Punjab State Board PSEB 3rd Class Hindi Book Solutions Chapter 21 उपकार का फल Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 3 Hindi Chapter 21 उपकार का फल
Hindi Guide for Class 3 PSEB उपकार का फल Textbook Questions and Answers
अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर
I. बताओ
1. भेड़िये का स्वभाव कैसा था ?
उत्तर-
भेड़िया बहुत परोपकारी स्वभाव का था।
2. मित्र जानवर भोजन करने को क्यों व्याकुल थे ?
उत्तर-
बहुत दिनों के बाद जानवरों को इतनी अधिक मात्रा में भोजन खाने को मिल रहा था इसीलिए वे सभी भोजन करने को व्याकुल थे।
3. अजनबी जानवरों के संकट और भूख को देखकर भेड़िये ने क्या कहा?
उत्तर-
अजनबी जानवरों के संकट और भूख को देखकर भेड़िये ने कहा, “कोई बात नहीं, सौभाग्यवश हम भोजन कर ही रहे हैं, आप भी भोजन कर लीजिए”।
4. भेड़िये ने जब अजनबी जानवरों को भोजन करने को कहा तो मित्र जानवरों को गुस्सा क्यों आया ?
उत्तर-
वास्तव में भेड़िये व उसके मित्रों को बहुत दिनों के पश्चात् भर पेट भोजन करने को मिल रहा था। उस पर भेड़िये ने उसी भोजन में से दूसरे अजनबी जानवरों को भी खाने को कह दिया तो मित्र जानवरों को भेड़िये की इस बात पर गुस्सा आया।
5. मित्र जानवर नंदन वन छोड़कर क्यों चले गए?
उत्तर-
नंदन वन में बीमारी फैल गई थी, जिससे सभी जानवर मरने लगे थे। अपनी जान बचाने के लिए नंदन वन के जानवर वन छोड़कर चले गए।
6. हिरण ने उन्हें जंगल में जाने क्यों नहीं दिया ?
उत्तर-
हिरण को जंगल के स्वामी शेर का हुक्म था कि इस जंगल में बाहर के जंगल का कोई भी जानवर न आने पाए। इसी आज्ञा का पालन करते हुए हिरण ने उन्हें जंगल में प्रवेश करने नहीं दिया।
7. शेर ने मित्र जानवरों को जंगल में रहने की अनुमति क्यों दी?
उत्तर-
शेर को जब एक जानवर ने आकर बताया कि ये वही मित्र जानवर हैं जिन्होंने संकट के समय हमारी मदद की थी तो शेर ने खुशी-खुशी उनकी सहायता करना मान लिया और उन्हें जंगल में रहने की अनुमति दे दी।
II. उपयुक्त शब्द चुनकर वाक्य पूरे करो
संकट, इकट्ठा, परोपकारी, गुस्सा, मित्रता कर्त्तव्य, एहसान।
1. भेड़िया बहुत ही ……………………….. स्वभाव का था।
2. वे भोजन ……………………….. ही करते थे।
3. मित्र जानवरों को भेड़िये पर ……………………….. आया किन्तु ……………………….. के कारण वे कुछ न कह पाये।
4. हमें ……………………….. के समय दूसरों की मदद करनी | चाहिए।
5. मित्रो ! यह हमारा ……………………….. नहीं बल्कि ……………………….. था।
उत्तर-
1. परोपकारी
2. इकट्ठा
3. गुस्सा, मित्रता
4. संकट
5. एहसान, कर्तव्य।
III. वाक्य बनाओ
खाली हाथ लौट आना = निराश वापिस आ जाना।
मुँह पर ताला लग जाना = चुप्पी साध लेना /जवाब न सूझना।
एक टक देखना = लगातार देखना।
चेहरा खिल उठना = खुश होना।
मँह में पानी भर आना = ललचाना।
उत्तर-
(i) खाली हाथ लौट आना = निराश वापिस आ जाना-मोहन फल खरीदने बाजार गया था लेकिन बाजार बन्द होने के कारण मोहन को खाली हाथ ही लौट आना पड़ा।
(ii) मुँह पर ताला लग जाना = चुप्पी साध लेना-सेठ की खरी-खोटी बातें सुनकर नौकर के मुँह पर ताला लग गया।
(iii) एक टक देखना= लगातार देखना सभी बच्चे जादूगर को एकटक देख रहे थे।
(iv) चेहरा खिल उठना = खुश होना अध्यापक के मुँह से अपनी प्रशंसा सुनकर मोहन का चेहरा खिल उठा।
(v) मुँह में पानी भर आना = ललचाना-पके अंगूरों के गुच्छे देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी भर आया।
IV. शब्द में से शब्द ढूँढ़ कर लिखो –
चौकोर खानों में से जंगली जानवरों के नाम ढूँढ़कर सामने लिखो-
उत्तर-
जंगली जानवरों के नाम –
(i) हिरण
(ii) चीता
(iii) शेर
(iv) बाघ
(v) हाथी
(vi) बंदर
(vii) भेड़िया
(viii) लोमड़ी
(ix) लंगूर
(x) भालू
V. बोलियों का मिलान करो
शेर | चिंघाड़ना |
चीता | डकारना |
बंदर | रंभाना |
भैंस | किलकिलाना |
गाय | हिनहिनाना |
सूअर | दहाड़ना |
हाथी | हुरड़-हुरड़ |
घोडा | गुर्राना। |
उत्तर-
जानवर | बोली |
(i) शेर | दहाड़ना। |
(ii) चीता | गुर्राना। |
(iii) बंदर | किलकिलाना। |
(iv) भैंस | डकारना। |
(v) गाय | रंभाना। |
(vi) सूअर | हुरड़-हुरड़। |
(vii) हाथी | चिंघाड़ना। |
(viii) घोड़ा | हिनहिनाना। |
VI. लिंग बदलो
उत्तर-
पुल्लिग शब्द – स्त्रीलिंग शब्द
(i) शेर = शेरनी।
(ii) हिरण = हिरणी।
(iii) रीछ = रीछनी।
(iv) ऊँट = ऊँटनी।
(v) साँप = साँपिन।
(vi) बाघ = बाघिन।
(vii) हाथी = हथिनी।
(viii) सियार = सियारिन।
उपकार का फल Summary & Translation in Hindi
पाठ का सार
नंदन वन में बहुत से जानवर रहते थे। उन सबमें आपस में खूब दोस्ती थी। भेड़िया भी उन्हीं में से एक था। वह बड़ा दयालु और परोपकारी स्वभाव का था। दूसरों की सहायता के लिए वह हर समय तैयार रहता था। एक और जानवरी का उनकी लिए आहार मिल नहीं रहा था। सभी जानवर भोजन की तलाश में जंगल में घूमते रहे और जिन्हें भी जो कुछ मिला वे इकट्ठा करके ले आए ताकि शाम के समय सभी मिल कर खा सकें। भेड़िया उस दिन सबसे बड़ा शिकार लाया था जिसे देखकर दूसरे जानवरों के मुँह में भी पानी आ गया।
सॅभी ने सोचा कि चलो आज तो सब पेट भर कर खाना खाएंगे। अभी उन्होंने भोजन करना शुरू किया ही था कि भेड़िये की नज़र अपनी ओर आ रहे कुछ अजनबी जानवरों की ओर पड़ी। अजनबी जानवर जब भेड़िये के पास आए तो भेड़िये ने उनसे पूछा कि आपको पहले कभी इस वन में नहीं देखा। क्या आप किसी दूसरे जंगल से आए हो। उन जानवरों ने अपनी कहानी सुनाते हुए बताया कि शिकारी कई दिनों से हमारे जंगल में जानवरों का शिकार कर रहे हैं और हम अपनी जान बचाते हुए घूम रहे हैं। भेड़िये ने उन्हें कहा कि घबराने की कोई बात नहीं। हम लोग भोजन कर रहे हैं आप भी भोजन कर लीजिए। भेड़िये के इस व्यवहार से दूसरे साथियों को बहुत गुस्सा आया लेकिन दोस्ती के कारण किसी ने कुछ न कहा। कुछ दिन रहने के बाद वे अजनबी जानवर वापिस अपने जंगल लौट गए।
कुछ समय बाद एक बार नंदन वन में बीमारी फैल गई। बीमारी के कारण जंगल के जानवर मरने लगे। जानवर जंगल छोड़कर दूसरे किसी स्थान की खोज में जाने लगे। घूमते-घूमते वे एक जंगल में पहुँचे। जंगल में आते ही हिरण ने उन्हें रोक लिया और कहा, “इस जंगल में बाहर के जानवर यहाँ नहीं आ सकते।” भेड़िये ने मदद के लिए प्रार्थना की तो हिरण ने कहा हमारे स्वामी शेर की आज्ञा है और मैं उसके हुक्म की अनदेखी नहीं कर सकता। भेड़िया और उसके साथी अभी कुछ सोच ही रहे थे कि एक जानवर ने उन्हें पहचान कर उनके आने का कारण पूछा। भेड़िये ने उसे सारी बात बताई। वह अपने स्वामी शेर के पास गया और सारी बात बताई। शेर ने उनकी सहायता के लिए हाँ कह दी तो वह उन्हें अपने साथ जंगल में ले आया।
जंगल के सभी जानवरों ने उनकी खूब सेवा की। भेड़िये के मित्र जानवर सोचने लगे कि यह भेड़िये की परोपकारिता का ही परिणाम है कि आज उनकी इतनी सेवा हो रही है। कुछ दिन रहने के बाद भेड़िया और उसके मित्रों ने वापिस अपने घर (जंगल) लौटने की इच्छा की। भेड़िये ने उनका धन्यवाद करते हुए कहा कि संकट के समय हमारी सहायता करके आपने हम पर एहसान किया है। हम आपके बहुत आभारी हैं। अब हमें विदा दो। इस पर जंगल के जानवरों ने कहा कि मित्रो यह हमारा एहसान नहीं बल्कि कर्त्तव्य था। जिस प्रकार आपने हमारी सहायता की थी उसी प्रकार हमने तुम्हारी सहायता करके अपना कर्तव्य निभाया है। भेडिया और उसके साथी वापिस जंगल लौट आए।
कठिन शब्दों के अर्थ
सौभाग्यवंश = किस्मत से; अच्छे भाग्य से।
मित्रता = दोस्ती।
परोपकारी = दूसरों का उपकार करने वाला, हितैषी।
स्वभाव = आदत।
सहायता = मदद।
मुकाबले = तुलना में।
मुताबिक = अनुसार।
भरपेट = पेट-भर कर।
तलाश = खोज।
संध्या = सांझ, शाम के बाद का समय।
परवाह = चिन्ता।
मुँह में पानी भर आया = इच्छा तेज़ होना, लार टपकना।
चेहरा खिल उठा = प्रसन्न हो गए।
ओर = तरफ।
अजनबी = अन्जान, न जान-पहचान वाले।
सौभाग्यवश = किस्मत से, अच्छे भाग्य से।
एकटक = लगातार ।
वन = जंगल।
अन्य = दूसरा ।
सेवा = सहायता।
सौभाग्य = अच्छी किस्मत।
सताए हुए = पीड़ित, दुःखी।
संकट : मुसीबत, मुश्किल।
मदद = सहायता।
मुँह को ताला लगना = चुप हो जाना।
तलाश = खोज।
प्रवेश = दाखिल।
स्वामी = मालिक।
आज्ञा = हुक्म।
उल्लंघन = आदेश न मानना।
वृत्तांत = किस्सा, कहानी।
अवश्य = ज़रूर।
आदेश = हुक्म ।
अनुमति = आज्ञा, इजाज़त।
परिणाम = नतीजा, फल।
विदा = जाना।
एहसान = उपकार, भलाई।
कर्त्तव्य = ज़िम्मेदारी, दायित्व ।
वृत्तांत = कहानी।