PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 23 ठेस

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 23 ठेस Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 23 ठेस

Hindi Guide for Class 12 PSEB ठेस Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 60 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 1.
‘ठेस’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर अपने विचार प्रकट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी का शीर्षक संक्षिप्त, सटीक और सार्थक है। सिरचन एक ग्रामीण कलाकार है, भले ही लोग उसे मुफ्तखोर, कामचोर या चटारे कहते हैं, किंतु वह अपनी कला में माहिर है। सिरचन एक स्वाभिमानी व्यक्ति है। चाची की जली-कटी सुनकर उसके स्वाभिमान को ठेस पहुँचती है। वह नई धोती का मोह त्याग कर अधूरा काम छोड़ कर लौट आता है। वह कलाकार का, कला का अपमान नहीं सहन कर सकता। लेखक भी मानता है कि कलाकार के दिल में ठेस लगी है।

प्रश्न 2.
ठेस कहानी के आधार पर सिरचन का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर:
सिरचन एक ग्रामीण कलाकार है। चिक, शीतलपाटी, कुशासन आदि बनाने में माहिर। उसकी कला के कारण ही बड़े-बड़े लोग उसकी खुशामद करते हैं। सिरचन को गाँव वाले मुफ्तखोर, कामचोर और चटोर समझते हैं, किंतु वह कामचोर नहीं मुँहजोर अवश्य है। वह ठीक से सेवा न होने पर उच्चजाति वालों को भी बेइज्जत करने से नहीं झिझकता। सिरचन बड़ा स्वाभिमानी है, लेखक की चाची से सुगन्धित जर्दा माँगने पर जली-कटी सुनकर उसके हृदय को ठेस लगती है और वह काम छोड़कर चला जाता है। किन्तु अपनी कोमल हृदयता और आत्मीयता का परिचय देते हुए मानू को स्टेशन पर शीतपाटियाँ, चिकें और कुशासन देने पहुँच जाता है बदले में वह किसी प्रकार का प्रतिदान भी स्वीकार नहीं करता।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 23 फणीश्वरनाथ 'रेणु'

प्रश्न 3.
सिरचन किस बात से नाराज़ होकर काम छोड़कर चला जाता है ?
उत्तर:
एक दिन सिरचन लेखक की बहन के लिए शीतलपाटी और चिक बना रहा था कि एक दिन मानू ने उसे पान का बीड़ा दिया। पान खाते समय सिरचन ने चाची से गमकौआ जर्दा माँग लिया। इस पर चाची भड़क उठी। उसने सिरचन को भला-बुरा कहा। यह सुनकर सिरचन के हृदय को ठेस लगी। वह अधूरा काम छोड़ अपनी छुरी, हँसिया उठाकर वहाँ से चला गया।

प्रश्न 4.
लेखक द्वारा मनाने पर भी न आने वाला सिरचन स्वयं ही मानू के लिए स्टेशन पर शीतलपाटी, चिक और एक जोड़ी आसनी कुश को क्यों पहुँचाता है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
कामचोर, चटोरा तथा मुँहजोर कहलाने वाला सिरचन एक कलाकार था; कोमल हृदय वाला कलाकार। अपनी कला का अपमान होते देख उसके हृदय को ठेस लगती है पर मानू के प्रति उसके हृदय में आत्मीयता का भाव भी है। वह काकी की सबसे छोटी बेटी थी और उसका दूल्हा अफसर। फिर मानू ने तो उसे ठेस नहीं पहुँचाई थी बल्कि उसने तो उसे पान का बीड़ा लाकर दिया था। इसलिए मानू से स्नेह होने के कारण वह उसके लिए शीतलपाटी आदि लेकर स्टेशन पहुँचा था। बदले में वह किसी प्रतिदान को भी स्वीकार नहीं करता।

(ख) लगभग 150 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 5.
‘ठेस’ कहानी का सार अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
देखिए पाठ के आरम्भ में दिया गया सार।

प्रश्न 6.
‘ठेस’ कहानी कलाकार की संवेदनशीलता की कहानी है, स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी में एक सच्चे कलाकार की कोमल भावनाओं और कारुणिक जीवन गाथा का मार्मिक चित्रण किया गया है। सिरचन एक कलाकार है। वह शीतलपाटी, चिक और कुशासन बनाने में माहिर है। बड़े-बड़े लोग उसकी खुशामद करते हैं, किन्तु वह चटोर है। एक बार तो उसने ब्राह्मण चौधरी के लड़के को कम परोसने पर बेइज्जत कर दिया था। सिरचन एक सच्चा कलाकार है। अपने काम के दौरान किसी की टोका-टाकी सहन नहीं कर सकता। सिरचन को लोग चटोर भी समझते थे। उसको बुलाने से पहले तली बघारी हुई तरकारी, दही की कढ़ी, मलाई वाले दूध का प्रबन्ध पहले से ही करना पड़ता था।

लेखक की सबसे छोटी बहन मानू पहली बार ससुराल जा रही थी। उसके दूल्हे ने चिक और शीतलपाटी भेजने की फरमाईश की थी। सिरचन के खाने-पीने का प्रबन्ध करके उसे काम पर बुलाया गया। सिरचन ने काम शुरू किया। लगता है कि बहुत बढ़िया वस्तुएँ बन रही हैं। इसी बीच मानू ने उसे पान दिया तो उसने चाची से सुगन्धित जर्दा माँग लिया जिस पर चाची ने उसे जली-कटी सुनाई। चाची की बातों से कलाकार सिरचन के हृदय को ठेस लगी। वह काम छोड़ कर चला गया। किन्तु मानू के ससुराल जाते समय शीतलपाटी, चिक और कुशासन सौंप कर अपनी संवदेनशीलता का परिचय दिया। उसने मोहर वाली धोती के दाम भी लेने से इनकार कर दिया।

(ग) सप्रसंग व्याख्या करें:

7. “बड़ी बात ही है बिटिया, बड़े लोगों की बस बात ही बड़ी होती है। नहीं तो दो-दो पटेर की पाटियों का काम सिर्फ खंसारी का सत्तू खिलाकर कोई करवाए भला ? यह तुम्हारी माँ ही कर सकती है।”
उत्तर:
प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ द्वारा लिखित कहानी ‘ठेस’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियाँ सिरचन ने महाजन टोले के भज्जू महाजन की बेटी को कही हैं जो सिरचन की किसी कड़ी बात पर तिलमिला कर कहती है कि इतनी बड़ी बात।

व्याख्या:
सिरचन ने भज्जू की बेटी से कहा कि बड़ी बात ही है बेटी। बड़े आदमियों की बस बातें ही बडी होती हैं अर्थात् उनके कर्म और व्यवहार में बड़प्पन नहीं होता। यदि व्यवहार में बड़प्पन होता तो क्या दो-दो पटेर की पाटियाँ कोई सिर्फ खसारी का सत्तू खिला कर बनवा सकता है। यह काम तो तुम्हारी माँ ही करवा सकती है। सिरचन का स्पष्ट संकेत है कि उसे थोड़ा-सा खिला कर अधिक काम लिया जाता है।

विशेष:

  1. कामगार के शोषण पर कटाक्ष है।
  2. भाषा बोलचाल की तथा भावपूर्ण है।

8. “बबुआ जी! अब नहीं। कान पकड़ता हूँ, अब नहीं। मोहर छाप वाली धोती लेकर क्या करूँगा ? कौन पहनेगा ? ससुरी खुद मरी, बेटे-बेटियों को भी ले गई अपने साथ। बबुआ जी, मेरी घरवाली जिंदा रहती तो मैं ऐसी दुर्दशा भोगता। यह शीतलपाटी को छूकर कहता हूँ, अब यह काम नहीं करूँगा।”

उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ द्वारा लिखित कहानी ‘ठेस’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियाँ सिरचन ने लेखक से कही हैं, जब वह काम बीच में ही छोड़ आने पर उसे मनाने के लिए गया था। – व्याख्या-सिरचन ने लेखक से कहा कि मैं कान पकड़ता हूँ कि अब चिक आदि बनाने का काम नहीं करूँगा। आपकी माँ ने मुझे जो मोहर छाप वाली नई धोती देने का वादा किया था, उसे लेकर मैं क्या करूँगा। कौन पहनेगा उसे। मेरी पत्नी स्वयं तो मरी ही साथ में बेटे-बेटियों को भी ले गई। बबुआ जी, मेरी पत्नी यदि जीवित होती तो मैं ऐसी दुर्दशा को क्यों भोगता अर्थात् घर-घर काम करने क्यों जाता। यह शीतलपाटी उसी की बनी हुई है इसी को छू कर कहता हूँ कि अब मैं यह काम नहीं करूँगा।

विशेष:

  1. लेखक की चाची के कथन से लगी ठेस के कारण सिरचन भविष्य में चिक आदि न बनाने का निर्णय लिया
  2. भाषा सहज तथा भावपूर्ण है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 23 फणीश्वरनाथ 'रेणु'

9. खिड़की के पास खड़े होकर सिरचन ने हकलाते हुए कहा-यह मेरी ओर से है। सब चीज़ है दीदी। शीतलपाटी, चिक और एक जोड़ी आसनी कुश की। गाड़ी चल पड़ी।
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ द्वारा लिखित कहानी ‘ठेस’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियाँ कहानी के अंत में सिरचन द्वारा लेखक की छोटी बहन मानू को अपनी तरफ से चिक आदि भेंट करने के समय की हैं।

व्याख्या-सिरचन मन को ठेस लगने पर लेखक के घर से काम छोड़ कर चला आता है, किंतु हृदय की कोमलता और आत्मीयता के कारण मानू के ससुराल जाते समय उसके लिए चिक आदि तैयार कर उसे भेंट करने पहुँच जाता है। गाड़ी की खिड़की के पास खड़े होकर सिरचन ने रुक-रुक कर बोलते हुए कहा यह मेरी ओर से तुम्हारे लिए भेंट है। इस बंडल में वह सब चीज़ है जो तुम्हारे दूल्हा ने मंगवाई थीं। शीतलपाटी, चिक और जोड़ी कुशासन की। सिरचन के इतना कहते ही गाड़ी चल पड़ी।

विशेष:

  1. सिरचन के मन में मानू के प्रति स्नेह है इसलिए वह उसे विदाई के अवसर पर चिक आदि देने स्टेशन पर पहुंच जाता है।
  2. भाषा भावपूर्ण तथा सहज है।

प्रश्न 10.
‘ठेस’ कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
‘ठेस’ कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चे कलाकार का दिल नहीं दुखाना चाहिए। जब उस के दिल को ठेस लगती है तो वह बढ़िया से बढ़िया खाने, अच्छे पैसों आदि की भी चिंता न करते हुए काम करने से इनकार कर देता है, जैसा कि सिरचन ने चाची के ताने सुनकर किया था। कलाकार का हृदय बहुत कोमल होता है इसलिए वह मानू को विदाई के अवसर पर स्टेशन पर ही भेंट स्वरूप चिक आदि दे देता है।

PSEB 12th Class Hindi Guide ठेस Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘ठेस’ शीर्षक कहानी किसके द्वारा रचित है?
उत्तर:
फणीश्वर नाथं ‘रेणु’।

प्रश्न 2.
फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ का जन्म कहाँ और कब हुआ था?
उत्तर:
बिहार के पूर्णिया जिले में 11 फरवरी, सन् 1921 को।

प्रश्न 3.
रेणु जी की शिक्षा कहाँ-कहाँ हुई थी?
उत्तर:
रेणु जी की शिक्षा विराट नगर नेपाल तथा हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी में हुई थी।

प्रश्न 4.
सिरचन कहां का कारीगर था?
उत्तर:
सिरचन गाँव का एक कारीगर था।

प्रश्न 5.
गाँव वाले सिरचन को किस नाम से पुकारते थे?
उत्तर:
गाँव वाले सिरचन को मुफ्तखोर, कामचोर और चटोर कहकर पुकारते थे।

प्रश्न 6.
सिरचन के काम करते समय टोक देने पर वह क्या करता था?
उत्तर:
सिरचन गुस्से में फुफकार उठता था और काम छोड़कर चल देता था।

प्रश्न 7.
ठेस कहानी में लेखक की छोटी बहन का क्या नाम है ?
उत्तर:
मानू।

प्रश्न 8.
दूल्हे ने क्या लेने की फरमाइश की थी?
उत्तर:
दूल्हे ने तीन जोड़ी चिक-चिक और पटेर की दो शीतल पाटियों की फरमाइश की थी।

प्रश्न 9.
सिरचन को क्या देने का वायदा किया गया था?
उत्तर:
असली मोहर छाप वाली नई धोती देने का वायदा किया गया था।

प्रश्न 10.
मानू ने चुपके से सिरचन को क्या दिया था?
उत्तर:
पान का बीड़ा।

प्रश्न 11.
किस की बात से सिरचन के मन को ठेस लगी थी?
उत्तर:
चाची की बात से सिरचन के मन को ठेस लगी थी।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 23 फणीश्वरनाथ 'रेणु'

प्रश्न 12.
सिरचन सारा सामान देने के लिए कहाँ पहुँच गया था?
उत्तर:
रेलवे स्टेशन पर।

प्रश्न 13.
मानू फूट-फूट कर क्यों रोने लगी थी?
उत्तर:
अपनत्व के भाव के कारण।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 14.
बबुआ जी। अब नहीं…..
उत्तर:
कान पकड़ता हूँ, अब नहीं।

प्रश्न 15.
यह शिलापाटी को छू कर कहता हूँ..
उत्तर:
अब यह काम नहीं करूंगा।

प्रश्न 16.
सब चीज़ है……..।
उत्तर:
दीदी।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 17.
कलाकार का दिल वास्तव में ही बहुत कोमल होता है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 18.
सब चीज़ है भैया।
उत्तर:
नहीं।

बोर्ड परीक्षा में पूछे गए प्रश्न

प्रश्न 1.
‘ठेस’ कहानी के लेखक का नाम लिखें।
उत्तर:
फणीश्वर नाथ रेणु।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. फनीश्वर नाथ रेणु कैसे उपन्यासकार थे ?
(क) आंचलिक
(ख) व्यंग्यात्मक
(ग) संस्मरणात्मक
(घ) रचनात्मक
उत्तर:
(क) आंचलिक

2. रेणु का पहला आंचलिक उपन्यास कौन-सा है ?
(क) आँचल
(ख) मैला आँचल
(ग) तीसरी कसम
(घ) ठेस।
उत्तर:
(ख) मैला आँचल

3. मानू किस कारण फूट-फूट कर रोने लगी ?
(क) अपनत्व के
(ख) मानवता के
(ग) सेवा के
(घ) सुरक्षा के
उत्तर:
(क) अपनत्व के

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 23 फणीश्वरनाथ 'रेणु'

4. सिरचन क्या था ?
(क) सैनिक
(ख) कारीगर
(ग) सेवक
(घ) विद्यार्थी
उत्तर:
(ख) कारीगर

कठिन शब्दों के अर्थ

मुफ्तखोर = मुफ्त की खाने वाला। चटोर = लालची, स्वाद का लालची। मडैया = झोंपड़ी। खुशामद = चापलूसी। इलाका = क्षेत्र। बेपानी = बेइज्जत, अपमानित । नाखून से खाँट कर देना = बहुत-थोड़ा देना, कंजूसी से देना। हुलस कर = प्रसन्न होकर। नेनू = मक्खन। मोथी = एक प्रकार की घास। शीतलपाटी = खस की चिक। पनियाई = पानी भरी। हिन्दी पुस्तक-12 . पटेर = तालाबों में उगने वाला एक पौधा–काई। पाटी = चटाई। तन्मयता = तल्लीनता। मुँहज़ोर = बोलने में कड़वा। झाल = तीखापन। बरदाश्त करना = सहन करना। चिकनाई = चिकनापन। अधकपाली दर्द = आधे सिर का दर्द। ताल = ताड़एक वृक्ष। मूंज = एक प्रकार की घास। बेकाम = व्यर्थ का। खंसारी का सत्तू = भुने हुए जौ का आटा। तिलमिला उठना = क्रोध से बेचैन हो उठना। बबुनी = बिटिया। बैरिंग = बिना टिकट लगा। तैनात करना = नियुक्त करना। झब्बे = गुच्छे, फँदने। बिनाई = बुनती। सुधि = होश। सूप = छाज। बुंदिया = लड्डू की बूंदी। नैहर = मायका। बतकुट्ठी = बातें करना, बतियाना। गमकौआ = सुंगन्धित । जर्दा = तम्बाकू। मसखरी = मज़ाक । यत्परोनास्ति = इससे कोई बढ़कर नहीं है। हनहनाता हुआ = बड़बड़ाता हुआ। मुँह झौंसे = मुँह जले। आसनी कुश = कुशा (घास) का बना आसन।

ठेस Summary

ठेस जीवन परिचय

फणीश्वरनाथ रेणु जी का जीवन परिचय लिखिए।

फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ जी का जन्म 11 फरवरी, सन् 1921 को बिहार के पूर्णिया जिले के हिगना गाँव में हुआ। आप की शिक्षा विराट नगर, नेपाल तथा हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में हुई। सन् 1942 के भारत छोड़ो जन आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने पर 3 वर्ष तक आप नजर बंद रहे। जेल से छूटने के पश्चात् आप का सम्बन्ध जयप्रकाश नारायण की समाजवादी पार्टी से हो गया। स्वतन्त्रता के बाद देश में आपात्काल स्थिति लागू किए जाने पर आप कुछ देर के लिए जेल में बंद रहे। उन्होंने जयप्रकाश नारायण के जन आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। आपके पहले आँचलिक उपन्यास ‘मैला आँचल’ ने हिन्दी जगत में धूम मचा दी थी। रस प्रिया’ तीसरी कसम, ‘ठेस’ पंचलाइट इनकी प्रमुख कहानियां हैं।

ठेस कहानी का सार

ठेस कहानी का सार 150 शब्दों में दें।

सिरचन गाँव का एक कारीगर था। वह मोथी घास और पटेर की शीतलपाटी, बाँस की तीलियों की चिकें, मूंज की रस्सी आदि बनाने में माहिर था। सिरचन की इसी कला के कारण बड़े-बड़े लोग उसकी खुशामद करते थे। उनकी सवारियाँ. उसकी झोंपड़ी के आगे बँधी रहतीं। किंतु गाँव वाले उसे मुफ्तखोर कामचोर और चटोर कहते थे। उसे बुलाने के लिए उसके खान-पान का विशेष प्रबन्ध करना ज़रूरी होता था। खाने के लिए कम मिलने पर वह दूसरों का अपमान करने से भी नहीं चूकता था । काम करते हुए यदि कोई उसे टोक देता तो वह फुफकार उठता और काम छोड़ कर चला जाता था। सिरचन मुँह ज़ोर है, कामचोर नहीं।

लेखक की सबसे छोटी बहन मानू की विदाई होने वाली थी। उसके दूल्हे ने तीन जोड़ी चिक और पटेर की दो शीतल पाटियाँ भेजने की फरमाइश की थी। इसलिए लेखक की माँ ने असली मोहर छाप वाली नई धोती देने का वादा करते हुए सिरचन को काम पर लगा दिया। सिरचन मन लगा कर काम करने लगा। काम करते समय सिरचन की जीभ जरा बाहर निकल आती थी। उसे अच्छा कलेवा दिया जाता था। मिठाई दी जाती थी। एक दिन मानू ने चुपके से एक पान का बीड़ा दिया। सिरचन ने पान खाते समय लेखक की चाची से जरा सुगन्धित जर्दा देने को कहा। इस पर चाची ने उसे भला-बुरा कहा, और डाँटा। चाची की बातें सुनकर सिरचन के मन को ठेस लगी। वह अधूरा काम छोड़ कर वहाँ से उठ कर चला गया था। लेखक के मनाने के लिए जाने पर भी वह नहीं आया। कलाकार के हृदय को ठेस लग गई थी।

लेखक जब अपनी छोटी बहन को ससुराल छोड़ने जा रहा था तो स्टेशन पर गाड़ी चलने के समय सिरचन दौड़ता हुआ आया और मानू के लिए शीतलपाटी चिक और कुशासन सौंप कर चला गया। उसने मोहर छाप वाली धोती के दाम भी लेने से इनकार कर दिया। मानू उसके इस अपनत्व भरे व्यवहार को देखकर फूट-फूट कर रोने लगी थी।

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