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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध
→ खेत में पौधों को उगाना और देखभाल करना कृषि उत्पादन (Crop Yield) कहलाता है।
→ धन कमाने के लिए जो फसल उगाई जाती है, उसे नकदी फसल (Cash Crop) कहते हैं।
→ फसल के अतिरिक्त, सब्जियां, फल और फूल भी उगाए जाते हैं। यह हार्टीक्लचर (Horticulture) में आते हैं।
→ पौधों की उचित वृद्धि के लिए जल, ऑक्सीजन, सूर्य का प्रकाश और पोषक तत्त्व आवश्यक हैं।
→ कृषि उत्पादन में कुछ पद्धतियों का वैज्ञानिक ढंग से उपयोग होता है।
→ भूमि को नर्म और समतल करना मिट्टी तैयार करना अथवा जुताई कहलाता है। इससे जड़ें आसानी से मिट्टी में नीचे तक बढ़ती हैं।
→ पौधों को समय-समय पर पानी देने की विधि सिंचाई कहलाती है।
→ सिंचाई के साधन हैं-कुएं, ट्यूबवेल, तालाब, झीलें, नदियां, बाँध और नहरें।
→ सिंचाई की आधुनिक विधियां हैं-छिड़काव तंत्र और ड्रिप तंत्र।
→ बीज खेतों में हाथों द्वारा तथा सीड-ड्रिल द्वारा बोए जाते हैं।
→ पौध (Seedling) एक छोटा पौधा है। पौध को पौधशाला (नर्सरी) से खेत में रोपने को रोपण विधि कहते हैं।
→ ह्यूमस कार्बनिक पदार्थ से बनी मिट्टी की ऊपरी सतह है जो पौधों और पशुओं के अपशिष्ट के अपघटन से बनती है।
→ खाद पौधों और पशुओं के अपशिष्ट से तैयार की जाती है। उर्वरक एक रासायनिक मिश्रण है जिसमें पोटाशियम, नाइट्रोजन और फास्फोरस भरपूर उचित मात्रा में होते हैं। खाद और उर्वरक मिट्टी में पोषक तत्त्वों की पूर्ति करते हैं।
→ फसल के साथ उगने वाले अवांछित पौधे, खरपतवार कहलाते हैं। इन्हें खरपतवारनाशी छिड़क कर दूर किया जाता है।
→ कीट फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इन पर कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है।
→ ऋतुओं के आधार पर फसलों के दो वर्ग हैं
- रबी (Rabi) और
- खरीफ (Kharif) ।
→ कटाई करते समय फसल को निकाला जाता है या काटा जाता है।
→ दानों को भूसे से अलग करने की विधि को थ्रेशिंग कहते हैं। फटकने (Winnowing) से दाने भूसे से अलग हो जाते हैं।
→ मिश्रित कृषि में दो या तीन फसलें एक ही खेत में इकट्ठी उगाई जाती हैं।
→ गाय, भैंस, पोल्टरी पक्षी और मछली का पालन माँस, अंडे और दूध जैसे खाद्य पदार्थों की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
→ पालतू पशुओं को उचित भोजन, आवास एवं देखभाल की आवश्यकता होती है।
→ कटाई ऋतु के साथ कुछ विशेष पर्व जैसे पोंगल, वैसाखी, होली, दीवाली, नबान्या और बीहू जुड़े हुए हैं।
→ कृषि पद्धतियां (Agricultural Practices)- फसल उगाने के लिए किसान द्वारा सामयिक अवधि में अपनाए कई क्रिया-कलापों को कृषि पद्धतियां कहते हैं।
→ मिट्टी की तैयारी (Preparation of Soil)-फसल उगाने से पहले मिट्टी को पलटना, पोला बनाना और समतल करना पड़ता है। इसे जुताई कहते हैं।
→ बुआई (Sowing)-मिट्टी में बीज बोने की विधि को बुआई कहते हैं।
→ खाद और उर्वरक (Manures and Fertilizers)-वे कार्बनिक और रासायनिक पदार्थ जो फसल की अच्छी वृद्धि के लिए पोषकों के रूप में मिट्टी में मिलाए जाते हैं, खाद और उर्वरक कहलाते हैं।
→ सिंचाई (Irrigation)-पौधों की वृद्धि के लिए समय-समय पर पानी देने की विधि, सिंचाई कहलाती है।
→ कटाई (Harvesting)-पकने पर फसल काटने की विधि कटाई कहलाती है।
→ भंडारण (Storage)- फसल के दानों का बड़े-बड़े भंडार गृहों में भंडारण किया जाता है।
→ निराई (Weeding)-खरपतवार को खेत से बाहर निकालने की विधि निराई कहलाती है।
→ पशुपालन (Animal Husbandry)- पशुओं के उचित भोजन, आवास और देखभाल को पशुपालन कहते हैं।
→ साइलो (Silos)-बीजों का बड़े पैमाने पर भंडारण करने के लिए प्रयुक्त होने वाले बड़े पात्र, साइलो कहलाते हैं।
→ भंडार गृह (Granaries)-बड़े-बड़े खुले कमरे जहां अनाज के दानों को बड़े पैमाने पर सुरक्षित संभाल कर रखा जाता है।
→ थ्रेशिंग (Threshing)- भूसे से अनाज के दानों को पृथक् करने की विधि को थ्रेशिंग कहते हैं।
→ खरपतवार (Weeds)- अवांछित पौधे जो खेतों में अपने आप उग आते हैं, खरपतवार कहलाते हैं।
→ खरपतवारनाशी(Weedicides)-वे रसायन जो खरपतवारों को नष्ट करते हैं, खरपतवारनाशी कहलाते हैं।