Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 9 दोहा अंत्याक्षरी Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 9 दोहा अंत्याक्षरी
Hindi Guide for Class 6 दोहा अंत्याक्षरी Textbook Questions and Answers
भाषा-बोध
1. शब्दार्थशब्दों के अर्थ दोहों के साथ में दिए गये हैं।
रक्षा-बंधन = राखी का त्योहार
प्रवेश = अन्दर आना
अवगत = परिचित होना
अंत्याक्षरी = अन्तिम अक्षर से शुरू होने वाला खेल
उत्साहित = उत्साह से भरपूर
जड़मति = मूर्ख
रसरी = रस्सी
कुम्हार = घड़े बनाने वाला
मुक्ताहार = मोतियों की माला
कुम्भ = घड़ा
पर्व = उत्सव
मनोभाव = मन के भाव
युक्ति = उपाय
शुभारम्भ = अच्छे ढंग से शुरू करना
सुजान = सज्जन
सिल = पत्थर
शिष = शिष्य
खोट = दोष
2. वचन बदलो
1. लड़के = ……………….
2. बच्चों = ……………….
3. कवियों = ……………
4. सदस्यों = ……………….
5. मित्रों = …………………
6. लड़कियाँ = ………………..
7. दोहे = ………………..
8. आवाज़ों = ………………
उत्तर:
बहुवचन = एकवचन
1. लड़के = लड़का
2. बच्चों = बच्चा
3. कवियों = कवि
4. सदस्यों = सदस्य
5. मित्रों = मित्र
6. लड़कियाँ = लड़की
7. दोहे = दोहा
8. आवाज़ों = आवाज़
3. लिंग बदलो
1. कवि = ………………..
2. सदस्य = ………………..
3. गुरु = ………………
4. कुम्हार = …………………..
5. शिष्य = …………………
उत्तर:
पुल्लिग = स्त्रीलिंग
1. कवि = कवयित्री
2. सदस्य = सदस्या
3. गुरु = गुरुआनी
4. कुम्हार = कुम्हारिन
5. शिष्य = शिष्या
4. विपरीत शब्द लिखो
1. अवकाश = ………………..
2. उपस्थित = ……………….
3. रुचि = …………………..
4. उत्साहित = ……………….
5. प्रेम = ………………..
6. समाप्त = ………………..
7. सुख = …………………..
8. जड़मति = ………………
9. लघु = …………………
उत्तर:
1. अवकाश = अनावकाश
2. उपस्थित = अनुपस्थित
3. रुचि = अरुचि
4. उत्साहित = अनुत्साहित
5. प्रेम = घृणा
6. समाप्त = आरम्भ
7. सुख = दुःख
8. जड़मति = कुशाग्र बुद्धि, सुजान
9. लघु = गुरु
5. पर्यायवाची लिखो
1. मीन = …………………
2. तलवार = …………….
3. हाथ = ………………..
4. धागा = ………………
5. गुरु = ……………….
6. बास = ……………….
7. कुम्भ = ………………
8. उपकार = ……………….
उत्तर:
1. मीन = मछली, मत्स्य
2. तलवार = असि, चंद्रहास
3. हाथ = कर, पाणि
4. धागा = सूत, सूत्र
5. गुरु = अध्यापक, विद्यादाता
6. बास = बदबू, दुर्गन्ध
7. कुम्भ = घड़ा, मटका
8. उपकार = भला, कल्याण
6. पढ़ो और समझो
रसरी = रस्सी
निसान = निशान
आवत = आना
धोय = धोना
बाँटन = बाँटना
गढ़ि-गढ़ि = गढ़ना
काढ़े = निकालना
मनाइए = मनाना
पौइए = पिरोना
बड़ेन = बड़ों
डार = डालना
तोरो= तोड़ना
जुरै = जुड़ना
गाँठि = गाँठ।
उत्तर:
ऊपर तत्सम शब्दों के तद्भव रूप लिखे गए हैं। विद्यार्थी इन्हें भली प्रकार से जानें।
7. वाक्य बनाओ।
1. पर्व = …………….
2. रुचि = ……………
3. अंत्याक्षरी = …………………
4. अभ्यास = ……………..
5. खुसर-पुसर = ………………
6. अवकाश = ……………..
उत्तर:
1. पर्व = त्योहार = दीपावली मेरा प्रिय पर्व है।
2. रुचि = दिलचस्पी = खेलों में मेरी बहुत रुचि है।
3. अंत्याक्षरी= अन्तिम अक्षर से आरम्भ नया अक्षर = अध्यापिका ने कक्षा में आते ही कहा, “आओ बच्चों, अंत्याक्षरी खेलें।”
4. अभ्यास = बार-बार का प्रयास = मैंने खूब अभ्यास करके गेंदबाजी में निपुणता प्राप्त की है।
5. खुसर-पुसर = बहुत धीमे स्वर में आपस में बातें करना = कक्षा में बच्चे अध्यापक को देखकर खुसर-पुसर करने लगे।
6. अवकाश = छुट्टी = आज विद्यालय में अवकाश है।
विचार-बोध
(क)
प्रश्न 1.
कक्षा में बहुत से विद्यार्थी अवकाश पर क्यों थे ?
उत्तर:
रक्षाबन्धन के पर्व के कारण कक्षा में बहुत से विद्यार्थी उस दिन अवकाश पर थे।
प्रश्न 2.
विद्यार्थी किस अंत्याक्षरी की खुसर-पुसर करने लगे ?
उत्तर:
विद्यार्थी फिल्मों की अंत्याक्षरी के लिए खुसर-पुसर करने लगे।
प्रश्न 3.
मूर्ख सुजान कैसे बन सकता है ? दोहे के आधार पर लिखें।
उत्तर:
अभ्यास के बल पर मूर्ख भी सुजान बन सकता है।
प्रश्न 4.
उपकारी का स्वभाव कैसा होता है ?
उत्तर:
उपकारी का स्वभाव दूसरों का भला करने वाला होता है।
प्रश्न 5.
गुरु और कुम्हार के काम में क्या समानता होती है ?
उत्तर:
गुरु और कुम्हार दोनों ही अपने-अपने कार्य को (विद्यार्थी और मिट्टी को) तब तक गढ़ते रहते हैं जब तक वह पूरी तरह घड़ा नहीं जाता।
प्रश्न 6.
सज्जनों की तुलना किससे की गई है ?
उत्तर:
सज्जनों की तुलना मुक्ता मोतियों से की गई है।
प्रश्न 7.
‘हर वस्तु का अपने-अपने स्थान पर महत्त्व होता है।’ पाठ से चुनकर वह दोहा लिखें।
उत्तर:
रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजै डार। – जहां काम आवे सुई, का करे तलवार ॥
प्रश्न 8.
‘रहिमन धागा ………. गांठि परि जाए।’ इस दोहे का अर्थ लिखें।
उत्तर:
रहीम जी कहते हैं कि आपसी प्रेम के सम्बन्धों को जरा-जरा सी बात पर तोड़ नहीं देना चाहिए क्योंकि एक बार जो सम्बन्ध टूट जाते हैं वे दोबारा नहीं बनते और यदि बन भी जाएं तो फिर भी उसमें एक गांठ पड़ जाती है।
(ख)
प्रश्न 1.
अंत्याक्षरी में गाए जाने वाले दोहों से आपने क्या सीखा, अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
अंत्याक्षरी में गाए गए दोहे हमें सिखाते हैं कि प्रत्येक कार्य में अभ्यास के बल पर निपुणता पाई जा सकती है। मन सदा पवित्र रहना चाहिए। अच्छे व्यक्तियों के साथ सदा अच्छाई मिलती है। अच्छे व्यक्तियों से सम्बन्ध नहीं तोड़ना चाहिए।
प्रश्न 2.
दोहा अंत्याक्षरी के अतिरिक्त ओर कौन-कौन सी अंत्याक्षरी खेली जा सकती
उत्तर:
दोहा अंत्याक्षरी के अतिरिक्त सिनेमा, व्यक्तियों, स्टेशनों आदि के नामों की अंत्याक्षरी, फ़िल्मी गानों की अंत्याक्षरी, शब्दों की अंत्याक्षरी आदमियों के नामों की अंत्याक्षरी भी खेली जा सकती है।
आत्म-बोध
1. पाठ के सभी दोहों के अर्थ समझाते हुए कंठस्थ करें।
2. संत कबीर, रहीम और बिहारी के दोहों का संकलन करें।
3. वर्तमान युग के सन्दर्भ में नए दोहों की रचना करें।
उत्तर:
विद्यार्थी इनके लिए स्वयं प्रयास करें।
बहुवैकल्पिक प्रश्न
प्रश्न 1.
मूर्ख मनुष्य भी किसके द्वारा ज्ञानी बन जाता है ?
(क) अभ्यास
(ख) व्यास
(ग) निराशा
(घ) आशा।
उत्तर:
(क) अभ्यास
प्रश्न 2.
गुरु किसके समान अपने शिष्यों के दोष दूर करते हैं ?
(क) लुहार के
(ख) कुम्हार के
(ग) ईश्वर के
(घ) प्रभु के
उत्तर:
(ख) कुम्हार के
प्रश्न 3.
रहीम जी किसका धागा न तोड़ने की सलाह देते हैं ?
(क) प्रेम का
(ख) ईर्ष्या का
(ग) शैतानी का
(घ) पुण्य का
उत्तर:
(क) प्रेम का
प्रश्न 4.
शिष्य किसके समान है ?
(क) बच्चे के
(ख) कुम्भ के
(ग) भविष्य के
(घ) पौरूष के
उत्तर:
(ख) कुम्भ के
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से ‘मीन’ का पर्याय है:
(क) मछली
(ख) सजली
(ग) उजली
(घ) कुजली
उत्तर:
(क) मछली
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कल्याण का पर्याय शब्द है :
(क) कल्याणकारी
(ख) उपकार
(ग) सत्कार
(घ) गीतकार
उत्तर:
(ख) उपकार
दोहों के सरलार्थ
1. करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात के सिल पर परत निसान।
शब्दार्थ:
करत-करत = करते करते । जड़मति = मूर्ख। सुजान = ज्ञानवान्। रसरी = रस्सी। आवत = आना। जात = जाना। सिल = पत्थर। परत = पड़ जाते हैं।
सरलार्थ:
कविवर रहीम जी कहते हैं कि अभ्यास करते रहने से, निरन्तर परिश्रम करते रहने से धीरे-धीरे मूर्ख मनुष्य भी ज्ञान प्राप्त कर लेता है। जैसे कुएँ की सिल पर निरन्तर रस्सी के आने-जाने से पत्थर पर भी निशान पड़ जाते हैं। ऐसे ही निरन्तर अभ्यास से मूर्ख आदमी विद्वान् बन जाता है।
भावार्थ:
निरन्तर अभ्यास करने से कठिन काम भी किया जा सकता है।
2. ‘नहाये धोये क्या भया, जो मन का मैल न जाय।
मीन सदा जल में रहे, धोय बास न जाय॥’
शब्दार्थ:
नहाये = नहाना। धोये = धोना। भया = होना। मीन = मछली। धोय = धोना। बास = दुर्गन्ध।
सरलार्थ:
कविवर रहीम जी कहते हैं कि हे मनुष्य ! नहा धोकर बाहरी शरीर को साफ कर लेने से भी क्या लाभ यदि तेरे मन का मैल मिटा ही नहीं। मछली चाहे हमेशा जल में ही रहती है लेकिन फिर भी दिन रात पानी में धुलते रहने पर भी उसके शरीर से बदबू तो नहीं जाती। कवि का अभिप्राय है कि मन में स्वच्छता-पवित्रता होनी चाहिए। मन निर्मल होना चाहिए।
भावार्थ:
मानव मन में सदा पवित्रता और स्वच्छता के भाव रहने चाहिए।
3. ‘यो रहीम सुख होत है, उपकारी के संग।
बॉटन बारे को लगे, ज्यों मेंहदी के रंग ।।’
कठिन शब्दों के अर्थ:
सुख = लाभ, भला। उपकारी = उपकार (भला) करने वाला। बाँटन बारे = बाँटने वाले।
सरलार्थ:
रहीम जी कहते हैं कि उपकारी, दूसरों का भला करने वाले आदमियों की संगति करने से बड़ा सुख, लाभ मिलता है ठीक वैसे ही जैसे मेंहदी पीसने वाले के हाथों में भी मेंहदी का रंग स्वतः ही चढ जाता है।
भावार्थ:
परोपकारी व्यक्ति को अपने आप ही लाभ प्राप्त हो जाता है।
4. ‘गुरु कुम्हार सिस कुम्भ है, गढ़ि-गढ़ि काढ़े खोट।
अंतर हाथ सहार दे, बाहर मारै चोट ।’
कठिन शब्दों के अर्थ:
गढ़ि = बनाना। का? = निकालना । खोट = कमी। अंतर = भीतर। सहार = सहारा। कुंम्हार = घड़ा बनाने वाला। कुम्भ = घड़ा।
सरलार्थ:
कवि रहीम गुरु के कोमल और कल्याणकारी व्यवहार का वर्णन करते हुए कहते हैं कि गुरु का व्यवहार उस कुम्हार के समान है जो अपने घड़े को ठीक प्रकार से बनाने के लिए उसे बार-बार गढ़ता है। उसे ठीक से बनाने के लिए भीतर हाथ से सहारा देकर बाहर से चोट मार-मार कर उसे ठीक बनाता है। इसी प्रकार गुरु भी अपने शिष्यों को कुशल बनाने के लिए प्यार और डांट कर उसे कुशल विद्यार्थी बनाता है।
भावार्थ:
गुरु अपने शिष्यों का सदा भला ही चाहता है चाहे उसके व्यवहार में कभी कठोरता भी अनुभव होती है।
5. ‘टूटे सुजन मनाइए, जो टूटे सौ बार।
रहिमन फिरि-फिरि पौइए, टूटे मुक्ताहार।’
कठिन शब्दों के अर्थ:
सुजन = सज्जन, अच्छे व्यक्ति । रहिमन = रहीम जी। फिरिफिरि = बार-बार । पौइए = पिरोइए। मुक्ताहार = मोतियों की माला।।
सरलार्थ:
रहीम जी कहते हैं कि जिस प्रकार मोतियों की कीमती माला यदि टूट जाती है तो उसे फिर से पिरो लिया जाता है कि ठीक वैसे ही यदि सज्जन, प्रिय व्यक्ति रुठ जाए तो उसे मना लेना चाहिए। चाहे वह कितनी ही बार रूठे उसे तुरन्त मना लेना चाहिए।
भावार्थ:
अच्छे सगे-सम्बन्धियों और मित्रों को नाराज़गी की स्थिति में सदा मना लेना चाहिए। जीवन में वे बार-बार नहीं मिलते।
6. ‘रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजे डार।
जहाँ काम आवै सुई, का करे तलवार।।’
कठिन शब्दों के अर्थ:
बड़ेन = बड़ा। डार = छोड़ना। लघु = छोटी चीज़। तरवारि = तलवार।
सरलार्थ:
रहीम जी कहते हैं कि बड़ी चीज़ को देखकर छोटी चीज़ को छोड़ना नहीं चाहिए। उनका अनादर नहीं करना चाहिए। जैसे, जहाँ छोटी-सी सूई (सीने के लिए) काम आती है, वहां भला बड़ी तलवार किस काम की ? सूई का काम तलवार और तलवार का काम सूई नहीं कर सकती। दोनों का अपना-अपना अलग-अलग महत्त्व है।
भावार्थ:
हर छोटी-बड़ी चीज़ के उचित मूल्यांकन और महत्त्व को समझना चाहिए।
7. ‘रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरौ चटकाय।
टूटे ते फिरि न जुरै, जुरै गाठि परि जाय॥’
कठिन शब्दों के अर्थ:
तोरौ = तोड़ो। चटकाय = झटके से। जुरै = जुड़ना। फिरि = दोबारा।
सरलार्थ-रहीम जी कहते हैं कि परस्पर प्रेम के सम्बन्धों को नहीं तोड़ देना चाहिए क्योंकि सम्बन्ध यदि एक बार टूट जाए तो फिर से नहीं जुड़ते और यदि जुड़ भी जाए तो एक गांठ अवश्य पड़ जाती है।
भावार्थ:
प्रेम-सम्बन्धों को कभी नहीं तोड़ना चाहिए। वे बहुत मूल्यवान् होते हैं।
दोहा अंत्याक्षरी Summary
दोहा अंत्याक्षरी पाठ का सार
रक्षा बंधन का दिन था। कक्षा में बहुत कम विद्यार्थी आए थे। जो बच्चे आए भी थे उसका भी पढ़ने का मन नहीं था। अध्यापिका ने कक्षा में आकर विद्यार्थियों के मन के भाव समझ लिए और उन्हें अंत्याक्षरी खेलाने की बात सोची। विद्यार्थी प्रसन्न थे कि फ़िल्मी गाने की अंत्याक्षरी होगी पर अध्यापिका ने उन्हें दोहों की अंत्याक्षरी सिखाई जिसमें रहीम के दोहों को ही आधार बनाया गया।
कठिन शब्दों के अर्थ:
रक्षाबंधन = राखी। पर्व = त्योहार। अवकाश = छुट्टी। उपस्थित = हाजिर, प्रस्तुत। रुचि = इच्छा, दिलचस्पी। प्रवेश = आगमन, आना। मनोभावों = मन के भावों या विचारों। अवगत = जानना, परिचित होगा। युक्ति = उपाय, तरीका। खुसर-फुसर = कानों-कान बातें करना, फुसफुसाना। स्मरण = याद। संख्या = गिनती।