Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 13 काश! मैं भी Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 13 काश! मैं भी (2nd Language)
Hindi Guide for Class 6 PSEB काश! मैं भी Textbook Questions and Answers
काश! मैं भी अभ्यास
1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:
उत्तर :
विद्यार्थी इन हिन्दी शब्दों को अपनी उत्तर पुस्तिका (कॉपी) पर लिखने का अभ्यास करें।
2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :
उत्तर :
विद्यार्थी ऊपर लिखे गए इन हिन्दी शब्दों को अपनी उत्तर :पुस्तिका (कॉपी) में लिखने का अभ्यास करें।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :
(क) कवयित्री सीमा पर जाकर किससे युद्ध करना चाहती है?
उत्तर :
कवयित्री सीमा पर जाकर दुश्मनों से युद्ध करना चाहती है।
(ख) वह कैसे शहीद होना चाहती है?
उत्तर :
वह देश की रक्षा करते हुए लड़ते – लड़ते शहीद होना चाहती है।
(ग) वह अपने हाथों में कैसे हथियार सजाना चाहती है?
उत्तर :
वह अपने हाथों में तोपों और बन्दूकों के हथियार सजाना चाहती है।
(घ) वह किस घाटी का पत्थर बनना चाहती है?
उत्तर :
वह कारगिल की घाटी का पत्थर बनना चाहती है।
(ङ) वह अपनी जीवन कैसे सफल बनाना चाहती है?
उत्तर :
वह देश रक्षा करने वाले शहीदों को सलाम कर अपना जीवन सफल बनाना चाहती है।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :
(क) ‘चाँदनी की उन रातों को अंधियारी कर पाती’ में कवयित्री क्या कहना चाहती है?
उत्तर :
कवयित्री कहना चाहती है कि तोपों और बन्दूकों से मैं इतने गोले दुश्मनों पर बरसाती कि चाँदनी रातों में भी उन्हें हर तरफ अन्धकार ही अन्धकार नज़र आता।
(ख) वह कारगिल की घाटी का ही पत्थर क्यों बनना चाहती है?
उत्तर :
वह कारगिल की घाटी का ही पत्थर इसलिए बनना चाहती है क्योंकि इस स्थान पर अनेक भारतीयों ने देश रक्षा की खातिर अपने प्राणों की आहुति दी है।
(ग) वह अपने जीवन की सफलता किसमें मानती है?
उत्तर :
वह देश – रक्षा करते हुए अपने प्राणों को न्योछावर करने में ही जीवन की सफलता मानती है।
5. वाक्यों में प्रयोग करें :
- दुश्मन
- शहीद
- सीमा
- चाँदनी
- इतिहास
उत्तर :
- दुश्मन – दुश्मन ने छिप कर वार किया।
- शहीद – देश – रक्षा करते हुए हमारे कई जवान शहीद हुए।
- सीमा – सैनिक सीमा पर पहरा दे रहे हैं।
- चाँदनी – चाँदनी रात में ताजमहल बहुत ही सुन्दर लगता है।
- इतिहास – मुझे इतिहास पढ़ना अच्छा लगता है।
6. बहुवचन रूप लिखें :
एकवचन – बहुवचन
- दुश्मन = दुश्मनों
- हथियार = _________________
- तोप = _________________
- पत्थर = _________________
- बंदूक = _________________
- शहीद = _________________
उत्तर :
एकवचन – बहुवचन
- दुश्मन – दुश्मनों
- हथियार – हथियारों
- तोप – तोपों
- पत्थर – पत्थरों
- बन्दूक – बन्दूकों
- शहीद – शहीदों।
7. पढ़ो और जानो :
शहीद = शहादत
अंधियारा = अंधियारी
अमर = अमरत्व
पत्थर = पथरीला
इतिहास = ऐतिहासिक
जीवन = जीवित
उत्तर :
उपरोक्त सभी शब्द भाववाचक संज्ञा शब्द हैं।
8. काश! मैं भी सीमा पर जाकर [ , ]
दुश्मन से लड़ पाती [ । ]
बॉक्स में दिये चिह्नों को ध्यान से देखो।
( ! ) विस्मयादि बोधक चिह्न है। इसे सम्बोधन चिहन भी कहते हैं। इसे किसी को बुलाने वाले शब्द के बाद लगाया जाता है।
(।) यह पूर्ण विराम चिह्न है । इसे वाक्य के अन्त में लगाया जाता है।
( , ) यह अल्प विराम चिह्न है। ‘अल्प’ का अर्थ है- थोड़ा। जहाँ थोड़े समय के लिए रुकना हो, वहाँ इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
9. नये शब्द बनाओ :
- दुश्मन = श्म = ____________, ____________
- पत्थर = स्थ = ____________, ____________
उत्तर :
- दुश्मन = श्म = चश्मा, करिश्मा।
- पत्थर = स्थ = जत्था, कत्थक।
जानो
- 1947-48 में भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ। जिसमें भारत दो भागों में बंट गया : भारत और पाकिस्तान।
- 1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ।
- 1965 में फिर भारत-पाकिस्तान के मध्य युद्ध हुआ। उस समय भारत के प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी थे।
- 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
- 1999 में पाकिस्तान के साथ कारगिल क्षेत्र में यदध हआ। यह युद्ध 27 मई 1999 से 26 जुलाई 1999 तक चला। पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जा करने के लिए यह षड्यन्त्र रचा लेकिन भारतीय सेना ने उस अत्यन्त कठिन व दर्गम क्षेत्र में अदम्य वीरता से पाकिस्तानी मंसूबों को चकनाचूर कर दिया। यह ‘आप्रेशन विजय’ के नाम से जाना जाता है। कारगिल के शहीदों की स्मृति में प्रतिवर्ष 26 जुलाई को ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कवयित्री सीमा पर जाकर किससे युद्ध करना चाहती है ?
(क) दुश्मनों से
(ख) कवियों से
(ग) लेखकों से
(घ) शेरों से।
उत्तर :
(क) दुश्मनों से
प्रश्न 2.
कवयित्री किस घाटी का पत्थर बनना चाहती है ?
(क) हिमालय की
(ख) शिवालिक की
(ग) कारगिल की
(घ) पंजाब की।
उत्तर :
(ग) कारगिल की
प्रश्न 3.
कवयित्री किन्हें सलाम कर जीवन सफल बनाना चाहती है ?
(क) शहीदों को
(ख) सैनिकों को
(ग) वीरों को
(घ) देशवासियों को।
उत्तर :
(क) शहीदों को
प्रश्न 4.
भारत-पाकिस्तान युद्ध कब हुआ ?
(क) 1947-48 में
(ख) 1948-49 में
(ग) 1949-50 में
(घ) 1950-51 में।
उत्तर :
(क) 1947-48 में
प्रश्न 5.
भारत-चीन युद्ध कब हुआ ?
(क) 1961 में
(ख) 1962 में
(ग) 1963 में
(घ) 1964 में।
उत्तर :
(ख) 1962 में
काश! मैं भी Summary in Hindi
काश! मैं भी कविता का सार
कवयित्री इच्छा व्यक्त करती है कि कभी उसे भी सीमा पर जाकर दुश्मन से लड़ने का मौका मिल पाता। वह भी देश की रक्षा के लिए शहीद हो पाती। वह तोपों – बंदूकों के हथियार सजा पाती और अंधेरी रातों में तोप के गोलों से उजाला कर पाती। वह स्वयं तोप का गोला बनकर कारगिल की घाटी में एक पत्थर बन जाती। वह अमर शहीदों को प्रणाम कर पाती।
काश! मैं भी पद्यांशों के सरलार्थ
1. काश! मैं भी सीमा पर जाकर,
दुश्मन से लड़ पाती।
काश! मैं भी यूँ लड़ते – लड़ते,
अमर शहीद हो जाती।
प्रसंग – यह पद्यांश बिमला देवी द्वारा रचित ‘काश! मैं भी’ नामक कविता से लिया गया है। इस कविता में कवयित्री ने देश के लिए अपना बलिदान देकर अमर होने की बात कही है।
सरलार्थ – इन पंक्तियों में कवयित्री अपनी देश – प्रेम की भावना को व्यक्त कर रही है। कवयित्री कहती है कि काश! मैं भी अन्य सैनिकों की तरह देश – रक्षा के लिए भारत की सीमा पर जाकर दुश्मन से लड़ती और देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों को भी न्योछावर कर देती और ‘शहीद’ कहलाती।
भावार्थ – कवयित्री देश के लिए अपना बलिदान देकर अमर होना चाहती है।
2. काश! मैं भी तोपों बन्दूकों,
के हथियार सजाती। काश!
मैं भी अमर होकर,
नया इतिहास रचाती।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘काश! मैं भी’ से ली गई हैं। इसकी कवयित्री बिमला देवी हैं। इस कविता में कवयित्री ने देश के लिए अपना बलिदान देकर अमर होने की बात कही है।
सरलार्थ – इन पंक्तियों में कवयित्री अपनी देश – प्रेम की भावना को व्यक्त कर रही है। कवयित्री कहती है कि काश! मैं भी तोपों ओर बन्दूकों के हथियार अपने साथ सजाकर दुश्मनों से लड़ने जाती और देश रक्षा की खातिर कुर्बान होकर अमर हो जाती और एक नया इतिहास रचती।
भावार्थ – कवयित्री सैनिकों की तरह इतिहास रचने की कामना करती है।
3. काश ! चाँदनी की उन रातों,
को अंधियारी कर पाती। काश !
तोप के मुंह से निकला,
मैं गोला बन जाती।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘काश! मैं भी’ से ली गई हैं। इसकी कवयित्री बिमला देवी हैं। इस कविता में कवयित्री ने देश के लिए अपना बलिदान देकर अमर होने की बात कही है।
सरलार्थ – कवयित्री कहती है कि काश! दुश्मन की चाँदनी रातों को मैं अन्धकार में बदल देती। काश! तोपों के गोलों के स्थान पर मैं स्वयं गोले में से निकलकर दुश्मनों का नाश करती।
भावार्थ – कवयित्री तोप के गोले की तरह स्वयं को देश की रक्षा के लिए मिटा देने की इच्छा करती है।
4. काश ! कारगिल की घाटी का,
इक पत्थर बन जाती।
अमर शहीदों को सलाम कर,
जीवन सफल बनाती।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘बिमला देवी’ द्वारा रचित ‘काश! मैं भी’ नामक कविता से ली गई हैं। इसमें कवयित्री ने देश के लिए अपना बलिदान देकर अमर होने की बात कही है।
सरलार्थ – कवयित्री कहती है कि काश! मैं कारगिल की घाटी का एक पत्थर बन जाती और देश पर जान न्योछावर करने वाले अमर शहीदों को सलाम करके अपना जीवन सफल बनाती।
भावार्थ – कवयित्री देश के रखवालों को प्रणाम करने की कामना करती है।