Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Chapter 16 सिख मिसलों की उत्पत्ति एवं विकास तथा उनके संगठन का स्वरूप Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 12 History Chapter 16 सिख मिसलों की उत्पत्ति एवं विकास तथा उनके संगठन का स्वरूप
निबंधात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
मिसलों की उत्पत्ति तथा विकास (Origin and Development of Misls)
प्रश्न 1.
पंजाब में सिख मिसलों की उत्पत्ति एवं विकास का विवरण दीजिए।
(Trace the origin and development of Sikh Misls in the Punjab)
अथवा
‘मिसल’ शब्द का आप क्या अर्थ समझते हैं ? सिख मिसलों की उत्पत्ति का वर्णन कीजिए।
(What do you understand by the term ‘Misl? ? Describe the origin of the Sikh Misls.)
अथवा
मिसल की परिभाषा दीजिए। आप सिख मिसलों की उत्पत्ति और विकास के विषय में क्या जानते हैं ?
(Define Misl. What do you know about the origin and growth of Sikh Misls ?)
अथवा
‘मिसल’ शब्द से आपका क्या अभिप्राय है ? प्रमुख सिख मिसलों के इतिहास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
(What do you understand by the term ‘Misl’ ? Give an account of the history of the important Sikh Misls.)
अथवा
‘मिसल’ शब्द से क्या भाव है ? सिख मिसलों की उत्पत्ति और विकास का वर्णन करें।
(What do you mean by word Misl ? Describe the origin and growth of Sikh Misls.)
उत्तर-
शताब्दी में पंजाब में सिख मिसलों की स्थापना यहाँ के इतिहास के लिए एक नया मोड़ प्रमाणित हुई।
(क) सिख मिसल से अभिप्राय (The Meaning of the Sikh Misl)-मिसल अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है एक समान या बराबर। 18वीं शताब्दी के दूसरे मध्य में पंजाब में सिखों ने 12 मिसलें स्थापित कर ली थीं। प्रत्येक मिसल का सरदार दूसरी मिसल के सरदारों के साथ एक जैसा व्यवहार करता था परंतु वे अपना आंतरिक शासन चलाने में पूर्ण रूप से स्वतंत्र थे। सिख जत्थों की इस सामान्य विशेषता के कारण उनको मिसलें कहा जाता था।
(ख) सिख मिसलों की उत्पत्ति (Origin of the Sikh Misls)—मुग़लों के सिखों पर बढ़ रहे अत्याचारों और अहमद शाह अब्दाली के आक्रमण को देखते हुए नवाब कपूर सिंह ने सिखों में एकता की कमी अनुभव की। इस उद्देश्य से 29 मार्च, 1748 ई० को अमृतसर में वैशाखी के दिन दल खालसा की स्थापना की गई। दल खालसा के अधीन 12 जत्थे गठित किए गए। प्रत्येक जत्थे का अपना अलग सरदार और झंडा था। इन जत्थों को ही मिसल कहा जाता था। इन मिसलों ने सन् 1767 ई० से 1799 ई० के दौरान पंजाब के विभिन्न भागों में अपने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिए थे।
(ग) सिख मिसलों का विकास (Growth of the Sikh Misls)-1767 ई० से लेकर 1799 ई० के दौरान जमुना और सिंध नदियों के बीच के क्षेत्रों में सिखों ने 12 स्वतंत्र मिसलें स्थापित की। इन मिसलों के विकास और उनके इतिहास संबंधी संक्षेप जानकारी निम्नलिखित अनुसार है—
1. फैजलपुरिया मिसल (Faizalpuria Misl)-इस मिसल का संस्थापक नवाब कपूर सिंह था। उसने सर्वप्रथम अमृतसर के समीप फैज़लपुर नामक गाँव पर अधिकार किया था। इसलिए इस मिसल का नाम फैज़लपुरिया मिसल पड़ गया था। नवाब कपूर सिंह अपनी वीरता के कारण सिखों में बहुत प्रख्यात था। फैजलपुरिया मिसल के अधीन जालंधर, लुधियाना, पट्टी, नूरपुर तथा बहिरामपुर आदि प्रदेश सम्मिलित थे। 1753 ई० में नवाब कपूर सिंह की मृत्यु के उपरांत खुशहाल सिंह तथा बुद्ध सिंह ने इस मिसल का नेतृत्व किया।
2. भंगी मिसल (Bhangi Misl) भंगी मिसल की स्थापना यद्यपि सरदार छज्जा सिंह ने की थी परंतु सरदार हरी सिंह को इस मिसल का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। झंडा सिंह एवं गंडा सिंह इस मिसल के अन्य प्रसिद्ध नेता थे। इस मिसल का लाहौर, अमृतसर, गुजरात एवं स्यालकोट आदि प्रदेशों पर अधिकार था। क्योंकि इस मिसल के नेताओं को भंग पीने की बहुत आदत थी इसलिए इस मिसल का नाम भंगी मिसल पड़ा। .
3. आहलूवालिया मिसल (Ahluwalia Misl) आहलूवालिया मिसल की स्थापना सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया ने की थी। क्योंकि वह लाहौर के निकट आहलू गाँव का निवासी था इसलिए इस मिसल का नाम आलहूवालिया पड़ा। वह एक महान् नेता था। उसे 1748 ई० में दल खालसा का प्रधान सेनापति बनाया गया था। उसने लाहौर, कसूर एवं सरहिंद पर अधिकार करके अपनी वीरता का प्रमाण दिया। उसे सुल्तान-उल-कौम की उपाधि से सम्मानित किया गया था। आहलूवालिया मिसल की राजधानी का नाम कपूरथला था। 1783 ई० में जस्सा सिंह आहलूवालिया की मृत्यु के पश्चात् भाग सिंह तथा फतेह सिंह आहलूवालिया ने इस मिसल का नेतृत्व किया।
4. रामगढ़िया मिसल (Ramgarhia Misl)-रामगढ़िया मिसल का संस्थापक खुशहाल सिंह था। इस मिसल का सबसे प्रख्यात नेता सरदार जस्सा सिंह रामगढ़िया था। उसने दीपालपुर, कलानौर, बटाला, उड़मुड़ टांडा, हरिपुर एवं करतारपुर नामक प्रदेशों पर अपना अधिकार कर लिया था। इस मिसल की राजधानी का नाम श्री हरगोबिंदपुर था। 1803 ई० में जस्सा सिंह रामगढ़िया की मृत्यु के उपरांत सरदार जोध सिंह ने इस मिसल का नेतृत्व किया। .
5. शुकरचकिया मिसल (Sukarchakiya Misl)-शुकरचकिया मिसल का संस्थापक सरदार चढ़त सिंह था। क्योंकि उसके पुरखे शुकरचक गाँव से संबंधित थे इसलिए इस मिसल का नाम शुकरचकिया मिसल पड़ा। वह एक साहसी योद्धा था। उसने ऐमनाबाद, गुजराँवाला, स्यालकोट, वजीराबाद, चकवाल, जलालपुर तथा रसूलपुर
आदि प्रदेशों पर अपना अधिकार कर लिया था। शुकरचकिया मिसल की राजधानी का नाम गुजराँवाला था। चढ़त सिंह के पश्चात् महा सिंह तथा रणजीत सिंह ने शुकरचकिया मिसल का कार्यभार संभाला। 1799 ई० में महाराजा रणजीत सिंह ने लाहौर पर अधिकार कर लिया था तथा यह विजय पंजाब के इतिहास में एक नया मोड़ प्रमाणित हुई।
6. कन्हैया मिसल (Kanahiya Misl) कन्हैया मिसल का संस्थापक जय सिंह था। क्योंकि वह कान्हा गाँव का निवासी था इसलिए इस मिसल का नाम कन्हैया मिसल पड़ा। जय सिंह काफी बहादुर था। उसने मुकेरियाँ, गुरदासपुर, पठानकोट तथा काँगड़ा के क्षेत्रों पर अपना अधिकार कर लिया था। 1798 ई० में जय सिंह की मृत्यु के पश्चात् सदा कौर इस मिसल की नेता बनी। वह महाराजा रणजीत सिंह की सास थी तथा बहुत महत्त्वाकांक्षी थी।
7. फूलकियाँ मिसल (Phulkian Misl)-फूलकियाँ मिसल की स्थापना चौधरी फूल नामक एक जाट ने की थी। इसमें पटियाला, नाभा तथा जींद के प्रदेश शामिल थे। पटियाला के प्रख्यात फूलकियाँ सरदार बाबा आला सिंह, अमर सिंह तथा साहिब सिंह, नाभा के हमीर सिंह एवं जसवंत सिंह तथा जींद के गजपत सिंह एवं भाग सिंह थे।
8. डल्लेवालिया मिसल (Dallewalia Misl)–डल्लेवालिया मिसल का संस्थापक गुलाब सिंह था। तारा सिंह घेबा इस मिसल का प्रख्यात सरदार था। इस मिसल का फिल्लौर, राहों, नकोदर, बद्दोवाल आदि प्रदेशों पर अधिकार था।
9. नकई मिसल (Nakkai Misl)—नकई मिसल का संस्थापक सरदार हीरा सिंह था। उसने नक्का, चुनियाँ, दीपालपुर, कंगनपुर, शेरगढ़, फरीदाबाद आदि प्रदेशों पर अधिकार करके नकई मिसल का विस्तार किया। रण सिंह नकई सरदारों में से सबसे अधिक प्रसिद्ध था। उसने कोट कमालिया तथा शकरपुर के प्रदेशों पर अधिकार करके नकई मिसल में शामिल किया।
10. निशानवालिया मिसल (Nishanwalia Misl)-इस मिसल का संस्थापक सरदार संगत सिंह था। इस मिसल के सरदार दल खालसा का झंडा या निशान उठाकर चलते थे, जिस कारण इस मिसल का नाम निशानवालिया मिसल पड़ गया। संगत सिंह ने अंबाला, शाहबाद, सिंघवाला, साहनेवाल, दोराहा आदि प्रदेशों पर कब्जा करके अपनी मिसंल का विस्तार किया। उसने सिंघवाला को अपनी राजधानी बनाया। 1774 ई० में संगत सिंह की मृत्यु के बाद उसका भाई मोहन सिंह इस मिसल का सरदार बना।
11. शहीद मिसल (Shahid Misl) शहीद मिसल का संस्थापक सरदार सुधा सिंह था। क्योंकि इस मिसल के सरदार अफ़गानों के साथ हुई लड़ाइयों में शहीद हो गए थे इस कारण इस मिसल को शहीद मिसल कहा जाने लगा। बाबा दीप सिंह जी, इस मिसल के सबसे लोकप्रिय नेता थे। उन्होंने 1757 ई० में अमृतसर में अफ़गानों से लड़ते हुए शहीदी प्राप्त की थी। कर्म सिंह और गुरबख्श सिंह इस मिसल के दो अन्य दो अन्य ख्याति प्राप्त नेता थे। इस मिसल में सहारनपुर, शहजादपुर और केसनी नाम के क्षेत्र शामिल थे। इस मिसल के अधिकतर लोग निहंग थे जो नीले वस्त्र पहनते थे। इसलिए शहीद मिसल को निहंग मिसल भी कहा जाता है।
12. करोड़सिंधिया मिसल (Krorsinghia Misl)—इस मिसल का संस्थापक करोड़ा सिंह था जिस कारण इसका नाम करोड़सिंघिया मिसल पड़ गया। क्योंकि करोड़ा सिंह पंजगड़िया गाँव का रहने वाला था इसलिए इस मिसल को पंजगड़िया मिसल भी कहा जाता है। 1764 ई० में करोड़ा सिंह की मृत्यु के पश्चात् बघेल सिंह इस मिसल का मुखिया बना। वह करोड़सिंघिया मिसल के मुखियों में से सबसे अधिक प्रसिद्ध था। उसने करनाल के निकट स्थित चलोदी को अपनी राजधानी बनाया। उसने नवांशहर और बंगा के क्षेत्रों को अपनी मिसल में सम्मिलित किया। बघेल सिंह की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र जोध सिंह मिसल का सरदार बना। उसने मालवा के कई प्रदेशों पर कब्जा कर लिया था।
सिख मिसलों के शासक अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप में शासन करते थे, परंत उनकी विशेष बात यह थी कि वे समस्त सिख जाति के साथ संबंधित मामलों पर विचार करने के लिए विशेष अवसरों पर अकाल तख्त साहिब अमृतसर में एकत्र होते थे। यहाँ वे गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति में प्रस्ताव पास करते थे। इन्हें गुरमता कहा जाता था। इन गुरमतों का सभी सिख सम्मान करते थे। इस कारण उनमें आपसी संबंध बने रहे।
मिसल का राज्य प्रबंध (Administration of the Misls)
प्रश्न 2.
सिख मिसलों के संगठन पर एक नोट लिखें। (Write a note on the Organisation of the Sikh Misls.)
अथवा
मिसलों के संगठन की प्रकृति का वर्णन कीजिए। (Discuss the nature of the Organisation of Misls.)
अथवा
सिख मिसलों के राज प्रबंध की मुख्य विशेषताएँ लिखिए। (Bring out the main features of the Administration of the Sikh Misls.)
अथवा
मिसलों के नागरिक तथा सैनिक प्रबंध का विवरण दें। (Give an account of Civil and Military Administration of the Misls.)
अथवा
सिख मिसलों की उत्पत्ति और विकास के विषय में आप क्या जानते हो ? (What do you know about the origin and growth of the Sikh Misls ?)
अथवा
मिसलों के अंदरूनी शासन प्रबन्ध की व्याख्या करो।
(Describe the internal administration system of the Misls.)
उत्तर-
सिख मिसलों के संगठन का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है—
I. गुरमता (Gurmata)
गुरमता सिख मिसलों की केंद्रीय संस्था थी। इसका शाब्दिक अर्थ है, “गुरु का मत या निर्णय”। दूसरे शब्दों में गुरु ग्रंथ साहिब जी की उपस्थिति में सरबत खालसा द्वारा जो निर्णय स्वीकार किए जाते हैं उनको गुरमता कहते हैं। सरबत खालसा के सम्मेलनों में सिख पंथ के राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक मामलों से संबंधित गुरमते पास किए जाते थे। सभी सिख इन गुरमतों को गुरु की आज्ञा मान कर पालना करते थे।
II. मिसलों का आंतरिक संगठन (Internal Organisation of the Misls)
1. सरदार और मिसलदार (Sardar and Misldar)-प्रत्येक मिसल के मुखिया को सरदार कहा जाता था और प्रत्येक सरदार के अधीन कई मिसलदार होते थे। सरदार की तरह मिसलदारों के पास भी अपनी सेना होती थी। सरदार जीते हुए क्षेत्रों में से कुछ भाग अपने अधीन मिसलदारों को दे देता था। प्रारंभ में सरदार का पद पैतृक नहीं होता था। धीरे-धीरे सरदार का पद पैतृक हो गया। चाहे सरदार निरंकुश थे पर वे अत्याचारी नहीं थे। वे प्रजा से अपने परिवार की तरह प्यार करते थे।
2. जिले (Districts) मिसलों को कई जिलों में बाँटा गया था। प्रत्येक जिले के मुखिया को कारदार कहा जाता था। वह ज़िले का शासन प्रबंध चलाने के लिए ज़िम्मेदार होता था।
3. गाँव (Villages)-मिसल प्रशासन की सबसे छोटी इकाई गाँव थी। गाँव का प्रबंध पंचायत के हाथों में होता था। गाँव के लगभग सारे मामले पंचायत द्वारा ही हल कर लिए जाते थे। लंबरदार, पटवारी और चौकीदार गाँव के महत्त्वपूर्ण कर्मचारी थे।
III. मिसलों का आर्थिक प्रबंध (Financial Administration of the Misls)
1. लगान प्रबंध (Land Revenue Administration) मिसलों के समय आमदनी का मुख्य साधन भूमि का लगान था। इसकी दर भूमि की उपजाऊ शक्ति के आधार पर भिन्न-भिन्न होती थी। यह प्रायः कुल उपज का 1/3 से 1/4 भाग होता था। यह लगान वर्ष में दो बार रबी और खरीफ फसलों के तैयार होने के समय लिया जाता था। लगान एकत्रित करने के लिए बटाई प्रणाली प्रचलित थी। लगान अनाज या नकदी किसी भी रूप में दिया जा सकता था। मिसल काल में भूमि अधिकार संबंधी चार प्रथाएँ–पट्टीदारी, मिसलदारी, जागीरदारी तथा ताबेदारी प्रचलित थीं।
2. राखी प्रथा (Rakhi System)-पंजाब के लोगों को विदेशी हमलावरों तथा सरकारी कर्मचारियों से सदैव लूटमार का भय लगा रहता था। इसलिए अनेक गाँवों ने अपनी रक्षा के लिए मिसलों की शरण ली। मिसल सरदार उनकी शरण में आने वाले गाँवों को सरकारी कर्मचारियों तथा विदेशी आक्रमणकारियों की लूट-पाट से बचाते थे। इस रक्षा के बदले उस गाँव के लोग अपनी उपज का पाँचवां भाग वर्ष में दो बार मिसल के सरदार को देते थे। इस तरह यह राखी कर मिसलों की आय का एक अच्छा साधन था।
3. आय के अन्य साधन (Other Sources of Income)—इसके अतिरिक्त मिसल सरदारों को चुंगी कर, _ भेंटों और युद्ध के समय की गई लूटमार से भी कुछ आय प्राप्त हो जाती थी।
4. व्यय (Expenditure)-मिसल सरदार अपनी आय का एक बड़ा भाग सेना, घोड़े, शस्त्रों, नए किलों के निर्माण और पुराने किलों की मुरम्मत पर व्यय करता था। इसके अतिरिक्त मिसल सरदार गुरुद्वारों और मंदिरों को दान भी देते थे और निर्धन लोगों के लिए लंगर भी लगाते थे।
IV. न्याय प्रबंध (Judicial Administration)
1. पंचायत (Panchayat) मिसलों के समय पंचायत न्याय प्रबंध की सबसे छोटी अदालत होती थी। पंचायत प्रत्येक गाँव में होती थी। गाँव में अधिकतर मुकद्दमों का फैसला पंचायतों द्वारा ही किया जाता था। लोग पंचायत को परमेश्वर का रूप समझकर उसका फैसला स्वीकार कर लेते थे।
2. सरदार की अदालत (Sardar’s Court)—प्रत्येक मिसल का सरदार अपनी अलग अदालत लगाता था। इसमें वह दीवानी और फौजदारी दोनों तरह के मुकद्दमों का निर्णय करता था। वह किसी भी अपराधी को मृत्यु का दंड देने का भी अधिकार रखता था परंतु वे आम तौर पर अपराधियों को नर्म सज़ाएँ ही देते थे।
3. सरबत खालसा (Sarbat Khalsa)-सरबत खालसा को सिखों की सर्वोच्च अदालत माना जाता था। मिसलदारों के आपसी झगड़ों और सिख कौम से संबंधित मामलों की सुनवाई सरबत खालसा द्वारा की जाती थी। सरबत खालसा मुकद्दमों का फैसला करने के लिए अकाल तख्त अमृतसर में एकत्रित होता था। उस द्वारा पास किए गए गुरमत्तों की सभी सिख पालना करते थे।
4. कानून और सजाएँ (Laws and Punishments) सिख मिसलों के समय न्याय प्रबंध बिल्कुल साधारण था। कानून लिखित नहीं था। मुकद्दमों के फैसले प्रचलित रीति-रिवाजों के अनुसार किये जाते थे। उस काल की सज़ाएँ कड़ी नहीं थीं। अधिकतर अपराधियों से जुर्माना वसूल किया जाता था।
V. सैनिक प्रबंध (Military Administration)
1. घुड़सवार सेना (Cavalry)-घुड़सवार सेना मिसलों की सेना का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग था। सिख बहुत निपुण घुड़सवार थे। सिखों के तीव्र गति से दौड़ने वाले घोड़े उनकी गुरिल्ला युद्ध प्रणाली के संचालन में बहुत सहायक सिद्ध हुए।
2. पैदल सैनिक (Infantry)-मिसलों के समय पैदल सेना को कोई विशेष महत्त्व नहीं दिया जाता था। पैदल सैनिक किलों में पहरा देते, संदेश पहुँचाते और स्त्रियों और बच्चों की देखभाल करते थे।
3. भर्ती (Recruitment)-मिसल सेना में भर्ती होने के लिए किसी को भी विवश नहीं किया जाता था। सैनिकों को कोई नियमित प्रशिक्षण भी नहीं दिया जाता था। उनको नकद वेतन के स्थान पर युद्ध के दौरान की गई लूटमार से हिस्सा मिलता था।
4. सैनिकों के शस्त्र और सामान (Weapons and Equipment of the Soldiers)-सिख सैनिक युद्ध के समय तलवारों, तीर-कमानों, खंजरों, ढालों और बौँ का प्रयोग करते थे। इसके अतिरिक्त वे बंदूकों का प्रयोग भी करते थे।
5. लड़ाई का ढंग (Mode of Fighting)–मिसलों के समय सैनिक छापामार ढंग से अपने शत्रुओं का मुकाबला करते थे। इसका कारण यह था कि दुश्मनों के मुकाबले सिख सैनिकों के साधन बहुत सीमित थे। मारो और भागो इस युद्ध नीति का प्रमुख आधार था। सिखों की लड़ाई का यह ढंग उनकी सफलता का एक प्रमुख कारण बना।
6. मिसलों की कुल सेना (Total Strength of the Misls)-मिसल सैनिकों की कुल संख्या के संबंध में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। बी० सी० ह्यगल के अनुसार मिसलों के समय सिख सैनिकों की संख्या 69,500 थी। फ्रोस्टर के अनुसार मिसल सैनिकों की कुल संख्या दो लाख के लगभग थी। आधुनिक इतिहासकारों डॉ० हरी राम गुप्ता और एस० एस० गाँधी आदि के अनुसार यह संख्या लगभग एक लाख थी।
अंत में हम एस० एस० गाँधी के इन शब्दों से सहमत हैं,
“मिसल संगठन बिना शक बेढंगा था, परंतु यह उस समय के अनुरूप था। इसकी अपनी ही सफलताएँ और महान् प्राप्तियाँ थीं।”1
1. “The Misl organisation was undoubtedly. crude but it suited the times. It had its triumphs and grand achievements to its credit.” S.S. Gandhi, Struggle of the Sikhs for Sovereignty (Delhi : 1980) p. 300.
संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
मिसल शब्द से क्या अभिप्राय है ? मिसलों की उत्पत्ति कैसे हुई ? (What do you mean by the word Misl ? How did the Misls originate ?)
अथवा
मिसलों की उत्पत्ति का संक्षिप्त वर्णन करें। (Explain in brief about the origin of Misls.) (P.S.E.B. Mar. 2007, July 09)
अथवा
मिसलों से आपका क्या अभिप्राय है ? संक्षेप में उनकी उत्पत्ति के बारे में लिखें। (What do you understand by Misls ? Describe in brief about their origin.)
उत्तर-
मिसल से अभिप्राय फाइल से है जिसमें मिसलों के विवरण दर्ज किए जाते थे। बंदा सिंह बहादुर की शहीदी के पश्चात् पंजाब के मुग़ल सूबेदारों ने सिखों पर घोर अत्याचार किए। परिणामस्वरूप सिखों ने पहाड़ों और जंगलों में जाकर शरण ली। मुग़लों और अहमद शाह अब्दाली के आक्रमणों का मुकाबला करने के लिए 29 मार्च, 1748 ई० को अमृतसर में दल खालसा की स्थापना की गई। दल खालसा के अधीन 12 जत्थे गठित किए गए। कालांतर में इन जत्थों ने पंजाब में 12 स्वतंत्र सिख मिसलें स्थापित की।
प्रश्न 2.
मिसलों के संगठन के स्वरूप पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on the nature of Misl organisation.)
उत्तर-
सिख मिसलों के संगठन के स्वरूप के बारे में इतिहासकारों ने भिन्न-भिन्न मत प्रकट किए हैं। इसका कारण यह था कि मिसलों का राज्य प्रबंध किसी निश्चित शासन प्रणाली के अनुसार नहीं चलाया जाता था। अलगअलग सरदारों ने शासन प्रबंध चलाने के लिए आवश्यकतानुसार अपने-अपने नियम बना लिए थे। जे० डी० कनिंघम के विचारानुसार, सिख मिसलों के संगठन का स्वरूप धर्मतांत्रिक, संघात्मक और सामंतवादी.था। डॉ० ए० सी० बैनर्जी के विचारानुसार, “मिसलों का संगठन बनावट में प्रजातंत्रीय और एकता प्रदान करने वाले सिद्धांतों में धार्मिक था।”
प्रश्न 3.
नवाब कपूर सिंह पर एक संक्षेप नोट लिखें। (Write a short note on Nawab Kapoor Singh.)
अथवा
नवाब कूपर सिंह के जीवन का संक्षिप्त में वर्णन करें।
(Give a brief account of the life of Nawab Kapoor Singh.)
अथवा
नवाब कूपर सिंह कौन थे। उनकी सफलताओं का वर्णन करो। (Who was Nawab Kapoor Singh ? Describe his achievements.)
उत्तर-
नवाब कपूर सिंह फैज़लपुरिया मिसल के संस्थापक थे। 1733 ई० में पंजाब के मुग़ल सूबेदार जकरिया खाँ ने उन्हें नवाब का पद तथा एक लाख वार्षिक आय वाली जागीर दी। 1734 ई० में नवाब कपूर सिंह ने सिखों को दो जत्थों-बुड्डा दल और तरुणा दल में गठित किया। उन्होंने बड़ी योग्यता और सूझ-बूझ के साथ इन दोनों दलों का नेतृत्व किया। 1748 ई० में उन्होंने दल खालसा की स्थापना की। उन्होंने सिख पंथ का घोर कठिनाइयों के समय नेतृत्व किया। उनकी 1753 ई० में मृत्यु हो गई।
प्रश्न 4.
जस्सा सिंह आहलूवालिया की सफलताओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (Give a brief account of the achievements of Jassa Singh Ahluwalia.)
अथवा
जस्सा सिंह आहलूवालिया के विषय में आप क्या जानते हैं ? लिखें। (Write, what do you know about Jassa Singh Ahluwalia ?)
अथवा
जस्सा सिंह आहलूवालिया पर एक नोट लिखें।
(Write a note on Jassa Singh Ahluwalia.)
उत्तर-
जस्सा सिंह आहलूवालिया मिसल के संस्थापक थे। 1748 ई० में दल खालसा की स्थापना के समय जस्सा सिंह आहलूवालिया को सर्वोच्च सेनापति नियुक्त किया गया। 1761 ई० में जस्सा सिंह ने लाहौर पर विजय प्राप्त की। 1762 ई० में बड़े घल्लूघारे के समय जस्सा सिंह ने अहमद शाह अब्दाली की सेना से डट कर मुकाबला किया। 1764 ई० में जस्सा सिंह ने सरहिंद पर अधिकार कर लिया। जस्सा सिंह ने कपूरथला पर कब्जा कर उसे आहलूवालिया मिसल की राजधानी घोषित किया। 1783 ई० में वह हम से सदा के लिए बिछुड़ गए।
प्रश्न 5.
जस्सा सिंह रामगढ़िया कौन था ? उसकी सफ़लताओं का संक्षेप वर्णन करें। (Who was Jassa Singh Ramgarhia ? Write a short note on his achievements.)
अथवा
जस्सा सिंह रामगढ़िया के बारे में आप क्या जानते हैं ? लिखें। (Write, what do you know about Jassa Singh Ramgarhia ?)
उत्तर-
जस्सा सिंह रामगढ़िया मिसल का सबसे प्रसिद्ध नेता था। मीर मन्नू की मृत्यु के पश्चात् पंजाब में फैली अराजकता का लाभ उठाकर जस्सा सिंह ने कलानौर, बटाला, हरगोबिंदपुर, कादियाँ, टाँडा, करतारपुर और हरिपुर इत्यादि पर अधिकार करके रामगढ़िया मिसल का खूब विस्तार किया। उसके नेतृत्व में यह मिसल उन्नति के शिखर पर पहुँच गई थी। उसने श्री हरगोबिंदपुर को रामगढ़िया मिसल की राजधानी घोषित किया। जस्सा सिंह की 1803 ई० में मृत्यु हो गई।
प्रश्न 6.
महा सिंह पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on Mahan Singh.)
उत्तर-
1774 ई० में महा सिंह शुकरचकिया मिसल का नया मुखिया बना। महा सिंह ने शुकरचकिया मिसल के प्रदेशों का विस्तार प्रारंभ किया। उसने सबसे पहले रोहतास पर अधिकार किया। इसके पश्चात् रसूल नगर और अलीपुर प्रदेशों पर अधिकार किया। महां सिंह ने सभी सरदारों से मुलतान, बहावलपुर, साहीवाल आदि प्रदेशों को भी जीत लिया। बटाला के निकट हुए युद्ध में जय सिंह का पुत्र गुरबख्श सिंह मारा गया। कुछ समय पश्चात् शुकरचकिया और कन्हैया मिसलों में मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित हो गए। 1792 ई० में महा सिंह की मृत्यु हो गई।
प्रश्न 7.
फुलकियाँ मिसल पर एक संक्षेप नोट लिखें। (Wrie a short note on Phulkian Misl.)
उत्तर-
फुलकियाँ मिसल का संस्थापक चौधरी फूल था। उसके वंश ने पटियाला, नाभा तथा जींद के प्रदेशों पर अपना राज्य स्थापित किया। पटियाला में फुलकियाँ मिसल का संस्थापक आला सिंह था। वह बहुत बहादुर था। उसने अनेकों प्रदेशों पर कब्जा किया तथा बरनाला को अपनी राजधानी बनाया। उसने 1765 ई० में अहमद शाह
अब्दाली से समझौता किया। नाभा में फुलकियाँ मिसल की स्थापना हमीर सिंह ने की थी। उसने 1755 ई० से 1783 ई० तक शासन किया। जींद में फुलकियाँ मिसल का संस्थापक गजपत सिंह था। उसने अपनी सुपुत्री राज कौर की शादी महा सिंह से की। 1809 ई० में फुलकियाँ मिसल अंग्रेजों के संरक्षण में चली गई थी।
प्रश्न 8.
आला सिंह पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on Ala Singh.)
उत्तर-
आला सिंह पटियाला में फुलकियाँ मिसल का संस्थापक था। उसने 1748 ई० में अहमद शाह अब्दाली के प्रथम आक्रमण के दौरान मुग़लों की सहायता की। शीघ्र ही आला सिंह ने बुढलाडा, टोहाना, भटनेर और जैमलपुर के प्रदेशों पर अधिकार कर लिया। 1765 ई० में अहमद शाह अब्दाली ने आला सिंह को सरहिंद का सूबेदार नियुक्त कर दिया। अब्दाली के साथ समझौते के कारण दल खालसा के सदस्यों ने आला सिंह को अब्दाली से अपने संबंध तोड़ने का निर्देश दिया, परंतु शीघ्र ही वह इस संसार से कूच कर गए।
प्रश्न 9.
खालसा के विषय में आप क्या जानते हैं ? (What do you understand by Sarbat Khalsa ?)
अथवा
सरबत खालसा के बारे में नोट लिखें। (Write a note on Sarbat Khalsa.)
उत्तर-
सरबत खालसा का आयोजन सिख पंथ से संबंधित विषयों पर विचार के लिए हर वर्ष दीवाली और बैसाखी के अवसर पर अकाल तख्त साहिब अमृतसर में किया जाता था। सारे सिख गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष माथा टेक कर बैठ जाते थे। इसके पश्चात् कीर्तन होता था फिर अरदास की जाती थी। इसके बाद कोई एक सिख खड़ा होकर संबंधित समस्या के बारे सरबत खालसा को बताता था। निर्णय सर्वसम्मति से लिया जाता था।
प्रश्न 10.
गुरमता से क्या अभिप्राय है ? गुरमता के कार्यों की संक्षेप जानकारी दें।
(What is meant by Gurmata ? Give a brief account of its functions.)
अथवा
गुरमता पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए। (Write a brief note on Gurmata.)
अथवा
गुरमता के बारे में आप क्या जानते हो?
(What do you know about Gurmata ?)
अथवा
गुरमता से क्या भाव है ? गुरमता के तीन विशेष कार्य बताएँ। (What is meant by Gurmata ? Discuss about the three main works of Gurmata.)
उत्तर-
गुरमता सिख मिसलों की केंद्रीय संस्था थी। गुरमता गुरु और मता के मेल से बना है-जिसके शाब्दिक अर्थ हैं, ‘गुर का मत या निर्णय’। दूसरे शब्दों में, गुरु ग्रंथ साहिब जी की उपस्थिति में सरबत खालसा द्वारा जो निर्णय लिए जाते थे उनको गुरमता कहा जाता था। इन गुरमतों का सभी सिख पालन करते थे। गुरमता के महत्त्वपूर्ण कार्य थे-सिखों की नीति तैयार करना, दल खालसा के नेता का चुनाव करना, शत्रुओं के विरुद्ध सैनिक योजनाओं को अंतिम रूप देना, सिख सरदारों के झगड़ों का निपटारा करना और सिख धर्म का प्रचार का प्रबंध करना।
प्रश्न 11.
मिसलों के आंतरिक संगठन की कोई तीन विशेषताएँ बताओ। (Mention any three features of internal organisation of Sikh Misls.)
अथवा
सिख मिसलों का अंदरूनी संगठन कैसा था ? व्याख्या करें।
(Describe the internal organisation of Sikh Misls.)
अथवा
मिसल प्रबंध की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।
(Describe the main features of Misl Administration.)
अथवा
मिसलों के आंतरिक संगठन की कोई पाँच विशेषताएँ बताएँ। (Write five features of internal organisation of the Sikh Misls.)
उत्तर-
मिसल का प्रधान सरदार कहलाता था। सरदार अपनी प्रजा से स्नेह रखते थे। मिसल प्रशासन की सबसे छोटी इकाई गाँव थी। गाँव का प्रबंध पंचायत के हाथों में था। मिसलों का न्याय प्रबंध साधारण था। कानून लिखित नहीं थे। मुकद्दमों का फैसला प्रचलित रीति-रिवाजों के अनुसार किया जाता था। सज़ाएँ अधिक सख्त नहीं थीं। आमतौर पर जुर्माना ही वसूल किया जाता था। मिसलों की आमदनी का मुख्य साधन भूमि का लगान था। सरदार गाँव के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते थे।
प्रश्न 12.
राखी प्रणाली पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on Rakhi system.)
अथवा
राखी प्रणाली क्या है ? संक्षिप्त व्याख्या करें। (What is Rakhi system ? Explain in brief.)
अथवा
‘राखी व्यवस्था’ के विषय में आप क्या जानते हैं ? संक्षेप में लिखिए।
(What do you know about Rakhi system ? Write in brief.)
अथवा
राखी प्रणाली क्या है ? इसका आरंभ कैसे हुआ ? (What is Rakhi system ? Explain its origin.)
अथवा
राखी व्यवस्था के बारे में आप क्या जानते हैं ? (What do you know about ‘Rakhi system’ ?)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर की शहीदी के पश्चात् पंजाब में राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बन गया। लोगों को सदैव लूटमार का भय लगा रहता था। इसलिए बहुत-से गाँवों ने अपनी रक्षा के लिए मिसलों की शरण ली। सिसल सरदार उनकी शरण में आने वाले गाँवों को सरकारी कर्मचारियों तथा विदेशी आक्रमणकारियों की लूटपाट से बचाते थे। इसके अतिरिक्त वे स्वयं भी इन गाँवों पर कभी आक्रमण नहीं करते थे। राखी प्रणाली से लोगों का जीवन सुरक्षित हुआ।
प्रश्न 13.
मिसल काल के वित्तीय प्रबंध के बारे में आप क्या जानते हैं ? (What do you know about the financial administration of Misl period ?)
अथवा
मिसल शासन की अर्थ-व्यवस्था पर नोट लिखें। (Write a short note on economy under the Misls.)
उत्तर-
मिसल काल में मिसलों की आय का मुख्य स्रोत भू-राजस्व था। यह भूमि की उपजाऊ शक्ति के आधार पर भिन्न-भिन्न होता था। यह प्रायः कुल उपज का 1/3 से 1/4 भाग तक होता था। भू-राजस्व के बाद मिसलों की आय का दूसरा मुख्य साधन राखी प्रथा था। मिसल सरदार अपनी आय का एक बड़ा भाग सेना, घोड़ों तथा हथियारों पर खर्च करते थे। वे गुरुद्वारों तथा मंदिरों को दान भी देते थे।
प्रश्न 14.
मिसलों की न्याय व्यवस्था पर नोट लिखें।
(Write a note on the Judicial system of Misls.)
उत्तर-
सिख मिसलों के समय न्याय प्रबंध बिल्कुल साधारण था। कानून लिखित नहीं थे। मुकद्दमों के फैसले उस समय के प्रचलित रीति-रिवाजों के अनुसार किए जाते थे। उस समय सजाएँ सख्त नहीं थीं। किसी भी अपराधी को मृत्यु दंड नहीं दिया जाता था। अधिकतर अपराधियों से जुर्माना वसूल किया जाता था। गाँव में अधिकतर मुकद्दमों का फैसला पंचायतों द्वारा ही किया जाता था। लोग पंचायत को परमेश्वर समझ कर उसका फैसला स्वीकार करते थे। प्रत्येक मिसल के सरदार की अपनी अलग अदालत होती थी।
प्रश्न 15.
सिख मिसलों के सैनिकों प्रबंध की मुख्य विशेषताएँ बताएँ।
(Describe the main features of military administratidn of Sikh Misls.)
अथवा
सिख मिसलों के सैनिक प्रबंध की मुख्य तीन विशेषताएँ लिखिए। (Write three main features of military administration of Sikh Misls.)
उत्तर-
- मिसलों के काल में घुड़सवार सेना को सेना का महत्त्वपूर्ण अंग माना जाता था।
- लोग अपनी इच्छा से सेना में भर्ती होते थे।
- इन सैनिकों को कोई नियमित प्रशिक्षण नहीं दिया जाता था तथा उन्हें नकद वेतन भी नहीं दिया जाता था।
- उस समय सैनिकों का कोई विवरण नहीं रखा जाता था।
- सिख सैनिक सीमित साधनों के कारण छापामार ढंग से दुश्मन का मुकाबला करते थे।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
(i) एक शब्द से एक पंक्ति तक के उत्तर (Answer in One Word to One Sentence)
प्रश्न 1.
मिसल शब्द से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
मिसल शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
समान।
प्रश्न 2.
मिसल किस भाषा का शब्द है ?
उत्तर-
अरबी।
प्रश्न 3.
मिसलों की कुल संख्या कितनी थी ?
उत्तर-
12.
प्रश्न 4.
पंजाब में सिख मिसलें किस शताब्दी में स्थापित हुईं ?
उत्तर-
18वीं शताब्दी।
प्रश्न 5.
किसी एक प्रमुख मिसल का नाम लिखें।
उत्तर-
आहलूवालिया मिसल।
प्रश्न 6.
फैजलपुरिया मिसल का संस्थापक कौन था ?
उत्तर-
नवाब कपूर सिंह।
प्रश्न 7.
फैज़लपुरिया मिसल के सबसे प्रसिद्ध नेता का नाम बताएँ।
उत्तर-
नवाब कपूर सिंह।
प्रश्न 8.
नवाब कपूर सिंह कौन था ?
उत्तर-
फैज़लपुरिया मिसल का संस्थापक।
प्रश्न 9.
नवाब कपूर सिंह ने किस मिसल की स्थापना की?
उत्तर-
फैज़लपुरिया मिसल।
प्रश्न 10.
आहलूवालिया मिसल का संस्थापक कौन था ?
उत्तर-
जस्सा सिंह आहलूवालिया।
प्रश्न 11.
आहलूवालिया मिसल का यह नाम क्यों पड़ा ?
उत्तर-
क्योंकि जस्सा सिंद्र लाहौर के नज़दीक स्थित आहलू गाँव से संबंधित था।
प्रश्न 12.
आहलूवालिया मिसल की राजधानी का नाम क्या था ?
उत्तर-
कपूरथला।
प्रश्न 13.
जस्सा सिंह आहलूवालिया कौन था ?
उत्तर-
आहलूवालिया मिसल का संस्थापक।
प्रश्न 14.
रामगढ़िया मिसल की राजधानी कौन-सी थी ?
उत्तर-
श्री हरगोबिंदपुर।
प्रश्न 15.
रामगढ़िया मिसल के किसी एक सर्वाधिक प्रसिद्ध नेता का नाम बताएँ ।
उत्तर-
जस्सा सिंह रामगढ़िया।
प्रश्न 16.
जस्सा सिंह रामगढ़िया कौन था ?
उत्तर-
रामगढ़िया मिसल का सबसे शक्तिशाली सरदार।
प्रश्न 17.
भंगी मिसल का संस्थापक कौन था ?
उत्तर-
छज्जा सिंह।
प्रश्न 18.
भंगी मिसल का यह नाम क्यों पड़ा ?
उत्तर-
क्योंकि इस मिसल के नेताओं को भांग पीने की बहुत आदत थी।
प्रश्न 19.
सिख मिसलों में सबसे शक्तिशाली मिसल कौन-सी थी ?
उत्तर-
शुकरचकिया मिसल।
प्रश्न 20.
शुकरचकिया मिसल का संस्थापक कौन था ?
उत्तर-
चढ़त सिंह।
प्रश्न 21.
शुकरचकिया मिसल की राजधानी का नाम बताएँ।
उत्तर-
गुजराँवाला।
प्रश्न 22.
महा सिंह कौन था ?
उत्तर-
महा सिंह 1774 ई० में शुकरचकिया मिसल का नेता बना।
प्रश्न 23.
कन्हैया मिसल का संस्थापक कौन था ?
उत्तर-
जय सिंह।
प्रश्न 24.
फुलकियाँ मिसल का संस्थापक कौन था ?
उत्तर-
चौधरी फूल।
प्रश्न 25.
बाबा आला सिंह कौन था ?
उत्तर-
पटियाला में फुलकियाँ मिसल का संस्थापक।
प्रश्न 26.
बाबा आला सिंह की राजधानी का नाम क्या था ?
उत्तर-
बरनाला।
प्रश्न 27.
अहमद शाह अब्दाली ने किसे राजा की उपाधि से सम्मानित किया था ?
उत्तर-
बाबा आला सिंह को।
प्रश्न 28.
डल्लेवालिया मिसल का सबसे योग्य नेता कौन था ?
उत्तर-
तारा सिंह घेबा।
प्रश्न 29.
शहीद मिसल का संस्थापक कौन था ?
उत्तर-
सरदार सुधा सिंह।
प्रश्न 30.
शहीद मिसल का यह नाम क्यों पड़ा ?
उत्तर-
इस मिसल के नेताओं द्वारा दी गई शहीदियों के कारण ।
प्रश्न 31.
सिख मिसलों की केंद्रीय संस्था कौन-सी थी ?
अथवा
सिखों की केंद्रीय संस्था का क्या नाम था ?
उत्तर-
गुरमता।
प्रश्न 32.
गुरमता से क्या भाव है ?
उत्तर-
गुरु का फैसला।
प्रश्न 33.
गुरुमता के पीछे कौन-सी शक्ति काम करती थी ?
उत्तर-
धार्मिक।
प्रश्न 34.
सरबत खालसा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अकाल तख्त साहिब, अमृतसर में आयोजित किया जाने वाला सिख सम्मेलन।।
प्रश्न 35.
सरबत खालसा की सभाएँ कहाँ बुलाई जाती थीं ?
उत्तर-
अमृतसर।
प्रश्न 36.
सिख मिसलों के मुखिया को क्या कहा जाता था ?
उत्तर-
सरदार।
प्रश्न 37.
सिख मिसलों के प्रशासन की कोई एक विशेषता बताएँ।
उत्तर-
सिख मिसलों के सरदार अपनी प्रजा से बहुत प्रेम करते थे।
प्रश्न 38.
राखी प्रणाली से क्या भाव है ?
अथवा
राखी प्रथा क्या है ?
उत्तर-
राखी प्रणाली के अंतर्गत आने वाले गाँवों को सिख सुरक्षा प्रदान करते थे।
प्रश्न 39.
मिसल सेना की लड़ने की विधि कौन सी थी ?
उत्तर-
गुरिल्ला विधि।
(ii) रिक्त स्थान भरें (Fill in the Blanks)
प्रश्न 1.
18वीं शताब्दी में पंजाब में…….स्वतंत्र सिख मिसलें स्थापित हुईं।
उत्तर-
(12)
प्रश्न 2.
नवाब कपूर सिंह……मिसल का संस्थापक था।
उत्तर-
(फैजलपुरिया)
प्रश्न 3.
नवाब कपूर सिंह ने…….में दल खालसा की स्थापना की थी।
उत्तर-
(1748 ई०)
प्रश्न 4.
आहलूवालिया मिसल का संस्थापक……..था।
उत्तर-
(जस्सा सिंह आहलूवालिया)
प्रश्न 5.
जस्सा सिंह आहलूवालिया ने ………….को अपनी राजधानी बनाया।
उत्तर-
(कपूरथला)
प्रश्न 6.
रामगढ़िया मिसल का संस्थापक……….था।
उत्तर-
(खुशहाल सिंह)
प्रश्न 7.
रामगढ़िया मिसल का सबसे प्रसिद्ध नेता………था।
उत्तर-
(जस्सा सिंह रामगढ़िया)
प्रश्न 8.
जस्सा सिंह रामगढ़िया की राजधानी का नाम………था।
उत्तर-
(श्री हरिगोबिंद पुर)
प्रश्न 9.
झंडा सिंह……….मिसल का एक प्रसिद्ध नेता था।
उत्तर-
(भंगी)
प्रश्न 10.
शुकरचकिया मिसल का संस्थापक………था।
उत्तर-
(चढ़त सिंह)
प्रश्न 11.
1774 ई० में………शुकरचकिया मिसल का नया नेता बना।
उत्तर-
(महा सिंह)
प्रश्न 12.
शुकरचकिया मिसल की राजधानी का नाम……….था।
उत्तर-
(गुजराँवाला)
प्रश्न 13.
बाबा दीप सिंह जी …………. मिसल के साथ संबंध रखते थे।
उत्तर-
(शहीद)
प्रश्न 14.
महाराजा रणजीत सिंह ने………में शुकरचकिया मिसल की बागडोर संभाली।
उत्तर-
(1792 ई०)
प्रश्न 15.
कन्हैया मिसल का संस्थापक………….था।
उत्तर-
(जय सिंह)
प्रश्न 16.
फुलकियाँ मिसल का संस्थापक………था।
उत्तर-
(चौधरी फूल)
प्रश्न 17.
पटियाला में फुलकियाँ मिसल का संस्थापक……….था।
उत्तर
(बाबा आला सिंह)
प्रश्न 18.
बाबा आला सिंह ने…………को अपनी राजधानी बनाया। .
उत्तर-
(बरनाला)
प्रश्न 19.
डल्लेवालिया मिसल के सबसे प्रसिद्ध नेता का नाम……….था।
उत्तर
(तारा सिंह घेबा)
प्रश्न 20.
शहीद मिसल का संस्थापक………….था।
उत्तर-
(सुधा सिंह)
प्रश्न 21.
बाबा दीप सिंह जी का संबंध………मिसल के साथ था।
उत्तर-
(शहीद)
प्रश्न 22.
सिख मिसलों की केंद्रीय संस्था का नाम……….था।
उत्तर-
(गुरमता)
प्रश्न 23.
मिसल काल में मिसल के मुखिया को…………..कहा जाता था। .
उत्तर-
(सरदार)
प्रश्न 24.
सिख मिसलों के समय आमदन का मुख्य स्रोत………..था।
उत्तर-
(भूमि लगान)
प्रश्न 25.
राखी प्रथा पंजाब में………….शताब्दी में प्रचलित हुई।
उत्तर-
(18वीं)
प्रश्न 26.
मिसल काल में अपराधियों से अधिकतर………….वसूल किया जाता था।
उत्तर-
(जुर्माना)
प्रश्न 27.
सिख मिसलों के समय सैनिक……….से अपने दुश्मनों का सामना करते थे।
उत्तर-
(छापामार ढंग)
(iii) ठीक अथवा गलत (True or False)
नोट-निम्नलिखित में से ठीक अथवा गलत चुनें—
प्रश्न 1.
18वीं सदी में पंजाब में 12 स्वतंत्र सिख मिसलों की स्थापना हुई।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 2.
मिसल अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है बराबर।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 3.
नवाब कपूर सिंह फैज़लपुरिया मिसल का संस्थापक था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 4.
फैजलपुरिया मिसल को आहलूवालिया मिसल भी कहा जाता है। .
उत्तर-
गलत
प्रश्न 5.
नवाब कपूर सिंह ने 1734 ई० में दल खालसा की स्थापना की थी।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 6.
नवाब कपूर सिंह दल खालसा का प्रधान सेनापति था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 7.
नवाब कपूर सिंह की मृत्य 1753 ई० में हुई थी।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 8.
आहलूवालिया मिसल का संस्थापक जस्सा सिंह रामगढ़िया था।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 9.
1748 ई० में जस्सा सिंह आहलूवालिया को दल खालसा का सर्वोच्च सेनापति नियुक्त किया। गया था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 10.
जस्सा सिंह आहलूवालिया को सुल्तान-उल-कौम की उपाधि से सम्मानित किया गया था ।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 11.
जस्सा सिंह आहलूवालिया ने कपूरथला को अपनी राजधानी बनाया था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 12.
रामगढ़िया मिसल का सबसे प्रसिद्ध नेता जस्सा सिंह रामगढ़िया था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 13.
जस्सा सिंह रामगढ़िया ने करतारपुर को अपनी राजधानी बनाया।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 14.
भंगी मिसल का यह नाम इसके नेताओं द्वारा भांग पीने के कारण पड़ा।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 15.
शुकरचकिया मिसल का संस्थापक महाराजा रणजीत सिंह था।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 16.
शुकरचकिया मिसल की राजधानी का नाम लाहौर था।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 17.
1792 ई० में महाराजा रणजीत सिंह ने शुकरचकिया मिसल की बागडोर संभाली।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 18.
जय सिंह कन्हैया मिसल का संस्थापक था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 19.
रानी जिंदा कन्हैया मिसल की आगू थी।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 20.
डल्लेवालिया मिसल के सब से प्रसिद्ध नेता बाबा दीप सिंह जी थे।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 21.
बाबा आला सिंह ने बरनाला को अपनी राजधानी बनाया था। .
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 22.
बाबा आला सिंह की मृत्यु 1762 ई० में हुई थी।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 23.
1765 ई० में अहमद सिंह पटियाला की गद्दी पर बैठा था। . .
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 24.
अहमद शाह अब्दाली ने आला सिंह को ‘राजा-ए-राजगान बहादुर’ की उपाधि से सम्मानित किया था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 25.
निशानवालिया मिसल का संस्थापक हमीर सिंह था।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 26.
सिख मिसलों की केंद्रीय संस्था का नाम गुरमता था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 27.
मिसल के मुखिया को मिसलदार कहा जाता था।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 28.
18वीं सदी में पंजाब में राखी प्रथा का प्रचलन हुआ।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 29.
मिसल काल में सरबत खालसा को सिखों की सर्वोच्च अदालत कहा जाता था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 30.
सिख मिसलों के सैनिक अपने दुश्मनों का मुकाबला छापामार ढंग से करते थे।
उत्तर-
ठीक
(iv) बहु-विकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
नोट-निम्नलिखित में से ठीक उत्तर का चयन कीजिए—
प्रश्न 1.
पंजाब में स्थापित मिसलों की कुल संख्या कितनी थी ?
(i) 5
(ii) 10
(iii) 12
(iv) 15
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 2.
नवाब कपूर सिंह कौन था ?
(i) फैजलपुरिया मिसल का संस्थापक
(ii) जालंधर का फ़ौजदार
(iii) पंजाब का सूबेदार
(iv) आहलूवालिया मिसल का नेता।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 3.
मिसल का संस्थापक कौन था ?
(i) जस्सा सिंह
(ii) भाग सिंह
(iii) फ़तह सिंह
(iv) खुशहाल सिंह।
उत्तर-(i)
प्रश्न 4.
आहलूवालिया मिसल की राजधानी कौन-सी थी ?
(i) अमृतसर
(ii) कपूरथला
(iii) लाहौर
(iv) श्री हरगोबिंदपुर।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 5.
रामगढ़िया मिसल का संस्थापक कौन था ?
(i) जस्सा सिंह रामगढ़िया
(ii) खुशहाल सिंह
(iii) जोध सिंह
(iv) भाग सिंह।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 6.
रामगढ़िया मिसल का सबसे प्रसिद्ध नेता कौन था ?
(i) जस्सा सिंह रामगढ़िया
(ii) नंद सिंह
(iii) खुशहाल सिंह
(iv) जोध सिंह।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 7.
रामगढ़िया मिसल की राजधानी का क्या नाम था ?
(i) कपूरथला
(ii) श्री हरगोबिंदपुर
(iii) लाहौर
(iv) बरनाला।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 8.
भंगी मिसल का संस्थापक कौन था ?
(i) हरी सिंह
(ii) छज्जा सिंह
(iii) गुलाब सिंह
(iv) भीम सिंह।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 9.
भंगी मिसल का सबसे प्रसिद्ध नेता कौन था ?
(i) हरी सिंह
(ii) झंडा सिंह
(iii) गंडा सिंह
(iv) भीम सिंह।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 10.
सिख मिसलों में सबसे शक्तिशाली मिसल कौन-सी थी ?
(i) शुकरचकिया मिसल
(ii) भंगी मिसल
(iii) कन्हैया मिसल
(iv) फुलकियाँ मिसल।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 11.
शुकरचकिया मिसल का संस्थापक कौन था ?
(i) खुशहाल सिंह
(ii) नवाब कपूर सिंह
(iii) छज्जा सिंह
(iv) चढ़त सिंह।
उत्तर-
(iv)
प्रश्न 12.
शुकरचकिया मिसल की राजधानी का नाम बताएँ ।
(i) अमृतसर
(ii) लाहौर
(iii) गुजराँवाला
(iv) बरनाला।
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से किस नगर पर चढ़त सिंह ने अधिकार नहीं किया था ?
(i) स्यालकोट
(ii) चकवाल
(iii) गुजराँवाला
(iv) अलीपुर
उत्तर-
(iv)
प्रश्न 14.
महा सिंह की मृत्यु कब हुई ?
अथवा
रणजीत सिंह कब शुकरचकिया मिसल का नेता बना ?
(i) 1770 ई० में
(ii) 1780 ई० में
(iii) 1782 ई० में
(iv) 1792 ई० में।
उत्तर-
(iv)
प्रश्न 15.
कन्हैया मिसल का संस्थापक कौन था ?
(i) जय सिंह
(ii) सदा कौर
(iii) बाबा आला सिंह
(iv) जस्सा सिंह आहलूवालिया।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 16.
सदा कौर कौन थी ?
(i) कन्हैया मिसल की नेता
(i) महा सिंह की सास
(iii) भंगी मिसल की नेता
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 17.
फुलकियाँ मिसल का संस्थापक कौन था ?
(i) चौधरी फूल
(ii) छज्जा सिंह
(iii) नवाब कपूर सिंह
(iv) गंडा सिंह।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 18.
पटियाला रियासत का संस्थापक कौन था ?
(i) अमर सिंह
(ii) बाबा आला सिंह
(ii) हमीर सिंह
(iv) गजपत सिंह।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 19.
बाबा आला सिंह ने किसको पटियाला रियासत की राजधानी बनाया ?
(i) कपूरथला
(ii) श्री हरगोबिंदपुर
(iii) बरनाला
(iv) गुजरांवाला।
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 20.
डल्लेवालिया मिसल का सबसे प्रसिद्ध सरदार कौन था ?
(i) गुलाब सिंह
(ii) तारा सिंह घेबा
(iii) जय सिंह
(iv) बाबा आला सिंह।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 21.
शहीद मिसल का सबसे प्रसिद्ध नेता कौन था ?
(i) सुधा सिंह
(ii) बाबा दीप सिंह जी
(iii) कर्म सिंह
(iv) गुरबख्श सिंह।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 22.
नकई मिसल का संस्थापक कौन था?
(i) नाहर सिंह
(ii) हीरा सिंह
(iii) राम सिंह
(iv) काहन सिंह ।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 23.
सिख मिसलों की केंद्रीय संस्था कौन-सी थी ?
(i) राखी प्रथा
(ii) जागीरदारी
(iii) गुरमता
(iv) मिसल।
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 24.
मिसल काल में जिले के मुखिया को क्या कहा जाता था ?
(i) ज़िलेदार
(ii) कारदार
(iii) थानेदार
(iv) सरदार।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 25.
राखी प्रथा क्या थी ?
(i) विदेशी आक्रमणकारियों से गाँव की रक्षा करनी
(ii) फसलों की देखभाल करनी
(iii) स्त्रियों की रक्षा करनी
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 26.
मिसल काल में सबसे महत्त्वपूर्ण किस सेना को माना जाता था ?
(i) घुड़सवार सेना को
(ii) पैदल सेना को
(iii) रथ सेना को
(iv) नौसेना को।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 3.
पंजाब की किन्हीं छ: मिसलों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (Explain briefly any six Misls of Punjab.) a
उत्तर-
1. फैजलपुरिया मिसल-इस मिसल का संस्थापक नवाब कपूर सिंह था। उसने सर्वप्रथम अमृतसर के समीप फैजलपुर नामक गाँव पर अधिकार किया था। इसलिए इस मिसल का नाम फैजलपुरिया मिसल पड़ गया था। नवाब कपूर सिंह अपनी वीरता के कारण सिखों में बहुत प्रख्यात था। 1753 ई० में नवाब कपूर सिंह की मृत्यु के उपरांत खुशहाल सिंह तथा बुद्ध सिंह ने इस मिसल का नेतृत्व किया।
2. भंगी मिसल-भंगी मिसल की स्थापना यद्यपि सरदार छज्जा सिंह ने की थी परंतु सरदार हरी सिंह को इस मिसल का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। झंडा सिंह एवं गंडा सिंह इस मिसल के अन्य प्रसिद्ध नेता थे। क्योंकि इस मिसल के नेताओं को भंग पीने की बहुत आदत थी इसलिए इस मिसल का नाम भंगी मिसल पड़ा।
3. रामगढ़िया मिसल-रामगढ़िया मिसल का संस्थापक खुशहाल सिंह था। इस मिसल का सबसे प्रख्यात नेता सरदार जस्सा सिंह रामगढ़िया था। इस मिसल की राजधानी का नाम श्री हरगोबिंदपुर था। 1803 ई० में जस्सा सिंह रामगढ़िया की मृत्यु के उपरांत सरदार जोध सिंह ने इस मिसल का नेतृत्व किया।
4. शुकरचकिया मिसल-शुकरचकिया मिसल का संस्थापक सरदार चढ़त सिंह था। क्योंकि उसके पुरखे शुकरचक गाँव से संबंधित थे इसलिए इस मिसल का नाम शुकरचकिया मिसल पड़ा। वह एक साहसी योद्धा था। शुकरचकिया मिसल की राजधानी का नाम गुजराँवाला था। चढ़त सिंह के पश्चात् महा सिंह तथा रणजीत सिंह ने शुकरचकिया मिसल का कार्यभार संभाला। 1799 ई० में महाराजा रणजीत सिंह ने लाहौर पर अधिकार कर लिया था तथा यह विजय पंजाब के इतिहास में एक नया मोड़ प्रमाणित हुई।
5. कन्हैया मिसल-कन्हैया मिसल का संस्थापक जय सिंह था। क्योंकि वह कान्हा गाँव का निवासी था इसलिए इस मिसल का नाम कन्हैया मिसल पड़ा। जय सिंह काफ़ी बहादुर था। 1798 ई० में जय सिंह की मृत्यु के पश्चात् सदा कौर इस मिसल की नेता बनी। वह महाराजा रणजीत सिंह की सास थी तथा बहुत महत्त्वाकांक्षी थी।
6. आहलूवालिया मिसल-आहलूवालिया मिसल का संस्थापक सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया था। उसने जालंधर दोआब तथा बारी दोआब के इलाकों पर कब्जा करके अपनी वीरता का परिचय दिया। उसे सुल्तानउल-कौम की उपाधि से सम्मानित किया गया। आहलूवालिया मिसल की राजधानी का नाम कपूरथला था। 1783 ई० में जस्सा सिंह आहलूवालिया की मृत्यु के पश्चात् भाग सिंह तथा फतेह सिंह ने शासन किया।
प्रश्न 4.
नवाब कपूर सिंह पर एक संक्षेप नोट लिखें।
(Write a short note on Nawab Kapoor Singh.)
अथवा
नवाब कपूर सिंह के बारे में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about Nawab Kapoor Singh ?)..
उत्तर-
नवाब कपूर सिंह सिखों के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता थे। वह फैजलपुरिया मिसल के संस्थापक थे। उनका जन्म 1697 ई० में कालोके नामक गाँव में हुआ था। उसके पिता का नाम दलीप सिंह था और वह जाट परिवार से संबंध रखते थे। कपूर सिंह शीघ्र ही सिखों के प्रसिद्ध मुखिया बन गए। 1733 ई० में उन्होंने पंजाब के मुग़ल सूबेदार जकरिया खाँ से नवाब का पद. तथा एक लाख वार्षिक आय वाली जागीर प्राप्त की। 1734 ई० में नवाब कपूर सिंह ने सिख शक्ति को संगठित करने के उद्देश्य से उनको दो जत्थों बुड्डा दल और तरुणा दल में गठित किया। उन्होंने बड़ी योग्यता और सूझ-बूझ के साथ इन दोनों दलों का नेतृत्व किया। जकरिया खाँ सिखों की बढ़ती हुई शक्ति को सहन करने को तैयार नहीं था। इसलिए उसने 1735 ई० में सिखों को दी गई जागीर को वापस ले लिया। उसने सिखों पर घोर अत्याचार आरंभ कर दिए। नवाब कपूर सिंह के नेतृत्व में खालसा ने इतने भयानक कष्टों को खुशी-खुशी सहन किया किंतु उन्होंने जकरिया खाँ के प्रभुत्व को स्वीकार नहीं किया। नवाब कपूर सिंह ने 1736 ई० में सरहिंद में भयंकर लूटमार की। नवाब कपूर सिंह ने 1739 ई० में नादिरशाह को दिन में तारे दिखा दिए थे। उसने 1748 ई० में अमृतसर को अपने अधीन कर लिया था। 1748 ई० में उन्होंने दल खालसा की स्थापना करके सिख पंथ के लिए महान कार्य किया। नवाब कपूर सिंह न केवल एक वीर योद्धा था अपितु वह सिख पंथ का एक महान् प्रचारक भी था। उसने बड़ी संख्या में लोगों को सिख धर्म में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया। निस्संदेह सिख पंथ के विकास तथा उसको संगठित करने के लिए नवाब कपूर सिंह ने बहुमूल्य योगदान दिया। उनकी 1753 ई० में मृत्यु हो गई।
प्रश्न 5.
जस्सा सिंह आहलूवालिया की सफलताओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (Give a brief account of the achievements of Jassa Singh Ahluwalia.)
अथवा
जस्सा सिंह आहलूवालिया के विषय में आप क्या जानते हैं ? लिखें। (Write, what do you know about Jassa Singh Ahluwalia ?)
अथवा
जस्सा सिंह आहलूवालिया पर एक नोट लिखें। (Write a note on Jassa Singh Ahluwalia.)
उत्तर-
जस्सा सिंह आहलूवालिया 18वीं शताब्दी में सिखों का एक योग्य एवं वीर नेता था। वह आहलूवालिया मिसल का संस्थापक था। उसका जन्म 1718 ई० में लाहौर के निकट स्थित आहलू नामक गाँव में हुआ था। आप के पिता का नाम बदर सिंह था। जस्सा सिंह अभी छोटे ही थे कि उनके पिता का देहांत हो गया। नवाब कपूर सिंह ने जस्सा सिंह आहलूवालिया को अपने पुत्र की तरह पालन-पोषण किया। 1739 ई० में जस्सा सिंह आहलूवालिया के नेतृत्व में सिखों ने नादिरशाह की सेना पर आक्रमण करके बहुत-सा धन लूट लिया था। निस्संदेह यह एक अत्यंत साहसी कार्य था। 1746 ई० में छोटे घल्लूघारे के समय इन्होंने वीरता के वे जौहर दिखाए कि उनकी ख्याति दूरदूर तक फैल गई। 1747 ई० में अमृतसर के फ़ौजदार सलाबत खाँ ने दरबार साहिब में सिखों के प्रवेश पर अनेक प्रतिबंध लगा दिए थे। परिणामस्वरूप जस्सा सिंह आहलूवालिया ने कुछ सिखों को साथ लेकर अमृतसर पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण में सलाबत खाँ मारा गया एवं सिखों का अमृतसर पर अधिकार हो गया। जस्सा सिंह आहलूवालिया अपनी वीरता एवं प्रतिभा के कारण शीघ्र ही सिखों के प्रसिद्ध नेता बन गए। 1748 ई० में उन्हें दल खालसा का सर्वोच्च सेनापति नियुक्त किया गया। उन्होंने दल खालसा का कुशलतापूर्वक नेतृत्व करके सिख पंथ की महान सेवा की। 1761 ई० में जस्सा सिंह के नेतृत्व में सिखों ने लाहौर पर विजय प्राप्त की। 1762 ई० में बड़े घल्लूघारे समय भी जस्सा सिंह आहलूवालिया ने अहमदशाह अब्दाली की सेना का बड़ी बहादुरी से सामना किया। 1764 ई० में जस्सा सिंह आहलूवालिया ने सरहिंद पर अधिकार कर लिया। 1778 ई० में जस्सा सिंह आहलूवालिया ने कपूरथला पर कब्जा कर लिया और इसको आहलूवालिया मिसल की राजधानी बना दिया। इस प्रकार जस्सा सिंह आहलूवालिया ने सिख पंथ के लिए महान् उपलब्धियाँ प्राप्त की। 1783 ई० में इस महान् नेता की मृत्यु हो गई।
प्रश्न 6.
जस्सा सिंह रामगढ़िया कौन था ? उसकी सफलताओं का संक्षेप वर्णन करें। (Who was Jassa Singh Ramgarhia ? Write a short note on his achievements.)
अथवा
जस्सा सिंह रामगढ़िया के बारे में आप क्या जानते हैं ? लिखें। (Write, what do you know about Jassa Singh Ramgarhia ?)
उत्तर-
जस्सा सिंह रामगढ़िया मिसल का सबसे महान् नेता था। उसने सिख पंथ में बहुत कठिन परिस्थितियों में योग्य नेतृत्व किया था। उनका जन्म 1723 ई० में लाहौर के निकट स्थित गाँव इच्छोगिल में सरदार भगवान सिंह के घर हुआ था। आपको सिख पंथ की सेवा करना विरासत में प्राप्त हुआ था। उनके नेतृत्व में रामगढ़िया मिसल ने अद्वितीय उन्नति की। जस्सा सिंह रामगढ़िया पहले जालंधर के फ़ौजदार अदीना बेग़ के अधीन नौकरी करता था। अक्तूबर, 1748 ई० में मीर मन्नू और अदीना बेग की सेनाओं ने 500 सिखों को अचानक रामरौणी के किले में घेर लिया था। जस्सा सिंह रामगढ़िया इसे सहन न कर सका। वह तुरंत उनकी सहायता के लिए पहुँचा। उसके इस सहयोग के कारण 300 सिखों की जानें बच गईं। इससे प्रसन्न होकर रामरौणी का किला सिखों ने जस्सा सिंह रामगढ़िया के हवाले कर दिया। जस्सा सिंह रामगढ़िया ने इस किले का नाम रामगढ़ रखा। 1753 ई० में मीर मन्नू की मृत्यु की पश्चात् पंजाब में अराजकता फैल गई। इस स्वर्ण अवसर का लाभ उठाकर जस्सा सिंह रामगढिया ने कलानौर, बटाला, हरगोबिंदपुर, कादियाँ, उड़मुड़ टांडा, दीपालपुर, करतारपुर और हरिपुर इत्यादि प्रदेशों पर अधिकार करके रामगढ़िया मिसल का खूब विस्तार किया। उसने श्री हरगोबिंदपुर को रामगढ़िया मिसल की राजधानी घोषित किया। जस्सा सिंह रामगढ़िया के आहलूवालिया और शुकरचकिया मिसलों के साथ संबंध अच्छे नहीं थे। 1803 ई० में जस्सा सिंह रामगढ़िया ने सदैव के लिए हमसे अलविदा ले ली। उनका जीवन आने वाले सिख नेताओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत रहा।
प्रश्न 7.
महा सिंह पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on Maha Singh.).
उत्तर-
चढ़त सिंह की मृत्यु के पश्चात् 1774 ई० में उसका पुत्र महा सिंह शुकरचकिया मिसल का नया मुखिया बमा। उस समय महा सिंह की आयु केवल दस वर्ष की थी। इसलिए उसकी माँ देसाँ ने कुछ समय के लिए बड़ी समझदारी से मिसल का नेतृत्व किया। शीघ्र ही महा सिंह ने शुकरचकिया मिसल के प्रदेशों का विस्तार प्रारंभ किया। उसने सबसे पहले रोहतास पर अधिकार किया। इसके पश्चात् रसूल नगर और अलीपुर प्रदेशों पर अधिकार किया। महा सिंह ने रसूलपुर नगर का नाम बदल कर रामनगर और अलीपुर का नाम बदल कर अकालगढ़ रख दिया। महा सिंह ने भंगी सरदारों से मुलतान, बहावलपुर, साहीवाल आदि प्रदेशों को भी जीत लिया। महा सिंह की बढ़ती हुई शक्ति के कारण जय सिंह कन्हैया उससे बड़ी ईर्ष्या करने लग पड़ा। इसलिए उसको सबक सिखाने के लिए महा सिंह ने जस्सा सिंह रामगढ़िया के साथ मिलकर कन्हैया मिसल पर आक्रमण कर दिया। बटाला के निकट हुए युद्ध में जय सिंह का पुत्र गुरबख्श सिंह मारा गया। कुछ समय पश्चात् शुकरचकिया और कन्हैया मिसलों में मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित हो गए। जय सिंह ने अपनी पौत्री मेहताब कौर की सगाई महा सिंह के पुत्र रणजीत सिंह के साथ कर दी। 1792 ई० में महा सिंह की मृत्यु हो गई।
प्रश्न 8.
फुलकियाँ मिसल पर एक संक्षेप नोट लिखें। (Write a short note on Phulkian Misl.)
उत्तर-
फुलकियाँ मिसल का संस्थापक चौधरी फूल था। उसके वंश ने पटियाला, नाभा तथा जींद के प्रदेशों पर अपना राज्य स्थापित किया। पटियाला में फुलकियाँ मिसल का संस्थापक आला सिंह था। वह बहुत बहादुर था। उसने अनेकों प्रदेशों पर कब्जा किया तथा बरनाला को अपनी राजधानी बनाया। 1764 ई० में उसने सरहिंद पर विजय प्राप्त की। 1764 ई० में उसने अहमद शाह अब्दाली से समझौता किया। 1765 ई० में आला सिंह के पश्चात् अमर सिंह तथा साहब सिंह ने शासन किया। नाभा में फुलकियाँ मिसल की स्थापना हमीर सिंह ने की थी। उसने 1755 ई० से 1783 ई० तक शासन किया। उसके पश्चात् उसका बेटा जसवंत सिंह गद्दी पर बैठा। जींद में फलकियाँ मिसल का संस्थापक गजपत सिंह था। उसने पानीपत तथा करनाल के प्रदेशों को विजय किया था। उसने अपनी सुपुत्री राज कौर की शादी महा सिंह से की। 1809 ई० में फुलकियाँ मिसल अंग्रेजों के संरक्षण में चली गई थी।
प्रश्न 9.
आला सिंह पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
(Write a short note on Ala Singh.)
उत्तर-
पटियाला में फुलकियाँ मिसल का संस्थापक आला सिंह था। वह बड़ा बहादुर था। उसने बरनाला को अपनी गतिविधियों का केंद्र बनाया। 1768 ई० में अहमद शाह अब्दाली के प्रथम आक्रमण के दौरान आला सिंह ने उसके विरुद्ध मुग़लों की सहायता की थी। उसकी सेवाओं के दृष्टिगत मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह रंगीला ने एक खिलत भेट की। इससे आला सिंह की प्रसिद्धि बुहत बढ़ गई। शीघ्र ही आला सिंह ने बुडलाडा, टोहाना, भटनेर और जैमलपुर के प्रदेशों पर अधिकार कर लिया। 1762 ई० में अपने छठे,आक्रमण के दौरान अब्दाली ने बरनाला पर आक्रमण किया और आला सिंह को गिरफ्तार कर लिया। आला सिंह ने अब्दाली को भारी राशि देकर अपनी जान बचाई। 1765 ई० में अहमद शाह अब्दाली ने आला सिंह को सरहिंद का सूबेदार नियुक्त कर दिया। अब्दाली के साथ समझौते के कारण दल खालसा के सदस्य उससे रुष्ट हो गए और उसे अब्दाली से अपने संबंध तोड़ने हेत कहा, परंतु शीघ्र ही आला सिंह की मृत्यु हो गई।
प्रश्न 10.
सरबत खालसा तथा गुरमता के विषय में आप क्या जानते हैं ?, (What do you understand by Sarbat Khalsa and Gurmata ?)
अथवा
‘सरबत खालसा’ और ‘गुरमता’ के बारे में अपने विचार लिखें। (Write your views on ‘Sarbat Khalsa’ and ‘Gurmata’.)
उत्तर-
1. सरबत खालसा-सिख पंथ से संबंधित विषयों पर विचार करने के लिए वर्ष में दो बार दीवाली और वैशाखी के अवसर पर सरबत खालसा का समागम अकाल तख्त साहिब अमृतसर में बुलाया जाता था। सारे सिख गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष माथा टेक कर बैठ जाते थे। इसके पश्चात् गुरुवाणी का कीर्तन होता था फिर अरदास की जाती थी। इसके बाद कोई एक सिख खड़ा होकर संबंधित समस्या के बारे सरबत खालसा को जानकारी देता था। इस समस्या के बारे विचार-विमर्श करने के लिए प्रत्येक पुरुष व स्त्री को पूरी छूट होती थी। कोई भी निर्णय सर्वसम्मति से लिया जाता था।
2. गुरमता-गुरमता सिख मिसलों की केंद्रीय संस्था थी। गुरमता पंजाबी के दो शब्दों गुरु और मता के मेल से बना है-जिसके शाब्दिक अर्थ हैं, ‘गुरु का मत या निर्णय’। दूसरे शब्दों में, गुरु ग्रंथ साहिब जी की उपस्थिति में सरबत खालसा द्वारा जो निर्णय स्वीकार किए जाते थे उनको गुरमता कहा जाता था। इन गुरमतों का सारे सिख बड़े सत्कार से पालन करते थे। गुरमता के कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य ये थे-दल खालसा के नेता का चुनाव करना, सिखों की विशेष नीति तैयार करना, सांझे शत्रुओं के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही के लिए योजनाओं को अंतिम रूप देना, सिख सरदारों के आपसी झगड़ों का निपटारा करना और सिख धर्म के प्रचार के लिए प्रबंध करना।
प्रश्न 11.
गुरमता से क्या अभिप्राय है ? गुरमता के कार्यों की संक्षेप जानकारी दें। (What is meant by Gurmata ? Give a brief account of its functions.)
अथवा
गुरमता पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए। (Write a brief note on Gurmata.)
अथवा
गुरमता बारे आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about Gurmata ?)
उत्तर-
गुरमता एक महत्त्वपूर्ण संस्था थी। इसके द्वारा अनेक राजनीतिक, सैनिक, धार्मिक तथा न्याय संबंधी कार्य किए जाते थे।
- इसका सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य दल खालसा के सर्वोच्च सेनापति की नियुक्ति करना था।
- इसके द्वारा सिखों की विदेश नीति को तैयार किया जाता था।
- इसके द्वारा सिखों के सांझे शत्रुओं के विरुद्ध सैनिक कार्रवाई को अंतिम रूप दिया जाता था।
- यह सिख मिसलों के सरदारों के आपसी झगड़ों का निपटारा करता था।
- इसमें सिख धर्म के प्रचार तथा सिख धर्म से संबंधित अन्य समस्याओं से संबंधित विचार किया जाता था तथा कार्यक्रम तैयार किया जाता था।
- इसके द्वारा विभिन्न मिसल सरदारों के अथवा व्यक्तिगत सिखों के झगड़ों का निपटारा किया जाता था। इसके अतिरिक्त इसके द्वारा सिख मिसलों के उत्तराधिकार एवं सीमा संबंधी झगड़ों का निर्णय भी किया जाता था।
सिख पंथ से संबंधित विषयों पर विचार करने के लिए वर्ष में दो बार बैसाखी और दीवाली के अवसरों पर अकाल तख्त में सरबत खालसा का आयोजन किया जाता था। वे अकाल तख्त साहिब के प्रांगण में रखे गए गुरु ग्रंथ साहिब जी को माथा टेक कर स्थान ग्रहण करते थे। उनके पीछे उनके अनुयायी तथा अन्य सिख संगत होती थी। आयोजन का आरंभ कीर्तन द्वारा किया जाता था। इसके पश्चात् अरदास की जाती थी। इसके पश्चात् ग्रंथी खड़ा होकर संबंधित समस्या के बारे में सरबत खालसा को जानकारी देता था। इस समस्या के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए सरबत खालसा के सभी सदस्यों को पूर्ण स्वतंत्रता होती थी।
प्रश्न 12.
मिसलों के आंतरिक संगठन की कोई छः विशेषताएँ बताओ। (Mention any six features of internal organisation of Sikh Misls.)
अथवा
सिख मिसलों का अंदरूनी संगठन कैसा था ? व्याख्या करें। (Describe the internal organisation of Sikh Misls.)
अथवा
मिसल प्रबंध की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें। (Describe the main features of Misl Administration.)
उत्तर-
प्रत्येक मिसल के मुखिया को सरदार कहा जाता था और प्रत्येक सरदार के अधीन कई मिसलदार होते थे। सरदार विजित किए हुए क्षेत्रों में से कुछ भाग अपने अधीन मिसलदारों को दे देता था। कई बार मिसलदार सरदार से अलग होकर अपनी स्वतंत्र मिसल स्थापित कर लेते थे। सरदार अपनी प्रजा से अपने परिवार की तरह प्यार करते थे। मिसल प्रशासन की सबसे छोटी इकाई गाँव थी। गाँव का प्रबंध पंचायत के हाथों में था। गाँव के लगभग सभी मसले पंचायत द्वारा ही हल कर लिए जाते थे। लोग पंचायत का बड़ा आदर करते थे। सिख मिसलों का न्याय प्रबंध बिल्कुल साधारण था। कानून लिखित नहीं थे। मुकद्दमों का फैसला उस समय के प्रचलित रीतिरिवाजों के अनुसार किया जाता था। अपराधियों को सख्त सज़ाएँ नहीं दी जाती थीं। उनसे आमतौर पर जुर्माना ही वसूल किया जाता था। मिसलों के समय आमदनी का मुख्य साधन भूमि का लगान था। यह भूमि की उपजाऊ शक्ति के आधार पर भिन्न-भिन्न रहता था। यह आमतौर पर 1/3 से 1/4 भाग होता था। यह लगान वर्ष में दो बार वसूल किया जाता था। लगान अनाज या नकदी किसी भी रूप में दिया जा सकता था।
प्रश्न 13.
राखी प्रणाली पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on Rakhi System.)
अथवा
राखी प्रणाली क्या है ? संक्षिप्त व्याख्या करें। (What is Rakhi System ? Explain in brief.)
अथवा
‘राखी व्यवस्था’ के विषय में आप क्या जानते हैं ? संक्षेप में लिखिए। (What do you know about Rakhi System ? Write in brief.)
अथवा
राखी प्रणाली क्या है ? इसका आरंभ कैसे हुआ ? व्याख्या करें। (What is Rakhi System ? Explain its origin.)
अथवा
राखी व्यवस्था के बारे में आप क्या जानते हैं ? (What do you know about ‘Rakhi System’ ?)
अथवा
मिसल प्रशासन में राखी प्रणाली का क्या महत्त्व था? (What was the importance of Rakhi System under the Misl Administration ?)
उत्तर-
18वीं शताब्दी पंजाब में जिन महत्त्वपूर्ण संस्थाओं की स्थापना हुई उनमें से राखी प्रणाली सबसे महत्त्वपूर्ण थी। —
1. राखी प्रणाली से अभिप्राय-राखी शब्द से अभिप्राय है रक्षा करना। वे गाँव जो अपनी इच्छा से सिखों की रक्षा के अधीन आ जाते थे उन्हें बाह्य आक्रमणों के समय तथा सिखों की लूटमार से सुरक्षा की गारंटी दी जाती थी। इस सुरक्षा के बदले उन्हें अपनी उपज का पाँचवां भाग सिखों को देना पड़ता था।
2. राखी प्रणाली का आरंभ-पंजाब में मुग़ल सूबेदारों की दमनकारी नीति, नादिरशाह तथा अहमदशाह अब्दाली के आक्रमणों के कारण पंजाब में अराजकता फैल गई थी। पंजाब में कोई स्थिर सरकार भी नहीं थी। इस वातावरण के कारण पंजाब में कृषि, उद्योग तथा व्यापार को काफ़ी हानि पहुँची। पंजाब के स्थानीय अधिकारी तथा ज़मींदार किसानों का बहुत शोषण करते थे तथा वे जब चाहते तलवार के बल पर लोगों की संपत्ति आदि लूट लेते थे। ऐसे अराजकता के वातावरण में दल खालसा ने राखी प्रणाली का आरंभ किया।
3. राखी प्रणाली की विशेषताएँ-राखी प्रणाली के अनुसार जो गाँव स्वयं को सरकारी अधिकारियों, ज़मींदारों, चोर-डाकुओं तथा विदेशी आक्रमणकारियों से रक्षा करना चाहते थे वे सिखों की शरण में आ जाते थे। सिखों की शरण में आने वाले गाँवों को इन सभी की लूटमार से बचाया जाता था। इस सुरक्षा के कारण प्रत्येक गाँव को वर्ष में दो बार अपनी कुल उपज का 1/5वां भाग दल खालसा को देना पड़ता था।
4. राखी प्रणाली की महत्ता-18वीं शताब्दी में पंजाब में राखी प्रणाली की स्थापना अनेक पक्षों से लाभदायक सिद्ध हुई। प्रथम, इसने पंजाब में सिखों की राजनीतिक शक्ति के उत्थान की ओर प्रथम महान् पग उठाया। दूसरा, इस कारण पंजाब के लोगों को सदियों बाद सुख का साँस मिला। वे अत्याचारी जागीरदारों तथा भ्रष्ट अधिकारियों के अत्याचारों से बच गए। तीसरा, उन्हें विदेशी आक्रमणकारियों की लूटमार का भय भी ने रहा। चौथा, पंजाब में शाँति स्थापित होने के कारण यहाँ की कृषि, उद्योग तथा व्यापार को प्रोत्साहन मिला।
प्रश्न 14.
मिसल काल के वित्तीय प्रबंध के बारे में आप क्या जानते हैं ? (What do you know about the financial administration of Misl period ?)
अथवा
मिसल शासन की अर्थ-व्यवस्था पर एक नोट लिखें। (Write a short note on economy under the Misls.)
उत्तर-
मिसल काल के वित्तीय प्रबंध की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं—
1. लगान प्रबंध-मिसलों के समय आमदनी का मुख्य साधन भूमि का लगान था। इसकी दर भूमि की उपजाऊ शक्ति के आधार पर भिन्न-भिन्न होती थी। यह प्रायः कुल उपज का 1/3 से 1/4 भाग होता था। यह लगान वर्ष में दो बार रबी और खरीफ फसलों के तैयार होने के समय लिया जाता था। लगान एकत्रित करने के लिए बटाई प्रणाली प्रचलित थी। लगान अनाज या नकदी किसी भी रूप में दिया जा सकता था। मिसल काल में भूमि अधिकार संबंधी चार प्रथाएँ-पट्टीदारी, मिसलदारी, जागीरदारी तथा ताबेदारी प्रचलित थीं।
2. राखी प्रथा-पंजाब के लोगों को विदेशी हमलावरों तथा सरकारी कर्मचारियों से सदैव लूटमार का भय लगा रहता था। इसलिए अनेक गाँवों ने अपनी रक्षा के लिए मिसलों की शरण ली। मिसल सरदार उनकी शरण में आने वाले गाँवों को सरकारी कर्मचारियों तथा विदेशी आक्रमणकारियों की लूट-पाट से बचाते थे। इस रक्षा के बदले उस गाँव के लोग अपनी उपज का पाँचवां भाग वर्ष में दो बार मिसल के सरदार को देते थे। इस तरह यह राखी कर मिसलों की आय का एक अच्छा साधन था।
3. आय के अन्य साधन-इसके अतिरिक्त मिसल सरदारों को चुंगी कर, भेंटों से और युद्ध के समय की गई लूटमार से भी कुछ आय प्राप्त हो जाती थी।
4. व्यय-मिसल सरदार अपनी आय का एक बहुत बड़ा भाग सेना, घोड़ों, शस्त्रों, नए किलों के निर्माण और पुराने किलों की मुरम्मत पर व्यय करता था। इसके अतिरिक्त मिसल सरदार गुरुद्वारों और मंदिरों को दान भी देते थे और निर्धन लोगों के लिए लंगर भी लगाते थे।
प्रश्न 15.
मिसलों की न्याय व्यवस्था पर नोट लिखें। (Write a note on the Judicial system of Misls.)
उत्तर-
सिख मिसलों के समय न्याय प्रबंध बिल्कुल साधारण था। कानून लिखित नहीं थे। मुकद्दमों के फैसले उस समय के प्रचलित रीति-रिवाजों के अनुसार किए जाते थे। उस समय सज़ाएँ सख्त नहीं थीं। किसी भी अपराधी को मृत्यु दंड नहीं दिया जाता था। अधिकतर अपराधियों से जुर्माना वसूल किया जाता था। बार-बार अपराध करने वाले अपराधी के शरीर का कोई अंग काट दिया जाता था। मिसलों के समय पंचायत न्याय प्रबंध की सबसे छोटी अदालत होती थी। गाँव में अधिकतर मुकद्दमों का फैसला पंचायतों द्वारा ही किया जाता था। लोग पंचायत को परमेश्वर समझ कर उसका फैसला स्वीकार करते थे। प्रत्येक मिसल के सरदार की अपनी अलग अदालत होती थी। इसमें दीवानी और फ़ौजदारी दोनों तरह के मुकद्दमों का निर्णय किया जाता था। वह पंचायत के फैसलों के विरुद्ध भी अपीलें सुनता था। सरबत खालसा सिखों की सर्वोच्च अदालत थी। इसमें मिसल सरदारों के आपसी झगड़ों तथा सिख कौम से संबंधित मामलों की सुनवाई की जाती थी तथा इनका निर्णय गुरमतों द्वारा किया जाता था।
प्रश्न 16.
सिख मिसलों के सैनिक प्रबंध की मुख्य विशेषताएँ बताएँ। (Describe the main features of military administration of Sikh Misls.)
उत्तर-
1. घुड़सवार सेना-घुड़सवार सेना मिसलों की सेना का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग था। सिख बहुत निपुण घुड़सवार थे। सिखों के तीव्र गति से दौड़ने वाले घोड़े उनकी गुरिल्ला युद्ध प्रणाली के संचालन में बहुत सहायक सिद्ध हुए।
2. पैदल सैनिक–मिसलों के समय पैदल सेना को कोई विशेष महत्त्व नहीं दिया जाता था। पैदल सैनिक किलों में पहरा देते, संदेश पहुँचाते और स्त्रियों और बच्चों की देखभाल करते थे।
3. भर्ती-मिसल सेना में भर्ती होने के लिए किसी को भी विवश नहीं किया जाता था। सैनिकों को कोई नियमित प्रशिक्षण भी नहीं दिया जाता था। उनको नकद वेतन के स्थान पर युद्ध के दौरान की गई लूटमार से हिस्सा मिलता था।
4. सैनिकों के शस्त्र और सामान–सिख सैनिक युद्ध के समय तलवारों, तीर-कमानों, खंजरों, ढालों और बों का प्रयोग करते थे। इसके अतिरिक्त वे बंदूकों का प्रयोग भी करते थे।
5. लड़ाई का ढंग-मिसलों के समय सैनिक छापामार ढंग से अपने शत्रुओं का मुकाबला करते थे। इसका कारण यह था कि दुश्मनों के मुकाबले सिख सैनिकों के साधन बहुत सीमित थे। मारो और भागो इस युद्ध नीति का प्रमुख आधार था। सिखों की लड़ाई का यह ढंग उनकी सफलता का एक प्रमुख कारण बना।
6. मिसलों की कुल सेना–मिसल सैनिकों की कुल संख्या के संबंध में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। आधुनिक इतिहासकारों डॉ० हरी राम गुप्ता और एस० एस० गाँधी आदि के अनुसार यह संख्या लगभग एक लाख थी।
Source Based Questions
नोट-निम्नलिखित अनुच्छेदों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उनके अंत में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
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नवाब कपूर सिंह फैजलपुरिया मिसल का संस्थापक था। उसने सबसे पहले अमृतसर के निकट फैजलपुर नामक गाँव पर अधिकार किया। इस गाँव का नाम बदल कर सिंघपुर रखा गया। इसी कारण फैजलपुरिया मिसल को सिंघपुरिया मिसल भी कहा जाता है। सरदार कपूर सिंह का जन्म 1697 ई० में कालोके नामक गाँव में हुआ था। उसके पिता का नाम दलीप सिंह था और वह जाट परिवार से संबंध रखते थे। कपूर सिंह बाल्यकाल से ही अत्यंत वीर और निडर थे। उन्होंने भाई मनी सिंह से अमृत छका था। शीघ्र ही वह सिखों के प्रसिद्ध मुखिया बन गए। 1733 ई० में उन्होंने पंजाब के मुग़ल सूबेदार जकरिया खाँ से नवाब का पद तथा एक लाख वार्षिक आय वाली जागीर प्राप्त की। 1734 ई० में नवाब कपूर सिंह ने सिख शक्ति को संगठित करने के उद्देश्य से उनको दो जत्थों बुड्डा दल और तरुणा दल के रूप में गठित किया। उन्होंने बड़ी योग्यता और सूझ-बूझ के साथ इन दोनों दलों का नेतृत्व किया। 1748 ई० में उन्होंने दल खालसा की स्थापना करके सिख पंथ के लिए महान् कार्य किया। वास्तव में सिख पंथ के विकास तथा उसको संगठित करने के लिए नवाब कपूर सिंह का योगदान बड़ा प्रशंसनीय था। उनकी 1753 ई० में मृत्यु हो गई।
- फैज़लपुरिया मिसल के संस्थापक कौन थे ?
- फैज़लपुरिया को अन्य किस नाम से जाना जाता था ?
- सरदार कपूर सिंह ने कब तथा किससे नवाब का दर्जा प्राप्त किया था ?
- नवाब कपूर सिंह की कोई एक सफलता के बारे में बताएँ।
- दल खालसा की स्थापना ……….. में की गई।
उत्तर-
- फैजलपुरिया मिसल के संस्थापक नवाव कपूर सिंह थे।
- फैज़लपुरिया को सिंघपुरिया मिसल के नाम से जाना जाता था।
- सरदार कपूर सिंह ने 1733 ई० में पंजाब के मुग़ल सूबेदार जकरिया खाँ से नवाब का दर्जा प्राप्त किया था।
- उन्होंने 1734 ई० में बुड्डा दल तथा तरुणा दल का गठन किया।
- 1748 ई०।
2
आहलूवालिया मिसल का संस्थापक सरदार जस्सा सिंह था। वह लाहौर के निकट स्थित गाँव आहलू का निवासी था। इस कारण इस मिसल का नाम आहलूवालिया मिसल पड़ गया। जस्सा सिंह अपने गुणों के कारण शीघ्र ही सिखों के प्रसिद्ध नेता बन गए। 1739 ई० में जस्सा सिंह के नेतृत्व में सिखों ने नादिर शाह की सेना पर आक्रमण करके बहुत-सा धन लूट लिया था। 1746 ई० में छोटे घल्लूघारे के समय इन्होंने वीरता के बड़े जौहर दिखाए। परिणामस्वरूप उनका नाम दूर-दूर तक प्रसिद्ध हो गया। 1748 ई० में दल खालसा की स्थापना के समय जस्सा सिंह आहलूवालिया को सर्वोच्च सेनापति नियुक्त किया गया। उन्होंने दल खालसा का नेतृत्व करके सिख पंथ की महान् सेवा की। 1761 ई० में जस्सा सिंह के नेतृत्व में सिखों ने लाहौर पर जीत प्राप्त की। यह सिखों की एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण विजय थी। 1762 ई० में बड़े घल्लूघारे के समय भी जस्सा सिंह ने अहमद शाह अब्दाली की फ़ौजों का बड़ी वीरता के साथ मुकाबला किया। 1764 ई० में जस्सा सिंह ने सरहिंद पर अधिकार कर लिया और इसके शासक जैन खाँ को मौत के घाट उतार दिया। 1778 ई० में जस्सा सिंह ने कपूरथला पर कब्जा कर लिया और इसको आहलूवालिया मिसल की राजधानी बना दिया।
- जस्सा सिंह आहलूवालिया कौन था ?
- आहलूवालिया मिसल का यह नाम क्यों पड़ा ?
- जस्सा सिंह आहलूवालिया की राजधानी का नाम क्या था ?
- जस्सा सिंह आहलूवालिया की कोई एक सफलता लिखें।
- जस्सा सिंह आहलूवालिया ने कपूरथला पर कब कब्जा किया ?
- 1761 ई०
- 1768 ई०
- 1778 ई०
- 1782 ई०।
उत्तर-
- जस्सा सिंह आहलूवालिया, आहलूवालिया मिसल के संस्थापक थे।
- क्योंकि जस्सा सिंह आहलूवालिया आहलू गाँव का निवासी था।.
- जस्सा सिंह आहलूवालिया की राजधानी का नाम कपूरथला था।
- उन्होंने 1761 ई० में लाहौर में विजय प्राप्त की।
- 1778 ई०।
3
जस्सा सिंह रामगढ़िया मिसल का सबसे प्रसिद्ध नेता था। उसके नेतृत्व में यह मिसल अपनी उन्नति के शिखर पर पहुँच गई थी। जस्सा सिंह पहले जालंधर के फ़ौजदार अदीना बेग के अधीन नौकरी करता था। अक्तूबर, 1748 ई० में मीर मन्नू और अदीना बेग की सेनाओं ने 500 सिखों को अचानक रामरौणी के किले में घेर लिया था। अपने भाइयों पर आए इस संकट को देखकर जस्सा सिंह के खून ने जोश मारा। वह अदीना बेग की नौकरी छोड़कर सिखों की सहायता के लिए पहुँचा। उसके इस सहयोग के कारण 300 सिखों की जानें बच गईं। इससे प्रसन्न होकर रामरौणी का किला सिखों ने जस्सा सिंह के सुपुर्द कर दिया। जस्सा सिंह ने इस किले का नाम रामगढ़ रखा। इससे ही उसकी मिसल का नाम रामगढ़िया पड़ गया। 1753 ई० में मीर मन्नू की मृत्यु के पश्चात् पंजाब में फैली अराजकता का लाभ उठाकर जस्सा सिंह ने कलानौर, बटाला, हरगोबिंदपुर, कादियाँ, उड़मुड़ टांडा, दीपालपुर, करतारपुर और हरिपुर इत्यादि प्रदेशों पर अधिकार करके रामगढ़िया मिसल का खूब विस्तार किया। उसने श्री हरगोबिंदपुर को रामगढ़िया मिसल की राजधानी घोषित किया। जस्सा सिंह के आहलूवालिया और शुकरचकिया मिसलों के साथ संबंध अच्छे नहीं थे। जस्सा सिंह की 1803 ई० में मृत्यु हो गई।
- जस्सा सिंह रामगढ़िया कौन था ?
- जस्सा सिंह रामगढ़िया ने रामरौणी किले का क्या नाम रखा ?
- जस्सा सिंह रामगढ़िया की राजधानी का नाम क्या था ?
- जस्सा सिंह रामगढ़िया की कोई एक सफलता लिखें।
- ………. में मीर मन्नू की मृत्यु हुई।
उत्तर-
- जस्सा सिंह रामगढ़िया, रामगढ़िया मिसल के सबसे प्रसिद्ध नेता थे।
- जस्सा सिंह रामगढ़िया ने रामरौणी किले का नाम बदलकर रामगढ़ रखा।
- जस्सा सिंह रामगढ़िया की राजधानी का नाम श्री हरगोबिंदपुर था।
- उसने सिखों को रामरौणी किले में मुग़लों के घेरे से बचाया था।
- 1753 ई०।
4
पटियाला में फुलकिया मिसल का संस्थापक आला सिंह था। वह बड़ा बहादुर था। उसने 1731 ई० में जालंधर दोआब के और मालेरकोटला के फ़ौजदारों की संयुक्त सेना को करारी हार दी थी। आला सिंह ने बरनाला को अपनी सरगर्मियों का केंद्र बनाया। उसने लौंगोवाल, छजली, दिरबा और शेरों नाम के गाँवों की स्थापना की। 1748 ई० में अहमद शाह अब्दाली के प्रथम आक्रमण के दौरान आला सिंह ने उसके विरुद्ध मुग़लों की सहायता की। उसकी सेवाओं के दृष्टिगत मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह रंगीला ने एक खिलत भेंट की। इससे आला सिंह की प्रसिद्धि बढ़ गई। शीघ्र ही आला सिंह ने भट्टी भाइयों जोकि उसके कट्टर शत्रु थे, को हरा कर बुडलाडा, टोहाना, भटनेर और जैमलपुर के प्रदेशों पर अधिकार कर लिया। 1761 ई० में आला सिंह ने अहमद शाह अब्दाली के विरुद्ध मराठों की मदद की थी। इसलिए 1762 ई० में अपने छठे आक्रमण के दौरान अब्दाली ने बरनाला पर आक्रमण किया और आला सिंह को गिरफ्तार कर लिया। आला सिंह ने अब्दाली को भारी राशि देकर अपनी जान बचाई। 1764 ई० में आला सिंह ने दल खालसा के अन्य सरदारों के साथ मिलकर सरहिंद पर आक्रमण कर इसके सूबेदार जैन खाँ को यमलोक पहँचा दिया था। इसी वर्ष अहमद शाह अब्दाली ने आला सिंह को सरहिंद का सूबेदार नियुक्त कर दिया एवं उसे राजा की उपाधि से सम्मानित किया।
- आला सिंह कौन था ?
- आला सिंह की राजधानी का क्या नाम था ?
- अहमद शाह अब्दाली ने कब आला सिंह को गिरफ्तार कर लिया था ?
- अहमद शाह अब्दाली ने आला सिंह को कहाँ का सूबेदार नियुक्त किया था ?
- आला सिंह को कब सरहिंद का सूबेदार नियुक्त किया गया ?
- 1748 ई०
- 1761 ई०
- 1762 ई०
- 1764 ई०।
उत्तर-
- आला सिंह पटियाला में फुलकिया मिसल का संस्थापक था।
- आला सिंह की राजधानी का नाम बरनाला था।
- अहमद शाह अब्दाली ने 1762 ई० में आला सिंह को गिरफ्तार कर लिया था।
- अहमद शाह अब्दाली ने आला सिंह को सरहिंद का सूबेदार नियुक्त किया था।
- 1764 ई०।