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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 13 ध्वनि
→ कंपित वस्तु द्वारा ध्वनि, उत्पन्न होती है।
→ किसी वस्तु द्वारा अपनी माध्य स्थिति के इधर-उधर, आगे-पीछे या ऊपर-नीचे की दिशा में तय की गई अधिकतम दूरी, कंपन का आयाम (amplitude) कहलाती है।
→ एक कंपन को पूरा करने में लगे समय को आवर्तकाल (time period) कहते हैं।
→ एक सेकंड में कंपनों की संख्या, कंपन की आवृत्ति (frequency) कहलाती है।
→ आवृत्ति का मात्रक हर्ट्ज (Hz) है।
→ कंपन का आयाम जितना अधिक होता है, ध्वनि उतनी ही प्रबल होती है।
→ कंपन की आवृत्ति अधिक होने पर तारत्व अधिक होता है और ध्वनि अधिक तीक्ष्ण होती है।
→ मानव कान के लिए, आवृत्ति की सीमा 20Hz to 20,000 Hz है।
→ ध्वनि को संचारण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। यह निर्वात में संचरित नहीं हो सकती।
→ प्रकाश, ध्वनि की अपेक्षा बहुत तेज़ चलता है।
→ ध्वनि किसी बाधा से परावर्तित हो सकती है। इस परावर्तित ध्वनि को प्रतिध्वनि (Echo) कहते हैं।
→ कुछ सतहें दूसरी सतहों की अपेक्षा ध्वनि को अधिक परावर्तित करती हैं।
→ प्रिय ध्वनि संगीत (music) और अप्रिय ध्वनि शोर (noise) कहलाती है।
→ मानवों में वाक्-तंतुओं के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है।
→ आयाम (Amplitude)-दोलन करती वस्तु द्वारा माध्य स्थिति से तय की गई अधिकतम दूरी आयाम कहलाती है।
→ प्रतिध्वनि (Echo)-बाधा जैसे कि इमारत और पहाड़ से परावर्तित हुई ध्वनि ।
→ आवृत्ति (Frequency)-दोलित वस्तु द्वारा एक सेकंड में कंपनों की संख्या।
→ हर्ट्ज (Hertz)-आवृत्ति का मात्रक।
→ स्वर यंत्र (Larynx)-मानव में ध्वनि का अंग।
→ तीक्ष्णता (Loudness)-ध्वनि का गुण जो दोलन/कंपन के आयाम और आवृत्ति पर निर्भर करता है।
→ संगीत (Musical Sound)-वह ध्वनि, जो कानों पर मधुर प्रभाव डालती है।
→ शोर (Noise)-कानों को अप्रिय लगने वाली ध्वनि।
→ पराश्रव्य (Ultrasonic)-20,000 Hz से ऊपर आवृत्ति वाले कंपन।
→ दोलन (Vibrating Body)-एक वस्तु, जो मध्य स्थिति के इधर-उधर अथवा आगे-पीछे गति करती है।
→ कंपन (Vibration)-इधर-उधर या आगे-पीछे की गति।
→ वाक्-तंतु (Vocal cords)-स्वर यंत्र में दो युग्म पेशीय तंतु।