Punjab State Board PSEB 12th Class Religion Book Solutions Chapter 6 आदि ग्रंथ Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 12 Religion Chapter 6 आदि ग्रंथ
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1.
श्री गुरु अर्जन देव जी की ओर से अपनाए गए श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के संपादन के लिए अपनाई गई संपादन योजना के बारे में जानकारी दीजिए।
(Describe the Editorial Scheme of Sri Guru Granth Sabib Ji adopted by Sri Guru Arjan Dev Ji.)
अथवा
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की संपादन कला के बारे में चर्चा कीजिए। (Discuss the Editing Art of Sri Guru Granth Sahib Ji.)
अथवा
गुरु ग्रंथ साहिब जी का संकलन किसने किया, कैसे किया, कब किया और कहां किया ? चर्चा करें।
(Who compiled, how compiled, when compiled and where compiled Guru Granth Sahib Ji ? Discuss.)
अथवा
गुरु ग्रंथ साहिब जी का संपादन कार्य किसने और कैसे किया ? चर्चा कीजिए।
(Who and how did the editing work of Sri Guru Granth Sahib Ji ? Discuss.)
अथवा
गुरु ग्रंथ साहिब जी में कितने गुरु साहिबान की बाणी दर्ज है ? गुरु ग्रंथ साहिब की संपादन कला पर नोट लिखो।
(Give number of the Sikh Gurus whose composition are included in the Guru Granth Sahib Ji. Write a note on the Editorial Scheme of Guru Granth Sahib Ji.)
अथवा
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की संपादन-युक्ति का आलोचनात्मक दृष्टि से परीक्षण कीजिए।
(Examine critically the Editorial Scheme of Sri Guru Granth Sahib Ji.)
अथवा
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के संकलन एवं संपादन-युक्ति के इतिहास की चर्चा कीजिए।
(Discuss the history of compilation and Editing Scheme of Guru Granth Sahib Ji.)
अथवा
आदि ग्रंथ साहिब जी की संपादन योजना कैसे बनी ? प्रकाश डालें। (How editing scheme of Adi Granth Sahib Ji was shaped ? Elucidate.)
अथवा
गुरु ग्रंथ साहिब जी के संकलन का संक्षिप्त इतिहास लिखें। गुरु ग्रंथ साहिब जी में कुल कितने रागों की वाणी अंकित है ?
(Write a brief history of the compilation of the Guru Granth Sahib Ji. Give the number of musical measures under which hymns are included in the Guru Granth Sahib Ji.)
अथवा
गुरु ग्रंथ साहिब जी के संकलन का संक्षिप्त इतिहास लिखें। जिन भक्तों की वाणी गुरु ग्रंथ साहिब जी में दर्ज है, उनमें से किन्हीं पाँच के नाम लिखें।
(Write a brief history of the compilation of the Guru Granth Sahib Ji. Give names of any five Bhaktas, whose hymns are included in the Guru Granth Sahib Ji.)
अथवा
गरु ग्रंथ साहिब जी के संकलन के इतिहास पर प्रकाश डालें। (Throw light on the history of the compilation of the Guru Granth Sahib Ji.)
अथवा
गुरु ग्रंथ साहिब जी की संपादन करते समय गुरु अर्जन देव जी ने कौन-सी प्रणाली अपनाई ?
(Which methodology was adopted by Guru Arjan Dev Ji for editing of Guru Granth Sahib Ji ?)
अथवा
गुरु अर्जन देव जी ने सिख धर्म को एक विलक्षण ग्रंथ देकर इसके संगठन में एक अहम भूमिका निभाई। चर्चा कीजिए।
(Guru Arjan Dev Ji made significant contribution in the development of Sikh faith by providing it a scripture. Discuss.)
अथवा
गुरु ग्रंथ साहिब जी की संपादन कला के विषय में जानकारी दीजिए। (Write about the editorial scheme of Guru Granth Sahib Ji.)
अथवा
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की संपादना के संदर्भ में गुरु अर्जन देव जी की संपादन कला के बारे में जानकारी दीजिए।
(Describe the Editing Art of Guru Arjan Dev Ji in the context of editing Guru Granth Sahib Ji.)
अथवा
गुरु ग्रंथ साहिब जी के संकलन का संक्षिप्त इतिहास लिखें।
(Write a brief history of the compilation of the Guru Granth Sahib Ji.)
अथवा
आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन क्यों किया गया ? उसके महत्त्व का भी वर्णन करें।
(Why was Adi Granth Sahib Ji compiled ? Also explain its importance.)
अथवा
गुरु अर्जन देव जी के गुरु ग्रंथ साहिब जी के संपादन पर नोट लिखें।
(Write a note on Guru Arjan Dev’s editing of the Guru Granth Sahib Ji.)
अथवा
गुरु ग्रंथ साहिब जी की संपादन कला बारे आप क्या जानते हैं ? विस्तृत चर्चा करें।
(What do you know about the editorial scheme of Guru Granth Sahib Ji ? Explain in detail.)
अथवा
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की विषय वस्तु के बारे में चर्चा कीजिए। (Discuss the contents of Sri Guru Granth Sahib Ji.)
अथवा
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के संकलन तथा संपादन कला के बारे में जानकारी दीजिए।
(Describe the compilation and editing art of Sri Guru Granth Sahib Ji.)
उत्तर-
1604 ई० में आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन निस्संदेह गुरु अर्जन देव जी का सबसे महान् कार्य था। इसका मुख्य उद्देश्य न केवल सिखों अपितु समूची मानव जाति को एक नई दिशा देना था। इसका संकलन कार्य अमृतसर के निकट रामसर नामक स्थान पर गुरु अर्जन देव जी के आदेश पर भाई गुरदास जी ने किया। इसमें सिखों के प्रथम 5 गुरु साहिबान, 15 भक्तों एवं सूफी संतों, 11 भाटों तथा 4 गुरु घर के परम सेवकों की वाणी बिना किसी जातीय अथवा धार्मिक मतभेद के अंकित की गई है। आदि ग्रंथ साहिब जी की वाणी 31 रागों में विभाजित है। यह संपूर्ण वाणी परमात्मा की प्रशंसा में रची गयी है। इसमें कर्मकांडों अथवा अंधविश्वासों के लिए कोई स्थान नहीं है। आदि ग्रंथ साहिब जी का प्रथम प्रकाश हरिमंदिर साहिब, अमृतसर में 16 अगस्त, 1604 ई० को हुआ तथा बाबा बुड्डा जी को प्रथम मुख्य ग्रंथी नियुक्त किया गया।
1706 ई० में गुरु गोबिंद साहिब जी ने दमदमा साहिब में आदि ग्रंथ साहिब जी की दूसरी बीड़ तैयार करवाई। इसमें गुरु साहिब ने गुरु तेग़ बहादुर जी के 116 शबद तथा श्लोक सम्मिलित किए। इन्हें गुरु गोबिंद सिंह जी के आदेश पर भाई मनी सिंह जी ने लिखा था। इस प्रकार आदि ग्रंथ साहिब जी में कुल 36 महापुरुषों की वाणी संकलित है। 6 अक्तूबर, 1708 ई० को गुरु गोबिंद सिंह जी ने आदि ग्रंथ साहिब जी को गुरु ग्रंथ साहिब जी का सम्मान दिया। सिखों के मन में गुरु ग्रंथ साहिब जी का वही सम्मान तथा श्रद्धा है जो बाइबल के लिए ईसाइयों, कुरान के लिए मुसलमानों तथा वेदों एवं गीता के लिए हिंदुओं के मदों में है। वास्तव में यह न केवल सिखों का पवित्र धार्मिक ग्रंथ है अपितु सम्पूर्ण मानवता के लिए एक अमूल्य निधि है।
I. संपादन कला (Editorial Scheme)-
1. संकलन की आवश्यकता (Need for its Compilation)-आदि ग्रंथ साहिब जी के संकलन के लिए कई कारण उत्तरदायी थे। गुरु अर्जन साहिब जी के समय सिख धर्म का प्रसार बहुत तीव्र गति से हो रहा था। उनके नेतृत्व के लिए एक पावन धार्मिक ग्रंथ की आवश्यकता थी। दूसरा, गुरु अर्जन देव जी का बड़ा भाई पृथिया स्वयं गुरुगद्दी प्राप्त करना चाहता था। इस उद्देश्य से उसने अपनी रचनाओं को गुरु साहिबान की वाणी कहकर लोगों में प्रचलित करनी आरंभ कर दी थी। गुरु अर्जन देव जी गुरु साहिबान की वाणी शुद्ध रूप में अंकित करना चाहते थे ताकि सिखों को कोई संदेह न रहे। तीसरा, यदि सिखों का एक अलग राष्ट्र स्थापित करना था तो उनके लिए एक अलग धार्मिक ग्रंथ लिखा जाना भी आवश्यक था। चौथा, गुरु अमरदास जी ने भी सिखों को गुरु साहिबान की सच्ची वाणी पढ़ने के लिए कहा था। गुरु साहिब आनंदु साहिब में कहते हैं,
आवह सिख सतगुरु के प्यारो गावहु सच्ची वाणी॥
वाणी तां गावहु गुरु केरी वाणियां सिर वाणी॥
कहे नानक सदा गावहु एह सच्ची वाणी।
इन कारणों से गुरु अर्जन देव जी ने आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन करने की आवश्यकता अनुभव की।
2. वाणी को एकत्रित करना (Collection of Hymns)-गुरु अर्जन देव जी ने आदि ग्रंथ साहिब जी में लिखने के लिए भिन्न-भिन्न स्रोतों से वाणी एकत्रित की। प्रथम तीन गुरु साहिबान-गुरु नानक देव जी, गुरु अंगद देव जी और गुरु अमरदास जी की वाणी गुरु अमरदास जी के बड़े सुपुत्र बाबा मोहन जी के पास पड़ी थी। इस
GURU ARJAN DEV JI
वाणी को एकत्रित करने के उद्देश्य से गुरु अर्जन देव जी ने पहले भाई गुरदास जी को तथा फिर बाबा बुड्डा जी को बाबा मोहन जी के पास भेजा किंतु वे अपने उद्देश्य में सफल न हो पाए। इसके पश्चात् गुरु साहिब स्वयं अमृतसर से गोइंदवाल साहिब नंगे पांव गए। गुरु जी की नम्रता से प्रभावित होकर बाबा मोहन जी ने अपने पास पड़ी समस्त वाणी गुरु जी के सुपुर्द कर दी। गुरु रामदास जी की वाणी गुरु अर्जन साहिब जी के पास ही थी। गुरु साहिब ने अपनी वाणी भी शामिल की। तत्पश्चात् गुरु साहिब ने हिंदू भक्तों और मुस्लिम संतों के श्रद्धालुओं को अपने पास बुलाया और कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब जी में सम्मिलित करने के लिए वे अपने संतों की सही वाणी बताएं। गुरु ग्रंथ साहिब जी में केवल उन भक्तों और संतों की वाणी सम्मिलित की गई जिनकी वाणी गुरु साहिबान की वाणी से मिलती-जुलती थी। लाहौर के काहना, छज्जू, शाह हुसैन और पीलू की रचनाएँ रद्द कर दी गईं।
3. आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन (Compilation of Adi Granth Sahib Ji)-गुरु अर्जन देव जी ने आदि ग्रंथ साहिब जी के संकलन कार्य के लिए अमृतसर से दक्षिण की ओर स्थित एकांत एवं रमणीय स्थान की खोज की। इस स्थान पर गुरु साहिब ने रामसर नामक एक सरोवर बनवाया। इस सरोवर के किनारे पर एक पीपल वृक्ष के नीचे गुरु जी के लिए एक तंबू लगवाया गया। यहाँ बैठकर गुरु अर्जन देव जी ने आदि ग्रंथ साहिब जी के संकलन का कार्य आरंभ किया। गुरु अर्जन देव जी वाणी लिखवाते गए और भाई गुरदास जी इसे लिखते गए। यह महान् कार्य अगस्त, 1604 ई० में सम्पूर्ण हुआ। आदि ग्रंथ साहिब जी का प्रथम प्रकाश 16 अगस्त, 1604 ई० को श्री हरिमंदिर साहिब जी में किया गया तथा बाबा बुड्डा जी को प्रथम मुख्य ग्रंथी नियुक्त किया गया।
4. ग्रंथ साहिब में योगदान करने वाले (Contributors in the Granth Sahib)-आदि ग्रंथ साहिब जी एक विशाल ग्रंथ है। इसमें कुल 5,894 शबद दर्ज किए गए हैं। आदि ग्रंथ साहिब जी में योगदान करने वालों को निम्नलिखित चार भागों में विभाजित किया जा सकता है—
- सिख गुरु (Sikh Gurus)-आदि ग्रंथ साहिब जी में सिख गुरुओं का योगदान सर्वाधिक है। इसमें गुरु नानक देव जी के 976, गुरु अंगद देव जी के 62, गुरु अमरदास जी के 907, गुरु रामदास जी के 679 और गुरु अर्जन देव जी के 2216 शबद अंकित हैं। तत्पश्चात् गुरु गोबिंद सिंह जी के समय इसमें गुरु तेग़ बहादुर जी के 116 शबद और श्लोक शामिल किए गए।
- भक्त एवं संत (Bhagats and Saints)-आदि ग्रंथ साहिब जी में 15 हिंदू भक्तों और संतों की वाणी अंकित की गई है। प्रमुख भक्तों तथा संतों के नाम ये हैं-भक्त कबीर जी, शेख फरीद जी, भक्त नामदेव जी, गुरु रविदास जी, भक्त धन्ना जी, भक्त रामानन्द जी और भक्त जयदेव जी। इनमें भक्त कबीर जी के सर्वाधिक 541 शबद हैं। इसमें शेख फ़रीद जी के 112 श्लोक एवं 4 शब्द सम्मिलित हैं।
- भाट (Bhatts)-आदि ग्रंथ साहिब जी में 11 भाटों के शबद भी अंकित किए गए हैं। इन शबदों की कुल संख्या 125 है। कुछ प्रमुख भाटों के नाम ये हैं-नल जी, बल जी, जालप जी, भिखा जी और हरबंस जी।
- अन्य (Others)-आदि ग्रंथ साहिब जी में ऊपरलिखित महापुरुषों के अतिरिक्त सत्ता, बलवंड, मरदाना और सुंदर की रचनाओं को भी सम्मिलित किया गया है।
5. वाणी का क्रम (Arrangement of the Bani)-आदि ग्रंथ साहिब जी में कुल 1430 पृष्ठ हैं। इनमें दर्ज की गई वाणी को तीन भागों में विभाजित किया गया है। प्रथम भाग में जपुजी साहिब, रहरासि साहिब और सोहिला आते हैं। इनका वर्णन ग्रंथ साहिब जी के 1 से 13 पृष्ठों तक किया गया है। दूसरा भाग जो कि गुरु ग्रंथ साहिब जी का मुख्य भाग कहलाता है, में वर्णित वाणी को 31 रागों के अनुसार 31 भागों में विभाजित किया गया है। यहाँ यह बात स्मरण रखने योग्य है कि अधिक प्रसन्नता और अधिक दुःख प्रकट करने वाले रागों को ग्रंथ साहिब जी में सम्मिलित नहीं किया गया है। प्रत्येक राग में प्रभु की स्तुति के पश्चात् पहले गुरु नानक साहिब तथा फिर अन्य गुरु साहिबान के शबद क्रमानुसार दिए गए हैं।
क्योंकि सभी गुरुओं के शबदों में ‘नानक’ का नाम ही प्रयुक्त हुआ है, इसलिए उनके शबदों में अंतर प्रकट करने के लिए महलों का प्रयोग किया गया है। जैसे गुरु नानक साहिब जी की वाणी के साथ महला पहला का प्रयोग किया गया है तथा गुरु अंगद साहिब जी की वाणी के साथ महला दूसरा का प्रयोग किया गया है। प्रत्येक रागमाला में गुरु साहिबान के शबदों के पश्चात् भक्तों और सूफी संतों की रचनाएँ क्रमानुसार दी गई हैं। इस भाग का वर्णन गुरु ग्रंथ साहिब जी के 14 से लेकर 1353 पृष्ठों तक किया गया है। तीसरे भाग में भट्टों के सवैये, सिख गुरुओं और भक्तों के वे श्लोक हैं जिन्हें रागों में विभाजित नहीं किया जा सका। आदि ग्रंथ साहिब जी ‘मुंदावणी’ नामक दो श्लोकों से समाप्त होता है। ये श्लोक गुरु अर्जन देव जी के हैं। इनमें उन्होंने आदि ग्रंथ साहिब जी का सार और ईश्वर का धन्यवाद किया है। अंत में ‘रागमाला’ के शीर्षक के अन्तर्गत एक अन्तिका दी गई है। इस तीसरे भाग का वर्णन आदि ग्रंथ साहिब जी के 1353 पृष्ठों से लेकर 1430 पृष्ठों तक किया गया है।
आदि ग्रंथ साहिब जी का क्रम
(Arrangement of Adi Granth Sahib Ji)
- जपुजी साहिब 1-8
- रहरासि साहिब 8-12
- सोहिला 12-13
- सिरि राग 14-93
- माझ 94-150
- गउड़ी 151-346
- आसा 347-488
- गूजरी 489-526
- देवगांधारी 527-536
- बेहागड़ा 537-556
- वडहंस 557-594
- सोरठ 595-659
- धनासरी 660-695
- जैतसरी 696-710
- टोडी 711-718
- बैराड़ी 719-720
- तिलंग 721-727
- सूही 728-794
- बिलावल 795-858
- गोंड 859-875
- रामकली 876-974
- नटनारायण 975-983
- माली गउड़ा 984-988
- मारू 989-1106
- तुखारी 1107-1117
- केदारा 1118-1124
- भैरो 1125-1167
- वसंत 1168-1196
- सारंग 1197-1253
- मल्लहार 1254-1293
- कन्नड़ा 1294-1318
- कल्याण 1319-1326
- प्रभाति 1327-1351
- जैजावंती 1352-1353
- श्लोक सहस्कृति 1353-1360
- गाथा 1360-1361
- फुनहे 1361-1363
- चउबले 1363-1364
- श्लोक कबीर 1364-1377
- श्लोक फरीद 1377-1384
- सवैये गुरु अर्जन 1385-1389
- सवैये भट्ट 1389-1409
- गुरु साहेबान के श्लोक 1409-1426
- श्लोक गुरु तेग़ बहादुर 1426-1429
- मुंदावणी-1429
- रागमाला 1429-1430
6. वाणी एवं संगीत का सुमेल (Synthesis of Bani and Music)-सिख गुरु संगीत के महत्त्व से भली-भांति परिचित थे। इसलिए आदि ग्रंथ साहिब जी की बीड़ का संपादन करते समय गुरु अर्जन देव जी ने रागों के अनुसार अधिकतर वाणी को क्रम दिया है। इस वाणी की रचना 31 रागों के अनुसार की गई है। सिरि राग से लेकर प्रभाती राग तक कुल 30 रागों की रचना गुरु अर्जन देव जी ने अपनी वाणी में अंकित की। गुरु तेग़ बहादुर जी की वाणी राग जैजावंती में रची गयी। यह बात यहाँ स्मरण रखने योग्य है कि आदि ग्रंथ साहिब में बहुत खुशी अथवा बहुत गमी अथवा उत्तेजक प्रकार के रागों का प्रयोग नहीं किया गया है।
7. विषय (Subject)-आदि ग्रंथ साहिब जी में प्रभु की स्तुति की गई है। इसमें नाम का जाप, सच्चखण्ड की प्राप्ति और गुरु के महत्त्व के संबंध में प्रकाश डाला गया है। इसमें समस्त मानवता के कल्याण, प्रभु की एकता और विश्व-बंधुत्व का संदेश दिया गया है । इसमें गुरु साहिबान की जीवनियाँ अथवा चमत्कारों अथवा किसी प्रकार के सांसारिक मामलों का उल्लेख नहीं है। इस प्रकार गुरु ग्रंथ साहिब जी का विषय नितांत धार्मिक है।
8. भाषा (Language)-आदि ग्रंथ साहिब जी गुरमुखी लिपि में लिखा गया है। इसमें 15वीं, 16वीं और 17वीं शताब्दी की पंजाबी, हिंदी, मराठी, गुजराती, संस्कृत तथा फ़ारसी इत्यादि भाषाओं के शबदों का प्रयोग किया गया है। गुरु साहिबान के शबद पंजाबी भाषा में हैं तथा अन्य भक्तों तथा सिख संतों की रचनाएँ दूसरी भाषाओं में हैं।
SRI HARMANDIR SAHIB : AMRITSAR
II. आदि ग्रंथ साहिब जी का महत्त्व (Significance of Adi Granth Sahib Ji)
आदि ग्रंथ साहिब जी सिखों का ही नहीं अपितु सारे संसार का एक अद्वितीय धार्मिक ग्रंथ है। इस ग्रंथ की रचना ने सिख समुदाय को जीवन के प्रत्येक पक्ष में नेतृत्व करने वाले स्वर्ण सिद्धांत दिए और उनके संगठन को दृढ़ किया। आदि ग्रंथ साहिब जी की वाणी ईश्वर की एकता एवं परस्पर भ्रातत्व का संदेश देती है।
1. सिखों के लिए महत्त्व (Importance for the Sikhs)-आदि ग्रंथ साहिब जी के संकलन का सिख इतिहास में एक बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। इससे सिखों को एक अलग पवित्र धार्मिक ग्रंथ उपलब्ध हुआ। अब उनके लिए हिंदू धार्मिक ग्रंथों का कोई महत्त्व न रहा। इसने सिखों में जातीय चेतना की भावना उत्पन्न की और वे हिंदुओं से पूर्णतः अलग हो गए। गुरु गोबिंद सिंह जी के ज्योति-जोत समाने के पश्चात् गुरु ग्रंथ साहिब जी को सिखों का गुरु माना जाने लगा। आज विश्व में प्रत्येक सिख गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब जी की बीड़ को बहुत मान-सम्मान सहित उच्च स्थान पर रेशमी रुमालों में लपेट कर रखा जाता है तथा इसका प्रकाश किया जाता है। सिख संगतें इसके सामने बहुत आदरपूर्ण ढंग से मत्था टेककर बैठती हैं। सिखों की जन्म से लेकर मृत्यु तक की सभी रस्में गुरु ग्रंथ साहिब जी के सम्मुख पूर्ण की जाती हैं। आदि ग्रंथ साहिब जी सिखों के लिए न केवल प्रकाश स्तंभ है, अपितु उनकी प्रेरणा का मुख्य स्रोत है। डॉक्टर वजीर सिंह के अनुसार,
“आदि ग्रंथ साहिब जी वास्तव में उनका (गुरु अर्जन साहिब का) सिखों के लिए सबसे मूल्यवान् उपहार था।”1
2. भ्रातृत्व का संदेश (Message of Brotherhood)-आदि ग्रंथ साहिब जी विश्व में एकमात्र ऐसा धार्मिक ग्रंथ है जिसमें बिना किसी जातीय, ऊँच-नीच, धर्म अथवा राष्ट्र के भेदभाव के वाणी सम्मिलित की गई है। ऐसा करके गुरु अर्जन देव जी ने समस्त मानव जाति को भ्रातृत्व का संदेश दिया है। आज के युग में जब लोगों में सांप्रदायिकता की भावना बहुत बढ़ गई है और विश्व में युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं, गुरु ग्रंथ साहिब जी की महत्ता और भी बढ़ जाती है। डॉक्टर जी० एस० मनसुखानी के अनुसार, .
“जब तक मानव-जाति जीवित रहेगी, वह इस ग्रंथ से शांति, बुद्धिमत्ता और प्रोत्साहन प्राप्त करती रहेगी। यह समस्त मानव-जाति के लिए एक अमूल्य निधि और उत्तम विरासत है।”2
3. साहित्यिक महत्त्व (Literary Importance)-आदि ग्रंथ साहिब जी साहित्यिक पक्ष से एक अद्वितीय रचना है। पंजाबी साहित्य में इसे सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। इसमें सुंदर उपमाओं और अलंकारों का प्रयोग किया गया है। वास्तव में पंजाबी का जो उत्तम रूप ग्रंथ साहिब में प्रस्तुत किया गया है, उसकी तुलना उत्तरोत्तर लेखक भी नहीं कर पाए। इसी कारण इस ग्रंथ को साहित्यिक पक्ष से एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।
4. ऐतिहासिक महत्त्व (Historical Importance)-आदि ग्रंथ साहिब जी निस्संदेह एक धार्मिक ग्रंथ है किंतु फिर भी इसके गहन अध्ययन से हम 15वीं और 17वीं शताब्दी के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक दशा के संबंध में बहुत महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करते हैं। राजनीतिक क्षेत्र में गुरु नानक साहिब ने लोधी शासकों के शासनप्रबंध की बहुत आलोचना की है। शासक श्रेणी कसाई बन गई थी। काज़ी घूस लेकर न्याय करते थे। शासकों और अन्य दरबारियों की नैतिकता का पतन हो चुका था। बाबर के आक्रमण के समय पंजाब के लोगों की दुर्दशा का आँखों देखा हाल गुरु नानक देव जी ने ‘बाबर वाणी’ में किया है। सामाजिक क्षेत्र में स्त्रियों की दशा बहुत दयनीय थी। समाज में उन्हें बहुत निम्न स्थान प्राप्त था। उनमें सती प्रथा और पर्दे का बहुत प्रचलन था। विधवा का बहुत अनादर किया जाता था। हिंदू समाज कई जातियों और उपजातियों में विभाजित था। उच्च जाति के लोग बहुत अहंकार करते थे तथा निम्न जातियों पर बहुत अत्याचार करते थे। उस समय धर्म केवल बाह्याडंबर बनकर रह गया था। हिंदुओं और मुसलमानों में भारी अंध-विश्वास फैले हए थे। हिंदु वर्ग में ब्राह्मण और मुस्लिम वर्ग में मुल्ला जनता को लूटने में लगे हुए थे। मुसलमान धर्म के नाम पर हिंदुओं पर बहुत अत्याचार करते थे। आर्थिक क्षेत्र में धनी वर्ग निर्धनों का बहुत शोषण करता था। उस समय की कृषि तथा व्यापार के संबंध में भी पर्याप्त प्रकाश गुरु ग्रंथ साहिब में डाला गया है। डॉक्टर ए०सी० बैनर्जी के अनुसार,
” आदि ग्रंथ साहिब जी 15वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों से लेकर 17वीं शताब्दी के आरम्भ तक पंजाब की राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक जानकारी का बहुमूल्य स्रोत है। “3
5. अन्य महत्त्व (Other Importances)-ऊपरलिखित महत्त्वों के अतिरिक्त आदि ग्रंथ साहिब जी के अनेक अन्य महत्त्व भी हैं। इसमें न केवल परलोक किंतु इस लोक को संवारने के लिए दिशा निर्देश दिया गया है। इसमें समाज में प्रचलित अंधविश्वासों का खंडन करके संपूर्ण मानव जाति को एक नई दिशा देने का प्रयास किया गया है। इसमें किरत करने, नाम जपने तथा बाँट छकने का संदेश दिया गया है। मनुष्य को रहस्यमयी उच्चाइयों तक ले जाने के लिए संगीत को अत्यंत विलक्षण ढंग से वाणी के साथ जोड़ा गया है। गुरु ग्रंथ साहिब जी को गुरु का सम्मान देने की उदाहरण किसी अन्य धर्म के इतिहास में नहीं मिलती। संक्षेप में कहा जा सकता है कि आदि ग्रंथ साहिब ने मनुष्य को उसके जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करके उसकी गोद हीरे-मोतियों से भर दी है। अंत में हम डॉक्टर हरी राम गुप्ता के इन शब्दों से सहमत हैं,
“आदि ग्रंथ जी का संकलन सिखों के इतिहास की एक युगांतकारी घटना मानी जाती है।”4
1. “The Adi Granth was indeed his most precious gift to the Sikh world.” Dr. Wazir Singh, Guru Arjan Dev (New Delhi : 1991, p. 21.
2. “As long as mankind lives it will derive peace, wisdom and inspiration from this scripture. It is a unique treasure, a noble heritage for the whole human race.” Dr. G. S. Mansukhani, A Hand Book of Sikh Studies (Delhi : 1978) p. 139.
3. “The Adi Granth is a rich mine of information on political, religious, social and economic conditions in the Punjab from the last years of the fifteenth to the beginning of the seventeenth century.” Dr. A. C. Banerjee, The Sikh Gurus and the Sikh Religion (Delhi : 1983) p. 194.
4. “The compilation of the Adi Granth formed an important landmark in the history of the Sikhs.” Dr. Hari Ram Gupta, History of Sikhs (New Delhi : 1973) Vol. 1, p. 97.
प्रश्न 2.
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी सर्व सांझा पवित्र ग्रंथ है।
(Sri Guru Granth Sahib Ji is a sacred Granth of all common people. Discuss.)
अथवा
आदि ग्रंथ साहिब जी के संपादन की ऐतिहासिक महत्त्व की चर्चा कीजिए। (Discuss the historical importance of the editing work of Adi Granth Sahib Ji.)
उत्तर-
आदि ग्रंथ साहिब जी का महत्त्व (Significance of Adi Granth Sahib Ji)
आदि ग्रंथ साहिब जी सिखों का ही नहीं अपितु सारे संसार का एक अद्वितीय धार्मिक ग्रंथ है। इस ग्रंथ की रचना ने सिख समुदाय को जीवन के प्रत्येक पक्ष में नेतृत्व करने वाले स्वर्ण सिद्धांत दिए और उनके संगठन को दृढ़ किया। आदि ग्रंथ साहिब जी की वाणी ईश्वर की एकता एवं परस्पर भ्रातत्व का संदेश देती है।
1. सिखों के लिए महत्त्व (Importance for the Sikhs)-आदि ग्रंथ साहिब जी के संकलन का सिख इतिहास में एक बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। इससे सिखों को एक अलग पवित्र धार्मिक ग्रंथ उपलब्ध हुआ। अब उनके लिए हिंदू धार्मिक ग्रंथों का कोई महत्त्व न रहा। इसने सिखों में जातीय चेतना की भावना उत्पन्न की और वे हिंदुओं से पूर्णतः अलग हो गए। गुरु गोबिंद सिंह जी के ज्योति-जोत समाने के पश्चात् गुरु ग्रंथ साहिब जी को सिखों का गुरु माना जाने लगा। आज विश्व में प्रत्येक सिख गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब जी की बीड़ को बहुत मान-सम्मान सहित उच्च स्थान पर रेशमी रुमालों में लपेट कर रखा जाता है तथा इसका प्रकाश किया जाता है। सिख संगतें इसके सामने बहुत आदरपूर्ण ढंग से मत्था टेककर बैठती हैं। सिखों की जन्म से लेकर मृत्यु तक की सभी रस्में गुरु ग्रंथ साहिब जी के सम्मुख पूर्ण की जाती हैं। आदि ग्रंथ साहिब जी सिखों के लिए न केवल प्रकाश स्तंभ है, अपितु उनकी प्रेरणा का मुख्य स्रोत है। डॉक्टर वजीर सिंह के अनुसार,
“आदि ग्रंथ साहिब जी वास्तव में उनका (गुरु अर्जन साहिब का) सिखों के लिए सबसे मूल्यवान् उपहार था।”1
2. भ्रातृत्व का संदेश (Message of Brotherhood)-आदि ग्रंथ साहिब जी विश्व में एकमात्र ऐसा धार्मिक ग्रंथ है जिसमें बिना किसी जातीय, ऊँच-नीच, धर्म अथवा राष्ट्र के भेदभाव के वाणी सम्मिलित की गई है। ऐसा करके गुरु अर्जन देव जी ने समस्त मानव जाति को भ्रातृत्व का संदेश दिया है। आज के युग में जब लोगों में सांप्रदायिकता की भावना बहुत बढ़ गई है और विश्व में युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं, गुरु ग्रंथ साहिब जी की महत्ता और भी बढ़ जाती है। डॉक्टर जी० एस० मनसुखानी के अनुसार, .
“जब तक मानव-जाति जीवित रहेगी, वह इस ग्रंथ से शांति, बुद्धिमत्ता और प्रोत्साहन प्राप्त करती रहेगी। यह समस्त मानव-जाति के लिए एक अमूल्य निधि और उत्तम विरासत है।”2
3. साहित्यिक महत्त्व (Literary Importance)-आदि ग्रंथ साहिब जी साहित्यिक पक्ष से एक अद्वितीय रचना है। पंजाबी साहित्य में इसे सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। इसमें सुंदर उपमाओं और अलंकारों का प्रयोग किया गया है। वास्तव में पंजाबी का जो उत्तम रूप ग्रंथ साहिब में प्रस्तुत किया गया है, उसकी तुलना उत्तरोत्तर लेखक भी नहीं कर पाए। इसी कारण इस ग्रंथ को साहित्यिक पक्ष से एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।
4. ऐति हासिक महत्त्व (Historical Importance)-आदि ग्रंथ साहिब जी निस्संदेह एक धार्मिक ग्रंथ है किंतु फिर भी इसके गहन अध्ययन से हम 15वीं और 17वीं शताब्दी के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक दशा के संबंध में बहुत महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करते हैं। राजनीतिक क्षेत्र में गुरु नानक साहिब ने लोधी शासकों के शासनप्रबंध की बहुत आलोचना की है। शासक श्रेणी कसाई बन गई थी। काज़ी घूस लेकर न्याय करते थे। शासकों और अन्य दरबारियों की नैतिकता का पतन हो चुका था। बाबर के आक्रमण के समय पंजाब के लोगों की दुर्दशा का आँखों देखा हाल गुरु नानक देव जी ने ‘बाबर वाणी’ में किया है। सामाजिक क्षेत्र में स्त्रियों की दशा बहुत दयनीय थी। समाज में उन्हें बहुत निम्न स्थान प्राप्त था। उनमें सती प्रथा और पर्दे का बहुत प्रचलन था। विधवा का बहुत अनादर किया जाता था। हिंदू समाज कई जातियों और उपजातियों में विभाजित था। उच्च जाति के लोग बहुत अहंकार करते थे तथा निम्न जातियों पर बहुत अत्याचार करते थे। उस समय धर्म केवल बाह्याडंबर बनकर रह गया था। हिंदुओं और मुसलमानों में भारी अंध-विश्वास फैले हए थे। हिंदु वर्ग में ब्राह्मण और मुस्लिम वर्ग में मुल्ला जनता को लूटने में लगे हुए थे। मुसलमान धर्म के नाम पर हिंदुओं पर बहुत अत्याचार करते थे। आर्थिक क्षेत्र में धनी वर्ग निर्धनों का बहुत शोषण करता था। उस समय की कृषि तथा व्यापार के संबंध में भी पर्याप्त प्रकाश गुरु ग्रंथ साहिब में डाला गया है। डॉक्टर ए०सी० बैनर्जी के अनुसार,
” आदि ग्रंथ साहिब जी 15वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों से लेकर 17वीं शताब्दी के आरम्भ तक पंजाब की राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक जानकारी का बहुमूल्य स्रोत है। “3
5. अन्य महत्त्व (Other Importances)-ऊपरलिखित महत्त्वों के अतिरिक्त आदि ग्रंथ साहिब जी के अनेक अन्य महत्त्व भी हैं। इसमें न केवल परलोक किंतु इस लोक को संवारने के लिए दिशा निर्देश दिया गया है। इसमें समाज में प्रचलित अंधविश्वासों का खंडन करके संपूर्ण मानव जाति को एक नई दिशा देने का प्रयास किया गया है। इसमें किरत करने, नाम जपने तथा बाँट छकने का संदेश दिया गया है। मनुष्य को रहस्यमयी उच्चाइयों तक ले जाने के लिए संगीत को अत्यंत विलक्षण ढंग से वाणी के साथ जोड़ा गया है। गुरु ग्रंथ साहिब जी को गुरु का सम्मान देने की उदाहरण किसी अन्य धर्म के इतिहास में नहीं मिलती। संक्षेप में कहा जा सकता है कि आदि ग्रंथ साहिब ने मनुष्य को उसके जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करके उसकी गोद हीरे-मोतियों से भर दी है। अंत में हम डॉक्टर हरी राम गुप्ता के इन शब्दों से सहमत हैं,
“आदि ग्रंथ जी का संकलन सिखों के इतिहास की एक युगांतकारी घटना मानी जाती है।”4
1. “The Adi Granth was indeed his most precious gift to the Sikh world.” Dr. Wazir Singh, Guru Arjan Dev (New Delhi : 1991, p. 21.
2. “As long as mankind lives it will derive peace, wisdom and inspiration from this scripture. It is a unique treasure, a noble heritage for the whole human race.” Dr. G. S. Mansukhani, A Hand Book of Sikh Studies (Delhi : 1978) p. 139.
3. “The Adi Granth is a rich mine of information on political, religious, social and economic conditions in the Punjab from the last years of the fifteenth to the beginning of the seventeenth century.” Dr. A. C. Banerjee, The Sikh Gurus and the Sikh Religion (Delhi : 1983) p. 194.
4. “The compilation of the Adi Granth formed an important landmark in the history of the Sikhs.” Dr. Hari Ram Gupta, History of Sikhs (New Delhi : 1973) Vol. 1, p. 97.
प्रश्न 3.
गुरु अर्जन देव जी के तैयार किए गुरु ग्रंथ साहिब जी के योगदानियों पर नोट लिखें।
(Write a brief note on the contributors of Guru Granth Sahib Ji prepared by Guru Arjan Dev Ji.)
अथवा
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के कुल कितने वाणीकार थे ? उनका वर्णन कीजिए।
(How many are the contributors of Guru Granth Sahib Ji ? Give description of them.)
उत्तर-
ग्रंथ साहिब में योगदान करने वाले (Contributors in the Granth Sahib)-आदि ग्रंथ साहिब जी एक विशाल ग्रंथ है। इसमें कुल 5,894 शबद दर्ज किए गए हैं। आदि ग्रंथ साहिब जी में योगदान करने वालों को निम्नलिखित चार भागों में विभाजित किया जा सकता है—
- सिख गुरु (Sikh Gurus)-आदि ग्रंथ साहिब जी में सिख गुरुओं का योगदान सर्वाधिक है। इसमें गुरु नानक देव जी के 976, गुरु अंगद देव जी के 62, गुरु अमरदास जी के 907, गुरु रामदास जी के 679 और गुरु अर्जन देव जी के 2216 शबद अंकित हैं। तत्पश्चात् गुरु गोबिंद सिंह जी के समय इसमें गुरु तेग़ बहादुर जी के 116 शबद और श्लोक शामिल किए गए।
- भक्त एवं संत (Bhagats and Saints)-आदि ग्रंथ साहिब जी में 15 हिंदू भक्तों और संतों की वाणी अंकित की गई है। प्रमुख भक्तों तथा संतों के नाम ये हैं-भक्त कबीर जी, शेख फरीद जी, भक्त नामदेव जी, गुरु रविदास जी, भक्त धन्ना जी, भक्त रामानन्द जी और भक्त जयदेव जी। इनमें भक्त कबीर जी के सर्वाधिक 541 शबद हैं। इसमें शेख फ़रीद जी के 112 श्लोक एवं 4 शब्द सम्मिलित हैं।
- भाट (Bhatts)-आदि ग्रंथ साहिब जी में 11 भाटों के शबद भी अंकित किए गए हैं। इन शबदों की कुल संख्या 125 है। कुछ प्रमुख भाटों के नाम ये हैं-नल जी, बल जी, जालप जी, भिखा जी और हरबंस जी।
- अन्य (Others)-आदि ग्रंथ साहिब जी में ऊपरलिखित महापुरुषों के अतिरिक्त सत्ता, बलवंड, मरदाना और सुंदर की रचनाओं को भी सम्मिलित किया गया है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
आदि ग्रंथ साहिब के संकलन और महत्त्व के संबंध में बताएँ।
[Write a note on the compilation and importance of Adi Granth Sahib (Guru Granth Sahib).]
अथवा
आदि ग्रंथ साहिब पर संक्षेप नोट लिखें। (Write a note on Adi Granth Sahib.)
उत्तर-
आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन गुरु अर्जन देव जी का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य था। इसका उद्देश्य गुरुओं की वाणी को एक स्थान पर एकत्रित करना था। गुरु अर्जन साहिब ने आदि ग्रंथ साहिब का कार्य रामसर में आरंभ किया। आदि ग्रंथ साहिब को लिखने का कार्य भाई गुरदास जी ने किया। इसमें प्रथम पाँच गुरु साहिबों, अन्य संतों और भक्तों की वाणी को भी सम्मिलित किया गया। इसका संकलन 1604 ई० में संपूर्ण हुआ। बाद में गुरु तेग बहादुर जी की वाणी भी इसमें सम्मिलित की गई। आदि ग्रंथ साहिब जी का सिख इतिहास में विशेष महत्त्व है।
प्रश्न 2.
आदि ग्रंथ साहिब का क्या महत्त्व है ? (What is the significance of Adi Granth Sahib ?)
अथवा
आदि ग्रंथ साहिब जी के ऐतिहासिक महत्त्व की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए। (Briefly explain the historical significance of Adi Granth Sahib Ji.)”
उत्तर-आदि ग्रंथ साहिब जी के संकलन का सिख इतिहास में विशेष महत्त्व है। इससे सिखों को एक अलग पवित्र धार्मिक ग्रंथ उपलब्ध हुआ। इसने सिखों में एक नवीन चेतना उत्पन्न की। इसमें बिना किसी जातीय भेदभाव, ऊँच-नीच, धर्म अथवा राष्ट्र के वाणी सम्मिलित की गई है। ऐसा करके गुरु अर्जन साहिब जी ने समस्त मानवता को आपसी भाईचारे का संदेश दिया। इसमें किरत करने, नाम जपने तथा बाँट छकने का संदेश दिया गया है। यह 15वीं से 17वीं शताब्दी के पंजाब की राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा आर्थिक दशा को जानने के लिए हमारा एक बहुमूल्य स्रोत है।
प्रश्न 3.
आदि ग्रंथ साहिब जी के संकलन एवं महत्त्व के बारे में लिखें। (Write a note on the compilation and importance of Adi Granth Sahib Ji.)
अथवा
आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन कैसे हुआ ? संक्षिप्त चर्चा करें। (How Adi Granth Sahib Ji was compiled ? Discuss in brief.)
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन करना था। इसका उद्देश्य गुरुओं की वाणी को एक स्थान पर एकत्रित करना था और सिखों को एक अलग धार्मिक ग्रंथ देना था। गुरु अर्जन साहिब जी ने आदि ग्रंथ साहिब जी का कार्य रामसर साहिब में आरंभ किया। इसमें गुरु नानक देव जी, गुरु अंगद देव जी, गुरु अमरदास जी, गुरु रामदास जी और गुरु अर्जन साहिब की वाणी सम्मिलित की गई। गुरु अर्जन साहिब जी के सर्वाधिक 2,216 शबद सम्मिलित किए गए। इनके अतिरिक्त गुरु अर्जन साहिब ने कुछ अन्य संतों और भक्तों की वाणी को सम्मिलित किया। आदि ग्रंथ साहिब जी को लिखने का कार्य भाई गुरदास जी ने किया। यह महान् कार्य 1604 ई० में संपूर्ण हुआ। गुरु गोबिंद सिंह के समय इसमें गुरु तेग़ बहादुर जी की वाणी भी सम्मिलित की गई। आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन सिख इतिहास में विशेष महत्त्व रखता है। इससे सिखों को एक अलग धार्मिक ग्रंथ प्राप्त हुआ। गुरु अर्जन साहिब जी ने आदि ग्रंथ साहिब जी में भिन्न-भिन्न धर्म और जाति के लोगों की रचनाएँ सम्मिलित करके एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया। 15वीं से 17वीं शताब्दी के पंजाब के लोगों की राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक स्थिति जानने के लिए आदि ग्रंथ साहिब जी हमारा मुख्य स्त्रोत है। इनके अतिरिक्त आदि ग्रंथ साहिब जी भारतीय दर्शन, संस्कृति, साहित्य तथा भाषाओं का एक अमूल्य खज़ाना है।
प्रश्न 4.
आदि ग्रंथ साहिब जी के संकलन की आवश्यकता क्यों पड़ी ?
(What was the need of the compilation of the Adi Granth Sahib Ji ?)
उत्तर-
आदि ग्रंथ साहिब जी के संकलन के लिए कई कारण उत्तरदायी थे। गुरु अर्जन साहिब जी के समय सिख धर्म का प्रसार बहुत तीव्र गति से हो रहा था। उनके नेतृत्व के लिए एक पावन धार्मिक ग्रंथ की आवश्यकता थी। दूसरा, गुरु अर्जन साहिब का बड़ा भाई पृथिया स्वयं गुरुगद्दी प्राप्त करना चाहता था। इस उद्देश्य से उसने अपनी रचनाओं को गुरु साहिबान की वाणी कहकर लोगों में प्रचलित करना आरंभ कर दिया था। गुरु अर्जन साहिब गुरु साहिबान की वाणी शुद्ध रूप में अंकित करना चाहते थे ताकि सिखों को कोई संदेह न रहे। तीसरा, यदि सिखों का एक अलग राष्ट्र स्थापित करना था तो उनके लिए एक अलग धार्मिक ग्रंथ लिखा जाना भी आवश्यक था। चौथा, गुरु अमरदास जी ने भी सिखों को गुरु साहिबान की सच्ची वाणी पढ़ने के लिए कहा था। गुरु साहिब आनंदु साहिब में कहते हैं,
आवहु सिख सतगुरु के प्यारो गावहु सच्ची वाणी॥
वाणी तां गावहु गुरु केरी वाणियां सिर वाणी॥
कहे नानक सदा गावह एह सच्ची वाणी॥
इन कारणों से गुरु अर्जन साहिब जी ने आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन करने की आवश्यकता अनुभव की।
प्रश्न 5.
श्री गुरु अर्जन देव जी ने कौन-से पवित्र ग्रंथ का संपादन किया ? जानकारी दीजिए।
(Which sacred Granth was edited by Sri Guru Arjan Dev Ji ? Describe.)
अथवा
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के संकलन तथा संपादन के बारे में जानकारी दीजिए।
(Describe the compilation and editing of Sri Guru Granth Sahib Ji.)
अथवा
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की संपादन कला के बारे में जानकारी दीजिए। (Describe the editing art of Sri Guru Granth Sahib Ji.)
अथवा
आदि ग्रंथ साहिब जी की बाणी को कैसे एकत्र किया गया ?
(How were the hymns collected for Adi Granth Sahib Ji ?)
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी ने आदि ग्रंथ साहिब जी में लिखने के लिए भिन्न-भिन्न स्त्रोतों से वाणी एकत्रित की। प्रथम तीन गुरु साहिबान-गुरु नानक देव जी, गुरु अंगद देव जी और गुरु अमरदास जी की वाणी गुरु अमरदास जी के बड़े सुपुत्र बाबा मोहन,जी के. पास पड़ी थी। इस वाणी को एकत्रित करने के उद्देश्य से गुरु अर्जन साहिब ने पहले भाई गुरदास जी को तथा फिर बाबा बुड्डा जी को बाबा मोहन जी के पास भेजा किंतु वे अपने उद्देश्य में सफल न हो पाए। इसके पश्चात् गुरु साहिब स्वयं अमृतसर से गोइंदवाल साहिब नंगे पाँव गए। गुरु जी की नम्रता से प्रभावित होकर बाबा मोहन जी ने अपने पास पड़ी समस्त वाणी गुरु जी के सुपुर्द कर दी। गुरु रामदास जी की वाणी गुरु अर्जन देव जी के पास ही थी। गुरु साहिब ने अपनी वाणी भी शामिल की। तत्पश्चात् गुरु साहिब ने हिंदू भक्तों और मुस्लिम संतों के श्रद्धालुओं को अपने पास बुलाया और कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब जी में सम्मिलित करने के लिए वे अपने संतों की सही वाणी बताए। गुरु ग्रंथ साहिब में केवल उनू भक्तों और संतों की वाणी सम्मिलित की गई जिनकी वाणी गुरु साहिबान की वाणी से मिलती-जुलती थी। लाहौर के काहना, छज्जू, शाह हुसैन और पीलू की रचनाएँ रद्द कर दी गईं।
प्रश्न 6.
आदि ग्रंथ साहिब जी के महत्त्व के बारे में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about the importance of Adi Granth Sahib Ji ?)
उत्तर-
- सिखों के लिए महत्त्व-आदि ग्रंथ साहिब जी के संकलन का सिख इतिहास में एक बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। इससे सिखों को एक अलग पवित्र धार्मिक ग्रंथ उपलब्ध हुआ। अब उनके लिए हिंदू धार्मिक ग्रंथों का कोई महत्त्व न रहा। इसने सिखों में जातीय चेतना की भावना उत्पन्न की और वे हिंदुओं से पूर्णतः अलग हो गए।
- भ्रातत्व का संदेश-आदि ग्रंथ साहिब जी विश्व में एकमात्र ऐसा धार्मिक ग्रंथ है जिसमें बिना किसी जातीय, ऊँच-नीच, धर्म अथवा राष्ट्र के भेदभाव के वाणी सम्मिलित की गई है। ऐसा करके गुरु अर्जन साहिब जी ने समस्त मानव जाति को भ्रातृत्व का संदेश दिया है।
- साहित्यिक महत्त्व-गुरु ग्रंथ साहिब जी साहित्यिक पक्ष से एक अद्वितीय रचना है। पंजाबी साहित्य में इसे सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। इसमें सुंदर उपमाओं और अलंकारों का प्रयोग किया गया है। वास्तव में पंजाबी का जो उत्तम रूप ग्रंथ साहिब में प्रस्तुत किया गया है, उसकी तुलना उत्तरोत्तर लेखक भी नहीं कर पाए। इसी कारण इस ग्रंथ को साहित्यिक पक्ष से एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।
- ऐतिहासिक महत्त्व-आदि ग्रंथ साहिब जी निःस्संदेह एक धार्मिक ग्रंथ है किंतु फिर भी इसके गहन अध्ययन से हम 15वीं से 17वीं शताब्दी के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक दशा के संबंध में बहुत महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करते हैं।
- अन्य महत्त्व-ऊपरलिखित महत्त्वों के अतिरिक्त आदि ग्रंथ साहिब जी के अनेक अन्य महत्त्व भी हैं। इसमें न केवल परलोक किंतु इस लोक को संवारने के लिए दिशा निर्देश दिया गया है। इसमें समाज में प्रचलित अंधविश्वासों का खंडन करके संपूर्ण मानव जाति को एक नई दिशा देने का प्रयास किया गया है। इसमें किरत करने, नाम जपने तथा बाँट छकने का संदेश दिया गया है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1. आदि ग्रंथ साहिब जी के संकलन की आवश्यकता क्यों पड़ी ? कोई एक कारण बताएँ।
उत्तर-सिखों के नेतृत्व के लिए एक पवित्र ग्रंथ की आवश्यकता थी।
प्रश्न 2. गुरु अर्जन देव जी ने प्रथम तीन गुरुओं की वाणी किससे प्राप्त की थी ?
उत्तर-बाबा मोहन जी से।
प्रश्न 3. बाबा मोहन जी कौन थे ?
उत्तर- बाबा मोहन जी गुरु अमरदास जी के बड़े सुपुत्र थे।
प्रश्न 4. आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन कब और किसने किया था ?
अथवा
आदि ग्रंथ साहिब जी का प्रथम संकलन किसने तथा कब किया ?
अथवा
आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन किस गुरु साहिब ने किया ?
उत्तर-आदि ग्रंथ साहिब जी अथवा गुरु ग्रंथ साहिब जी का संकलन गुरु अर्जन देव जी ने 1604 ई० में किया।
प्रश्न 5. आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन किस वर्ष तथा किस स्थान पर हुआ ?
अथवा
आदि ग्रंथ साहिब जी का संपादन कब और कहाँ हुआ ?
उत्तर-आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन 1604 ई० में रामसर में हुआ।
प्रश्न 6. श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का संपादन किसने, कब तथा कहाँ किया ?
उत्तर- श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का संपादन गुरु अर्जन देव जी ने 1604 ई० में रामसर नामक स्थान पर किया।
प्रश्न 7. आदि ग्रंथ साहिब जी को लिखने के लिए गुरु अर्जन देव जी के साथ लेखक कौन था ?
उत्तर-भाई गुरदास जी।
प्रश्न 8. आदि ग्रंथ साहिब जी के प्रथम संपादक कौन थे ?
उत्तर-गुरु अर्जन देव जी।
प्रश्न 9. पहली बीड़ की रचना किसने तथा कहाँ की ?
उत्तर-पहली बीड़ की रचना गुरु अर्जन देव जी ने रामसर में की।
प्रश्न 10. प्रथम बीड़ की रचना किस वर्ष तथा किस स्थान पर की गई ?
उत्तर–प्रथम बीड़ की रचना 1604 ई० में रामसर में की गई।
प्रश्न 11. दूसरी बीड़ की रचना किसने तथा कहाँ की ?
उत्तर-दूसरी बीड़ की रचना गुरु गोबिंद सिंह जी ने दमदमा साहिब नामक स्थान पर की।
प्रश्न 12. श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की संपूर्णता कब और कहाँ हुई ?
उत्तर- श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की संपूर्णता 1706 ई० में तलवंडी साबो नामक स्थान में हुई।
प्रश्न 13. दूसरी बीड़ के लेखक कौन थे ?
उत्तर-भाई मनी सिंह जी।
प्रश्न 14. आदि ग्रंथ साहिब जी का प्रथम प्रकाश कहाँ किया गया था ?
उत्तर-हरिमंदिर साहिब, अमृतसर में।
प्रश्न 15. आदि ग्रंथ साहिब जी का प्रथम प्रकाश कब किया गया था ?
अथवा
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रथम प्रकाश किस वर्ष हुआ ?
उत्तर-16 अगस्त, 1604 ई० को।
प्रश्न 16. दरबार साहिब, अमृतसर के प्रथम मुख्य ग्रंथी कौन थे ?
उत्तर-बाबा बुड्ढा जी।
प्रश्न 17. गुरु ग्रंथ साहिब जी में कितने महापुरुषों ने अपना योगदान दिया ?
अथवा
गुरु ग्रंथ साहिब जी के कितने योगदानी हैं ?
अथवा
गुरु ग्रंथ साहिब जी के कुल कितने रचयिता हैं ?
उत्तर-36 महापुरुषों ने।
प्रश्न 18. गुरु ग्रंथ साहिब जी में कितने सिख गुरु साहिबान की वाणी शामिल है ?
उत्तर-6 सिख गुरु साहिबान की।
प्रश्न 19. किन्हीं दो सिख गुरुओं के नाम लिखें जिनकी वाणी गुरु ग्रंथ साहिब जी में है ?
उत्तर-
- गुरु नानक देव जी
- गुरु अंगद देव जी।
प्रश्न 20. आदि ग्रंथ साहिब जी में गुरु नानक देव जी के कितने शबद हैं ?
उत्तर-976 शबद।
प्रश्न 21. आदि ग्रंथ साहिब जी में सबसे अधिक शब्द किस सिख गुरु के हैं ?
उत्तर-गुरु अर्जन देव जी के।
प्रश्न 22. आदि ग्रंथ साहिब जी में गुरु अर्जन देव जी के कितने शबद हैं ?
उत्तर-2216 शबद।
प्रश्न 23. आदि ग्रंथ साहिब जी में कितने भक्तों की वाणी सम्मिलित की गई है ?
उत्तर-15 भक्तों की।
प्रश्न 24. गुरु ग्रंथ साहिब जी में जिन भक्तों की वाणी दर्ज है उनमें से किन्हीं दो के नाम लिखें।
उत्तर-
- कबीर जी
- फ़रीद जी।
प्रश्न 25. आदि ग्रंथ साहिब जी में सबसे अधिक शबद किस भक्त के हैं ?
अथवा
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में सबसे अधिक कौन-से भक्त की वाणी दर्ज है ?
उत्तर-भक्त कबीर जी के।
प्रश्न 26. आदि ग्रंथ साहिब जी में भक्त कबीर जी के कितने शबद हैं ?
उत्तर-541 शबद।
प्रश्न 27. आदि ग्रंथ साहिब जी में बाबा फरीद जी के कितने श्लोक व शबद शामिल हैं ?
उत्तर-आदि ग्रंथ साहिब जी में बाबा फरीद जी के 112 श्लोक व 4 शबद शामिल हैं।
प्रश्न 28. आदि ग्रंथ साहिब जी में कितने भाटों की वाणी शामिल है ?
उत्तर-11 भाटों की।
प्रश्न 29. श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में कितने भक्तों और भाटों की वाणी शामिल है ?
उत्तर- श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में 15 भक्तों और 11 भाटों की वाणी शामिल है।
प्रश्न 30. आदि ग्रंथ साहिब जी में किनकी वाणी को सम्मिलित नहीं किया गया है ?
उत्तर-
- कान्हा,
- छज्जू,
- शाह हुसैन,
- पीलू।
प्रश्न 31. आदि ग्रंथ साहिब जी के कुल कितने पन्ने हैं ?
उत्तर-आदि ग्रंथ साहिब जी के कुल 1430 पन्ने हैं।
प्रश्न 32. गुरु ग्रंथ साहिब जी में कुल कितने रागों के अधीन वाणी अंकित है ?
उत्तर-31 रागों के।
प्रश्न 33. गुरु ग्रंथ साहिब जी में प्रयोग किए गए किन्हीं दो रागों के नाम बताएँ।
उत्तर-रामकली तथा बसंत।।
प्रश्न 34. गुरु ग्रंथ साहिब जी का आरंभ किस रचना से होता है ?
उत्तर-जपुजी साहिब।
प्रश्न 35. जपुजी साहिब की रचना किसने की ?
उत्तर-जपुजी साहिब की रचना गुरु नानक देव जी ने की।
प्रश्न 36. सुखमनी साहिब की रचना किसने की ?
उत्तर-गुरु अर्जन देव जी।
प्रश्न 37. आदि ग्रंथ साहिब जी का मुख्य विषय क्या है ?
उत्तर-परमात्मा की उपासना।
प्रश्न 38. आदि ग्रंथ साहिब जी की लिपि का नाम लिखो।
उत्तर-गुरुमुखी।
प्रश्न 39. किन्हीं दो भाषाओं के नाम लिखें जिनका प्रयोग आदि ग्रंथ साहिब जी में किया गया है ?
उत्तर-
- पंजाबी
- फ़ारसी।
प्रश्न 40. सिखों की केंद्रीय धार्मिक पुस्तक का नाम बताएँ।
उत्तर-आदि ग्रंथ साहिब जी अथवा गुरु ग्रंथ साहिब जी।
प्रश्न 41. गुरु ग्रंथ साहिब जी को गुरु की पदवी किसने दी ?
उत्तर-गुरु ग्रंथ साहिब जी को गुरु की पदवी गुरु गोबिंद सिंह जी ने दी।
प्रश्न 42. आदि ग्रंथ साहिब जी को गुरु की पदवी कब तथा किसने दी ?
उत्तर-आदि ग्रंथ साहिब जी को गुरु की पदवी 6 अक्तूबर, 1708 ई० को गुरु गोबिंद सिंह जी ने दी।
प्रश्न 43. आदि ग्रंथ साहिब जी का कोई एक महत्त्व बताओ।
उत्तर-आदि ग्रंथ साहिब जी ने संपूर्ण जाति को सांझीवालता का संदेश दिया।
नोट-रिक्त स्थानों की पूर्ति करें—
प्रश्न 1. आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन ……….. में किया गया था।
उत्तर-1604 ई०
प्रश्न 2. आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन ……….. ने किया था।
उत्तर–गुरु अर्जन देव जी
प्रश्न 3. आदि ग्रंथ साहिब जी को लिखने का कार्य ………. में किया गया था।
उत्तर-रामसर
प्रश्न 4. आदि ग्रंथ साहिब जी को लिखने का कार्य ……….. ने किया।
उत्तर-भाई गुरदास जी
प्रश्न 5. आदि ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश ………. में किया गया था।
उत्तर-हरिमंदिर साहिब
प्रश्न 6. ……….. को हरिमंदिर साहिब का पहला मुख्य ग्रंथी नियुक्त किया गया।
उत्तर-बाबा बुड्ढा जी
प्रश्न 7. ………. ने आदि ग्रंथ साहिब जी की दूसरी बीड़ को तैयार किया था।
उत्तर-गुरु गोबिंद सिंह जी
प्रश्न 8. …….. ने आदि ग्रंथ साहिब जी को गुरु ग्रंथ साहिब जी का दर्जा दिया।
उत्तर-गुरु गोबिंद सिंह जी
प्रश्न 9. आदि ग्रंथ साहिब जी में कुल …….. महापुरुषों के शबद हैं।
उत्तर-36
प्रश्न 10. आदि ग्रंथ साहिब जी में गुरु नानक देव जी के ……….. शबद हैं।
उत्तर-976
प्रश्न 11. आदि ग्रंथ साहिब जी में सर्वाधिक शबद ……… के हैं।
उत्तर-गुरु अर्जन देव जी
प्रश्न 12. आदि ग्रंथ साहिब जी में ………. हिंदू भगतों और मुस्लिम संतों की बाणी दर्ज है।
उत्तर-15
प्रश्न 13. आदि ग्रंथ साहिब जी में भक्त कबीर जी के ………. शबद हैं।
उत्तर-541
प्रश्न 14. आदि ग्रंथ साहिब जी के कुल ……….. ‘पृष्ठ हैं।
उत्तर-1430
प्रश्न 15. आदि ग्रंथ साहिब जी की बाणी को ……… रागों में विभाजित किया गया है।
उत्तर-31
प्रश्न 16. आदि ग्रंथ साहिब जी को ………. लिपि में लिखा गया है।
उत्तर-गुरमुखी
नोट-निम्नलिखित में से ठीक अथवा ग़लत चुनें—
प्रश्न 1. आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन गुरु रामदास जी ने किया था।
उत्तर-ग़लत
प्रश्न 2. आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन 1675 ई० में किया गया था।
उत्तर-ग़लत
प्रश्न 3. आदि ग्रंथ साहिब जी के लेखन का कार्य भाई गुरदास जी ने किया था।
उत्तर-ठीक
प्रश्न 4. आदि ग्रंथ साहिब का प्रथम प्रकाश आनंदपुर साहिब में किया गया था।
उत्तर-ग़लत
प्रश्न 5. बाबा बुड्डा जी हरिमंदिर साहिब के पहले मुख्य ग्रंथी थे।
उत्तर-ठीक
प्रश्न 6. आदि ग्रंथ साहिब जी की दूसरी बीड़ गुरु गोबिंद सिंह जी ने तैयार करवाई थी।
उत्तर-ठीक
प्रश्न 7. आदि ग्रंथ साहिब में 36 महापुरुषों की बाणी संकलित है।
उत्तर-ठीक
प्रश्न 8. आदि ग्रंथ साहिब जी में सर्वाधिक शब्द गुरु नानक देव जी के हैं।
उत्तर-ग़लत
प्रश्न 9. आदि ग्रंथ साहिब जी में कुल 6 सिख गुरुओं की बाणी सम्मिलित है।
उत्तर-ठीक
प्रश्न 10. आदि ग्रंथ साहिब जी में पाँच भक्तों और मुस्लिम संतों की बाणी सम्मिलित है।
उत्तर-ग़लत
प्रश्न 11. आदि ग्रंथ साहिब जी में भक्त कबीर जी के 541 शब्द हैं।
उत्तर-ठीक
प्रश्न 12. आदि ग्रंथ साहिब जी में 11 भाटों की बाणी संकलित है।
उत्तर-ठीक
प्रश्न 13. आदि ग्रंथ साहिब के कुल 1420 पृष्ठ हैं।
उत्तर-ग़लत
प्रश्न 14. आदि ग्रंथ साहिब जी की बाणी को 31 रागों के अनुसार विभाजित किया गया है।
उत्तर-ठीक
प्रश्न 15. आदि ग्रंथ साहिब जी को गुरमुखी लिपि में लिखा गया है।
उत्तर-ठीक
प्रश्न 16. आदि ग्रंथ साहिब जी से हमें ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त होती है।
उत्तर-ठीक
नोट-निम्नलिखित में से ठीक उत्तर चुनें—
प्रश्न 1.
आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन किस ने किया था ?
(i) गुरु नानक देव जी
(ii) गुरु अमरदास जी
(iii) गुरु अर्जन देव जी
(iv) गुरु तेग़ बहादुर जी।
उत्तर-
(iii) गुरु अर्जन देव जी
प्रश्न 2.
आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन कब किया गया था ?
(i) 1604 ई०
(ii) 1605 ई०
(iii) 1606 ई०
(iv) 1675 ई०।
उत्तर-
(i) 1604 ई०
प्रश्न 3.
आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन कहाँ किया गया था ?
(i) गंगासर में
(ii) रामसर में
(iii) गोइंदवाल साहिब में
(iv) तरनतारन में।
उत्तर-
(ii) रामसर में
प्रश्न 4.
आदि ग्रंथ साहिब जी को लिखते समय किसने गुरु अर्जन देव जी की सहायता की ?
(i) बाबा बुड्डा जी
(ii) भाई मनी सिंह जी
(iii) भाई गुरदास जी
(iv) बाबा दीप सिंह जी।
उत्तर-
(iii) भाई गुरदास जी
प्रश्न 5.
आदि ग्रंथ साहिब जी का प्रथम प्रकाश कहाँ किया गया था ?
(i) हरिमंदिर साहिब में
(ii) ननकाना साहिब में
(iii) श्री आनंदपुर साहिब में
(iv) पंजा साहिब में।
उत्तर-
(i) हरिमंदिर साहिब में
प्रश्न 6.
हरिमंदिर साहिब के प्रथम मुख्य ग्रंथी कौन थे ?
(i) भाई गुरदास जी
(ii) बाबा बुड्डा जी
(iii) मीयाँ मीर जी
(iv) भाई मनी सिंह जी।
उत्तर-
(ii) बाबा बुड्डा जी
प्रश्न 7.
आदि ग्रंथ साहिब जी में कितने सिख गुरुओं की बाणी सम्मिलित है ?
(i) 5
(ii) 6
(iii) 8
(iv) 10.
उत्तर-
(ii) 6
प्रश्न 8.
आदि ग्रंथ साहिब जी में गुरु अर्जन देव जी के कितने शबद दिए गए हैं ?
(i) 689
(ii) 907
(iii) 976
(iv) 2216.
उत्तर-
(iv) 2216.
प्रश्न 9.
आदि ग्रंथ साहिब जी में निम्नलिखित में से किस भक्त के सर्वाधिक शबद थे ?
(i) फ़रीद जी
(ii) नामदेव जी
(iii) कबीर जी
(iv) गुरु रविदास जी।
उत्तर-
(iii) कबीर जी
प्रश्न 10.
आदि ग्रंथ साहिब जी में बाणी को कितने रागों में विभाजित किया गया है ?
(i) 11
(ii) 21
(iii) 30
(iv) 31.
उत्तर-
(iv) 31.
प्रश्न 11.
आदि ग्रंथ साहिब जी में कुल कितने पृष्ठ हैं ?
(i) 1405
(ii) 1420
(iii) 1430
(iv) 1440.
उत्तर-
(iii) 1430
प्रश्न 12.
आदि ग्रंथ साहिब जी को गुरु ग्रंथ साहिब जी का दर्जा किसने दिया था ?
(i) गुरु नानक देव जी
(ii) गुरु अर्जन देव जी
(iii) गुरु तेग़ बहादुर जी
(iv) गुरु गोबिंद सिंह जी।
उत्तर-
(iv) गुरु गोबिंद सिंह जी।
प्रश्न 13.
आदि ग्रंथ साहिब जी को गुरु ग्रंथ साहिब जी का दर्जा कब दिया गया था ?
(i) 1604 ई०
(ii) 1675 ई०
(iii) 1705 ई०
(iv) 1708 ई०।
उत्तर-
(iv) 1708 ई०।
प्रश्न 14.
आदि ग्रंथ साहिब जी की दूसरी बीड़ को किसने लिखा था ?
(i) भाई गुरदास जी ने
(ii) भाई मनी सिंह जी ने
(iii) बाबा बुड्डा जी ने
(iv) गुरु गोबिंद सिंह जी ने।
उत्तर-
(ii) भाई मनी सिंह जी ने
प्रश्न 15.
आदि ग्रंथ साहिब जी को किस भाषा में लिखा गया था ?
(i) गुरमुखी
(ii) हिंदी
(iii) अंग्रेज़ी
(iv) संस्कृत।
उत्तर-
(i) गुरमुखी