PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 22 आत्म बलिदान

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 22 आत्म बलिदान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 22 आत्म बलिदान

Hindi Guide for Class 6 आत्म बलिदान Textbook Questions and Answers

भाषा- बोधन

1. शब्दार्थ:
उत्तर:
शब्दों के अर्थ पाठ के आरम्भ में दिए गए हैं।

चर- अचर = जड़ और चेतन
धूर्त = छली, कपटी
मूसलाधार = तेज बारिशा
पर्णकुटी = पत्तों से बनी कुटिया
बिसात = सामर्थ्य
उल्कापात = जलते तारों का टूटकर गिरना
धराशायी = गिर जाना, पूरी तरह से गिरकर नष्ट हो जाना
मेंड = खेत के इर्द-गिर्द मिट्टी का बनाया घेरा, मेड
विपत्ति = मुसीबत
आलाप = बातचीत, चहचहाहट ( पक्षियों के संदर्भ में)
मंद = धीरे
विस्मय = हैरान

2. मुहावरों के वाक्य बनाइए

1. मन में गुदगुदी होना = ……………. …………………………..
2. अंधेरे में डूब जाना = ……………… ……………………………
3. हाथ धो बैठना = …………………. ………………………………
4. सुधबुध खो बैठना = ………………. ……………………………..
5. हाथ को हाथ न सूझना = ……………… ………………………….
उत्तर:
1. मन में गुदगुदी होना = मन ही मन में खुश होना – पिता जी विदेश से आते हुए मेरे लिए उपहार लेकर आएंगे, यह सोच कर मेरे मन में गुदगुदी होने लगी।
2. अंधेरे में डूब जाना = अंधेरा होना – बिजली चले जाने से सारा शहर अंधेरे में डूब गया।
3. हाथ धो बैठना = गंवा देना-बाबू राम ! अपने बेटे को कुसंगति से बचाकर रखो, ऐसा न हो कि कहीं बेटे से हाथ न धो बैठो।
4. सुधबुध खो बैठना = होश खो जाना – बेटे को घायलावस्था में देखकर मां अपनी सुधबुध खो बैठी।
5. हाथ को हाथ न सूझना = घना अंधकार होना – बाहर इतना अंधेरा था कि हाथ को हाथ नहीं सूझता था।

3. शुद्ध रूप लिखो

1. अतिअंत = …………
2. मुसलाधार = …………
3. गुरूदेव = …………
4. आशीरवाद = ………………
5. पुश्प = ……………….
6. मलीनता = ………………
7. ग्रहण = ………….
8. सुरभी = ……………..
9. गुरूभकती = …………
10. महार्षि = …………………
उत्तर:
1. अतिअंत = अत्यन्त
2. मुसलाधार = मूसलाधार
3. गुरूदेव = गुरुदेव
4. आशीरवाद = आशीर्वाद
5. पुश्प = पुष्प
6. मलीनता = मलिनता
7. गरण = ग्रहण
8. सुरभी = सुरभि
9. गियान = ज्ञान
10. गुरूभकती = गुरुभक्ति
11. महार्षि = महर्षि

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 22 आत्म बलिदान

4. प्रत्येक शब्द को उसके सही स्थान पर लिखें

तुम्हें, कुटिया, मज़बूत, फूल, विकसित, लेटना, वह, मिट्टी, आप, आना, चलना, काली, खेत, तेज़, डूबना, मुझे।
उत्तर:

संज्ञा सर्वनाम विशेषण क्रिया
कुटिया तुम्हें मज़बूत लेटना
फूल वह विकसित आना
मिट्टी आप काली चलना
खेत मुझे तेज डूबना।

5. विपरीत शब्द लिखो

कुशल, मधुर, अंधेरा, मज़बूत, सुगंध, ग्रहण, आशीर्वाद, बांधना, प्रिय, शिष्य, नुकसान, संध्यां।
उत्तर:
1. कुशल = अकुशल
2. मधुर = कटु
3. अंधेरा = उजाला
4. मज़बूत = कमज़ोर
5. सुगंध = दुर्गन्ध
6. ग्रहण = त्याग
7. आशीर्वाद = अभिशाप
8. बांधना = खोलना
9. प्रिय = अप्रिय
10. शिष्य = गुरु
11. नुकसान = लाभ
12. संध्या = प्रभात

6. समानार्थी शब्द लिखो

नृत्य, पक्षी, वर्षा, चिंता, बादल, पौधा, अनुमति, ज़रूर, विपत्ति।
उत्तर:
समानार्थी शब्द
नृत्य नाच
पक्षी पंछी
वर्षा मेह
चिंता सोच
बादल मेघ
पौधा पादप
अनुमति आज्ञा
विपत्ति मुसीबत
ज़रूर अवश्य

विचार-बोध

(क)
पश्न 1.
आरुणि ने गुरु धौम्य से किस प्रकार सहावने मौसम का वर्णन किया ?
उत्तर:
आरुणि ने सुहावने मौसम का वर्णन करते हुए कहा कि काली घटाएं सभी चर-अचर के मन में गुदगुदी कर रही हैं। मोर काली घटाओं को देखकर आनन्दित होकर नृत्य कर रहे हैं। पक्षी भी मधुर अलाप कर रहे हैं।

पश्न 2.
आरुणि तेज आंधी और वर्षा में भी में बांधने जाने से क्यों नहीं डरता ?
उत्तर:
आरुणि को विश्वास है कि गुरु जी का आशीर्वाद साथ है तो फिर यह तेज आंधी-पानी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती।

पश्न 3.
गुरु धौम्य ने उपमन्यु को अधखिला पुष्प क्यों कहा ?
उत्तर:
उपमन्यु अभी बाल्यावस्था में था, इसी कारण गुरु धौम्य ने उसे एक अधखिला पुष्प कहा।

पश्न 4.
गुरु धौम्य और उपमन्यु किसे ढूंढ़ने निकले और क्यों ?
उत्तर:
गुरु धौम्य और उपमन्यु, आरुणि को ढूंढ़ने निकले क्योंकि आरुणि वर्षा से बह रहे मेंड़ को ठीक करने के लिए खेतों में चला गया था लेकिन काफ़ी समय बीत जाने पर भी वह लौटकर नहीं आया था।

पश्न 5.
गुरु धौम्य ने उपमन्यु को आरुणि को ढूंढ़ने के लिए क्या करने को कहा ?
उत्तर:
आरुणि को ढूंढ़ने के लिए गुरु धौम्य, उपमन्यु को कहते हैं कि ज़रा ज़ोर से आवाज़ दो जिससे पता चले कि आरुणि किस दिशा में है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें

पश्न 1.
आरुणि ने खेत की मेंड टूटने की गुरु की चिंता को किस प्रकार दूर किया?
उत्तर:
अपने गुरु के मुख से खेत की मेंड़ टूटने की चिंता को सुनकर गुरुभक्त आरुणि ने झट से कहा कि आप इस मामूली से काम के लिए चिंता क्यों करते हैं। मैं अभी जाकर मेंड़ ठीक कर आता हूं।

पश्न 2.
गुरु धौम्य के द्वारा वरदान देने पर आरुणि ने गुरु से क्या कहा ?
उत्तर:
गुरु धौम्य के मुख से वरदान देने की बाद सुनकर आरुणि ने कहा कि गुरुवर, आज जैसे गुरु को पाकर मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस आपकी कृपा-दृष्टि सदा मुझ पर रहे, यही मेरी इच्छा है।

पश्न 3.
गुरु धौम्य अपने शिष्यों पर क्यों गर्व महसूस करते थे ?
उत्तर:
गुरु धौम्य अपने शिष्यों की गुरुभक्ति पर मुग्ध थे। उनके शिष्य उनके बहुत आज्ञाकारी थे। इसी कारण वह अपने शिष्यों पर गर्व महसूस करते थे।

आत्म-बोध

1. अपने मां-बाप, गुरु और ईश्वर पर श्रद्धा रखें और उनके बताये रास्ते पर चलें।
2. त्याग और समर्पण की भावना आपसी रिश्ते को और भी सुदृढ़ करती है।
3. आप जिस काम को करने के लिए किसी से वादा करते हैं तो उसे हर हाल में करना ही श्रेयस्कर माना जाएगा। (विद्यार्थी स्वयं करें)

हुवैकल्पिक प्रश्न

पश्न 1.
धौम्य ऋषि का शिष्य कौन था ?
(क) आरुणि
(ख) वरुणी
(ग) तरुण
(घ) देवीशरण
उत्तर:
(क) आरुणि

पश्न 2.
आरुणि कैसा शिष्य था ?
(क) मेहनती
(ख) आज्ञाकारी
(ग) अवज्ञाकारी
(घ) डरपोक
उत्तर:
(ख) आज्ञाकारी

पश्न 3.
गुरु धौम्य ने उपमन्यु को क्या कहा ?
(क) फूल
(ख) धूल
(ग) अधखिला फूल
(घ) पुण्य
उत्तर:
(ग) अधखिला फूल

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पश्न 4.
आरुणि किसकी मिट्टी की रक्षा के लिए स्वयं लेट गया ?
(क) खेत की
(ख) रेत की
(ग) घर की
(घ) आश्रम की
उत्तर:
(क) खेत की

आत्म बलिदान Summary

आत्म बलिदान लघु नाटिका का सार

आकाश में घने काले बदल छाए हुए थे। कुछ समय बाद तेज वर्षा होने लगी धौम्य ऋषि ने अपने शिष्य आरुणी को अपनी चिंता से परिचित कराया कि ऐसे ही मूसलाधार वर्षा होती रही तो खेत की मेंड़ टूट जाएगी। आरुणी मेंड़ को टूटने से बचाने के लिए चला गया पर वह संध्या होने तक वापस नहीं लौटा। ऋषि का दूसरा शिष्य उपमन्यु वर्षा रुकने के बाद कुटिया में वापिस आया। उसने फूल लाने के लिए बाहर जाना चाहा तो ऋषि ने बताया कि आरुणी वहीं था और फूल अवश्य ले आया होगा। बाद में ऋषि को याद आया कि उन्होंने उसे मेंड़ देखने के लिए भेजा था। धौम्य ऋषि और उपमन्यु दोनों तेजी से खेत की ओर गए। आवाज़ देने पर पीछे वाले खेत से आरुणी की आवाज़ आई। वहां मेंड की जगह आरुणी ठंड से कांपता हुआ लेटा था। उसने बताया कि पानी के तेज बहाव के कारण मेंड़ बह गई थी और मिट्टी से उसे रोकना कठिन था। खेत का मिट्टी की रक्षा के लिए वह उसे स्वंय लेट गया था। ऋषि धौम्य उसकी कर्तव्यनिष्ठा और गुरु भक्ति से अपार प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया।

कठिन शब्दों के अर्थ:

कृपा = दया। सुहावना = अच्छा। मंद = धीमी। समीर = हवा। अत्यन्त आनन्दित = बहुत अधिक प्रसन्न। मनोरम = सुन्दर। नृत्य = नाच । तपोवन = आश्रम। पर्णकुटी = पत्तों की कुटिया, झोंपड़ी। उल्कापात = तारों का टूटना। धराशायी = धरती पर गिरे होना। निखार = सुन्दरता। पुष्प = फूल। मलिनता = मैला, गन्दा, दूषित। सुधबुध = होश अधखिला = आधा खिला हुआ। अविकसित = जिसका विकास न हुआ हो। ज्ञान-सुरभि = ज्ञान की सुगन्ध। अनुमति = आज्ञा। विपत्ति = मुसीबत। प्रयत्न = कोशिश। बेकार = व्यर्थ। परम = सर्वश्रेष्ठ, सबसे बढ़कर।

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