Punjab State Board PSEB 5th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Kahani Lekhan कहानी-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.
PSEB 5th Class Hindi Rachana कहानी-लेखन (2nd Language)
प्यासा कौवा
एक बार गर्मी का मौसम था। जेठ महीने की दोपहर थी। आकाश से आग बरस रही थी। सभी प्राणी गर्मी से घबरा कर अपने घरों में आराम कर रहे थे। पक्षी अपने घौंसलों में दोपहरी काट रहे थे।
ऐसे समय में एक कौवा प्यास से छटपटा रहा था। वह पानी की तलाश में इधर-उधर उड़ रहा था। परन्तु उसे कहीं पानी न मिला। अन्त में वह एक बाग में पहुँचा। वहाँ पानी का घड़ा पड़ा था। कौवा घडे को पाकर बहुत प्रसन्न हुआ। वह उड़कर घड़े के पास गया।
उसने पानी पीने के लिए घड़े में अपनी चोंच डाली। परन्तु घड़े में पानी बहुत कम था। उसकी चोंच पानी तक न पहुँच सकी। फिर भी – उसने आशा न छोड़ी।
उसी समय उसको एक युक्ति सूझी। वहाँ बहुत से कंकर पड़े थे। उसने एक-एक कंकर घड़े में डालना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में पानी ऊपर आ गया। कौवा बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने जी भर कर पानी पिया और ईश्वर को धन्यवाद दिया।
शिक्षा-
- जहाँ चाह वहाँ राह
- आवश्यकता आविष्कार की जननी है।
- यत्न करने पर कोई उपाय अवश्य निकल आता है।
चालाक लोमड़ी
एक लोमड़ी थी। वह बहुत भूखी थी। वह भोजन की खोज में इधर-उधर घूमने लगी। जब सारे जंगल में भटकने के बाद भी कुछ न मिला तो वह गर्मी और भूख से परेशान होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई। अचानक उसकी नज़र ऊपर की ओर गई। वहाँ पर एक कौवा बैठा हुआ था।
उसके मुँह में रोटी का टुकड़ा था। रोटी देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी भर आया। वह कौए से रोटी छीनने का उपाय सोचने लगी। तभी उसने कौए को कहा, “क्यों कौवा भैया। सुना है तुम गीत बहुत अच्छा गाते हो। क्या मुझे गीत नहीं सुनाओगे ?” कौवा अपनी झूठी प्रशंसा को सुन कर बहुत खुश हुआ।
उसने ज्यों ही गाने के लिए मुँह खोला त्यों ही रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया। लोमड़ी ने रोटी का टुकड़ा उठाया और नौ-दो ग्यारह हो गई। कौवा पछताने लगा।
शिक्षा-किसी की झूठी प्रशंसा में कभी नहीं आना चाहिए।
दो बिल्लियाँ और बन्दर
किसी नगर में दो बिल्लियाँ रहती थीं। एक दिन उन्हें रोटी का टुकड़ा मिला। वे आपस में लड़ने लगीं। वे उसे आपस में समान भागों में बाँटना चाहती थीं लेकिन उन्हें कोई ढंग न मिला।
उसी समय एक बन्दर उधर आ निकला। वह बहुत चालाक था। उसने बिल्लियों से लड़ने का कारण पूछा। बिल्लियों ने उसे सारी बात सुनाई। वह तराजू ले आया और बोला, “लाओ, मैं तुम्हारी रोटी को बराबर बाँट देता हूँ।” उसने रोटी के दो टुकड़े लेकर
एक-एक पलड़े में रख दिये। जिस पलड़े में रोटी अधिक होती, बन्दर उसे थोड़ी-सी तोड़ कर खा लेता। इस प्रकार थोड़ी-सी रोटी रह गई। बिल्लियों ने अपनी रोटी वापस माँगी। लेकिन बन्दर ने शेष बची रोटी भी मुँह में डाल ली। बिल्लियाँ मुँह देखती रह गईं। शिक्षा-आपस में लड़ना-झगड़ना अच्छा नहीं।
अंगूर खट्टे हैं
एक बार एक लोमड़ी बहुत भूखी थी। वह भोजन की खोज में इधर-उधर गई पर भोजन नहीं मिला। अन्त में वह एक बाग में पहुँची। वहाँ उसने अंगूर की बेलों पर अंगूरों के गुच्छे देखे। इन्हें देखकर उसके मुँह में पानी आ गया। वह इन्हें खाना चाहती थी। अंगूर बहुत ऊँचे थे।
वह इन्हें पाने के लिए उछलने लगी। बार-बार उछलने पर भी उसके हाथ एक भी अंगूर नहीं लगा। अन्त में वह थक गई और निराश होकर यह कहती हुई वापिस लौट गई कि अंगूर खट्टे हैं। मैं इन्हें खाऊँगी तो बीमार पड़ जाऊँगी। शिक्षा-हाथ न पहुँचे थू कौड़ी।
लालची कुत्ता
एक बार एक कुत्ते को बहुत भूख लगी। वह भोजन की खोज में इधर उधर भटका। अन्त में उसे एक रोटी का टुकड़ा मिला। वह उसे अकेले में बैठकर खाना चाहता था। रास्ते में नदी का पुल पार करते समय उसने पानी में झाँका। पानी में उसे अपनी ही परछाईं दिखाई दी।
उसने समझा कि यह कोई दूसरा कुत्ता है जिसके पास भी एक रोटी का टुकड़ा है। उसके मन में लालच आ गया। उसने उस दूसरे कुत्ते से भी रोटी छीननी चाही। इसलिए वह ज़ोर से भौंका। भौंकने से उसका अपना रोटी का टुकड़ा भी पानी में जा गिरा। वह अपना टुकड़ा भी खो बैठा।
अब वह पछताने लगा और निराश होकर वापिस लौट गया।
शिक्षा-लालच बुरी बला है।