PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 14 हस्तशिल्प तथा उद्योग

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 14 हस्तशिल्प तथा उद्योग Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 14 हस्तशिल्प तथा उद्योग

SST Guide for Class 8 PSEB हस्तशिल्प तथा उद्योग Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखें :

प्रश्न 1.
भारत के लघु (छोटे) उद्योगों के पतन के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर-

  1. इन उद्योगों के मुख्य संरक्षक देशी रियासतों के राजा, उनके परिवार के सदस्य तथा उनके अधिकारी और कर्मचारी थे। जब देशी रियासतों की समाप्ति शुरू हो गई तो पुराने उद्योगों को स्वाभाविक रूप से धक्का लगा।
  2. भारत के लघु उद्योगों में बनी वस्तुएं नई श्रेणी के लोगों को पसन्द नहीं थीं। वे अंग्रेज़ों के प्रभाव में थे। अत: इन्हें यूरोप की वस्तुएं भारत की वस्तुओं की अपेक्षा अधिक अच्छी लगती थीं।

प्रश्न 2.
भारत के लघु उद्योगों के द्वारा तैयार की गई वस्तुओं का मूल्य अधिक क्यों होता था ? .
उत्तर-
भारत के लघु उद्योगों द्वारा तैयार की गई वस्तुओं का मूल्य इसलिए अधिक होता था, क्योंकि इन्हें तैयार करने के लिए अधिक परिश्रम करना पड़ता था।

प्रश्न 3.
भारत में सूती कपड़े का प्रथम उद्योग कब तथा कहां स्थापित हुआ ?
उत्तर-
भारत में सूती कपड़े का प्रथम उद्योग (कारखाना) 1853 ई० में मुम्बई में स्थापित हुआ।

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प्रश्न 4.
भारत में पहला पटसन उद्योग कब तथा कहां लगाया गया ?
उत्तर-
भारत में पहला पटसन उद्योग 1854 ई० में सीरमपुर (बंगाल) में लगाया गया।

प्रश्न 5.
भारत में कॉफी का पहला बाग कब तथा कहां लगाया गया ?
उत्तर-
भारत में कॉफी का पहला बाग 1840 ई० में दक्षिण भारत में लगाया गया।

प्रश्न 6.
चाय का पहला बाग कब तथा कहां लगाया गया ?
उत्तर-
चाय का पहला बाग़ 1852 ई० में असम में लगाया गया।

प्रश्न 7.
19वीं सदी में लघु उद्योगों के पतन के बारे में लिखें।
उत्तर-
भारत में अंग्रेजी शासन की स्थापना से पहले भारत के गांव आत्म-निर्भर थे। गांवों के लोग जैसे कि लोहार, जुलाहे, किसान, बढ़ई, चर्मकार, कुम्हार आदि मिलकर गांव की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वस्तुएं तैयार कर लेते थे। उनकी दस्तकारियां या लघु उद्योग उनकी आय के साधन होते थे। परन्तु अंग्रेज़ी शासन की स्थापना होने के कारण गांवों के लोग भी अंग्रेज़ी कारखानों में तैयार की गई वस्तुओं का उपयोग करने लगे क्योंकि वे बढ़िया एवं सस्ती होती थीं। अतः भारत के नगरों एवं गांवों के लघु उद्योगों का पतन होने लगा और कारीगर (शिल्पकार) बेकार हो गये।

प्रश्न 8.
आधुनिक भारतीय उद्योगों के महत्त्व के बारे में लिखें।
उत्तर-
भारत में आधुनिक उद्योगों के विकास से आर्थिक एवं सामाजिक जीवन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़े। इसके परिणामस्वरूप समाज में दो श्रेणियों का जन्म हुआ-पूंजीपति तथा मज़दूर। पूंजीपति मजदूरों का अधिक-से-अधिक शोषण करने लगे। वे मजदूरों से अधिक-से-अधिक काम ले कर कम-से-कम पैसे देते थे। अत: सरकार ने मजदूरों की दशा सुधारने के लिए फैक्टरी-एक्ट पास किये। औद्योगिक विकास होने के कारण कई नये नगरों का निर्माण भी हुआ। ये नगर आधुनिक जीवन एवं संस्कृति के केन्द्र बने।

प्रश्न 9.
नील उद्योग पर नोट लिखें।
उत्तर-
अंग्रेजों को इंग्लैंड में अपने कपड़ा उद्योग के लिए नील की आवश्यकता थी। अतः उन्होंने भारत में नील की खेती को बढ़ावा दिया। इसका आरम्भ 18वीं शताब्दी के अन्त में बिहार तथा बंगाल में हुआ। नील के अधिकतर बड़े-बड़े बाग यूरोप वालों ने लगाए, जहां भारतीयों को काम पर लगाया गया। 1825 में नील की खेती के अधीन 35 लाख बीघा भूमि थी। परन्तु 1879 ई० में नकली नील तैयार होने के कारण नील की खेती में कमी आने लगी। परिणामस्वरूप 1915 ई० तक नील की खेती के अधीन केवल 3-4 लाख बीघा जमीन ही रह गई।

प्रश्न 10.
कोयले की खानों पर नोट लिखें।
उत्तर-
भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित सभी नये कारखाने कोयले से चलते थे। रेलों के लिए भी कोयला चाहिए था। इसलिए कोयला खानों में से कोयला निकालने की ओर विशेष ध्यान दिया गया। 1854 ई० में बंगाल के रानीगंज जिले में कोयले की केवल 2 खानें थीं। परन्तु 1880 तक इनकी संख्या 56 तथा 1885 तक 123 हो गई।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:

1. देशी रियासतों के राजा महाराजा …………. उद्योगों द्वारा तैयार की गई वस्तुओं का प्रयोग करते थे।
2. नई पीढ़ी के लोग लघु उद्योगों द्वारा तैयार किए गए माल को ………… नहीं करते थे।
3. सभी नए कारखाने ……………. से चलते थे।
उत्तर-

  1. लघु
  2. पसंद
  3. कोयले।।

III. प्रत्येक वाक्य के सामने ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाएं:

1. भारतीय नगरों एवं गांवों के लघु उद्योगों के पतन से कारीगर बेकार हो गए। – (✓)
2. इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति 19वीं सदी में आई। – (✗)
3. मशीनों द्वारा तैयार की गई वस्तुओं का दाम अधिक होता था। – (✗)
4. 18वीं सदी में भारत का कच्चा माल इंग्लैंड जाने लगा। – (✓)

IV. सही जोड़े बनाएं :

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 14 हस्तशिल्प तथा उद्योग 1
उत्तर-

  1. टी (चाय) कंपनी
  2. सेरमपुर (बंगाल)
  3. रानीगंज।

PSEB 8th Class Social Science Guide हस्तशिल्प तथा उद्योग Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
कॉफी का पहला बाग़ कब लगाया गया ?
(i) 1834 ई०
(ii) 1839 ई०
(iii) 1840 ई०
(iv) 1854 ई०।
उत्तर-
1840 ई०

प्रश्न 2.
भारत में नील उद्योग कहां से शुरू हुआ ?
(i) बिहार तथा बंगाल
(ii) कर्नाटक तथा तमिलनाडु
(iii) पंजाब तथा हरियाणा
(iv) मध्य भारत।
उत्तर-
बिहार तथा बंगाल

प्रश्न 3.
भारत में पटसन उद्योग का पहला कारखाना कब लगाया गया ?
(i) 1820 ई०
(ii) 1824 ई०
(iii) 1834 ई०
(iv) 1854 ई०।
उत्तर-
1854 ई० ।

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अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अंग्रेजी शासन की स्थापना से पहले आर्थिक दृष्टि से गांवों की स्थिति कैसी थी ?
उत्तर-
अंग्रेजी शासन की स्थापना से पहले गांव आर्थिक दृष्टि से आत्म-निर्भर थे।

प्रश्न 2.
भारतीय दस्तकारों द्वारा बनी वस्तुएं मशीनों द्वारा बनी वस्तुओं का मुकाबला क्यों न कर सकीं ?
उत्तर-
भारतीय दस्तकारों द्वारा बनी वस्तुएं मशीनों द्वारा बनी वस्तुओं का मुकाबला इसलिए न कर सकी क्योंकि मशीनी वस्तुएं साफ़ तथा सुन्दर होने के साथ-साथ सस्ती भी थीं।

प्रश्न 3.
नई श्रेणी के लोगों को भारत के लघु उद्योगों द्वारा बनी वस्तुएं क्यों पसन्द नहीं थीं ?
उत्तर-
क्योंकि वे पश्चिमी-सभ्यता के प्रभाव में थे।

प्रश्न 4.
पटसन उद्योग में क्या-क्या वस्तुएं बनाई जाती थीं ?
उत्तर-
टाट तथा बोरियां।

प्रश्न 5.
भारत के कॉफी उद्योग को हानि क्यों पहंची ?
उत्तर-
भारत की कॉफी का मुकाबला ब्राज़ील की कॉफी से था जो बहुत अच्छी थी। इसलिए भारत के कॉफी उद्योग को हानि पहुंची।

प्रश्न 6.
भारत में अंग्रेज़ी काल में विकसित किन्हीं छः आधुनिक उद्योगों के नाम बताओ।
उत्तर-

  • सूती कपड़ा उद्योग
  • पटसन उद्योग
  • कोयला उद्योग
  • नील उद्योग
  • चाय
  • कॉफी।

प्रश्न 7.
फैक्टरी एक्ट क्यों पास किए गए ?
उत्तर-
फैक्टरी एक्ट मज़दूरों की दशा सुधारने के लिए पास किए गए।

प्रश्न 8.
आदि मानव अपने आप को गर्म रखने के लिए किस चीज़ से बने वस्त्र पहनता था ?
उत्तर-
पशुओं की खाल से बने वस्त्र।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में कपड़ा बुनने का विकास कैसे हुआ ? खुदाइयों से कपड़े की बुनाई के बारे में क्या प्रमाण मिले हैं ?
उत्तर-
आदि मानव अपने आप को गर्म रखने के लिए पशुओं की खाल से बने कपड़े पहनता था। कताई एवं बुनाई . की खोज इसके बहुत समय पश्चात् हुई थी। ऐसा माना जाता है कि भारत में जुलाहों ने कपड़ा तैयार करने के लिए सबसे पहले घास के रेशों का उपयोग किया था। तत्पश्चात् उन्होंने इस पर नमूने बनाने और करघे पर धागों का उपयोग करना सीखा। समय बीतने पर रेशों और नमूनों में और अधिक सुधार हुआ।

प्रमाण-प्राचीन वस्तुओं का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों को मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा की खुदाइयों से सूत की कताई तथा रंगदार सूती कपड़े के अवशेष मिले हैं। इस के अतिरिक्त उन्हें कश्मीर में कई स्थानों की खुदाई से चरखे, दरियां आदि प्राप्त हुए हैं। इनसे संकेत मिलता है कि लगभग 4,000 साल.पूर्व लोग कपड़ा बुनना जानते थे।

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प्रश्न 2.
भारत में कपड़ा उद्योग का पतन क्यों हुआ ? इसे नया जीवन कैसे मिला ?
उत्तर-
भारतीय कपड़े संसार-भर में प्रसिद्ध थे। यूरोप के व्यापारी कपड़े एवं मसालों का व्यापार करने के लिए ही भारत में आये थे। उन्होंने भारत में सूती कपड़े के कारखाने लगाए थे। इन उद्योगों में साधारण हथकरघों की अपेक्षा अधिक कपड़े का उत्पादन किया जाता था। परन्तु इंग्लैंड में औद्योगिक क्रान्ति आने के कारण भारत में कपड़ा-व्यापार का पतन आरम्भ हो गया। परन्तु 20वीं शताब्दी में महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में भारत में फिर से हाथ से बुने सूती एवं – रेशमी कपड़े तैयार किये जाने लगे, जिससे भारतीय कपड़ा-उद्योग पुनः अस्तित्व में आया।
सरकार की नई आर्थिक नीति से भी कपड़ा-उद्योग ने पहले से कहीं अधिक उन्नति की। सरकार ने कपड़े का आयात-निर्यात करने के लिए बहुत-सी सुविधाएं प्रदान की।

प्रश्न 3.
अंग्रेज़ी काल में भारत में पटसन उद्योग पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
पटसन उद्योग में मुख्य रूप से टाट तथा बोरियां बनाई जाती थीं। इस उद्योग पर यूरोप के लोगों का अधिकार था। इस उद्योग का पहला कारखाना 1854 ई० में सीरमपुर (बंगाल) में लगाया गया। इसके बाद भी पटसन उद्योग के अधिकतर कारखाने बंगाल में ही लगाये गए। 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक इन कारखानों की संख्या 36 हो गई थी।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में लघु उद्योगों के पतन के कारणों का वर्णन करें।
उत्तर-
भारत में लघु-उद्योगों के पतन के मुख्य कारण निम्नलिखित थे

1. भारत की देशी रियासतों की समाप्ति-अंग्रेजों ने बहुत-सी भारतीय रियासतों को समाप्त कर दिया था। इस कारण लघु उद्योगों को बहुत हानि पहुंची क्योंकि इन रियासतों के राजा-महाराजा तथा उनके परिवार के सदस्य लघु उद्योगों द्वारा तैयार की गई वस्तुओं का उपयोग करते थे।

2. भारतीय लघु उद्योगों द्वारा तैयार वस्तुओं का महंगा होना-भारतीय लघु उद्योगों द्वारा तैयार की गई वस्तुओं का मूल्य अधिक होता था, क्योंकि उन्हें तैयार करने के लिए अधिक परिश्रम करना पड़ता था। दूसरी ओर मशीनों द्वारा तैयार की गई वस्तुओं का मूल्य कम होता था। अत: लोग लघु उद्योगों द्वारा तैयार की गई वस्तुओं को नहीं खरीदते थे। परिणामस्वरूप भारतीय लघु उद्योगों का पतन आरम्भ हो गया।

3. मशीनी वस्तुओं की सुन्दरता-इंग्लैंड के कारखानों में मशीनों द्वारा तैयार वस्तुएं भारत के लघु उद्योगों द्वारा तैयार वस्तुओं की अपेक्षा अधिक साफ तथा सुन्दर होती थीं। अतः भारतीय लोग मशीनों द्वारा तैयार वस्तुओं को अधिक पसन्द करते थे। यह बात भारत के लघु उद्योगों के पतन का कारण बनी।

4. नई श्रेणी के लोगों की रुचि-नई श्रेणी के लोगों पर पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव था। दूसरे, मशीनों द्वारा तैयार वस्तुएं बहुत साफ और सुन्दर होती थीं। अतः नई पीढ़ी के लोग लघु उद्योगों द्वारा तैयार वस्तुओं को पसन्द नहीं करते थे।

5. भारत से कच्चा माल इंग्लैंड भेजना-18वीं शताब्दी में यूरोप में औद्योगिक क्रान्ति आई। इसके कारण वहां बहुत बड़े-बड़े कारखाने स्थापित किये गये। इन कारखानों में माल तैयार करने के लिए कच्चे माल की बहुत आवश्यकता थी, जिसे इंग्लैंड का कच्चा माल पूरा न कर सका। इस कारण भारत का कच्चा माल इंग्लैंड भेजा जाने लगा। इससे भारतीय कारीगरों के पास कच्चे माल की कमी हो गई। फलस्वरूप देश के लघु उद्योग पिछड़ गये।

प्रश्न 2.
प्रमुख आधुनिक भारतीय उद्योगों का वर्णन करें।
उत्तर-
अंग्रेजी शासन के समय भारत में बहुत-से नये उद्योगों की स्थापना हुई जिनमें प्रमुख उद्योग निम्नलिखित थे
1. सूती कपड़ा उद्योग-भारत में सूती कपड़े का पहला उद्योग (कारखाना) 1853 ई० में मुम्बई में लगाया गया। इसके पश्चात् 1877 ई० में कपास उगाने वाले बहुत से क्षेत्रों जैसे कि अहमदाबाद, नागपुर आदि में कपड़ा मिलें स्थापित की गईं। 1879 ई० तक भारत में लगभग 59 सूती कपड़ा मिलें स्थापित की जा चुकी थीं। जिनमें लगभग 43,000 लोग काम करते थे। 1905 ई० में कपड़ा मिलों की संख्या 206 हो गई थी। इनमें लगभग 1,96,000 मजदूर काम करते थे।

2. पटसन का उद्योग-पटसन का उद्योग बोरियां तथा टाट बनाने का काम करता था। इस उद्योग पर यूरोप के लोगों का अधिकार था। इस उद्योग का पहला कारखाना 1854 ई० में सैरमपुर अथवा सीरमपुर (बंगाल) में खोला गया। इसके बाद भी पटसन उद्योग के सबसे अधिक कारखाने बंगाल प्रान्त में ही खोले गये। 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक इन कारखानों की संख्या 36 हो गई थी।

3. कोयले की खानें-भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित सभी नये कारखाने कोयले से चलते थे। रेलों के लिए भी कोयला चाहिए था। इसलिए कोयला खानों में से कोयला निकालने की ओर विशेष ध्यान दिया गया। 1854 ई० में बंगाल के रानीगंज जिले में कोयले की केवल 2 खानें थीं। परन्तु 1880 तक इनकी संख्या 56 तथा 1885 तक 123 हो गई।

4. नील उद्योग-अंग्रेजों को इंग्लैंड में अपने कपड़ा उद्योग के लिए नील की आवश्यकता थी। अत: उन्होंने भारत में नील की खेती को बढ़ावा दिया। इसका आरम्भ 18वीं शताब्दी के अन्त में बिहार तथा बंगाल में हुआ। नील के अधिकतर बड़े-बड़े बाग यूरोप वालों ने लगाए, जहां भारतीयों को काम पर लगाया गया। 1825 में नील की खेती के अधीन 35 लाख बीघा भूमि थी। परन्तु 1879 ई० में नकली नील तैयार होने के कारण नील की खेती में कमी आने लगी। परिणामस्वरूप 1915 ई० तक नील की खेती के अधीन केवल 3-4 लाख बीघा जमीन ही रह गई।

5. चाय-1834 ई० में असम में एक कम्पनी की स्थापना की गई। 1852 ई० में अंग्रेजों ने असम में चाय का पहला बाग लगाया। 1920 ई० तक चाय की खेती लगभग 7 लाख एकड़ भूमि में होने लगी। उस समय 34 करोड़ पाऊंड मूल्य की चाय भारत से बाहर के देशों में भेजी जाती थी। तत्पश्चात् कांगड़ा तथा नीलगिरि की पहाड़ियों में भी चाय के बाग लगाए गए।

6. कॉफी-कॉफी का पहला बाग़ 1840 ई० में दक्षिण भारत में लगाया गया। तत्पश्चात् मैसूर, कुर्ग, नीलगिरि और मालाबार क्षेत्रों में भी कॉफी के बाग लगाये गये। ब्राज़ील की कॉफी के साथ इसका मुकाबला होने के कारण इस उद्योग को बहुत हानि पहुंची।

7. अन्य उद्योग-19वीं शताब्दी के अन्त से लेकर 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक बहुत से नये कारखाने स्थापित किये गये। इनमें लोहा-इस्पात, चीनी, कागज, दियासलाई बनाने और चमड़ा रंगने के कारखाने प्रमुख थे।

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