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PSEB 6th Class Computer Notes Chapter 8 आऊटपुट यन्त्र
जान-पहचान (Introduction)
कम्प्यूटर को डाटा देने के लिए कुछ यन्त्र उपयोग किये जाते हैं जैसे माऊस, की-बोर्ड, इनको इनपुट यन्त्र कहा जाता है। कम्प्यूटर के बीच का डाटा देखने के लिए जो यन्त्र उपयोग किये जाते हैं उन्हें आऊटपुट कहा जाता है।
आऊटपुट यन्त्र (Output Devices)
आऊटपुट यन्त्र हमें इन्फॉरमेशन प्रोसैसिंग सिस्टम से पैदा हुए नतीजे दिखाते हैं। यह सूचना को मनुष्य द्वारा पढ़ने योग्य रूप में बदलते हैं। इनको कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है। यह सूचना टैक्सट, आवाज़ तथा इमेज के रूप में हो सकता है। ये यन्त्र कम्प्यूटर से नतीजा प्राप्त करते हैं। आऊटपुट यन्त्र का प्रयोग-आऊटपुट यन्त्र कम्प्यूटर से सूचना प्राप्त करते हैं। यह सूचना किसी भी रूप में हो सकती है। हम कम्प्यूटर पर किये काम को आऊटपुट यन्त्रों द्वारा देख सकते हैं।
आऊटपुट यन्त्रों की किस्में (Types of Output Devices)
कम्प्यूटर के बीच वाला डाटा देखने के लिए हमें आऊटपुट यन्त्र की ज़रूरत पड़ती है। यह कई प्रकार के हो सकते हैं।
- मानीटर
- प्रिंटर
- स्पीकर
- हैडफोन
- प्रोजैक्टर
मॉनीटर (Monitor)
मॉनीटर एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण यन्त्र है। यह टेलीविज़न की तरह नज़र आता है। अब बाज़ार में कई तरह के मॉनीटर आ रहे हैं।
मॉनीटर दो प्रकार के होते हैं –
1. कैथोड रे ट्यूब
2. फ्लैट पैनल डिस्प्ले।
(i) कैथोड रे ट्यूब मॉनीटर-ये मॉनीटर कैथोड रे ट्यूब से चलते हैं। इनका आकार ट्यूब की लंबाई रूप में मापा जाता है। यह मॉनीटर 15, 17, 19, तथा 20 इंच में उपलब्ध होते हैं। पहले ये ब्लैक एंड ह्वाइट होते थे अब ये रंगीन भी होते हैं। इनकी कुछ कमियां होती हैं।
- ये आकार में बड़े होते हैं,
- इनमें बिजली खपत ज्यादा होती है,
- ये ज्यादा गर्मी पैदा करते हैं।
(ii) फ्लैट पैनल डिस्प्ले मॉनीटर-इनमें कैथोड रे ट्यूब के मुकाबले कम आकार, बिजली तथा भार होता है। इनको दीवार पर भी लगाया जा सकता है। ये मॉनीटर कैल्कुलेटर, विडियो गेम, मॉनीटर, लैपटॉप आदि में प्रयोग होते हैं।
इसकी कुछ उदाहरण हैं-
- LCD
- LED
- प्लाज्मा।
CRT तथा LCD मॉनीटर में अंतर-CRT मॉनीटर आकार में बड़े होते है तथा LCD/TFT मॉनीटर आकार में छोटे होते हैं। इनमें निम्न अन्तर होते हैं –
स्पीकर (Speaker)
आडियो डाटे की आऊटपुट प्राप्त करने के लिए हमें स्पीकर का इस्तेमाल करना पड़ता है। ये साऊंड कार्ड से इनपुट प्राप्त करके उनको साऊंड तरंगों में बदल कर आऊटपुट पैदा करते हैं। हम कम्प्यूटर पर इनकी मदद से गाने भी सुन सकते हैं। स्पीकर कई आकार तथा शक्ल में उपलब्ध होते हैं। आमतौर पर एक कम्प्यूटर में दो स्पीकर लगाए जाते हैं।
हैडफोन (Headphone)
हैडफोन भी स्पीकर की तरह काम करते हैं पर इन्हें कानों में लगाया जाता है। इनको Earphone भी कहा जाता है। यह हार्डवेयर यन्त्र है। इनको कानों में लगाया जाता है। इनकी मदद से हम किसी को तंग किये बगैर गाने सुन सकते हैं।
प्रिंटर (Printer)
प्रिंटर कागज पर आऊटपुट प्राप्त करने का एक यंत्र होता है। ये कई प्रकार के होते हैं। प्रिंटर आऊटपुट को कागज़ पर छापते हैं। यह आऊटपुट यन्त्र होते हैं। इसकी आऊटपुट स्थाई होती है। इसको लम्बे समय तक सम्भाल कर रखा जा सकता है। बाज़ार में विभिन्न आकार तथा रफ्तार के प्रिंटर उपलब्ध हैं। यह ब्लैक एंड ह्वाइट या रंगीन दोनों प्रकार के होते हैं।
आमतौर पर प्रिंटर तीन प्रकार के होते हैं
1. डाटमैट्रिक्स
2. इंकजैट
3. लेज़र।
(i) डाटमैट्रिक्स प्रिंटर-इसमें आगे पीछे तथा ऊपर नीचे घूमने वाला प्रिंट हैड होता है। प्रिंट हैड तेज़ गति से कागज़ पर छपाई करता है। यह बिंदुओं के मेल से छापते हैं। यह सस्ते होते हैं। यह धीरे चलते हैं। यह काम करते वक्त आवाज़ पैदा करते हैं। इनमें छपाई अच्छी नहीं होती।
(ii) इंकजेट प्रिंटर-यह कागज पर स्याही की बूंदें गिरा कर छपाई करते हैं। यह रंगीन भी होते हैं। ये प्रिंटर सस्ते होते हैं। ये काम करते समय आवाज़ नहीं करते। ये डाट मैट्रिक्स से तेज होते हैं। इनकी क्वालिटी डाटमैट्रिक्स से बढ़िया होती है। इनकी मदद से हम तस्वीरें भी छाप सकते हैं।
(iii) लेज़र प्रिंटर-ये इलैक्ट्रोस्टैटिक डिजीटल प्रिंटर होते हैं। ये लेज़र वीम की मदद से छपाई करते हैं। ये ब्लैक एंड ह्वाइट तथा रंगीन दोनों प्रकार के होते हैं। इनकी कीमत ज्यादा होती है तथा छपाई की गति काफी तेज़ होती है।
प्लॉटर (Plotter) –
प्लॉटर काफ़ी बड़े आकार के आऊटपुट को छापते हैं। ये प्रिंटर की तरह ही काम करते हैं परन्तु बहुत बड़े आकार में। इनका प्रयोग CAD (Computer Aided Design) में किया जाता है। ये प्रिंटर से महंगे होते हैं। इनका प्रयोग इंजीनियरिंग तथा एड प्रिंटिंग में होता है। प्लॉटर आमतौर पर आर्किटेक्ट तथा डिजाइनरों द्वारा प्रयोग किए जाते हैं। इनका मुख्य उपयोग नक्शों को बड़े आकार में प्रिंट करने के लिए किया जाता है। आजकल प्लॉटर का उपयोग बड़ी प्लास्टिक शीट पर प्रिंटिंग करने के लिए भी किया जाता है जिसमें अक्सर किसी उत्पाद के बारे में जानकारी दी जाती है। प्लॉटर निम्न प्रकार के होते हैं।
1. ड्रम प्लॉटर (Drum Plotter)
2. फ्लैट बैड प्लॉटर (Flat Bed Plotter)
3. इन जेट प्लॉटर (Inkjet Plotter)
1. ड्रम प्लॉटर (Drum Plotter)-ड्रम प्लॉटर ड्रम होता है। जिसकी सहायता से प्रिंटिंग की जाती है। इस ड्रम को पेज पर आगे पीछे घुमा कर वर्टिकल मोशन बनाया जाता है। इसके साथ ही इस प्लॉटर में एक या एक से ज्यादा पेन लगे होते हैं यह पैन उस ड्रम पर चलकर होरिजोंटल लाइनें बनाते हैं। इन लाइनों के मेल से आवश्यकतानुसार डिजाइन तथा ग्राफ बनाए जा सकते हैं। ड्रम तथा पेन की मूवमेंट को कम्प्यूटर द्वारा कंट्रोल किया जाता है। हर एक पेन अपने आप में स्वतन्त्र रूप से चलने लायक होता है। ये अलग-अलग फोल्डर में लगे होते हैं तथा इनसे रंगीन डिजाइन भी तैयार किए जा सकते हैं।
2. फ्लैट बैड प्लॉटर (Flat Bed Plotter)-फ्लैट बैड प्लॉटर में एक फ्लैट बैड टेबल होता है जिसके ऊपर प्रिंट होने वाली सीट बिछाई जाती है। इस प्लाट में कागज़ घूमता नहीं है। इसमें पेन होल्डिंग यंत्र की आवश्यकता अनुसार घुमाया जाता है। इसके लिए पेन होल्डिंग तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसमें विभिन्न रंगों वाले पेन लगे होते हैं जो कि एक रंगीन डिजाइन तैयार करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इस प्लॉटर में प्रिंट होने वाली सीट का आकार A4 कागज से लेकर 50 फुट जहां उससे भी ज्यादा हो सकता है।
3. इंकजेट प्लॉटर (Inkjet Plotter)-इंकजेट प्लॉटर इंकजेट प्रिंटर की तरह ही इंकजेट टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हैं। यह प्लॉटर रंगीन होते हैं तथा स्याही के छिड़काव से डिजाइन तथा तस्वीरें तैयार करते हैं। यह प्लॉटर बाकी किस्म के प्लॉटर से ज्यादा तेज़ गति से कार्य करते हैं।
प्रोजैक्ट (Projector)
प्रोजैक्ट स्क्रीन पर दिखाई देने वाली जानकारी को बड़ा कर दीवार या परदे पर दर्शाते हैं। प्रोजैक्टर का प्रयोग मीटिंग या क्लासरूम में प्रेजेन्टेशन देने में होता है। इससे हम सूचना को ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकते हैं। इन सबके अलावा कुछ यन्त्र ऐसे भी होते हैं जो इनपुट तथा आऊटपुट दोनों के लिए प्रयोग होते हैं।
- डिजिटल कैमरा
- पैन ड्राइव
- CD/DVD
- मॉडम
- फैक्स आदि।
इनपुट तथा आऊटपुट यंत्रों में अंतर (Difference between Input and output Devices)
इनपुट तथा आऊटपुट यंत्रों में निम्न अंतर होते हैं।
इनपुट | आऊटपुट |
(i) इन यंत्रों का उपयोग में डाटा इनपुट करने प्राप्त करने के लिए किया जाता है। | (i) इन यंत्रों का उपयोग कम्प्यूटर से नतीजा के लिए किया जाता है। |
(ii) इनपुट करने के बाद डाटा प्रोसेसिंग होती है। | (ii) डाटा प्रोसेसिंग के बाद आऊटपुट प्राप्त होता है। |
(iii) ये यंत्र काफी बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं। | (iii) यह यंत्र ज्यादा मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं। |