PSEB 3rd Class Hindi Solutions Chapter 22 गुरु गोबिंद सिंह को शीश झुकाएँ

Punjab State Board PSEB 3rd Class Hindi Book Solutions Chapter 22 गुरु गोबिंद सिंह को शीश झुकाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 3 Hindi Chapter 22 गुरु गोबिंद सिंह को शीश झुकाएँ

Hindi Guide for Class 3 PSEB गुरु गोबिंद सिंह को शीश झुकाएँ Textbook Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर

I. बताओ

1. कविता में इतिहास पुरुष किसे कहा गया
उत्तर-
कविता में इतिहास पुरुष गुरु गोबिन्द सिंह जी को कहा गया है।

2. गुरु गोबिन्द सिंह जी को वंश दानी क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
गुरु गोबिन्द सिंह जी ने अपने पिता और अपने चारों पुत्रों को देश और धर्म की रक्षा की खातिर न्योछावर कर दिया। इस प्रकार उन्होंने अपने वंश को ही देश पर लुटा दिया। इसी कारण उन्हें ‘वंशदानी’ कहा जाता है।

3. खालसा पंथ की स्थापना किसने की थी ?
उत्तर-
खालसा पंथ की स्थापना श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने की थी।

4. गुरु गोबिन्द सिंह जी का अन्य क्या नाम प्रसिद्ध है ?
उत्तर-
गुरु गोबिन्द सिंह जी को ‘दशम गुरु’ के नाम से भी जाना जाता है।

5. गुरु गोबिन्द सिंह जी ने अपने देश और धर्म की खातिर कितने पुत्रों का बलिदान दिया था ?
उत्तर-
गुरु गोबिन्द सिंह जी ने अपने देश और धर्म की खातिर अपने चारों पुत्रों का बलिदान दिया था।

II. कविता की पंक्तियाँ पूरी करो

देश-धर्म पर वार दिए सुत,
…………………………..
चिड़ियों से जो बाज लड़ाए,
…………………………..
वंश दान करने वाले,
…………………………..
उत्तर-
(i) देश-धर्म पर वार दिए सुत, उस दानी को शीश झुकाएँ।
(ii) चिड़ियों से जो बाज लड़ाए, उस योद्धा पर बलि-बलि जाएँ।
(iii) वंश दान करने वाले, गुरु गोबिन्द सिंह पर बलि-बलि जाएँ।

III. वाक्यों में प्रयोग करो

इतिहास पुरुष = …………………………..
वंश दानी = …………………………..
देश धर्म = …………………………..
संत सिपाही = …………………………..
उत्तर-
(i) इतिहास पुरुष = श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी एक इतिहास पुरुष हैं।
(ii) वंश दानी = अपने पूरे वंश को धर्म की वेदी पर न्योछावर करने के कारण श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी वंश दानी कहलाते हैं।
(iii) देश-धर्म = हमारे लिए देश-धर्म पहले है।
(iv) संत सिपाही = संत सिपाही गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म पटना में हुआ।

IV. तुक मिलाओ

सुनायें कहलाये।
उठाता झुकायें
आना बनाता।
आये जाना।

उत्तर-
(i) सुनायें = झुकायें।
(ii) उठाता = बनाता।
(iii) आना = जाना।
(iv) आये = कहलाये।

V. दो-दो पर्यायवाची लिखो

शीश = ………………………….. …………………………..
सुत = ………………………….. …………………………..
तलवार =………………………….. …………………………..
कथा= ………………………….. …………………………..
पितागुरु = ………………………….. …………………………..
उत्तर
(i) शीश = सिर, माथा।
(ii) सुत = बेटा, तनय।
(iii) तलवार कृपाण, खड्ग।
(iv) कथा = कहानी, गाथा।
(v) पिता = तात, बाप।
(vi) गुरु = शिक्षक, अध्यापक।

VI. ‘इतिहास’ शब्द में ‘इक’ लगाकर नया शब्द ‘ऐतिहासिक बना। इसी प्रकार ‘इक’ लगाकर नए शब्द बनाओ –

धर्म + इक = …………………………..
समाज + इक = …………………………..
परिवार + इक = …………………………..
अन्तर + इक = …………………………..
उत्तर-
(i) धर्म + इक = धार्मिक।
(ii) समाज + इक = सामाजिक।
(iii) परिवार + इक = पारिवारिक।
(iv) अन्तर + इक = .. आन्तरिक।

VII. चौखाने में सिक्खों के दस गुरुओं के नाम छिपे हैं। उन पर गोला लगाओ और सामने क्रम अनुसार उनके नाम लिखो –
PSEB 3rd Class Hindi Solutions Chapter 22 गुरु गोबिंद सिंह को शीश झुकाएँ 1
उत्तर-
दस गुरुओं के नाम

  1. श्री गुरु नानक देव जी
  2. श्री गुरु अंगद देव जी
  3. श्री गुरु अमरदास जी
  4. श्री गुरु रामदास जी
  5. श्री गुरु अर्जुन देव जी
  6. श्री गुरु हर गोबिन्द जी
  7. श्री गुरु हरिराय जी
  8. श्री गुरु हरि कृष्ण जी
  9. श्री गुरु तेग़ बहादुर जी
  10. श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी।

गुरु गोबिंद सिंह को शीश झुकाएँ Summary & Translation in Hindi

पद्यांशों के सरलार्थ

1. आओ तुम्हें इतिहास पुरुष के, बलिदानों की कथा सुनाएँ। देश धर्म पर वार दिए सुत, उस दानी को शीश झुकाएँ। जीती कौमें बलिदानों पर, यह इतिहास बताता है। देश धर्म की रक्षा करने, सन्त सिपाही आता भेज पिता को धर्म की खातिर, खुद तलवार उठाता है। पंथ खालसा का सिरजन कर, इक इतिहास बनाता है। चिड़ियों से जो बाज लड़ाए, उस योद्धा पर बलि-बलि जाएँ। देश धर्म पर वार दिए सुत, उस दानी को शीश झुकाएँ। सरलार्थ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्यपुस्तक से कविता “गुरु गोबिन्द सिंह को शीश झुकाएँ” से ली गई हैं। इसमें कवि ने सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी के त्याग और बलिदान का वर्णन किया है। कवि कहता है कि आओ आज तुम्हें एक ऐसे वीर की कहानी सुनाएँ जिसने अपने त्याग, और बलिदान से इतिहास ही लिख दिया। जिस वीर ने अपने देश और अपने धर्म के लिए अपने बेटों को न्योछावर कर दिया, उस महादानी को अपना शीश नमन करें।

कवि बताता है कि बलिदान के बल पर ही राष्ट्र जीता है और इन्हीं बलिदानों से इतिहास बनता है। इतिहास तो यही बताता है कि देश और धर्म की रक्षा करने के लिए सन्त सिपाही गुरु गोबिन्द सिंह जी इस संसार में आए जिन्होंने अपने पिता को भी धर्म की खातिर बलिदान देने को भेज दिया और जुल्मों को रोकने के लिए खुद तलवार भी उठा ली। पंथ की सृजना (खालसा पंथ की स्थापना) करके जिसने एक इतिहास लिख दिया। वह योद्धा, जिसने चिड़ियों से बाज़ों को लड़वा दिया। उस वीर योद्धा पर बलिहारी जाएँ। जिस वीर ने अपने देश और धर्म की खातिर अपने बेटों को भी न्योछावर कर दिया, उस दानी, वीर को अपना शीश झुकाएँ। भाव-विशेष-कवि ने वीर सिपाही गुरु गोबिन्द सिंह जी के प्रति अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए हैं।

2. धर्म है पहले देश है पहले, बाकी आना जाना है। कुर्बानी की अजब कहानी, को फिर से दोहराना है। दीवारों में चिने लाल दो, धर्म-युद्ध में काम दो आए। पिता दान-फिर पुत्र दान कर, वंशदानी जो कहलाए॥ वंश दान करने वाले, गुरु गोबिन्द सिंह पर बलि-बलि जाएँ। देश धर्म पर वार दिए सुत, उस दानी को शीश झुकाएँ।

सरलार्थ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्यपुस्तक से कविता ‘गुरु गोबिन्द सिंह को शीश झुकाएँ’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी के त्याग और बलिदान की गाथा का वर्णन किया है। कवि बताते हैं कि गुरु गोबिन्द सिंह जी के लिए देश और धर्म पहले था। उनके बलिदान की कहानी को आज फिर दोबारा से सुनना है। उनके दो वीर बेटे दीवारों में चिनवा दिए गए और दो बेटे धर्म की रक्षा करते काम आए। इस वीर पुरुष ने पहले अपने पिता और फिर अपने चारों पुत्रों को देश के लिए, अपने धर्म की रक्षा के लिए दान में दे दिया और ऐसा करके वे अनूठे वीर पुरुष कहलाए जिन्होंने अपने वंश का ही दान दे दिया। ऐसे वंश-दानी, गुरु गोबिन्द सिंह जी पर आओ बलिहार जाएँ। जिस वीर पुरुष ने अपने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने बेटों तक को न्योछावर कर दिया, आओ उस महादानवीर को सिर झुकाएं। भाव-विशेष-कवि ने सन्त सिपाही गुरु गोबिन्द सिंह जी के प्रति अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए हैं।

कठिन शब्दों के अर्थ

इतिहास-पुरुष = इतिहास रच देने वाले व्यक्ति।
सुत = बेटा।
बलिदान = कुर्बानी।
वार दिए = न्यौछावर कर दिए, कुर्बान कर दिए।
दानी = दान देने वाला।
शीश झुकाना = नमन करना।
कौम = राष्ट्र।
रक्षा करना = बचाना।
खातिर = के लिए।
खुद = स्वयं।
सिरजन = निर्माण, बनाना।
बाज = पक्षी का नाम।
यौद्धा = युद्ध करने वाला।
अजब = अद्भुत।
दोहराना = दोबारा से।
चिने = चिनवाए।
लाल = बेटे।
धर्म-युद्ध = धर्म की, न्याय की लड़ाई।
काम आए = मारे गए।
वंशदानी = वंश को दान करने वाला (यहाँ गुरु गोबिन्द सिंह जी को वंशदानी कहा गया है )

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