Punjab State Board PSEB 5th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 फूल और काँटा Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 5 Hindi Chapter 10 फूल और काँटा
Hindi Guide for Class 5 PSEB फूल और काँटा Textbook Questions and Answers
I. बताओ
प्रश्न 1.
फूल और काँटे को कौन-सी समान परिस्थितियाँ मिलती हैं ?
उत्तर:
फूल और काँटे को एक ही पौधा पालता है, चाँद की रोशनी, वर्षा का पानी और हवाएँ एक समान प्राप्त होती हैं।
प्रश्न 2.
फूल किस प्रकार सुख देता है ?
उत्तर:
फूल अपनी सुगन्धि, सुन्दरता तथा रस से दूसरों को सुख देता है।
प्रश्न 3.
काँटा किस प्रकार दुःख देता है ?
उत्तर:
काँटा दूसरों की उँगलियों में चुभ कर और उनके सुन्दर कपड़े फाड़कर दुःख देता है।
प्रश्न 4.
देवता के शीश पर किसे चढ़ाया जाता है?
उत्तर;
देवता के शीश पर फूल को चढ़ाया जाता है।
प्रश्न 5.
कवि ने इस कविता में कुल का क्या महत्त्व बताया है ?
उत्तर:
इस कविता में कवि ने कुल का नहीं बल्कि अच्छे कर्म का महत्त्व बताया है।
II. इन प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच पंक्तियों में लिखो
प्रश्न 1.
इस कविता से आपको क्या शिक्षा मिलती है ? अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
- हमें सभी से प्यार करना चाहिए।
- हमें किसी को दुःख नहीं पहुँचाना चाहिए।
- हमें दूसरों का भला करना चाहिए।
- हमें अपने अन्दर अच्छाइयाँ (गुण) पैदा करनी चाहिएं।
प्रश्न 2.
समान कुल में जन्म लेने और समान परिस्थितियाँ मिलने पर भी व्यक्तियों का व्यवहार अलग-अलग होता है। क्यों ? उदाहरण देकर लिखो।
उत्तर:
(1) रावण और विभीषण एक ही खानदान में पले थे, परन्तु रावण ने पराई स्त्री का धोखे से हरण किया। इसके विपरीत विभीषण ने उसे छुड़ाने में भगवान् राम का साथ दिया।
(2) राम और लक्ष्मण दोनों भाई थे। एक ही पिता के आश्रय तले पालन-पोषण होने पर भी दोनों के व्यवहार में बहुत अन्तर था। राम धीर-गम्भीर और शान्त स्वभाव के थे जबकि लक्ष्मण उग्र और अधीर स्वभाव के थे।
III. काव्य-पंक्ति पूरी करो
(1) एक ही पौधा …………….
(2) मेह उन पर है ……………..।
(3) प्यार डूबी ……………।
(4) जब किसी में ……………।
उत्तर:
(1) उन्हें है पालता
(2) बरसता एक सा
(3) तितलियों के पर कतर
(4) हो बड़प्पन की कसर।
IV. सरलार्थ करो
है खटकता एक सबकी आँख में,
दूसरा है सोहता सुर-सीस पर।।
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे,
जब किसी में हो बड़प्पन की कसर।
प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘हरिऔध’ जी द्वारा लिखित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। प्रस्तुत पद्यांश में समान परिस्थितियाँ होते हुए भी फूल और काँटे के भाग्य में अन्तर को स्पष्ट किया है।
सरलार्थ:
कवि फूल और काँटे की तुलना करते हुए लिखता है कि इनमें से एक (काँटा) सभी को बुरा लगता है। दूसरा (फूल) देवता के सिर पर शोभा देता है। इस प्रकार किसी बड़े खानदान में पैदा होने का कोई लाभ नहीं, जब तक कि उसमें स्वयं बड़ों जैसे गुण न हों।
V. वाक्य बनाओ
(i) कली का जी खिलना = प्रसन्न होना ………….
(ii) आँख में खटकना = बुरा लगना ……………
उत्तर:
(i) कली का जी खिलना = भँवरे के मंडराने से कली का जी खिल उठा।
(ii) आँख में खटकना = काँटा सबकी आँख में खटकता है।
VI. विपरीत शब्दों का मिलान करो
(क)
श्याम | दुर्गन्ध |
सुगन्ध | असुर |
सुर | घृणा |
एक | अनेक |
प्यार | श्वेत। |
उत्तर:
श्याम – श्वेत।
सुगन्ध – दुर्गन्ध।
सुर – असुर।
एक – अनेक।
प्यार – घृणा।
(ख) फूल के चित्र में से समानार्थक शब्द ढूँढकर लिखो
(i) फूल = पुष्प …………..
(ii) चाँद = ……………
(iii) हवा = ……………
(iv) वर्षा = …………..
(v) देवता = …………..
(vi) भौंरा = …………..
(vii) चाँदनी = …………..
उत्तर:
(i) फूल = पुष्प, सुमन।
(ii) चाँद = शशि, राकेश।
(iii) हवा = समीर, मारुत।
(iv) वर्षा = मेह, बारिश।
(v) देवता = देव, सुर।
(vi) भौंरा = अलि, भ्रमर।
(vii) चाँदनी = ज्योत्स्ना, चंद्रिका।
(ग) बहुवचन रूप लिखो-
उँगली = उँगलियाँ
काँटा = काँटे
हवा = हवाएँ
कली = ……..
भौंरा = ……………
कविता = …………
तितली = …………..
निराला = ………….
लता = …………..
उत्तर:
उँगली = उँगलियाँ।
कली = कलियाँ।
तितली = तितलियाँ।
काँटा = काँटे।
भौंरा = भौंरे।
निराला = निराले।
हवा = हवाएँ।
कविता = कविताएँ।
लता = लताएँ।
कविता में ‘श्याम-तन’ ‘वर-वसन’ ‘सुर-शीश’ शब्द युग्म के रूप में प्रयोग हुए हैं। इनमें पहला शब्द दूसरे शब्द की विशेषता बताता है। जिसकी विशेषता बताई जाये, उसे विशेष्य और जो शब्द विशेषता बताए उसे विशेषण कहते हैं। इन शब्द-युग्मों में से विशेषण और विशेष्य अलग-अलग कर लिखो।
उत्तर:
विशेषण – विशेष्य
(i) श्याम – तन।
(ii) वर – वसन।
(iii) सुर – शीश।
बहुवैकल्पिक प्रश्न
पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्प पर (✓) निशान लगाएं
प्रश्न 1.
फूल और कांटे के जीवन में क्या समानता
(क) एक पौधे द्वारा पालना
(ख) दो पौधों द्वारा पालना
(ग) अलग-अलग
(घ) एक रस।
उत्तर:
(क) एक पौधे द्वारा पालना
प्रश्न 2.
फूल हमें क्या देता है ?
(क) सुगंध
(ख) सुन्दरता
(ग) रस
(घ) सभी।
उत्तर:
(घ) सभी।
प्रश्न 3.
कांटा हमें क्या देता है ?
(क) चुभन
(ख) कपड़े फाड़ना।
(ग) पीड़ा
(घ) सभी।
उत्तर:
(घ) सभी।
प्रश्न 4.
देवता के शीश पर किसे चढ़ाया जाता है ?
(क) फूल
(ख) कांटा
(ग) चावल
(घ) आटा।
उत्तर:
(क) फूल
प्रश्न 5.
कुल से बढ़कर किसका महत्त्व ज्यादा है?
(क) अच्छे कर्म का
(ख) अच्छे धर्म का
(ग) अच्छे सौंदर्य का
(घ) अच्छी ऊंचाई का।
उत्तर:
(क) अच्छे कर्म का
फूल और काँटा Summary
फूल और काँटा पाठ का सार
कवि फूल और काँटे के विषय में कहता है कि दोनों एक ही पौधे पर लगते हैं। चाँद की चाँदनी उन पर एक-सी ही पड़ती है, वर्षा एक साथ ही बरसती है और हवा भी एक समान प्राप्त होती है पर फिर भी दोनों में कितना बड़ा अन्तर होता है। काँटा चुभ कर किसी को कष्ट देता है, कपड़े फाड़ता है, भंवरों| तितलियों को बींध डालता है तो फूल सबको प्रसन्नता देता है। अपनी सुगन्ध से सबको हर्षित करता है। काँटा सबको बुरा लगता है तो फूल देवताओं के शीश पर शोभा देता है। प्रत्येक जीव अपने कार्यों से ही श्रेष्ठता प्राप्त करता है न कि परिवार के नाम से।
पद्यांशों के सरलार्थ
1. हैं जन्म लेते जगह में एक ही,
एक ही पौधा उन्हें है पालता।
रात में उन पर चमकता चाँद भी,
एक-सी ही चाँदनी है डालता॥
कठिन शब्दों के अर्थ:
जगह = स्थान। पालता = पालन करना। चाँदनी = चाँद की रोशनी।
प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘हरिऔध’ जी द्वारा लिखित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में समान परिस्थितियाँ होते हुए भी फूल और काँटे के भाग्य में अन्तर को स्पष्ट किया गया है।
सरलार्थ:
कवि फूल और काँटे का वर्णन करते हुए लिखता है कि ये दोनों एक ही जगह पर जन्म (पैदा होते हैं) लेते हैं। एक ही पौधा उन्हें पालतापोसता है। रात के समय चाँद उन पर एक समान चमकता है और उन दोनों पर एक-जैसी रोशनी डालता है।
भावार्थ:
फूल हो या काँटा-प्रकृति उन्हें अपने समान व्यवहार से ही पालती-पोसती है।
2. मेह उन पर है बरसता एक-सा,
एक-सी उन पर हवाएँ हैं बहीं।
पर सदा ही यह दिखाता है हमें,
ढंग उनके एक से होते नहीं।
कठिन शब्दों के अर्थ:
मेह = वर्षा। बहीं = बहती हैं। ढंग = तरीका।
प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘हरिऔध’ जी द्वारा लिखित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में समान परिस्थितियाँ होते हुए भी फूल और काँटे के | भाग्य में अन्तर को स्पष्ट किया गया है।
सरलार्थ:
फूल और काँटे दोनों पर एक समान वर्षा बरसती है। उन पर हवाएँ भी एक-सी बहती हैं। लेकिन हमें हमेशा ही यह दिखाई देता है कि उन दोनों, फूल और काँटे के तरीके एक समान नहीं होते।
भावार्थ:
प्रकृति का व्यवहार सभी के लिए एक समान ही होता है-चाहे कोई अच्छा हो या बुरा।
3. छेद कर काँटा किसी की उंगलियाँ,
फाड़ देता है किसी का वर वसन।
प्यार में डबी तितलियों के पर कतर,
भौंर का है बेध देता श्याम तन॥
कठिन शब्दों के अर्थ:
छेदकर = बेधकर। वर वसन = सुन्दर कपड़े। कतर = काट देना। पर = पंख। श्याम = काला। बेध देता = जख्मी कर देता है।
प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘हरिऔध’ जी द्वारा लिखित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। इन पंक्तियों में कवि ने काँटे के स्वभाव के बारे में बताया है।
सरलार्थ:
पौधे पर लगा काँटा किसी आदमी की उंगलियाँ छेदकर अथवा उंगलियों में चुभ कर दुःख पहुँचाता है। काँटा किसी के सुन्दर कपड़ों को फाड़ देता है। वह फूलों के प्यार में डूबी प्यार करने वाली तितलियों के पंख काट देता है। वह भंवरों के काले शरीर को ज़ख्मी कर देता है।
भावार्थ:
बुरों का व्यवहार सबके लिए बुरा ही होता है।
4. फूल लेकर तितलियों को गोद में,
भौंर को अपना अनूठा रस पिला।
निज सुगन्धित औ’ निराले ढंग से,
है सदा देता कली का जी खिला॥
कठिन शब्दों के अर्थ:
अनूठा = निराला, बहुत अच्छा।
प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘हरिऔध’ जी द्वारा लिखित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। इन पंक्तियों में कवि ने फूल के कोमल स्वभाव के बारे में बताया है।
सरलार्थ:
फूल तितलियों को अपनी गोद में ले प्यार करता है और भंवरे को अपना मीठा रस पिलाता है। फूल अपनी खुशबू और अपने अच्छे ढंग से हमेशा कली के दिल को प्रसन्न कर देता है। कहने का भाव यह है कि फूल सबको सुख पहुँचाता है।
भावार्थ:
अच्छे स्वभाव वाले सभी के प्रति अच्छा व्यवहार ही करते हैं।
5. है खटकता एक सब की आँख में,
दूसरा है सोहता सुर-सीस पर।
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे,
जब किसी में हो बड़प्पन की कसर॥
कठिन शब्दों के अर्थ:
खटकता = बुरा लगता है। सोहता = शोभा देता है। सुर = देवता। कुल = खानदान। बड़प्पन = श्रेष्ठता।
प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश ‘फूल और काँटा’ नामक कविता से लिया गया है, जिसमें कवि ने स्पष्ट किया है कि हमारे कार्य और गुण ही हमें बड़ा बनाते हैं न कि हमारा परिवार।
सरलार्थ:
कवि फूल और काँटे की तुलना करते हुए लिखता है कि इनमें से एक (काँटा) सभी को बुरा लगता है। दूसरा (फूल) देवता के सिर पर शोभा देता है। इस प्रकार किसी बड़े खानदान में पैदा होने का कोई लाभ नहीं, जब तक कि उसमें स्वयं बड़ों जैसे गुण न हों।
भावार्थ:
प्रत्येक प्राणी अपने गुणों से बड़ा बनता है न कि अपने परिवार की श्रेष्ठता से।