PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

SST Guide for Class 8 PSEB भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947 Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
महात्मा गांधी जी किस देश से तथा कब वापिस आए ?
उत्तर-
महात्मा गांधी जी 1891 ई० में इंग्लैण्ड से तथा 1915 ई० में दक्षिणी अफ्रीका से भारत वापिस आए।

प्रश्न 2.
सत्याग्रह आन्दोलन से क्या भाव है ?
उत्तर-
सत्याग्रह महात्मा गांधी का बहुत बड़ा शस्त्र था। इसके अनुसार वह अपनी बात मनवाने के लिए धरना देते थे या व्रत रखते थे। कभी-कभी वह आमरण व्रत भी रखते थे।

प्रश्न 3.
खिलाफ़त आन्दोलन से क्या भाव है ?
उत्तर-
भारत के मुसलमान तुर्की के सुल्तान को अपना खलीफ़ा तथा धार्मिक नेता मानते थे। प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् अंग्रेज़ों ने उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। इसलिए मुसलमानों ने अंग्रेजों के विरुद्ध आन्दोलन आरम्भ कर दिया जिसे खिलाफ़त आन्दोलन कहते हैं।

प्रश्न 4.
असहयोग आन्दोलन के अन्तर्गत वकालत छोड़ने वाले तीन व्यक्तियों के नाम बताएं।
उत्तर-
मोती लाल नेहरू, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, आर० सी० दास, सरदार पटेल, लाला लाजपत राय आदि।

प्रश्न 5.
साइमन कमीशन के विषय में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
अंग्रेज़ी सरकार ने 1919 ई० के सुधार एक्ट की जांच करने के लिए 1928 ई० में साइमन कमीशन भारत में भेजा। इस कमीशन के सात सदस्य थे, परन्तु इनमें कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था। अतः इस कमीशन का काली झंडियों तथा ‘साइमन वापिस जाओ’ के नारों से जोरदार विरोध किया गया। पुलिस ने इन आन्दोलनकारियों पर लाठीचार्ज किया। परिणामस्वरूप लाला लाजपत राय घायल हो गए तथा बाद में उनकी मृत्यु हो गई।

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प्रश्न 6.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
महात्मा गान्धी ने स्वतन्त्रता-प्राप्ति के लिए 1930 ई० से 1934 ई० तक सिविल अवज्ञा आन्दोलन चलाया। उन्होंने इस आन्दोलन को सफल बनाने के लिए नमक सत्याग्रह आरम्भ किया। 12 मार्च, 1930 ई० को गान्धी जी ने अपने 78 साथियों सहित साबरमती आश्रम से डांडी की ओर पद-यात्रा आरम्भ की। 15 अप्रैल, 1930 ई० को उन्होंने अरब सागर के तट पर स्थित डांडी गांव में समुद्र के खारे पानी से नमक बना कर नमक कानून का उल्लंघन किया। उनका अनुसरण करते हुए सारे भारत में लोगों ने स्वयं नमक बनाकर नमक कानून को भंग किया। जहां पर नमक नहीं बनाया जा सकता था। वहां पर अन्य कानूनों का उल्लंघन किया गया। हज़ारों छात्रों ने स्कूलों-कॉलेजों में जाना बन्द कर दिया। लोगों ने सरकारी नौकरियों का त्याग कर दिया। महिलाओं ने भी इस आन्दोलन में भाग लिया। उन्होंने शराब तथा विदेशी वस्तुएं बेचने वाली दुकानों के आगे धरने दिए। सरकार ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए इण्डियन नैशनल कांग्रेस को अवैध घोषित कर दिया तथा कांग्रेस के नेताओं को बन्दी बना लिया। पुलिस ने अनेक स्थानों पर गोलियां चलाईं। परन्तु सरकार इस आन्दोलन का दमन करने में असफल रही।

प्रश्न 7.
भारत छोड़ो आन्दोलन क्या था ?
उत्तर-
द्वितीय विश्व युद्ध में इंग्लैण्ड जापान के विरुद्ध लड़ा था। अतः जापान ने भारत पर आक्रमण करने का निर्णय लिया क्योंकि भारत पर अंग्रेज़ों का शासन था। गान्धी जी का मानना था कि यदि अंग्रेज़ भारत छोड़ कर चले जाएं तो जापान भारत पर आक्रमण नहीं करेगा। अत: 8 अगस्त, 1942 ई० को गान्धी जी ने ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन आरम्भ किया। सरकार ने 9 अगस्त, 1942 को गान्धी जी तथा कांग्रेस के अन्य नेताओं को बन्दी बना लिया। क्रोध में आकर लोगों ने स्थान-स्थान पर पुलिस थानों, सरकारी भवनों, डाकखानों तथा रेलवे स्टेशनों आदि को भारी क्षति पहुंचाई। सरकार ने भी कठोरता की नीति अपनाई। परन्तु वह आन्दोलनकारियों को दबाने में सफल न हो सकी।

प्रश्न 8.
आज़ाद हिन्द फ़ौज पर नोट लिखो।
उत्तर-
आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना सुभाष चन्द्र बोस ने जापान में की। इसका उद्देश्य भारत को अंग्रेज़ी शासन से मुक्त कराना था। आज़ाद हिन्द फ़ौज में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान द्वारा बन्दी बनाए गए भारतीय सैनिक शामिल थे। सुभाष चन्द्र बोस ने ‘दिल्ली चलो’, ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ तथा ‘जय हिन्द’ आदि नारे लगाए थे। परन्तु द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की पराजय हो गई। अतः आज़ाद हिन्द फ़ौज भारत को आजाद कराने में असफल रही। सुभाष चन्द्र बोस की 1945 ई० में एक हवाई जहाज़ दुर्घटना में मृत्यु हो गई। अंग्रेज़ों ने आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिकों को बन्दी बना लिया। इस कारण भारतीय लोगों ने सारे देश में हड़तालें कीं तथा जलसे किए। अन्त में अंग्रेज़ों ने आज़ाद हिन्द फ़ौज के सभी सैनिकों को मुक्त कर दिया।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. महात्मा गांधी जी ने रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए पूरे देश में ………… आंदोलन शुरू किया।
2. महात्मा गांधी जी ने ……….. ई० में असहयोग आंदोलन को समाप्त कर दिया।
3. ननकाना साहिब गुरुद्वारे का महन्त ………… एक चरित्रहीन व्यक्ति था।
4. 1928 में भेजे गए साइमन कमीशन के …………. सदस्य थे।
5. 26 जनवरी, 1930 ई० को सम्पूर्ण भारत में …………. दिवस मनाया गया।
उत्तर-

  1. असहयोग
  2. 1922,
  3. नारायण दास,
  4. सात,
  5. स्वतंत्रता।

III. प्रत्येक वाक्य के सामने ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाएं :

1. असहयोग आन्दोलन के अधीन महात्मा गांधी जी ने अपनी केसर-ए-हिंद की उपाधि सरकार को … वापिस कर दी।
2. स्वराज पार्टी की स्थापना महात्मा गांधी जी ने की थी।
3. नौजवान भारत सभा की स्थापना 1926 ई० में भगत सिंह तथा उसके साथियों ने की थी।
4. 5 अप्रैल, 1930 ई० को महात्मा गांधी जी ने डांडी (दांडी) गांव में समुद्री पानी से नमक तैयार करके नमक कानून की अवज्ञा की।
उत्तर-

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IV. सही जोड़े बनाएं :

1. अहिंसा – महाराजा रिपुदमन सिंह
2. भारत छोड़ो आंदोलन – महात्मा गांधी
3. क्रांतिकारी लहर – 8 अगस्त, 1942
4. जैतों का मोर्चा – सरदार भगत सिंह
उत्तर-
1. अहिंसा – महात्मा गांधी
2. भारत छोड़ो आंदोलन – 8 अगस्त, 1942
3. क्रांतिकारी लहर -सरदार भगत सिंह
4. जैतों का मोर्चा – महाराजा रिपुदमन सिंह

PSEB 8th Class Social Science Guide भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947 Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
साइमन कमीशन भारत आया-
(i) 1918 ई०
(i) 1919 ई०
(iii) 1928 ई०
(iv) 1920 ई०।
उत्तर-
1928 ई०

प्रश्न 2.
महात्मा गाँधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया-
(i) 1930 ई० से 1934 ई०
(ii) 1942 ई० से 1945 ई०
(iii) 1919 ई० से 1922 ई०
(iv) 1945 ई० से 1947 ई०
उत्तर-
1930 ई० से 1934 ई०

प्रश्न 3.
भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ –
(i) 15 अगस्त, 1947 ई०
(ii) 8 अगस्त, 1945 ई०
(iii) 8 अगस्त, 1942 ई०
(iv) 15 अगस्त, 1930 ई०
उत्तर-
8 अगस्त,1942 ई०

प्रश्न 4.
‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ नारा दिया –
(i) लाला लाजपत राय
(i) महात्मा गांधी
(iii) सरदार पटेल
(iv) सुभाष चन्द बोस।
उत्तर-
सुभाष चन्द्र बोस

प्रश्न 5.
मार्च 1946 में भारत आया –
(i) साइमन कमीशन
(ii) कैबिनेट मिशन
(iii) राम कृष्ण मिशन
(iv) जैतों मोर्चा।
उत्तर-
कैबिनेट मिशन

प्रश्न 6.
‘दिल्ली चलो’ तथा ‘जय हिन्द’ के नारे किसने दिए ?
(i) महात्मा गांधी
(ii) लाला लाजपत राय
(iii) सुभाष चन्द्र बोस
(iv) पं० नेहरू।
उत्तर-
सुभाष चन्द्र बोस

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प्रश्न 7.
चाबियों के मोर्चों का सम्बन्ध किस गुरुद्वारे से था ?
(i) श्री हरिमंदर साहिब
(ii) ननकाना साहिब
(iii) गुरु का बाग़
(iv) पंजा साहिब।
उत्तर-
श्री हरिमंदर साहिब।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
रौलेट एक्ट क्या था ? लोगों ने इसका विरोध क्यों किया ?
उत्तर-
‘रौलेट एक्ट’ जनता के आन्दोलन को कुचलने के लिए बनाया गया था। इसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को केवल सन्देह के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता था। इसलिए लोगों ने इसका विरोध किया।

प्रश्न 2.
‘साइमन कमीशन’ भारत में कब आया और इसके विरोध में किए गए आन्दोलन में किस महान् नेता की मृत्यु हुई थी ?
उत्तर-
‘साइमन कमीशन’ भारत में 1928 ई० में आया। इसके विरोध में किए गए आन्दोलन में लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई।

प्रश्न 3.
भगत सिंह के सहयोगियों के नाम बतायें। उन्हें फांसी की सज़ा कौन-से वर्ष में दी गई थी ?
उत्तर-
भगत सिंह के सहयोगी थे-सुखदेव और राजगुरु। उन्हें 23 मार्च, 1931 ई० को फांसी दी गई।

प्रश्न 4.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की मांग कब और कहां की ?
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की मांग 1929 ई० में अपने लाहौर अधिवेशन में की।

प्रश्न 5.
‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ किस वर्ष शुरू हुआ ? .
उत्तर-
भारत छोड़ो आन्दोलन 1942 ई० में शुरू हुआ। सरकार ने इस आन्दोलन को पूर्ण कठोरता से दबाने का प्रयत्न किया।

प्रश्न 6.
भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम कब पास हुआ ?
उत्तर-
भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम 16 जुलाई, 1947 ई० को पास हुआ। परन्तु इसे अन्तिम स्वीकृति दो दिन बाद मिली।

प्रश्न 7.
क्रिप्स कहां का मन्त्री था तथा 1942 ई० में उसके भारत में आने का क्या कारण था ?
उत्तर-
क्रिप्स ब्रिटिश सरकार का एक मन्त्री था। भारतीयों को सन्तुष्ट करने तथा उनकी सहायता करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने उसे 1942 ई० में भारत भेजा।

प्रश्न 8.
असहयोग आन्दोलन क्यों चलाया गया ?
उत्तर-
अमृतसर में जलियांवाला बाग़ में एक शान्त भीड़ पर गोलियां चलाई गईं। इस घटना के कारण गान्धी जी ने अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन चलाने का निर्णय किया।

प्रश्न 9.
असहयोग आन्दोलन कब वापिस लिया गया तथा इसका क्या कारण था ?
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन 1922 ई० में वापस लिया गया। इसका कारण था-उत्तर प्रदेश में चौरी-चौरा के स्थान पर हुई हिंसात्मक घटना।

प्रश्न 10.
स्वतन्त्रता संग्राम के संघर्ष में लाला लाजपत राय का क्या योगदान था ?
उत्तर-
लाला लाजपत राय एक महान् देशभक्त थे। उन्होंने बंगाल विभाजन का कड़ा विरोध किया। उन्होंने साइमन कमीशन का विरोध करने के लिए लाहौर में एक जुलूस का नेतृत्व किया। पुलिस ने इन पर लाठियां बरसाईं, जिसके कारण वह शहीदी को प्राप्त हुए।

प्रश्न 11.
आजादी की लड़ाई में सरदार भगत सिंह ने क्या योगदान दिया ?
उत्तर-
सरदार भगत सिंह एक महान् क्रान्तिकारी थे। उन्होंने अंग्रेजों तक जनता की आवाज़ पहुंचाने के लिए असेम्बली हाल में बम फेंका। वह उन क्रान्तिकारियों में भी शामिल थे जिन्होंने सांडर्स को गोली से उड़ाया था।

प्रश्न 12.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन क्यों चलाया गया ?
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन की असफलता के बाद सरकार ने अब ऐसे कानून पास किए जो जनता के हित में नहीं थे। करों की दर इतनी अधिक थी कि साधारण व्यक्ति उन्हें चुका नहीं सकता था। इन्हीं कानूनों के विरोध में सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाया गया।

प्रश्न 13.
स्वराज्य (स्वराज) पार्टी की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
स्वराज्य (स्वराज) पार्टी की स्थापना 1923 ई० में पं० मोती लाल नेहरू तथा सी० आर० दास ने की।

प्रश्न 14.
स्वराज्य (स्वराज) पार्टी का क्या उद्देश्य था ? क्या यह अपने उद्देश्य में सफल रही ?
उत्तर-
स्वराज्य (स्वराज) पार्टी का मुख्य उद्देश्य चुनावों में भाग लेना तथा स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष करना था। 1 नवम्बर, 1923 ई० को हुए केन्द्रीय असेम्बली तथा विधानसभाओं के चुनावों में स्वराज्य पार्टी को महत्त्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई।

प्रश्न 15.
पुणे (पूना) समझौता कब और किस के मध्य में हुआ ?
उत्तर-
पूना समझौता सितम्बर, 1932 ई० में महात्मा गान्धी तथा डॉ० अम्बेडकर के मध्य हुआ।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
1915 ई० तक गान्धी जी के जीवन का वर्णन करो।
उत्तर-
महात्मा गान्धी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 ई० को दीवान कर्मचन्द गान्धी जी के घर काठियावाड़ (गुजरात) के नगर पोरबन्दर में हुआ था। उनकी माता का नाम पुतली बाई था। गान्धी जी दसवीं की परीक्षा पास करके उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड गये। 1891 ई० में इंग्लैण्ड से वकालत पास करने के बाद वह भारत लौट आये। 1893 ई० में गान्धी जी दक्षिण अफ्रीका में गये। वहां अंग्रेज़ लोग भारतीयों के साथ बुरा व्यवहार करते थे। गान्धी जी ने इसकी निन्दा की। उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन चलाया और भारतीयों को उनके अधिकार दिलाए। 1915 ई० में गान्धी जी भारत लौट आये।

प्रश्न 2.
मांटेग्यू-चैम्सफोर्ड रिपोर्ट के आधार पर कब और कौन-सा एक्ट पास किया गया ? इसकी प्रस्तावना में क्या कहा गया था ?
उत्तर-
प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीयों ने अंग्रेज़ों की सहायता की। अतः अंग्रेज़ों ने उन्हें ख़ुश करने के लिए मांटेग्यूचैम्सफोर्ड रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के आधार पर. 1919 ई० में एक्ट पास किया। इस एक्ट की प्रस्तावना में ये बातें कही गयी थीं

  1. भारत ब्रिटिश साम्राज्य का ही एक अंग रहेगा।
  2. भारत में धीरे-धीरे उत्तरदायी शासन स्थापित किया जाएगा।
  3. राज प्रबन्ध के प्रत्येक विभाग में भारतीय लोगों को सम्मिलित किया जाएगा।

प्रश्न 3.
1919 के एक्ट की क्या धाराएं थीं ? इण्डियन नैशनल कांग्रेस ने इसका विरोध क्यों किया ?
उत्तर-
1919 ई० के एक्ट की मुख्य धाराएं निम्नलिखित थीं –

  1. इस एक्ट द्वारा केन्द्र तथा प्रान्तों के बीच विषयों का विभाजन कर दिया गया।
  2. प्रान्तों में दोहरी शासन प्रणाली स्थापित की गई।
  3. साम्प्रदायिक चुनाव प्रणाली का विस्तार किया गया।
  4. केन्द्र में दो सदनीय विधान परिषद् (राज्य परिषद् तथा विधानसभा) की व्यवस्था की गई।
  5. राज्य परिषद् की सदस्य संख्या 60 तथा विधानसभा के सदस्यों की संख्या 145 कर दी गई।
  6. सैक्रेटरी ऑफ़ स्टेट्स के अधिकार एवं शक्तियों को कम कर दिया गया। उसकी कौंसिल के सदस्यों की संख्या भी घटा दी गई।

1919 ई० के एक्ट के अनुसार किये गये सुधार भारतीयों को खुश नहीं कर सके। अत: इण्डियन नैशनल कांग्रेस ने इस एक्ट का विरोध करने के लिए महात्मा गांधी के नेतृत्व में सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ कर दिया।

प्रश्न 4.
रौलेट एक्ट पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
भारतीय लोगों ने 1919 ई० के एक्ट के विरोध में सत्याग्रह आन्दोलन करना आरम्भ कर दिया था। अत: अंग्रेज़ी सरकार ने स्थिति पर नियन्त्रण पाने के लिये 1919 ई० में रौलेट एक्ट पास किया। इसके अनुसार ब्रिटिश सरकार बिना वारंट जारी किये या बिना किसी सुनवाई के किसी भी व्यक्ति को बन्दी बना सकती थी। बन्दी व्यक्ति अपने बन्दीकरण के विरुद्ध न्यायालय में अपील (प्रार्थना) नहीं कर सकता था। अतः इस एक्ट का जोरदार विरोध हुआ। पण्डित मोती लाल नेहरू ने ‘न अपील, न वकील, न दलील’ कह कर रौलेट एक्ट की निन्दा की। गान्धी जी ने रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए सारे देश में सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ किया।

प्रश्न 5.
असहयोग आन्दोलन पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन गान्धी जी ने 1920 ई० में अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध चलाया। अंग्रेज़ी सरकार को कोई सहयोग न दिया जाए-यह इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य था। इस आन्दोलन की घोषणा कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में की गई। गान्धी जी ने जनता से अपील की कि वे किसी भी तरह सरकार को सहयोग न दें। एक निश्चित कार्यक्रम भी तैयार किया गया। इसके अनुसार लोगों ने सरकारी नौकरियां तथा उपाधियां त्याग दीं। महात्मा गान्धी ने अपनी केसरए-हिंद की उपाधि सरकार को लौटा दी। विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों में जाना बन्द कर दिया। वकीलों ने वकालत छोड़ दी। विदेशी वस्तुओं का भी त्याग कर दिया गया और लोग स्वदेशी माल का प्रयोग करने लगे। परन्तु चौरी-चौरा नामक स्थान पर कुछ लोगों ने एक पुलिस थाने में आग लगा दी जिससे कई पुलिस वाले मारे गए। हिंसा का यह समाचार मिलते ही गान्धी जी ने इस आन्दोलन को स्थगित कर दिया।

प्रश्न 6.
गुरुद्वारों के सम्बन्ध में सिक्खों तथा अंग्रेज़ों में बढ़ रहे तनाव पर नोट लिखें।
उत्तर-
अंग्रेज़ गुरुद्वारों के महन्तों को प्रोत्साहन देते थे। ये लोग सेवादार के रूप में गुरुद्वारों में प्रविष्ट हुए थे। परन्तु अंग्रेज़ी राज्य में वे यहां के स्थायी अधिकारी बन गए। वे गुरुद्वारों की आय को व्यक्तिगत सम्पत्ति समझने लगे। महन्तों को अंग्रेज़ों का आशीर्वाद प्राप्त था। इसलिए उन्हें विश्वास था कि उनकी गद्दी सुरक्षित है। अतः वे ऐश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने लगे थे। सिक्ख इस बात को सहन नहीं कर सकते थे। इसलिए गुरुद्वारों के सम्बन्ध में सिक्खों तथा अंग्रेज़ों के बीच तनाव बढ़ रहा था।

प्रश्न 7.
‘गुरु का बाग मोर्चा’ की घटना का वर्णन करें।
उत्तर-
गुरुद्वारा ‘गुरु का बाग’ अमृतसर से लगभग 13 मील दूर अजनाला तहसील में स्थित है। यह गुरुद्वारा महन्त सुन्दरदास के पास था जो एक चरित्रहीन व्यक्ति था। शिरोमणि कमेटी ने इस गुरुद्वारे को अपने हाथों में लेने के लिए 23 अगस्त, 1921 ई० को दान सिंह के नेतृत्व में एक जत्था भेजा। अंग्रेजों ने इस जत्थे के सदस्यों को बन्दी बना लिया। इस घटना से सिक्ख और भी भड़क उठे। सिक्खों ने कई और जत्थे भेजे जिनके साथ अंग्रेजों ने बहुत बुरा व्यवहार किया। सारे देश के राजनीतिक दलों ने सरकार की इस कार्यवाही की कड़ी निन्दा की।

प्रश्न 8.
‘जैतों का मोर्चा’ की घटना पर नोट लिखें।
उत्तर-
जुलाई, 1923 ई० में अंग्रेज़ों ने नाभा के महाराजा रिपुदमन सिंह को बिना किसी दोष के गद्दी से हटा दिया। शिरोमणि अकाली कमेटी तथा अन्य सभी देश भक्त सिक्खों ने सरकार के इस कार्य की निन्दा की। 21 फरवरी, 1924 ई० को पांच सौ अकालियों का एक जत्था गुरुद्वारा गंगसर (जैतों) के लिए चल पड़ा। नाभा की रियासत में पहुंचने पर उसका सामना अंग्रेजी सेना से हुआ। इस संघर्ष में अनेक सिक्ख मारे गए तथा घायल हुए। अन्त में सिक्खों ने सरकार को अपनी मांग स्वीकार करने के लिए विवश कर दिया।

प्रश्न 9.
जलियांवाला बाग की घटना कब, क्यों और किस प्रकार हुई ? एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
जलियांवाला बाग की घटना अमृतसर में 1919 ई० में वैसाखी वाले दिन हुई। इस दिन अमृतसर की जनता जलियांवाला बाग में एक सभा कर रही थी। यह सभा अमृतसर में लागू मार्शल लॉ के विरुद्ध की जा रही थी। जनरल डायर ने बिना किसी चेतावनी के इस शान्तिपूर्ण सभा पर गोली चलाने की आज्ञा दे दी। इससे सैंकड़ों निर्दोष व्यक्तियों की जानें गईं और अनेक लोग घायल हुए। परिणामस्वरूप सारे देश में रोष की लहर दौड़ गई और स्वतन्त्रता संग्राम ने एक नया मोड़ ले लिया। अब यह सारे राष्ट्र की जनता का संग्राम बन गया।

प्रश्न 10.
जलियांवाला बाग की घटना ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम को किस प्रकार नया मोड़ दिया ?
उत्तर-
जलियांवाला बाग की घटना (13 अप्रैल, 1919 ई०) के कारण कई लोग शहीद हुए। इस घटना में हुए रक्तपात ने भारत के स्वतन्त्रता-संग्राम में एक नया मोड़ ला दिया। यह संग्राम इससे पहले गिन चुने लोगों तक ही सीमित था। अब यह जनता का संग्राम बन गया। इसमें श्रमिक, किसान, विद्यार्थी आदि भी शामिल होने लगे। दूसरे, इसके साथ स्वतन्त्रता आन्दोलन में बहुत जोश भर गया तथा संघर्ष की गति बहुत तीव्र हो गई।

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प्रश्न 11.
पूर्ण स्वराज्य (स्वराज) के प्रस्ताव पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
31 दिसम्बर, 1929 ई० को इंडियन नैशनल कांग्रेस ने अपने वार्षिक सम्मेलन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पास किया। यह सम्मेलन लाहौर में रावी नदी के किनारे पं० जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ था। इस सम्मेलन में यह भी निर्णय लिया गया कि यदि सरकार भारत को शीघ्र आज़ाद नहीं करती तो 26 जनवरी, 1930 ई० को सारे देश में स्वतन्त्रता दिवस मनाया जाये। सम्मेलन में स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ करने का भी निर्णय लिया गया। 26 जनवरी, 1930 ई० को समस्त भारत में स्वतन्त्रता दिवस मनाया गया।

प्रश्न 12.
गोलमेज़ सम्मेलन (कांफ्रेंस) कहां हुए थे ? इनका संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
गोलमेज़ सम्मेलन लंदन में हुए।
पहले दो सम्मेलन-पहला गोलमेज़ सम्मेलन 1930 ई० में ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार-विमर्श करने के लिए बुलाया। परन्तु यह सम्मेलन कांग्रेस द्वारा किये गये बहिष्कार के कारण असफल रहा।
5 मार्च, 1931 ई० में गान्धी जी तथा लॉर्ड इरविन के मध्य गान्धी-इरविन समझौता हुआ। इस समझौते में गान्धी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन बन्द करना तथा दूसरी गोलमेज़ कांफ्रेंस में भाग लेना स्वीकार कर लिया। दूसरी गोलमेज़ . कांफ्रेंस सितम्बर, 1931 ई० में लन्दन में हुई। इस कांफ्रेंस में गान्धी जी ने केन्द्र तथा प्रान्तों में भारतीयों का प्रतिनिधित्व करने वाले शासन को समाप्त करने की मांग की। परन्तु वह अपनी मांग मनवाने में असफल रहे। फलस्वरूप उन्होंने 3 जनवरी, 1931 ई० को फिर से सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ कर दिया। अतः गान्धी जी को अन्य कांग्रेसी नेताओं सहित बन्दी बना लिया गया।
तीसरा सम्मेलन-यह सम्मेलन 1932 ई० में हुआ। गान्धी जी ने इसमें भी भाग नहीं लिया।

प्रश्न 13.
क्रिप्स मिशन को भारत में क्यों भेजा गया ? क्या वह कांग्रेस के नेताओं को सन्तुष्ट कर सका ?
उत्तर-
सितम्बर, 1939 ई० में द्वितीय विश्व युद्ध आरम्भ हुआ। भारत में अंग्रेज़ी सरकार ने कांग्रेस के नेताओं की सलाह लिए बिना ही भारत के इस युद्ध में भाग लेने की घोषणा कर दी। कांग्रेस के नेताओं ने इस घोषणा की निन्दा की तथा प्रान्तीय विधानमण्डलों से त्याग-पत्र दे दिए। समस्या के समाधान के लिये अंग्रेजी सरकार ने मार्च, 1942 ई० में सर स्टैफर्ड क्रिप्स की अध्यक्षता में क्रिप्स मिशन को भारत में भेजा। उसने कांग्रेस के नेताओं के समक्ष कुछ सुझाव रखे जो उन्हें सन्तुष्ट न कर सके।

प्रश्न 14.
मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की मांग पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
1939 ई० में कांग्रेस के नेताओं की ओर से प्रान्तीय विधानमण्डलों से त्याग-पत्र दे देने के कारण मुस्लिम लीग बहुत प्रसन्न हुई। इसलिए लीग के नेता मुहम्मद अली जिन्नाह ने 22 सितम्बर, 1939 ई० को मुक्ति दिवस मनाने का निर्णय किया। 23 मार्च, 1940 ई० को मुस्लिम लीग ने लाहौर में अपने सम्मेलन में हिन्दुओं तथा मुसलमानों को दो अलग राष्ट्र बताते हुए मुसलमानों के लिए स्वतन्त्र पाकिस्तान की मांग की। अंग्रेज़ों ने भी इस सम्बन्ध में मुस्लिम लीग को सहयोग दिया क्योंकि वे राष्ट्रीय आन्दोलन को कमजोर करना चाहते थे।

प्रश्न 15.
केबिनेट मिशन तथा इसके सुझावों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मार्च, 1946 ई० में अंग्रेज़ी सरकार ने तीन सदस्यों वाला केबिनेट मिशन भारत में भेजा। इसका प्रधान लॉर्ड पैथिक लारेंस था। इस मिशन ने भारत को दी जाने वाली राजनीतिक शक्ति के बारे में भारतीय नेताओं के साथ विचारविमर्श किया। इसने भारत का संविधान तैयार करने के लिए एक संविधान सभा स्थापित करने तथा देश में अन्तरिम सरकार की स्थापना करने का सुझाव दिया। सुझाव के अनुसार सितम्बर, 1946 ई० में कांग्रेस के नेताओं ने जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में अन्तरिम सरकार की स्थापना की। 15 अक्तूबर, 1946 ई० को मुस्लिम लीग भी अन्तरिम सरकार में सम्मिलित हो गई।

प्रश्न 16.
1946 के पश्चात् भारत को स्वतन्त्रता अथवा विभाजन की ओर ले जाने वाली घटनाओं की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
20 फरवरी, 1947 को इंग्लैण्ड के प्रधानमन्त्री लॉर्ड एटली ने घोषणा की कि 30 जून, 1948 ई० तक अंग्रेज़ी सरकार भारत को स्वतन्त्र कर देगी। 3 मार्च, 1947 ई० को लॉर्ड माऊंटबैटन भारत का नया वायसराय बन कर भारत आया। उसने कांग्रेस के नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया। उसने घोषणा की कि भारत को आजाद कर दिया जायेगा, परन्तु इसके दो भाग–भारत तथा पाकिस्तान बना दिये जायेंगे। कांग्रेस ने इस विभाजन को स्वीकार कर लिया क्योंकि वे साम्प्रदायिक दंगे तथा रक्तपात नहीं चाहते थे।

18 जुलाई, 1947 ई० को ब्रिटिश संसद् ने भारतीय स्वतन्त्रता एक्ट पास कर दिया। परिणामस्वरूप 15 अगस्त, 1947 ई० को भारत में अंग्रेज़ी शासन समाप्त हो गया तथा भारत स्वतन्त्र हो गया। परन्तु इसके साथ ही भारत के दो भाग बन गए। एक का नाम भारत तथा दूसरे का नाम पाकिस्तान रखा गया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
महात्मा गांधी ने किन सिद्धान्तों के आधार पर स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए प्रयत्न किए ?
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद अंग्रेज़ों ने भारतीयों के साथ किये अपने वचनों को पूरा नहीं किया। अत: भारतीयों ने महात्मा गान्धी के नेतृत्व में अंग्रेजी शासन से मुक्ति पाने के लिए योजना बनाई। महात्मा गान्धी ने निम्नलिखित सिद्धान्तों के आधार पर स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए प्रयत्न किये-

  • अहिंसा-महात्मा गान्धी ने अंग्रेज़ों का मन जीतने के लिए शान्ति एवं अहिंसा की नीति अपनाई। वैसे भी गान्धी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे।
  • सत्याग्रह आन्दोलन-महात्मा गान्धी सत्याग्रह आन्दोलन में विश्वास रखते थे। इसके अनुसार वह अपनी बात मनवाने के लिए धरना देते थे या कुछ दिनों तक उपवास रखते थे। कभी-कभी वह आमरणव्रत भी रखते थे। ऐसा करने से सारे संसार का ध्यान उनकी ओर जाता था।
  • हिन्दू-मुस्लिम एकता-महात्मा गान्धी ने सभी भारतीयों विशेष रूप से हिन्दुओं तथा मुसलमानों की एकता पर बल दिया। जब कभी किसी कारण से लोगों में दंगे-फसाद हो जाते थे तो गांधी जी वहां पहुंच कर शान्ति स्थापित करने का प्रयास करते थे।
  • असहयोग आन्दोलन-महात्मा गान्धी ने अंग्रेजों द्वारा भारतीय लोगों के साथ किये जा रहे अन्यायं का विरोध करने के लिए असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया। इसके अनुसार गान्धी जी ने भारतीय लोगों को सरकारी कार्यालयों, न्यायालयों, स्कूलों तथा कॉलेजों आदि का बहिष्कार करने को कहा।
  • खादी एवं चरखा-गान्धी जी ने ग्रामीण लोगों को खादी के वस्त्र पहनने तथा चरखे से सूत कात कर कपड़ा तैयार करने के लिए कहा। उन्होंने प्रचार किया कि विदेशी वस्तुओं का उपयोग छोड़ कर स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग किया जाए।
  • समाज सुधार-महात्मा गान्धी ने समाज में प्रचलित बुराइयों जैसे कि अस्पृश्यता को समाप्त करने का प्रयास किया। उन्होंने महिलाओं के कल्याण के लिए भी प्रयत्न किये।

प्रश्न 2.
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड तथा खिलाफ़त आन्दोलन का वर्णन करो।
उत्तर-
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड-1919 ई० के रौलेट एक्ट के विरुद्ध रोष प्रकट करने के लिए गान्धी जी के आदेश पर पंजाब में हड़तालें हुईं, जलसे किये गये तथा जुलूस निकाले गये। 10 अप्रैल, 1919 ई० को अमृतसर में प्रसिद्ध नेताओं डॉ० किचलू तथा डॉ० सत्यपाल को बन्दी बना लिया गया। भारतीयों ने इसका विरोध करने के लिए जुलूस निकाला। सरकार ने इस जुलूस पर गोली चलाने का आदेश दिया। परिणामस्वरूप कुछ व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। अतः भारतीयों ने क्रोध में आकर 5 अंग्रेज़ अधिकारियों की हत्या कर दी। अंग्रेजी सरकार ने स्थिति पर नियन्त्रण करने के लिए अमृतसर शहर को सेना के हाथों में सौंप दिया।

13 अप्रैल, 1919 ई० को वैशाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए लगभग 20,000 लोग एकत्रित हुए। जनरल डायर ने इन लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागना आरम्भ कर दिया, परन्तु इस बाग़ का मार्ग तीन ओर से बन्द था तथा चौथी ओर के मार्ग में सैनिक होने के कारण लोग वहीं पर ही घिर गये। थोड़े ही समय में सारा बाग़ खून और लाशों से भर गया। इस रक्त रंजित घटना में लगभग 1000 लोग मारे गये तथा 3,000 से अधिक लोग घायल हुए। इस हत्याकांड का समाचार सुन कर लोगों में अंग्रेजों के विरुद्ध रोष की भावना फैल गई।

ख़िलाफ़त आन्दोलन-प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की ने अंग्रेजों के विरुद्ध जर्मनी की सहायता की। भारत के मुसलमान तुर्की के सुल्तान अब्दुल हमीद द्वितीय को अपना ख़लीफ़ा एवं धार्मिक नेता मानते थे। उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेज़ों की सहायता इसलिए की थी कि युद्ध समाप्त होने के बाद तुर्की के ख़लीफ़ा को कोई क्षति नहीं पहुंचायी जायेगी। परन्तु युद्ध समाप्त होने पर अंग्रेजों ने तुर्की,को कई भागों में बांट दिया तथा ख़लीफ़ा को बन्दी बना लिया। अतः भारत के मुसलमानों ने अंग्रेजों के विरुद्ध एक ज़ोरदार आन्दोलन आरंभ कर दिया जिसे ख़िलाफ़त आन्दोलन कहा जाता है। इस आन्दोलन का नेतृत्व शौकत अली, मुहम्मद अली, अबुल कलाम आज़ाद तथा अजमल खां ने किया। महात्मा गांधी तथा बाल गंगाधर तिलक ने भी हिन्दुओं तथा मुसलमानों में एकता स्थापित करने के लिए इस आन्दोलन में भाग लिया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

प्रश्न 3.
महात्मा गान्धी युग का वर्णन करो।
उत्तर-
महात्मा गान्धी 1919 ई० में भारत की राजनीतिक गतिविधियों में सम्मिलित हुए। 1919 ई० से लेकर 1947 ई० तक स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए जितने भी आन्दोलन किए गए, उनका नेतृत्व महात्मा गान्धी ने किया। अत: इतिहास में 1919 ई० से 1947 ई० के समय को ‘गान्धी युग’ कहा जाता है। गान्धी जी के जीवन तथा कार्यों का वर्णन इस प्रकार है-

जन्म तथा शिक्षा-महात्मा गान्धी के बचपन का नाम मोहनदास था। उनका जन्म 2 अक्तूबर, 1869 ई० को काठियावाड़ में पोरबन्दर के स्थान पर हुआ। इनके पिता का नाम कर्मचन्द गान्धी था जो पोरबन्दर के दीवान थे। गान्धी जी ने अपनी आरम्भिक शिक्षा भारत में ही प्राप्त की। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें इंग्लैण्ड भेजा गया। वहां उन्होंने वकालत पास की और फिर भारत लौट आए।

राजनीतिक जीवन-गान्धी जी के राजनीतिक जीवन का आरम्भ दक्षिणी अफ्रीका से हुआ। उन्होंने इंग्लैण्ड से आने के बाद कुछ समय तक भारत में वकील के रूप में कार्य किया। परन्तु फिर वह दक्षिणी अफ्रीका चले गए।

गान्धी जी दक्षिणी अफ्रीका में- गान्धी जी जिस समय दक्षिणी अफ्रीका पहुंचे। उस समय वहां भारतीयों की दशा बहुत बुरी थी। वहां की गोरी सरकार भारतीयों के साथ बुरा व्यवहार करती थी। गान्धी जी इस बात को सहन न कर सके। उन्होंने वहां की सरकार के विरुद्ध सत्याग्रह आन्दोलन चलाया और भारतीयों को उनके अधिकार दिलाए।

गान्धी जी भारत में-1914 ई० में गान्धी जी दक्षिणी अफ्रीका से भारत लौटे। उस समय प्रथम विश्व-युद्ध छिड़ा हुआ था। अंग्रेज़ी सरकार इस युद्ध में उलझी हुई थी। उसे जन और धन की काफ़ी आवश्यकता थी। अतः गान्धी जी ने भारतीयों से अपील की कि वे अंग्रेज़ों को सहयोग दें। वह अंग्रेज़ी सरकार की सहायता करके उसका मन जीत लेना चाहते थे। उनका विश्वास था कि अंग्रेज़ी सरकार युद्ध जीतने के बाद भारत को स्वतन्त्र कर देगी। परन्तु अंग्रेज़ी सरकार ने युद्ध में विजय होने के बाद भारत को कुछ न दिया। उसके विपरीत उन्होंने भारत में रौलेट एक्ट लागू कर दिया। इस काले कानून के कारण गान्धी जी को बड़ी ठेस पहुंची और उन्होंने अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध आन्दोलन चलाने का निश्चय कर लिया।

असहयोग आन्दोलन-1920 ई० में गान्धी जी ने असहयोग आन्दोलन आरम्भ कर दिया। जनता ने गान्धी जी का पूरा-पूरा साथ दिया। सरकार को गान्धी जी के इस आन्दोलन के सामने झुकना पड़ा। परन्तु कुछ हिंसक घटनाएं हो जाने के कारण गान्धी जी को अपना आन्दोलन वापस लेना पड़ा।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन-1930 ई० में गान्धी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ कर दिया। उन्होंने डाण्डी यात्रा की और नमक कानून को भंग किया। सरकार घबरा गई। उसने भारतवासियों को नमक बनाने का अधिकार दे दिया। 1935 ई० में सरकार ने एक महत्त्वपूर्ण एक्ट भी पास किया।

भारत छोड़ो आन्दोलन-गान्धी जी का सबसे बड़ा उद्देश्य भारत को स्वतन्त्र कराना था। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने 1942 ई० में भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया। भारत के लाखों नर-नारी गान्धी जी के साथ हो गए। इतने विशाल जन आन्दोलन से अंग्रेज़ी सरकार घबरा गई और उसने भारत छोड़ने का निश्चय कर लिया। आखिर 15 अगस्त, 1947 ई० को भारत स्वतन्त्र हुआ। इस स्वतन्त्रता का वास्तविक श्रेय गान्धी जी को ही जाता है।

अन्य कार्य-गान्धी जी ने भारतवासियों के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए अनेक काम किए। भारत में गरीबी दूर करने के लिए उन्होंने लोगों को खादी पहनने का सन्देश दिया। अछूतों के उद्धार के लिए गान्धी जी ने उन्हें ‘हरिजन’ का नाम दिया। देश में साम्प्रदायिक दंगों को समाप्त करने के लिए गान्धी जी ने गांव-गांव घूमकर लोगों को भाईचारे का सन्देश दिया।

देहान्त-30 जनवरी, 1948 ई० की. संध्या को गान्धी जी की निर्मम हत्या कर दी गई। भारतवासी गान्धी जी की सेवाओं को कभी भुला नहीं सकते। आज भी उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से याद किया जाता है।

प्रश्न 4.
महात्मा गान्धी के असहयोग आन्दोलन का वर्णन करो।
उत्तर-
1920 ई० में महात्मा गान्धी ने अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया। इस आन्दोलन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे-

(1) पंजाब में लोगों पर किए जा रहे अत्याचारों तथा अनुचित नीतियों की निन्दा करना। (2) तुर्की के सुल्तान (खलीफ़ा) के साथ किए जा रहे अन्याय को समाप्त करना। (3) हिन्दुओं तथा मुसलमानों में एकता स्थापित करना। (4) अंग्रेजी सरकार से स्वराज (स्वतन्त्रता) प्राप्त करना।

असहयोग आन्दोलन का कार्यक्रम : (1) सरकारी नौकरियों का त्याग किया जाए। (2) सरकारी उपाधियों को लौटाया जाए। (3) सरकारी उत्सवों तथा सम्मेलनों में भाग न लिया जाए। (4) विदेशी वस्तुओं का उपयोग न किया जाए। इनके स्थान पर अपने देश में बनी वस्तुओं का उपयोग किया जाए। (5) सरकारी न्यायालयों का बहिष्कार किया जाए तथा अपने विवादों का निर्णय पंचायतों द्वारा करवाया जाए। (6) चरखे द्वारा बने खादी के कपड़े का उपयोग किया जाए।

असहयोग आन्दोलन की प्रगति-महात्मा गान्धी ने अपनी केसर-ए-हिन्द की उपाधि सरकार को लौटा दी ! उन्होंने भारतीय लोगों से आन्दोलन में भाग लेने की अपील की। अनेकों भारतीयों ने गान्धी जी के कहने पर अपनी नौकरियां त्याग दी तथा उपाधियां सरकार को लौटा दीं। हजारों की संख्या में विद्यार्थियों ने स्कूलों तथा कॉलेजों में जाना बन्द कर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा-संस्थाओं जैसे कि काशी विद्यापीठ, गुजरात विद्यापीठ, तिलक विद्यापीठ आदि में पढ़ना आरम्भ कर दिया। देश के सैंकड़ों वकीलों ने अपनी वकालत छोड़ दी। इनमें मोतीलाल नेहरू, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, सी० आर० दास, परदार पटेल, लाला लाजपत राय आदि शामिल थे। लोगों ने विदेशी कपड़ों का त्याग कर दिया तथा चरखे द्वारा बने खादी के कपड़े का उपयोग करना आरम्भ कर दिया।

सरकार ने इस आन्दोलन के दमन के लिए हज़ारों की संख्या में आन्दोलनकारियों को बन्दी बना लिया। 1922 ई० में उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर के गांव चौरी-चौरा में कांग्रेस का अधिवेशन चल रहा था। इस अधिवेशन में लगभग 3000 किसान भाग ले रहे थे। यहां पर पुलिस ने उन पर गोलियां चलाईं। किसानों ने क्रोध में आकर पुलिस थाने पर आक्रमण कर दिया और उसे आग लगा दी। परिणामस्वरूप थाने में 22 सिपाहियों की मृत्यु हो गई। अतः गान्धी जी ने 12 फरवरी, 1922 ई० को बारदौली में असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया। . ___

महत्त्व-भले ही महात्मा गान्धी ने असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया था, फिर भी इसका राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।

  • इस आन्दोलन में भारत के लगभग सभी वर्गों के लोगों ने भाग लिया था जिससे उनमें राष्ट्रीय भावना पैदा हुई।
  • महिलाओं ने भी इसमें भाग लिया। अतः उनमें भी आत्म-विश्वास पैदा हुआ।
  • इस आन्दोलन के कारण कांग्रेस पार्टी की लोकप्रियता बहुत अधिक बढ़ गई।
  • आन्दोलन वापिस लिए जाने के कारण कांग्रेस के कुछ नेता गान्धी जी से नाराज़ हो गए। इनमें पं० मोती लाल नेहरू तथा सी० आर० दास शामिल थे। उन्होंने स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए 1923 ई० में ‘स्वराज्य पार्टी’ की स्थापना की।

प्रश्न 5.
क्रान्तिकारी आन्दोलन (1919-1947 के दौरान) का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत को अंग्रेज़ी शासन से मुक्ति दिलाने के लिए देश में कई क्रान्तिकारी आन्दोलन भी चले। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –

1. बब्बर अकाली आन्दोलन-कुछ अकाली सिक्ख नेता गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन को हिंसात्मक ढंग से चलाना चाहते थे। उन्हें बब्बर अकाली कहा जाता है। उनके नेता किशन सिंह ने चक्रवर्ती जत्था स्थापित करके होशियारपुर तथा जालन्धर में अंग्रेजों के दमन के विरुद्ध आवाज़ उठाई। 26 फरवरी, 1923 को उन्हें उनके 186 साथियों सहित बन्दी बना लिया गया। इनमें से 5 को फांसी दी गई।
2. नौजवान भारत सभा-नौजवान भारत सभा की स्थापना 1926 में लाहौर में हुई। इसके संस्थापक सदस्य भगत सिंह, राजगुरु, भगवतीचरण वोहरा, सुखदेव आदि थे।

मुख्य उद्देश्य-इस सभा के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे –

  • बलिदान की भावना का विकास करना।
  • लोगों को देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत करना।
  • जनसाधारण में क्रान्तिकारी विचारों का प्रचार करना।

सदस्यता-इस सभा में 18 वर्ष से 35 वर्ष के सभी नर-नारी शामिल हो सकते थे। केवल वही व्यक्ति इसके सदस्य बन सकते थे जिनको इनके कार्यक्रम में विश्वास था। पंजाब की अनेक महिलाओं तथा पुरुषों ने इस सभा को अपना सहयोग दिया। दुर्गा देवी वोहरा, सुशीला मोहन, अमर कौर, पार्वती देवी तथा लीलावती इस सभा की सदस्या थीं।

गतिविधियां-इस सभा के सदस्य साइमन कमीशन के आगमन के समय पूरी तरह सक्रिय हो गए। पंजाब में लाला लाजपतराय के नेतृत्व में लाहौर में क्रान्तिकारियों ने साइमन कमीशन के विरोध में जुलूस निकाला। अंग्रेज़ी सरकार ने जुलूस पर लाठीचार्ज किया। इसमें लाला लाजपतराय बुरी तरह से घायल हो गए। 17 नवम्बर, 1928 ई० को उनका देहान्त हो गया। इसी बीच भारत के सभी क्रान्तिकारियों ने अपनी केन्द्रीय संस्था बनाई जिसका नाम रखा गयाहिन्दोस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन । नौजवान भारत सभा के सदस्य भी इस एसोसिएशन के साथ मिलकर काम करने लगे।

असेम्बली बम केस-8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली में भगत सिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने विधानसभा में बम फेंक कर आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस ने दो अन्य क्रान्तिकारियों सुखदेव तथा राजगुरु को भी बन्दी बना लिया।

23 मार्च, 1931 ई० को भगत सिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को पुलिस अधिकारी सांडर्स की हत्या के अपराध में फांसी दे दी गई।

सच तो यह है कि नौजवान भारत सभा के क्रान्तिकारी भगत सिंह ने अपना बलिदान देकर एक ऐसा उदाहरण पेश किया जिस पर आने वाली पीढ़ियां गर्व करेंगी।

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प्रश्न 6.
गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन के बारे में लिखो।
उत्तर-
1920 ई० से 1925 ई० तक के काल में पंजाब में गुरुद्वारों को महन्तों के अधिकार से मुक्त कराने के लिए ‘गुरुद्वारा सुधार लहर’ की स्थापना की गई। इस लहर को अकाली लहर भी कहा जाता है क्योंकि अकालियों द्वारा ही गुरुद्वारों को मुक्त कराया गया था।

गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन को सफल बनाने के लिए अकाली दल ने कई मोर्चे लगाए जिनमें से कुछ मुख्य मोर्चों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

1. ननकाना साहिब का मोर्चा-ननकाना साहिब का महन्त नारायण दास बड़ा ही चरित्रहीन व्यक्ति था। उसे गुरुद्वारे से निकालने के लिए 20 फरवरी, 1921 ई० के दिन एक शान्तिमय जत्था ननकाना साहिब पहुंचा। महन्त ने जत्थे के साथ बड़ा जुरा व्यवहार किया। उसके पाले हुए गुण्डों ने जत्थे पर आक्रमण कर दिया। जत्थे के नेता भाई लक्ष्मण सिंह तथा इसके साथियों को जीवित जला दिया गया।

2. हरमन्दर साहिब के कोष की चाबियों का मोर्चा- हरमन्दर साहिब के कोष की चाबियां अंग्रेज़ों के पास थीं। शिरोमणि कमेटी ने उनसे गुरुद्वारे की चाबियां मांगीं, परन्तु उन्होंने चाबियां देने से इन्कार कर दिया। अंग्रेज़ों के इस कार्य के विरुद्ध सिक्खों ने बहुत से प्रदर्शन किए। अंग्रेजों ने अनेक सिक्खों को बन्दी बना लिया। कांग्रेस तथा खिलाफ़त कमेटी ने भी सिक्खों का समर्थन किया। विवश होकर अंग्रेज़ों ने कोष की चाबियां शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी को सौंप दीं।

3. ‘गुरु का बाग’ का मोर्चा-गुरुद्वारा ‘गुरु का बाग’ अमृतसर से लगभग 13 मील दूर अजनाला तहसील में स्थित है। यह गुरुद्वारा महन्त सुन्दरदास के पास था जो एक चरित्रहीन व्यक्ति था। शिरोमणि कमेटी ने इस गुरुद्वारे को अपने हाथों में लेने के लिए 23 अगस्त, 1921 ई० को दान सिंह के नेतृत्व में एक जत्था भेजा। अंग्रेजों ने इस जत्थे के सदस्यों को बन्दी बना लिया। इस घटना से सिक्ख और भी भड़क उठे। उन्होंने और अधिक संख्या में जत्थे भेजने आरम्भ कर दिए। इन जत्थों के साथ बुरा व्यवहार किया गया। इनके सदस्यों को लाठियों से पीटा गया।

4. पंजा साहिब की घठना-सरकार ने ‘गुरु का बाग’ के मोर्चे में बंदी बनाए गए सिक्खों को रेलगाड़ी द्वारा अटक जेल में भेजने का निर्णय किया। पंजा साहिब के सिक्खों ने सरकार से प्रार्थना की कि रेलगाड़ी को हसन अब्दाल में रोका जाए ताकि वे जत्थे के सदस्यों को भोजन दे सकें। परन्तु सरकार ने जब सिक्खों की इस प्रार्थना को स्वीकार न किया तो भाई कर्म सिंह तथा भाई प्रताप सिंह नामक दो सिक्ख रेलगाड़ी के आगे लेट गए और शहीदी को प्राप्त हुए। इन दोनों की शहीदी के अतिरिक्त दर्जनों सिक्खों के अंग कट गए।

5. जैतों का मोर्चा-जुलाई, 1923 ई० में अंग्रेज़ों ने नाभा के महाराजा रिपुदमन सिंह को बिना किसी दोष के गद्दी से हटा दिया। अकालियों ने सरकार के विरुद्ध गुरुद्वारा गंगसर (जैतों) में बड़ा भारी जलसा करने का निर्णय किया। 21 फरवरी, 1924 ई० को पांच सौ अकालियों का एक जत्था गुरुद्वारा गंगसर के लिए चल पड़ा। नाभा की रियासत में पहुंचने पर उनका सामना अंग्रेजी सेना से हुआ। सिक्ख निहत्थे थे। फलस्वरूप 100 से भी अधिक सिक्ख शहीदी को प्राप्त हुए और 200 के लगभग सिक्ख घायल हुए।

6. सिक्ख गुरुद्वारा अधिनियम-1925 ई० में पंजाब सरकार ने सिक्ख गुरुद्वारा कानून पास कर दिया। इसके अनुसार गुरुद्वारों का प्रबन्ध और उनकी देखभाल सिक्खों के हाथ में आ गई। सरकार ने धीरे-धीरे सभी बन्दी सिक्खों को मुक्त कर दिया।

इस प्रकार अकाली आन्दोलनों के अन्तर्गत सिक्खों ने महान् बलिदान दिए। एक ओर तो उन्होंने गुरुद्वारे जैसे पवित्र स्थानों से अंग्रेजों के पिट्ट महन्तों को बाहर निकाला और दूसरी ओर सरकार के विरुद्ध एक ऐसी अग्नि भड़काई जो स्वतन्त्रता प्राप्ति तक जलती रही।

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