PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 2 गृह-व्यवस्था-अर्थ, महत्त्व तथा क्षेत्र

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 2 गृह-व्यवस्था-अर्थ, महत्त्व तथा क्षेत्र Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 2 गृह-व्यवस्था-अर्थ, महत्त्व तथा क्षेत्र

PSEB 9th Class Home Science Guide गृह-व्यवस्था-अर्थ, महत्त्व तथा क्षेत्र Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
घर से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
घर वह स्थान है जहां हम अपनी ज़िन्दगी का काफ़ी समय तनाव रहित होकर बिताते हैं।

प्रश्न 2.
गृह-व्यवस्था की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
पी० निक्कल तथा जे० एम० डोरसी के अनुसार, “गृह प्रबन्ध परिवार के उद्देश्यों को प्राप्त करने के इरादे से परिवार में मिलते साधनों को योजनाबद्ध तथा संगठित करके उसे व्यवहार में लाने का नाम है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 2 गृह-व्यवस्था-अर्थ, महत्त्व तथा क्षेत्र

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 3.
गृह-व्यवस्था को गृह विज्ञान का आधार क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
गृह-व्यवस्था को गृह विज्ञान का आधार माना जाता है क्योंकि इसमें घर तथा घर की व्यवस्था के सभी पहलू आते हैं। जैसे अच्छा जीवन गुजारने के सिद्धान्त, परिवार के सदस्यों के लिए शिक्षा का उचित प्रबन्ध, परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भोजन तथा घर के सामान की खरीद, सम्भाल तथा प्रयोग के बारे में जानकारी दी जाती है। इसी तरह घर में प्रयोग किये जाने वाले हर प्रकार के सामान की सफ़ाई तथा सम्भाल तथा समाज में मनुष्य के जीवन को अनुशासनमय बनाने के लिए आत्मिक तथा धार्मिक पक्ष को भी गृहव्यवस्था के क्षेत्र में शामिल किया गया है।

प्रश्न 4.
गृह और व्यवस्था शब्दों से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
गृह से अभिप्राय वह स्थान है जहां परिवार के सभी सदस्य मिलकर रहते हैं। विद्वानों ने गृह की परिभाषा इस प्रकार दी है, “घर एक ऐसी इकाई है जहां कुछ व्यक्ति रहते हैं तथा उनमें कोई आपसी रिश्ता होता है।”

व्यवस्था शब्द से अभिप्राय है कि अपने अनिवार्य उद्देश्यों के लिए इस ढंग से कार्य करना कि हमारे भौतिक साधन अच्छी तरह संगठित तथा आयोजित हो सकें, अच्छी तरह सम्पर्क पैदा करके किसी विचारधारा को क्रियान्वित करके उसका उचित मूल्यांकन कर सकें।

प्रश्न 5.
गृह-व्यवस्था कैसी प्रक्रिया है और इसका मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर-
गृह-व्यवस्था एक मानसिक प्रक्रिया है। यह मानसिक उपज है, दिल की नहीं। इसलिए बड़ी सूझ-बूझ तथा समझदारी की आवश्यकता है। गृह-व्यवस्था जीवन व्यतीत करने की कला है तथा इसका मुख्य उद्देश्य पारिवारिक उद्देश्यों की पूर्ति करना है।

आज के युग में साधन काफ़ी बढ़ गये हैं तथा मानवीय आवश्यकताओं के साथ उद्देश्य भी बढ़ गये हैं। इन उद्देश्यों तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मानवीय साधनों जैसे-ज्ञान, शक्ति आदि तथा भौतिक साधनों जैसे-समय, धन, वस्तु, जायदाद आदि का प्रयोग बड़ी सावधानी से किया जाता है।

प्रश्न 6.
गृह-व्यवस्था के क्षेत्र से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
गृह-व्यवस्था का क्षेत्र काफ़ी विशाल है। इसमें घर बनाने से लेकर परिवार के सदस्यों की अन्तिम समय की सभी क्रियाएं शामिल हैं। इसके क्षेत्र में अच्छा जीवन व्यतीत करने के सिद्धान्त, जीवन स्तर ऊंचा उठाने, परिवार की ज़रूरतों की पूर्ति करने, परिवार के सदस्यों की शिक्षा का प्रबन्ध, घर में प्रयोग किये जाने वाले हर प्रकार के सामान की सफ़ाई तथा सम्भाल करना आदि सभी कुछ गृह-व्यवस्था के क्षेत्र में आते हैं।

प्रश्न 7.
समय के सदुपयोग से घर को खुशहाल कैसे बनाया जा सकता है ?
उत्तर-
जब घर का सारा कार्य समय का सही प्रयोग करके योजनाबद्ध तरीके से किया जाये तो घर में खुशी की वृद्धि होती है। घर का काम-काज निश्चित समय सारणी अनुसार करके तथा घर के सभी सदस्य अपनी क्षमता अनुसार सौंपा कार्य ठीक समय पर करें तो घर में खुशी का वातावरण पैदा होता है तथा घर समृद्ध बनता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 8.
गृह-व्यवस्था से आप क्या समझते हैं ? गृह-व्यवस्था ही गृह विज्ञान का आधार है, कैसे ?
उत्तर-
गृह-व्यवस्था पारिवारिक ज़िन्दगी के प्रत्येक पक्ष से सम्बन्धित है। समय के प्रयोग, पैसे के प्रयोग, खाने, शक्ति, श्रम तथा ज़िन्दगी की ज़रूरतों तथा उद्देश्यों से गृहव्यवस्था का सम्बन्ध है। , .
पी० निक्कल तथा जे० डोरसी के अनुसार, “गृह-व्यवस्था परिवार के साधनों का प्रयोग करके किया गया आयोजन, संगठन तथा मूल्यांकन है जिस द्वारा परिवार के उद्देश्यों की पूर्ति की जाती है।”
ग्रास तथा करंडल के अनुसार, “गृह-व्यवस्था निर्णय करने सम्बन्धी क्रियाओं की वह शाखा है जिसमें परिवार के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए परिवार के साधनों को प्रयोग किया जाता है।”

गृह-व्यवस्था को गृह विज्ञान का आधार माना जाता है क्योंकि इसमें घर तथा घर की व्यवस्था के सभी पहलू आते हैं। जैसे-अच्छा जीवन गुजारने के सिद्धान्त, परिवार के सदस्यों के लिए शिक्षा का सही प्रबन्ध, परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भोजन तथा घर के सामान की खरीद, सम्भाल तथा प्रयोग के बारे में जानकारी दी जाती है। इसी तरह घर में प्रयोग किये जाने वाले हर प्रकार के सामान की सफ़ाई तथा सम्भाल तथा समाज में मनुष्य के जीवन को अनुशासनमय बनाने के लिए आत्मिक तथा धार्मिक पक्ष को भी गृह-व्यवस्था के क्षेत्र में शामिल किया जाता है।

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प्रश्न 9.
आधुनिक जीवन में गृह-व्यवस्था का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
गृह-व्यवस्था घर में रहने वाले सदस्यों के जीवन को सुखी, समृद्ध तथा उन्नत बनाने में सहायक होती है।

  • परिवारकी जरूरतों की पूर्ति-सभी सदस्यों की कुछ ज़रूरतें होती हैं जिनकी पूर्ति का आधार घर की आय होती है। घर की आय को बढ़ाने के लिए कुछ लघु उद्योग आरम्भ किये जा सकते हैं।
  • पारिवारिक स्तर को ऊंचा उठाना-सुचारु ढंग से घर का प्रबन्ध करके अपने सीमित साधनों द्वारा कुशल गृहिणी पारिवारिक स्तर को ऊंचा उठा सकती है।
  • बच्चों की सम्भाल तथा शिक्षा-बच्चों की सम्भाल तथा शिक्षा में भी गृह प्रबन्ध का विशेष महत्त्व है। बच्चे को अच्छी विद्या, पौष्टिक भोजन तथा अच्छे-से-अच्छे ढंग से बच्चे का पालन-पोषण गृह-व्यवस्था से ही हो सकता है।
  • व्यक्तित्व का विकास-बढ़िया गृह प्रबन्ध से ही बच्चे के व्यक्तित्व का सही विकास हो सकता है। जितने भी महान् व्यक्ति हुए हैं उन सभी को अपने घर से ही यह नियामत प्राप्त हुई है।
  • घरेलू कार्य को वैज्ञानिक ढंग से करना-आज का युग मशीनी युग है तथा पारिवारिक आवश्यकताओं तथा उद्देश्यों की पूर्ति के लिए शक्ति तथा समय दोनों की ज़रूरत है। घर के कार्य में मशीनों तथा अन्य नई खोजों का प्रयोग करके शक्ति तथा समय दोनों की बचत हो जाती है।
  • समय का ठीक उपयोग- यदि घर के कार्य एक नियत की हुई समय सारणी के अनुसार किये जाएं तो समय की काफ़ी बचत हो जाती है तथा कार्य भी जल्दी पूरे हो जाते है।
  • मानसिक सन्तुष्टि-अच्छी गह-व्यवस्था से घर के उद्देश्यों की पूर्ति आसानी से हो जाती है तथा घर के सदस्यों की शारीरिक तथा मानसिक सेहत ठीक रहती है। इस तरह एक मानसिक सन्तुष्टि प्राप्त होती है।
  • सेहत सम्भाल-घर का प्रबन्ध ठीक तथा सुचारु ढंग से चलाकर पौष्टिक भोजन तथा ठीक पालन-पोषण से घर के सदस्यों की सेहत ठीक रहती है।

Home Science Guide for Class 9 PSEB गृह-व्यवस्था-अर्थ, महत्त्व तथा क्षेत्र Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

  1. ज्ञान ……………… साधन है।
  2. गृह व्यवस्था एक …………………. प्रक्रिया है।
  3. सभी सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति का आधार घर की ………………. होती है।
  4. …………………. परिवार में पति-पत्नी तथा बच्चे ही होते हैं।

उत्तर-

  1. मानवीय,
  2. मानसिक,
  3. आय,
  4. इकाई।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
ऐसा परिवार जिसमें माता-पिता तथा अन्य रिश्तेदार मिलकर रहते हैं, को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
संयुक्त परिवार।

प्रश्न 2.
पैसा कैसा साधन है ?
उत्तर-
भौतिक।

प्रश्न 3.
शक्ति, रुचियां कैसा साधन है ?
उत्तर-
मानवीय।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. गृह व्यवस्था से भाव है घर के सभी कार्यों को अच्छी प्रकार से पूरा करके परिवार को खुशहाल बनाना।
  2. पैसा मानवीय साधन है।
  3. सुविधाएं, जायदाद भौतिक साधन हैं।
  4. इकाई परिवार में पति-पत्नी तथा बच्चे होते हैं।
  5. गृह निर्माता का कर्तव्य प्रायः गृहिणी को ही निभाना पड़ता है।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ग़लत,
  3. ठीक,
  4. ठीक,
  5. ठीक।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानवीय साधन नहीं है –
(A) पैसा
(B) ज्ञान
(C) शक्ति
(D) रुचि।
उत्तर-
(A) पैसा

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प्रश्न 2.
भौतिक साधन हैं –
(A) पैसा
(B) जायदाद
(C) सामान
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
निम्न में ठीक है –
(A) गृह व्यवस्था को गृह विज्ञान का आधार माना जाता है
(B) मानवीय तथा भौतिक साधनों का प्रयोग करके पारिवारिक उद्देश्यों की पूर्ति की जाती है
(C) कुशलता मानवीय साधन हैं।
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानवीय तथा भौतिक साधन कौन-से हैं ?
उत्तर-
मानवीय साधन हैं-ज्ञान, शक्ति, रुचियां, योग्यताएं आदि। भौतिक साधन हैं-समय, पैसा, सामान, जायदाद, सुविधाएं आदि।

प्रश्न 2.
संयुक्त तथा इकाई परिवार क्या होते हैं ?
उत्तर-
संयुक्त परिवार-इनमें मां-बाप तथा अन्य रिश्तेदार रहते हैं। घर की आय साझी होती है तथा खर्च भी साझा होता है तथा साझे खाते में से ही किया जाता है।
इकाई परिवार- इसमें केवल पति-पत्नी तथा बच्चे ही होते हैं। इस तरह सारे परिवार की ज़िम्मेवारी पति-पत्नी पर होती है।

प्रश्न 3.
गृह-व्यवस्था में गृहिणी का क्या योगदान होता है ?
उत्तर-
आज के युग में इकाई परिवारों का चलन बढ़ रहा है तथा गृहिणी के सिर पर घर सम्भालने की ज़िम्मेवारी होती है। वही गृह निर्माता है। बच्चों की सही देख-रेख, स्वास्थ्य का ध्यान, परिवार की आय तथा खर्च, समय की बचत, शक्ति की बचत आदि इन सभी बातों की ओर ध्यान देकर गृह-व्यवस्था करके एक समझदार गृहिणी घर को समृद्ध बना सकती है।

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प्रश्न 4.
घर तथा मकान में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
मकान एक इमारत होती है जो ईंटों, गारे, सीमेंट आदि से बनी होती है। जब एक परिवार इस इमारत में बसेरा कर लेता है तो यह मकान घर बन जाता है। घर आशाओं, उमंगों, भावनाओं तथा प्यार से भरा होता है।

गृह-व्यवस्था-अर्थ, महत्त्व तथा क्षेत्र PSEB 9th Class Home Science Notes

  • मकान ईंटों, पत्थरों तथा सीमेंट से बनी इमारत है। जब इसमें परिवार के सभी सदस्य मिलकर रहते हैं तथा साझे उद्देश्यों के लिए एकजुट होकर कार्य करते हैं तो यह मकान घर बन जाता है।
  • व्यवस्था से अभिप्राय है घर के सब कार्यों को सही तथा उचित ढंग से पूरा करके परिवार को समृद्ध बनाना।
  • गृह – व्यवस्था एक मानसिक प्रक्रिया है । इसके लिये बड़ी सूझ-बूझ तथा समझदारी की आवश्यकता है।
  • गृह – व्यवस्था द्वारा परिवार के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आयोजन, नियन्त्रण तथा मूल्यांकन किया जाता है।
  • मानवीय साधन हैं – ज्ञान, शक्ति, योग्यताएं, रुचियां आदि।
  • भौतिक साधन हैं – पैसा, सामान, सुविधाएं, जायदाद, समय आदि।
  • मानवीय और भौतिक साधनों का प्रयोग करके पारिवारिक उद्देश्यों की पूर्ति की जाती है।
  • अच्छे घर का गृह-निर्माता अपने कार्यशील व्यक्तित्व से पारिवारिक उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम होता है।
  • संयुक्त परिवार में माता-पिता, बच्चे तथा अन्य रिश्तेदार मिलकर रहते हैं।
  • आज के युग में संयुक्त परिवार का स्थान इकाई परिवारों ने ले लिया है जिसमें पति-पत्नी तथा बच्चे ही होते हैं।
  • गृह-निर्माता का कर्त्तव्य साधारणत: घर की गृहिणी को ही निभाना पड़ता है।
  • परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने का आधार घर की आय है। आय बढ़ाने के लिए कोई लघु उद्योग आरम्भ किया जा सकता है अथवा गृहिणी घर से बाहर जाकर नौकरी भी कर सकती है।
  • पारिवारिक स्तर ऊंचा उठाना, परिवार का जीवन रसदायक तथा आनन्दमय बनाना, व्यक्तित्व का विकास, बच्चों की देख-रेख तथा शिक्षा, घरेलू कार्य को अधिक वैज्ञानिक ढंग से करने की आदत, मानसिक संतोष, समय का सदुपयोग, घर को समृद्ध बनाना, सेहत सम्भाल आदि में गृह-व्यवस्था का विशेष महत्त्व है।

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