Punjab State Board PSEB 5th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Kahani Lekhan कहानी-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.
PSEB 5th Class Hindi Rachana कहानी-लेखन
1. कुसंगति का फल
किसी वन में एक हंस और कौआ रहते थे। हंस स्वभाव से ही भोला-भाला था और कौआ बड़ा दुष्ट था। वे दोनों रात को एक पेड़ पर रहा करते थे।
एक दिन गर्मी के मौसम में वे दोनों दोपहर के समय पेड़ पर इकट्ठे बैठे हुए थे। इतने में एक यात्री गर्मी से व्याकुल हुआ वृक्ष की छाया में आराम करने के लिए आ लेटा। वह ठण्डी छाया में शीघ्र ही गहरी नींद सो गया। आराम से सोए हुए उसने अपना मुँह खोल दिया। इतने में दूसरे के सुख को न सहन करने वाले कौए ने उसके मुँह पर बीठ कर दी। यात्री जाग पड़ा। उसने क्रोध से ऊपर की ओर देखा। दुष्ट कौआ चालाक था। वह तो शीघ्र उड़ गया। परन्तु स्वभाव से सुशील हंस अभी वहीं पंख फैलाए बैठा हुआ था। यात्री ने उसकी शरारत समझी। उसने उसी समय अपने बाण से उसे मार दिया।
शिक्षा- (1) दुर्जन के साथ कहीं नहीं जाना चाहिए और न कहीं बैठना चाहिए।
(2) दुष्ट की संगति से मनुष्य अकेला भला।
2. एकता में बल है
किसी गाँव में एक बूढ़ा किसान रहता था। उसके चार पुत्र थे। वे चारों बहुत आलसी थे। वे आपस में लड़ते-झगड़ते रहते थे। किसान ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन व्यर्थ। एक दिन उसने अपने चारों पुत्रों को अपने पास बुलाया तथा लकड़ियों का एक गट्ठर लाने को कहा। वे लकड़ियों का एक गट्ठर ले आए। उसने हर एक लड़के को वह गट्ठर तोड़ने के लिए दिया। लेकिन कोई भी उसे न तोड़ सका। तब उसने एक-एक लकड़ी सभी को दी। अब सभी ने आसानी से तोड दी। तब उसने उन्हें समझाया कि, “अगर तुम अकेले-अकेले रहोगे तो लोग तुम्हें नष्ट कर देंगे। अतः तुम सब इकट्ठे रहो। लड़ना-झगड़ना अच्छा नहीं। “एकता में ही बल है।” यह सुन कर वे सब मिल-जुल कर रहने लगे।
शिक्षा- मिल-जुल कर रहना चाहिए। एकता में ही बल है।
3. अंगूर खट्टे हैं
एक बार एक लोमड़ी थी। एक दिन वह बहुत भूखी थी। वह भोजन को ढूंढते-ढूंढते एक बाग में गई। वहाँ उसने वृक्ष की बेल पर कुछ अंगूरों के अच्छे गुच्छे देखे। वह उन्हें देखकर बहुत प्रसन्न हुई। वह अंगूरों को खाना चाहती थी। अंगूर ऊँचे थे।। वह ऊँची-ऊँची छलांगें लगाने लगी, किन्तु वह उन तक पहँच न सकी। बार-बार उछलने से वह बहुत थक गई। आखिर वह बाग से बाहर जाती हुई कहने लगी कि ये अंगूर तो खट्टे हैं। यदि मैं इन्हें खाऊंगी तो बीमार हो जाऊंगी।
शिक्षा- “हाथ न पहुँचे, थू कौड़ी।”
4. प्यासा कौआ
गर्मियों के दिन थे। दोपहर के समय बहुत सख्त गर्मी पड़ रही थी। एक कौआ पानी की तलाश में भटकता हुआ एक बाग में पहुँचा। अचानक उसकी नज़र वृक्ष के नीचे पड़े एक घड़े पर गई। वह उड़ कर वहां जा कर घड़े पर बैठा। उसने चोंच पानी में डालने की कोशिश की लेकिन उसकी चोंच पानी तक न पहुँच सकी क्योंकि घड़े में पानी बहुत कम था।
तभी उसे एक उपाय सूझा। उसने घड़े के आसपास बिखरे हुए कंकर उठा कर घड़े में डालने शुरू कर दिए। पानी ऊपर आ गया। उसने जी भर कर पानी पीया और उड़ गया।
शिक्षा- जहाँ चाह वहाँ राह।
अथवा
युक्ति से मुक्ति मिलती है।
5. चालाक लोमड़ी
एक लोमड़ी थी। वह बहुत भूखी थी। वह भोजन की खोज में इधर-उधर घूमने लगी। जब सारे जंगल में भटकने के बाद भी कुछ न मिला तो वह गर्मी और भूख से परेशान होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई। अचानक उसकी नज़र ऊपर की ओर गई। वृक्ष पर एक कौआ बैठा हुआ था। उसके मुँह में रोटी का टुकड़ा था। रोटी देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी भर आया। वह कौए से रोटी छीनने का उपाय सोचने लगी।
तभी उसने कौए को कहा, “क्यों कौआ भैया। सुना है तुम गीत बहुत अच्छा गाते हो। क्या मुझे गीत नहीं सुनाओगे ?” कौआ अपनी झूठी प्रशंसा को सुन कर बहुत खुश हुआ। उसने ज्यों ही गाने के लिए मुँह खोला त्यों ही रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया। लोमड़ी ने रोटी का टुकड़ा उठाया और नौ-दो ग्यारह हो गई। कौआ पछताने लगा।
शिक्षा- किसी की झूठी प्रशंसा में नहीं आना चाहिए।
6. टोपी वाला और बन्दर
एक सौदागर था। वह टोपियां बेचकर अपना पेट पाला करता था। एक दिन वह टोपियां बेचने दूसरे गाँव में गया। गर्मी से व्याकुल होकर वह वृक्ष के नीचे बैठ गया। बैठते ही उसे नींद आने लगी। वह टोपियों से भरा सन्दूक पास रखकर सो गया।
उसी वृक्ष पर कुछ बन्दर बैठे थे। वे झट नीचे उतरे, सौदागर के सन्दुक से टोपियां निकाल कर उन्होंने अपने सिर पर पहन ली और छलांगें लगाते हुए वृक्ष पर चढ़ गए। नींद खुलने पर सौदागर ने सन्दूक खुला देखा और टोपियां उसमें से गुम पाईं। क्या मेरी टोपियां कोई चुरा ले गया है ? वह यह सोच ही रहा था कि तभी उसकी नज़र वृक्ष के ऊपर टोपियां पहने बन्दरों पर पड़ी।
सौदागर ने बन्दरों को बहुत डराया लेकिन टोपियां प्राप्त करने में उसे सफलता न मिली। अन्त में उसने एक उपाय सोचा और सोचते ही अपने सिर से टोपी उतार कर नीचे फेंक दी। इस पर बन्दरों ने भी अपनी-अपनी टोपियां सिर से उतार कर ज़मीन पर फेंक दीं। सौदागर ने टोपियां इकट्ठी की और अपने घर की ओर चल पड़ा।
शिक्षा- जो काम बुद्धि से हो सकता है, वह ताकत से नहीं।
7. दो बिल्लियाँ और बन्दर
किसी नगर में दो बिल्लियाँ रहती थीं। एक दिन उन्हें कहीं से रोटी का एक टुकड़ा मिला। वे आपस में लड़ने लगीं। वे उसे आपस में समान भागों में बांटना चाहती थीं, लेकिन उन्हें कोई उपाय न सूझा।
उसी समय एक बन्दर उधर आ निकला। वह बहुत चालाक था। उसने बिल्लियों से लड़ने का कारण पूछा। बिल्लियों ने उसे सारी बात सुना दी। वह कहीं से तराजू लाया और बोला, “लाओ, मैं तुम्हारी रोटी को बराबर-बराबर बांट देता हूँ।” उसने रोटी के दो टुकड़े लेकर एक-एक पलड़े में रख दिए। जिस पलड़े में रोटी अधिक होती बन्दर उससे थोड़ी-सी तोड़ कर खा लेता। इस प्रकार थोड़ी-सी रोटी रह गई। बिल्लियों ने अपनी थोड़ी-सी रोटी वापस मांगी। बन्दर ने कहा, “यह तो मेरी मजदूरी है।” यह कह कर उसने बाकी बची हुई रोटी भी मुँह में डाल ली। बिल्लियाँ मुँह ताकती रह गईं।
शिक्षा- आपस में लड़ना-झगड़ना अच्छा नहीं होता।
8. ईमानदार लकड़हारा
एक गाँव में एक लकड़हारा रहता था। वह बहुत ग़रीब था। वह निकट के जंगल से लकड़ी काट कर लाता और बेचकर अपना निर्वाह करता था।
एक दिन वह नदी के किनारे वृक्ष काट रहा था। अचानक उसके हाथ से कुल्हाड़ा छूट गया और नदी में गिर पड़ा। लकड़हारा बेचारा रोने लगा। उसने सोचा कि मैं अब बच्चों का पालन कैसे करूँगा। वह रो रहा था कि जल देवता उपस्थित हुआ। उसने पूछा, “तुम क्यों रो रहे हो? लकड़हारे ने सारी बात बताई। जल देवता पानी में कूद पड़ा और सोने का कुल्हाड़ा निकाल लाया। उसने लकड़हारे से पूछाक्यों यही तुम्हारा कुल्हाड़ा है? लकड़हारे ने उसे लेने से इन्कार कर दिया और कहा यह मेरा कुल्हाड़ा नहीं है। जल के देवता ने फिर पानी में डुबकी लगाई। और इस बार चाँदी का कुल्हाड़ा लाया। परन्तु लकड़हारे ने फिर वह कुल्हाड़ा लेने से इन्कार कर दिया। अब तीसरी बार जल का देवता फिर नदी में कूदा और वही लोहे का कुल्हाड़ा निकाल लाया।
उस कुल्हाड़े को देखते ही लकड़हारा खुशी से नाच उठा-हां, हां यही मेरा कुल्हाड़ा है। जल का देवता उसकी ईमानदारी से बहुत खुश हुआ। उसने लकड़हारे को शेष दोनों कुल्हाड़े भी इनाम के तौर पर दे दिए।
शिक्षा- (1) ईमानदारी सबसे उत्तम नीति है।
(2) सदा सच बोलना चाहिए।
9. शेर और चूहा
एक दिन गर्मी बहुत पड़ रही थी। एक शेर शिकार ढंढते-ढंढते थक गया। उसने एक छायादार वृक्ष देखा और उसके नीचे सो गया। पास ही एक चूहे का बिल था। थोड़ी देर बाद चूहा अपने बिल से बाहर निकला। वह शेर के शरीर पर चढ कर कूदने लगा। शेर जाग पड़ा और उसने चूहे को अपने पंजे में जकड़ लिया। चूहा बहुत चालाक था। वह घबराया नहीं। उसने शेर से कहा-“महाराज आप जंगल के राजा हैं। मैं छोटा-सा जीव हूँ। मुझे मारना आपको शोभा नहीं देता। आप दया करके मुझे छोड़ दें। कभी | मैं भी आपके काम आ सकता हूँ।” यह सुनकर शेर हँस पड़ा और उसने चूहे को छोड़ दिया।
कुछ दिनों के बाद उस जंगल में एक शिकारी आया। वह शेर शिकारी के जाल में फंस गया। उसने अपने आप को जाल से छुड़ाने की बहुत कोशिश की, परन्तु सफल न हो सका। अन्त में वह ज़ोर| ज़ोर से दहाड़ने लगा। उसी चूहे ने शेर की आवाज़ को पहचान लिया। वह झट से जाल के पास गया। उसने कुछ ही देर में अपने तेज़ दाँतों से जाल को काट दिया और शेर की जान बचाई। शेर ने उसका धन्यवाद किया।
शिक्षा- (1) किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए।
(2) कर भला हो भला।
10. हाथी और दर्जी
किसी राजा के पास एक हाथी था। हाथी प्रतिदिन स्नान करने के लिए नदी पर जाया करता था। रास्ते में एक दर्जी की दुकान पड़ती थी। दर्जी बहुत दयालु तथा उदार था। उसकी हाथी से मित्रता हो गई। वह हाथी को प्रतिदिन कुछ-न-कुछ खाने के लिए देता था।
एक दिन दर्जी किसी कारण से क्रोध में बैठा हुआ था। हाथी आया और कुछ प्राप्त करने के लिए अपनी सूंड आगे की। दर्जी ने उसे कुछ खाने के लिए नहीं दिया, परन्तु उसकी सूंड में सूई चुभो दी। हाथी को क्रोध आ गया। वह नदी पर गया। उसने स्नान किया और लौटते समय अपनी सूंड में गन्दा पानी भर लिया। दर्जी की दुकान पर पहुँच कर उसने सारा गन्दा पानी उसके कपड़ों पर फेंक दिया। दर्जी के सारे कपड़े खराब हो गए। इस तरह हाथी ने दर्जी से बदला लिया।
शिक्षा- जैसे को तैसा।
11. लालची कुत्ता
एक कुत्ता था। एक बार वह भोजन की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था। अन्त में उसे एक रोटी का टुकडा मिला। वह इसे अकेले में बैठकर खाना चाहता था । इसलिए वह एकान्त की खोज में निकल पड़ा। वह एक नदी के किनारे पहुँचा। उसने पानी में झाँक कर देखा। उसे पानी में अपनी ही परछाईं दिखाई दी। उसने सोचा कि वह कोई दूसरा कुत्ता है जिसके मुँह में भी रोटी का टुकड़ा है। उसके मन में लालच आ गया। उसने सोचा कि क्यों न मैं इससे भी रोटी का टुकड़ा छीन लूं इसलिए वह ज़ोर से भौंका। भौंकने से उसका अपना रोटी का टुकड़ा भी पानी में गिर गया। वह अपना रोटी का टुकड़ा भी खो बैठा। अब वह पछताने लगा लेकिन अब क्या हो सकता था। वह चुपचाप वापिस लौट आया।
शिक्षा- लालच बुरी बला है।
12. दो मित्र और रीछ
मोहन और सोहन दो मित्र थे। दोनों एक ही गाँव में रहते थे। एक बार वे दोनों किसी काम से शहर जा रहे थे। रास्ते में एक जंगल पडता था। दोनों जंगल से गुजर रहे थे कि सामने से उन्हें एक रीछ (भालू) आता दिखाई दिया। रीछ को देखकर मोहन तो झट से एक पेड़ पर चढ़ गया और पत्तों के बीच छिप गया। सोहन को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था। उसने सुन रखा था कि रीछ मरे हुए जीव को नहीं खाता। वह झट से अपनी साँस रोक कर धरती पर लेट गया। रीछ ने उसे सँघा और मरा हुआ समझ कर | छोड़कर चला गया। रीछ के चले जाने पर मोहन पेड़ पर से नीचे उतरा और सोहन से कहने लगा कि बताओ रीछ तुम्हारे कान में क्या कह रहा था। सोहन ने कहा कि उसने मुझे समझाया कि स्वार्थी मित्रों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए। ऐसे मित्रों से दूर रहना चाहिए।
शिक्षा- धोखेबाज़ मित्रों से सावधान रहना चाहिए।