Punjab State Board PSEB 6th Class Home Science Book Solutions Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 6 Home Science Chapter 7 सूती कपड़ों की धुलाई
PSEB 6th Class Home Science Guide सूती कपड़ों की धुलाई Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
धोने से पहले वस्त्रों की छंटाई का क्या कारण है ?
उत्तर-
इससे रंगदार कपड़ों का रंग सफेद कपड़ों में न लग जाए तथा अधिक गन्दे तथा कम गन्दे कपड़े भी अलग कर लिए जाते हैं।
प्रश्न 2.
गन्दे वस्त्र पहनने से क्या हानि होती है ?
उत्तर-
गन्दे वस्त्रों में रोगों के जीवाणु वास करते हैं। गन्दे वस्त्र पहनने से रोगों का संक्रमण हमारे शरीर पर हो सकता है।
प्रश्न 3.
वस्त्र धोने से पहले दाग-धब्बे क्यों छुड़ा लेने चाहिएं ?
उत्तर-
दाग-धब्बे का वस्त्र की धुलाई की विधि में और अधिक पक्का होने का भय रहता है।
प्रश्न 4.
वस्त्रों की धुलाई के लिए पानी कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
मृदु।
लघूत्तर प्रश्न
प्रश्न 1.
कपड़े को भिगोना क्यों चाहिए ?
उत्तर-
सफ़ेद सूती कपड़ों को यदि रात को भिगो कर रख दिया जाए तो मेहनत, समय तथा साबुन की बचत होती है। भिगोने से ऊपर की मैल भी नरम हो जाती है, जिससे उसे साफ़ करना सरल हो जाता है। कई तरह के दाग तथा माया भी साफ़ हो जाती है। कपड़ों को साफ़ प्लास्टिक के टब या बाल्टी में भिगोना चाहिए। लोहे की बाल्टी में जंग लगने का डर रहता है। बाल्टी या टब इतना बड़ा होना चाहिए कि इसमें सारे कपड़े तथा पानी अच्छी तरह समा जाने चाहिए। रसोई के कपड़े तथा दूसरे झाड़न तथा मोटरग्रीज़ वाले एप्रिनों को पानी में सोडा मिलाकर भिगोना चाहिए। इन्हें दूसरे कपड़ों से अलग ही भिगोना चाहिए। बिस्तरों तथा पहनने वाले कपड़ों को भी अलग-अलग भिगोना चाहिए। ज़्यादा गन्दे कपड़ों को काफ़ी नीचे तथा साफ़ कपड़ों को ऊपर रखना चाहिए। ज्यादा गन्दे भागों को साबुन लगाकर भिगोना चाहिए। कपड़ों को 24 घण्टे से अधिक समय तक एक ही पानी में नहीं भिगोना चाहिए, क्योंकि कपड़ों में बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं जो कपड़ों को हानि पहुँचाते हैं।
प्रश्न 2.
सफ़ेद कपड़े पीले या स्लेटी रंग के क्यों हो जाते हैं ? इस दोष को कैसे दूर किया जा सकता है ?
उत्तर-
कई बार जब सफ़ेद कपड़े पुराने हो जाते हैं या धोने वाले साबुन में ज़्यादा क्षार होती है तो कपड़े पीले दिखाई देने लगते हैं। कपड़ों को धोने के बाद यदि उनसे अच्छी तरह साबुन न निकाला जाए या ज्यादा नील लग जाए तो कपड़े स्लेटी रंग के हो जाते हैं। इस दोष को दूर करने के लिए कपड़ों को 20 मिनटों के लिए पानी में उबालते हैं। उबालने के बाद हल्के गर्म पानी में कई बार खंगालते हैं, इसके बाद नील लगाकर धूप में सुखाते है।
प्रश्न 3.
कपड़ों को नील कैसे तथा क्यों लगाई जाती है ?
उत्तर-
सफ़ेद सूती कपड़ों की नील लगाने के लिए इसका घोल बनाया जाता है। कपड़े को निचोड़ने के बाद इसे घोल में डालते हैं तथा हाथों से दबाते हैं। इसके बाद निचोड़कर धूप में सुखाते हैं। नील से कपड़ों में चमक आ जाती है जिससे व्यक्ति स्मार्ट लगने लगता है और उसके व्यक्तित्व में निखार आ जाता है।
प्रश्न 4.
कपड़ों को कलफ कैसे तथा क्यों लगाई जाती है ?
उत्तर-
माया का घोल बना लिया जाता है। कपड़े को निचोड़कर इसे घोल में डालते हैं तथा दोनों हाथों से दबाया जाता है। इसके बाद धूप में सुखाते हैं। इससे कपड़े में चमक आ जाती है तथा रेशा मज़बूत हो जाता है तथा सिलवटें भी नहीं पड़ती हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कपड़ों को धोने से पहले उनकी क्या तैयारी करोगे ?
उत्तर-
कपड़ों को धोने से पहले तैयारी –
- सभी कपड़ों की अच्छी तरह जाँच करनी चाहिए।
- कोई भी कपड़ा कहीं से फटा या उधड़ा हों तो उसे ठीक कर लेना चाहिए।
- कपड़ों के बटन या हुक टूटे हुए हों तो उन्हें धोने के बाद तथा प्रेस करने से पहले ठीक कर लेना चाहिए।
- कपड़े धोने से पहले जेबों को देख लेना चाहिए। उनमें कोई कागज़, पैसे या कुछ और चीजें हों तो उसे निकाल लेना चाहिएं।
- कपड़े पर कोई ऐसे बटन या बक्कल आदि हों जिनका पानी से खराब होने का डर हो तो उन्हें उतार कर रख लेना चाहिए।
- कपड़ों पर कोई ऐसे दाग हों जो कि पानी तथा साबुन से न उतर सकते हों तो उन्हें पहले ही उसके विशेष प्रतिकारक से साफ़ कर लेना चाहिए।
प्रश्न 2.
सफ़ेद कपड़ों को नील तथा माया कैसे लगाओगे ?
उत्तर-
सफ़ेद सूती कपड़ों को नील तथा माया एक साथ ही लगाए जाते हैं। माया का घोल बनाकर उसमें ही नील भी अच्छी तरह मिलाना चाहिए। कपड़े को निचोड़ने के बाद इसे घोल में डाल देना चाहिए तथा हाथों से दबाना चाहिए। इसके बाद निचोड़कर धूप में सुखा देना चाहिए।
प्रश्न 3.
प्रैस करने के क्या नियम हैं ?
उत्तर–
प्रेस करने के निम्नलिखित नियम हैं –
1. प्रेस करने के लिए ऐसी मेज़ लेनी चाहिए जो न बहुत ऊँची, न बहुत नीची हो और हिलती भी न हो। उस पर कोई पुराना कम्बल या खेस बिछाना चाहिए तथा उसके ऊपर साफ़ चादर बिछा देनी चाहिए। चादर को मेज़ के पायों से बाँध देना चाहिए ताकि वह हिले नहीं।
2. पानी का प्याला तथा मलमल का कपड़ा बाईं ओर ऊपर से रखना चाहिए तथा प्रैस रखने के लिए पत्थर दाईं ओर नीचे की तरफ़ रखना चाहिए। पानी के छींटे मारने के लिए छिद्रों वाले ढक्कन वाला डिब्बा या बोतल भी इस्तेमाल की जा सकती है।
3. कपड़े ठीक तरह नमी युक्त होने चाहिएं। यदि कपड़े कम नमी वाले रह जाएंगे तो कपड़ों पर सिलवटें रह जाएंगी और अधिक ज़्यादा गीले हो जाने पर समय तथा ईंधन अधिक लगेगा।
4. प्रैस को गर्म कर लेना चाहिए। प्रैस सफ़ेद कपड़ों के लिए अधिक गर्म तथा रंगदार के लिए कम गर्म होनी चाहिए।
5. सफ़ेद या हल्के रंग के कपड़ों को सीधी ओर तथा गाढ़े रंग के कपड़ों को उल्टी ओर प्रैस करना चाहिए। सिलाइयों को पहले उल्टी ओर से प्रैस करना चाहिए।
6. कपड़े इकहरे प्रेस करना चाहिए तथा प्रैस को सदा सीधी रेखा में नीचे से ऊपर की ओर या दाईं ओर से बाईं ओर फेरना चाहिए।
7. कढ़ाई वाले कपड़े को फलालेन के कपड़े पर उल्टा रखकर प्रेस करना चाहिए।
8. कपड़ों को प्रेस करने के बाद कुछ देर हवा में रखना चाहिए ताकि वे पूरी तरह सूख जाएँ।
9. इलास्टिक वाले भागों पर प्रैस नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 4.
किन-किन बातों का ध्यान रखकर कपड़ों को छांटना चाहिए ?
उत्तर-
कपड़ों को छाँटते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए –
- सबसे पहले रंगदार कपड़े तथा सफ़ेद कपड़ों को अलग-अलग छाँटना चाहिए। इसमें से जिन कपड़ों के रंग कच्चे हों, उनको सबसे पहले या सबसे बाद में दूसरे कपड़ों से अलग करके धोना चाहिए ताकि दूसरे कपड़ों को रंग न लगे।
- मुलायम कपड़े जैसे-चंदेरी, आरकण्डी, रूबिया, मलमल आदि।
- बाहर पहनने वाले कपड़े-सलवार, कमीज़, पैंट, फ्रॉक आदि।
- अन्दर पहनने वाले कपड़े-कच्छे, बनियान आदि।
- बिस्तरों और घर के अन्य कपड़े-चादरें, सिरहाने के गिलाफ, तौलिए, मेज़पोश, टेबल, मैटस, झाड़न नैपकिन्स आदि।
- छोटे बच्चों के लंगोट।
- रूमाल-खासकर जुकाम के लिए इस्तेमाल किए गए रूमालों को अलग धोना चाहिए।
- एप्रिन, रसोई के और अन्य झाड़न।
Home Science Guide for Class 6 PSEB सूती कपड़ों की धुलाई Important Questions and Answers
अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
हमारे वस्त्र गन्दे क्यों हो जाते हैं ?
उत्तर-
धूल व अन्य बाहरी अशुद्धियाँ तथा पसीने के सम्पर्क से।
प्रश्न 2.
धोने से पूर्व वस्त्रों की छंटाई का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
वस्त्रों को उनकी प्रकृति एवं अवस्था के अनुसार छाँट कर अलग-अलग धोना, जैसे सफ़ेद व रंगीन वस्त्रों को अलग-अलग धोना।
प्रश्न 3.
वस्त्रों को धोने से पूर्व उनकी मरम्मत क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
फटे हुए, सिलाई हुई, उधड़े हुए या छेद हुए वस्त्रों को धोने से पूर्व उनकी मरम्मत इसलिए आवश्यक है कि वे और अधिक न फटे या न उधड़े या छेद और बड़ा न हो।
छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
वस्त्रों में कलफ लगाने से क्या लाभ होता है ?
उत्तर-
वस्त्रों में कलफ लगाने से निम्नलिखित लाभ होते हैं –
- वस्त्रों में कलफ लगाने से चमक और नवीनता आ जाती है।
- कपड़े में कलफ रहने से कपड़े में कड़ापन आ जाता है।
- कल्फ लगे वस्त्रों पर धूल नहीं जमती क्योंकि यह धागों के बीच के रिक्त स्थानों की पूर्ति करती है।
- वस्त्रों पर सिलवटें नहीं पड़ती हैं। वस्त्रों का आकार ठीक लगता है।
- कलफ लगे वस्त्र पहनने पर व्यक्ति स्मार्ट लगता है, उसके व्यक्तित्व में निखार आ जाता है। कलफ सूती वस्त्र, लिनन के वस्त्र व रेशमी वस्त्र पर किया जाता है।
प्रश्न 2.
सूती वस्त्रों की धुलाई हम कैसे कर सकते हैं ?
उत्तर-
सूती वस्त्रों की धुलाई के लिए दो विधियाँ काम में लाई जाती हैं –
(अ) रगड़, (ब) हल्का दबाव।
रगड़कर वस्त्र धोने की विधि में साबुन, गर्म पानी, रगड़ने वाला तख्ता तथा ब्रुश की आवश्यकता होती है। इस विधि से वे वस्त्र धोए जाते हैं जो मज़बूत और टिकाऊ धागों से बने होते हैं। पानी में भिगोकर, साबुन लगाकर, रगड़ने वाले तख्ते पर ब्रश से वस्त्र को तब तक रगड़ा जाता है जब तक कि मैल पूरी तरह से दूर न हो जाए।
रंगीन तथा कोमल वस्त्रों को हल्के दबाव की विधि से धोया जाता है। टब में गुनगुना पानी लेकर उसमें साबुन का चूरा या डिटरजेन्ट पाउडर आदि घोलकर उसमें वस्त्र डाल दिए जाते हैं। बाद में हाथों द्वारा हल्के दबाव में मसलकर वस्त्रों को साफ़ किया जाता है।
वस्त्रों की धुलाई में अच्छे साबुन का प्रयोग करना चाहिए। धोते समय वस्त्रों को अधिक पीटने से उनके तन्तु कमज़ोर हो जाते हैं।
प्रश्न 3.
सूती वस्त्रों की विशेषताएं बताइए।
उत्तर-
- ये अत्यधिक शक्तिशाली तथा मजबूत होते हैं।
- इन्हें रगड़ने तथा पीटने से कोई भी हानिकारक प्रभाव नहीं होते हैं।
- ये ग्रीष्म ऋतु के लिए अति उत्तम होते हैं।
- इनमें सिलवटें शीघ्र पड़ जाती हैं।
- सूती वस्त्र नमी को जल्दी सोखते हैं।
- इन्हें धोने में किसी प्रकार की विशेष सावधानी की आवश्यकता नहीं होती।
- इनमें ताप-सहन क्षमता सबसे अधिक होती है।
- इन पर अम्ल का बुरा प्रभाव पड़ता है और क्षार का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।
प्रश्न 4.
सूती वस्त्रों पर इस्तरी करने से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
सूती वस्त्रों पर इस्तरी करने से निम्नलिखित लाभ हैं –
- वस्त्रों पर चमक आ जाती है।
- वस्त्रों में सुन्दरता तथा निखार आ जाता है।
- सिलवटें समाप्त हो जाती हैं।
एक शब्द में उत्तर दें
प्रश्न 1.
भारत में सबसे अधिक कौन-से कपड़े का प्रयोग होता है ?
उत्तर-
सूती कपड़े का।
प्रश्न 2.
रंगदार कपड़ों को कहां सुखाना चाहिए?
उत्तर-
छाया में।
प्रश्न 3.
कपड़े के कौन-से भाग में प्रेस नहीं करना चाहिए ?
उत्तर-
इलास्टिक वाले भाग में।
प्रश्न 4.
कढ़ाई वाले कपड़े को …………………. के कपड़े पर उल्टा रख कर प्रैस करें।
उत्तर-
फ्लालेन।
प्रश्न 5.
अधिक नील लगने से कपड़े का रंग कैसा हो जाता है ?
उत्तर-
स्लेटी।
प्रश्न 6.
कौन से पानी में साबुन की झाग नहीं बनती ?
उत्तर-
भारे पानी में।
सूती कपड़ों की धुलाई PSEB 6th Class Home Science Notes
- भारत में सबसे अधिक सूती कपड़ों को ही प्रयोग में लाया जाता है क्योंकि ये सस्ते तथा अधिक समय तक चलने वाले होते हैं।
- सूती कपड़े धोते समय नीचे लिखी बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है –
1. कपड़े की बनावट
2. कपड़े का रंग (कच्चा या पक्का)
3. कपड़े की परिसज्जा। - कपड़ों को छाँटते समय सबसे पहले रंगदार कपड़े तथा सफ़ेद कपड़ों को अलग-अलग कर लेना चाहिए।
- सफ़ेद सूती कपड़ों को यदि रातभर भिगोकर रख दिया जाए तो मेहनत, समय तथा साबुन की बचत होती है।
- रसोई के झाड़न तथा मोटर ग्रीज़ वाले एप्रिनों को पानी में सोडा मिलाकर भिगोना चाहिए।
- बिस्तरों तथा पहनने वाले कपड़ों को भी अलग-अलग भिगोना चाहिए।
- कपड़ों को 24 घण्टे से अधिक समय तक एक ही पानी में नहीं भिगोना चाहिए क्योंकि कपड़ों में बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं जो कपड़ों को हानि पहुँचाते है।
- सभी सफ़ेद कपड़ों को धोने के बाद खंगालना चाहिए।
- सफ़ेद कपड़ों को धूप में सुखाना चाहिए। इससे कपड़ों में सफ़ेदी तथा ताज़गी आती है।
- रंगदार कपड़ों को छाँव में सुखाना चाहिए ताकि उनका रंग खराब न हो।
- सफ़ेद या हल्के रंग के कपड़ों को सीधी ओर तथा गाढ़े रंग के कपड़ों को उल्टी ओर प्रैस करना चाहिए।
- कपड़ों को प्रेस करने के बाद कुछ देर हवा में रखना चाहिए ताकि वे पूरी तरह सूख जाएँ।