Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 1 प्रार्थना Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 1 प्रार्थना (2nd Language)
Hindi Guide for Class 6 PSEB प्रार्थना Textbook Questions and Answers
प्रार्थना अभ्यास
1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें –
- ਬੱਚੇ = बच्चे
- ਅੱਗੇ = आगे
- ਦੁੱਖ = दु:ख
- ਪਿੱਛੇ = पीछे
- ਆਗਿਆ = आज्ञा
- ਖੁਸ਼ਹਾਲੀ = खुशहाली
- ਗੁਰੂ = गुरु
- ਕੀਰਤੀ = कीर्ति
उत्तर :
विद्यार्थी देवनागरी लिपि में लिखे गए हिन्दी शब्दों को अपनी उत्तर पुस्तिका (कापी) में लिख कर अभ्यास करें।
2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें –
- ਨਾਸਮਝ = नादान
- ਮਿੱਤਰ = बलि-बलि जाएँ
- ਸਦਾ = सखा
- ਬੜਾਈ = शान
- ਬਲਿਹਾਰੀ ਜਾਣਾ = हमेशा
- ਸ਼ੋਭਾ = चहुँ ओर
- ਚਹੁੰ ਪਾਸੇ = कीर्ति
उत्तर :
निर्देश विद्यार्थी हिन्दी भाषा में दिए शब्दों को ध्यान से पढ़ें और इन्हें अपनी उत्तर पुस्तिका (कॉपी) में लिखने का अभ्यास करें।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखें :
(क) बच्चों ने भगवान से कौन-कौन से सम्बन्ध जोड़े हैं?
उत्तर :
बच्चों ने भगवान् से अपने माता – पिता तथा भाई – बन्धु और सखा के संबंध जोड़े हैं।
(ख) बच्चे किनकी आहे मिटाना चाहते हैं?
उत्तर :
बच्चे दुखियों की आहे मिटाना चाहते हैं।
(ग) बच्चे कौन से अच्छे गुण अपने भीतर विकसित करना चाहते हैं?
उत्तर :
सबका भला करना, सबके दु:ख दूर करना, माता – पिता तथा गुरु का आदर करना जैसे अच्छे गुण बच्चे अपने भीतर विकसित करना चाहते हैं।
(घ) बच्चे पढ़-लिखकर किसकी शान बढ़ाना चाहते हैं?
उत्तर :
बच्चे पढ़ – लिखकर अपने देश की शान बढ़ाना चाहते हैं।
(ङ) बच्चे देश के कैसे भविष्य की कामना करते हैं?
उत्तर :
बच्चे देश के लिए सुन्दर भविष्य की कामना करते हुए कहते हैं कि हमारे देश में चारों ओर हरियाली हो, हर घर में खुशहाली हो और हमारा देश आगे ही आगे बढ़ता जाए।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में लिखें :
(क) बच्चे दीन-दु:खियों की सहायता कैसे कर सकते हैं?
उत्तर :
दीन – दुखियों से प्रेम करते हुए उनके दुखों, कष्टों को दूर करते हुए और उनका भला करते हुए और उनकी रक्षा करते हुए बच्चे उनकी सहायता कर सकते हैं।
(ख) देश-प्रेम पर बलि-बलि जायें, से कवि का क्या आशय है?
उत्तर :
देश – प्रेम पर बलि – बलि जायें, से कवि का अभिप्राय है कि हमें अपने देश के प्रति प्रेम की भावना रखते हए यदि उसकी रक्षा की खातिर हमें अपने प्राणों की भी बलि देनी पड़े तो हम बलिदान देंगे।
(ग) ‘होकर बड़े हम कीर्ति पायें’ से बच्चों का क्या आशय है?
उत्तर :
‘होकर बड़े हम कीर्ति पाएँ’ से बच्चों का अभिप्राय है कि हम बड़े होकर अपने अच्छे कार्यों से लोगों में यश प्राप्त करें, लोगों में हमारा मान – सम्मान हो, हमारी इज्जत बढ़े।
5. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को कविता से देखकर पूरा करें :
(क) तुम्हीं हो ____________________ हमारे,
____________________ सखा हमारे।
(ख) ____________________ पर बलि-बलि जायें,
____________________ को सदा बचायें।
(ग) ____________________ हम खेलें खायें,
उत्तर :
भारत देश की शान बढ़ायें।
(क) तुम्ही हो माता – पिता हमारे,
भाई – बन्धु सखा हमारे।
(ख) देश – प्रेम पर बलि – बलि जायें,
दीन – दुखी को सदा बचायें।
(ग) पढ़े – लिखे हम खेलें खायें,
भारत देश की शान बढ़ायें।
ऊपर लिखित काव्य-पंक्तियों में माता-पिता, भाई-बन्धु, देश-प्रेम, दीन-दुःखी, पढ़े-लिखें शब्द युग्म (जोड़े) के रूप में प्रयोग हुये हैं। इन शब्द-युग्मों को उदाहरण के अनुसार लिखें: –
माता-पिता = माता और पिता
माइ-बन्धु = ____________________
देश-प्रेम = ____________________
दीन-दुःखी = ____________________
पढ़े-लिखें = ____________________
उत्तर :
(i) माता – पिता = माता और पिता।
(ii) भाई – बन्धु = भाई और बन्धु।
(iii) देश – प्रेम = देश और प्रेम।
(iv) दीन – दुखी = दीन और दुखी।
(v) पढ़े – लिखें = पढ़ें और लिखें।
6. बहुवचन बनायें :
कदम = कदमों
दु:खी = दुखियों
घर = ____________________
भाई = ____________________
प्राण = ____________________
उत्तर :
(i) कदम = कदमों।
(ii) दुःखी = दुखियों।
(iii) घर = घरों।
(iv) प्राण = प्राणों।
(v) भाई = भाइयों।
7. समान तुक वाले शब्द ढूँढ़कर उपयुक्त स्थान पर लिखें :
भगवान = नादान
मानें = ____________________
चाहें = ____________________
हरियाली = ____________________
खुशहाली = ____________________
बुराई = ____________________
लड़ाई = ____________________
उत्तर :
(i) भगवान = नादान।
(ii) माने = जानें।
(iii) चाहें = आहे।
(iv) हरियाली = खुशहाली।
(v) लड़ाई = बुराई।
(vi) जायें = पायें।
8. ‘भलाई’ में मूल शब्द ‘भला’ है। इसी प्रकार मूल शब्द अलग करें :
दुःखी = ____________________
हरियाली = ____________________
लड़ाई = ____________________
खुशहाली = ____________________
बुराई = ____________________
आहे = ____________________
उत्तर :
शब्द मूल – शब्द
(i) दुःखी = दु:ख।
(ii) हरियाली = हरा।
(ii) लड़ाई = लड़।
(iv) खुशहाली = खुशहाल।
(v) बुराई = बुरा।
(vi) आहे = आह।
9. वाक्य बनाओ
प्रेम आहे बुराई शान खुशहाली
उत्तर :
(i) प्रेम – हमें सबसे प्रेम करना चाहिए।
(ii) आहे – हम दीन – दुखियों की आहे मिटायेंगे।
(iii) बुराई – हमें बुराई से दूर रहना चाहिए।
(iv) शान – – – – हम बच्चे देश की शान हैं।
(v) खुशहाली – – सब घरों में खुशहाली हो।
10. ‘ईश्वर’ को भगवान भी कहते हैं। परमेश्वर, प्रभु, परमपिता सब इसी के नाम हैं। नीचे लिखे शब्दों के लिए अन्य क्या-क्या नाम हो सकते हैं? सोचकर लिखें : –
माता = ____________________
पिता = ____________________
भाई = ____________________
सखा = ____________________
गुरु = ____________________
उत्तर :
(i) माता = जननी, माँ, मातृ
(ii) पिता = जनक, पितृ, बाप।
(iii) भाई = सहोदर, भ्रातृ, बन्धु।
(iv) सखा = मित्र, दोस्त, यार।
(v) दुःख = कष्ट, विपदा, पीड़ा।
(vi) गुरु = शिक्षक, ज्ञानदाता, अध्यापक।
11. सोचिये और लिखिये
(क) बच्चे अपने देश की खुशहाली के लिए क्या-क्या कर सकते हैं?
उत्तर :
बच्चे देश के भावी कर्णधार हैं। वे देश का भविष्य हैं। अतः देश की उन्नति, प्रगति और विकास में उनका योगदान भी अपेक्षित है। बच्चे देश की खुशहाली के लिए अनेक प्रयास कर सकते हैं और कुछ नहीं तो वे अपने आस – पास के वातावरण को स्वच्छ रखने में अपना योगदान दे सकते हैं। गरीब बच्चों को अपने खिलौने दे सकते हैं, जिससे वे अब नहीं खेला करते। इससे गरीब बच्चों के चेहरों पर न केवल खुशी की लहर आ जाएगी बल्कि वे भी अपना बचपन अच्छी प्रकार से बच्चों के साथ ही बिता सकेंगे।
(ख) यह एक प्रार्थना गीत है। इसी प्रकार का एक अन्य प्रार्थना गीत लिखिये और प्रार्थना सभा में सुनायें।
उत्तर :
प्रार्थना –
हम बच्चे नादान हैं,
करते तेरा ध्यान हैं।
तू सर्वदा महान् है,
देता सबको ज्ञान है।
तेरा महान् तेज़ है
छाया हुआ सभी स्थान
सृष्टि की वस्तु – वस्तु में
तू हो रहा है दीप्यमान।
12. नये शब्द बनायें
संयुक्त व्यंजन – शब्द – नया शब्द
श्+ व = श्व = ईश्वर = ____________________
च् + च = च्च = बच्चे = ____________________
म् + ह = म्ह = तुम्हीं = ____________________
न् + ध = न्ध = बन्धु = ____________________
उत्तर :
ऊपर दिये शब्दों में खड़ी पाई (1) हटाकर संयुक्त शब्द बनाये गये हैं। आपकी पाठ्य-पुस्तक में वर्णमाला की पुनरावृत्ति करवायी गयी है। उसे दोबारा याद करो और नीचे खड़ी पाई वाले व्यंजन लिखो :
उत्तर :
अध्यापन निर्देश :
अध्यापक बच्चों को बताये कि आप पिछली कक्षाओं में पढ़ चुके हैं कि प्रत्येक व्यंजन में ‘अ’ स्वर मिला होता है। जब किसी व्यंजन को ‘अ’ रहित दिखाना हो तो उसके नीचे हलन्त चिहन () लगता है। जब किसी व्यंजन को किसी दूसरे व्यंजन से जोड़ दिया जाता है, तो संयुक्त व्यंजन बनता है। जैसे ऊपर दिये शब्दों ईश्वर, बच्चे, तुम्हीं, बन्धु में क्रमशः श्, च्, म्, न्, आधे व्यंजन हैं। इन सभी व्यंजनों के अन्त में खड़ी पाई (I) लगी है। खड़ी पाई हटाकर जब हम व्यंजन को अगले व्यंजन के साथ जोड़ते हैं, तब संयुक्त रूप बनता है।
जब एक ही व्यंजन दो बार प्रयोग में आता है तो उसे द्वित्व व्यंजन कहते हैं। जैसे ‘बच्चे’ शब्द में ‘च’ व्यंजन दो बार एक बार आधा और एक बार पूरा आया है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
सब बच्चे कैसे हैं ?
(क) नादान
(ख) अरमान
(ग) परवान
(घ) होशियार।
उत्तर :
(क) नादान
प्रश्न 2.
बच्चों के भाई, बंधु, माता-पिता कौन हैं ?
(क) परिवार वाले
(ख) ईश्वर
(ग) सरस्वती माँ
(घ) ब्रह्मा।
उत्तर :
(ख) ईश्वर
प्रश्न 3.
बच्चों को किनका आदर करना चाहिए ?
(क) गुरु का
(ख) मित्र का
(ग) सखी का
(घ) पड़ोसी का।
उत्तर :
(क) गुरु का
प्रश्न 4.
बच्चे बड़े होकर क्या पाने की कामना करते हैं ?
(क) कीर्ति
(ख) फुर्ती
(ग) नीति
(घ) प्रीति।
उत्तर :
(क) कीर्ति
प्रश्न 5.
‘प्रार्थना’ कविता के आधार पर बताएं कि बच्चे पढ़-लिखकर किसकी शान
बढ़ाना चाहते हैं ?
(क) माता-पिता की
(ख) देश की
(ग) गुरु जनों की
(घ) दीन दुःखियों की।
उत्तर :
(ख) देश की
प्रार्थन Summary in Hindi
बच्चे ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि वे सब बच्चे तो नादान हैं। ईश्वर ही उनके माता – पिता, भाई – बन्धु और सखा हैं। हम सब दूसरों से प्रेम करते रहें। उन का भला करते रहें जिससे दुनिया के दुःख – दर्द मिट सकें। हम माता – पिता का कहना माने और गुरुओं का आदर करें। देश के प्रति अर्पित हो जाने की भावना हम में हो। हम सदा दीन – दुखियों की रक्षा करें। हम सदा आगे बढ़ते रहें पर कभी किसी से लड़ाई – झगड़ा न करें।
पद्यांशों के सरलार्थ-
1. हे ईश्वर, हे भगवान्।
हम सब बच्चे हैं, नादान।
तुम्ही हो माता – पिता हमारे,
भाई – बन्धु सखा हमारे।
शब्दार्थ :
नादान = नासमझ, अज्ञानी।
बन्धु = मित्र – सम्बन्धी।
सखा = मित्र।
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित ‘प्रार्थना’ नामक कविता में से लिया गया है। बच्चे भगवान् से प्रार्थना करते कह रहे हैं कि –
सरलार्थ – हे ईश्वर! हे भगवान्! हम सब छोटे – छोटे बच्चे नादान और नासमझ हैं। आप ही हमारे माता – पिता हो। हमारे भाई, सगे सम्बन्धी और मित्र भी आप ही हो।
भावार्थ – बच्चों ने ईश्वर को ही अपना सब कुछ माना है।
2. करें सभी से प्रेम सदा हम,
करें सभी के दुःख दूर हम।
सब का भला हमेशा चाहें।
मिटा सकें दुःखियों की आहे।
शब्दार्थ :
प्रेम = प्यार।
सदा = हमेशा।
दुःख = कष्ट, तकलीफ।
दुःखियों = दुखी लोगों।
आहे = दर्द, पीड़ाएँ।
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक की कविता ‘प्रार्थना’ से लिया गया है। इसमें बच्चे भगवान् से प्रार्थना करते हुए कहते हैं –
सरलार्थ – हम भारत के बच्चे हमेशा सभी से प्यार करें। हम सभी के दुःख – दर्द दूर करें (अपना सहयोग देकर)। हम हमेशा सब का भला चाहें, किसी का बुरा न करें। हम दुखी लोगों के दर्द को मिटा सकें, यही हमारी इच्छा है।
भावार्थ – बच्चों ने सबके सुख की कामना करते हुए दीन – दुखियों के कष्टों को दूर करने की इच्छा प्रकट की है।
बंदर छ: कंगन कंघा आँख मंजन प्रात: सूंड बैंगन कंचन दुःख प्रातः बिंदु होंठ अतः खंभा सौंफ चिंगारी खंबी, दाँत साँप काँच मेंहदी बाँध टाँग
मानक हिन्दी वर्णमाला
अनुस्वार : (अं)
अनुनासिक चिह्न :
विसर्ग : : (अ)
व्यंजन :
हल चिह्न : ( , )
बनावट के आधार पर वर्गों की पहचान
3. माता – पिता की आज्ञा मानें,
गुरु का आदर करना जानें।
देश – प्रेम पर बलि – बलि जाएँ,
दीन – दुखी को सदा बचाएँ।
शब्दार्थ :
आज्ञा = आदेश।
गुरु = शिक्षक, अध्यापक।
आदर = इज्जत।
देश – प्रेम = देश से प्यार।
बलि – बलि = बलिहारी।
दीन – दुखी = पीड़ित और दुखी।
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक की कविता ‘प्रार्थना’ से लिया गया है। इसमें बच्चे भगवान से प्रार्थना करते हुए कहते हैं –
सरलार्थ – हम भारत के बालक अपने माँ – बाप के आदेशों का पालन करें। हम गुरुजनों की इज्जत करना सीखें। हम देश प्यार पर बलिहारी जाएँ। देश से प्यार करें या देश पर बलिदान होने वालों पर बलिहारी जाएँ। हम हमेशा दीन – दुखियों को दुःखों से बचाएँ।
भावार्थ – बच्चों ने सद्विचारों को पाने और दीनों पर दया करने की हिम्मत पाने की प्रार्थना की है।
4. आगे कदम बढ़ाते जाएँ,
कभी न पीछे हटने पाएँ।
करें किसी से नहीं लड़ाई,
करें किसी की नहीं बुराई।
शब्दार्थ :
कदम = पग, पाँव।
लड़ाई = झगड़ा।
बुराई = निन्दा।
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ की कविता ‘प्रार्थना’ से लिया गया है। इसमें बच्चे भगवान् से प्रार्थना करते हुए कहते हैं –
सरलार्थ – हम भारत के बालक अपने कदम आगे बढ़ाते (उन्नति करते) जाएँ। हम कभी भी पीछे न हटने पाएँ। अपनी मंजिल से पीछे न हों। हम आपस में प्यार से रहें, किसी से लड़ाई – झगड़ा न करें। हम न ही किसी की निन्दा चुगली और बुराई करें।
भावार्थ – बच्चों ने लड़ाई – झगड़ों से बचकर सदा आगे बढ़ने की इच्छा व्यक्त की है।
5. पढ़े – लिखें – हम खेलें खाएँ,
भारत देश की शान बढ़ाएँ।
इसका मान न घटने पाए।
चाहे प्राण भले ही जाएँ।
शब्दार्थ :
पढ़े – लिखें = पढ़ाई – लिखाई करें।
शान = बड़प्पन, इज्जत।
मान = सम्मान। प्राण = जान।
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ की कविता ‘प्रार्थना’ से लिया गया है। इसमें बच्चे भगवान् से प्रार्थना करते हुए कहते हैं –
सरलार्थ – हम भारत के बालक खूब पढ़ाई – लिखाई करें। हम खूब खेलें – कूदें और खाएँ – पीएँ। हम अपने देश भारत की शान को बढ़ाएँ। हम ऐसे काम करें जिससे इसकी इज्जत घटने न पाए। इसके लिए भले ही हमारी जान क्यों न चली जाए।
भावार्थ – अपने देश की मान – मर्यादा को बढ़ाने की प्रार्थना की है।
6. फैले चहुँ ओर हरियाली,
सब के घर में हो खुशहाली
देश हमारा बढ़ता जाए,
होकर बड़े कीर्ति हम पाएँ।
शब्दार्थ :
चहुँ = चारों।
हरियाली = हरा – भरा होना।
खुशहाली = समृद्धि।
बढ़ता जाए = तरक्की करता जाए।
कीर्ति = यश।
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ की कविता ‘प्रार्थना’ से लिया गया है। इसमें बच्चे भगवान् से प्रार्थना करते हुए कहते हैं –
सरलार्थ – भारत के बालक भगवान् से प्रार्थना करते हैं कि देश में चारों ओर हरियाली फैल जाए। सब भारतवासियों के घरों में खुशहाली छा जाए। सभी धनवान् और सुखी हों। हमारा देश उन्नति करता जाए। हम भारत के बालक बड़े होकर यश प्राप्त करें।
भावार्थ – बच्चों ने देश की मान – मर्यादा और यश में वृद्धि की कामना की है।