Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 26 रीढ़ की हड्डी Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 26 रीढ़ की हड्डी
Hindi Guide for Class 12 PSEB रीढ़ की हड्डी Textbook Questions and Answers
(क) लगभग 60 शब्दों में उत्तर दें:
प्रश्न 1.
‘रीढ़ की हड्डी’ किसका प्रतीक है ? इसका अपने शब्दों में वर्णन करें।
उत्तर:
प्रस्तुत एकांकी में रीढ़ की हड्डी’ स्त्री को समाज रूपी शरीर का आधार माना गया है जो आज नारी उपेक्षा और सामाजिक विसंगतियों का शिकार हो रही है। रीढ़ की हड्डी’ शील और चरित्र का भी पर्याय है, जिसकी आज के युवा वर्ग में दिन-ब-दिन कमी आती जा रही है।
प्रश्न 2.
‘लेकिन घर जाकर ज़रा यह तो पता लगाइए कि आपके लाडले बेटे की रीढ़ की हड्डी है भी या नहीं।’ उमा के इन शब्दों का क्या अर्थ है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
उमा के प्रस्तुत शब्दों का अर्थ यह है कि मैडिकल कॉलेज में शिक्षा प्राप्त कर रहा उनका बेटा शंकर किस कारण से कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहता है तथा उनका बेटा लड़कियों के होस्टल में तांक-झाँक क्यों कर रहा था। क्या उसका चरित्र साफ़-सुथरा है ? क्या उसकी रीढ़ की हड्डी है भी या नहीं ?
प्रश्न 3.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी में लेखक क्या कहना चाहता है ? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
प्रस्तुत एकांकी में उमा के सशक्त चरित्र के माध्यम से लेखक नारी सशक्तिकरण का सन्देश देना चाहते हैं। उमा का यह कहना है कि ‘अब मुझे कह लेने दीजिए बाबू जी’ एक वैचारिक क्रान्ति के आने का सूचक है और उमा का कहना-‘इनसे ज़रा पूछिए कि क्या लड़कियों के दिल नहीं होते ? क्या उनके चोट नहीं लगती ? युवक समाज के ऊपर एक करारा व्यंग्य है।
प्रश्न 4.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के नाम की सार्थकता अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का नामकरण अत्यन्त सार्थक बन पड़ा है क्योंकि रीढ़ की हड्डी’ एकांकीकार के अनुसार समाज रूपी शरीर की स्त्री रीढ़ की हड्डी है तथा रीढ़ की हड्डी शील और चरित्र का भी पर्याय है। स्त्री समस्या से जुड़े हुए इस एकांकी में नारी के बदलते हुए क्रान्तिकारी विचारों की भी सूचना दी गई है साथ ही युवकों की चरित्रहीनता पर भी प्रकाश डाला गया है।
(ख) लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें:
प्रश्न 5.
उमा का चरित्र-चित्रण लिखें।
उत्तर:
उमा एक पढ़ी-लिखी लड़की है। किन्तु समाज में प्रचलित रूढ़ियों के गुलाम उसके माता-पिता उसे मैट्रिक पास बताकर उसकी शादी करना चाहते हैं। यदि यह शादी हो जाती तो क्या उसकी सारी पढ़ाई बेकार न जाती ? उमा कृत्रिमता की घोर विरोधी है। वह एक लड़की की सुन्दरता उसके गुणों से देखी जाने के पक्ष में है। इसलिए उसे देखने आने वाले लड़के और उसके बाप के सामने वह किसी प्रकार का मेकअप करके नहीं जाना चाहती।
उमा जीवन के प्रति यथार्थवादी दृष्टिकोण रखती है। उसे देखने आए लड़के के पिता गाने को कहते हैं तो वह गा देती है किन्तु जब उसे पूछा जाता है कि उसे चित्रकारी आती है ? सिलाई आती है ? कोई इनाम-विनाम भी जीता है ? तो उसका मन अन्दर-ही-अन्दर दुःखी हो उठता है। उसके भीतर की आधुनिक नारी जाग उठती है।
वह हल्की किन्तु मज़बूत आवाज़ में कहती है-जब कुर्सी मेज़ बिकती है तब दुकानदार कुर्सी-मेज़ से कुछ नहीं पूछता, सिर्फ खरीददार को दिखला देता है। पसन्द आई गई तो अच्छा वरना पिता के डाँटने पर वह कहती है, “अब मुझे कह लेने दीजिए बाबू जी ……….. यह जो महाशय मेरे खरीददार बनकर आए हैं इनसे ज़रा पूछिए कि क्या लड़कियों के दिल नहीं होता ? क्या उनके दिल को चोट नहीं लगती ? क्या वे बेबस भेड़-बकरियाँ हैं, जिन्हें कसाई अच्छी तरह देखभाल कर खरीदते हैं ?”
वह डंके की चोट पर लड़के के पिता से कहती है कि मैंने बी०ए० पास किया है। कोई पाप नहीं किया। मुझे अपने मान और इज्ज़त का ध्यान है। आपके बेटे की तरह लड़कियों के होस्टल में तांक-झाँक करने पर पकड़े जाने पर नौकरानी के पाँव पकड़ कर छूटा था। फिर उसी बेटे के लिए मेरा तथा मेरे माता-पिता का अपमान किया जा रहा है। जिसकी बैक बॉन ही नहीं है। इस प्रकार उमा के रूप में हम एक आधुनिक नारी के चरित्र को देखते हैं जो आज अबला नहीं है, वह धीरे-धीरे सबला हो रही है। अपने अस्तित्व के लिए वह बड़े से बड़ा संघर्ष तथा त्याग कर सकती है।
प्रश्न 6.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी में किस सामाजिक समस्या को छुआ गया है ? आपके अनुसार इस समस्या का क्या हल है ?
उत्तर:
प्रस्तुत एकांकी एक सामाजिक एकांकी है। इस एकांकी में आज की बहुचर्चित समस्या, लड़की के विवाह की समस्या को चित्रित किया गया है। आज हमारी विवाह प्रणाली इतनी दोषपूर्ण और विकृत हो गई है कि लड़की का बाप होना एक मुसीबत से कम नहीं माना जाता। इसका प्रमाण हमें रामस्वरूप के उस कथन से लगता है जब वह कहता है, “क्या करूँ मजबूरी है। वह लड़की वाला है। मतलब अपना है नहीं तो इन लड़कों और इनके बापों को ऐसी-ऐसी कोरी-कोरी सुनाता कि यह भी …………..
लड़की के पिता की मजबूरी यह है कि वह लड़की के विवाह के लिए उसे सज़ा संवार कर प्रस्तुत करना चाहता है। इसके लिए चाहे उसकी लड़की कृत्रिम सौन्दर्य प्रसाधनों का सहारा ही क्यों न लें। . समाज में लड़के वालों की मनोवृत्ति पर भी प्रस्तुत एकांकी में प्रकाश डाला गया है। उमा को देखने आने वाले लड़के के पिता का विचार है कि मर्दो का काम है पढ़ना और काबिल बनना। अगर औरतें भी यही करने लगी तब तो हो चुकी गृहस्थी। मोर के पंख होते हैं, मोरनी के नहीं। लड़की के पिता को लड़की सजा संवार कर पेश करने की भावना के पीछे लड़कों की यह मनोवृत्ति है कि उनकी पत्नी सुन्दर हो। इसी कारण उमा का चश्मा पहनना लड़के और उसके बाप को अखरता है।
लेखक ने विवाह संस्था में दोषों की समस्या को उठाते हुए उमा की स्पष्टवादिता से इनका समाधान भी कर दिया है। हमारे विचार में विवाह सम्बन्धी समस्या का हल केवल नारी के पास है। उसे पटियाला की डॉक्टर लड़की की तरह जागरूक होकर वैचारिक क्रान्ति लाने की आवश्यकता है। उसे दबना छोड़कर दबाने की शक्ति अपने में पैदा करनी होगी।
प्रश्न 7.
‘शंकर’ शारीरिक व चरित्र की दृष्टि से रीढ़ की हड्डी से विहीन है, आपका इसके बारे में क्या विचार है-शंकर का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर:
शंकर वकील गोपाल प्रसाद का बेटा है। वह अपने पिता के साथ उमा को देखने आया है। अपने पिता के साथ-साथ वह भी इस बात में विश्वास करता है कि लड़की सुन्दर तो हो किन्तु कम पढ़ी-लिखी हो। किन्तु जब पिता के उमा से उल-जलूल सवाल पूछने के पश्चात् उमा उसकी पोल खोल देती है कि वह पिछली फरवरी में लड़कियों के होस्टल के इर्द-गिर्द घूमता हुआ पकड़ा गया था और वहाँ वह नौकरानी के पैरों को पड़कर अपना मुँह छिपाकर भागा था।
हमारे विचार से शंकर शारीरिक और चरित्र की दृष्टि से रीढ़ की हड्डी से विहीन है। इसीलिए वह अपने पिता के सामने मिट्टी का माधो बना बैठा रहता है। चरित्र की दृष्टि से ही नहीं पढ़ाई की दृष्टि से भी वह रीढ़ की हड्डी से विहीन है। जब उससे रामस्वरूप पूछते हैं कि उसका कोर्स खत्म होने में अब सालभर रह गया होगा तो वह खींसे निपोरता हुआ उत्तर देता है-जी यही कोई साल दो साल। पूछने पर वह कहता है-जी एकाध साल का मार्जन रखता हूँ।
उसके शारीरिक रूप से रीढ़ की हड्डी से विहीन होने का प्रमाण हमें उनके पिता के इस वाक्य से मिल जाता हैझुककर क्यों बैठते हो ? ब्याह तय करने आए हो, कमर सीधी करके बैठो। तुम्हारे. दोस्त ठीक कहते हैं कि शंकर के बैक बोन ……………..
इस तरह हम देखते हैं कि शंकर शारीरिक एवं चारित्रिक दृष्टि से रीढ़ की हड्डी से विहीन है। जैसे बे पेंदे का लोटा।
प्रश्न 8.
रीढ़ की हड्डी एकांकी के पुरुष पात्रों की तीन-तीन चारित्रिक विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
प्रस्तुत एकांकी में तीन ही पुरुष पात्र हैं। रामस्वरूप, गोपाल प्रसाद और शंकर। इन पात्रों की तीन-तीन चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. रामस्वरूप
- लड़की का पिता-पुत्री का पिता होने के कारण वह अपनी लड़की के विवाह के लिए लड़के वालों से झूठ भी बोलता है कि उसकी लड़की मैट्रिक पास है जबकि उसकी लड़की बी०ए० पास है।
- दिखावे में विश्वास रखने वाला-अन्य मध्यम वर्गीय लोगों की तरह रामस्वरूप भी दिखावे में विश्वास रखता है। लड़के वालों के आने पर वह घर को सजाता है उनके खान-पान के लिए दिखावे की वस्तुएँ जुटाता है और यहाँ तक कि वह अपनी लड़की को भी अच्छे ढंग के कपड़े पहन कर लड़के के सामने आने और तरीके से चल कर आने को कहता है।
- विनोदी प्रिय-रामस्वरूप विनोदी प्रिय है। अपनी पत्नी को वह ग्रामोफोन बाजा कहता है जिसका रिकार्ड एक बार चढ़ा तो रुकने का नाम नहीं लेता। अपनी बेटी के पाउडर आदि न लगाने की बात पर वह हँसी में कहता है आजकल की लड़कियों के सहारे तो पाउडर का कारोबार चलता है।
2. गोपाल प्रसाद:
- घोर स्वार्थी-गोपाल प्रसाद इतना स्वार्थी है कि लड़की वालों से हँसी-मज़ाक की बातें करता हुआ भी ध्यान अपने मतलब की ओर रखता है। वह बात काट कर कहता है कि अब ‘बिजनेस’ की बात हो जाए। रामस्वरूप के अन्दर नाश्ते का प्रबन्ध करने जाने पर वह उसके मकान को गहरी दृष्टि से देखता है। उसका विचार है कि लड़की ठीक-ठाक हो, उसका घर-बार भी ठीक से तो जन्मपत्री अपने आप मिल जाती है।
- दकियानूसी-गोपाल प्रसाद एक वकील है। सभा-सोसाइटी में जाता है। किन्तु बेटे के लिए कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहता है। उसका विचार है कि पढ़ाई-लिखाई केवल मर्दो का अधिकार है यदि औरतें भी यही काम करने लगीं, तो हो चुकी गृहस्थी। उसका विचार है कि दुनिया में कुछ चीजें ऐसी हैं जो सिर्फ मर्दो के लिए हैं।
- अपनी चारपाई के नीचे लाठी नहीं फेरता-गोपाल प्रसाद को पता है कि उसके बेटे की बैकबोन नहीं है, उसमें स्थिरता नहीं है किन्तु लड़की के चश्मा लगाने पर उसे आपत्ति होती है। वे लड़की की चाल भी देखते हैं, उससे गाना भी सुनते हैं। वे चाहते हैं कि लड़की चित्रकारी भी जानती हो, सिलाई आदि भी करती हो। अपने लड़के की चरित्रहीनता की बात सुनकर वे जूं तक नहीं करते।
3. शंकर:
- पढ़ाई में कमज़ोर-शंकर मैडिकल का छात्र है किन्तु वह स्वयं मानता है कि एक साल का कोर्स दो सालों में पास करेगा। उसके अनुसार-जी, एकाध साल का मार्जिन रखता हूँ।
- बैक बोन विहीन-शंकर जानता है कि उसकी बैकबोन नहीं है जिसके कारण वह सीधा होकर बैठ नहीं सकता किन्तु अपने लिए लड़की वह सुन्दर किन्तु कम पढ़ी-लिखी चाहता है क्योंकि उसी के अनुसार-कोई नौकरी तो करानी नहीं है।
- चरित्रहीन-शंकर का चरित्र भी ठीक नहीं। वह पिछली फरवरी में लड़कियों के होस्टल के इर्द-गिर्द चक्कर लगाता पकड़ा गया था और नौकरानी के पैर पकड़कर छूटा था।
(ग) सप्रसंग व्याख्या करें :
(1) जनाब मोर के पंख होते हैं, मोरनी के नहीं, शेर के बाल होते हैं, शेरनी के नहीं।
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ जगदीशचन्द्र माथुर द्वारा लिखित सामाजिक एकांकी रीढ़ की हड्डी’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियाँ गोपाल प्रसाद लड़की के पिता रामस्वरूप से पुरुष प्रधान समाज की बात करता हुआ कहता है।
व्याख्या:
गोपाल प्रसाद तर्क देता हुआ कहता है कि मर्दो का काम है पढ़ना और काबिल होना। यदि यही काम औरतें करने लगेंगी तो हो चुकी गृहस्थी। जैसे मोर के पंख होते हैं, मोरनी के नहीं और शेर के बाल होते हैं, शेरनी के नहीं। गोपाल प्रसाद यह तर्क देकर कहना चाहता है कि पढ़ाई और लियाकत मर्दो का ही अधिकार है।
विशेष:
गोपाल प्रसाद के दकियानूसी विचारों का पता चलता है।
(2) जब कुर्सी-मेज़ बिकती है, तब दुकानदार कुर्सी-मेज़ से कुछ नहीं पूछता, केवल खरीददार को दिखला देता है। पसन्द आ गई तो अच्छा है, वरना ……
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री जगदीशचन्द्र माथुर द्वारा लिखित सामाजिक एकांकी रीढ़ की हड्डी’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्तियाँ उमा ने अपने को देखने आए गोपाल प्रसाद को उस समय कही हैं जब वह उसे कुछ बोलने के लिए कहते हैं।
व्याख्या:
जब उमा के पिता गोपाल प्रसाद को कुछ बोलकर कहने की बात कहते हैं तो उमा कहती है कि वह क्या जवाब दे। जब मेज़-कुर्सी बिकती है, तब दुकानदार कुर्सी-मेज़ से कुछ नहीं पूछता, केवल खरीददार को दिखला देता है। पसन्द आ गई तो खरीददार उसे खरीद लेता है नहीं तो चला जाता है।
विशेष:
भारतीय समाज में लड़की की स्थिति पर प्रकाश डाला गया है। विवाह के लिए दिखावे के समय उससे उसकी राय नहीं ली जाती। यही सामाजिक विडम्बना है।
(3) जी हाँ, और मेरी बेइज्जती नहीं होती तो आप इतनी देर से नाप-तोल कर रहे हैं ?
प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री जगदीशचन्द्र माथुर द्वारा लिखित सामाजिक एकांकी रीढ़ की हड्डी’ में से ली गई हैं। प्रस्तुत पंक्ति उमा ने गोपाल प्रसाद को उस समय कहीं हैं जब वह उससे स्पष्ट और यथार्थ उत्तर सुनकर उसे अपनी इज्जत उतारने की बात कहता है।
व्याख्या:
जब उमा की खरी-खरी सुनकर गोपाल प्रसाद उमा के पिता से कहते हैं कि क्या उन्होंने उसकी इज्जत उतारने के लिए यहाँ बुलाया था तो उमा उत्तर देती हुई कहती है क्या हमारी बेइज्जती नहीं होती जो आप इतनी देर से नाप-तोल की बातें कर रहे हैं।
विशेष:
उमा के चरित्र की एक विशेषता–नारी की तेजस्विता की ओर संकेत किया गया है।
(4) अब मुझे कह लेने दीजिए बाबू जी। यह जो महाराज मेरे खरीददार बनकर आये हैं, इनसे ज़रा पूछिए कि क्या लड़कियों के दिल नहीं होता ? क्या उनके चोट नहीं लगती ?
प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री जगदीश चन्द्र माथुर द्वारा लिखित एकांकी रीढ़ की हड्डी’ से ली गई हैं। ये शब्द उमा ने लड़के के पिता के उससे बार-बार प्रश्न पूछने से तंग आकर तथा पिता के डांटने पर कहे हैं।
व्याख्या:
उमा लड़के के पिता के प्रश्नों से परेशान होकर उत्तर देती है तो उसके पिता उसे डांट कर रोकते हैं। इस पर उमां कहती है कि उसे अपने मन की बात कहने के लिए बोलने दीजिए। वह लड़के के पिता की ओर संकेत करके जानना चाहती है कि वे जो उसे खरीदने आए हैं, क्या वे ये नहीं जानते कि लड़कियों का भी दिल होता है ? जब उन्हें कोई अपमानजनक बात कही जाती है। तो उनके दिल को भी ठेस पहुँचती है। विशेष-उमा अपने स्वाभिमान पर आँच नहीं आने देना चाहती।
PSEB 12th Class Hindi Guide रीढ़ की हड्डी Additional Questions and Answers
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के रचयिता कौन हैं ?
उत्तर:
जगदीश चंद्र माथुर।
प्रश्न 2.
जगदीश चंद्र माथुर का जन्म कब और कहां हुआ था?
उत्तर:
जगदीश चंद्र माथुर का जन्म 16 जुलाई, सन् 1917 ई० में शाहजहांपुर में हुआ था।
प्रश्न 3.
जगदीश चंद्र माथुर के अधिकतर नाटक किस आधार पर रचे गए हैं ?
उत्तर:
इतिहास के आधार पर।
प्रश्न 4.
जगदीश चंद्र माथुर की प्रमुख रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
कोणार्क, शारदीया, पहला राजा, दशरथ नंदन, भोर का तारा, ओ मेरे सपने।
प्रश्न 5.
रीढ़ की हड्डी’ किस तरह की एकांकी हैं ?
उत्तर:
सामाजिक एकांकी।
प्रश्न 6.
लेखक ने एकांकी में किस समस्या को पाठकों/दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया है?
उत्तर:
मध्यवर्गीय समाज की शिक्षित लडकियों के विवाह से संबंधित।
प्रश्न 7.
विवाह के लिए लड़की देखने आए बाप-बेटा दोनों एकदम क्यों घबरा गए थे?
उत्तर:
क्योंकि लड़की ने चश्मा लगाया हुआ था।
प्रश्न 8.
लड़के के पिता लड़की से कैसे प्रश्न कर रहे थे?
उत्तर:
उल्टे-सीधे और बेहूदा।
प्रश्न 9.
लड़की ने लड़के के पिता के सामने किसकी चरित्रहीनता का पर्दाफाश कर दिया था?
उत्तर:
उनके बेटे शंकर की चरित्रहीनता का।
प्रश्न 10.
‘रीढ़ की हड्डी’ किसकी प्रतीक है?
उत्तर:
समाज रूपी शरीर का आधार और युवा पीढ़ी के चरित्र की।
प्रश्न 11.
शंकर किस कारण कम पढी-लिखी लड़की से विवाह करना चाहता था?
उत्तर:
क्योंकि उसका अपना चरित्र साफ-सुथरा नहीं था।
प्रश्न 12.
उमा का जीवन के प्रति कैसा दृष्टिकोण था?
उत्तर:
पूर्णरूप से यथार्थवादी दृष्टिकोण ।
प्रश्न 13.
उमा ने कहाँ तक शिक्षा प्राप्त की थी?
उत्तर:
बी० ए० तक।
प्रश्न 14.
उमा स्वभाव से कैसी थी?
उत्तर:
उमा स्वभाव से सीधी-सादी यथार्थवादी और कृत्रिमता की घोर विरोधी थी।
प्रश्न 15.
राम स्वरूप की दो विशेषाताएं लिखिए।
उत्तर:
रामस्वरूप दिखावे में विश्वास रखने वाला, मध्यवर्गीय परिवार का विनोदप्रिय व्यक्ति है।
प्रश्न 16.
गोपाल प्रसाद कैसा व्यक्ति है?
उत्तर:
गोपाल प्रसाद घोर स्वार्थी, दकियानूसी और सभा-सोसाइटी में आने-जाने वाला व्यक्ति है।
वाक्य पूरे कीजिए
प्रश्न 17.
जब कुर्सी-मेज़ बिकती है, तब दुकानदार कुर्सी-मेज़ से…………..
उत्तर:
कुछ नहीं पूछता केवल खरीददार को खिला देता है।
प्रश्न 18.
जी हाँ, और मेरी बेइज्जती नहीं होती तो……….।
उत्तर:
आप इतनी देर से नाप-तोल कर रहे हैं।
प्रश्न 19.
क्या करूँ मजबूरी हैं। वह……………।
उत्तर:
लड़की वाला है।
प्रश्न: 20.
जी हाँ, ज़रूर चले जाइए। लेकिन घर जाकर…………….।
उत्तर:
यह पता लगाइएगा कि आप के लाडले बेटे की रीढ़ की हड्डी है भी कि नहीं। हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए
प्रश्न 21.
उमा ने कमरे में पान की तश्तरी लेकर प्रवेश किया था। उत्तर-हाँ। प्रश्न 22. उमा ने गोपाल प्रसाद को करारा जवाब दिया था।
उत्तर:
हाँ।
बोर्ड परीक्षा में पूछे गए प्रश्न
प्रश्न 1.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी की नायिका का नाम लिखें।
उत्तर:
उमा।
प्रश्न 2.
रीढ़ की हड्डी’ एकांकी में गोपाल प्रसाद के बेटे का नाम लिखें।
उत्तर:
शंकर।
प्रश्न 3.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी में उमा के पिता का नाम लिखें।
उत्तर:
रामस्वरूप।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. ‘रीढ़ की हड्डी’ के लेखक कौन हैं ?
(क) जगदीश चन्द्र माथुर
(ख) सतीशचन्द्र
(ग) गिरीशचन्द्र
(घ) गिरिजा कुमार
उत्तर:
(क) जगदीश चन्द्र माथुर
2. रीढ़ की हड्डी कैसी एकांकी है ?
(क) प्रतीकात्मक
(ख) सामाजिक
(ग) राजनीतिक
(घ) सांस्कृतिक
उत्तर:
(ख) सामाजिक
3. ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी में रीढ़ की हड्डी किसकी प्रतीक है ?
(क) मानवीय चरित्र की
(ख) जीवन की
(ग) समाज की
(घ) संसार की
उत्तर:
(क) मानवीय चरित्र की
4. गोपाल प्रसाद कैसा व्यक्ति था ?
(क) दकियानुसी
(ख) सैनिक
(ग) तेजस्वी
(घ) बलशाली
उत्तर:
(क) दकियानुसी
5. ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का प्रमुख पात्र कौन है ?
(क) रामस्वरूप
(ख) देवस्वरूप
(ग) प्रसाद स्वरूप
(घ) हरिराय।
उत्तर:
(क) रामस्वरूप
रीढ़ की हड्डी Summary
रीढ़ की हड्डी जीवन परिचय
जगदीशचन्द्र माथुर जी का जीवन परिचय लिखिए।
जगदीशचन्द्र माथुर का जन्म 16 जुलाई, सन् 1917 में शाहजहाँपुर में हुआ था। आपने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में एम० ए०, और बाद में आई०सी०एस० की परीक्षा उत्तीर्ण की और बिहार के शिक्षा आयुक्त नियुक्त हुए। भारत सरकार के विभिन्न पदों पर कार्य करने के बाद सन् 1978 में आपका निधन हो गया। आपने ऐतिहासिक नाटकों के साथ-साथ सामाजिक एकांकी भी लिखे हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ कोणार्क, शारदीया, पहलाराजा, दशरथ नन्दन नाटक भोर का तारा तथा ओ मेरे सपने एकांकी संग्रह हैं।
रीढ़ की हड्डी एकांकी का सार
रीढ़ की हड्डी श्री जगदीशचन्द्र माथुर का एक प्रसिद्ध सामाजिक एकांकी है, जिसमें आजकल के मध्यवर्गीय समाज में शिक्षित लड़की के विवाह की समस्या का चित्रण बड़े कलात्मक ढंग से किया गया है। – रामस्वरूप एक मध्यवर्गीय समाज का व्यक्ति है। उसने अपनी लड़की उमा को बी०ए० तक शिक्षा दिलाई है। उसका अधिक पढ़ जाना उसके विवाह में बाधक बन गया है। उमा को देखने के लिए गोपाल प्रसाद नाम का व्यक्ति अपने लड़के शंकर के साथ आता है। आरम्भ में कुछ औपचारिक बातें होती हैं। कुछ समय बाद लड़के का बाप बताता है कि उसे अपने बेटे के लिए अधिक पढ़ी-लिखी लड़की नहीं चाहिए। लड़की के बाप ने उससे झूठ ही कहा था कि उसकी लड़की मैट्रिक तक ही पढ़ी है। . उमा कमरे में पान की तश्तरी लेकर प्रवेश करती है।
उसके चश्मा पहने होने पर दोनों बाप-बेटा घबरा जाते हैं। उसके बाद शंकर के पिता उमा से उल्टे-सीधे प्रश्न करते हैं जिससे उमा की सहनशीलता जवाब दे देती है। वह गोपाल प्रसाद को करारा जवाब देती है। साथ ही वह उनके बेटे शंकर की चरित्रहीनता का भी पर्दाफाश करती है। वह बताती है कि पिछली फरवरी में उनका बेटा लड़कियों के होस्टल के इर्द-गिर्द चक्कर लगाते हुए पकड़ा गया था और नौकरानी के पैर पकड़ कर इसने अपनी जान बचाई थी। यह सुनकर गोपाल प्रसाद तिलमिला उठता है और वहाँ से चलने को होता है। उमा तब व्यंग्य करती हुई उसे कहती है, “जी हाँ, ज़रूर चले जाइए। लेकिन घर जाकर यह पता लगाइएगा कि आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी है भी कि नहीं।”