Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 24 उपेक्षिता Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 24 उपेक्षिता
Hindi Guide for Class 12 PSEB उपेक्षिता Textbook Questions and Answers
(क) लगभग 60 शब्दों में उत्तर दो:
प्रश्न 1.
कमला का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर:
कमला लड़की को जन्म देना बुरा नहीं समझती क्योंकि वह स्वयं अपने माँ-बाप की सबसे बड़ी बेटी है। उसके पिता तो लडकियों को माँ-बाप को सुख देने वाली मानते हैं। कमला लोगों की सहानुभूति, दिलासे की कोई परवाह नहीं करती। वह अपनी मौसी सास की टिप्पणियों की परवाह न कर बेटी को छाती से लगाते हुए सोचती है कि उसके लिए यह बेटी तो बेटों से भी बढ़कर है।
प्रश्न 2.
लेखक के मित्रों ने लड़की पैदा होने पर अपने उद्गार कैसे पेश किए ?
उत्तर:
लेखक के मित्र मिस्टर चोपड़ा ने लेखक को चुप और परेशान हाल में देखकर कहा–’एक ही तो होना था, लड़का या लड़की।’ भले ही उनकी आवाज़ धीमी और ढीली थी। मिसेज़ चोपड़ा ने लड़के और लड़की में कोई फर्क न होने की बात कह कर लेखक के तनाव को कुछ कम किया। मिसेज़ सहगल ने कहा हमारी भी तो दो लड़कियाँ हैं। सहगल साहब ने तो कभी सोचा भी नहीं अतः लड़की होने की चिन्ता नहीं करनी चाहिए। मिस्टर गुप्ता ने सान्त्वना देते हुए कहा भगवान् ने चाहा तो एक छोड़ अनेक लड़के भी हो जाएँगे। मिसेज़ गुप्ता ने कहा कि लड़की होने से घबराने की कोई आवश्यकता नहीं।
प्रश्न 3.
कमला के माँ-बाप ने लड़की पैदा होने पर उसे कैसे सांत्वना दी ?
उत्तर:
कमला के पिता ने लेखक को सान्त्वना देते हुए कहा कि बड़े खुश किस्मत हो, जो तुम्हारी पहली सन्तान बेटी है। लड़कियाँ ही माँ-बाप को सुख देने वाली होती हैं । कमला ने जितना सुख हमें दिया है, बस मैं ही जानता हूँ और साथ ही पंजाबी की एक लोकोक्ति भी सुना दी, जिस का अर्थ था कि यदि तू अपना सुख चाहता है तो तेरी पहली सन्तान लड़की हो।
(ख) लगभग 150 शब्दों में उत्तर दो:
प्रश्न 4.
उपेक्षिता कहानी का सार अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
देखिए पाठ के आरम्भ में दिया गया सार।
प्रश्न 5.
‘परिवार में लड़की का पैदा होना ठीक क्यों नहीं समझा जाता’ उपेक्षिता कहानी के आधार पर इस तथ्य की पुष्टि करें।
उत्तर:
हमारे समाज में लड़की के जन्म को अभी भी एक अभिशाप समझा जाता है। इक्कीसवीं सदी शुरू हो गई किन्तु भ्रूण-हत्या आज भी हो रही है। सदियों से चली आ रही रूढ़ियों को हम बदल नहीं सके हैं। लड़के के जन्म पर लड्डू बाँटे जाते हैं, लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है जबकि लड़की को उपेक्षिता समझा जाता है। भले ही आज लड़की और लड़के में कोई भेद नहीं समझा जाता। किरण बेदी जैसी लड़कियाँ उच्च पदों पर पहुँच कर अपनी कार्यक्षमता का परिचय दे रही हैं किन्तु हमारी मानसिकता अभी तक बदली नहीं है। प्रस्तुत कहानी में अस्पताल की नर्स का व्यवहार और वहाँ मौजूद एक बूढी औरत का यह कहना कि ‘तैयारी तो लड़के की थी पर हुई लड़की’ इसी मानसिकता की ओर संकेत करता है। लेखक के पिता का कोई बात नहीं कहना तथा रिश्तेदारों को लड़की के जन्म की सूचना तार द्वारा न भेजकर पोस्टकार्ड द्वारा भेजने को कहना तथा रिश्तेदारों का उत्तर में बधाई न देना भी इसी मानसिकता की ओर संकेत करता है। मित्रों का सान्त्वना देना भी इसी बात का परिचायक है कि हमारे समाज में घर में लड़की का जन्म ठीक नहीं माना जाता।
(ग) सप्रसंग व्याख्या करो:
प्रश्न 6.
“कपड़े लत्ते तो बेचारों ने बहुत अच्छे ही बनाये हैं, तैयारी तो लड़के की थी, पर हुई लड़की।”
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री वीरेन्द्र मेंहदीरत्ता द्वारा लिखित कहानी ‘उपेक्षिता’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियाँ अस्पताल में उपस्थित एक बुढ़िया ने नर्स को बच्ची का सामान देते देख कर अपनी साथ वाली औरत से कही हैं।
व्याख्या:
अस्पताल में जब लेखक नर्स को बच्ची का सामान दे रहा था तो वहाँ उपस्थित एक बुढ़िया ने पास वाली औरत से कहा कि बेचारों ने कपड़े-लत्ते तो बहुत अच्छे बनाए थे, जिन्हें देखकर लगता है कि उन्होंने तैयारी तो लड़के की की थी अर्थात् उन्हें लड़का पैदा होने की उम्मीद थी किन्तु हुई लड़की।
प्रश्न 7.
“लड़कियाँ तो पैदा होने के वक्त से ही माँ का खून चूसने लगती हैं। जान बच जाए तो समझो बड़ी बात है।”
उत्तर:
प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री वीरेन्द्र मेंहदीरत्ता द्वारा लिखित कहानी ‘उपेक्षिता में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियाँ लेखक से अस्पताल में मौजूद एक बूढ़ी औरत ने कही हैं जो लड़की के जन्म पर अपने अनुभव बता रही है।
व्याख्या:
अस्पताल में उपस्थित बूढी औरत ने लेखक से लड़की के जन्म लेने पर अपने अनुभव का वर्णन करते हुए कहा कि लड़कियाँ तो पैदा होते ही अपनी माँ का खून चूसने लगती हैं अर्थात् माँ को उसके विवाह दहेज की चिन्ता सताने लगती है। लड़की की और उसकी माँ की जान बच जाए तो इसे ही बड़ी बात समझना चाहिए।
प्रश्न 8.
“ओ तीवी सुलछ्छनी, जेहड़ी जम्मे पहली लछछमी।”
उत्तर:
प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्ति श्री वीरेन्द्र मेंहदीरत्ता द्वारा लिखित कहानी ‘उपेक्षिता’ में से ली गई है। प्रस्तुत पंक्ति लेखक की माँ ने लेखक की पत्नी कमला के सिर हाथ फेरते हुए उसे सान्त्वना देते हुए कही है।
व्याख्या:
लेखक की माँ ने उसकी पत्नी को बेटी के जन्म लेने पर सान्त्वना देते हुए कहा कि वही स्त्री सुलक्षणों वाली होती है जो पहली कन्या अर्थात् लक्ष्मी को जन्म दे।
प्रश्न 9.
“मैं तो कहती हूँ लड़की हो या लड़का, पर हो किस्मत वाला।”
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्ति श्री वीरेन्द्र मेंहदीरत्ता द्वारा लिखित कहानी ‘उपेक्षिता’ में से ली गई है। प्रस्तुत पंक्ति मिसेज़ चोपड़ा ने लेखक और उसकी पत्नी को सान्त्वना देते हुए कही है।
व्याख्या:
लड़की और लड़के में कोई अन्तर न होने की बात को आगे बढ़ाते हुए मिसेज़ चोपड़ा कहती हैं कि लड़की हो या लड़का किन्तु होना चाहिए किस्मत वाला क्योंकि सब अपनी-अपनी किस्मत लेकर आते हैं। परोक्ष में मिसेज़ चोपड़ा लेखक और उसकी पत्नी को दिलासा दिला रही है।
PSEB 12th Class Hindi Guide उपेक्षिता Additional Questions and Answers
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
डॉ० वीरेन्द्र मेंहदीरत्ता का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
सन् 1930 ई० में रावलपिंडी (पाकिस्तान)में।
प्रश्न 2.
डॉ० मेंहदीरत्ता का योगदान किस साहित्यिक विधा के लिए सराहनीय है?
उत्तर:
रंगमंच।
प्रश्न 3.
डॉ० वीरेन्द्र ने चंडीगढ़ में किस संस्था की स्थापना की थी?
उत्तर:
‘अभिनेत’ नाट्य संस्था की।
प्रश्न 4.
माँ ने पहली लड़की को क्या कहा था?
उत्तर:
लक्ष्मी।
प्रश्न 5.
लेखक को पिता के द्वारा कहा गया कौन-सा वाक्य समझ नहीं आया था?
उत्तर:
कोई बात नहीं।
प्रश्न 6.
लड़की के जन्म की सूचना किस तरह देने के लिए कहा गया था?
उत्तर:
तार से नहीं बल्कि पोस्टकार्ड से।
प्रश्न 7.
किसने कहा था कि आजकल लड़के और लड़की में कोई अंतर नहीं होता।
उत्तर:
मिसेज़ चोपड़ा ने।
प्रश्न 8.
चंडीगढ़ से बाहर रहने वालों ने किस तरह से बधाई दी थी?
उत्तर:
चंडीगढ से बाहर वालों ने खत लिखा लेकिन बधाई नहीं दी थी।
प्रश्न 9.
कौन लोगों की सहानुभूति-दिलाने की परवाह नहीं करती थी?
उत्तर:
कमला।
प्रश्न 10.
लड़की होने पर किसने न घबराने की बात कही थी?
उत्तर:
मिसेज गुप्ता ने।
प्रश्न 11.
किसने कहा था कि लड़कियाँ ही माँ-बाप को सुख देने वाली होती हैं ?
उत्तर:
कमला के पिता ने।
प्रश्न 12.
अस्पताल में बूढी औरत ने लड़कियों के जन्म होने पर क्या कहा था?
उत्तर:
लड़कियाँ तो पैदा होने के वक्त से ही माँ का खून पीने लगती हैं।
प्रश्न 13.
किस ने कहा था कि वही स्त्री सुलक्षणों वाली होती है कन्या को जन्म देती है ?
उत्तर:
लेखक की माँ ने।
प्रश्न 14.
लेखक के प्रसिद्ध कहानी संग्रहों के नाम लिखिए।
उत्तर:
शिमले की क्रीम, खरोंच, मिट्टी पर नंगे पांव, सिद्धार्थ से पूछूगा।
वाक्य पूरे कीजिए
प्रश्न 15.
…………………….पर हुई लड़की।
उत्तर:
तैयारी तो लड़के की थी।
प्रश्न 16.
मैं तो कहती हूँ लड़की हो या लड़का……
उत्तर:
पर हो किस्मत वाला।
प्रश्न 17.
ओ तीवीं सुलछ छनी………..
उत्तर:
जेहड़ी, जम्मे पहली लछछमी।
हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए
प्रश्न 18.
लेखक के घर लड़के ने जन्म लिया था।
उत्तर:
नहीं।
प्रश्न 19.
कमला के पिता ने लड़की का जन्म लेना अच्छा माना था।
उत्तर:
हाँ।
प्रश्न 20.
लड़की के जन्म की सूचना तार से दी गई।
उत्तर:
नहीं।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. उपेक्षिता किस विद्या की रचना है ?
(क) कहानी
(ख) उपन्यास
(ग) रेखाचित्र
(घ) संस्मरण
उत्तर:
(क) कहानी
2. लेखक के अनुसार बच्चे किसका रूप होते हैं ?
(क) मां का
(ख) पिता का
(ग) भगवान का
(घ) दादा का
उत्तर:
(ग) भगवान का
3. उपेक्षित कहानी का केन्द्र बिन्दु कौन है ?
(क) लड़की
(ख) लड़का
(ग) सैनिक
(घ) किसान
उत्तर:
(क) लड़की
4. ‘वीरेन्द्र मेहंदीरत्ता’ किस विद्या के प्रमुख लेखक हैं ?
(क) कहानी
(ख) उपन्यास
(ग) रंगमंच
(घ) रेखाचित्र
उत्तर:
(ग) रंगमंच
उपेक्षिता Summary
उपेक्षिता जीवन परिचय
डॉ० वीरेन्द्र मेंहदीरत्ता का जीवन परिचय लिखिए।
डॉ० वीरेन्द्र मेंहदीरत्ता का जन्म सन् 1930 में रावलपिण्डी (पाकिस्तान)में हुआ। आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम० ए० किया। पंजाब विश्वविद्यालय से पीएच० डी० की डिग्री प्राप्त की। आपने लगभग 40 वर्ष तक राजकीय कॉलेज लुधियाना और पंजाब विश्वविद्यालय के हिन्दी-विभाग में पढ़ाया। आप पंजाब विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग से प्रोफेसर के पद से रिटायर हुए। कहानी के क्षेत्र के अतिरिक्त नाटक और रंगमंच में भी आप का योगदान सराहनीय है। चण्डीगढ़ में ‘अभिनेत’ नाट्य संस्था के आप संस्थापक हैं। शिमले की क्रीम, पुरानी मिट्टी नए ढाँचे, मिट्टी पर नंगे पाँव, खरोंच, सिद्धार्थ से पूछूगा-आपके प्रसिद्ध कहानी संग्रह हैं।
उपेक्षिता कहानी का सार
‘उपेक्षिता’ कहानी का सार 150 शब्दों में लिखें।
लेखक के घर एक लड़की ने जन्म लिया है। उसकी सुन्दरता को देख लेखक सोचता है कि बच्चे सचमुच भगवान् का रूप होते हैं किन्तु समाज में लड़की को उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता है। अस्पताल की नर्स ने भी लड़की के जन्म की खबर सुनाना भी उचित नहीं समझा था। वहाँ उपस्थित एक बुढ़िया ने भी कहा-तैयारी तो लड़के की थी, पर हुई लड़की। समाज में लड़की को जन्म देना कष्टदायक माना जाता है जबकि लड़के को जन्म देने पर माँ अपनी तकलीफ़ भूल जाती है। लेखक सोचता है कि क्या उसकी पत्नी कमला भी ऐसे ही सोचती होगी? वह तो अपने माँ-बाप की सबसे बड़ी बेटी है। कमला के पिता ने भी लड़की के जन्म को अच्छा माना था। माँ ने भी पहली लड़की को लक्ष्मी कहा था। पर पिता ने कहा था कोई बात नहीं, घर में लक्ष्मी आई है। लेखक को ‘कोई बात नहीं’ का अर्थ समझ में नहीं आया। लगा कि वे लेखक को तसल्ली दे रहे हों और अपने मन को समझा रहे हों। इसी कारण लड़की के जन्म की सूचना तार द्वारा न भेजकर पोस्टकार्ड द्वारा भेजने को कहा था।
चण्डीगढ़ में जैसे-जैसे लोगों को पता चला-वे मिलने आने लगे। मिसेज़ चोपड़ा ने जब कहा कि आजकल लड़के और लड़की में कोई अन्तर नहीं होता तब लेखक का तनाव कुछ कम हुआ। लेखक के एक मित्र ने कहा कि लड़की के जन्म पर उसे चिन्तित नहीं होना चाहिए। चण्डीगढ़ से बाहर के रिश्तेदारों ने खत ज़रूर लिखा पर बधाई नहीं दी। उन्होंने अनेक प्रकार की बातें लिखीं पर लेखक की पत्नी ने बेटी को छाती से लगाते हुए कहा- मेरे लिए यह बेटी बेटों से भी बढ़कर है।