PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 16 गिरधर की कुंडलियाँ

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 16 गिरधर की कुंडलियाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 16 गिरधर की कुंडलियाँ (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB गिरधर की कुंडलियाँ Textbook Questions and Answers

गिरधर की कुंडलियाँ अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 16 गिरधर की कुंडलियाँ 1
PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 16 गिरधर की कुंडलियाँ 2
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।

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2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 16 गिरधर की कुंडलियाँ 3
PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 16 गिरधर की कुंडलियाँ 4
उत्तर :
छात्र स्वयं अभ्यास करें।

3. शब्दार्थ :

  • बिगारे = बिगाड़ना
  • यहि = यही; ऐसा ही
  • हँसाय = हँसी मज़ाक
  • बेगरज़ी = नि:स्वार्थ; बिना मतलब की
  • चैन = शांति
  • ठाउँ = स्थान
  • राग-रंग = प्रेमादि करने का आनंद, ऐशो-आराम का आनंद
  • निदान = अंत में
  • मनहि = मन को
  • पाहुन = अतिथि ; मेहमान
  • भावे = अच्छा लगना
  • निशि = रात
  • टरत = दूर करना; टालना
  • ताको = उसका

उत्तर :
सप्रसंग व्याख्या के साथ दे दिए गए हैं।

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4. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) बिना विचार के काम करने से क्या होता है?
उत्तर :
बिना विचार काम करने से काम बिगड़ जाता है। इससे जग में हँसी होती है और आदमी को पछताना पड़ता है।

(ख) कवि के अनुसार प्रायः दोस्त कैसे होते हैं ?
उत्तर :
कवि के अनुसार प्रायः दोस्त मतलबी होते हैं। वे जेब में पैसे रहने तक ही साथ देते हैं। बाद में साथ छोड़कर चले जाते हैं।

(ग) चार दिन का मेहमान कौन है?
उत्तर :
चार दिन का मेहमान मनुष्य है।

(घ) प्रायः मनुष्य अभिमान क्यों करता है?
उत्तर :
प्राय: मनुष्य धन – दौलत पाने पर अभिमान करता है।

5. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) दौलत पाकर मनुष्य को अभिमान क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर :
दौलत पाकर मनुष्य को अभिमान इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि दौलत बहुत चंचल है। वह ज़्यादा दिन किसी के भी पास नहीं रहती। वह मनुष्य के पास स्थिर नहीं रहती।

(ख) बिना सोच-विचार के कोई काम करने से क्या दशा होती है?
उत्तर :
बिना सोच – विचार के काम करने से काम बिगड़ जाता है। इससे सारे संसार में हँसी होती है। आदमी का हृदय बेचैन हो जाता है। आदमी को पछताना पड़ता है।

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6. उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थान भरें :

(क) जब लगि पैसा गाँठ में; तब लगि ताको ………………………………..
(ख) पैसा रहा न पास ……………………………….. मुख से नहिं बोले।
(ग) करत ……………………………….. प्रीति; यार बिरला कोई साई।
(घ) ……………………………….. पाय न कीजिए; सपने में ………………………………..
(ङ) ……………………………….. वचन सुनाय; ……………………………….. सब ही की कीजै।। (बेगरज़ी; दौलत; यार; मीठे; अभिमान; विनय)
उत्तर :
(क) जब लगि पैसा गाँठ में; तब लगि ताको यार।
(ख) पैसा रहा न पास यार मुख से नहिं बोले।
(ग) करत बेगरज़ी प्रीति; यार बिरला कोई साई।
(घ) दौलत पाय न कीजिए; सपने में अभिमान।
(ङ) मीठे वचन, सुनाय; विनय सब ही की कीजै॥

7. इन लोकोक्तियों के अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय ………………………………..
  2. साईं सब संसार में मतलब का व्यवहार ………………………………..
  3. चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात। ………………………………..

उत्तर :

  1. बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय (बिना सोचे – समझे कार्य करने पर पछताना पड़ता है) – रवि ने बिना सोचे – विचारे जल्दबाजी में मित्रता की और उसके मित्र ने उसे जेल भिजवा दिया। इसलिए कहते हैं कि बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय। खटकना (बुरा लगना) – यह दृश्य मेरी आँखों में खटकता है।
  2. साईं सब संसार में मतलब का व्यवहार (मतलबी दुनिया) – राम अपना काम निकलते ही चला गया। अतः यह सही है कि साईं सब संसार में मतलब का व्यवहार।
  3. चार दिन की चान्दनी फिर अन्धेरी रात (थोड़े दिन का आनन्द) – जवानी का जोश अच्छा नहीं क्योंकि यह चार दिन की चांदनी फिर अन्धेरी रात जैसा है।

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8. निम्न पद्यांशों का भावार्थ स्पष्ट करें :

(क) खटकत है जिय मांहि; कियो जो बिना विचारे।
उत्तर :
इस पंक्ति का भाव यह है कि जो मनुष्य बिना सोच – समझ के कोई कार्य करता है तो वह काम पूर्ण न होने पर सदा पीड़ा देता है। अतः हमें सभी कार्य सोच – विचार कर करने चाहिए।

(ख) करत बेगरजी प्रीति; यार विरला कोई साईं।
उत्तर :
इसका भाव है कि इस संसार में सच्ची मित्रता कोई विरला ही करता है। विरले व्यक्ति ही अच्छे एवं सच्चे मित्र बन सकते हैं।

(ग) चंचल जल दिन चारि को ठाउँ न रहत निदान।
उत्तर :
धन – दौलत की दशा चंचल जल के समान होती है जो कभी एक स्थान पर स्थिर नहीं रहती है। अतः हमें दौलत पाकर अभिमान नहीं करना चाहिए।

रचनात्मक अभिव्यक्ति

(क) मौखिक अभिव्यक्ति- नीतिपरक कुंडलियों की रचना के कारण कवि गिरधर का हिंदी साहित्य में अपना स्थान है। उनके साहित्य का अध्ययन करें। नीतिपरक सूक्तिमय कुण्डलियों को स्मरण करें।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से स्वयं करें।

(ख) लिखित अभिव्यक्ति – निम्नलिखित पर अपने विचार लिखिये :
(i) योजनाबद्ध तरीके से काम करने के क्या लाभ होते हैं ?
उत्तर :
योजनाबद्ध तरीके से काम करने के अनेक लाभ होते हैं।

  • काम अच्छी प्रकार से पूर्ण हो जाता है।
  • काम किसी तरह से अधूरा नहीं रह सकता।
  • काम बिगड़ नहीं सकता।
  • काम से जग में हँसाई नहीं बल्कि बढ़ाई होती है।
  • जग में यश मिलता है।

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(i) मतलबी मित्र तथा सच्चे मित्र में क्या अंतर है?
उत्तर :

मतलबी मित्र सच्चा मित्र
(i) मतलबी मित्र स्वार्थी होता है। (i) सच्चा मित्र स्वार्थी नहीं होता।
(ii) मतलबी मित्र कपटी होता है। (ii) सच्चा मित्र हितैषी होता है।
(iii) मतलबी मित्र धोखेबाज़ होता है। (iii) सच्चा मित्र धोखेबाज़ नहीं होता।
(iv) मतलबी मित्र सुख में साथ देता है दःख में नहीं। (iv) सच्चा मित्र सुख – दुःख दोनों में साथ देता है।
(v) केवल पैसे से लगाव होता है। (v) इसे पैसे से लगाव नहीं होता है।

(ii) धन-दौलत को चंचल क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
धन – दौलत को चंचल इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह चंचल होती है। यह कभी किसी के पास स्थिर नहीं रहती। यह अक्सर स्थान बदलती रहती है।

परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोता।

प्रश्न 1.
जीवन में पश्चात्ताप कौन लोग करते हैं ?
उत्तर :
जो लोग बिना सोच – समझ के कार्य करते हैं, वही जीवन में पश्चात्ताप करते

प्रश्न 2.
कैसा कार्य हृदय में पीड़ा देता है ?
उत्तर :
जो कार्य बिना सोच – विचार के किया जाता है, वह हृदय में पीड़ा देता है।

प्रश्न 3.
काम बिगड़ने से मनुष्य की क्या स्थिति होती है ?
उत्तर :
काम बिगड़ने से मनुष्य की संसार में हँसी होती है। सब उसका मज़ाक उड़ाते हैं। उसे खाना – पीना, राग – रंग कुछ भी अच्छा नहीं लगता।

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प्रश्न 4. सच्चे अथवा आदर्श मित्र के गुण लिखिए।
उत्तर :
सच्चे अथवा आदर्श मित्र के निम्नलिखित गुण होने चाहिए

  • सच्चा अथवा आदर्श मित्र ईमानदार होना चाहिए।
  • सच्चा अथवा आदर्श मित्र विवेकशील होना चाहिए।
  • आदर्श मित्र बुद्धिमान होना चाहिए।
  • आदर्श मित्र सुख – दुःख में साथ देने वाला होना चाहिए।
  • आदर्श मित्र सच्चाई को सच एवं झूठ को झूठ कहने वाला होना चाहिए।
  • आदर्श मित्र सत्यवादी होना चाहिए।

बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें :

प्रश्न 1.
बिना सोचे – विचारे काम करने पर क्या होता है ?
(क) संतोष
(ख) खुशी
(ग) पछतावा
(घ) आनंद।
उत्तर :
(ग) पछतावा

प्रश्न 2.
संसार में सब कैसा व्यवहार करते हैं ?
(क) प्रेम का
(ख) मतलब का
(ग) त्याग का
(घ) देने का।
उत्तर :
(ख) मतलब का

प्रश्न 3.
मित्र कब तक साथ देते हैं, जब तक पास में क्या है ?
(क) प्रेम
(ख) त्याग
(ग) दया
(घ) पैसा।
उत्तर :
(घ) पैसा।

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प्रश्न 4.
दौलत प्राप्त कर क्या नहीं करना चाहिए ?
(क) दान
(ख) दया
(ग) करूणा
(घ) घमंड।
उत्तर :
(घ) घमंड।

प्रश्न 5.
दौलत किस के समान चंचल है ?
(क) बादल
(ख) बिजली
(ग) हवा
(घ) जल।
उत्तर :
(घ) जल।

गिरधर की कुंडलियाँ Summary in Hindi

गिरिधर की कुण्डलियाँ का सार

कुण्डलियों का सार प्रस्तुत कुण्डलियों में गिरिधर कवि ने प्रेरणा देते हुए कहा है कि बिना सोच – समझ के कार्य करने से काम बिगड़ जाता है। इससे जग में हँसी होती है और पछताना पड़ता है। हृदय में पीड़ा झेलनी पड़ती है। खाना – पीना राग – रंग कुछ भी अच्छा नहीं लगता। संसार में सब जगह स्वार्थ का व्यवहार होता है। मित्र केवल स्वार्थ पूरा करते हैं और साथ छोड़ देते हैं। सच्ची मित्रता तो कोई – कोई ही करता है। धन – दौलत होने से कभी अभिमान नहीं करना चाहिए क्योंकि ये कभी स्थिर नहीं रहती। मीठे बचन बोलने चाहिए। विनम्र व्यवहार करना चाहिए। मनुष्य केवल चार दिन का ही मेहमान होता है।

गिरिधर की कुण्डलियाँ सप्रसंग व्याख्या

1. बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय।
काम बिगारै आपनो, जग में होत हँसाय॥
जग में होत हँसाय, चित्त में चैन न पावे।
खान पान सम्मान, राग रंग मनहि न भावे॥
कह गिरधर कविराय, दःख कछ टरत न टारे।
खटकत है जिय माहिं, कियो जो बिना बिचारे॥

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कठिन शब्दों के अर्थ :

  • विचारे = सोचे।
  • पाछे = पीछे।
  • बिगारे = बिगाड़े।
  • चैन = शान्ति।
  • भावे = अच्छा लगे।
  • टरत = हटाने से।
  • खटकत = खटकना, बुरा लगना।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित ‘गिरिधर की कुण्डलियाँ’ नामक कविता में से लिया गया है। कवि कहता है – बिना सोचे – विचारे यदि कोई काम किया जाए तो अन्त में मनुष्य को पछताना पड़ता है। इस बात को स्पष्ट करते हुए कवि कहता है

सरलार्थ – कवि कहता है कि इस संसार में बिना सोचे – समझे काम शुरू करने वाले व्यक्ति को अन्त में पछताना पड़ता है। जब उसका काम बिगड़ जाता है तो दुनिया वाले उसकी हँसी उड़ाते हैं। उसे मन में कभी चैन और शान्ति नहीं मिलती। यहाँ तक कि ऐसे व्यक्ति को कभी भी खाना – पीना, हँसना – बोलना और मान – सम्मान आदि अच्छा नहीं लगता। गिरिधर जी कहते हैं जो व्यक्ति बिना सोचे – समझे काम शुरू कर देता है उसका दुःख दूर करने से भी दूर नहीं होता। ऐसे व्यक्ति के मन में हमेशा अशान्ति और भय बना रहता है।

भावार्थ – कवि का मानना है कि मानव को कभी भी बिना सोच – विचार काम नहीं करना चाहिए।

2. साईं सब संसार में, मतलब का व्यवहार।
जब लगि पैसा गाँठ में, तब लगि ताको यार।
तब लगि ताको यार, यार सँग ही सँग डोले।
पैसा रहा न पास, यार मुख से नहिं बोले॥
कह गिरधर कविराय, जगत यहि लेखा भाई।
करत बेगरजी प्रीति, यार बिरला कोइ साईं॥

कठिन शब्दों के अर्थ –

  • या = इस।
  • मतलब = स्वार्थ।
  • गाँठ = जेब।
  • यार = मित्र।
  • बेगरजी = बिना स्वार्थ के।
  • प्रीति = प्रेम।
  • साईं = स्वामी।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित ‘गिरिधर की कुण्डलियाँ’ कविता में से लिया गया है। कवि ने संसार के स्वार्थी स्वभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि अब कोई विरला ही सच्चा मित्र रह गया है।

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सरलार्थ – कवि के अनुसार इस संसार में स्वार्थ का ही बोलबाला है। सभी अपना मतलब सिद्ध करने में लगे हुए हैं, जैसे – जब तक साथी के पास पैसा है तब तक उसका साथ देने वाले अनेक मित्र होते हैं। वे अपनी मित्रता न जाने किस – किस ढंग से सिद्ध करते हैं। जब पैसा नहीं रहता तो वे बोलना छोड़ देते हैं। गिरिधर जी कहते हैं कि संसार का व्यवहार ही ऐसा है। इस संसार में सच्चा प्रेम करने वाला कोई विरला ही मित्र होता है। निःस्वार्थ प्रेम करने वाला मनुष्य कठिनता से ही मिलता है।

भावार्थ – यह संसार स्वार्थ पर आधारित है। यहाँ स्वार्थ रहित (सच्चा) प्रेम बहुत कम मिलता है।

3. दौलत पाय न कीजिए, सपने में अभिमान।
चंचल जल दिन चारि को, ठाउँ न रहत निदान॥
ठाउँ न रहत निदान, जियत जग में यश लीजै।
मीठे वचन सुनाय, विनय सब की ही कीजै॥
कह गिरधर कविराय, अरे यह सब घट तौलत।
पाहुन निशि दिन चारि, रहत सब ही के दौलत॥

कठिन शब्दों के अर्थ –

  • चंचल = अस्थिर।
  • चारि = चार।
  • ठाउँ = स्थान पर।
  • निदान = निश्चय से।
  • विनय = नम्रता, आदर।
  • तौलत = तोलना।
  • पाहुन = मेहमान।
  • निशि = रात।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश ‘गिरिधर की कुण्डलियाँ’ में से लिया गया है। इस कुंडली में धन की चंचलता बताई गई है।

सरलार्थ – गिरिधर कवि कहते हैं – मनुष्य को धन – दौलत होने पर सपने में भी अभिमान नहीं करना चाहिए। यह चंचल पानी के समान है, जो निश्चय से कभी एक स्थान पर टिका नहीं रहता। धन चंचल होने के कारण व्यक्ति को जीवित रहते हुए यश प्राप्त करना चाहिए। सब को मीठे वचन सुनाने चाहिए। सब के साथ अच्छा व्यवहार करना पुस्तकीय भाग चाहिए। मधुर बोलना चाहिए और सब से नम्र व्यवहार करना चाहिए। कवि कहता है कि अरे कम क्यों तोलता है। यह दौलत सबके पास चार दिन की मेहमान है। भाव यह है कि धन का गर्व नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह नाशवान् है।

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भावार्थ – कवि ने धन के आधार पर घमण्ड न करने की बात कही है क्योंकि धन तो आता – जाता रहता है।

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