Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 14 कढ़ाई के टांके प्रयोगी Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 14 कढ़ाई के टांके प्रयोगी
PSEB 9th Class Home Science Guide कढ़ाई के टांके प्रयोगी Textbook Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
कढ़ाई के दो टांकों के नाम लिखो।
उत्तर-
डण्डी टांका, जंजीरी टांका, लेज़ी डेज़ी टांका, साटन टांका, कम्बल टांका।
प्रश्न 2.
दसूती टांके के लिए किस प्रकार का कपड़ा सही रहता है?
उत्तर-
इस टांके का प्रयोग दसूती वस्त्र पर होता है । जाली वाले वस्त्रों पर इस टांके से कढ़ाई की जाती है।
प्रश्न 3.
नमूने का हाशिया आमतौर पर किस टांके के द्वारा बनाया जाता है और नमूने को किस टांके के द्वारा भरा जाता है?
उत्तर-
नमूने का हाशिया साधारणतः डंडी टांके से बनाया जाता है। कई बार नमूने में भरने का कार्य भी इसी टांके से किया जाता है। नमूनों को साटन स्टिच से भी भरा जाता है।
प्रश्न 4.
कढ़ाई के लिए कौन-कौन सी किस्म के धागे प्रयोग किये जाते हैं?
उत्तर-
कढ़ाई के लिए निम्नलिखित धागे प्रयोग किये जाते हैं
सूती धागे, रेशमी, ऊनी, ज़री के धागे।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 5.
स्टिच के बारे में जानकारी दें।
उत्तर-
देखें अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न।
प्रश्न 6.
कम्बल टांके के बारे में नोट लिखें।
उत्तर-
देखें अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 7.
कढ़ाई के लिए प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के धागों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
देखें अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नों में।
प्रश्न 8.
कढ़ाई के नमूने को कपड़ों पर कैसे ट्रेस किया जा सकता है?
उत्तर-
देखें अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नों में।
Home Science Guide for Class 9 PSEB कढ़ाई के टांके प्रयोगी Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
ठीक/ग़लत बताएं
- लेज़ी डेज़ी टांका, जंजीरी टांके की किस्म है।
- साटन स्टिच एक भरवां टांका है।
- जालीदार कपड़े पर दसूती टांका प्रयोग किया जाता है।
- दसूती टांके में छोटे-छोटे फंदे बनते हैं।
उत्तर-
- ठीक,
- ठीक,
- ठीक,
- गलत।
रिक्त स्थान भरो
- डंडी टांके का प्रयोग ……………. बनाने के लिए किया जाता है।
- नमूने को ……………. स्टिच से भी भरा जाता है।
- ज़री के धागे को …………… भी कहा जाता है।
- कंबल टांके को ………….. स्टिच भी कहा जाता है।
उत्तर-
- हाशिया,
- साटन,
- सलमा,
- लूप।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
ऊनी धागे का प्रयोग …….. टांकों के लिए होता है।
(A) दसूती
(B) डंडी
(C) चेन
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक
प्रश्न 2.
नमूने का हाशिया प्रायः ………. टांके से बनाया जाता है।
(A) दसूती
(B) डंडी
(C) कंबल
(D) कोई नहीं।
उत्तर-
(B) डंडी
प्रश्न 3.
……… टांके में छोटे-छोटे फंदे बनते हैं।
(A) जंजीरी
(B) कंबल
(C) डंडी
(D) कोई नहीं।
उत्तर-
(A) जंजीरी
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कढ़ाई के विभिन्न टांकों के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
डंडी टांका (Stem Stich) कढ़ाई के नमूने में फूल पत्तियों की डंडियां बनाने के । लिए इस टांके का प्रयोग किया जाता है। यह टांके बाएं से दाएं तिरछे होते हैं तथा एक-दूसरे से मिले हुए लगते हैं। जहां एक टांका समाप्त होता है वहीं से दूसरा शुरू होता है।
भराई का टांका अथवा साटन स्टिच-इस टांके को गोल कढ़ाई भी कहा जाता है। इस द्वारा छोटे-छोटे गोल फूल तथा पत्तियां बनती हैं। आजकल एप्लीक कार्य भी इसी टांके से तैयार किया जाता है। कट वर्क, नैट वर्क भी इसी टांके द्वारा बनाये जाते हैं। छोटेछोटे पंछी आदि भी इसी टांके से बहुत सुन्दर लगते हैं । इसको फैंसी टांका भी कहा जाता है। इसमें अधिक छोटी फुल पत्तियों (जो गोल होती हैं) का प्रयोग होता है। यह टांका भी दाईं तरफ से बाईं ओर लगाया जाता है। रेखा से ऊपर जहां से नमूना शुरू करना है, सूई वहीं लगनी चाहिए। यह टांका देखने में दोनों तरफ एक सा लगता है।
जंजीरी टांका-इस टांके को प्रत्येक जगह प्रयोग कर लिया जाता है। इसको डंडियां, पत्तियां, फूलों तथा पक्षियों आदि सभी में प्रयोग किया जाता है। ऐसे टांके दाईं तरफ से बाईं ओर तथा दाईं तरफ से बाईं ओर लगाये जाते हैं । वस्त्र पर सूई एक बिन्दु से निकालकर सूई पर यह धागा लपेटते हुए दोबारा उसी जगह पर सूई लगाकर आगे की ओर लपेटते हुए यह टांका लगाया जाता है। इस प्रकार क्रम से एक गोलाई में दूसरी गोलाई बनाते हुए आगे की ओर टांका लगाते जाना चाहिए।
लेज़ी डेज़ी टांका-इस टांके का प्रयोग छोटे-छोटे फूल तथा बारीक पत्ती की हल्की कढ़ाई के लिए किया जाता है। ये टांके एक-दूसरे के साथ लगातार गुंथे नहीं रहते बल्कि अलग-अलग रहते हैं। फूल के बीच से धागा निकालकर सूई उसी जगह पहुंचाते हैं। इस प्रकार पत्ती सी बन जाती है। पत्ती को अपनी जगह पर स्थिर करने के लिए दूसरी तरफ गांठ लगा देते हैं।
दसती टांका-यहा टांका उसी वस्त्र पर ही बन सकता है जिसकी बुनाई खुली हो ताकि कढ़ाई करते समय धागे आसानी से गिने जा सकें। यदि तंग बुनाई वाले वस्त्र पर यह कढ़ाई करनी हो तो वस्त्र पर पहले नमूना छाप लो तथा फिर नमूने के ऊपर ही बिना वस्त्र के धागे गिने कढ़ाई करनी चाहिए। यह टांका दो बार बनाया जाता हैं। पहली बार एक एकहरा टांका बनाया जाता है, ताकि टेढ़े (/) टांकों की एक लाइन बन जाये तथा दूसरी बार में इस लाइन के टांकों पर दूसरी लाइन बनाई जाती है। इस तरह दसूती टांका (✕) बन जाता है। सूई को दाएं हाथ के कोने से टांके के निचले सिरे पर निकालते हैं। उसी टांके के ऊपरी बाएं कोने में डालते हैं तथा दूसरे टांके के निचले दाएं कोने से निकालते हैं। इस तरह करते जाओ ताकि पूरी लाइन टेढ़े टांकों की बन जाये। अब सूई आखिरी टांके के बाईं ओर निचले कोने से निकली हुई होनी चाहिए। अब सूई को उसी टांके के दाएं ऊपरी कोने से डालें तथा अगले टांके से निचले बाएं कोने से निकालो ताकि (✕) पूरा बन जाए।
कंबल टांका-इस टांके का प्रयोग कंबलों के सिरों पर किया जाता है। रूमालों, मेज़ पोश, तुरपाई, कवर, आदि के किनारों पर भी इसको सजावट के लिए प्रयोग किया जाता है। इस टांके को लूप-स्टिच भी कहा जाता है। इसको बनाने के लिए सूई को वस्त्र से निकालकर सूई वाले धागे से दाईं ओर सूई से नीचे करो तथा सूई को खींचकर वस्त्र से बाहर निकालो। फिर 1/8″-1/9″ स्थान छोड़कर टांका लगाओ तथा इस तरह आखिर तक करते जाओ।
प्रश्न 2.
कढ़ाई के लिए धागों की किस्मों के बारे में तुम क्या जानते हो ?
उत्तर-
कढ़ाई के लिए सूती, रेशमी, ऊनी तथा जरी के धागे प्रयोग किये जाते हैं।
- सूती धागे-इन धागों का प्रयोग हर किस्म की कढ़ाई के लिए होता है तथा यह हर जगह से मिल भी जाते हैं। यह तारकशी छ: तारों वाले हो सकते हैं तथा कटे हुए अथवा गुच्छों में मिलते हैं।
- रेशमी धागे-यह सूती धागों से कम मज़बूत होते हैं। परन्तु यह भी हर तरह की कढ़ाई के लिए प्रयोग किये जाते हैं। यह सिलवटों वाले बड़े धागे गुच्छों तथा रीलों में मिलते हैं। बिना सिलवटें पड़े धागे भी मिलते हैं। इन्हें पट का धागा भी कहा जाता है। पुरानी फुल्कारियों में असली रेशमी पट का ही प्रयोग होता था। अब आर्ट सिल्क (रेयॉन) की रीलें भी मिलती हैं। इस धागे का प्रयोग फुल्कारी तथा सिन्धी कढ़ाई के लिए किया जाता है।
- ऊनी धागे-इसका प्रयोग दसूती, डंडी टांके, चेन स्टिच, भरवी चोप आदि टांकों के लिए होता है। इन्हें मोटे वस्त्र जैसे केसमैंट, ऊनी मैटी आदि पर प्रयोग किया जाता है। यह धागे ऊन वाली दुकानों से गोलियों अथवा लच्छों में मिल सकते हैं।
- जरी के धागे-यह तिल्ले के धागे सीधे अथवा सिलवटों वाले होते हैं। इनको सलमा भी कहा जाता है। पहले इन धागों पर असली सोने तथा चांदी की झाल फिरी होती थी, परन्तु आजकल एल्यूमीनियम तथा नायलॉन के पॉलिश किये धागे मिलते हैं। कुछ समय पश्चात् यह पॉलिश उतर जाती है। इस धागे का प्रयोग साटन, शनील, सिल्क बनावटी रेशों से बने कपड़ों पर किया जाता है। इनको मुनियारी की दुकान से खरीदा जा सकता है।
प्रश्न 3.
कढ़ाई के नमूने को वस्त्र पर कैसे छापा जा सकता है?
उत्तर-
- कार्बन पेपर से छपाई-कार्बन पेपर को कढ़ाई वाले वस्त्र पर रखा जाता है। कार्बन पेपर ऊपर नमूना रख कर नमूने पर पैंसिल फेरी जाती है। इस तरह नमूना वस्त्र पर छप जाती है।
- मशीन से छपाई-मशीन को तेल देकर वस्त्र पर नमूने वाला कागज़ रख कर, नमूने पर खाली (बिना धागे) मशीन चलाएं। इस तरह वस्त्र पर नमूने के निशान आ जाएंगे।
- ट्रेसिंग पेपर में छेद करके छपाई-ट्रेसिंग पेपर पर नमूना उतार लिया जाता है और छपाई वाले स्थान पर बिना धागे के मशीन चलाई जाती है। जिससे पेपर में छेद हो जाते हैं। अब इस पेपर को वस्त्र पर रखकर छेद वाले स्थान पर तेल या नील के घोल से भीगा हुआ छोटा-सा कपड़ा फेरा जाता है। इससे नमूना वस्त्र पर छप जाता है। इस ढंग का प्रयोग तब किया जाता है जब एक ही नमूने को बार-बार छापना हो।
प्रश्न 4.
नमूने को कपड़े पर कैसे देस किया जाता है?
उत्तर-
कढ़ाई करने के लिए निम्नलिखित तरीकों से छापा जाता हैकार्बन पेपर से छपाई, मशीन से, ट्रेसिंग पेपर में छिद्र करके छपाई।
प्रश्न 5.
कढ़ाई के लिए धागों की दो किस्मों के बारे में लिखें।
उत्तर-
- सूती धागे-इन धागों का प्रयोग हर किस्म की कढ़ाई के लिए होता है तथा यह हर जगह से मिल भी जाते हैं। यह तारकशी छः तारों वाले हो सकते हैं तथा कटे हुए अथवा गुच्छों में मिलते हैं।
- रेशमी धागे-यह सूती धागों से कम मज़बूत होते हैं। परन्तु यह भी हर तरह की कढ़ाई के लिए प्रयोग किये जाते हैं। यह सिलवटों वाले बड़े धागे गुच्छों तथा रीलों में मिलते हैं। बिना सिलवटें पड़े धागे भी मिलते हैं। इन्हें पट का धागा भी कहा जाता है। पुरानी फुल्कारियों में असली रेशमी पट का ही प्रयोग होता था। अब आर्ट सिल्क (रेयॉन) की रीलें भी मिलती हैं। इस धागे का प्रयोग फुल्कारी तथा सिन्धी कढ़ाई के लिए किया जाता है।
कढ़ाई के टांके प्रयोगी PSEB 9th Class Home Science Notes
- कढ़ाई से पोशाकों अथवा घर में प्रयोग होने वाले अन्य वस्त्रों की सुन्दरता बढ़ाई जा सकती है।
- कढ़ाई के विभिन्न टांके हैं डंडी टांका, जंजीरी टांका, लेज़ी डेज़ी टांका, साटन स्टिच, कंबल टांका, दसूती टांका।
- डंडी टांका बखीए के उलटी तरफ जैसा होता है तथा बखीए के विपरीत इसकी कढ़ाई बाईं तरफ से दाईं तरफ की जाती है।
- डण्डी टांके का प्रयोग हाशिया बनाने के लिए किया जाता है।
- जंजीरी टांके में छोटे-छोटे फंदे होते हैं जो आपस में जुड़-जुड़ कर जंजीर बनाते
- लेज़ी डेज़ी टांका, जंजीरी टांके की ही एक किस्म है।
- साटन स्टिच भरवां टांका है, इससे कढ़ाई के नमूनों में फूल, पत्ती अथवा दूसरे नमूने भरे जाते हैं।
- दसूती टांके का प्रयोग जाली वाले वस्त्रों पर किया जाता है।
- कढ़ाई के लिए सूती, रेशमी, ऊनी, ज़री के धागों का प्रयोग किया जाता है।
- कढ़ाई के नमूने की वस्त्र पर कार्बन पेपर से, मशीन से तथा ट्रेसिंग पेपर में छिद्र करके छपाई की जाती है।