Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 12 नींव की ईंट Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 12 नींव की ईंट
Hindi Guide for Class 9 PSEB नींव की ईंट Textbook Questions and Answers
(क) विषय-बोध
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
नींव की ईंट’ पाठ के आधार पर बतायें कि दुनिया क्या देखती है ?
उत्तर:
दुनिया इमारत की चमक-दमक देखती है। उसका ऊपर का आवरण देखती है।
प्रश्न 2.
इमारत का होना न होना किस बात पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
इमारत का न होना इमारत की नींव की ईंट तथा उसकी मज़बूती पर निर्भर करता है।
प्रश्न 3.
लेखक ने नींव की ईंट किसे बताया है ?
उत्तर:
जो ईंट ज़मीन के सात हाथ नीचे जाकर गड़ती है और इमारत की पहली ईंट बनती है। इसी ईंट पर इमारत की मज़बूती तथा होना न होना निर्भर करता है। लेखक ने इसे ही नींव की ईंट कहा है।
प्रश्न 4.
नींव की ईंट ने अपना अस्तित्व क्यों विलीन कर दिया ?
उत्तर:
नींव की ईंट ने अपना अस्तित्व इसलिए विलीन कर दिया ताकि यह संसार एक सुंदर सृष्टि देख सके।
प्रश्न 5.
ईसा की शहादत ने किस धर्म को अमर बना दिया ?
उत्तर:
ईसा की शहादत ने इसाई धर्म को अमर बना दिया।
प्रश्न 6.
किसकी हड्डियों के दान से वृत्रासुर का नाश किया ?
उत्तर:
महर्षि दधीचि की हड्डियों के दान से वृत्रासुर का नाश किया।
प्रश्न 7.
लेखक के अनुसार सत्य की प्राप्ति कब होती है ?
उत्तर:
लेखक के अनुसार जब हम कठोरता और भद्देपन दोनों का सामना करते हैं तब. सत्य की प्राप्ति होती है।
प्रश्न 8.
पाठ में लेखक ने ‘दधीचि’ तथा ‘वृत्रासुर’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुए हैं ?
उत्तर:
पाठ में लेखक ने ‘दधीचि’ शब्द शहीदों तथा ‘वृत्रासुर’ विदेशी आक्रमणकारी के लिए प्रयुक्त हुए हैं।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
नींव की ईंट और कँगरे की ईंट दोनों क्यों वँदनीय हैं ?
उत्तर:
नींव की ईंट ज़मीन के सात हाथ नीचे गडकर इमारत की पहली ईंट बनती है। इसकी मज़बूती पर ही इमारत निर्भर करती है। कंगूरे की ईंट कट-छंटकर कँगूरे पर चढ़ती है तथा लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है इसलिए दोनों ईंटें वंदनीय हैं।
प्रश्न 2.
नींव की ईंट पाठ के आधार पर सत्य का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सत्य सदा ही शिवम् होता है पर वह सदा सुंदरम् हो यह आवश्यक नहीं है। सत्य कठोर होता है। कठोरता तथा भद्दापन एक साथ जन्म लेते हैं तथा एक साथ जीते हैं।
प्रश्न 3.
देश को आजाद करवाने में किन लोगों का योगदान रहा ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
देश को आजाद करवाने में अनेक लोगों का योगदान रहा। यह केवल उन लोगों के बलिदान से ही आजाद नहीं हुआ जिनका इतिहास में नाम लिखा है। इसमें उनका भी योगदान है जिन्होंने चुपचाप अपना बलिदान दिया। जो आज़ादी की नींव बने।
प्रश्न 4.
आजकल के नौजवानों में कँगूरा बनने की होड़ क्यों मची हुई है ?
उत्तर:
आजकल के नौजवानों में कँगूरा बनने की होड़ इसलिए मची हुई है क्योंकि उनमें नींव की ईंट बनने की इच्छा नहीं रही। उनमें देशभक्ति, बलिदान तथा त्याग की कामना खो गई है। वे केवल बाहरी दिखावे के प्रतीक बनना चाहते हैं।
प्रश्न 5.
नये समाज के निर्माण के लिए किस चीज़ की आवश्यकता होती है ?
उत्तर:
नये समाज के निर्माण के लिए नींव की ईंट चीज़ की आवश्यकता है। ऐसे नवयुवकों की आवश्यकता है जो समाज के नवनिर्माण के लिए अपना बलिदान दें और नींव की ईंट बने।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
‘नींव की ईंट’ पाठ के आधार पर बताएं कि समाज की आधारशिला क्या होती है ?
उत्तर:
शहादत और मौन-मूक समाज की आधारशिला होती है। जिस शहादत को समाज में ख्याति तथा जिस बलिदान को अधिक प्रसिद्धि मिल जाती है वह समाज की आधारशिला नहीं होती। वह तो केवल इमारत का कँगूरा अथा मंदिर के कलश के समान हो सकती है। वह नींव की ईंट कभी नहीं होती। वास्तव में समाज की आधारशिला वही लोग बनते हैं जो चुपचाप अपना बलिदान एवं त्याग कर देते हैं और जिन्हें कोई नहीं जानता।
प्रश्न 2.
आज देश को कैसे नौजवानों की ज़रूरत है ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
आज देश को ऐसे नौजवानों की ज़रूरत है जो अपने देश पर चुपचाप अपना बलिदान एवं त्याग कर दें। जो एक नई प्रेरणा से प्रेरित हों। उनमें एक नई चेतना का भाव हो जिन्हें किसी की शाबाशी की ज़रूरत न हो। जिनमें न तो कंगूरा बनने की इच्छा हों और न कलश कहलाने की इच्छा हो। वे सभी इच्छाओं एवं आशाओं से बिल्कुल दूर हों।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए
सुंदर समाज बने, इसलिए कुछ तपे-तपाए लोगों को
मौन-मूक शहादत का लाल सेहरा पहनना है।
उत्तर:
इस पंक्ति का आशय है कि समाज का सुंदर निर्माण होना चाहिए। इसके लिए समाज के कुछ अग्रणी लोगों को चुपचाप बिना किसी प्रसिद्धि से मुक्त होकर अपना बलिदान एवं त्याग करना होगा। इसमें कवि ने चुपचाप बलिदान देने की प्रेरणा दी है।
प्रश्न 4.
हम जिसे देख नहीं सके, वह सत्य नहीं है, यह है मूढ़
धारणा। ढूँढ़ने से ही सत्य मिलता है। ऐसी नींव की ईंटों
की ओर ध्यान देना ही हमारा काम है, हमारा धर्म है।
उत्तर:
इसका आशय यह है कि हम जिसको देख नहीं सके वह बिल्कुल सत्य नहीं है- यह एक मूर्ख धारणा है। इसमें सत्य की प्राप्ति नहीं होती। सत्य तो केवल ढूँढ़ने से ही मिलता है। हमें कँगूरे की तरफ नहीं बल्कि इमारत की नींव की ईंटों की तरफ ध्यान देना चाहिए। यही हमारा कर्म है और यही धर्म है।
प्रश्न 5.
उदर के लिए आतुर समाज चिल्ला रहा है
हमारी नींव की ईंट किधर है ?
देश के नौजवानों को यह चुनौती है।
उत्तर:
इसमें लेखक ने नौजवानों में समाज के प्रति कर्त्तव्यहीन भावना की ओर संकेत किया है। आज समाज उन्नति के लिए नौजवानों का इन्तजार कर रहा है किंतु कोई उन्नति एवं उदय की आधारशिला बनने को तैयार नहीं है। देश के नौजवानों के लिए यही बड़ी चुनौती है।
(ख) भाषा-बोध
1. निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
आवरण – आ – वरण
प्रताप – …………… – ……………
प्रचार – …………… – ……………
बेतहाशा – …………… – ……………
प्रसिद्धि – …………… – ……………
अभिभूत – …………… – ……………
अनुप्राणित – …………… – ……………
आकृष्ट – …………… – ……………
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
आवरण – आ – वरण
प्रताप – प्र – ताप
प्रचार – प्र – चार
बेतहाशा – बे – तहाशा
प्रसिद्धि – प्र – सिद्धि
अभिभूत – अभि – भूत
अनुप्राणित – अनु – प्राणित
आकृष्ट – आ – कृष्ट
2. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए
शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
मज़बूती – मज़बूत – ई
भद्दापन – …………… – ……………
पायदारी – …………… – ……………
विदेशी – …………… – ……………
चमकीली – …………… – ……………
पुख्तापन – …………… – ……………
कारख़ाना – …………… – ……………
सुनहली – …………… – ……………
उत्तर:
शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
मज़बूती – मज़बूत – ई
भद्दापन – भद्दा – पन
पायदारी – पाय – दारी
विदेशी – विदेश – ई
चमकीली – चमक – ईली
पुख्तापन – पुख्ता – पन
कारख़ाना – कार – खाना
सुनहली – सुनहल – ई
3. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए
मुहावरा – अर्थ – वाक्य
नींव की ईंट बनना – काम का आधार बनना – ………………….
शहादत का लाल – बलिदान देने वाला व्यक्ति – ………………….
सेहरा पहनाना – सर्वस्व बलिदान देना – ………………….
खाक छानना – बहुत ढूँढ़ना, मारा-मारा फिरना – ………………….
फलना-फूलना – सुखी और सम्पन्न होना – ………………….
खपा देना – किसी काम में लग जाना,उपयोग में आना – ………………….
उत्तर:
नींव की ईंट बनना – काम का आधार बनना
वाक्य-आज देश के प्रत्येक युवक को नींव की ईंट बनने का संकल्प लेना चाहिए।
शहादत का लाल – बलिदान देने वाला व्यक्ति
वाक्य-भगत सिंह देश की स्वतंत्रता के लिए शहादत के लाल थे।
सेहरा पहनाना – सर्वस्व बलिदान देना
वाक्य – सुभाष चंद्र बोस ने देश की आज़ादी के लिए सेहरा पहन लिया था।
खाक छानना – बहुत ढूँढ़ना, मारा-मारा फिरना
वाक्य – कर्महीन लोग सदा खाक छानते रहते हैं।
फलना – फूलना-सुखी और सम्पन्न होना
वाक्य – यदि फलना-फूलना चाहते हो तो परिश्रम किया करो।
खपा देना – किसी काम में लग जाना, उपयोग में आना
वाक्य – विद्यार्थी को पढ़ाई-लिखाई में स्वयं को खपा देना चाहिए।
4. निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम चिह्न लगाइए
(i) कँगूरे के गीत गाने वाले हम आइए अब नींव के गीत गाएँ
(ii) हाँ शहादत और मौन मूक समाज की आधारशिला यही होती है
(ii) अफसोस कँगूरा बनने के लिए चारों ओर होड़ा होड़ी मची है नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त हो रही है
(iv) हमारी नींव की ईंट किधर है
उत्तर:
(i) कँगूरे के गीत गाने वाले हम, “आइए, अब नींव के गीत गाएँ।”
(ii) हाँ, शहादत और मौन मूक ! समाज की आधारशिला यही होती है।
(iii) अफसोस ! कँगूरा बनने के लिए चारों ओर होड़ा-होड़ी मची है। नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त हो रही है।
(iv) हमारी नींव की ईंट किधर है ?
(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
आप नींव की ईंट या कँगूरे की ईंट में से कौन-सी ईंट बनना चाहेंगे और क्यों ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मैं नींव की ईंट और कँगूरे की ईंट में से नींव की ईंट बनना चाहूँगा। मैं नींव की ईंट इसलिए बनना चाहूँगा क्योंकि नींव की ईंट ही समाज की आधारशिला होती है। इस पर ही समाज की इमारत खड़ी होती है। यही इमारत का आधार होती है। इसके हिलने मात्र से ही पूरी इमारत नीचे ढह सकती है। नींव की ईंट बनना
अपने आप में गर्व का विषय है। यही धन्य है।
प्रश्न 2.
लेखक इस पाठ में नींव की ईंट के माध्यम से क्या संदेश देना चाहता है ?
उत्तर:
लेखक इस पाठ के माध्यम से यह संदेश देना चाहता है कि व्यक्ति को अपने समाज तथा देश की तरक्की और कल्याण के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। हमें इमारत की कंगूरा अथवा मंदिर का कलश नहीं बल्कि नींव की ईंट बनने की इच्छा करनी चाहिए। युवाओं को नि:स्वार्थ भाव से अपने देश पर अपना त्याग एवं बलिदान कर देना चाहिए। कभी भी प्रसिद्धि एवं तरक्की की कामना नहीं रखनी चाहिए।
प्रश्न 3.
आपकी नज़र में ऐसा कौन-सा व्यक्तित्व है जिसने देश और जमा के उत्थान में नींव की ईंट के समान कार्य किया है उसके योगदान को बताते हुए अपनी बात स्पष्ट करें।
उत्तर:
हमारी नज़र में सुभाष चन्द्र बोस एक ऐसा व्यक्तित्व है जिन्होंने देश पर अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। उन्होंने आज़ादी के लिए महान् योगदान दिया। उन्होंने विदेश में जाकर ‘आज़ाद हिंद फौज’ बनाई तथा भारत के युवाओं को देश पर मर-मिटने तथा आजादी पर कुर्बान होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा दिया।
(घ) पाठेत्तर सक्रियता
प्रश्न 1.
अपने स्कूल/आस-पड़ोस कहीं भी यदि किसी नयी इमारत का निर्माण हो रहा हो तो वहाँ जाकर कारीगर से जानकारी प्राप्त करें कि इमारत की नींव रखने के लिए किस प्रकार जमीन की खुदाई की जाती है और कैसे उस खुदी हुई जमीन पर सुंदर और विशाल इमारत खड़ी करने से पूर्व नींव की ईंटें रखी जाती हैं।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।
प्रश्न 2.
‘हमारे देश की नींव’ शीर्षक के अन्तर्गत कुछ ऐसे देशभक्तों और महापुरुषों के नाम एक चार्ट पर लिखकर स्कूल/कक्षा की दीवार पर लगाइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।
(ङ) ज्ञान-विस्तार
दधीचि : एक प्रसिद्ध ऋषि जिसने अपने शरीर की हड्डियाँ देवताओं को अर्पित कर दी थीं और स्वयं मरने को तैयार हो गया था। इन हड्डियों से देवताओं के शिल्पी-विश्वकर्मा ने एक वज्र का निर्माण किया था। वृत्रासुर : एक राक्षस। ऋषि दधीचि की हड्डियों से निर्मित वज्र से इन्द्र ने वृत्रासुर और अन्य राक्षसों को मार गिराया था।
सफलता की नींव : हम लोग किसी सफल व्यक्ति की सफलता से प्रभावित होते हैं, उससे प्रेरणा लेते हैं किंतु सफल व्यक्ति की सफलता की नींव को जानने का प्रयास कितने लोग करते हैं ? दरअसल सफल व्यक्ति की कामयाबी की कहानी में त्याग, निष्ठा, मेहनत, अनुशासन, समर्पण और यहाँ तक कि अनेक असफलताएँ भी छिपी होती हैं। यही सब कुछ उनकी आज की सफलता की नींव बनती हैं।
PSEB 9th Class Hindi Guide नींव की ईंट Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिएप्रश्न
प्रश्न 1.
लेखक ने पाठ के माध्यम से युवाओं को क्या प्रेरणा दी है ?
उत्तर:
लेखक ने पाठ के माध्यम से युवाओं को नि:स्वार्थ त्याग एवं बलिदान की प्रेरणा दी है।
प्रश्न 2.
हमें सदा किस कार्य के लिए तैयार रहना चाहिए ?
उत्तर:
हमें सदा अपने देश और समाज के कल्याण एवं तरक्की के लिए तैयार रहना चाहिए।
प्रश्न 3.
आज देश को कैसे नवयुवकों की आवश्यकता है ?
उत्तर:
आज देश को ऐसे नवयुवकों की आवश्यकता है जो प्रसिद्धि के लिए नहीं अपितु कर्त्तव्य के लिए अपना कर्म करें।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिएप्रश्न
प्रश्न 1.
पाठ के आधार पर सत्य, शिवं तथा सुंदरम् को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सत्य सदा शिव होता है। किंतु सदा सुंदरम् हो यह जरूरी नहीं है। सत्य कठोर होता है। कठोरता तथा भद्दापन एक साथ उत्पन्न होते हैं। हम कठोरता एवं भद्देपन से सदा भागते रहते हैं। इसलिए सत्य से भी भागते हैं।
प्रश्न 2.
कौन-सी ईंट सबसे धन्य होता है ? क्यों ?
उत्तर:
नींद की ईंट सबसे धन्य होती है क्योंकि वह ज़मीन के सात हाथ नीचे गढ़ती है। वही इमारत की पहली ईंट बनती है। वही इमारत की आधारशीला होती है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिएप्रश्न
प्रश्न 1.
‘नींव की ईंट’ निबंध का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नींव की ईंट श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का रोचक एवं प्रेरक निबंध है। इसमें लेखक यह कहना चाहता है कि व्यक्ति को अपने देश तथा समाज के कल्याण एवं उत्थान के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। बड़े दुःख की बात है कि आज लोग भवन की नींव या ईंट नहीं बनाना चाहते अपितु वे कंगूरा बनना चाहते हैं। सभी में कँगूरे को पाने की होड़ मची है। उन्हें यह नहीं पता कि कँगूरा नींव की ईंट पर ही खड़ा होता है। ईंट हिलाने से कँगूरा ज़मीन पर गिर जाएगा। अतः नवयुवकों को प्रसिद्धि के लिए नहीं अपितु कर्त्तव्य के लिए कर्म करना चाहिए।
प्रश्न 2.
इस पाठ के माध्यम से हमें क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर:
इस पाठ के माध्यम से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने देश तथा समाज के कल्याण एवं उत्थान के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। हमें प्रसिद्धि पाने के लिए नहीं अपितु कर्त्तव्य के लिए कर्म करना चाहिए। अपने देश पर नि:स्वार्थ त्याग और बलिदान के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। हमें इमारत का कँगूरा ही नहीं बल्कि नींव की ईंट बननी चाहिए। अपने देश पर चुपचाप कुर्बान हो जाना ही श्रेष्ठ है। हमारे अंदर एक नई प्रेरणा तथा चेतना होनी चाहिए।
एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
‘नींव की ईंट’ पाठ के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर:
रामवृक्ष बेनीपुरी।
प्रश्न 2.
दुनिया क्या देखना पसंद करती हैं ?
उत्तर:
बाहरी चमक-दमक।
प्रश्न 3.
इमारत की पायदारी किस पर मुनहसिर होती है ?
उत्तर:
नींव की ईंट पर।
प्रश्न 4.
समाज की आधारशिला क्या है ?
उत्तर:
मौन-मूक शहादत।
प्रश्न 5.
मूढ़ धारणा क्या है ?
उत्तर:
जिस सत्य को हम देख नहीं सके, यह मूढ़ धारणा है।
हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए
प्रश्न 6.
ढूँढ़ने से ही सत्य मिलता है।
उत्तर:
हाँ।
प्रश्न 7.
नींव की ईंट बनने की कामना लुप्त नहीं हो रही।
उत्तर:
नहीं।
सही-गलत में उत्तर दीजिए
प्रश्न 8.
ईसा की शहादत ने ईसाई धर्म को अमर बना दिया।
उत्तर:
सही।
प्रश्न 9.
वह ईंट धन्य नहीं है जो कट-छंट कर कँगूरे पर चढ़ती है।
उत्तर:
गलत।
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
प्रश्न 10.
हम ……. से भागते हैं, ……. से मुख मोड़ते हैं।
उत्तर:
हम कठोरता से भागते हैं, भद्देपन से मुख मोड़ते हैं।
प्रश्न 11.
जिनकी ……. के दान ने ही विदेशी ……. का नाश किया।
उत्तर:
जिनकी हड्डियों के दान ने ही विदेशी वृत्रासुर का नाश किया।
बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें.
प्रश्न 12.
ठोस सत्य सदा ही क्या होता है…
(क) शिवम्
(ख) सुखद
(ग) शुभम्
(घ) सरल।
उत्तर:
(क) शिवम्।
प्रश्न 13.
लोक-लोचनों को अपनी ओर किसकी ईंट आकर्षित करती है ?
(क) नींव की
(ख) खम्बे की
(ग) कोर्निस की
(घ) कँगूरे की।
उत्तर:
(घ) कँगूरे की।
प्रश्न 14.
वृत्रासुर के नाश के लिए किसने अपनी हड्डियों का दान दिया ?
(क) विश्वामित्र
(खे) दधीचि
(ग) अत्री
(घ) कश्यप।
उत्तर:
(ख) दधीचि।
प्रश्न 15.
कितने लाख गाँवों के नव-निर्माण की बात लेखक ने की है ?
(क) पाँच
(ख) छह
(ग) सात
(घ) आठ।
उत्तर:
(ग) सात।
कठिन शब्दों के अर्थ
चमकीली = चमकदार। आवरण = पर्दा। भद्दा = बदसूरत। सुघड़ = सुडौल। पायदारी = मजबूत। आकृष्ट = आकर्षित। शिवम् = कल्याणकारी। अंधकूप = अंधा कुआँ। विलीन = अदृश्य। कँगूरा = चोटी, शिखर, बुर्ज। अस्तित्व = हस्ती। शुहरत = प्रसिद्धि । शहादत = बलिदान। उत्सर्ग = बलिदान । मूढ़ = मूर्ख। आधारशिला = नींव का पत्थर। लुप्त = गायब। वासना = इच्छा, आतुर = व्याकुल, उतावला, अनुप्राणित = प्रेरित। होड़ा-होड़ी = प्रतिस्पर्धा। एक-दूसरे से आगे बढ़ने का प्रयास।
नींव की ईंट Summary
नींव की ईंट जीवन-परिचय
जीवन-परिचय-श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का हिंदी गद्य-साहित्य में अद्भुत योगदान है। इनका जन्म सन् 1902 ई० में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर नामक गाँव में हुआ था। बचपन में ही इनके माँ-बाप की मृत्यु हो गई थी। इन्होंने अनेक कष्ट सहकर दसवीं तक की पढ़ाई की। सन् 1920 ई० में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित 7 सितंबर, सन् 1968 ई० को मृत्यु हो गई।
रचनाएं-श्री रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी के श्रेष्ठ लेखक माने जाते हैं। इनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं
(i) कहानी-चिता के फल
(ii) उपन्यास-पतितों के देश में
(iii) नाटक-आम्रपाली
(v) जंजीरें और दीवारें-रेखाचित्र।
साहित्यिक विशेषताएँ- श्री रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी के श्रेष्ठ साहित्यकार माने जाते हैं। उनका गद्य-साहित्य बहुत श्रेष्ठ है। इनके निबंधों में देशभक्ति की भावना का अनूठा वर्णन हुआ है। इन्होंने देश के युवाओं को देश एवं समाज पर बलिदान एवं त्याग करने के लिए प्रेरित किया है। इन्होंने समाज में फैली बुराइयों का सच्चा वर्णन किया है। इनकी भाषा सहज, सरल एवं स्वाभाविक है जिसमें तत्सम एवं तद्भव शब्दों का प्रयोग है। मुहावरों के प्रयोग से इनकी भाषा में निखार आ गया है।
निबंध का सार
‘नींव की ईंट’ लेखक श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का अत्यंत रोचक एवं प्रेरक निबंध है। इसमें लेखक ने मनुष्य को नि:स्वार्थ त्याग एवं बलिदान की प्रेरणा दी है। प्रत्येक मनुष्य को अपने देश तथा समाज के कल्याण के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। लेखक को इस बात का दुःख है कि आजकल हर आदमी भवन के कँगूरे की तरह बनना चाहता है। उसकी नींव की ईंट कोई बनना नहीं चाहता। लेखक चमकीली सुंदर एवं मज़बूत इमारत की नींव को ध्यान देने को कहता है। उसे दुःख है कि आज दुनिया केवल चमक-दमक देखती है किंतु उसके नीचे ठोस सत्य को कोई नहीं देखता। ठोस सत्य सदा शिवम् होता है किंतु वह सदा सुंदर हो यह जरूरी नहीं। सत्य कठोर होता है। कठोरता और भद्दापन एक साथ जन्म लेते हैं। लोग सदा कठोरता से भागते हैं। भद्देपन से मुँह मोड़ते हैं इसलिए वे सत्य से दूर जाते हैं।
कँगूरे पर चढ़ने वाली ईंट धन्य है जो लोगों को अपनी ओर आकृष्ट करती है किंतु इमारत की नींव की ईंट धन्य होती है जिसके ऊपर इमारत खड़ी होती है। इस ईंट के हिलने से कँगूरा ज़मीन पर गिर जाता है इसलिए हमें कँगूरे की ईंट को नहीं बल्कि नींव की ईंट के गीत गाने चाहिए। यह ईंट इमारत की शोभा बढ़ाने के लिए सदा ज़मीन के अंदर दबी रहती है और अपना त्याग एवं बलिदान करती है। इसी प्रकार जो समाज के लिए अपना बलिदान देते हैं वही समाज का आधार होते हैं। ईसा की शहादत ने ईसाई धर्म को अमर बनाया। वास्तव में ईसाई धर्म को अमर तो उन अनाम लोगों ने बनाया जिन्होंने इसका प्रचार करने में चुपचाप अपना बलिदान किया।