PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 10 रब्बा मीह दे-पानी दे

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 रब्बा मीह दे-पानी दे Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 10 रब्बा मीह दे-पानी दे (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB रब्बा मीह दे-पानी दे Textbook Questions and Answers

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 10 रब्बा मीह दे-पानी दे

रब्बा मीह दे-पानी दे अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 10 रब्बा मीह दे-पानी दे 1
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उत्तर :
छात्र स्वयं पढ़ें एवं लिखने का अभ्यास करें।

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 10 रब्बा मीह दे-पानी दे 3
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उत्तर :
छात्र स्वयं पढ़ें एवं लिखने का अभ्यास करें।

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3. शब्दार्थ :

  • रब्बा = प्रभु, परमात्मा
  • मीह = वर्ष
  • दूना = दुगुना
  • मवेशी = पशु
  • पर दु:ख = दूसरों का दु:ख
  • सीख = शिक्षा

उत्तर :
सप्रसंग व्याख्या के साथ दे दिए गए हैं।

4. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) इस कविता में ईश्वर से क्या प्रार्थना की गई है?
उत्तर :
इस कविता में ईश्वर से वर्षा लाने की प्रार्थना की गई है।

(ख) ‘खेतों में सोना’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
इसका अर्थ है-खेतों में अच्छी फसल पैदा होना। वर्षा होने से अच्छी फसल पैदा होती है।

(ग) पानी के बिना मवेशी और खेतों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
पानी के बिना मवेशी प्यासे मर जाते हैं। खेत सूख जाते हैं।

(घ) इस कविता में देश के प्रत्येक नागरिक को क्या सीख दी गई है ?
उत्तर :
इस कविता में देश के प्रत्येक नागरिक को पानी को नष्ट और प्रदूषित और व्यर्थ न करने की सीख दी गई है।

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(ङ) पानी का स्वभाव कैसा है ?
उत्तर :
पानी का स्वभाव मिलनसार है। वह जिसमें मिलता है उसी का ही रूप धारण कर लेता है।

5. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) ‘पानी से ——— सुहानी दे।’ कविता की इन पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें?
उत्तर :
उत्तर के लिए व्याख्या भाग देखिए।

(ख) जीवन में पानी की आवश्यकता क्यों है? कविता के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर :
पानी जीवन का आधार है। इसी से जीवन चलता है। यही गर्मी और लू से बचाता है। इसी से अनाज पैदा होता है। इसलिए जीवन में पानी की आवश्यकता है।

(ग) दूसरों के दुःख में हम उनकी क्या सहायता कर सकते हैं?
उत्तर :
दूसरों के दुःख को हम अपना समझ सकते हैं। उनके प्रति संवेदना एवं सहानुभूति प्रकट कर सकते हैं।

(घ) जहाँ पानी की अधिकता बाढ़ की स्थिति पैदा करती है वहीं पानी की कमी सूखे की स्थिति पैदा करती है। इन दोनों स्थितियों में मानव तथा प्रकृति प्रभावित होती है। इन दोनों स्थितियों में मानव तथा प्रकृति पर पड़ने वाले प्रभाव पर पाँच-पाँच वाक्य लिखें।
उत्तर :
मानव पर पड़ने वाले प्रभाव

  • मानव का स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
  • पीने योग्य पानी प्रदूषित हो जाता है।
  • जीवन रुक जाता है।
  • खेती-बाड़ी नष्ट हो जाती है।
  • हैजा, चेचक आदि रोग बढ़ जाते हैं।

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प्रकृति पर पड़ने वाले प्रभाव-

  • पेड़-पौधे नष्ट हो जाते हैं।
  • प्रदूषण फैल जाता है।
  • वायु प्रदूषित हो जाती है।
  • पेड़-पौधे सूख जाते हैं।
  • खेती नष्ट हो जाती है।
  • खेती सूख जाती है।

6. पर्यायवाची शब्द लिखें :

  1. पानी = …………………………
  2. मीह = …………………………
  3. सीख = …………………………
  4. जन = …………………………
  5. दुःख = …………………………
  6. आँख = …………………………
  7. धरती = …………………………

उत्तर :

  1. पानी = जल, नीर
  2. मीह = वर्षा, बारिश
  3. सीख = शिक्षा, ज्ञान
  4. जन = लोग, नर
  5. दुःख = पीड़ा, कष्ट
  6. आँख = नेत्र, चक्षु
  7. धरती = धरा, पृथ्वी।

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रचनात्मक अभिव्यक्ति :

(क) मौखिक अभिव्यक्ति – पानी बचाने के उपायों पर कक्षा में चर्चा करें।
(ख) लिखित अभिव्यक्ति – आँखों में पानी आना, पानी-पानी होना आदि ‘पानी’ से संबंधित मुहावरे एकत्र करें।
(ग) रचनात्मक कार्य – जल संकट की रोकथाम के लिए कुछ सुझाव स्पष्ट करने वाले पोस्टर बनायें और अपनी कक्षा में दीवार पर लगायें।
उत्तर :
छात्र अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
इस कविता के माध्यम से कवि ने क्या शिक्षा दी है?
उत्तर :
इस कविता के माध्यम से कवि ने यह शिक्षा दी है जल ही जीवन है इसलिए हमें जल को प्रदूषित नहीं करना चाहिए। हमें जल को न तो नष्ट करना चाहिए और न ही उसे व्यर्थ गंवाना चाहिए।

प्रश्न 2.
पानी और खेतों का परस्पर क्या सम्बन्ध है?
उत्तर :
पानी और खेतों का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है। खेती पानी पर ही आधारित होती है। यदि पानी ही नहीं होगा तो खेत सूखकर नष्ट हो जायेंगे।

प्रश्न 3.
पानी के बिना क्या-क्या व्यर्थ है?
उत्तर :
पानी के बिना खेत, कत्था, चूना व्यर्थ है। पानी के बिना जीवन व्यर्थ है। इसके बिना मवेशी, वन और बूटे व्यर्थ हैं।

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प्रश्न 4.
पानी की क्या विशेषता है?
उत्तर :
पानी का अपना कोई रंग नहीं होता है। अपनी कोई उमंग नहीं होती। यह जिसमें मिलता है उसी में मिल जाता है। यह गम में आँखों में आ जाता है और खुशी में रुला देता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें :

प्रश्न 1.
धरती किस से झुलसी है?
(क) पाप से
(ख) लू से
(ग) संताप से
(घ) युद्ध की विभीषिका से।
उत्तर :
लू से।

प्रश्न 2.
कवि रब्बा से क्या माँगता है?
(क) दया
(ख) करुणा
(ग) धूप
(घ) वर्षा।
उत्तर :
वर्षा।

प्रश्न 3.
जीवन की कश्ती को गति कौन देता है?
(क) मांझी
(ख) पानी
(ग) लू
(घ) आंधी।
उत्तर :
पानी।

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प्रश्न 4.
कवि किसे प्रदूषित नहीं करने के लिए कहता है?
(क) पानी को
(ख) वातावरण को
(ग) अन्न को
(घ) मन को।
उत्तर :
पानी को।

प्रश्न 5.
पानी का स्वभाव कैसा है?
(क) क्रोधी
(ख) घमंडी
(ग) मिलनसार
(घ) एकांतप्रिय।
उत्तर :
मिलनसार।

रब्बा मीह दे-पानी दे Summary in Hindi

रब्बा मीह दे-पानी दे कविता का सार

‘रब्बा मीह दे-पानी दे’ कविता विनोद शर्मा द्वारा रचित है। इसमें कवि ने ईश्वर से वर्षा करने की प्रार्थना की है। कवि ईश्वर से प्रार्थना कर कह रहा है कि हे प्रभु ! वर्षा करो और गर्मी से झुलसी धरती को ठंडा कर नया जीवन दो। पानी से खेतों में सोना उगता है। पानी से सब दुगुना है बिना पानी के कत्था और चूना भी व्यर्थ है। पानी ही जीवन का आधार है। उसके बिना जीवन खत्म हो जाता है। पानी से खेतों में हरियाली और खुशहाली होती है।

मवेशी, प्राणी और पेड़-पौधे पानी बिना जी नहीं सकते। पानी को नष्ट और प्रदूषित न करने का आह्वान किया है। चाहे पानी का कोई रंग नहीं है। फिर भी यह जिसमें मिल जाता है उसी रंग में खिल जाता है। दु:ख के समय आंखों में आ जाता है और खुशी में रुला देता है।

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रब्बा मीह दे-पानी दे सप्रसंग व्याख्या

1. रब्बा मीह दे-पानी दे, पानी दे, पानी दे।
लू से झुलसी धरती को, इक नई जिन्दगानी दे॥

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प्रसंग-यह काव्य-पंक्तियाँ विनोद शर्मा द्वारा रचित ‘रब्बा मीह दे-पानी दे’ शीर्षक कविता से ली गई हैं। इसमें कवि ने ईश्वर से वर्षा लाने की प्रार्थना की है।

व्याख्या-कवि ईश्वर से प्रार्थना कर कहते हैं कि हे प्रभु ! वर्षा करो और पानी दीजिए तुम इतना पानी दो जिससे गर्मी एवं लू की लपटों से जलती हुई धरती शीतल हो जाए और लोगों को एक नया जीवन मिले। सबको नई ज़िन्दगी प्रदान करो।

भावार्थ-प्रभु से वर्षा करने की प्रार्थना की है।

2. पानी से खेतों में सोना, नाचे गेहूँ-गाए झोना।
पानी है तो सब है दूना, बिन पानी कत्था क्या चूना।
पानी है तो है ज़िन्दगानी, पानी खत्म तो खत्म कहानी।
जीवन की कश्ती को, आकर नई रवानी दे।
रब्बा मीह दे………………….

प्रसंग-यह पद्यांश विनोद शर्मा द्वारा लिखित ‘रब्बा मीह दे-पानी दे’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने ‘जल ही जीवन है’ बताते हुए प्रभु से वर्षा लाने की प्रार्थना की है।

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व्याख्या-हे प्रभु ! पानी से ही खेतों में सोना उगता है। इसी से गेहूँ नाचने लगता है और चना गाने लगता है। पानी से ही सब कुछ दुगुना होता है बिना पानी के कत्था और चूना भी बेकार है। पानी ही जीवन है। यही जीवन का आधार है। पानी के नष्ट होने से ही सब कुछ नष्ट हो जाएगा। हे प्रभु ! तुम आकर जीवन की किश्ती को नई रवानी प्रदान करो।

भावार्थ-पानी ही जीवन है। इस भाव को दर्शाया गया है।

3. पानी से हरियाली होती-खेतों में खुशहाली होती।
क्या मवेशी क्या वन या बूटे-पानी बिन जीवन से छूटे।
आओ, पानी नष्ट करें न, प्रदूषित या व्यर्थ करें न।
मेरे देश के जन-जन को, यह सीख सुहानी दे॥
रब्बा मीह दे………………..

प्रसंग-प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ कवि विनोद शर्मा द्वारा रचित कविता ‘रब्बा मीह दे पानी दे’ नामक कविता से ली गई हैं। इनमें कवि ने प्रभु से वर्षा लाने की प्रार्थना की है।

व्याख्या-कवि कहता है कि पानी से ही खेतों में हरियाली और खुशहाली होती है। मवेशी, वन और पेड़-पौधे का पानी के बिना जीवन नष्ट हो जाएगा। कवि लोगों को प्रेरणा देते हुए कहता है कि आओ हम सब मिलकर यह प्रण लें कि हमें पानी को नष्ट नहीं करना चाहिए और प्रदूषित अथवा व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। हे प्रभु ! इस देश के प्रत्येक व्यक्ति को यह सुहानी शिक्षा दें कि न पानी को नष्ट करे और न ही प्रदूषित करें। हे प्रभु ! वर्षा दें।

भावार्थ-पानी को बचाने की प्रेरणा दी गई है।

4. चाहे इसका रंग नहीं है-अपनी कोई उमंग नहीं है।
फिर भी यह जिसमें मिल जाता-उसके रंग में ही खिल जाता।
ग़म में आँखों में आ जाता और खुशी में यही रुलाता,
पर-दुःख को अपना समझे-हर आँख को पानी दे।
रब्बा मीह दे……………………

प्रसंग-यह पद्यांश विनोद शर्मा द्वारा रचित ‘रब्बा मीह दे-पानी दे’ कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने प्रभु से लोगों में दूसरे के दुःख को समझने की प्रार्थना की है।

व्याख्या-कवि कहता है कि चाहे पानी का अपना कोई रंग नहीं है उसकी अपनी कोई उमंग नहीं है। फिर भी यह जिस रंग में मिल जाता है उसके रंग में ही खिल जाता है। दुःख में यह आँखों में आ जाता है और खुशी में रुला देता है। हे प्रभु ! हर कोई दूसरों के दुःख को अपना दुःख समझे इसलिए हर आँख में पानी आ जाए। वर्षा प्रदान करो।

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भावार्थ-दूसरों के दुःख को अपना दुःख समझने की प्रेरणा दी है।

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