Punjab State Board PSEB 6th Class Agriculture Book Solutions Chapter 5 खादें Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 6 Agriculture Chapter 5 खादें
PSEB 6th Class Agriculture Guide खादें Textbook Questions and Answers
(क) इन प्रश्नों के उत्तर एक-दो शब्दों में दीजिए-
प्रश्न 1.
पौधे को फलने-फूलने और अपना भोजन तैयार करने के लिए कितने प्रकार के पोषक तत्त्वों की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
17 पोषक तत्त्वों की।
प्रश्न 2.
खादों को मुख्यतः कौन-कौन से भागों में विभाजित किया जा सकता
उत्तर-
प्राकृतिक खाद, रासायनिक खाद।
प्रश्न 3.
कौन-सी फसलें वायुमण्डल से नाइट्रोजन लेकर अपनी जड़ों में जमा करती हैं ?
उत्तर-
फलीदार फसलें जैसे मटर, दालें, सोयाबीन आदि।
प्रश्न 4.
नाइट्रोजन खाद के अधिक प्रयोग से भूमि में कौन-सा मादा बढ़ जाता
उत्तर-
खारा मादा।
प्रश्न 5.
कितने प्रतिशत नाइट्रोजन गैस के रूप में वायुमण्डल में पाई जाती है ?
उत्तर-
78 प्रतिशत।
प्रश्न 6.
100 किलोग्राम डाईअमोनियम फास्फेट खाद में कितने किलोग्राम फास्फोरस होता है ?
उत्तर-
46 किलोग्राम।
प्रश्न 7.
फास्फोरस तत्त्व कौन-सी खाद में मिलता है ?
उत्तर-
सिंगल सुपरफास्फेट तथा डी० ए० पी० ।
प्रश्न 8.
रूड़ी की 100 किलो खाद में कौन-से तत्त्व होते हैं ?
उत्तर-
1 किलो यूरिया के बराबर नाइट्रोजन तथा 1.5 किलो सुपरफास्फेट के बराबर फास्फोरस।
प्रश्न 9.
पोटॉश तत्त्व विशेषकर कौन-सी फसल के लिए प्रयुक्त किया जाता है ?
उत्तर-
यह तत्त्व विशेषतः आलू की फसल के लिए प्रयोग होता है।
प्रश्न 10.
100 किलोग्राम यूरिया में कितने किलोग्राम नाइट्रोजन तत्त्व होता है ?
उत्तर-
46 किलोग्राम।
(ख) इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए –
प्रश्न 1.
प्राकृतिक खादें किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ये खादें फसलों के अवशेषों तथा जीव-जन्तुओं के व्यर्थ पदार्थों से बनती हैं। रूड़ी खाद, हरी खाद आदि इसके उदाहरण हैं।
प्रश्न 2.
हरी खाद किसे कहते हैं ?
उत्तर-
किसी फलीदार फसल जैसे–चा को खेत में उगाकर तथा जब यह हरी होती है खेत में ही जोत दिया जाता है, इसे हरी खाद कहा जाता है।
प्रश्न 3.
प्राकृतिक खादें किस प्रकार भूमि की उपजाऊ शक्ति को कायम रखती
उत्तर-
ये खादें भूमि में मिट्टी के कणों की जुड़ने की शक्ति तथा भूमि के पानी को सम्भालने की सामर्थ्या को बढ़ाती है। मिट्टी में जैविक मादा भी बढ़ता है तथा उपजाऊ शक्ति बनी रहती है।
प्रश्न 4.
कौन-सी मुख्य रासायनिक खादों का प्रयोग अधिक किया जाता है ?
उत्तर-
नाइट्रोजन वाली, फास्फोरस वाली तथा पोटाश वाली खादें।
प्रश्न 5.
यूरिया खाद कैसे बनाई जाती है ?
उत्तर-
हवा में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन गैस रूप में होती है, इससे ही यूरिया खाद बनाई जाती है।
प्रश्न 6.
फॉस्फोरस तत्त्व कहाँ से लाया जाता है ?
उत्तर-
यह तत्व फॉस्फोरस वाली खादें जैसे डी० ए० पी० से मिलता है तथा ये खादें एक फास्फेट नाम के खनिज पदार्थ से बनती हैं।
प्रश्न 7.
रूड़ी की खाद कौन-सी भूमि के लिए लाभदायक है ?
उत्तर-
रूड़ी खाद सभी प्रकार की भूमियों के लिए लाभदायक है। इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और अनेक अहारीय तत्व भी होते हैं और यह ज़मीन के भौतिक गुणों पर भी अच्छा प्रभाव डालती है।
प्रश्न 8.
नाइट्रोजन की कमी के कारण पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
नाइट्रोजन की कमी के कारण सबसे पहले पौधों के पुराने पत्ते पीले पड़ने लगते हैं, फिर यह पीलापन धीरे-धीरे ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है तथा धीरे-धीरे सारा पौधा पीला हो जाता है।
प्रश्न 9.
रासायनिक खादें फसलों के लिए कैसे लाभदायक होती हैं ?
उत्तर-
रासायनिक खादों का प्रयोग पौधों के पोषक तत्त्वों की पूर्ति के लिए किया जाता है, मिट्टी में जिन पोषक तत्त्वों की कमी हो जाए उन तत्त्वों वाली रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता है। यह खादें पानी में घुलनशील हैं तथा पौधों को पोषक तत्वों की प्राप्ति जल्दी हो जाती है।
प्रश्न 10.
केंचुआ खाद कैसे बनती है ?
उत्तर-
पौधों के अवशेष तथा गोबर को एक स्थान पर इकट्ठा करके इसमें केंचुए छोड़ दिए जाते हैं तथा कुछ दिनों बाद केंचुआ खाद प्राप्त हो जाती है।
(ग) इन प्रश्नों के उत्तर पाँच या छः वाक्यों में दीजिए-
प्रश्न 1.
खादों से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पौधे बढ़ने-फूलने के लिए अपनी आवश्यकताओं को भूमि में से पूरा करते हैं। ये अपनी आवश्यकताओं वाले 17 से भी अधिक भिन्न-भिन्न प्रकार के पोषक तत्वों को भूमि से प्राप्त करते हैं। ऐसे तत्त्व जो पौधों को बढ़ने-फूलने तथा भोजन तैयार करने के लिए चाहिए तथा इनकी पूर्ति बनावटी रूप से बाहर से की जाती है, को खाद कहा जाता है।
खादों को प्राकृतिक रूप से तथा कारखानों में रासायनिक खादों के रूप में तैयार किया जाता है। उदाहरण-रूड़ी खाद, यूरिया खाद।
प्रश्न 2.
रासायनिक खादें किसे कहते हैं ?
उत्तर-
रासायनिक खादें पौधों के लिए पोषक तत्त्व प्रदान करती हैं तथा इनको कारखानों में तैयार किया जाता है। मुख्य रूप से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटाश वाली खादों की अधिक आवश्यकता पड़ती है। ये तत्त्व यूरिया, डी० ए० पी०, एन० पी० के०, म्यूरेट ऑफ पोटाश आदि खादों से प्राप्त होते हैं। प्राय: यह रासायनिक खादें पानी में घुलनशील होती हैं तथा इसलिए पौधों को सरलता से उपलब्ध हो जाती हैं। हरित क्रांति के बाद इन खादों की मांग बहुत बढ़ गई है।
प्रश्न 3.
रासायनिक खादों के दुष्प्रभाव के बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर-
रासायनिक खादों की सहायता से जहां उपज में वृद्धि हुई है वहीं इनके प्रयोग से हानिकारक प्रभाव भी हुए हैं। इनका प्रयोग मिट्टी की जांच के बाद आवश्यकतानुसार तथा केवल कमी वाले तत्त्वों वाली खादों का ही प्रयोग करना चाहिए। यदि खादों का अनावश्यक तथा नादानीपूर्ण ढंग से प्रयोग किया जाएगा तो ये हानिकारक सिद्ध होंगी।
नाइट्रोजन वाली खादों के अधिक प्रयोग से भूमि में खारा मादा बढ़ जाता है। ये खादें पानी में घुलनशील होने के कारण पानी में घुलकर धरती के पानी को भी प्रदूषित करती हैं।
इनके अनावश्यक प्रयोग से पैसे की बर्बादी होती है। फसलों में ये तत्त्व बढ़ जाते हैं तथा मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
प्रश्न 4.
मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को कायम रखने के लिए हमें क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
मिट्टी की भूमि का फसल उगाने में बहुत महत्त्वपूर्ण तथा सबसे अधिक है। यदि मिट्टी की उपजाऊ शक्ति अधिक होगी तो ही फसल बढ़िया होगी तथा उपज भी अधिक मिलेगी। एक खेत में बार-बार एक ही प्रकार की फसलें प्राप्त करने से इसकी उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। इस की उपजाऊ शक्ति कायम रखने के लिए खेत में फसल चक्र बदलते रहना चाहिए। खेत में मल्लड़ की मात्रा बढ़ाने के लिए रूड़ी खाद, केंचुआ खाद आदि का प्रयोग करना चाहिए। रासायनिक खादों का प्रयोग मिट्टी की जांच के बाद तत्त्वों की कमी के अनुसार आवश्यक मात्रा में करना चाहिए। रासायनिक तथा प्राकृतिक खादों का संतुलन बना कर रखना चाहिए।
प्रश्न 5.
रूड़ी की खाद की उपयोगिता बताइए।
उत्तर-
पशुओं के गोबर, पेशाब तथा पराली आदि को तकनीकी ढंग से सम्भाल कर गलने-सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है। जब यह अच्छी तरह गल-सड़ जाता है तो इस को रूड़ी खाद कहा जाता है। रूड़ी खाद खेतों में जैविक मादे में वृद्धि करती है तथा इस में वे सारे आवश्यक तत्त्व होते हैं जोकि किसी फसल के लिए आवश्यक होते हैं। इसके प्रयोग से भूमि के भौतिक गुणों में अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है। 100 किलो रूड़ी खाद में 1 किलो यूरिया के बराबर नाइट्रोजन तथा 1.5 किलो सुपरफास्फेट के बराबर फास्फोरस तत्त्व होता है तथा पोटॉश तत्त्व तथा अन्य आवश्यक तत्त्व भी होते हैं।
Agriculture Guide for Class 6 PSEB खादें Important Questions and Answers
बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
किसी जैविक खाद की उदाहरण दें।
उत्तर-
रूड़ी खाद।
प्रश्न 2.
रूड़ी खाद के 100 किलोग्राम में कितनी नाइट्रोजन होती है ?
उत्तर-
1 किलो यूरिया के बराबर ।
प्रश्न 3.
रूड़ी खाद के 100 किलोग्राम में कितनी फास्फोरस होती है ?
उत्तर-
1.5 किलोग्राम सुपरफॉस्फेट के बराबर।
प्रश्न 4.
जंतर की फसल को खेत में जोतने को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
हरी खाद।
प्रश्न 5.
पोटाश तत्त्व की प्राप्ति के लिए कौन-सी रासायनिक खाद प्रयोग की जाती है ?
उत्तर-
म्यूरेट ऑफ पोटाश।
प्रश्न 6.
म्यूरेट ऑफ पोटाश में कितना पोटाश तत्त्व होता है ?
उत्तर-
60 प्रतिशत।
प्रश्न 7.
पंजाब में कितनी ज़मीनों में पोटाश तत्त्व की कमी है ?
उत्तर-
केवल 5-10 प्रतिशत भूमि में।
प्रश्न 8.
डी० ए० पी० का पूरा नाम बताओ।
उत्तर-
डायअमोनियम फास्फेट।
प्रश्न 9.
सिंगल सुपरफास्फेट में कितना फास्फोरस तत्त्व होता है ?
उत्तर-
16 प्रतिशत।
प्रश्न 10.
डी० ए० पी० में कितना फास्फोरस तत्त्व होता है ?
उत्तर-
46 प्रतिशत।
छोटे उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
खादों का प्रयोग किस समय किया जाता है ?
उत्तर-
कई खादों का प्रयोग बुवाई से पहले तथा कई खादों का प्रयोग बुवाई के बाद किया जाता है।
प्रश्न 2.
हवा में से नाइट्रोजन को कौन-से पौधे प्रयोग कर सकते हैं तथा कौनसे नहीं ?
उत्तर-
हवा में से नाइट्रोजन गैस को फलीदार फसलें प्राप्त कर सकती हैं तथा दूसरे पौधे प्राप्त नहीं कर सकते।
प्रश्न 3.
पौधों के लिए पोटाश तत्त्व की आवश्यकता के बारे में बताओ।
उत्तर-
पौधों को विकसित होने के लिए पोटॉश तत्त्व की उतनी ही मात्रा में आवश्यकता होती है जितनी कि नाइट्रोजन तत्त्व की परन्तु पंजाब की भूमि में प्रायः इस तत्त्व की काफ़ी मात्रा होती है तथा केवल 5-10 प्रतिशत भूमियों में ही इसकी कमी है।
प्रश्न 4.
कौन-सी फसल के लिए पोटाश तत्व की अधिक आवश्यकता है ?
उत्तर-
इस तत्त्व की आलू की फसल के लिए अधिक आवश्यकता पड़ती है। इसको रासायनिक खाद म्यूरेट ऑफ पोटाश से प्राप्त किया जाता है परन्तु इसकी कुछ मात्रा रूड़ी खाद में होती है।
प्रश्न 5.
खाद किसे कहते हैं ?
उत्तर-
भूमि में पौधों के पोषक तत्त्वों की कमी को पूरा करने के लिए जिस पदार्थ का प्रयोग किया जाता हैं उसको खाद कहते हैं।
प्रश्न 6.
रासायनिक खाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
यह वे खादें हैं जिनको कारखानों में बनाया जाता है। यह रसायनों से बनती हैं। जैसे-यूरिया, जिंक सल्फेट आदि इन खादों के उदाहरण हैं।।
प्रश्न 7.
नाइट्रोजन की कमी का पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
नाइट्रोजन की कमी से पौधों के पुराने पत्ते पीले पड़ने लगते हैं बाद में यह पीलापन धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगता है। अधिक कमी होने पर सारा पौधा पीला हो जाता है।
प्रश्न 8.
डाया किस खाद को कहते हैं ? इसका पोषक तत्त्व बताओ।
उत्तर-
डायअमोनियम फास्फेट खाद को कहा जाता है। इसके 100 किलोग्राम में 46 किलोग्राम फास्फोरस होती है।
प्रश्न 9.
पंजाब में पोटाश खादों की आवश्यकता क्यों नहीं पड़ती ?
उत्तर-
पंजाब की भूमि में यह तत्त्व अधिक मात्रा में मौजूद हैं। इसलिए इसकी खादों की आवश्यकता कम पड़ती है।
बड़े उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राकृतिक खादों के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
प्राकृतिक खादों को जैविक खादें भी कहा जाता है। इनको जैविक मादे से तैयार किया जाता है। यह खादें हैं-रूढ़ी खाद, केंचुआ खाद, हरी खाद आदि।
पशुओं के गोबर, मूत्र, पराली आदि को तकनीकी ढंग से गलने-सड़ने के लिए कुछ दिनों के लिए छोड़ दिया जाता है तथा इस तरह रूढ़ी खाद तैयार होती है। इस तरह पौधों के अवशेष तथा गोबर में केंचुए छोड़ दिए जाते हैं तथा कुछ दिनों बाद केंचुआ खाद बन जाती है। लैंचा, जंतर आदि की फसल को खेतों में उगा कर, जब यह हरी अवस्था में होती है, तो इसे खेत में जोत दिया जाता है। इसको हरी खाद कहते हैं।
प्राकृतिक खादों में पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्त्व होते हैं तथा इन का प्रयोग भूमि में जैविक मादा बढ़ाने में सहायक होता है। यह भूमि में मिट्टी के कणों की जुड़ने की शक्ति तथा भूमि की पानी सम्भालने की शक्ति बढ़ाती है।
प्रश्न 2.
खाद से क्या अभिप्राय है ? यह कितने प्रकार की होती है ? प्रत्येक की परिभाषा दें।
उत्तर-खादें, वे पदार्थ हैं जिनसे पौधे अपने आवश्यक पोषक तत्वों को प्राप्त करते हैं। यह दो प्रकार की होती हैं
(i) जैविक खादें
(ii) रासायनिक खादें
(i) जैविक खादें-ये ऐसी खादें हैं जो जीवों के प्रत्येक प्रकार के अवशेषों से बनाई जाती हैं। इसको फसलों तथा सब्जियों के अवशेषों या पशुओं के मल मूत्र से तैयार किया जाता है, जैसे रूड़ी खाद या फिर फसलें उगाकर फूल आने से पहले ही उसको भूमि में दबा कर हरी खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है।
(ii) रासायनिक खाद-इन खादों को फैक्ट्रियों में भिन्न-भिन्न रसायनों से बनाया जाता है ; जैसे-यूरिया, सुपरफास्फेट, म्यूरेट ऑफ पोटाश, जिंक सल्फेट आदि।
प्रश्न 3.
रूड़ी खाद से क्या भाव है ? इसके पौधों को क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
यह खाद सब्जियों के बचे हुए अवशेष, पशुओं के मल-मूत्र, कई अन्य तरह के जैविक पदार्थों को गड्डों में गलने-सड़ने से बनाई जाती है। यह बहुत ही गुणकारी खाद है तथा इसमें पौधे की वृद्धि के लिए आवश्यक लगभग सारे तत्त्व मौजूद होते हैं । इस खाद का पोषक तत्त्वों के अतिरिक्त भूमि के भौतिक गुणों पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। रूड़ी की खाद रेतीली, चिकनी, कल्लराठी आदि सभी भूमियों के लिए लाभदायक होती है। इसके उपयोग से भूमि में हवा तथा पानी का संचार अच्छा होने में सहायता मिलती है। रूड़ी की 100 किलो खाद में 1 किलो यूरिया के बराबर नाइट्रोजन तथा 1.5 किलो सुपरफास्फेट के बराबर फास्फोरस तत्त्व होता है। इसके अतिरिक्त पोटॉश तथा पौधे को मिलने वाले अन्य पोषक तत्त्व भी होते हैं।
प्रश्न 4.
रूढ़ी की खाद की सम्भाल कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
रूढ़ी खाद की संभाल के लिए 1 मीटर गहरा, 2 मीटर चौड़ाई वाला तथा पशुओं की संख्या के अनुसार तथा जगह के अनुसार 3-4 मीटर लम्बा गड्ढा खोदा जाता है। गड्ढे में एक तरफ से रूढ़ी की खाद भरनी शुरू करें तथा गड्ढे को भूमि से 6 इंच ऊंचाई तक भर दें। सारा गड्ढा भर जाने के बाद उसके ऊपर 3 इंच मोटी मिट्टी की तह बिछा दें। गड्ढे की लम्बाई जगह के अनुसार बढ़ाई जा सकती है। रूड़ी 3 माह में उपयोग के लिए अच्छी तरह तैयार हो जाती है। इस तरह गड्ढे में रखी रूढ़ी से पोषक तत्त्वों का नुकसान नहीं होता तथा जो खरपतवार के बीज पशुओं के गोबर में या चारे से आते हैं, उनके उगने की शक्ति भी समाप्त हो जाती है। खेत में डाली रूड़ी से खरपतवार नहीं उग सकते।
प्रश्न 5.
खादों की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर-
प्रत्येक जानदार वस्तु के लिए आहार की आवश्यकता होती है। जिस प्रकार मनुष्य, पशुओं तथा जानवरों को विकास तथा वृद्धि के लिए आहार की आवश्यकता होती है, इसी तरह पौधों को विकसित होने के लिए भी आहार की आवश्यकता होती है। पौधे अपना आहार धरती से लेते हैं। एक ही भूमि में बार-बार फसल उगाने से भूमि में पोषक तत्त्वों की कमी हो जाती है तथा भूमि से फसलों को पूरा पोषण नहीं मिलता। इसलिए भूमि में तत्त्वों की कमी को पूरा करने के लिए खादों के प्रयोग की आवश्यकता पड़ती है।
प्रश्न 6.
नाइट्रोजन तत्त्व की पूर्ति, कमी तथा इसकी खादों के बारे में जानकारी दें।
उत्तर-
हवा में 79 प्रतिशत नाइट्रोजन, गैस के रूप में होती है। इसको केवल फलीदार फसलें ही सीधे रूप में हवा में से अपनी आवश्यकता के अनुसार प्राप्त कर सकती हैं, अन्य फसलें नहीं। हवा में से नाइट्रोजन गैस से ही रासायनिक खादें बनाई जाती हैं, जैसे यूरिया। हवा में से नाइट्रोजन तथा तरल पदार्थों में से हाइड्रोजन तथा कार्बन लेकर इनके मेल से यूरिया खाद बनती है। यूरिया में 46 प्रतिशत नाइट्रोजन होती है, अर्थात् 100 किलोग्राम यूरिया में 46 किलोग्राम वाला तत्त्व नाइट्रोजन है।
यह तत्त्व पौधों के लिए बहुत आवश्यक है। इसकी कमी से सबसे पहले पौधों के पुराने पत्ते पीले पड़ने लगते हैं तथा धीरे-धीरे ऊपर की तरफ बढ़ना शुरू हो जाता है। यदि फसल में इस तत्त्व की कमी हो जाए तो सारा पौधा पीला हो जाता है।
प्रश्न 7.
पौधे फास्फोरस तत्त्व कहां से प्राप्त करते हैं ? इसकी खादों के बारे में बताएं।
उत्तर-
यह पौधों के लिए दूसरा महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व है। इसकी कमी का आषाढ़ी की फसलों पर बहुत अधिक प्रभाव होता है। यह तत्त्व खानों में रॉक फास्फेट नाम के खनिज पदार्थ से लिया जाता है। इसको साफ करके नाइट्रोजन के साथ मिलाकर डायअमोनियम फास्फेट खाद बनाई जाती है, जिसको डाया कहा जाता है, 100 किलोग्राम डायअमोनियम फास्फेट खाद में 46 किलोग्राम फास्फोरस तत्त्व होता है।
प्रश्न 8.
पोटॉश तत्त्व के बारे में जानकारी दें।
उत्तर-
पौधे के विकसित होने के लिए पोटॉश तत्त्व भी बहुत आवश्यक है। इसको पौधे उतनी ही मात्रा में लेते हैं, जितनी मात्रा में नाइट्रोजन परन्तु पंजाब की भूमियों में इस तत्त्व की काफ़ी मात्रा मिलती है, इसलिए हमें इस खाद का उपयोग करने की आमतौर पर आवश्यकता नहीं पड़ती। पंजाब में केवल 5-10 प्रतिशत भूमियाँ ही ऐसी हैं जिनमें इस तत्त्व की आवश्यकता हो सकती है। यह तत्त्व विशेषत: आलू की फसल के लिए ही प्रयोग होता है। इस तत्त्व को म्यूरेट ऑफ पोटाश नाम की खाद से प्राप्त किया जाता है तथा यह खाद सारी की सारी विदेशों से मंगवाई जाती है। इस खाद में पोटाश तत्व 60 प्रतिशत होता है।
प्रश्न 9.
नाइट्रोजन की कमी का पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
नाइट्रोजन एक बहुत आवश्यक तत्त्व है जोकि हवा में लगभग 78 प्रतिशत होता है। इसका प्रयोग सभी पौधों के लिए आवश्यक है। इसकी कमी के कारण पौधों पर कई बुरे प्रभाव भी देखने को मिलते हैं।
इस तत्त्व की कमी के कारण सबसे पहले पौधे के पुराने पत्ते पीले पड़ने लगते हैं तथा फिर यह पीलापन धीरे-धीरे ऊपर की तरफ बढ़ना शुरू हो जाता है तथा धीरे-धीरे सारा पौधा ही पीला हो जाता है।
खादें PSEB 6th Class Agriculture Notes
- पौधों को विभिन्न प्रकार के 17 पोषक तत्त्वों की आवश्यकता होती है।
- भूमि में पोषक तत्त्वों की कमी को पूरा करने के लिए बाहर से कुछ वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। इन बाहर से डाली जाने वाली वस्तुओं को खादें कहा जाता है।
- खादें दो प्रकार की हैं-प्राकृतिक तथा रासायनिक खादें।
- प्राकृतिक खादों को जैविक खादें भी कहा जाता है।
- जीव-जन्तुओं के अपशिष्ट, व्यर्थ पदार्थों से केंचुओं द्वारा तैयार खाद को केंचुआ खाद कहा जाता है।
- फलीदार फसलों को खेत में उगा कर तथा उसे खेत में जोतने को हरी खाद कहते है।
- 100 किलो रूड़ी खाद में 1 किलो यूरिया के बराबर नाइट्रोजन तथा डेढ़ किलो सुपर फास्फेट के बराबर फास्फोरस होती है।
- रासायनिक खादें मनुष्य द्वारा कारखानों में तैयार की जाती हैं।
- प्रायः उपयोग में आने वाली रासायनिक खादें हैं-यूरिया, डी० ए० पी०, एन० पी० के० तथा म्यूरेट ऑफ पोटाश।
- हवा में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन गैस के रूप में होती है।
- यूरिया में 46 प्रतिशत नाइट्रोजन होती है।
- नाइट्रोजन की कमी का पता पुराने पत्तों के पीले पड़ने से चलता है।
- फास्फोरस की पूर्ति के लिए सिंगल सुपरफास्फेट तथा डी० ए० पी० का प्रयोग किया जाता है।
- डी० ए० पी० में 46 प्रतिशत फास्फोरस होती है।
- म्यूरेट ऑफ पोटाश खाद में 60 प्रतिशत पोटाश तत्त्व होता है, परन्तु इसकी आवश्यकता पंजाब में कम पड़ती है।