PSEB 8th Class Science Notes Chapter 2 सूक्ष्मजीव : मित्र एवं शत्रु

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 2 सूक्ष्मजीव : मित्र एवं शत्रु

→ सुक्ष्मजीव बहुत ही छोटे जीव हैं, जिन्हें केवल सूक्ष्मदर्शी (Microscope) द्वारा ही देखा जा सकता है।

→ सूक्ष्मजीव सभी प्रकार की परिस्थितियों में जीवित रह सकते हैं जैसे गर्म स्रोतों, बर्फीय जल, लवणीय जल, रेगिस्तानी मिट्टी और दलदली मिट्टी (marshy land)

→ सूक्ष्मजीवों का वर्गीकरण जीवाणु, कवक, प्रोटोज़ोआ, शैवाल और विषाणुओं में किया जाता है।

→ सूक्ष्मजीव सभी प्रकार के आवासों में पाए जाते हैं। प्रायः यह एक कोशिक होते हैं, पर कभी-कभी श्रृंखला अथवा समूह में भी पाए जाते हैं।

→ सूक्ष्मजीवों का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है।

→ जीवाणु हर जगह पाए जाते हैं और बहुत छोटे होते हैं।

→ जीवाणु के व्यास का आकार एक मिलीमीटर के एक हज़ारवें भाग का 1.25 गुणन है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 2 सूक्ष्मजीव : मित्र एवं शत्रु

→ जीवाणु की तीन किस्में

  1. छड़ नुमा,
  2. गोल और
  3. कुंडलीनुमा है।

→ जीवाणु, स्वपोषी अथवा परपोषी हो सकते हैं।

→ जीवाणु, कोशिका विखंडन अथवा विविखंडन से प्रजनन करते हैं।

→ शैवाल और जीवाणुओं में कई समानताएँ हैं।

→ साइनोबैक्टीरिया वातावरणी नाइट्रोजन को स्थिर कर मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाते हैं।

→ डायटम एक सूक्ष्म शैवाल है, जो झरनों, तलछटी और समुद्र में पाया जाता है।

→ कवक परजीवी तथा मृतजीवी होते हैं।

→ कुछ कवक खाद्य पदार्थ, चमड़ा, कागज़ और कपड़े को नष्ट करते हैं तो कुछ फसल और जानवरों के लिए घातक होते हैं।

→ खमीर (Yeast) एक कोशिक और परजीवी कवक है, जिसका उपयोग किण्वन (Fermentation) द्वारा बियर, शराब और दूसरे पेयजल बनाने में किया जाता है।

→ विषाणु (Virus) एक कोशिक मृतजीवी है जो कोशिका में गुणन करने की क्षमता रखता है।

→ प्रोटोज़ोआ (Protozoa) एक कोशीय सूक्ष्मजीव है जो पेचिश और मलेरिया जैसे रोग फैलाते हैं।

→ भोजन विषाक्तता (Food Poisoning) सूक्ष्मजीवों द्वारा नष्ट किए भोजन खाने से होती है।

→ भोजन पर वृद्धि करने वाले सूक्ष्मजीव विषैले पदार्थ उत्पन्न करते हैं।

→ भोजन के संरक्षण के मुख्य तरीके-रासायनिक तरीका जिसमें नमक मिलाना, चीनी मिलाना, तेल और सिरका मिलाना, गर्म और ठंडा करने की विधियाँ अपनाई जाती हैं।

→ प्रोटोज़ोआ (Protozoa)- यह एक कोशिक (Unicellular) सूक्ष्मजीव है, जो पेचिश और मलेरिया जैसे रोग फैलाते हैं।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 2 सूक्ष्मजीव : मित्र एवं शत्रु

→ कवक (Fungi)-कवक सूक्ष्मजीव पादप हैं जो हरे नहीं होते और खाद्य पदार्थों को संदूषित करते हैं।

→ विषाणु (Virus)-यह सूक्ष्मजीव सजीव और निर्जीव की सीमा रेखा पर है।

→ यह केवल पोषी (host) के शरीर में ही प्रजनन करते हैं।

→ जीवाणु (Bacteria)-यह सूक्ष्मजीव हर व्यापक जगह पर पाए जाते हैं और आकार में बहुत छोटे होते हैं। यह पोषण के आधार पर स्वपोषी और परपोषी हो सकते हैं।

→ खमीर (Yeast) खमीर एक कोशिक कवक है जो किण्वन द्वारा बियर, शराब और दूसरे पेय पदार्थ बनाने के काम आता है।

→ राइजोबियम (Rhizobium)-यह एक जीवाणु है जो नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक होता है। यह फलीदार पौधों की जड़ ग्रंथियों में पाया जाता है।

→ मिट्टी की उर्वरता (Soil Fertility)- मिट्टी में नाइट्रोजन पोषक तत्त्व की आपूर्ति ही मिट्टी की उर्वरता है। यह जीवाणु और नीले हरे शैवाल द्वारा होती है।

→ सूक्ष्मजीव (Microorganism)- बहुत छोटे जीव जिन्हें नंगी आँख द्वारा नहीं देखा जा सकता। इन्हें केवल सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखा जा सकता है। यह सभी प्रकार के आवास में रहते हैं।

→ लैक्टोबेसिलस (Lactobacillus)-दूध में पाए जाने वाले जीवाणु, जो दही जमाने में सहायक होते हैं, लैक्टोबेसिलस कहलाते हैं।

→ वाहक (Carriers)-वाहक वे कीट या दूसरे जीव हैं जो रोग फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों का संचारण करते हैं।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 2 सूक्ष्मजीव : मित्र एवं शत्रु

→ प्रतिरक्षी (Antibodies)-जब रोगाणु शरीर में प्रवेश करते हैं तो शरीर रोगाणुओं से लड़ने के लिए प्रतिरक्षी उत्पन्न करता है।

→ टीका (Vaccine)-यह मृत अथवा कमज़ोर सूक्ष्मजीव है जिन्हें स्वस्थ शरीर में प्रवेश कराया जाता है।

→ रोगाणु (Pathogen)-रोग फैलाने वाले सूक्ष्मजीव रोगाणु कहलाते हैं।

→ किण्वन (Fermentation)-चीनी को एल्कोहल में सूक्ष्मजीव खमीर द्वारा परिवर्तित करने की क्रिया किण्वन कहलाती है।

→ नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Fixation of Nitrogen)-सूक्ष्मजीवों द्वारा वायुमंडलीय नाइट्रोजन को नाइट्राइट और नाइट्रेट में परिवर्तन करने की प्रक्रिया को नाइट्रोजन स्थिरीकरण कहते हैं। यह राइजोबियम जीवाणुओं द्वारा संभव होता है।

→ नाइट्रोजन चक्र (Nitrogen Cycle)-वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण, नाइट्रीफिकेशन, डीनाइट्रीफिकेशन, आदि प्रक्रियाओं के बाद वापस नाइट्रोजन के रूप में वायुमंडल में प्रवेश करना ही नाइट्रोजन चक्र है।

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