ही उसने सान धरने का धन्धा भी छोड़ रखा है। अब तो वह रईसजादों को कहानियाँ सुनाकर उनसे मिलने वाले पैसों से शराब पीता है। एक दिन सात दिनों तक चने चबाने पर गुज़ारा करके भरपेट पीने की आस लेकर ठाकुर सरदार सिंह के पास पहुँचा। ठाकुर के यह कहने पर कि सात दिन भूखा रहकर आज तुम्हें पीने की बात क्यों सूझी है। इस पर शराबी ने अपना जीवन दर्शन बताते हुए कहा-‘सरदार ! मौज बहार की एक घड़ी, एक लम्बे दुःखपूर्ण जीवन से अच्छी है। उसकी खुमारी में रूखे दिन काट लिए जा सकते हैं। शराबी एक संवेदनशील हृदय रखने वाला व्यक्ति है। तभी तो उसकी कहानियों में दुखियों की दर्द भरी आहे, रंग महलों में घुट-घुट कर मरने वाली बेगमों की पीड़ा छिपी होती है। वह उसी दर्द को भूलाने के लिए शराब पीने की बात भी कहता है।
शराबी का हृदय मानवीय गुणों से भरपूर है। जब वह मधुआ को डाँट खाकर रोते हुए देखता है तो वह केवल उसके आँसू नहीं पोंछता, दुलार से उसे अपने साथ लेकर फाटक के बाहर आ जाता है। जब उसे पता लगता है कि बालक मधुआ सारे दिन का भूखा है तो वह ठाकुर साहब से मिले एक रुपए की पूरियाँ, मिठाई खरीद लाता है हालाँकि बाज़ार में जाकर कुछ देर के लिए उसकी नीयत डोलती है किन्तु उसके अन्दर का जागा हुआ इन्सान उसे पूरे एक रुपए का सामान लेकर मधुआ के पास आने पर विवश कर देता है। – शराबी उसी बालक के लिए घरबारी बनने को तैयार हो जाता है। वह ममत्व से उत्पन्न ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए पुनः कार्य आरम्भ कर देता है।
प्रश्न 6.
‘मधुआ’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट करें।
उत्तर:
‘मधुआ’ प्रसाद जी की एक मनोवैज्ञानिक कहानी है। इस कहानी में प्रसाद जी ने यह कहना चाहा है कि प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में दया, ममता, सहानुभूति आदि के गुण मौजूद रहते हैं, जो समय आने पर या उचित परिस्थितियाँ मिलने पर व्यक्ति में यह गुण जागृत हो जाते हैं। यही कहानीकार का उद्देश्य है। कहानी का चरित्र नायक एक शराबी और गैर-ज़िम्मेदार आदमी है। पर कुंवर साहब के अत्याचार से पीड़ित एक बालक के आँसू उससे वह करवा लेते हैं जो भूख नहीं करवा सकी थी। प्रसाद जी ने शराबी को एक संवेदनशील हृदय रखने वाला व्यक्ति दिखाकर ही उसे निष्क्रिय से कर्मठ इन्सान बनता दिखाता है। ठाकुर सरदार सिंह को जो कहानियाँ शराबी सुनाता है वह दुःख-दर्द से भरी होती हैं, जो शराबी को शराब पीने पर विवश भी करती हैं। नहीं तो शराबी के अनुसार इस बुरी बला को कौन अपने गले लगाता।
प्रसाद जी का उद्देश्य एक साथ एक व्यक्ति में दया, ममता, सहानुभूति आदि गुणों के उजागर होने की बात सिद्ध करना है। शराबी का हृदय रोते हुए मधुआ को देखकर पसीज उठता है। वह बड़े दुलार के साथ उसे अपने साथ ले आता है। शराबी की इस मौन सहानुभूति को बालक ने स्वीकार कर लिया। जब शराबी को यह पता चलता है कि बालक मधुआ दिनभर का भूखा है तो वह मानसिक द्वन्द्व पर विजय पाकर मधुआ के लिए पूरे एक रुपए की पूरी मिठाई खरीद लाता है। मानसिक द्वन्द्व में पड़ा शराबी फिर से घरबारी बनने को तैयार हो जाता है क्योंकि अब उसके ऊपर मधुआ की ज़िम्मेदारी आ गई थी। इस तरह परिस्थितियों ने एक निष्क्रिय व्यक्ति को एक कर्मठ, कर्त्तव्यनिष्ठ एवं त्यागपूर्ण जीवन व्यतीत करने वाला व्यक्ति बना दिया। यही प्रसाद जी का उद्देश्य है जिसमें वे पूर्ण रूप से सफल हुए हैं।
प्रश्न 7.
मधुआ कहानी के माध्यम से प्रसाद जी ने समाज की कई समस्याओं का समाधान किया है-आपके विचार में वे समस्याएँ क्या हैं और लेखक ने उन्हें कैसे हल किया है ?
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी में सबसे पहली समस्या जिसे प्रसाद जी ने पाठकों के सम्मुख रखा है वह है शराब पीने की समस्या। शराब पीने की लत लग जाने पर व्यक्ति किस प्रकार निष्क्रिय हो जाता है कि सान धरने की कला में निपुण शराबी भी अपनी कला को भूल बैठता है। वह शराब पीने के लिए सात दिनों तक चने चबाने पर गुजारा करता है। उसका तर्क यह है कि मौज़ बहार की एक घड़ी, एक लम्बे दु:ख पूर्ण जीवन से अच्छी है, उसकी खुमारी में रूखे दिन काट लिए जा सकते हैं। प्रसाद जी ने एक शराबी को कर्मठ कर्त्तव्य परायण व्यक्ति में बदलने के लिए उसमें मानवीय गुणों का जागना दिखाकर इस समस्या का समाधान प्रस्तुत किया है।
प्रसाद जी ने समाज में व्याप्त दूसरी समस्या जिसकी ओर इशारा किया है वह है अमीर लोगों द्वारा अपने भोले-भाले नौकरों पर अत्याचार करने की प्रवृत्ति। मधुआ कुंवर साहब के यहाँ खेल के मसय उनका ओवर कोट उठाने की नौकरी करता है। सारा-सारा दिन वह उनका ओवर कोट उठाए कुंवर साहब के साथ बना रहता है, किन्तु न तो कुंवर साहब को तथा न ही उनके किसी दूसरे नौकर को इस बात का ध्यान आता है कि बालक सारे दिन का भूखा है। मधुआ जब इस बात की शिकायत कुंवर साहब के नौकर से करता है तो उसे डाँट खानी पड़ती है। विपरीत इसके शराबी, मधुआ को वह सब कुछ खिलाता है जो वह खिला सकता था। प्रसाद जी ने इस समस्या का समाधान संकेत रूप में यह दिया है कि ऐसी नौकरी करने की अपेक्षा कोई छोटा-मोटा काम-धन्धा करना बेहतर रहेगा क्योंकि इससे किसी दूसरे की गुलामी तो न सहनी पड़ेगी।
(ग) सप्रसंग व्याख्या करें:
1. ‘मौज बहार की एक घड़ी, एक लम्बे दुःखपूर्ण जीवन से अच्छी है। उसकी खुमारी में रूखे दिन काट लिए जा सकते हैं।’
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित कहानी ‘मधुआ’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियाँ शराबी ने ठाकुर सरदार सिंह को उस समय कही हैं जब ठाकुर साहब उससे पूछते हैं कि सात दिन तक चने चबाने पर गुजारा करने के बाद अच्छा भोजन करने की बजाए वह पेट भर पीना क्यों चाहता है ?
व्याख्या:
शराबी जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए कहता है कि एक लम्बे दुःखपूर्ण जीवन से सुख की एक घड़ी अच्छी है। उसके कहने का भाव यह है कि उस लम्बे जीवन से क्या फायदा जिसमें दुःख-दर्द, मुसीबतें और चिन्ताएँ हों। इसके विपरीत हर्षोल्लास का एक दिन श्रेष्ठ है। उस एक क्षण की मस्ती में जीवन के दुःख भरे दिन काटे जा सकते हैं।
विशेष:
- शराबी अपने जीवन दर्शन को स्पष्ट कर रहा है। शराब पीने को वह दुःखों को भुलाने का साधन मानता है। साथ ही वह यह भी कहना चाहता है कि सुखद क्षणों के लिए दुःख भरे दिन काटे जा सकते हैं।
- भाषा काव्यात्मक, सहज तथा भावानुरूप है।
2. “सोचा था, आज सात दिन पर भर भेट पीकर सोऊंगा, लेकिन वह छोटा-सा रोना पाजी न जाने से आ धमका।”
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी कहानी ‘मधुआं’ में से ली गई हैं। जब शराबी भोले-भाले बालक मधुआ को अपनी कोठरी में ले आता है तो बालक को दिनभर का भूखा जानकर उसके लिए पूरे एक रुपए की मिठाई-पूरी लाकर खिलाता है। मधुआ तो खा-पीकर सो जाता है किन्तु शराबी सोने की कोशिश करता हुआ प्रस्तुत पंक्तियाँ सोचता है।
व्याख्या:
शराबी अपने बदले हुए हालात पर विचार करता हुआ कहता है कि सात दिन तक शराब न पीने के बाद आज ठाकुर सरदार सिंह से मिलने वाले एक रुपए की शराब खरीद कर भर पेट पीकर सो जाता लेकिन यह छोटा-सा रोता हुआ पाजी बालक न जाने बीच में कहाँ से आ धमका।
विशेष:
- शराबी के मानसिक द्वन्द्व की ओर संकेत किया गया है।
- भाषा सहज, सरल तथा प्रसंगानुकूल है।
3. “बैठे बिठाये यह हत्या कहाँ से लगी। अब तो शराब न पीने की मुझे भी सौगन्ध लेनी पड़ेगी।”
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित कहानी ‘मधुआ’ में से ली गई हैं। जब मधुआ की ज़िम्मेदारी सिर पर आ पड़ने से शराबी अपना पुराना धन्धा सान धरने का काम शुरू करना चाहता है तो मधुआ के इस दृढ़ निश्चय को कि वह अब ठाकुर की नौकरी न कर सकेगा शराबी प्रस्तुत पंक्तियाँ मन ही मन सोचता है।
व्याख्या:
मधुआ के इस निर्णय को जानकर कि वह अब उसी के साथ रहना चाहता है शराबी मन ही मन सोचने लगा-बैठे बिठाए हत्या कहाँ से लगी। शराबी के कहने का तात्पर्य उसके अन्दर का शराबी मर गया था। इसलिए उसने सोचा अब तो शराब नहीं पीने की उसे सौगन्ध लेनी ही पड़ेगी।
विशेष:
- मधुआ के कारण शराबी की शराब पीने की लत समाप्त हो जाती है।
- भाषा सहज, भावपूर्ण तथा प्रवाहमयी है।
PSEB 12th Class Hindi Guide मधुआ Additional Questions and Answers
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जयशंकर प्रसाद का जन्म कहाँ और कब हुआ था ?
उत्तर:
जयशंकर प्रसाद का जन्म वाराणसी में सन् 1889 ई० में हुआ था।
प्रश्न 2.
प्रसाद जी ने किस कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की थी?
उत्तर:
प्रसाद जी ने केवल आठवीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की थी।
प्रश्न 3.
प्रसाद जी ने अपने घर में रह कर किन-किन भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया था?
उत्तर:
प्रसाद जी ने अपने घर में रहकर संस्कृत, हिंदी, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया था।
प्रश्न 4.
प्रसाद जी की पहली कविता कब और कहाँ छपी थी?
उत्तर:
सन् 1911 ई० में ‘इन्दु’ नामक पत्रिका में।
प्रश्न 5.
प्रसाद जी के द्वारा रचित उपन्यासों के नाम लिखिए।
उत्तर:
तितली, कंकाल और इरावती।
प्रश्न 6.
प्रसाद जी के द्वारा रचित कहानी संग्रहों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रसाद जी के पाँच कहानी संग्रह हैं-आकाशदीप, आंधी, प्रतिध्वनि, छाया और इंद्रजाल।
प्रश्न 7.
प्रसाद जी ने कितने नाटक लिखे थे?
उत्तर:
लगभग एक दर्जन।
प्रश्न 8.
प्रसाद जी की कौन-सी रचना उनकी ख्याति की आधार है?
उत्तर:
कामायनी (महाकाव्य)।
प्रश्न 9. ‘मधुआ’ किस प्रकार की कहानी है?
उत्तर:
मनोवैज्ञानिक कहानी।
प्रश्न 10.
कहानी सुनने का चस्का किसे था?
उत्तर:
ठाकुर सरदार सिंह को।
प्रश्न 11.
ठाकुर ने शराबी को कहानी सुनाने के लिए कितने पैसे दिए थे?
उत्तर:
एक रुपया।
प्रश्न 12.
उस लड़के का नाम क्या था? जो शराबी को मिला था।
उत्तर:
मधुआ।
प्रश्न 13.
मधुआ क्यों रो रहा था?
उत्तर:
मधुआ भूख के कारण रो रहा था।
प्रश्न 14.
शराबी ने एक रुपया क्या खरीदने में खर्च कर दिया था?
उत्तर:
मिठाई, पूरी और नमकीन खरीदने पर।
प्रश्न 15.
शराबी ने किस काम को करना पुनः आरंभ कर दिया था?
उत्तर:
सान धरने का कार्य।
वाक्य पूरे कीजिए
प्रश्न 16.
उसकी खुमारी में…………
उत्तर:
रूखे दिन काट लिए जा सकते हैं।
प्रश्न 17.
……………सौगंध लेनी पड़ेगी।
उत्तर:
अब तो शराब न पीने की।
प्रश्न 18.
बैठे बिठाये यह हत्या………………
उत्तर:
कहाँ से लगी।
हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए
प्रश्न 19.
ठाकुर का नाम सरदार सिंह था।
उत्तर:
हाँ।
प्रश्न 20.
‘मधुआ’ मनोवैज्ञानिक कहानी है।
उत्तर:
हाँ।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. जयशंकर प्रसाद की कीर्ति का आलोक स्तंभ कौन सा महाकाव्य है ?
(क) कामायनी
(ख) लहर
(ग) झरना
(घ) आँसू।
उत्तर:
(क) कामायनी
2. लेखक के कितने कहानी संग्रह हैं ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर:
(घ) पाँच
3. मधुआ किस विद्या की रचना है ?
(क) कहानी
(ख) निबंध
(ग) उपन्यास
(घ) रेखाचित्र
उत्तर:
(क) कहानी
4. मधुआ कैसी कहानी है ?
(क) व्यंग्यात्मक
(ख) मनोवैज्ञानिक
(ग) विचारात्मक
(घ) विवेचनात्मक
उत्तर:
(ख) मनोवैज्ञानिक
5. ठाकुर सरदार सिंह को क्या सुनने का शौक था ?
(क) कहानी
(ख) भाषण
(ग) कविता
(घ) व्यंग्य
उत्तर:
(क) कहानी
कठिन शब्दों के अर्थ
महक = बदबू। खुमारी = मस्ती, नशा। दिल्लगी = हंसी-मज़ाक । कंगाल = गरीब। सुकुमार = कोमल। कर्कश = कठोर, तीव्र । ढेबरी = दीया जलाने वाली टीन की डिबिया। गढ़ा भरना = पेट भरना। आलोक = प्रकाश, रोशनी। दारिद्रय = गरीबी। नियति = भाग्य। इन्द्रजाल = जादू। सान धरने की कल = चाकू, छुरी तेज़ करने की मशीन।
मधुआ Summary
मधुआ जीवन परिचय
जयशंकर प्रसाद का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
जयशंकर प्रसाद का जन्म सन् 1889 ई० में वाराणसी के एक धनी वैश्य परिवार में हुआ। इन्होंने स्कूल में केवल आठवीं तक ही शिक्षा पाई थी, तत्पश्चात् घर पर ही संस्कृत हिन्दी, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। इनकी सर्वप्रथम कहानी ‘गाय’ सन् 1911 में ‘इन्दु’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई। आकाशदीप, आँधी, प्रतिध्वनि, छाया
और इन्द्रजाल इनके पाँच कहानी संग्रह हैं। तितली, कंकाल और इरावती इनके उपन्यास हैं। इन्होंने लगभग दर्जन-भर नाटक भी लिखे हैं, जिनमें चन्द्रगुप्त, स्कन्धगुप्त अजातशत्रु और ध्रुवस्वामिनी प्रमुख हैं। ‘कामायनी’ महाकाव्य इनकी कीर्ति का आलोक स्तम्भ है। सन् 1937 ई० में इनका निधन हो गया था।
मधुआ कहानी का सार
प्रस्तुत कहानी में एक गरीब व्यक्ति के चारित्रिक विकास के माध्यम से सामाजिक विषमताओं और अन्यायों का चित्र खींचा गया है। यह एक मनोवैज्ञानिक कहानी है जिसमें एक कोमल, सुन्दर किन्तु पीड़ित बालक के दुःख से भरे जीवन से प्रभावित होकर एक निष्क्रिय शराबी भी कर्मठ बन जाता है। ठाकुर सरदार सिंह को कहानी सुनने का चस्का था। एक शराबी उन्हें तरह-तरह की कहानियाँ सुनाकर बदले में शराब के लिए पैसे लेता है। एक दिन शराबी ठाकुर साहब के पास कहानी सुनाने पहुँचता है और कहता है कि आज उसे सात दिन से ऊपर हो गए हैं, एक बूंद भी गले में नहीं उतरी। कहानी सुनाने से पहले ही ठाकुर साहब को नींद सताने लगी। उन्होंने उसे एक रुपया देकर अपने नौकर लल्लू को भेजने का आदेश देकर उसे विदा किया।
शराबी लल्लू को ढूँढ़ता हुआ जब उसकी कोठरी के पास पहुँचा तो उसने अन्दर से एक बालक के सिसकने का शब्द सुना। लल्लू उस बालक को डाँट रहा था। जब उसकी डाँट खाकर बालक बाहर निकला तो उसकी आँखों में आँसू देखकर शराबी ने उसे बड़े दुलार से उसकी आँखें पोंछते हुए उसे साथ लेकर फाटक के बाहर चला आया। बालक को पुनः रोता देख जब शराबी ने उसके रोने का कारण पूछा तो उसने बताया कि वह दिन भर से भूखा है। मार तो वह रोज ही खाता है लेकिन आज खाना भी नहीं मिला।
बालक की बात सुनकर शराबी उसे अपनी गन्दी कोठरी में ले गया और उसे वहाँ बैठाकर स्वयं उसके लिए कुछ लेने के लिए चला गया। शराबी की जेब में एक रुपया था, वह शराब पीना चाहता था किन्तु न जाने किस दैवीय शक्ति के कारण उसने पूरे एक रुपए की मिठाई, पूरी और नमकीन खरीदी और बालक को खाने के लिए दी। इसे खाकर बालक मुस्कुराने लगा। . . . दूसरे दिन सवेरे उठकर शराबी ने अपनी कोठरी में बिखरी हुई दरिद्रता को देखा और उसने बालक मधुआ के लिए फिर से गृहस्थी बनने की बात सोची और फिर से अपना पुराना सान धरने का धन्धा शुरू कर दिया। बालक भी उस की गठरी उठाकर उसके साथ चल पड़ा।