PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 5 हार की जीत Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 हार की जीत (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB हार की जीत Textbook Questions and Answers

हार की जीत अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) बाबा भारती के घोड़े का क्या नाम था?
उत्तर :
बाबा भारती के घोड़े का नाम ‘सुलतान’ था।

(ख) खड्गसिंह कौन था?
उत्तर :
खड्ग सिंह इलाके का एक प्रसिद्ध डाकू था। लोग उसका नाम सुनकर काँपते।

(ग) बाबा भारती अपने घोड़े को देखकर खुश क्यों होते थे?
उत्तर :
बाबा भारती का घोड़ा बहुत ही सुन्दर और बलवान् था। इसलिए बाबा भारती उसे देखकर खुश होते थे और उसे ‘सुलतान’ कहकर पुकारते थे।

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(घ) “बाबा जी यह घोड़ा अब न दूँगा।” यह वाक्य किसने कहा और किसे कहा?
उत्तर :
“बाबा जी यह घोड़ा अब न दूंगा।” यह वाक्य खड्ग सिंह ने बाबा भारती से कहा था।

(ङ) “इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना” यह वाक्य किसने कहा, किसे और कब कहा?
उत्तर :
“इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना” वाक्य बाबा भारती ने खड्ग सिंह ने कहा था जब वह बाबा भारती को घोड़ा न देकर उसे बलपूर्वक ले जा रहा था।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) बाबा भारती को अपना घोड़ा क्यों प्रिय था?
उत्तर :
बाबा भारती को अपना घोड़ा उसी प्रकार प्रिय था जिस प्रकार माँ को अपनी संतान तथा किसान अपने लहलहाते खेत देखकर प्रसन्न होता है, उसी प्रकार बाबा भारती को अपना घोड़ा प्रिय था। वह घोड़ा सुन्दर तथा बलवान था। बाबा भारती उसे ‘सुलतान’ कहकर पुकारते थे। वे स्वयं घोड़े को दाना खिलाते थे और उसे देख – देख कर प्रसन्न होते थे।

(ख) खड्गसिंह ने घोड़े को प्राप्त करने के लिए क्या चाल चली?
उत्तर :
खड्ग सिंह ने बाबा भारती के घोड़े को प्राप्त करने के लिए अपाहिज का वेश बनाया और बाबा भारती के मार्ग में जा खड़ा हुआ। अपाहिज बनकर उसने बाबा भारती से प्रार्थना की, “बाबा, मैं दुखी हूँ। मुझ पर दया करो। रामावाला यहाँ से तीन मील है, मुझे वहाँ जाना है। घोड़े पर चढ़ा लो परमात्मा भला करेगा।” तब बाबा भारती ने दया करके अपाहिज को घोड़े पर बिठा दिया। वह अपाहिज और कोई नहीं बल्कि डाकू खड्ग सिंह था जिसने घोड़ा प्राप्त करने के लिए चाल चली थी।

(ग) बाबा भारती ने खड्ग सिंह से क्या प्रार्थना की?
उत्तर :
जब खड्ग सिंह अपाहिज बनकर घोड़े पर बैठ गया और कुछ देर बाद जब बाबा भारती को पता चला कि वह डाकू खड्ग सिंह है तो उन्होंने डाकू से कहा कि “यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है। मैं तुमसे इसे वापिस करने के लिए नहीं कहूँगा परन्तु खड्ग सिंह, केवल एक प्रार्थना करता हैं उसे अस्वीकार न करना नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा।” तम इस घटना का नाम किसी से न लेना नहीं तो लोग गरीब पर विश्वास न करेंगे।

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(घ) खड्गसिंह ने घोड़ा क्यों लौटा दिया?
उत्तर :
बाबा भारती के चले जाने के बाद खड्ग सिंह के कानों में बाबा भारती के शब्द उसी प्रकार गूंज रहे। वह सोच रहा था कि बाबा भारती के विचार कितने ऊँचे हैं। उनका भाव कितना पवित्र है। वे मनुष्य नहीं देवता हैं। उसे उनका घोड़ा नहीं लेना चाहिए था। इस समय खड्ग सिंह का हृदय परिवर्तित हो चुका था। उसकी आँखों में नेकी के आँसू थे। अतः इसी भाव से खड्ग सिंह ने बाबा भारती को घोड़ा लौटा दिया।

(ङ) इस कहानी की महत्वपूर्ण पंक्ति ढूँढकर लिखें, जिसने डाकू का हृदय परिवर्तित कर दिया।
उत्तर :
कहानी में डाकू के हृदय को परिवर्तित कर देने वाली पंक्तियाँ निम्न प्रकार से
(i) “अब घोड़े का नाम न लो। मैं तुम्हें इसके विषय में कुछ न कहूँगा। मेरी प्रार्थना यह है कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना।”
(ii) “लोगों को यदि इस घटना का पता चल गया तो वे किसी गरीब पर विश्वास न करेंगे।”
उक्त पंक्तियों ने डाकू खड्ग सिंह के हृदय में परिवर्तन ला कर रख दिया।

5. इन मुहावरों के अर्थ लिखकर उनको वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. हृदय अधीर होना …………… ……………………………………………..
  2. शब्द कानों में गूंजना …………… ……………………………………………..
  3. हृदय पर साँप लोटना …………… ……………………………………………..
  4. हाथ से छूटना …………… ……………………………………………..
  5. गले लिपटकर रोना …………… ……………………………………………..
  6. दिल टूटना …………… ……………………………………………..
  7. नेकी के आँसू बहना …………… ……………………………………………..
  8. मुँह मोड़ना …………… ……………………………………………..
  9. पीठ पर हाथ फेरना …………… ……………………………………………..
  10. मन मोह लेना …………… ……………………………………………..
  11. कीर्ति कानों तक पहुँचना …………… ……………………………………………..
  12. चाह खींच लाना …………… ……………………………………………..
  13. हृदय पर छवि अंकित हो जाना …………… ……………………………………………..
  14. हृदय में हलचल होना …………… ……………………………………………..
  15. वायु वेग से उड़ना …………… ……………………………………………..
  16. आश्चर्य का ठिकाना न रहना …………… ……………………………………………..
  17. तन कर बैठना …………… ……………………………………………..

उत्तर :

  1. हृदय अधीर होना = दिल बेचैन होना।
    वाक्य – शीला को जब पता चला कि सुबह परीक्षा का परिणाम आएगा तो उसका हृदय अधीर हो गया।
  2. शब्द कानों में गूंजना = बार – बार किसी की बातें याद आना।
    वाक्य – बाबा भारती द्वारा कहे गए शब्द रात भर खड्ग सिंह के कानों में गूंजते रहे।
  3. हृदय पर साँप लोटना = बहुत ईर्ष्या होना।
    वाक्य – सेठ जी की ऊँची हवेली देखकर फकीर चंद के हृदय पर
  4. हाथ से छूटना = गंवा बैठना, किसी वस्तु से वंचित होना।
    वाक्य – सहसा बाबा भारती को एक झटका लगा और लगाम उनके हाथ से छूट गई।
  5. गले लिपटकर रोना = प्यार उमड़ कर आना।
    वाक्य – अस्तबल में घोड़े को देखकर आश्चर्य और प्रसन्नता से बाबा भारती अपने घोड़े के गले से लिपटकर रोने लगे मानो कोई पिता पुत्र से मिल रहा है।
  6. दिल टूटना = हताश होना।
    वाक्य – इकलौते पुत्र की मृत्यु से राम गोपाल का दिल टूट गया।
  7. नेकी के आँसू बहना = पश्चाताप करना।
    वाक्य – बाबा भारती के वचनों को सुनकर डाकू खड्ग सिंह नेकी के आँसू बहाने लगा।
  8. मुँह मोड़ना = रूठ जाना। प्रफर कार चदक हृदय पर साप लोटने लगा।
    वाक्य – मैंने उसे बुरे लड़कों की संगति में रहने से मना किया तो वह मुझ से ही मुँह मोड़ बैठा।
  9. पीठ पर हाथ फेरना = शाबाशी देना।
    वाक्य – गुरु जी ने मोहन की पीठ पर हाथ फेर कर आशीर्वाद दिया।
  10. मन मोह लेना = मन को आकर्षित करना।
    वाक्य – शिमला के प्राकृतिक सौन्दर्य ने हम सबका मन मोह लिया।
  11. कीर्ति कानों तक पहुँचना = किसी के यश को सुनना।
    वाक्य – अच्छे लोगों की कीर्ति शीघ्र ही लोगों के कानों तक
  12. चाह खींच लाना = इच्छा से प्रभावित होना।
    वाक्य – मुझे तो आज तुम तक मेरे हृदय की चाह खींच लाई है।
  13. हृदय पर छवि अंकित हो जाना = मन में बस जाना।
    वाक्य – रमेश के सुन्दर व्यक्तित्व की छवि मेरे हृदय पर सदा के लिए अंकित हो चुकी है।
  14. हृदय में हलचल होना = उत्सुक होना, अस्थिर होना।
    वाक्य – नृत्य करती हुई राधिका को लड़खड़ाते देखकर सब के हृदय में हलचल होने लगी।
  15. वायु वेग से उड़ना = तेज दौड़ना।
    वाक्य – बाबा भारती का घोड़ा जब दौड़ता था तो ऐसा लगता था मानो वह वायु वेग से उड़ रहा हो।
  16. आश्चर्य का ठिकाना न रहना = हैरान रह जाना।
    वाक्य – वर्षों से खो चुके पुत्र को वापस आया देख माँ के आश्चर्य का ठिकाना न रहा।
  17. तन पर बैठना = अकड़ कर बैठना।।
    वाक्य – नेता जी सभा में तन कर बैठे थे।

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6. लिंग बदलें :

  1. घोड़ा = घोड़ी
  2. बालिका = …………………………
  3. बेटा = …………………………
  4. पुत्री = …………………………
  5. दास = …………………………
  6. बकरा = …………………………
  7. पिता = …………………………
  8. देवी = …………………………

उत्तर :

  1. घोड़ा = घोड़ी
  2. बेटा = बेटी
  3. बालिका = बालक
  4. दास = दासी
  5. पुत्री = पुत्र
  6. बकरा = बकरी
  7. पिता = माता
  8. देवी = देव।

7. विपरीत शब्द लिखें :

  1. सावधान = असावधान
  2. गरीब = अमीर
  3. भय = …………………….
  4. सुख = …………………….
  5. विश्वास = …………………….
  6. संध्या = …………………….
  7. संतोष = …………………….
  8. छाया = …………………….
  9. स्वीकार = …………………….
  10. भला = …………………….

उत्तर :

  1. सावधान = असावधान
  2. गरीब = अमीर
  3. भय = निर्भयसख
  4. सुख = दुःख
  5. विश्वास = अविश्वास
  6. संध्या = प्रातः, सवेरा
  7. संतोष = असंतोष
  8. छाया = धूप
  9. स्वीकार = अस्वीकार
  10. भला = बुरा

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8. शुद्ध रूप लिखें :

  1. आननद = आनंद
  2. प्रमात्मा = …………………….
  3. नमष्कार = …………………….
  4. परसन्न = …………………….
  5. हिरद्य = …………………….
  6. कीरती = …………………….

उत्तर :

  1. आननद = आनंद
  2. नमष्कार = नमस्कार
  3. प्रमात्मा = परमात्मा
  4. हिरदय = हदय
  5. परसन्न = प्रसन्न
  6. कीरती = कीर्ति

9. इन शब्दों में ‘र’ पूरा है या आधा, लिखें :

  1. प्रकट = …………………….
  2. आश्चर्य = …………………….
  3. कीर्ति = …………………….

उत्तर :

  1. प्रकट – ‘र’ आधा
  2. आश्चर्य – ‘र’ आधा
  3. कीर्ति – ‘र’ आधा

10. इन अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द लिखें :

  1. जहाँ पर घोड़े रखे जाते हैं = …………………….
  2. जिसका कोई अंग ठीक न हो = …………………….

उत्तर :

  1. अस्तबल
  2. अपाहिज

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11. इन वाक्यों में विशेषण शब्दों को ढूँढ़कर लिखें :

(क) वह घोड़ा सुंदर तथा बड़ा बलवान था। – सुंदर – बड़ा बलवान
(ख) खड्ग सिंह उस इलाके का प्रसिद्ध डाकू था। ______ – _______
(ग) बाबा, मैं दुःखी हूँ। ______ – _______
(घ) मैं उनका सौतेला भाई हूँ। ______ – _______
(ङ) चौथा पहर आरंभ होते ही बाबा भारती ने अपनी कुटिया से बाहर निकल, ठंडे जल से स्नान किया। ______ – _______
उत्तर :
(ख) इलाके प्रसिद्ध
(ग) दुःखी
(घ) सौतेला
(ङ) चौथा पहर ठंडे

12. इन वाक्यों में रेखांकित पदों के कारक बतायें :

(क) वे गाँव से बाहर एक छोटे से मंदिर में रहते थे।
(ख) उसके हृदय में हलचल होने लगी।
(ग) उसकी चाल देखकर खड्गसिंह के हृदय पर साँप लोट गया।
(घ) बाबा ने घोड़े को रोक लिया।
(ङ) उनके हाथ से लगाम छूट गई।
(च) वह धीरे-धीरे अस्पताल के फाटक पर पहुंचा।
(छ) वे घोड़े को खोलकर बाहर ले गये।
उत्तर :
(क) गाँव से – करण तत्पुरुष कारक
मन्दिर में – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(ख) उसके हृदय में – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(ग) खड्ग सिंह – संबंध तत्पुरुष कारक
हृदय पर – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(घ) बाबा ने – कर्ता तत्पुरुष कारक
(ङ) उनके – संबंध तत्पुरुष
हाथ से – अपादान तत्पुरुष कारक
(च) अस्पताल के – संबंध तत्पुरुष
फाटक पर – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(छ) घोड़े को – कर्म तत्पुरुष कारक

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योग्यता विस्तार

  • इस कहानी में बाबा भारती और खड्गसिंह के संवाद कहानी को चरम सीमा तक पहुँचाने में सहायक हुए हैं। कक्षा में अध्यापक उन संवादों को उचित भाव-भंगिमा तथा तान-अनुतान के साथ बच्चों को बुलवाये।
  • कई बार किसी व्यक्ति के मुख से निकले वचन किसी के जीवन की दिशा बदल देते हैं। बाबा भारती के उन वाक्यों को लिखो जिन्होंने डाकू खड्गसिंह का हृदय परिवर्तित कर दिया।
  • इसी भाव को लेकर लिखी गई एक कहानी है ‘अंगुलिमाल’ । उस कहानी को पढ़ो।

प्रयोगात्मक व्याकरण

(क) घोड़ा हिनहिनाया।
(ख) घोड़ा हिनहिना रहा है।
(ग) घोड़ा हिनहिनायेगा।

उपर्युक्त वाक्यों में ध्यान से क्रिया को पहचानिए। ध्यान दीजिए कि पहले वाक्य में क्रिया हो गयी है (हिनहिनाया) दूसरे वाक्य में क्रिया हो रही है- (हिनहिना रहा है) तथा तीसरे वाक्य में क्रिया आने वाले समय में अभी होगी (हिनहिनायेगा)। दरअसल क्रिया से यह भी पता चलता है कि काम कब हुआ अर्थात् क्रिया होने का समय। इसे ही क्रिया का काल कहते हैं।

अतएव क्रिया के जिस रूप से उसके होने के समय का ज्ञान हो उसे ‘काल’ कहते हैं।
(क) बाबा ने घोड़े को रोका।
(ख) खड्ग सिंह उस इलाके का प्रसिद्ध डाकू था।
(ग) बाबा भारती सुलतान की पीठ पर सवार होकर घूमने जा रहे थे।

इन वाक्यों में ‘रोका’, था’ तथा ‘ जा रहे थे’ क्रियाएँ हैं। इनमें क्रिया का करना या होना बीते हुए समय में हुआ है।अतः बीते समय को भूतकाल कहते हैं।
(क) अपाहिज घोड़े को दौड़ाए जा रहा है।
(ख) अपाहिज घोड़े को दौड़ाता है।
(ग) अपाहिज घोड़े को दौड़ाता होगा।

इन वाक्यों में दौड़ाए जा रहा है’, ‘दौड़ाता है’, तथा दौड़ाता होगा’ क्रियाएँ हैं। इनमें क्रिया चल रहे समय अर्थात् वर्तमान काल में हो रही है अतः चल रहे समय को वर्तमान काल कहते हैं।
(क) बाबा जी, यह घोड़ा आपके पास न रहने दूंगा।
(ख) उसकी चाल तुम्हारा मन मोह लेगी।

उपर्यक्त वाक्यों में रहने दूंगा’ तथा ‘मोह लेगी’ क्रियाएँ हैं। इन क्रियाओं से भविष्य में कार्य के होने का पता चलता है अर्थात् अभी कार्य हुआ नहीं है। अत: जब क्रिया का करना या होना आने वाले समय में पाया जाता है, उसे भविष्यत काल कहते हैं।

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याद रखें :
कामका करना या होना-यह बतलाये क्रिया हमें
भूत, वर्तमान है भविष्य-यह बतलाये काल हमें

हार की जीत Summary in Hindi

हार की जीत कहानी का सार

बाबा भारती का घोड़ा बहुत सुन्दर था। सारे इलाके में ऐसा कोई घोड़ा न था। बाबा भारती उससे बहुत प्यार करते थे। वे घोड़े को ‘सुलतान’ कह कर पुकारते थे।

डाकू खड्ग सिंह का हृद्य घोड़ा देखने को अधीर हो उठा। एक दिन दोपहर को वह बाबा भारती के पास पहुँच गया। बाबा भारती और खड्ग सिंह दोनों अस्तबल में पहुंचे। खड्ग सिंह ने घोड़े की चाल देखी तो वह उस पर लटू हो गया। जाते हुए उसने कहा, ‘बाबा जी, मैं यह घोड़ा आपके पास न रहने दूंगा।’

बाबा जी रातें अस्तबल की रखवाली में काटने लगे। महीनों बीत गए। मगर खड्ग सिंह नहीं आया। अब बाबा भारती का डर जाता रहा। एक दिन बाबा भारती जी घोड़े पर सवार होकर कहीं जा रहे थे। उन्हें एक आवाज़ आई, “ओ बाबा ! मैं अपाहिज हूँ। रामावाला गाँव तक जाना चाहता हूँ दया करके मुझे घोड़े पर चढ़ा लोग।”

बाबा भारती उस अपाहिज को घोड़े पर चढ़ा कर स्वयं उसकी लगाम थाम कर साथ चलने लगे। अचानक झटका लगा और लगाम हाथ से छूट गई। अपाहिज डाकू खड्ग सिंह था। वह घोड़े को दौड़ाए लिए जा रहा था।

बाबा भारती ने खड्ग सिंह से कहा – एक बात सुनते जाओ। उसने घोड़ा रोक लिया। बाबा भारती ने पास जाकर कहा कि यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका। मैं इसे वापस करने को नहीं कहूँगा केवल एक बात का वायदा करो कि तुम इस घटना को किसी से न कहोगे क्योंकि लोगों को यदि इस घटना का पता लग गया तो वे किसी गरीब पर विश्वास न करेंगे। बाबा भारती घोड़े से मुंह मोड़ कर अपनी कुटिया में आ गए।

खड्ग सिंह के कानों में बाबा भारती जी के उक्त शब्द गूंज रहे थे। उसने सोचा, “बाबा भारती मनुष्य नहीं देवता है।” एक रात खड्ग सिंह चुपचाप घोड़े को बाबा भारती जी के अस्तबल में छोड़ आया। बाबा भारती ने जब सुबह उठ कर देखा तो उनकी आँखों से आनन्द के आँसू बह निकले।

हार की जीत कठिन शब्दों के अर्थ

  • भगवद् भजन = ईश्वर का स्मरण।
  • वेदना = पीड़ा।
  • असहाय = बेसहारा।
  • कीर्ति = यश।
  • अधीर = बेचैन।
  • विचित्र = अनोखा।
  • प्रशंसा = बड़ाई, तारीफ।
  • छवि = शोभा।
  • अभिलाषा = इच्छा।
  • अस्तबल = घोड़ों को बाँधने का स्थान।
  • सहस्त्रों = हज़ारों।
  • बांका = सुन्दर।
  • भाग्य = किस्मत।
  • वायु वेग = हवा की चाल।
  • अधिकार = हक।
  • बाहुबल = भुजाओं की शक्ति।
  • प्रतिक्षण = हर समय।
  • मिथ्या = झूठ।
  • फूला न समाना = बहुत खुश होना।
  • अपाहिज = अपंग।
  • विस्मय = हैरानी।
  • अस्वीकार = नामंजूर।
  • दास = नौकर।
  • प्रयोजन = मतलब।
  • अन्धकार = अन्धेरा।
  • पश्चात्ताप = पछताना।
  • बलवान = ताकतवर।

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हार की जीत गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. बाबा जी भी मनुष्य ही थे। अपनी वस्तु की प्रशंसा दूसरे के मुख से सुनने के लिए उनका हृदय अधीर हो गया। घोड़े को खोलकर बाहर ले गए। घोड़ा वायु – वेग से उड़ने लगा। उसकी चाल देखकर खड्ग सिंह के हृदय पर साँप लोट गया। वह डाकू था जो वस्तु उसे पसन्द आ जाए, उस पर वह अपना अधिकार समझता था। जाते – जाते उसने कहा, “बाबा जी यह घोड़ा आपके पास न रहने दूंगा।”

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ से अवतरित है, जिसके लेखक सुदर्शन हैं। लेखक ने डाकू खड्ग सिंह द्वारा बाबा भारती के घोड़े की प्रशंसा करने का तथा उस पर मन्त्रमुग्ध होने का सुन्दर वर्णन किया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 5

व्याख्या – लेखक कहता है कि इस संसार में ऐसा कोई मानव नहीं जिसे अपनी या अपनी वस्तु की प्रशंसा सुनना अच्छा न लगता हो। बाबा भारती भी इसी प्रकार के व्यक्ति थे। वे भी अपने घोड़े की प्रशंसा सुनना चाहते थे। घोड़े की प्रशंसा सुनने के लिए उनका दिल बेचैन हो उठा। अपनी इसी बेचैनी को दूर करने के लिए वे घोड़ा खोलकर बाहर खड्ग सिंह के समक्ष ले आए। शीघ्र ही घोड़ा तीव्र गति से दौड़ने लगा।

घोड़े की गति और चाल देखकर डाकू खड्ग सिंह को ईर्ष्या होने लगी। खड्ग सिंह तो एक डाकू थां, उसे जो वस्तु पसन्द आ जाती थी, फिर वह उसे अपना ही समझता था। फिर चाहे उसे वह चीज़ बलपूर्वक ही क्यों न लेनी पड़े। बाबा भारती के अस्तबल से जाते समय वह बाबा से कह गया कि वह बाबा के पास उनके घोड़े सुलतान को अधिक समय तक नहीं रहने देगा। वह उसे अवश्य लेकर चला जाएगा।

विशेष –

  • लेखक ने डाकू खड्ग सिंह के मन में बाबा भारती के घोड़े के प्रति ईर्ष्या में लालच के भाव को दिखाया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

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2. बाबा भारती ने घोड़े से उतर कर अपाहिज को घोड़े पर सवार किया और स्वयं उसकी लगाम पकड़कर धीरे – धीरे चलने लगे। सहसा उन्हें एक झटका – सा लगा और लगाम उनके हाथ से छूट गई। उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उन्होंने देखा कि अपाहिज घोड़े की पीठ पर तन कर बैठा है और घोड़े को दौड़ाए जा रहा है। वह खड्ग सिंह था।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ से लिया गया है, जिसके रचनाकार सुदर्शन हैं। लेखक ने यहाँ घोड़ा पाने की चाह में खड्ग सिंह की कुटिल चाल को दिखाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि बाबा भारती एक नेक दिल व्यक्ति थे। उनके हृदय में गरीबी के प्रति अनन्य सेवा – भाव एवं प्रेम था। इस सेवा – भाव के कारण बाबा भारती स्वयं घोड़े से नीचे उतर गए और अपाहिज को घोड़े पर बैठा दिया और घोड़े की लगाम को पकड़ कर वे स्वयं धीरे चलने लगे।

अचानक बाबा भारती को एक झटका लगा और लगाम उनके हाथ से छूट गई। उनका दिल यह देखकर बेचैन हो उठा कि जो अपाहिज अभी तक दया के लिए गिड़गिड़ा रहा था, वह अब अकड़ कर घोड़ की पीठ पर बैठा हुआ, घोड़े को तेजी से दौड़ा रहा था। वह व्यक्ति अपाहिज का वेश लिए कोई और न होकर डाकू खड़ग सिंह था।

विशेष –

  • लेखक ने बाबा भारती की उदारता एवं खड्ग सिंह की कुटिलता को दर्शाया है।
  • भाषा सहज स्वाभाविक है।

3. घोड़े ने अपने स्वामी के पाँवों की चाप को पहचान लिया और ज़ोर से हिनहिनाया। अब बाबा भारती आश्चर्य और प्रसन्नता से दौड़ते हुए अन्दर घुसे और अपने घोड़े के गले से लिपट कर इस प्रकार रोने लगे मानो कोई पिता बहुत दिन के बिछुड़े हुए पुत्र से मिल रहा हो। बार – बार उसकी पीठ पर हाथ फेरते, बार – बार उसके मुँह पर थपकियाँ देते।

फिर से संतोष से बोले, “अब कोई ग़रीबों की सहायता से मुँह नहीं मोड़ेगा।”

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ से अवतरित है, जिसके रचनाकार सुदर्शन हैं। लेखक ने अपनी इस कहानी में अच्छाई की बुराई पर जीत दिखाई है। यहाँ लेखक ने बाबा भारती के पशु प्रेम को उजागर किया

व्याख्या – लेखक कहता है कि जब बाबा भारती घटना की रात के बाद सुबह स्नान करने बाद अस्तबल के फाटक के पास पहुंचे तो उनके घोड़े सुलतान ने बाबा भारती के कदमों की आवाज़ को सुनकर पहचान लिया और ज़ोर – ज़ोर से हिनहिनाने लगा। घोड़े के हिनहिनाने की आवाज़ सुनकर बाबा भारती बड़ी ही हैरानी एवं खुशी से अस्तबल के अन्दर पहुँचे और अपने घोड़े सुलतान को गले लगाकर फूट – फूट कर रोने लगे।

उस सयम ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई पिता अपने बिछुड़े पुत्र को गले से लगाकर रो रहा हो। यह प्यार ऐसा लगा रहा था मानो ये दोनों पिता – पुत्र हो। बाबा भारती बार – बार सुलतान की पीठ पर प्यार से हाथ फेर रहे थे और उसे थपकियाँ दे रहे थे। कुछ देर बाद बाबा भारती सन्तोष भरे स्वरों में बोले की अभी समय इतना खराब नहीं हुआ है। अभी लोग गरीबों पर भरोसा करेगे। उनकी मदद करेंगे।

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विशेष –

  • लेखक ने बाबा भारती का घोड़े के प्रति असीम प्यार दर्शाया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

4. माँ को अपने बेटे और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनन्द आता है, वही आनन्द बाबा भारती को अपना घोड़ा देख कर आता था। वह घोड़ा सुन्दर तथा बड़ा बलवान था। बाबा भारती उसे ‘सुलतान’ कहकर पुकारते, खुद दाना खिलाते और देख – देख कर प्रसन्न होते थे। वे गाँव से बाहर एक छोटे – से मन्दिर में रहते और भगवान का भजन करते थे। सुलतान के बिना जीना उनके लिए बहुत ही कठिन था।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ नामक शीर्षक से लिया गया है, जिसके लेखक सुदर्शन हैं। यहाँ लेखक ने बाबा भारती के घोड़े की विशेषताएँ एवं बाबा भारती का घोड़े के प्रति प्रेम दिखाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि जिस प्रकार कोई माँ अपने पुत्र से प्रेम करती है, किसान अपने हरे – भरे लहलहाते हुए खेतों से प्यार करता है और उसे आनन्द आता है ठीक उसी प्रकार बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आनन्द आता था। उनका घोड़ा बहुत ही सुन्दर तथा ताकतवर था। बाबा भारती अपने घोड़े को प्यार से ‘सुलतान’ कहकर पुकारते थे।

वे उसे स्वयं दाना खिलाते थे। वे अपने घोड़े सुलतान को देखकर खूब आनन्दमग्न होते थे। बाबा भारती गाँव के बाहर बने एक मन्दिर रहते थे जहाँ वे भगवान के भजन गया करते थे। अपने घोड़े सुलतान से असीम प्रेम के कारण उसके बिना बाबा भारती अपने जीवन को अत्यंत कठिन मानते थे।

विशेष –

  • लेखक ने घोड़े के प्रति बाबा भारती के असीम प्रेम को उजागर किया है।
  • भाषा भावानुकूल है।

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