Punjab State Board PSEB 5th Class Hindi Book Solutions Chapter 7 वैशाखी आई रे Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 5 Hindi Chapter 7 वैशाखी आई रे
Hindi Guide for Class 5 PSEB वैशाखी आई रे Textbook Questions and Answers
I. बताओ
प्रश्न 1.
पंजाब में फ़सलों की कटाई से जुड़ा कौन-सा त्योहार मनाया जाता है ?
उत्तर:
पंजाब में फ़सलों की कटाई से जुड़ा त्योहार वैशाखी मनाया जाता है।
प्रश्न 2.
जलियाँवाले बाग़ में किसने गोलियाँ चलाई थीं ?
उत्तर:
जलियाँवाले बाग़ में जरनल डायर ने गोलियाँ चलाई थीं।
प्रश्न 3.
आनन्दपुर साहिब में गुरु गोबिन्द सिंह जी ने किसकी स्थापना की थी ?
उत्तर:
आनन्दपुर साहिब में गुरु गोबिन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
प्रश्न 4.
वैशाखी पर किसान अपनी खुशी कैसे प्रकट करता है ?
उत्तर:
वैशाखी पर किसान भंगड़ा करके, गहनों, कपड़ों आदि की खरीदारी करके अपनी खुशी प्रकट करता है।
प्रश्न 5.
पंजाब में वैशाखी पर कौन-सा गीत गाया जाता है ?
उत्तर:
पंजाब में वैशाखी पर गाया जाने वाला गीत है ‘कनकां दी मुक गई राखी ओ जट्टा आई वैशाखी।’
II. अपने अध्यापक से
(1) जलियाँवाले बाग़ की घटना सुनो।
(2) धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा स्थापित ‘खालसा पंथ’ की जानकारी प्राप्त करो।
(3) सिक्ख धर्म के दस गुरुओं के नाम लिखो और उनके बारे में जानकारी प्राप्त करो।
उत्तर:
1 और 2 के लिए विद्यार्थी अपने कक्षा अध्यापक से जानकारी प्राप्त करें।
(3) सिक्ख धर्म के दस गुरुओं के नाम इस प्रकार हैं-
- श्री गुरु नानक देव जी
- श्री गुरु अंगद देव जी
- श्री गुरु अमरदास जी
- श्री गुरु रामदास जी
- श्री गुरु अर्जन देव जी
- श्री गुरु हरिगोबिन्द जी
- श्री गुरु हरिराय जी
- श्री गुरु हरिकृष्ण जी
- श्री गुरु तेग़ बहादुर जी
- श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी।
III. सरलार्थ करो
पंथ खालसा सिरजन हेतु
बना आनन्दपुर सांखी
अमृत छकाकर, सिंह सजाकर
जन-जन की चेतना जगाई रे
वैशाखी आई रे …………..
उत्तर:
कवि कहता है कि हम कैसे भूल सकते हैं सन् सोलह सौ निनयानवें का वैशाखी वाला वह दिन, जब कलगीधर दशम गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने धर्म की रक्षा के लिए आनन्दपुर साहिब में खालसा पंथ की सृजना की थी। आनन्दपुर साहिब इस बात का प्रत्यक्ष साक्षी है जब अमृत पिलाकर पाँच ‘सिंह’ सजाकर जन-जन में एक नई चेतना जगाई थी।
IV. वैशाखी पर लगने वाले मेले का आनन्द लें। अपनी डायरी में लिखें आपने वैशाखी का त्योहार कैसे मनाया ?
कवि कहता है कि वैशाखी का त्योहार आया है और अपने साथ हज़ारों पुरानी यादों को भी लाया है। वैशाखी का यह त्योहार हमें जलियाँवाले बाग़ की उस मिट्टी की याद दिलाता है जहाँ अपने प्यारे भारत देश की आजादी की माँग करने वाले हज़ारों लोग शहीद कर दिए गए। याद आता है वह शहीदी कुआँ जहाँ जनरल डायर की गोलियों से बचने के लिए हज़ारों लोग कुएँ में कूद कर जान गँवा बैठे। वैशाखी वाले दिन याद आता है जब बच्चों, बूढ़ों और जवानों ने देश को आजाद करवाने के लिए अपने सीने पर गोलियाँ खाई थीं।
V. (क) योग्यता विस्तार
जलियाँवाला बाग़-जलियाँवाला बाग़ अमृतसर में स्थित है। 13 अप्रैल, सन् 1919 को इस बाग़ में एक सभा का आयोजन किया गया था। जब लोग, अपने नेताओं के विचार सुन रहे थे, तभी एक अंग्रेज़ अफसर जनरल डायर अपनी सशस्त्र सेना के साथ बाग़ में दाखिल हुआ और उसने फौज को गोलियाँ चलाने का आदेश दिया। उन्होंने चीखते-चिल्लाते, भागते हए, दीवारों पर चढ़ते हए, कूदते हए, निहत्थे लोगों को निशाना बनाया। देश की स्वाधीनता के लिए हज़ारों की संख्या में लोग शहीद हुए। उन शहीदों के बलिदान ने देश को आजादी दिलाई।
खूनी कुआँ – जलियाँवाला बाग़ में स्थित एक कुआँ है जिसे खुनी कुआँ कहा जाता है। जब जनरल डायर ने जलियाँवाला बाग़ में सभा में बैठे लोगों पर गोलियां चलाईं तो लोग जान बचाने के लिए इस कुएँ में कूद गए और मर गए। कहते हैं कि कुओं लाशों से भर गया था। इसलिए इसे खूनी कुआँ कहा जाता है।
खालसा पंथ – सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी ने आनन्दपुर साहिब में सन् 1699 में वैशाखी के दिन एक विशाल दीवान का आयोजन किया था। गुरु जी ने धर्म की रक्षा के लिए ‘पाँच प्यारों’ का चुनाव किया था। यह पाँच प्यारे अलग-अलग धर्मों और प्रदेशों के थे। लाहौर का भाई दयाराम, हस्तिनापुर का भाई धर्मराय, द्वारिका का भाई मोहकम चन्द, बिदर का भाई साहिब चन्द और पुरी का भाई हिम्मत राय। गुरु जी ने इन्हें ‘पाँच प्यारों’ के नाम से पुकारा।
(ख) योग्यता विस्तार
जैसे पंजाब में किसान और कृषि से जुड़ा त्योहार वैशाखी मनाया जाता है, उसी प्रकार दक्षिण भारत के तमिलनाडु और आन्ध्र प्रदेश में जनवरी माह में मकर संक्राति के अवसर पर कृषि से सम्बन्धित पोंगल त्योहार मनाया जाता है। जैसे पंजाब में किसान गेहूँ की फ़सल की कटाई शुरू करते हैं, उसी प्रकार तमिलनाडु में (धान) की फ़सल की कटाई शुरू होती है। वैशाखी से भारतीय सम्वत् शुरू होता है, इसे नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है।
बहुवैकल्पिक प्रश्न
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प्रश्न 1.
वैशाखी हमें किसकी याद दिलाती है ?
(क) वीरों की
(ख) देशभक्तों की
(ग) जलियाँवाला बाग की
(घ) अंग्रेजों की।
उत्तर:
(ग) जलियाँवाला बाग की
प्रश्न 2.
गुरु गोबिन्द सिंह जी ने किस पंथ की स्थापना की ?
(क) खालसा
(ख) चालीसा
(ग) वीर
(घ) वीरांगना।
उत्तर:
(क) खालसा
प्रश्न 3.
खालसा पंथ की स्थापना किस दिन हुई थी ?
(क) होली
(ख) दीवाली
(ग) वैशाखी
(घ) लोहड़ी।
उत्तर:
(ग) वैशाखी
प्रश्न 4.
आज़ादी हमारा क्या है ?
(क) सपना
(ख) अधिकार
(ग) अपना
(घ) धन।
उत्तर:
(ख) अधिकार
प्रश्न 5.
वैशाखी त्योहार किसकी कटाई से जुड़ा है ?
(क) पेड़ों
(ख) फसलों
(ग) सड़कों
(घ) वनों।
उत्तर:
(ख) फसलों
प्रश्न 6.
जलियाँवाला बाग में किसने गोलियां चलाई थीं ?
(क) जनरल डायर
(ख) जनरल हायर
(ग) जनरल फेयर
(घ) मेयर।
उत्तर:
(क) जनरल डायर
वैशाखी आई रे Summary
वैशाखी आई रे पाठ का सार
हर वर्ष वैशाखी आती है। वह अपने साथ अनेक यादें लेकर आती है। यह हमें जलियांवाला बाग की याद दिलाती है। अंग्रेज अधिकारी डायर के जुल्म और खूनी कुएँ की यादें इसी से जुड़ी हुई हैं। आज़ादी के अधिकार को पाने के लिए इसी दिन बच्चों, युवकों और बूढ़ों ने अपने सीने पर गोलियां खाई थीं। इसी दिन ही तो गुरु गोबिन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। वैशाखी का दिन ही तो है | जब किसान अपनी पकी फसलों की कटाई कंबाइनों से करने लगते हैं। इस खुशी में भंगड़े, गिद्दे, मेलों, नए कपड़ों और गहनों की खरीद की धूम-सी मच जाती है।
पद्यांशों के सरलार्थ
1. वैशाखी आई रे, वैशाखी आई रे
यादें हज़ारों साथ लाई रे ……….
वैशाखी है याद दिलाती
जलियाँवाला बाग़ की माटी
आज़ादी अधिकार हमारा हमें
अपना देश है प्यारा,
खूनी कुआँ जो है कहलाता
डायर का वह जुल्म बताता
बच्चे, बूढ़े और युवकों ने
सीने पे गोली खाई रे
वैशाखी आई रे ……….॥
कठिन शब्दों के अर्थ :
माटी = मिट्टी। अधिकार = हक। जुल्म = अत्याचार।
प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘वैशाखी आई रे’ से ली गई हैं। इस कविता में कवि ने वैशाखी पर्व के आगमन का स्वागत करते हुए इसकी ऐतिहासिक महत्ता को भी बताने का प्रयास किया है।
सरलार्थ:
कवि कहता है कि वैशाखी का त्योहार आया है और अपने साथ हज़ारों पुरानी यादों को भी लाया है। वैशाखी का यह त्योहार हमें जलियाँवाले बाग़ की उस मिट्टी की याद दिलाता है जहाँ अपने प्यारे भारत देश की आजादी की माँग करने वाले हज़ारों लोग शहीद कर दिए गए। याद आता है वह शहीदी कुआँ जहाँ जनरल डायर की गोलियों से बचने के लिए हज़ारों लोग कुएँ में कूद कर जान गँवा बैठे। वैशाखी वाले दिन याद आता है जब बच्चों, बूढ़ों और जवानों ने देश को आजाद करवाने के लिए अपने सीने पर गोलियाँ खाई थीं।
भावार्थ:
कवि ने उपरोक्त पद में उल्लासमय त्योहार वैशाखी के अवसर पर उसकी ऐतिहासिक महत्ता को भी दर्शाया है।
2. कैसे भुलाएं सन सोलह सौ
निनानवें की वो वैशाखी
कलगीधर दशमेश पिता ने
करने को जब धर्म की राखी
पंथ खालसा सिरजन हेतु
बना आनन्दपुर साखी
अमृत छकाकर सिंह सजाकर
जन-जन की चेतना जगाई रे
वैशाखी आई रे ………..
कठिन शब्दों के अर्थ:
कलगीधर = कलगी धारण करने वाले। दशमेश = दशम (दसवें) गुरु। सिरजन = सृजना, रचना, स्थापना। राखी = रक्षा। हेतु = लिए। साखी = साक्षी, गवाह, प्रमाण।। छकाकर = पिलाकर।
प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘वैशाखी आई रे’ से ली गई हैं। इस कविता में कवि ने वैशाखी पर्व के आगमन का स्वागत करते हुए इसकी ऐतिहासिक महत्ता को भी बताया है।
सरलार्थ:
कवि कहता है कि हम कैसे भूल सकते हैं सन् सोलह सौ निनयानवें का वैशाखी वाला वह दिन, जब कलगीधर दशम गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने धर्म की रक्षा के लिए आनन्दपुर साहिब में खालसा पंथ की सृजना की थी। आनन्दपुर साहिब इस बात का प्रत्यक्ष साक्षी है जब अमृत पिलाकर पाँच ‘सिंह’ सजाकर जन-जन में एक नई चेतना जगाई थी।
भावार्थ:
वैशाखी पर्व की ऐतिहासिक महत्ता बताते हए खालसा पंथ की स्थापना के बारे में बताया है।
3. खत्म हई फ़सलों की राखी
देख ले जट्टा आई वैशाखी
कंबाइनों से फ़सल कटी है
मण्डी में वह आन बिकी है
धूम मची है अब मेलों की
भंगड़े गिददे और खेलों की
कपड़े लत्ते और गहनों की
खरीदारी ने धम मचाई रे
वैशाखी आई रे …………….
कठिन शब्दों के अर्थ:
खत्म = समाप्त। राखी = रक्षा। कंबाइनों = फ़सल काटने वाली मशीन। धूम मचाना = रौनक होना।
प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘वैशाखी आई रे’ से ली गई हैं। इस कविता में कवि ने वैशाखी पर्व का स्वागत करते हुए कहा है।
सरलार्थ:
वैशाखी आने का स्वागत करते हुए कवि कहता है कि अब फ़सलों की राखी (रखवाली) समाप्त हुई ओ जट्टा (किसान भाई) वैशाखी आई है। कंबाइनों से फ़सल कट गई है और सारी फ़सल मंडी में आकर बिकने लगी है। मेलों की धूम मच गई है। भंगड़े, गिद्दे और खेलों की धूम मच गई है। कपड़ों की तथा गहनों की खरीदारी ने धूम मचा दी है। चारों तरफ खुशियों का माहौल है। वैशाखी का त्योहार आया है। .
भावार्थ:
वैशाखी के त्योहार में होने वाले मेलों, उत्सवों, खेलों व रौनक मेले का वर्णन किया है।