PSEB 7th Class Science Notes Chapter 4 ऊष्मा

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PSEB 7th Class Science Notes Chapter 4 ऊष्मा

→ किसी वस्तु को छूकर उसके गर्म या ठंडा होने का पता करने का तरीका विश्वसनीय नहीं है।

→ तापमान किसी वस्तु की गर्मी अथवा ठंडक का दर्जा है।

→ किसी वस्तु के गर्म अथवा ठंडे होने का दर्जा अर्थात् तापमान एक यंत्र थर्मामीटर से मापा जाता है।

→ मानवीय शरीर या सजीव का तापमान डॉक्टरी थर्मामीटर (क्लीनिकल थर्मामीटर) से मापा जाता है।

→ डॉक्टरी थर्मामीटर पर एक स्केल देखा जाता है। यह स्केल या तो सेल्सियस [°C] या फारेनहाइट [°F] या फिर दोनों में होता है।

→ डॉक्टरी थर्मामीटर में एक काँच की समरूप सुराख वाली कोशिका नली होती है जिसके निचले सिरे पर एक बल्ब होता है।

→ डॉक्टरी थर्मामीटर के बल्ब के ऊपर एक टेढ़ापन या गांठ (Kuik) होती है जो पारे के लेवल (स्तर) को भार के कारण नीचे नहीं गिरने देता।

→ डॉक्टरी थर्मामीटर के प्रयोग करने से पहले तथा बाद में ऐंटीसैप्टिक के घोल से साफ कर लेना चाहिए।

PSEB 7th Class Science Notes Chapter 4 ऊष्मा

→ डॉक्टरी थर्मामीटर का मापक्रम 35°C से 42°C तक होता है।

→ डॉक्टरी थर्मामीटर को प्रयोग करने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि पारे का लेवल (स्तर) 35°C से कम हो, यदि ऐसा नहीं है तो थर्मामीटर को मज़बूती से पकड़ कर झटका देकर स्तर को 35°C से नीचे लाना चाहिए।

→ निरोगी मनुष्य का सामान्य तापमान 37°C या 98.4°F है।

→ वस्तुओं का तापमान मापने के लिए अन्य थर्मामीटर होते हैं। इनमें से एक है लैब (प्रयोगशाला) थर्मामीटर। प्रयोगशाला थर्मामीटर की रेज़-10°C से 110°C तक होती है।

→ प्रयोगशाला थर्मामीटर से वस्तु का तापमान उस समय मापना चाहिए जब थर्मामीटर के पारे का स्तर स्थिर हो जाए।

→ वह विधि जिसमें ऊष्मा का संचार किसी वस्तु के गर्म सिरे से ठंडे सिरे की ओर पदार्थ के कणों के द्वारा होता है उसको चालन कहते हैं। ठोस पदार्थ चालन विधि द्वारा गर्म होते हैं।

→ वह पदार्थ जो ऊष्मा का अच्छा संचार करते हैं, चालक अथवा सुचालक कहलाते हैं।

→ लोहा, चांदी, तांबा, एल्यूमीनियम से बनी वस्तुएँ ऊष्मा की चालक होती हैं।

→ वह पदार्थ जो ऊष्मा का अच्छा संचार नहीं करते उन्हें ऊष्मारोधी या कुचालक कहते हैं; जैसे-लकड़ी, प्लास्टिक तथा रबड़।

→ वायु ताप की सुचालक नहीं है।

→ ताप संचार की वह विधि जिसमें ऊष्मा का संचार पदार्थ के गर्म अणुओं की गति के कारण होता है, संवहन कहते हैं।

→ द्रव तथा गैसों में ऊष्मा का संचार संवहन विधि द्वारा होता है।

→ तटीय क्षेत्रों में दिन के समय समुद्र से तट की ओर बहती पवन को जल समीर कहते हैं।

→ तटीय क्षेत्रों में रात के समय तट से समुद्र की ओर बहती पवन को थल समीर कहते हैं।

→ माध्यम के बिना गर्म वस्तुओं द्वारा विकिरण छोड़ने के कारण ताप का संचार होने को विकिरण कहते हैं। ताप के विकिरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती।

→ गहरे रंग के कपड़े हल्के रंग के कपड़ों के मुकाबले ताप को अधिक अवशोषित करते हैं। इसलिए सर्दियों को हम गहरे रंग तथा गर्मियों को हम हल्के रंग के कपड़े पहनते हैं।

→ ऊन के कपड़े सर्दियों में गर्मी देते हैं क्योंकि ऊन के रेशों में हवा फंसी होती है जो ऊष्मा की कुचालक हैं।

→ ताप : यह एक कारक है जो हमें गर्मी अनुभव करवाता है। यह एक प्रकार की ऊर्जा है।

→ तापमान : तापमान किसी वस्तु की गर्मी या ठंडक का दर्जा (कोटि) है। इसमें ऊष्मा के प्रवाह की दिशा का पता लगता है।

→ थर्मामीटर : यह एक यंत्र है जिस की सहायता से किसी वस्तु का तापमान मापा जा सकता है।

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→ सेल्सियस स्केल : सेल्सियस स्केल तापमान मापने का स्केल है। कई बार इसे सेंटीग्रेड स्केल भी कहते हैं।

→ रोधक : वह पदार्थ जिसमें से ताप का अच्छा/उचित संचार नहीं हो सकता, इस वस्तु को रोधक या ऊष्मारोधक माना जाता है।

→ चालन : यह ताप संचार की एक विधि है जिसमें ताप वस्तु के गर्म सिरे से ठंडे सिरे की ओर वस्तु के पदार्थ के अणुओं द्वारा होता है, परंतु वस्तु के अणु अपने स्थान पर स्थिर रहते हैं।

→ संवहन के अणु (तरल या गैस) : यह ताप संचार की वह विधि है जिसमें ताप गर्म अणुओं की गति कारण ताप के स्रोत से ठंडे भाग की ओर जाते हैं तथा ठंडे अणु उनका स्थान लेने के लिए किनारों से होकर ताप के स्रोत की ओर आते हैं। इस विधि द्वारा द्रव तथा गैसें गर्म होती हैं।

→ विकिरण : यह ताप संचार की वह विधि है जिसमें माध्यम को बिना गर्म किए स्रोत से ठंडे स्रोत की ओर ताप संचार करता है।

→ जल समीर : दिन के समय सूरज की गर्मी के कारण थल की मिट्टी के अणु जल्दी गर्म हो जाते हैं जबकि समुद्र का पानी इतना गर्म नहीं होता। इसलिए थल के निकट वाली हवा/वायु गर्म होकर हल्की होने के कारण ऊपर उठती है। इसका स्थान लेने के लिए समद्र से ठंडी वायु बहनी आरंभ हो जाती है। जिस कारण संवहन धाराएं बहनी शुरू होती हैं। यह समुद्र के तटीय क्षेत्र की ओर बहती हवा जल समीर कहलाती है।

→ थल समीर : अधिक ऊष्मा अवशोषित करने के सामर्थ्य के कारण जल, थल से देर में ठंडा होता है जिस कारण थल की ठंडी हवा, समुद्री जल की ओर बहने लगती है, जिसे थल समीर कहते हैं।

→ फारेनहाइट स्केल: फारेनहाइट स्केल तापमान मापने के लिए बनाई गई स्केल है।

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