PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 10 फलों एवम् सब्जियों का प्रबन्धन

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 10 फलों एवम् सब्जियों का प्रबन्धन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 10 फलों एवम् सब्जियों का प्रबन्धन

PSEB 8th Class Agriculture Guide फलों एवम् सब्जियों का प्रबन्धन Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
फल एवम् सब्जियों की सघनता किस यंत्र से मापी जाती है ?
उत्तर-
सघनता नापने के लिए यंत्र पैनटरोमीटर है।

प्रश्न 2.
रिफरैक्ट्रोमीटर यंत्र किस मापदंड को मापने के लिए प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
मिठास की मात्रा का पता लगाने के लिए।

प्रश्न 3.
कितने प्रतिशत फलों की पैदावार मण्डियों में पहुंचने से पहले ही खराब (नष्ट) हो जाती है ?
उत्तर-
25-30%.

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प्रश्न 4.
मोम की पर्त किस फल पर चढ़ाना लाभदायक है ?
उत्तर-
नींबू जाति के फल (किन्नू), सेब और नाशपत्ती।

प्रश्न 5.
शीत भंडारण करने के लिए आलू, किन्नू को कितने तापमान की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
आलू के लिए 1 से 2 डिग्री सेंटीग्रेड और किन्नू के लिए 4 से 6 डिग्री सैंटीग्रेड।

प्रश्न 6.
प्याज़ को शीत भंडारण के लिए कितनी नमी की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
65-70%.

प्रश्न 7.
किन फलों में मिठास/खट्टास अनुपात के आधार पर पकने की अवस्था को पहचाना जाता है ?
उत्तर-
अंगूर और नींबू जाति के फल, जैसे-संगतरा, किन्न आदि।

प्रश्न 8.
उपज की ढोआ-ढुलाई समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
ट्रक की ज़मीन पर पराली की मोटी पर्त बिछानी चाहिए। उपज के ऊपर किसी तरह का भार नहीं डालना चाहिए।

प्रश्न 9.
फलों को पकाने के लिए प्रयुक्त होने वाले हानिकारक रसायनों के क्या नाम है ?
उत्तर-
कैल्शियम कार्बायड।

प्रश्न 10.
फलों को पकाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रमाणीकृत पद्धति का नाम लिखें।
उत्तर-
इथीलीन गैस के साथ पकाना।

(आ) एक-दो वाक्य में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
फल एवम् सब्जियों की श्रेणीकरण किस आधार पर की जाती है ?
उत्तर-
श्रेणीकरण प्रचलित मण्डियों की आवश्यकता अनुसार की जाती है। फलों तथा सब्जियों की श्रेणीकरण आकार, भार, रंग आदि के अनुसार की जाती है। इस तरह लाभ अधिक लिया जाता है।

प्रश्न 2.
उपज को तोड़ने के उपरांत एकदम ठण्डा क्यों करना चाहिए ?
उत्तर-
उपज को तोड़ने के उपरांत अच्छी तरह ठण्डा करने से इसकी आयु में वृद्धि होती है। उपज को ठण्डे पानी, ठण्डी हवा से ठण्डा किया जाता है।

प्रश्न 3.
फल एवम् सब्जियों के भण्डारण के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
जब फसल की आमद अधिक होती है तो आय कम होती है। इसलिए फसल को स्टोर करने के बाद में बेचने पर बहुत लाभ लिया जा सकता है।

प्रश्न 4.
पेनट्रोमीटर एवम् रिफरैक्ट्रोमीटर किस काम आते हैं?
उत्तर-
फल की सघनता मापने वाला यन्त्र पेनट्रोमीटर होता है तथा रिफरैक्ट्रोमीटर नाम का यन्त्र फल की मिठास की मात्रा को मालूम करने के लिए होता है।

प्रश्न 5.
व्यापारिक स्तर पर फल व सब्जियों को श्रेणीबद्ध किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर-
व्यापारिक स्तर पर फलों और सब्जियों का आकार और भार नापने के लिए मशीनरी का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 6.
उपज को तुड़वाई के पश्चात् ठण्डा करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
उपज को तुड़वाई के बाद इसको अच्छी तरह ठण्डा करना चाहिए। इससे उपज की आयु में वृद्धि होती है। उपज के अनुसार इसको ठण्डे पानी या ठण्डी हवा से ठण्डा किया जाता है।

प्रश्न 7.
फलों एवम् सब्जियों का श्रेणीकरण किस आधार पर किया जा सकता
उत्तर-
श्रेणीकरण प्रचलित मण्डियों की आवश्यकता अनुसार की जाती है। फलों तथा सब्जियों की श्रेणीकरण आकार, भार, रंग आदि के अनुसार की जाती है। इस तरह लाभ अधिक लिया जाता है।

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प्रश्न 8.
किन फलों को इथीलीन गैस से पकाया जा सकता है ?
उत्तर-
इथलीन गैस से फलों को पकाना व्यापारिक स्तर पर पकाने की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त तकनीक है। इससे कई फलों को पकाया जाता है। जैसे-केला, नाशपाती, टमाटर आदि।

प्रश्न 9.
टमाटर को तोड़ने के लिए कौन-से मापदण्ड प्रयोग किए जाते हैं ?
उत्तर-
इस काम के लिए रंग चार्ट का प्रयोग किया जाता है। नज़दीक की मण्डी के लिए टमाटर लाल पके हुए, मध्यम दूरी वाली मण्डी के लिए गुलाबी रंग के, दूर वाली मण्डी के लिए पूरे आकार के परन्तु हरे रंग से पीले रंग में बदलना शुरू होने पर ही तोड़ने चाहिए।

प्रश्न 10.
अधिक महंगी उपजों के लिए किन डिब्बों का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
अधिक महंगी उपज जैसे-सेब, आम, अंगूर, किन्नू, आड़, लीची, अलूचा, आदि को गत्ते के डिब्बे में पैक किया जाता है।

(इ) पाँच-छः वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
मोम चढ़ाने से क्या अभिप्राय है ? इसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
तुड़वाई के बाद संभालने तथा मण्डीकरण दौरान उपज में से पानी उड़ता है। इसका प्रभाव यह होता है कि फसलों की प्राकृतिक चमक तथा गुणवत्ता कम होती है। इसको कम करने के लिए उपज पर मोम चढ़ाई जाती है। फल जैसे कि नींबू जाति के फल, किन्नू, आड़, सेब, नाशपाती आदि तथा सब्जियां-जैसे कि बैंगन, शिमला मिर्च, टमाटर, खीरा आदि पर तुड़वाई के बाद मोम चढ़ाना एक आम प्रक्रिया है। इन फसलों की दर्जाबंदी, धुलाई या अन्य कोई संभाल करते समय प्राकृतिक मोम उतर जाती है। इसके स्थान पर भोजन दर्जा मोम चढ़ाई जाती है। इसके साथ तुडाई के बाद संभाल तथा मण्डीकरण के समय उपज में से पानी कम उड़ता है।
मोम चढ़ाने के बाद इसको अच्छी तरह सुखा लें। भोजन दर्जा मोम जो कि भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं वो हैं-शैलाक मोम, कारनौब मोम, मधुमक्खी के छत्तों से निकाला मोम।

प्रश्न 2.
इथीलीन गैस से फल पकाने के विषय में संक्षेप नोट लिखें।
उत्तर-
फलों को व्यापारिक स्तर पर पकाने के लिए इथलीन गैस से पकाना एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त तकनीक है। इस तकनीक में फलों को 100-150 पी०पी०एम० इथलीन की मात्रा वाले कमरे में 24 घण्टे के लिए रखा जाता है। इस तरह पकाई क्रिया शुरू हो जाती है। इस तकनीक की सफलता के लिए तापमान 15 से 25° सैल्सियस तथा नमी की मात्रा 90-95% होनी चाहिए। इथलीन गैस को पैदा करने के लिए इथलीन जनरेटर का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 3.
सरिक एवम् कलिंग फिल्म के प्रयोग पर नोट लिखें।
उत्तर-
फल तथा सब्जियों को एक विशेष तरह की ट्रे में डालकर ट्रे को सरिक तथा
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चित्र-सरिक फिल्म पैक करने वाली मशीन
कलिंग चढ़ा कर पैक कर दिया जाता है। इस तरह फल तथा सब्जियां पूरी तरह नज़र आती रहती हैं तथा इनकी गुणवता भी बनी रहती है। महंगे फल तथा सब्जियों जैसे कि किन्नू, टमाटर, बीज रहित खीरा आदि को इसी तरह पैक करके मण्डीकरण किया जाता है। इस तरह अधिक कमाई की जा सकती है।

प्रश्न 4.
गत्तों के डिब्बों में फल और सब्जियों को पैक करने का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
फलों तथा सब्जियों की ढुलाई में सुरक्षित रखने के लिए डिब्बाबंदी बहुत लाभदायक रहती है। इस काम के लिए लकड़ी, बांस तथा गत्ते आदि में डिब्बाबंदी की जाती है।
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चित्र-पैकिंग के लिए गत्ते के डिब्बों का प्रयोग महंगे उत्पादों, जैसे-सेब, आम, अंगूर, किन्नू, लीची, अलूचा, आड़ आदि को गत्ते के डिब्बों में बंद करके दूर की मण्डियों में सुरक्षित ढंग से भेजा जाता है तथा अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 5.
फल एवम् सब्जियों की तुड़वाई समय किन बातों की ओर ध्यान देना चाहिए ?
उत्तर-

  1. फलों तथा सब्जियों की तुड़ाई इस तरह करो कि हानि कम से कम हो।
  2. नम्रता से तोड़ने, खोदने तथा हाथ से निकालने से फसल को कम हानि होती है।
  3. तुड़वाई के समय दोनों तरफ से खुले मुंह वाले कपड़े की झोलियों का प्रयोग करना चाहिए।
  4. फलों को तोड़ने के लिए कलिप, चाकू और कैंची आदि का प्रयोग किया जाता है। ध्यान रखें कि क्लीपर तथा चाकू सदा साफ तथा तीखी धार वाले हों।
  5. किन्नू जैसे फल की डंडी को जितना हो सके फल के पास से ही काटना चाहिए। यदि डंडी लम्बी होगी तो ढुलाई दौरान यह साथ वाले फलों में चुभ कर जख्मी कर देती
  6. तीन पैरों वाली सीढ़ी से किन्नू, नाख, आड़, अलूचा, बेर, आम आदि की तुड़ाई करने से तुड़ाई करते समय यदि शाख टूट भी जाए तो हानि नहीं होती तथा ऊंचाई पर लगे फल तोड़ने आसान हो जाते हैं।
  7. तुड़वाई के समय फल को खींच कर नहीं तोड़ना चाहिए, इस तरह फल ऊपर डंडी वाली जगह पर ज़ख्म हो जाता है और फसल को कई तरह की बीमारियाँ लग सकती हैं।
  8. मज़दूरों को फलों और सब्जियों को तोड़ने के मापदण्डों के बारे जानकारी ज़रूर देनी चाहिए।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB फलों एवम् सब्जियों का प्रबन्धन Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय मैडीकल खोज संस्था के अनुसार प्रति व्यक्ति को हर रोज़ कितने फल और सब्जियां खानी चाहिए ?
उत्तर-
300 ग्राम सब्जियां और 80 ग्राम फल।

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प्रश्न 2.
भारत में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कितने फल और सब्जियां हिस्से आते हैं ?
उत्तर-
30 ग्राम फल और 80 ग्राम सब्जियां।

प्रश्न 3.
टमाटर, आम, आड़ आदि तुड़वाई योग्य अवस्था में पहुंच गया है। किसकी सहायता के साथ पता लगाया जा सकता है ?
उत्तर-
रंग चार्ट की।

प्रश्न 4.
आड़ के पकने के मापदण्ड के बारे में बताओ।
उत्तर-
हरे रंग से पीला होना।

प्रश्न 5.
अमरूद के पकने का मापदण्ड बताओ।
उत्तर-
रंग गहरे हरे से हल्के हरे में बदल जाना।

प्रश्न 6.
आलू के पकने का मापदण्ड बताओ।
उत्तर-
जब बेलें सुखने लग जाएं।

प्रश्न 7.
अलूचे के पकने का मापदण्ड बताओ।
उत्तर-
छील का रंग हिरमची जामुनी रंग में बदल जाना।

प्रश्न 8.
शिमला मिर्च के पकने का मापदण्ड बताएं।
उत्तर-
फल पूरा विकसित तथा हरा चमकदार होना।

प्रश्न 9.
मटर के पकने का मापदण्ड बताएं।
उत्तर-
फलियां पूरी भरी हुईं परन्तु रंग फीका होने से पहले।

प्रश्न 10.
फलों पर किस तरह का मोम चढ़ाया जाता है ?
उत्तर-
भोजन दर्जा मोम जैसे मधु मक्खियों के छत्ते का मोम।

प्रश्न 11.
आलू, प्याज़ की पैकिंग किस तरह की जाती है ?
उत्तर-
बोरियों में डाल कर।

प्रश्न 12.
शीत भंडारण में किन्नू को कितने समय के लिए भंडार किया जा सकता है ?
उत्तर-
डेढ से दो माह।

प्रश्न 13.
शीत भंडारण के समय आलू तथा किन्नू में कितनी नमी होनी चाहिए ?
उत्तर-
90-95%.

प्रश्न 14.
कैल्शियम कार्बाइड मसाले से पकाए फलों को खाने से क्या हो सकता है ?
उत्तर-
मुँह में फफोले, अलसर, पेट में जलन पैदा हो सकती है।

प्रश्न 15.
फलों को पकाने के लिए इथलीन वाली गैस के कमरे में कितने घण्टे के लिए रखा जाता है ?
उत्तर-
24 घण्टे के लिए।

प्रश्न 16.
दो फलों के नाम बताओ जिन पर मोम चढ़ाई जाती है ?
उत्तर-
किन्नू, आड़।

प्रश्न 17.
फल तथा सब्जियों के पकने का मापदण्ड क्या है ?
उत्तर-
फल तथा सब्जियों का आकार इनके पकने का मापदण्ड है।

प्रश्न 18.
फलों की कठोरता (सघनता) मापने के लिए कौन-से यन्त्र का प्रयोग होता है ?
उत्तर-
पैनेट्रोमीटर।

प्रश्न 19.
फल के पकने से इसकी कठोरता का क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर-
फल के पकने से उसकी कठोरता घटती है।

प्रश्न 20.
फलों को घरों में जीवाणु रहित करने के लिए किस घोल में डुबो लेना चाहिए ?
उत्तर-
ब्लीच के घोल में।

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प्रश्न 21.
फलों के संरक्षण के लिए कैसे बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
ऐसे बर्तन जो अन्दर से समतल हों।

प्रश्न 22.
उपज को ज़ख्मों से बचाने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
उपज को कागज़ अथवा गत्ते की परतों में रखना चाहिए।

प्रश्न 23.
डिब्बाबन्दी का मूल उद्देश्य क्या है ?
उत्तर-
डिब्बाबन्दी का मूल उद्देश्य फसल को लम्बे समय तक सम्भाल कर रखना है।

प्रश्न 24.
अंगूर तथा आलूचे को कैसे साफ़ करना चाहिए ?
उत्तर-
इन्हें 100-150 पी० पी० एम० क्लोरीन की मात्रा वाले पानी से साफ़ करना चाहिए। इस तरह उपज को बीमारी रहित किया जा सकता है।

प्रश्न 25.
गोल आकार की उपज की दर्जाबन्दी कैसे की जाती है ?
उत्तर-
इनकी दर्जाबन्दी विभिन्न आकार के कड़ों से की जा सकती है।

प्रश्न 26.
तुड़वाई के पश्चात् उपज को सुधारने के लिए कौन-कौन से रासायनिक पदार्थ सुरक्षित समझे जाते हैं ?
उत्तर-
कैल्शियम क्लोराइड, सोडियम बाइसल्फाइट, पोटाशियम सल्फेट आदि रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 27.
जल सहनशील फसलों के नाम बताओ।
उत्तर-
गाजर, टमाटर तथा शलगम।

प्रश्न 28.
पैकिंग से पहले कौन-सी सब्जियों को धोना नहीं चाहिए ?
उत्तर-
बन्द गोभी, भिण्डी, मटर।

प्रश्न 29.
पकने के आधार पर कौन-से फलों की दर्जाबंदी की जाती है ?
उत्तर-
टमाटर, केला, आम आदि।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
फलों के पकने के बारे में कैसे पता चलता है ? विस्तार सहित लिखें।
उत्तर-
फल तथा सब्जियां पकने का मापदण्ड इनका आकार होता है। आम की तुड़ाई योग्य निशानी इसकी चोंच बनना तथा फल कन्धे से ऊपर उभरना है। टमाटर, आड, आलूचा आदि फसलों की तुड़वाई के लिए तैयार होने की निशानी का पता लगाने के लिए रंगदार चार्टों का प्रयोग किया जाता है। टमाटर नज़दीकी मण्डी में ले जाने के लिए लाल पके हुए, मध्यम दूरी वाली मण्डी में गुलाबी रंग के तथा दूर स्थित मण्डी में ले जाने के लिए जब यह पूर्ण आकार ग्रहण कर लें, परन्तु अभी हरे ही हों अथवा हरे से पीले रंग में बदलना आरम्भ हों तब तोड़ने चाहिएं।

प्रश्न 2.
फलों का कठोरता अंक कैसे मापा जाता है ?
उत्तर-
कठोरता अंक ढूंढ़ने के लिए निम्नलिखित तरीका है—
एक तेज़ चाकू से फल के ऊपर से पतले आकार का एक टुकड़ा काटो, इस टुकड़े में गूदा तथा छील दोनों इकट्ठे ही हों। फिर फल मुताबिक सही आकार के प्लंजर का प्रयोग करके फल की कठोरता मापो। इसके लिए फल को किसी कठोर तल से लगाकर एकसार रफ्तार से प्लंजर पर लगे निशान वाली तरफ को अन्दर घुसाना आरम्भ करो तथा फिर कठोरता का माप अंक नोट कर लेना चाहिए।

प्रश्न 3.
रिफरैक्ट्रोमीटर क्या है ? इसका प्रयोग किन फलों के लिए किया जाता है ?
उत्तर-
रिफरैक्ट्रोमीटर फलों के जूस से मिठास की मात्रा का पता लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे अंगूर तथा खरबूजे आदि जैसी कई फसलों की मिठास की मात्रा का पता लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

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प्रश्न 4.
फलों में तेज़ाबीपन कैसे मापा जाता है ?
उत्तर-
नींबू जाति तथा कुछ अन्य फलों के पकने पर इनमें खटाई की मात्रा कम हो जाती है। तेज़ाबीपन का पता लगाने के लिए जूस की निश्चित मात्रा में फिनोलपथलीन मिश्रण की एक-दो बूंदें डालकर ().IN सोडियम हाइड्रोक्साइड का घोल तब तक डाला जाता है जब तक रंग गुलाबी न हो जाए। प्रयोग किए गए सोडियम हाइड्रोक्साइड मिश्रण की मात्रा से जूस का तेज़ाबीपन मापा जा सकता है।

प्रश्न 5.
प्रतिशत मिठास तथा खटाई का अनुपात कैसे लिया जाता है ?
उत्तर-
अंगूर तथा नींबू जाति के फलों में मिठास तथा खटाई के अनुपात से उपज की गुणवत्ता का अन्दाज़ा लगाया जाता है। प्रतिशत मिठास तथा खटाई का माप करने के पश्चात् मिठास को खटाई से भाग करके अनुपात प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 6.
फलों की सम्भाल के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर–
प्रत्येक फल का अपना एक खास मौसम होता है तब यह बाज़ार में बहुतायत में मिलते हैं तथा सस्ते होते हैं। इन दिनों में फलों को खरीदकर सम्भाल लेना चाहिए तथा इन्हें दूर की मण्डी अथवा बे-मौसम बेचकर अधिक लाभ कमाया जा सकता है। फलों को अचार, मुरब्बा, जैम, चट्टनी, जैली आदि के रूप में लम्बे समय तक संभाल कर रखा जा सकता है।

प्रश्न 7.
सब्ज़ियों की सम्भाल क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
यदि सब्जियों को सम्भालकर नहीं रखा जायेगा तो अच्छा मुनाफा नहीं लिया जा सकता। इसलिए सब्जियां जब भरे मौसम में सस्ती होती हैं तो इन्हें सम्भाल कर बे-मौसम बेचकर अतिरिक्त लाभ कमाया जा सकता है।

प्रश्न 8.
डिब्बाबन्दी के दो लाभ बताओ।।
उत्तर-
डिब्बाबन्दी अथवा पैकिंग करने से तुड़वाई के पश्चात् होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। इस तरह अधिक मुनाफा भी लिया जा सकता है।

प्रश्न 9.
किन्नू तोड़ते समय डंडी को छोटा रखना क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
किन्नू की डण्डी लम्बी होगी तो लाते-ले जाते समय इससे दूसरे फलों में ज़ख्म हो जाएंगे। इसलिए डण्डी छोटी काटनी चाहिए।

प्रश्न 10.
फसलों की गुणवत्ता का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
गुणवत्ता का ख्याल रखा जाये तो लाने-ले जाने का काम, भण्डारण तथा मण्डीकरण लम्बे समय तक किया जा सकता है तथा बिक्री मुनाफे में वृद्धि होती है। इससे निर्यातकार, व्यापारी तथा खपतकार की सन्तुष्टि होती है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्लास्टिक की ट्रेओं का फलों और सब्जियों की सम्भाल में क्या महत्त्व है ?
उत्तर–
प्लास्टिक की ट्रेएं कुछ महंगी होती हैं, पर इन्हें साफ करना आसान है तथा इन्हें लम्बे समय तक बार-बार प्रयोग किया जा सकता है। इनमें गलियां होने के कारण हवा आर-पार होती रहती है तथा इन्हें एक-दूसरे पर रखा जा सकता है।
इनका तुड़वाई के समय प्रयोग काफ़ी लाभकारी सिद्ध होता है। यह तुड़वाई, भण्डारण, लाने-ले जाने तथा प्रचून मण्डी में उपज को बेचने के लिए तथा सम्भालकर रखने के लिए काम आती हैं। इनका प्रयोग किन्नू, अंगूर, टमाटर आदि की तुड़ाई, भण्डारण तथा ढुलाई में सामान्यतः होता है।

प्रश्न 2.
उत्तम गुणवत्ता वाली फसल से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
उत्तम गुणवत्ता वाली फसल के निम्नलिखित लाभ है—

  1. ऐसी उपज का यातायात, मण्डीकरण तथा भण्डारण लम्बे समय तक किया जा सकता है।
  2. ऐसी उपज से सारे निर्यातकार, व्यापारी तथा खपतकार सन्तुष्ट होते हैं।
  3. तुड़ाई के पश्चात् इसकी आयु लम्बी होती है।
  4. इससे मण्डीकरण का दायरा बड़ा हो जाता है।
  5. इसकी बिक्री से अच्छा मुनाफा लिया जा सकता है।

प्रश्न 3.
तुड़वाई के पश्चात् उपज को ठण्डा करना तथा छंटाई तथा साफ करने के बारे में आप क्या जानते हैं ? ।
उत्तर-
1. ठण्डा करना-उपज की आयु बढ़ाने के लिए तुड़ाई से तुरन्त पश्चात् इसको ठण्डा किया जाता है। ठण्डा करने का तरीका फसल की किस्म पर निर्भर करता है। ठण्डा करने के लिए कई ढंग हैं। जैसे-तेज़ ठण्डी हवा से ठण्डा करना, कमरे में ठण्डा करना, शीतल जल से ठण्डा करना आदि। इनमें से किसी एक ढंग का प्रयोग किया जा सकता है।

2. उपज की छंटाई तथा साफ़-सफ़ाई-ठण्डा करने से पहले उपज की छंटाई की जाती है। छंटाई करके साधारणतः ज़ख्मी, बीमारी वाले बेढंगे आकार की अथवा खराब उपज को अलग कर दिया जाता है। छंटाई करने के पश्चात् उपज को साफ किया जाता है। साफ करने का ढंग उपज की किस्म के अनुसार होता है। सेब आदि को सूखे ब्रुशों से ही साफ करना चाहिए, जबकि नींबू जाति के फल, गाजरों आदि को पानी से धोकर साफ किया जाता है। फसल की सफ़ाई सूखे ब्रुशों से करनी है अथवा धोकर, उपज की किस्म तथा गन्दगी पर निर्भर करता है। उदाहरणतया अंगूर तथा अलूचे आदि को कभी धोकर साफ नहीं करना चाहिए। इन फलों के लिए 1000-150 पी० पी० एम० (P.P.M.-Part Per Mission) क्लोरीन की पात्रा वाले पानी का प्रयोग करके उपज को बीमारी रहित किया जाता है तथा बीमारियों को फैलने से भी रोका जा सकता है। कुछ फसलें जैसे कि फूल तथा बन्द गोभी की डिब्बाबन्दी करने से पहले बाहरी पत्ते अथवा न खाने योग्य हिस्से उतार देने चाहिएं।

प्रश्न 4.
फलों, सब्जियों की दर्जाबन्दी तथा मण्डीकरण के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
दर्जाबन्दी करने के लिए फलों अथवा सब्जियों का आकार, भार, रंग आदि को आधार बनाया जाता है। दर्जाबन्दी करके उत्पादक फसल बेचकर अधिक मुनाफा कमा सकता है। गोल आकार की उपज जैसे टमाटर, टिण्डे, सेब आदि की दर्जाबन्दी विभिन्न आकार के कड़ों से की जाती है। कुछ फसलें जैसे टमाटर, केला, आम आदि की दर्जाबन्दी उनके पकने के आधार पर करके अधिक मुनाफा लिया जा सकता है। छोटे स्तर पर कई प्रकार की मशीनें भी दर्जाबन्दी करने के लिए प्रयोग की जाती हैं।
पूर्ण आकार के तथा हरे फल जैसे कि टमाटर, आम आदि को थोड़े समय के लिए भण्डार किया जा सकता है तथा बाद में मण्डी में महंगे होने पर पका कर बेचा जा सकता है। हरे प्याज़, पुदीना, धनिया आदि उपजों को छोटे-छोटे 100 ग्राम से 500 ग्राम तक के बण्डलों अथवा गुच्छों में बांध लिया जाता है। इस तरह इनका रख-रखाव तथा इन्हें हाथ से पकड़ना आसान हो जाता है।

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प्रश्न 5.
तुड़वाई करके उपज को सुधारने के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर-
तुड़वाई के पश्चात् उपज को सुधारने से इसको कई तरह की फफूंदी तथा फंगस से होने वाली बीमारियों तथा अन्य रोगों से बचाया जा सकता है। इस कार्य के लिए कई रासायनिक पदार्थ जैसे कि सोडियम बाइसल्फाइट, कैल्शियम क्लोराइड, पोटाशियम सल्फेट को फल तथा सब्जियों पर प्रयोग के लिए सुरक्षित समझा गया है। कई बार गर्म पानी में डुबो कर अथवा गर्म हवा भर कर भी उपज को सुधारा जाता है। ऐसा करने से जीवाणु या तो मर जाते हैं या कमज़ोर हो जाते हैं, इस तरह उपज बीमारी कारण गलने से बच सकती है। यह ध्यान रखें कि उपज को पानी अथवा हवा से सुधारने के तुरन्त पश्चात् जितनी जल्दी हो सके ठण्डे पानी के फव्वारों अथवा ठण्डी हवा से साधारण तापमान पर लाना चाहिए।

प्रश्न 6.
फलों तथा सब्जियों की डिब्बाबन्दी के लिए कौन-सी सावधानियां बरतनी चाहिएं ?
उत्तर-
डिब्बाबन्दी के लिए प्रयोग की जाने वाली सावधानियां निम्नानुसार हैं—

  1. उपज पर ज़ख्म न होने दें।
  2. कच्ची अथवा अधिक पक्की उपज को छंटाई करके अलग कर दें।
  3. हरी सब्जियां, बन्द गोभी, भिण्डी, मटर आदि को पैकिंग (डिब्बाबन्दी) से पहले कभी भी धोना नहीं चाहिए।
  4. पानी में क्लोरीन की मात्रा 100-150 पी० पी० एम० होनी चाहिए।
  5. पानी सघनशील फसलें जैसे कि टमाटर, गाजर तथा शलगम आदि को पानी से भरे जलाशय में इकट्ठा करो।
  6. जिस मेज़ पर छंटाई, दर्जाबन्दी, धुलाई तथा डिब्बाबन्दी करनी होती हैं उसकी तीखी जगहों तथा ऊबड़-खाबड़ धरातल पर स्पंज आदि लगाकर रखना चाहिए।
  7. वह रसायन जिनकी उपज के लिए सिफ़ारिश न की हो, को बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  8. तुड़ाई के पश्चात् सही ढंग से मोम चढ़ाना, गर्म पानी तथा हवा, सल्फर डाइऑक्साइड आदि से सुधार कर लेना चाहिए।
  9. तुड़ाई के पश्चात् सम्भाल के समय नुकसान को घटाने के लिए जहां तक हो सके खेत में ही डिब्बाबन्दी (पैकिंग) कर लेनी चाहिए।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक, गलत

  1. प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 300 ग्राम सब्जियों की आवश्यकता है।
  2. कैल्शियम कार्बाइड से पकाये फल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं।
  3. उत्पाद को तुड़ाई के बाद ठण्डा करना आवश्यक नहीं है।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
अमरूद के पकने का मापदण्ड है
(क) रंग हल्का हरा हो जाता है
(ख) रंग गहरा हरा होना
(ग) रंग नीला होना
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) रंग हल्का हरा हो जाता है

प्रश्न 2.
फलों को घरों में जीवाणु रहित करने का घोल है
(क) ब्लीच का घोल
(ख) चीनी का घोल
(ग) तेज़ाब का घोल
(घ) क्षार का घोल।
उत्तर-
(क) ब्लीच का घोल

प्रश्न 3.
मोम की पर्त किस फल पर चढ़ाई जाती है ?
(क) किन्नू
(ख) सेब
(ग) नाशपाती
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

रिक्त स्थान भरें

  1. फल की निगरता को मापने के लिए …………… का प्रयोग होता है।
  2. व्यापारिक स्तर पर फलों को ………… गैस से पकाया जाता है।
  3. …………….. यन्त्र फलों में मिठास की मात्रा का पता लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

उत्तर-

  1. पैनट्रोमीटर,
  2. इथीलीन,
  3. रिफरैक्ट्रोमीटर

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 10 भूमि एवम् भूमि सुधार PSEB 8th Class Agriculture Notes

फलों एवम् सब्जियों का प्रबन्धन PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान समिति के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 300 ग्राम सब्जियों तथा 80 ग्राम फलों की आवश्यकता है।
  • भारत में प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन केवल 30 ग्राम फल तथा 80 ग्राम सब्जियां ही उपलब्ध होती हैं।
  • फलों तथा सब्जियों की सही तरीके से संभाल के निम्नलिखित बिन्दु हैं–फलों तथा सब्जियों की तुड़वाई, डिब्बाबंदी, फल तथा सब्जियों को स्टोर करना, ढोकर लाना ले जाना।
  • फल तथा सब्जियों की तुड़वाई के लिए मापदण्ड हैं–रंग, सघनता (निगरता या कठोरता), आकार तथा भार, मिठास/खट्टास का अनुपात आदि।
  • उपज को तोड़ने के बाद अच्छी तरह एकदम ठंडा कर लेना चाहिए।
  • उपज में से पानी को उड़ने से रोकने के लिए फलों और सब्जियों पर भोजन दर्जा मोम चढ़ाई जाती है।
  • फल और सब्जियों पर चढ़ाई जाने वाली तीन तरह के मोम हैं जोकि भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है।
  • यह मोम है शैलाक मोम, कारनौबा मोम और मधु मक्खियों के छत्ते से निकाला मोम।
  • मण्डीकरण के लिए उपज की दर्जाबंदी (श्रेणीकरण) करना बहुत ज़रूरी है।
  • डिब्बाबंदी के लिए लकड़ी की पेटियाँ, बांस की टोकरियां, बोरियां, पलास्टिक के क्रेट, गत्ते के डिब्बे आदि का प्रयोग किया जाता है।
  • ढो कर लाने ले जाने के समय ट्रक के फर्श पर घास-फूस या पराली की मोटी पर्त बिछा लेनी चाहिए।
  • केला, पपीता आदि फलों को कैल्शियम कार्बाइड के साथ पकाया जाता है। ऐसे फल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
  • इथीलीन गैस के साथ फलों को व्यापारिक स्तर पर पकाना अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त तकनीक है।

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