PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 4 फूल और काँटा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 फूल और काँटा (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB फूल और काँटा Textbook Questions and Answers

फूल और काँटा अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 2
उत्तर :
विद्यार्थी अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 4
उत्तर :
विद्यार्थी अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) फूल और काँटा कहाँ जन्म लेते हैं ?
उत्तर :
फूल और काँटा एक ही स्थान पर एक ही पौधे पर जन्म लेते हैं।

(ख) काँटे की क्या विशेषता होती है ?
उत्तर :
काँटा अपनी कठोरता और तीक्ष्णता के कारण किसी को अच्छा नहीं लगता। वह पीड़ा देने के अतिरिक्त और कुछ नहीं करता।

(ग) फूल की क्या विशेषता होती है?
उत्तर :
फूल अपनी कोमलता और सुगंध के कारण सबको अच्छा लगता है। वह देवताओं के सिर पर चढ़ाया जाता है।

(घ) फूल और काँटा किस का प्रतीक हैं ?
उत्तर :
फूल सुख का प्रतीक है।
काँटा दुःख का प्रतीक है।

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4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) फूल और काँटे को कौन-कौन सी समान परिस्थितियाँ प्राप्त होती हैं ?
उत्तर :
फल और काँटा दोनों एक ही स्थान से उत्पन्न होते हैं। उनका विकास भी एक ही साथ होता है। उन्हें एक ही समान सूर्य की धूप मिलती है। वायु का स्पर्श भी दोनों को समान रूप से मिलता है। वर्षा भी दोनों पर एक समान रूप में ही गिरती है। एक समान वायु, धूप और वर्षा को झेलते हुए फूल और काँटा दोनों विकसित होते हैं।

(ख) फूल और काँटे में स्वभावगत क्या अंतर है?
उत्तर :
फूल और काँटे का विकास समान रूप से होता है लेकिन दोनों का स्वभाव बहुत भिन्न है। एक ओर फूल अपनी खुशबू चारों ओर फैलाकर अपनी अच्छाई दिखाता है वहीं दूसरी ओर काँटा सभी के हाथों को छेदता हुआ उन्हें पीड़ा एवं कष्ट पहुँचाता है। वह सबके कपड़े फाड़ देता है। वह फूलों पर बैठने वाली तितलियों तथा भँवरों को भी छेद देता है।

(ग) आपकी दृष्टि में कुलवान व्यक्ति महान/बड़ा होता है या गुणवान। अपने विचार लिखें।
उत्तर :
हमारी दृष्टि कुलवान की अपेक्षा गुणवान व्यक्ति भला एवं महान् होता है। वह अपने गुणों एवं अच्छे स्वभाव से सभी का मन जीत लेता है। वह कभी किसी को कष्ट नहीं पहुँचाता है। वह सदैव दूसरों की भलाई के बारे में सोचता रहता है। वह कुल की बजाय अपने गुणों के कारण सम्मान प्राप्त करता है।

(घ) ‘किस—-बड़प्पन की कसर’ काव्य-पंक्ति की सप्रसंग व्याख्या करें।
उत्तर :
प्रसंग – प्रस्तत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठय – पस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित कविता ‘फूल और काँटा’ से ली गई हैं जिसके कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ हैं। कवि ने इस कविता में फूल और काँटे के माध्यम से अच्छे और बुरे लोगों
के व्यवहार पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या – कवि कहता है कि खानदान की बड़ाई किस काम की अगर अपने में बड़प्पन की कमी हो अर्थात् कांटे का जन्म सुन्दर पौधे पर हुआ परन्तु उसमें अपना बड़प्पन पुस्तकीय भाग नहीं होता। इसलिए बुरा समझा जाता है। भाव है कि आदमी ऊँचे कुल में जन्म लेने पर बड़ा नहीं बनता बल्कि अपने गुणों के कारण महान् बनता है।

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5. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर उनके वाक्य बनायें :

  1. प्यार में डूबना _____________________
  2. पर कतरने _____________________
  3. जी खिल उठना _____________________
  4. आँखों में खटकना _____________________
  5. कसर होना _____________________
  6. गोद बिठाना _____________________
  7. सीस (सिर) पर सोहना _____________________

उत्तर :

  1. प्यार में डूबना – प्यार करना, प्यार होना।
    वाक्य – राधा कृष्ण के प्यार में डूब गई थी।
  2. पर कतरने – अधिकार कम करना।
    वाक्य – बहत ऊँचा उड रहे हो, तम्हारे पर कतरने ही पड़ेंगे।
  3. जी खिल उठना – मन खुश उठना।
    वाक्य – अपने जन्मदिन पर मिली घड़ी देखकर विनोद का जी खिल उठा।
  4. आँखों में खटकना – बुरा लगना।
    वाक्य – झूठा व्यक्ति सबकी आँखों में खटकता है।
  5. कसर होना – कमी होना।
    वाक्य – विश्वास करो अब मेरे काम में कोई कसर नहीं रहेगी।
  6. गोद बिठाना – शरण में लेना।
    वाक्य – रोते हुए बच्चे को माँ ने गोद में बिठा लिया।
  7. सीस (सिर) पर सोहना – सिर पर अच्छा लगन।
    वाक्य – कृष्ण के सीस पर मोर पंख सोह रहा था।

6. इन शब्दों के समानार्थक शब्द लिखें :

  1. फूल = पुष्प, प्रसून
  2. मेह = ______________
  3. चाँद = ______________
  4. हवा = ______________
  5. चाँदनी = ______________
  6. भौंरा = ______________

उत्तर :

  1. फूल = पुष्प, प्रसून
  2. मेघ = बादल, जलद।
  3. चाँद = चन्द्रमा, इन्दु, राकेश, शशि, चंद्र।
  4. हवा = वायु, समीर, पवन।
  5. चाँदनी = मरीची, ज्योत्सना।
  6. भौंरा = भ्रमर, अष्टपाद, भंवरा।

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7. बच्चो! कुछ शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं। नीचे दिए गए अनेकार्थक शब्दों के अर्थ समझते हुए उन्हें वाक्यों में प्रयोग करें :

शब्द – अर्थ – वाक्य

  1. कुल – पूरा, सब, सारा ___________________
  2. कुल – खानदान, वंश ___________________
  3. सदा – हर समय ___________________
  4. सदा – आवाज़, पुकार ___________________
  5. वर – उत्तम, श्रेष्ठ ___________________
  6. वर – देवता से प्रसाद रूप में कुछ माँगना ___________________
  7. वर – नव विवाहिता स्त्री का पति ___________________
  8. पर – पराया ___________________
  9. पर – पंख ___________________
  10. खिलना – विकसित होना ___________________
  11. खिलना – प्रसन्न होना ___________________
  12. खिलाना – खाने में प्रवृत्त करना ___________________
  13. खिलाना – खेल खेलाना ___________________

उत्तर :

  1. कुल – पूरा, सब, सारा।
    वाक्य – परीक्षा में कुल पाँच छात्र पास हुए।
  2. कुल – खानदान, वंश।
    वाक्य – विवाह के समय व्यक्ति के कुल का ध्यान अवश्य रखा जाता है।
  3. सदा – हर समय।
    वाक्य – व्यक्ति को सदा सच बोलना चाहिए।
  4. सदा – आवाज़, पुकार।
    वाक्य – रमेश की दर्द भरी सदा ने मुझे जाने से रोक दिया।
  5. वर – उत्तम, श्रेष्ठ, देवता से प्रसाद रूप में कुछ माँगना।
    वाक्य – भगवान शिव ने अर्जुन को दो वर दिए।
  6. वर – नवविबाहित स्त्री का पति।
    वाक्य – सीमा ने अवनीश को वर के रूप में स्वीकार किया।
  7. पर – पराया।
    वाक्य – स्वार्थी से
  8. पर – उपकारी
    व्यक्ति श्रेष्ठ होता है
  9. पर – पंख।
    वाक्य – पक्षी अपने पर फड़फड़ा रहे हैं।
  10. खिलना – विकसित होना।
    वाक्य – बाग़ में बहुत – से सुन्दर पुष्प खिल गए हैं।
  11. खिलना – प्रसन्न होना।
    वाक्य – परीक्षा में प्रथम आने की बात सुनते ही आकाश का चेहरा खिल गया।
  12. खिलाना – खाने में प्रवृत्त करना
    वाक्य – माँ अपने बच्चे को सबसे बेहतर खाना खिलाती है।
  13. खिलाना – खेल खिलाना।
    वाक्य – आज खेल के मैदान में कोच ने हमें बहुत खिलाया।

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फूल और काँटा Summary in Hindi

फूल और काँटा कविता का सार

‘फूल और काँटा’ नामक कविता में कवि ने फूल और काँटे का तुलनात्मक वर्णन करते हुए स्वभाव में भिन्नता प्रकट की है। उसके अनुसार फूल और काँटा एक स्थान से उत्पन्न होते हैं तथा बढ़ते हैं। एक जैसी हवा, बारिश, धूप उनको लगती है फिर भी दोनों का स्वभाव बहुत भिन्न है। एक अपनी बुराई दिखाता है तथा दूसरा अपनी अच्छाई प्रकट करता है।

काँटा सबके हाथों को छेदता है; वस्त्र फाड़ता है ; तितलियों तथा भँवरों के शरीर को बौंधता है परन्तु फूल सब को अपनी महक तथा सुगन्धि से प्रसन्न करता है। कवि यह कहना चाहता है कि अच्छे कुल में जन्म लेने का क्या लाभ अगर अपने आप में बड़प्पन्न नहीं है। अपने गुणों के कारण ही कोई सम्मान प्राप्त करता है, परिवार के कारण नहीं।

फूल और काँटा काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. हैं जन्म लेते जगह में एक ही,
एक ही पौधा उन्हें है पालता।
रात में उन पर चमकता चाँद भी,
एक ही सी चाँदनी है डालता॥

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शब्दार्थ :

  • जन्म लेते = पैदा होते।
  • पौधा = छोटा पेड़।
  • पालता = पालन करता।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित ‘फूल और काँटा’ नामक कविता से लिया गया है। यह कविता अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटे का तुलनात्मक वर्णन करते हुए उनके स्वभाव में अन्तर को स्पष्ट किया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि फूल और काँटा दोनों एक ही जगह से जन्म लेते हैं। एक ही पौधा उन्हें पालता है अर्थात् एक ही पौधे पर दोनों पैदा होते हैं तथा बढ़ते हैं। रात में उन पर चमकता हुआ चन्द्रमा एक जैसी चाँदनी डालता है। दोनों को ही प्रकृति का प्रेम समान रूप से मिलता है।

विशेष –

  • कवि ने फूल और काँटे का तुलनात्मक वर्णन किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

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2. मेंह उन पर है बरसता एक – सा
एक – सी उन पर हवाएँ हैं बही।
पर सदा ही यह दिखाता है हमें,
ढंग उनके एक से होते नहीं॥

शब्दार्थ – मेंह = वर्षा, बारिश। ढंग = प्रणाली, पद्धति, तरीका, उपाय।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ से लिया गया है। इस कविता में कवि फूल और काँटे के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण कर रहे हैं

सरलार्थ – कवि कहता है कि फूल और काँटे दोनों पर एक – जैसी बारिश होती है। बहती हुई हवा भी दोनों को एक समान मिलती है। अत: सब कुछ समान होते हुए भी दोनों के ढंग व्यवहार एक – से नहीं हैं। दोनों का स्वभाव एक – जैसा नहीं है बल्कि भिन्न है।

विशेष –

  • कवि ने फूल और काँटे के परस्पर विरोधी स्वभाव को स्पष्ट किया है।
  • भाषा सहज स्वाभाविक है।

3. छेद कर काँटा किसी की उंगलियाँ,
फाड़ देता है किसी का वर वसन।
प्यार डूबी तितलियों का पर कतर,
भौंर का है बेंध देता श्याम तन॥

शब्दार्थ :

  • छेद देता = चुभ जाता, फाड़ देता।
  • वर = सुन्दर।
  • वसन = कपड़ा।
  • कतरना = काटना।
  • भौंर = भँवरे।
  • श्याम तन = काला शरीर।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटा के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण किया है।

सरलार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में काँटे के स्वभाव के बारे में बताया गया है। काँटा हाथ लगाने वाले की अंगुली में चुभ जाता है तथा किसी का सुन्दर कपड़ा फाड़ देता है। प्यार में डूबी हुई, फूल पर बैठ कर रस चूसने वाली तितलियों के परों को काट देता है। भँवरे के काले शरीर को भी बींध डालता है।

विशेष –

  • कवि ने काँटे के स्वभाव का यथार्थ वर्णन किया है।
  • भाषा सहज स्वाभाविक है।

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4. का फूल लेकर तितलियों को गोद में,
भौंर को अपना अनूठा रस पिला।
निज सुगन्धि और निराले रंग से,
है सदा देता कली का जी खिला॥

शब्दार्थ :

  • अनूठा = अनोखा।
  • भौंर = भँवरा।
  • निज = अपना।
  • जी = दिल।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटा के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण किया है।

सरलार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में फूल के स्वभाव का वर्णन किया गया है। फूल तितलियों को अपनी गोद में बिठाता है। भँवरों को अपना अनोखा रस पिलाता है फूल की कलियाँ अपनी खुशबू और अपने अनोखे रंग से हमेशा सबके दिल को खुश करती हैं। प्रत्येक व्यक्ति फूल की सुगन्धि और रंग से प्रसन्न हो जाता है।

विशेष –

  • कवि ने फूल के स्वभाव का सुंदर वर्णन किया है।
  • भाषा भावों के अनुरूप है।

5. है खटकता एक सब की आँख में,
दूसरा है सोहता सुर सीस पर।
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे,
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर॥

शब्दार्थ :

  • खटकना = बुरा लगना।
  • सोहता = अच्छा लगता।
  • सुर सीस = देवताओं के सिर पर।
  • बढ़ाई = बड़प्पन।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटा के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण किया है।

सरलार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में फूल और काँटे दोनों की तुलना की गई है। इनमें से काँटा सब की आँखों में खटकता है। बुरा लगता है पर फूल देवताओं के सिर पर शोभा पाता है। कवि कहता है कि खानदान की बड़ाई किस काम की अगर अपने में बड़प्पन की कमी हो। काँटे का जन्म सुन्दर पौधे पर हुआ परन्तु उसमें अपना बड़प्पन नहीं होता। इसलिए बुरा समझा जाता है। भाव यह है कि आदमी ऊँचे कुल में जन्म लेने पर बड़ा नहीं बनता बल्कि अपने गुणों के कारण महान् बनता है। इसलिए व्यक्ति को गुणों को ही अपनाना चाहिए तभी कुल का बड़प्पन होगा।

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विशेष –

  • कवि ने फूल और काँटे की परस्पर तुलना की है।
  • भाषा सहज तथा स्वाभाविक है।

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