PSEB 8th Class Science Notes Chapter 16 प्रकाश

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 16 प्रकाश

→ प्रकाश, ऊर्जा का एक रूप है।

→ प्रकाश, सरल रेखा में गमन करता है।

→ प्रकाश हमें वस्तुएँ देखने में सहायक है।

→ जब वस्तुओं से परावर्तित प्रकाश हमारी आँखों में पड़ता है तो हम वस्तुएँ देख पाते हैं।

→ जो पिंड स्वयं का प्रकाश उत्सर्जित करते हैं, दीप्त (Luminous) पिंड कहलाते हैं।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 16 प्रकाश

→ जो पिंड स्वयं का प्रकाश उत्सर्जित नहीं करते, परंतु दूसरी वस्तुओं के प्रकाश में चमकते हैं, अदीप्त पिंड (Non-luminous) कहलाते हैं।

→ पॉलिश किया हुआ अथवा चमकदार पृष्ठ प्रकाश परावर्तित करता है।

→ एक दर्पण अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश की दिशा को परावर्तित कर देता है।

→ प्रकाश परावर्तन में आपतित कोण, सदैव परावर्तित कोण के बराबर होता है।

→ आपतित किरण, आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण, सभी एक तल में होते हैं।

→ एक-दूसरे से किसी कोण पर रखे दर्पण द्वारा अनेक प्रतिबिंब प्राप्त किए जा सकते हैं।

→ जब प्रकाश किरण प्रिज्म में से गुज़रती है, तो विक्षेपित होती है और फलस्वरूप सफेद प्रकाश किरण सात रंगों में विभाजित हो जाती है।

→ सूर्य के प्रकाश के स्पैक्ट्रम में सात रंग-बैंगनी, नील, नीला, हरा, पीला, केसरी और लाल हैं। इन्हें अंग्रेजी शब्द VIBGYOR से स्मरण किया जा सकता है। VIBGYOR (Violet. Indigo. Blue. Green, Yellow, Orange, Red).

→ इंद्रधनुष, विक्षेपण को दर्शाने वाली एक प्राकृतिक परिघटना है !

→ मानव नेत्र, एक ज्ञानेंद्री है, जो वस्तुओं को देखने में सहायक है।

→ मानव नेत्र में एक उत्तल लेंस होता है, जिसकी फोकस दूरी सिलियरी पेशियों द्वारा नियंत्रित की जाती है।

→ परावर्तन, नियमित तथा विसरित हो सकता है।

→ अंध-बिंदु में दो प्रकार की तंत्रिका कोशिकाएँ शंकु (cones) और शलाकाएँ (rods) पाई जाती हैं।

→ चाक्षुणी अक्षमता से पीड़ितों के लिए दो प्रकार के संसाधन होते हैं-अप्रकाशिक (Non-optical) और प्रकाशिक (Optical)।

→ ब्रैल पद्धति, चाक्षुष विकृति युक्त व्यक्तियों के लिए, एक सर्वाधिक लोकप्रिय और महत्त्वपूर्ण साधन है।

→ प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)-जब प्रकाश किरण किसी दर्पण अथवा पॉलिश की हुई सतह पर पड़ती है, तो वह माध्यम के परिवर्तन हुए बिना उसी माध्यम में किसी विशेष दिशा में वापिस आ जाती है। प्रकाश के मार्ग में आए परिवर्तन की क्रिया को प्रकाश का परावर्तन कहा जाता है।

→ पर्दा (Screen)-श्वेत शीट अथवा पृष्ठ, जिस पर प्रतिबिंब बनता है।

→ नियमित परावर्तन (Regular Reflection)-पॉलिश पृष्ठ से हुआ परावर्तन ।

→ प्रकाश का फैलना (Scattering of Light)-प्रकाश किरणों का सभी दिशाओं में परावर्तन।

→ विसरित परावर्तन (Diffused Reflection)-प्रकाश किरणों का खुरदरे पृष्ठ से परावर्तन।

→ आपतित किरण (Incident Ray)-प्रकाश के स्रोत से दर्पण पृष्ठ पर गिरने वाली प्रकाश किरण।

→ केलाइडोस्कोप (Kaleiodeoscope)-बहुमुखी परावर्तन पर आधारित यंत्र, जिससे विभिन्न डिज़ाइन बनाए जाते हैं।

→ दर्पण (Mirror)-समतल और पॉलिश पृष्ठ।

→ अभिलंब (Normal) आपतन बिंदु पर लंबवत् रूप में खींची रेखा।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 16 प्रकाश

→ प्रकाश का स्रोत (Source of Light)-एक ऐसा पिंड, जो प्रकाश उत्सर्जित करता है।

→ वास्तविक प्रतिबिंब (Red Image)-प्रतिबिंब, जो आपतित किरणों का परावर्तन के बाद वास्तव रूप से मिलने से बनता है।

→ आभासी प्रतिबिंब (Virtual Image)-प्रतिबिंब, जिसमें आपतित किरणें परावर्तन के बाद मिलती नहीं, परंतु मिलती हुई प्रतीत होती हैं।

→ आपतन कोण (Angle of Incidence)-आपतित किरण और अभिलंब के बीच का कोण।

→ परिवर्तित कोण (Angle of Reflection)-परिवर्तित किरण और अभिलंब के बीच का कोण।

→ अनुकूलन शक्ति (Power of Accomodation)-हमारी आँख सभी दूर और निकट पड़ी वस्तुओं को देख सकती है। आँख की इस विशेषता को जिसके द्वारा आँख अपने लेंस की शक्ति को परिवर्तित करके भिन्न-भिन्न दूरी पर पड़ी वस्तुओं को देख सकती है, अनुकूलन शक्ति कहा जाता है।

→ दृष्टि की न्यूनतम दूरी (Least Distance of Distinct Vision)-दूरस्थ बिंदु और निकट बिंदु के मध्य के ऐसा बिंदु जहां पर वस्तु को रखने से वस्तु बिलकुल स्पष्ट दिखाई देती है, स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहा जाता है। सामान्य दृष्टि के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेमी० है।

→ दृष्टि-स्थिरता (Persistence of Vision)-जब किसी वस्तु का आँख के रेटिना पर प्रतिबिंब बनता है, तो वस्तु को हटा देने के बाद इस प्रतिबिंब का प्रभाव कुछ समय के लिए बना रहता है। इस प्रभाव को दृष्टि स्थिरता कहा जाता है।

→ दूर-दृष्टि दोष (Long Sightedness or Hypermotropia)-इस दोष के व्यक्ति को दूर स्थित वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, परंतु समीप की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देतीं। इसका कारण यह है कि समीप स्थित वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है। इसे उत्तल लेंस से ठीक किया जाता है।

→ प्रकाश का विक्षेपण (Dispersion of Light)-प्रकाश किरण का सात रंगों में विभाजित होना।

→ निकट दृष्टि दोष (Near Sightedness or Myopia)-इस दोष के व्यक्ति को निकट स्थित वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, परंतु दूर स्थित वस्तुएँ नहीं दिखाई देतीं, क्योंकि दूरस्थ वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के आगे बनता है। इसे अवतल लेंस से ठीक किया जाता है।

→ रंगों की पहचान (Perception of Colour)-मानव नेत्र में शंकु और शल्काएँ हैं, जो प्रकाश संवेदी हैं। शंकु रंगों के प्रति संवेदक होते हैं।

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