Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 तीन प्रश्न Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 18 तीन प्रश्न
Hindi Guide for Class 6 तीन प्रश्न Textbook Questions and Answers
भाषा-बोध (प्रश्न)
1. शब्दों के अर्थ ऊपर दिये जा चुके हैं।
विख्यात = मशहूर
आशंका = शंका होना
ढिंढोरा पीटना = सभी को जानकारी देना
सम्मति = सहमति
रुधिर = रक्त, खून
अस्फुट शब्द = टूटे- फूटे शब्द
अपहृत = छीन ली, ले ली
कंदरा = गुफा
कुदाली = फावड़ा
स्त्राव = प्रवाह
रक्षक = रक्षा करने वाला
2. कोष्ठक में दिए गए शब्दों में सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
(क) साधु ने राजा को देखकर उसका …………… किया। (स्वागत, अपमान)
(ख) राजा ने घायल आदमी को ………….. पानी पिलाया। (ताज़ा, गंदा)
(ग) जब राजा साधु की कुटी के सामने पहुंचा तब वह ………………… रहा था। (नहा, धरती गोड़)
उत्तर:
(क) स्वागत
(ख) ताज़ा
(ग) धरती गोड़
3. लिंग बदलें
1. साधु = ………………..
2. पंडित = ………………..
3. आदमी = ………………….
4. राजा = …………………….
उत्तर:
1. साधु – साध्वी
2. पंडित – पंडिताइन
3. आदमी – औरत
4. राजा – रानी
4. समानार्थक लिखिए
1. कर्तव्य = ……………….
2. शुश्रूषा = ……………..
3. स्राव = ………………..
4. पंडित = …………………
5. व्यतीत = ………………….
6. निश्चित = ………………….
7. भविष्य = …………………
8. निर्णय = ……………………
उत्तर:
समानार्थक शब्द
1. कर्तव्य = फर्ज
2. शुश्रुषा = सेवा
3. स्राव = प्रवाह/बहाव
4. पंडित = विद्वान्
5. व्यतीत = बिताना
6. निश्चित = सही समय
7. भविष्य = आने वाला समय
8. निर्णय = फैसला
5. शुद्ध रूप लिखें
1. अपहिरत = ……………….
2. कारयक्रम = ………………
3. नीरधारित = …………………
4. वयतीत = ………………..
5. सूर्यासत = ………………..
6. मूरछित = ………………..
उत्तर:
अशुद्ध रूप शुद्ध रूप
1. अपहिरत = अपहृत
2. कारयक्रम = कार्यक्रम
3. नीरधारित = निर्धारित
4. वयतित = व्यतीत
5. सूर्यासत = सूर्यास्त
6. मूरछित = मूछित
6. साधु ने कहा-“देखो, कोई दौड़ा हुआ यहाँ आ रहा है। आओ, उसे देखें।”
-इस वाक्य में निर्देशक चिहन हैं जो वक्ता की उक्ति के आरम्भ में कहा, बोला, पूछा आदि शब्दों के आगे लगता है।
-“” उद्धरण चिह्न हैं जो बोलने वाले की उक्ति को ज्यों का त्यों लिखने पर लगाए जाते हैं।
‘,’ चिह्न अल्प विराम का है। अल्प’ का अर्थ है थोड़ा। वाक्य में जहाँ थोड़े समय के लिए रुकना पड़े वहाँ अल्प विराम चिह्न लगता है। इसके अतिरिक्त एक ही प्रकार के शब्दों, क्रियाओं, वाक्यांशों के मध्य, किसी के परिचय से पहले, दो वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों से पहले, वाक्यों में संबोधन से पहले, तारीख और सन् के मध्य इस चिह्न का प्रयोग होता है।
-(!) चिह्न का परिचय पहले दिया जा चुका है। इसका नाम आप स्वयं बताएं। अब नीचे लिखे वाक्यों में उचित विराम चिहन लगाएँ
1. राजा ने कहा आप थक गए हैं लाइए मुझे कुदाली दीजिए
2. राजा ने कहा मैं तुम्हें जानता भी नहीं फिर तुमने कोई अपराध भी नहीं किया जिसके लिए मैं तुम्हें क्षमा करूँ
3. साधु ने कहा देखो कोई दौड़ा हुआ यहाँ आ रहा है आओ उसे देखें
4. तुम मुझे नहीं जानते लेकिन मैं तुम्हें जानता हूँ
उत्तर:
1. राजा ने कहा, “आप थक गए हैं, लाइए मुझे कुदाली दीजिए।”
2. राजा ने कहा, “मैं तुम्हें जानता भी नहीं; फिर तुमने कोई अपराध भी नहीं किया, जिसके लिए मैं तुम्हें क्षमा करूँ।”
3. साधु ने कहा, “देखो, कोई दौड़ा हुआ यहाँ आ रहा है। आओ, उसे देखें।”
4. तुम मुझे नहीं जानते, लेकिन मैं तुम्हें जानता हूँ।
7.
(1) साधु क्यारियों में बीज बो रहा था।
(2) राजा ने शहर में ढिंढोरा पिटवाया।
(3) सूर्य वृक्षों के पीछे डूबने लगा।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘बो रहा था’ से काम का करना, ‘पिटवाया‘ से करवाना तथा ‘डूबने लगा‘ से होना प्रकट हो रहा है। अतः ये क्रिया पद हैं। अतएव वाक्य में जिस पद से किसी काम का ‘करना‘, ‘करवाना’ अथवा ‘होना‘ प्रकट हो, उसे क्रिया कहते हैं।
8. निम्नलिखित में से क्रिया-पद छाँटिए
1. उसके पेट में एक बड़ा घाव था।
2. साधु ने राजा की बातें सुनीं।।
3. वहाँ उसे बिस्तर पर लिटा दिया।
4. उस मनुष्य ने अपनी आँखें बन्द कर लीं।
उत्तर:
(1) था
(2) सुनी
(3) लिटा दिया
(4) बन्द कर ली।
9.
1. उसने पीने के लिए कुछ पानी माँगा।
2. साधु अपनी कुटी के सामने धरती गोड़ रहा था।
3. राजा सो गया। 4. वह बैठ गया।
पहले वाक्य में ‘माँगने’ का फल ‘पानी‘ पर दूसरे वाक्य में ‘गोड़ने‘ का फल ‘धरती‘ पर पड़ रहा है। अतः ‘पानी‘ और ‘धरती‘ कर्म हैं। इन पर क्रिया का फल पड़ने से माँगना और गोड़ना-ये सकर्मक क्रियाएँ हैं। तीसरे वाक्य में ‘सोने‘ और चौथे वाक्य मैं ‘बैठने’ का फल सीधा क्रमशः ‘राजा‘ और ‘वह‘ पर पड़ रहा है। इन क्रियाओं में कर्म नहीं है, अतएव ये अकर्मक क्रियाएँ हैं।
विशेष:
वाक्य में ‘क्या’, ‘किसको’ अथवा ‘किसे’ प्रश्न लगाकर यदि उत्तर हाँ में मिलता है तो क्रिया सकमर्क होगी अन्यथा अकर्मक होगी। उदाहरण : साधु अपनी कुटी के सामने धरती गोड़ रहा था। इस वाक्य में यदि प्रश्न स्वरूप क्या लगा दें तो प्रश्न होगा-साधु अपनी कुटी के सामने क्या गोड़ रहा था? उत्तर होगा-धरती। अतः धरती कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ जिसको गोड़ रहा था क्रिया की अपेक्षा है।
इसके विपरीत तीसरे वाक्य में प्रश्नस्वरूप’ क्या, किसको किसे ‘प्रश्न करें’ जैसे-राजा क्या/किसको सो गया? तो उत्तर नहीं मिलता है। अतः वाक्य में कर्म न होने के कारण यह अकर्मक क्रिया है।
10. निम्नलिखित में से सकर्मक तथा अकर्मक क्रियाएँ छाँटिए
1. राजा और साधु ने मिलकर उसके कपड़े खोले। ( )
2. उसे बिस्तर पर लिटा दिया। ( )
3. वह अपने घोड़े से उतर गया। ( )
4. राजा ने घाव पर पट्टी बाँधी। ( )
5. उसने अपने हाथ से पसीना पोंछा। ( )
उत्तर:
(1) सकर्मक
(2) अकर्मक
(3) अकर्मक
(4) सकर्मक
(5) सकर्मक
विचार-बोध म
(क)
1. राजा के मन में क्या विचार उठा ?
2. राजा ने अपने राज्य में क्या ढिंढोरा पिटवाया ?
3. राजा अपने प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए किस के पास गया ?
4. प्रत्येक कार्य को करने के लिए उचित समय कौन-सा है ?
(ख) 5. पहले प्रश्न के उत्तर में लोगों ने राजा को क्या-क्या बताया ?
6. साधु ने राजा के प्रश्नों का क्या उत्तर दिया ?
7. क्या राजा साधु के उत्तर से सन्तुष्ट हुआ ?
8. किसने राजा को अपना शत्रु बताया और क्यों ?
9. राजा ने शत्रु को क्यों क्षमा किया ?
10. संसार में मनुष्य क्यों जन्म लेता है ? साधु ने क्या बताया है ?
उत्तर:
(क)
1. राजा के मन में विचार उठा कि यदि मैं यह जान जाऊँ कि प्रत्येक कार्य को करने के लिए उचित समय कौन-सा है, तो फिर किसी कार्य में असफल होने की आशंका न रह जाए।
2. राजा ने अपने राज्य में यह ढिंढोरा पिटवाया कि जो मुझे तीन बालों की शिक्षा देगा उसे मैं बहुत बड़ा पुरस्कार दूंगा।
3. राजा अपने प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए एक साधु के पास गया।
4. प्रत्येक कार्य को करने के लिए उचित समय वर्तमान होता है।
(ख) 5. पहले प्रश्न के उत्तर में लोगों ने राजा को निम्नांकित बातें कहीं
- दिन, मास और वर्षों का कार्यक्रम निर्धारित कर लेना चाहिए।
- उचित समय के निर्धारण के लिए पण्डितों की एक समिति बनानी चाहिए।
- निर्णय तुरन्त कर लेना चाहिए, परन्तु भविष्य का ज्ञान भी हो।
6. साधु ने राजा के प्रश्नों के निम्नलिखित उत्तर दिए
- किसी कार्य को आरम्भ करने का ठीक समय वह समय है जिसमें आप जी रहे हैं अर्थात् वर्तमान काल सबसे ज़रूरी है।
- सबसे महत्त्वपूर्ण लोग वे हैं जो उस बड़ी हमारे साथ हैं।
- मानवता की सेवा करना सबसे उत्तम कार्य है।
7. राजा साधु के उत्तर से सन्तुष्ट हो गया।
8. एक दाढ़ी वाला व्यक्ति राजा का पुराना शत्रु था। उसके भाई को राजा ने फाँसी लगवा दी थी।
9. राजा ने शत्रु को इसलिए क्षमा कर दिया क्योंकि उसकी देखभाल करने से राजा के प्राण बच गए थे। राजा को घायल की देखभाल में बहुत समय बीत गया था। इसलिए वह अपनी नगरी को न लौटा।
10. संसार में मनुष्य दूसरों का उपकार करने के लिए ही जन्म लेता है। इसलिए उपकार करना ही परमावश्यक कर्त्तव्य है।
आत्म- बोध
1. अपने कर्त्तव्य को पहचानो और करो।
2. अपना कर्त्तव्य पूरा करके महान् बनने वालों की जीवनियां पढ़िए और उनसे प्रेरणा लें।
3. जैसे राजा ने शत्रु की पट्टी की ऐसे ही गुरु गोबिन्द सिंह जी के युद्ध की घटना का पता करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
बहुवैकल्पिक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रत्येक कार्य को करने के लिए सबसे उचित समय कौन-सा होता है ?
(क) वर्तमान
(ख) भविष्य
(ग) भूतकाल
(घ) निर्वतमान
उत्तर:
(क) वर्तमान
प्रश्न 2.
किसकी सेवा सबसे उत्तम कार्य है ?
(क) मानवता
(ख) दानवता
(ग) धर्म
(घ) भ्रम
उत्तर:
(क) मानवता
प्रश्न 3.
राजा अपने प्रश्नों के उत्तर के लिए किसके पास गया ?
(क) मंत्री के
(ख) दूसरे राजा
(ग) वजीर
(घ) साधु
उत्तर:
(घ) साधु
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से क्रिया शब्द चुनें :
(क) माँगना
(ख) फल
(ग) समाज
(घ) रवि
उत्तर:
(क) माँगना
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द क्रिया का उदाहरण नहीं है ?
(क) गोड़ना
(ख) बैठना
(ग) सोना
(घ) कहाँ
उत्तर:
(घ) कहाँ
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द क्रिया का उदाहरण है ?
(क) राजा
(ख) साधु
(ग) वर्तमान
(घ) उठा
उत्तर:
(घ) उठा
तीन प्रश्न Summary
तीन प्रश्न पाठ का सार
‘तीन प्रश्न’ पाठ में एक राजा के मन में आये तीन प्रश्नों के बारे में कहा गया है। उसके तीन प्रश्न थे
(1) किसी कार्य को आरम्भ करने का सबसे ठीक समय कौन-सा है ?
(2) सबसे महत्त्वपूर्ण लोग कौन हैं ?
(3) सबसे ज़रूरी काम कौन-सा है ?
राजा ने घोषणा करवाई कि जो व्यक्ति इन प्रश्नों का उत्तर देगा उसे बहुत बड़ा पुरस्कार दिया जाएगा। बड़े-बड़े विद्वान् दूर-दूर से राजा के पास आए। सब ने अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार उत्तर दिए। पहले प्रश्न के उत्तर में बहुत-से लोगों का उत्तर अलग-अलग रहा। ऐसे ही दूसरे प्रश्न के उत्तर भी अलग-अलग थे। तीसरे प्रश्न के भी जितने विद्वानों ने उत्तर दिए उन सब के अपने-अपने विचार थे। राजा को किसी भी उत्तर पर सन्तुष्टि नहीं हुई। अतः वह किसी भी विद्वान् को इनाम देने के पक्ष में नहीं था। राजा उदास रहने लगा। एक दिन राजा को पता चला कि समीप के जंगल में एक महात्मा रहते हैं, जो उच्चकोटि के ज्ञानी हैं। परन्तु वह महात्मा सीधे-सादे लोगों से ही मिलते हैं। अगली सुबह राजा सादी वेश-भूषा में महात्मा से मिलने निकल पड़ा। वहाँ पहुँच कर राजा ने महात्मा को कुटिया के बाहर क्यारियों की खुदाई फावड़े से करते देखा। राजा ने उन्हें नमस्कार किया। महात्मा का शरीर दुर्बल था। धरती में फावड़ा मारते ही उनकी साँस ज़ोर-ज़ोर से चलने लगती थी। राजा ने महात्मा से अपने तीन प्रश्नों के उत्तर देने का विनम्र निवेदन किया। महात्मा चुप रहे और फावड़ा मारते रहे। राजा ने तीनों प्रश्न कह दिए।
महात्मा ने राजा के प्रश्न सुने किन्तु उनका उत्तर नहीं दिया और स्वयं पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगे। राजा ने फावड़ा महात्मा से पकड़ कर क्यारियाँ खोदनी शुरू कर दी। दो क्यारियाँ खोदने के बाद राजा महात्मा के पास आया और उनसे प्रश्न पूछे। महात्मा ने उत्तर न देते हुए राजा से फावड़ा पकड़ाने और राजा को आराम करने को कहा। राजा ने फावड़ा नहीं दिया और फिर खोदने लगा। एक घण्टा बीता फिर दूसरा बीता और सूर्य पेड़ों के नीचे छिपने लगा। राजा को घर लौटने की चिन्ता हुई। उसने फिर महात्मा से प्रश्नों के उत्तर देने को कहा और घर जाने की आज्ञा मांगी। तभी सामने की ओर से एक आदमी भागते हुए आया। राजा ने मुड़ कर देखा तो एक दाढ़ी वाला आदमी था। राजा के समीप पहुँचते ही वह चीख कर गिर पड़ा। गिरते ही वह बेहोश हो गया। राजा और महात्मा ने उनका पेट खोल कर घाव भर दिया और उसे कुटिया के अन्दर चारपाई पर डाल दिया।
रात बहुत हो चुकी थी। राजा भी थक कर चूर-चूर हो गया था। वह चौखट का सहारा लेकर लेट गया और देखते-ही-देखते उसे गहरी नींद आ गई। अगले दिन जब राजा की आँखें खुली तो राजा ने उस व्यक्ति की ओर टकटकी लगा कर देखा तभी वह व्यक्ति धीरे से बोला मुझे क्षमा कर दो। राजा ने कहा मैं तो तुम्हें जानता भी नहीं तो माफ़ी किस बात की दूँ। घायल व्यक्ति ने कहा कि मैं आपको जानता हूँ पर आप मुझे नहीं जानते। मैं आपका वही पुराना शत्रु हूँ जिसके भाई को आपने फाँसी दे दी थी। मैं आपकी हत्या करने आया था। मुझे मालूम था कि आप महात्मा से मिलने आ रहे हैं। मैंने लौटते समय आपकी हत्या की योजना बनाई थी, परन्तु दिन पूरा हो गया तो आप नहीं लौटे। मैं अपने छिपने के स्थान से बाहर निकला तो आपके सैनिकों ने मुझे पहचान लिया और मुझे घायल कर दिया। मैं अवश्य मर जाता अगर आप मेरी देखभाल न करते। मैं आपका जीवन-भर दास बना रहूँगा। मेरे बच्चे भी आपके दास होंगे। मुझे क्षमा कर दें।
घायल व्यक्ति से विदा लेकर राजा घर जाने से पूर्व महात्मा से अन्तिम बार विदा लेने लगा। उसने तीनों प्रश्नों के उत्तर पूछे तब महात्मा ने कहा तुम्हें उत्तर तो मिल गए हैं। राजा ने कहा मैं समझा नहीं। महात्मा बोले कल जब तुम मेरी दुर्बलता पर दया करके मेरी मदद न करते तो तुम मारे जाते। तुमने मेरी मदद करने के लिए क्यारियाँ खोदी वही तुम्हारा सब से ठीक समय था। उसके बाद वह आदमी भागा-भागा तुम्हारे पास आ कर गिर पड़ा। तुमने उसका इलाज किया। वही आदमी सबसे महत्त्वपूर्ण था जिसकी तुमने जान बचाई। उसकी जान बचाना सबसे आवश्यक कार्य था। अतः तुम्हें अपने तीनों प्रश्नों के उत्तर मिल गए।
कठिन शब्दों के अर्थ:
अनुकूल = पक्ष में रहने वाला। स्थिति = हालत। विख्यात = मशहूर। कुटिया = झोंपड़ी। पुरोहितों = कुल गुरुओं। ज्योतिषियों = ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता। महत्त्वपूर्ण = महत्ता से युक्त, विशेष। चिकित्सा = इलाज। अंगरक्षक = रक्षा करने वाला। सेवादार = सेवा करने वाला। पश्चात्ताप = पछतावा। सन्तुष्टि = तसल्ली। महात्मा = महान् आत्मा वाला। दुर्बल = कमज़ोर।