Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 4 इंद्रधनुष Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 4 इंद्रधनुष (2nd Language)
Hindi Guide for Class 6 PSEB इंद्रधनुष Textbook Questions and Answers
इंद्रधनुष अभ्यास
1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:
- ਰੰਗ = रंग
- ਕਿਰਨਾਂ = किरणें
- ਖੁਸ਼ੀ = खुशी
उत्तर :
विद्यार्थी इन हिन्दी शब्दों को अपनी अभ्यास पुस्तिका (कॉपी) में लिखने का अभ्यास करें।
2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :
- ਬੱਦਲ = मेघ
- ਸਤਰੰਗੀ ਪੀਂਘ = इन्द्रधनुष
- ਅਕਾਸ਼ = नभ
- ਧਰਤੀ = धरा
- ਛੇਕ = छेद
- ਵਿਹੜਾ = आँगन
- ਵਰਖਾ, ਮੀਂਹਿ = वर्षा
- ਕੁਦਰਤ = प्रकृति
- ਅਚਾਨਕ = सहसा
- ਝੂਲਾ = झूला
उत्तर :
विद्यार्थी दिए गए हिन्दी भाषा के शब्दों को अपनी अभ्यास – पुस्तिका (कापी) में लिखने का अभ्यास करें।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :
(क) कविता में बादलों का रंग कैसा बताया गया है?
उत्तर :
कविता में बादलों का रंग काला बताया गया है।
(ख) वर्षा के बाद प्रकृति कैसी दिखाई देती है?
उत्तर :
वर्षा के बाद प्रकृति हरी – भरी दिखाई देती है।
(ग) वर्षा के बाद सूर्य दिखाई देने पर नभ पर क्या दिखाई देता है?
उत्तर :
वर्षा के बाद सूर्य दिखाई देने पर नभ पर इन्द्रधनुष दिखाई देता है।
(घ) इन्द्रधनुष का आकार कैसा होता है?
उत्तर :
इन्द्रधनुष का आकार झूले जैसा होता है।
(ङ) कवि ने इन्द्रधनुष के लिए अन्य कौन-सा शब्द प्रयोग किया है?
उत्तर :
कवि ने इन्द्रधनुष के लिए ‘सतरंगा’ शब्द प्रयोग किया है।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :
(क) सावन के महीने में प्रकृति हरी-भरी क्यों दिखाई देती है?
उत्तर :
सावन के महीने में आकाश में बादल उमड़ – घुमड़ कर आते हैं और खूब वर्षा करते हैं जिससे सारी प्रकृति हरी – भरी दिखने लगती है।
(ख) इस माह की अन्य क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर :
सावन के महीने में आकाश घने काले बादलों से ढक जाता है। काले बादलों को देखकर बच्चे, बूढ़े तथा युवा सभी खुशियों से भर कर नाचने लगते हैं। उनके चेहरे खुशियों से खिल उठते हैं। गर्मी से राहत मिलती है। मोर नाचने लगता है, मेंढक टर्राने लगते हैं। सारी धरती हरी भरी हो उठती है और आकाश पर इन्द्रधनुष दिखने लगता है।
(ग) वर्षा ऋतु से हमें मुस्कराते रहने का क्या संदेश मिलता है?
उत्तर :
वर्षा ऋतु में उमड़ घुमड़ कर आए काले बादल हमें संदेश देते हैं कि हमेशा मुसकराते रहो और अपने चारों ओर खुशियाँ बाँटते चलो।
5. इन्द्रधनुष के चित्र को देखो और नीचे दिए गये शब्दों के पर्याय ढूँढ़कर लिखें :
- प्रभु = ____________, ____________
- मेघ = ____________, ____________
- नभ = ____________, ____________
- किरण = ____________, ____________
उत्तर :
- प्रभु, परमात्मा, ईश्वर।
- मेघ, जलद, बादल।
- नभ, आकाश, गगन।
- किरण, कर, मयूख।
6. कविता की पंक्तियाँ पूरी करो
(क) वर्षा थमी धरा महकी,
________________________।
(ख) नभ पर रंगों का मेला,
________________________।
(ग) हृदय हार नभ रानी का,
________________________।
उत्तर :
(क) वर्षा थमी धरा महकी,
प्रकृति दिखती हरी भरी।
(ख) नभ पर रंगों का मेला,
अर्ध वृत्त जैसा फैला।
(ग) हृदय हार नभ रानी का,
मोहित मन हर प्राणी का।
7. पढ़ो, समझो और दो-दो नये शब्द लिखो :
- र् + य = र्य = सूर्य,
- र् + म = में = ______________
- इ + च = र्च = ______________
- र् + षा = र्षा = ______________
- प + र = प्र = प्रकृति,
- क् + र = क्र = ______________
- द् + र = द्र = ______________
- ब् + र = ब्र = ______________
उत्तर :
- र् + य = र्य = सूर्य, धैर्य।
- र + म = र्म = चर्म, गर्म।
- र + च = र्च = चर्च, खर्च।
- र् + षा = र्षा = वर्षा, हर्षा।
- प् + र = प्र = प्रकृति, प्रकाश।
- क + र = क्र = क्रय, विक्रय।
- द् + र = द्र = दरिद्र, द्रविड़।
- ब् + र = ब्र = ब्राज़ील, सब्र।
अध्यापन निर्देश :
1. अध्यापक विद्यार्थियों को बताये कि हलन्त ‘र’ अर्थात् स्वर रहित ‘र’ अपने से अगले व्यंजन के ऊपर (‘) लगाया जाता है। इसे रेफ (‘) कहते हैं। जैसे – र् + य – र्य (सूर्य, कार्य आदि)। इसी तरह अध्यापक यह भी बताये कि ‘र’ से पहले हलन्त व्यंजन (अ रहित व्यंजन) हो तो ‘र’ उसके नीचे लिखा जाता है और उसका हलन्त हट जाता है जैसे – प् + र – प्र (प्रकृति, प्रभु आदि) ‘र’ के इस रूप को पदेन कहते हैं।
2. यदि ‘र’ के बाद मात्रा सहित व्यंजन आता है तो ‘र’ मात्रा के बाद लगता है जैसे – वर्षा में ‘र’ आ की मात्रा पर लगा है। इसी तरह ‘ई’ की मात्रा तथा ‘ओ’ की मात्रा के बाद ‘र’ का प्रयोग होता है। जैसे – ‘पूर्वी’ में तथा ‘धर्मों’ में क्रमशः ‘ई’ और ‘ओ’ की मात्रा के बाद ‘र’ का प्रयोग हुआ है।
8. सोचिए और लिखिए :
(i) इन्द्रधनुष का चित्र बनायें और उसमें अध्यापक की मदद से या स्वयं रंग भरें।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं प्रयास करें।
(ii) इन्द्रधनुष में कौन-कौन से रंग होते हैं?
उत्तर :
लाल, नीला, हरा, पीला, नारंगी, बैंगनी, जामुनी।
(iii) सावन के महीने का आनन्द लें। सावन के महीने की रोचक बातें अपनी अभ्यास-पुस्तिका में लिखें।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं प्रयास करें।
(iv) यदि वर्षा न हो तो क्या होगा?
उत्तर :
यदि वर्षा न हो तो सारी धरती प्यासी हो जाएगी। पेड़ – पौधे सब सड़ और मर जाएंगे। नदियों में पानी भी नहीं होगा। मनुष्य और प्रकृति सब त्राहि – त्राहि कर उठेंगे।
(v) यदि वर्षा अधिक होगी तो क्या होगा?
उत्तर :
यदि वर्षा अधिक होगी तो नदी – नाले जल से लबालब भर जाएंगे। चारों ओर पानी ही पानी दिखाई देगा। बाढ़ आ जाएगी और लोग अपने सामान उठा कर भागते – छिपते दिखाई देंगे।
9. चित्र देखकर अपनी कल्पना से पाँच वाक्य लिखें :
- ____________________
- ____________________
- ____________________
- ____________________
- ____________________
- ____________________
- ____________________
उत्तर :
- वर्षा हो रही है।
- बच्चे वर्षा में भीग रहे हैं।
- लड़कियाँ सावन के झूले झूल रही हैं।
- पक्षी वर्षा से भीगने से बचने के लिए छिप रहे हैं।
- बच्चा वर्षा में नाच रहा है।
- चारों ओर पानी ही पानी है।
- आकाश से वर्षा की बूंदें धरती पर गिर रही हैं।
अध्यापन निर्देश :
इन्द्रधनुष को अंग्रेजी में Rainbow कहते हैं।
इन्द्रधनुष के रंग (हिंदी में)
बैंगनी, जामुनी (गहरा नीला), नीला, हरा,
पीला, नारंगी (संतरी), लाल
इन्द्रधनुष के रंग (हिंदी में ) याद रखने
का संक्षिप्त रूप :
बैंजानीहपीनाला
इन्द्रधनुष के रंग (अंग्रेज़ी में)
Violet, Indigo, Blue, Green Yellow, Orange, Red
संक्षिप्त रूप : VIBGYOR
योग्यता विस्तार
वर्षा के दिनों में इन्द्रधनुष ऐसे समय बनता है जब सूरज पश्चिम में डूब रहा होता है। तब यह पूर्व की ओर बनता है। वैसे इसके बनने के लिए वर्षा के साथ-साथ साफ आकाश और सूरज की रोशनी का होना भी जरूरी है। हवा में मौजूद पानी की नन्ही-नन्ही बूंदों पर पड़ती सूर्य किरणों से हमें सात रंगों की छटा का बहुत ही सुंदर कुदरती घेरा दिखायी देता है।
सहायक क्रिया
1. रोशनी के आगे पारदर्शी पेन को सामने रखकर इन्द्रधनुष के सभी रंगों का अवलोकन करें।
2. विज्ञान की प्रयोगशाला से प्रिज्म लेकर (रोशनी में) इन्द्रधनुषी रंगों का अवलोकन करें।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
इन्द्रधनुष का आकार कैसा होता है ?
(क) झूले जैसा
(ख) फूले जैसा
(ग) फूल जैसा
(घ) धूल जैसा।
उत्तर :
(क) झूले जैसा
प्रश्न 2.
कवि ने इन्द्रधनुष के लिए किस शब्द का प्रयोग किया है ?
(क) इन्द्रा
(ख) इन्द्री
(ग) सतरंगा
(घ) सतरंगी।
उत्तर :
(ग) सतरंगा
प्रश्न 3.
इन्द्रधनुष में कितने रंग होते हैं ?
(क) पाँच
(ख) छह
(ग) सात
(घ) आठ।
उत्तर :
(ग) सात
प्रश्न 4.
इन्द्रधनुष में कौन-कौन से रंग होते हैं ?
(क) लाल-नीला
(ख) हरा-पीला
(ग) नारंगी, बैंगनी, जामुनी
(घ) ये सभी।
उत्तर :
(घ) ये सभी।
इंद्रधनुष Summary in Hindi
इंद्रधनुष कविता का सार
आकाश में घने काले बादल उमड़ आए। वे बरसे और ऐसा लगा जैसे आकाश में लाखों छेद हो गए हों। वर्षा रुकते ही हरी – भरी प्रकृति शोभा देने लगी। सूर्य के प्रकट होते ही सुनहरी किरणें फैली। सात रंगों का प्यारा इन्द्रधनुष प्रकट हो गया जिसने अपनी सुन्दरता से सभी का दिल जीत लिया। यह तो परमात्मा का झूला है। जब वर्षा ऋतु मुस्काती है तो वह सतरंगी हो जाती है।
पद्यांशों के सरलार्थ
1. उमड़े बरसे काले मेघ,
नभ में जैसे लाखों छेद।
वर्षा थमी धरा महकी,
प्रकृति दिखती हरी भरी।
कठिन शब्दों के अर्थ – उमड़े – घिर कर आना, फैल जाना। बरसे – बरसना। मेघ बादल। थमी – रुकी। महकी – सुगन्ध से भर गई। प्रकृति – कुदरत।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठ्यपुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ की कविता ‘इन्द्रधनुष’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने इन्द्रधनुष की सुन्दरता का वर्णन किया है।
सरलार्थ – कवि कहता है कि उमड – घुमड कर काले बादल आकाश पर छा गए हैं। उनसे वर्षा ऐसे होने लगी जैसे आकाश में लाखों छेद एक साथ हो गए हों। वर्षा के रुक जाने पर सारी धरती से सौंधी – सी महक आने लगी और सारी कुदरत हरी – भरी दिखाई देने लगी।
भावार्थ – कवि ने वर्षा के बाद धरती की शोभा का वर्णन किया है।
2. सहसा सूर्यदेव आये,
सोने – सी किरणें लाये।
नभ पर रंगों का मेला,
अर्ध – वृत्त जैसा फैला।
कठिन शब्दों के अर्थ – सहसा – अचानक। सूर्यदेव – सूरज देवता। नभ – आकाश। अर्ध – आधा। वृत्त – गोला।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्यपुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ की कविता ‘इन्द्रधनुष’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने इन्द्रधनुष की सुन्दरता का वर्णन किया है। इन पंक्तियों में कवि वर्षा के बाद का दृश्य बताते हुए कहता है
सरलार्थ – कवि कहता है कि वर्षा रुकते ही अचानक आकाश पर सूरज देवता आ गए और वह अपने साथ सोने जैसी सुनहरे रंग की किरणें लाए। चारों तरफ आकाश में सुन्दर किरणें, फैल गई। किरणों के फैलते ही आकाश में आधे गोलाकार में इन्द्रधनुष दिखने लगा और ऐसा लगने लगा जैसे आकाश में रंगों का मेला लग गया हो।
भावार्थ – बरसात के बाद सूर्य निकलते ही इन्द्र धनुष की सुन्दरता आकाश में बिखर गई।
3. यह है इन्द्रधनुष प्यारा,
सतरंगा न्यारा – न्यारा।
हृदय – हार नभ रानी का,
मोहित मन हर प्राणी का।
कठिन शब्दों के अर्थ – सतरंगा – सात रंगों का। न्यारा – निराला, अद्भुत। हृदय हार – गले का हार। नभ – रानी – आकाश की रानी। मोहित – आकर्षित। हर – सभी। प्राणी – जीव, लोग।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्यपुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ की कविता ‘इन्द्रधनुष’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने इन्द्रधनुष की सुन्दरता का वर्णन किया है।
सरलार्थ – कवि कहता है कि आकाश में सात रंगों से रंगा हुआ अद्भुत – सा दिखाई देने वाला रंग – बिरंगा यह इन्द्रधनुष है। यह इन्द्रधनुष इतना सुन्दर है कि लगता है जैसे आकाश की रानी के गले का सुन्दर हार हो। कवि कहता है कि यह इतना सुन्दर दृश्य है कि सभी लोगों के मन को मोह लेता है।
भावार्थ – इन्द्रधनुष की सुन्दरता मनभावन है।
4. सुन्दर यह प्रभु का झूला,
देख – देख कर मन फूला।
झूला प्रभु के आंगन में,
किरणें झूलें सावन में।
कठिन शब्दों के अर्थ – फूला – प्रसन्न हुआ। प्रभु – ईश्वर।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्यपुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ की कविता ‘इन्द्रधनुष’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने वर्षा के पश्चात् आकाश में दिखने वाले इन्द्रधनुष की सुन्दरता का वर्णन किया है।
सरलार्थ – कवि कहता है कि इन्द्रधनुष की सुन्दरता को देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। ऐसा लगता है जैसे ईश्वर ने इस सुन्दर झूले को अपने आंगन में डाल रखा है और सावन के मौसम में सूर्य की सुन्दर किरणें इस पर झूला झूलती हैं।
भावार्थ – इन्द्रधनुष तो परमात्मा का झूला प्रतीत होता है।
5. वर्षा ऋतु मुस्काती है,
सतरंगी हो जाती है।
आओ हम भी मुस्काएँ,
रंग खुशी से बिखराएँ।
प्रसंग – यह पद्यांश हिन्दी की पाठ्यपुस्तक आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित ‘इन्द्रधनुष’। कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने वर्षा के पश्चात् आकाश में दिखने वाले इन्द्रधनुष : की सुन्दरता का वर्णन किया है। कवि कहता है
सरलार्थ – कवि कहता है कि इन्द्रधनुष को देखकर वर्षा ऋतु भी मानो मुसकाने लगती है और उसके रंगों से यह भी सतरंगी हो जाती है। कवि कहता है कि आओ हम भी इन्द्रधनुष के समान जीवन में मुसकाएँ और खुशियों के रंग बिखराएँ।
भावार्थ – कवि ने जीवन में मुसकान बिखेरने का आह्वान किया हैं।