Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 8 भोजन पकाना Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 8 भोजन पकाना
PSEB 9th Class Home Science Guide भोजन पकाना Textbook Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
खाना पकाना क्यों ज़रूरी है? कोई एक कारण लिखो।
उत्तर-
भोजन को पचने लायक बनाने के लिए पकाया जाता है। भोजन में निशास्ते के कणों के इर्द-गिर्द सैलूलोज़ की कोर परत होती है जिसे हमारा शरीर किसी भी तरह हज्म रहीं कर सकता है। भोजन पकाने से यह परत टूट जाती है तथा भोजन पचने योग्य हो जाता है।
प्रश्न 2.
एक ही भोजन में पकाने से भिन्नता लायी जा सकती है। उदाहरण दो।
उत्तर-
एक भोजन पदार्थ को एक ढंग से पका कर खाया जाये तो मन भर जाता है। इसलिए एक ही भोजन पदार्थ को विभिन्न ढंगों से पका कर विभिन्नता लाई जा सकती है।
जैसे-आलुओं के परौंठे, आलू चिप्स, आलू के पकौड़े, आलू चाट आदि। घीये की सब्जी, घीये के कोफ्ते, घीये का रायता।
प्रश्न 3.
पकाने से कीटाण कैसे नष्ट हो जाते हैं?
उत्तर-
बैक्टीरिया की 40°C पर वृद्धि रुक जाती है तथा 60°C से अधिक तापमान पर भोजन पकाने से जीवाणुओं के स्पोरज़ भी मर जाते हैं। इसीलिए बीमारी की हालत में पानी को भी उबाल कर पीने की सलाह दी जाती हैं।
प्रश्न 4.
क्या पकाने से भोजन अधिक समय के लिये सुरक्षित रखा जा सकता है? यदि हां तो कैसे?
उत्तर-
भोजन पदार्थों के खराब होने का साधारण कारण बैक्टीरिया अथवा कीटाणु होते हैं। जब भोजन को पकाया जाता है तो तापमान काफ़ी बढ़ जाता है तथा इतने तापमान पर कीटाणु आदि समाप्त हो जाते हैं तथा भोजन को अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसलिए उबला हुआ दूध अधिक समय तक सुरक्षित रहता है।
प्रश्न 5.
पकाने से भोजन की पौष्टिकता कैसे बढ़ाई जा सकती है?
उत्तर-
दो अथवा अधिक भोजन पदार्थ मिलाकर पकाए जाने से पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा में वृद्धि होती है। क्योंकि एक भोजन पदार्थ की कमी को दूसरा भोजन पदार्थ पूरा करता है।
प्रश्न 6.
भोजन पकाने के ढंगों की बांट किस आधार पर की जाती है?
उत्तर-
भोजन को सीधे आग पर अथवा तेल में अथवा पानी में पकाया जा सकता है। भोजन पकाने के ढंगों की बांट माध्यम के अनुसार की जाती है।
प्रश्न 7.
भोजन पकाने के कौन-कौन से ढंग हैं? नाम लिखो।
उत्तर-
भोजन पकाने के तीन ढंग हैं-
(i) सूखे सेंक से पकाना।
(ii) घी अथवा तेल में पकाना।
(iii) पानी अथवा गीले सेंक से पकाना।
- सूखे सेंक से पकाना-भोजन को सीधे आग पर रख कर पकाया जाता है।
- घी अथवा तेल में पकाना-घी अथवा तेल को गर्म करके इसमें भोजन पकाने के . ढंग को तलना कहते हैं।
- पानी अथवा गीले सेंक से पकाना-जब भोजन को नमी की मौजूदगी में पकाया जाता है तो इसे गीले सेंक से पकाना चाहिए।
प्रश्न 8.
बेक करने और सेंकने में क्या अन्तर है?
उत्तर –
प्रश्न 9.
गीले सेंक से पकाने से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
जब भोजन को नमी की मौजूदगी में पकाया जाता है तो इसे गीले सेंक से पकाना कहते हैं। यह काम तीन ढंगों से किया जा सकता है
उबालना, धीमी आग पर थोड़े पानी में पकाना तथा भाप से पकाना।
प्रश्न 10.
गीले सेंक से पकाने का सबसे उत्तम तरीका कौन-सा है?
उत्तर-
भाप से पकाने का ढंग सबसे बढ़िया है।
प्रश्न 11.
उबालने और धीमी-धीमी आग पर पकाने में क्या अन्तर है?
उत्तर-
उबालना | धीमी आग पर पकाना |
1. इसमें भोजन पदार्थों को उबलते पानी में अच्छी तरह डुबो कर तेज़ आग पर पकाया जाता है। | 1. इसमें भोजन पदार्थ को थोड़े पानी में धीमी-धीमी आंच पर पकाया जाता है। |
2. इस ढंग से पकाया भोजन बहुत स्वादिष्ट होता है। | 2. इस ढंग से पकाया भोजन बहुत स्वादिष्ट नहीं होता है। |
प्रश्न 12.
दाल पकाने का उत्तम तरीका कौन-सा है?
उत्तर-
दालों को उबालकर बनाना बढ़िया तरीका है। इस तरीके से चावल तथा सब्जियों को भी पकाया जाता है।
पहले घरों में अंगीठी होती थी धीमी आंच पर दालों को पकाना बढ़िया समझा जाता था।
प्रश्न 13.
भाप से खाना पकाने से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
यह भोजन पकाने का सबसे बढ़िया ढंग है। इसमें भोजन को उबलते पानी की भाप से पकाया जाता है। इसके तीन तरीके हैं प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष तथा दबाव में भाप से पकाना।
प्रश्न 14.
दबाव द्वारा भाप से खाना कैसे बनाया जाता है?
उत्तर-
दबाव में भाप से खाना पकाना भाप से खाना पकाने का सबसे उत्तम तरीका है। इस तरीके से खाना पकाने के लिए प्रैशर कुक्कर का प्रयोग किया जाता है। प्रैशर कुक्कर में थोड़े पानी में भोजन डालकर कुक्कर को बन्द करके आग पर रख दिया जाता है। इस तरह प्रैशर में भाप की गर्मी से खाना पकाया जाता है।
प्रश्न 15.
तलने से आप क्या समझते हो ? तलने के कौन-कौन से तरीके हैं , नाम बताओ।
उत्तर-
घी अथवा तेल को गर्म करके इसमें भोजन पकाने के तरीका को तलना कहते हैं। तलने के तीन तरीके हैं
- सूखा भूनना तलना।
- कम घी में तलना।
- खुले घी में तलना।
प्रश्न 16.
तलते समय बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर-
तेल का उबाल दर्जा पानी से बहुत ही अधिक होता है। यदि शरीर के किसी अंग पर गर्म तेल गिर जाए तो वह अंग बुरी तरह जल जाता है। इसलिए तलने के समय बहुत सावधानी की ज़रूरत होती है।
प्रश्न 17.
तले भोजन के लाभ तथा हानि बताओ।
उत्तर-
हानि-
- यह शीघ्र हज़म नहीं होता।
- इसमें पौष्टिक तत्त्व भी काफ़ी कम होते हैं।
- यह स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होते।
लाभ-
- खाना जल्दी पक जाता है।
- खाना स्वादिष्ट बनता है।
प्रश्न 18.
मरीज़ को खाना देने के लिए खाना पकाने के कौन-कौन से तरीकों का प्रयोग किया जा सकता है?
उत्तर-
- बीमारों के लिए उबला हुआ खाना ठीक रहता है।
- अप्रत्यक्ष भाप से पकाने वाले तरीके से खाना पकाकर भी रोगियों को दिया जा सकता है।
प्रश्न 19.
पकाते समय फल और सब्जियों का रंग कैसे कायम रखा जा सकता है?
उत्तर-
फल तथा सब्जियों को ढककर पकाना चाहिए। भोजन इतने समय के लिए पकाओ कि गलकर खाने योग्य हो जाएं। इन्हें तेज़ाबी मादे में न पकाओ। सोडा अथवा खारा माध्यम हरी सब्जियों का रंग बरकरार रखने में मदद करता है।
लय उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 20.
भोजन पकाने के क्या कारण हैं?
उत्तर-
भोजन पकाने के निम्नलिखित कारण हैं –
- भोजन को पचने योग्य बनाने के लिए।
- स्वाद, सुगन्ध तथा स्वरूप सुधारने के लिए।
- भोजन में विभिन्नता लाने के लिए।
- अधिक समय के लिए सुरक्षित रखने के लिए।
- कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए।
- पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए।
1. कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए-पकाने से भोजन को खराब करने वाले हानिकारक बैक्टीरिया तथा सूक्ष्मदर्शी जीवाणु मर जाते हैं क्योंकि 40°C से अधिक तापमान पर बैक्टीरिया की वृद्धि रुक जाती है तथा 60°C से अधिक तापमान पर भोजन पकाने से जीवाणुओं के स्पोरज़ भी मर जाते हैं। इसीलिए जब कोई महामारी फैलती है तो पीने वाला पानी भी उबाला जाता है। इस तरह भोजन पदार्थों को पकाने से इनके अन्दर वाले जर्म मर जाते हैं तथा इस तरह भोजन स्वास्थ्य के पक्ष से भी लाभदायक हो जाता है।
2. अधिक समय तक सुरक्षित रखने के लिए पका हुआ भोजन प्रायः कच्चे भोजन से अधिक समय तक सुरक्षित रह सकता है जैसे उबाला हुआ दूध अधिक समय के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। इसी सिद्धान्त के आधार पर ही दूध को पॉस्चुराइज़ भी किया जाता है। इसीलिए मक्खन से घी तथा कच्चे पनीर से तला हुआ पनीर काफ़ी समय तक सुरक्षित रहते हैं।
3. पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए-पकाते समय दो अथवा अधिक भोजन पदार्थों को मिलाकर पकाया जा सकता है। इस तरह भोजन की पौष्टिकता में सुधार लाया जा सकता है। जैसे दो अथवा तीन दालें इकट्ठी मिलाकर बनाई जाएं अथवा कई सब्जियां आलू-गाजर-मटर, बंद गोभी, मटर-आलू, पालक गाजर, आलू आदि की सब्जी को बनाने से भोजन के पौष्टिक तत्त्वों में वृद्धि होती है। आटे में यदि बेसन अथवा सोयाबीन का आटा मिला लिया जाये अथवा आटा गूंथते समय मूली, मेथी आदि मिला लिए जायें तो ऐसे आटे के परौंठे अधिक पौष्टिक हो जाते हैं। इसी तरह एक भोजन के पौष्टिक तत्त्वों की कमी दूसरा भोजन पूरी कर देता है। इसी तरह अनाज तथा दालें इकट्ठी खाने से बढ़िया प्रोटीन प्राप्त हो जाते हैं।
प्रश्न 21.
खाना पकाने की विधियों को पकाने वाले माध्यम के अनुसार कौन-कौन से भागों में बांट सकते हो?
उत्तर-
माध्यम के अनुसार खाना पकाने की विधियों को तीन भागों में बांटा जा सकता है
- सूखे सेंक से पकाना- भोजन को सीधे आग पर रखकर पकाने के ढंग को सूखे सेंक से पकाना कहा जाता है। इसके भी आगे तीन ढंग हैं
(i) सेंकना (ii) भूनना (iii) बेक करना। - गीले सेंक अथवा पानी से पकाना-जब भोजन को नमी की मौजूदगी में पकाया जाता है तो इसे गीले सेंक से पकाना कहते हैं। यह काम तीन ढंगों से किया जा सकता है
उबालना, धीमी आंच पर थोड़े पानी में पकाना तथा भाप से पकाना। इनमें से भाप से पकाने का ढंग सबसे बढ़िया है। - घी अथवा तेल में पकाना-घी अथवा तेल को गर्म करके इसमें भोजन पकाने के ढंग को तलना कहते हैं। तलने के तीन तरीके हैं
(i) सूखा भूनना तलना (ii) कम घी में तलना (iii) खुले घी में तलना।
प्रश्न 22.
सूखे सेंक से पकाने के कौन-कौन से तरीके हैं?
उत्तर-
सूखे सेंक से पकाने के निम्नलिखित तरीके हैं
(i) सेंकना (ii) भूनना तथा (iii) बेक करना।
- सेंकना-भोजन पदार्थ को सीधे ही आग पर रखकर पकाने को सेंकना कहते हैं। जैसे- मांस, मुर्गा आदि को लोहे की सलाखों पर लगाकर सीधी आग पर रखकर सेंके जाते हैं।
- भूनना-भोजन पदार्थों को किसी धातु के बर्तन में डालकर आग पर रखकर अप्रत्यक्ष सेंका जाता है। इसे भूनना कहते हैं। जैसे कड़ाही में रेत को गर्म करके इसमें दाने भूने जाते हैं।
- बेक करना- भोजन पदार्थ को किसी भट्ठी अथवा भोजन ओवन में बन्द करके गर्म हवा से पकाने को बेक करना कहते हैं। जैसे-बिस्कुट, ब्रेड, केक, खताइयां आदि को इसी तरह पकाया जाता है।
प्रश्न 23.
गीले सेंक से खाना पकाने के कौन-कौन से तरीके हैं?
उत्तर-
गीले सेंक से खाना पकाने के तीन तरीके हैं
(i) उबालना
(ii) धीमी आग पर थोड़े पानी में पकाना
(iii) भाप से पकाना।
- उबालना-भोजन पदार्थों को उबलते पानी में पूरी तरह डुबो कर तेज़ आग पर पकाने को उबालना कहते हैं। चावल, कई दालें तथा सब्जियों को इसी तरीके से पकाया जाता है।
- धीमी आंच पर पकाना-किसी बर्तन में थोड़े पानी में भोजन पदार्थ को डालकर धीमी-धीमी आंच पर रखकर पकाया जाता है। पहले दालों आदि को इसी तरीके से पकाया जाता था।
- भाप से पकाना-इस तरीके से में भोजन पदार्थ को उबलते पानी की भाप से पकाया जाता है। इसके आगे तीन तरीके हैं
(क) प्रत्यक्ष (ख) अप्रत्यक्ष (ग) दबाव में भाप से पकाना।
प्रश्न 24.
कौन-कौन से तरीकों द्वारा भोजन तला जा सकता है?
उत्तर-
भोजन को तीन तरीकों द्वारा तला जा सकता है
(i) सूखा भूनना तलना (ii) कम घी में तलना (iii) खुले घी में तलना।
- सूखा भूनना तलना-थोड़ा-सा घी बर्तन को लगाकर भोजन पदार्थ को इसमें पकाकर आग पर रखकर पकाया जाता है तथा भोजन पदार्थ को जल्दी-जल्दी हिलाया जाता है। घी को भोजन पदार्थ सोख लेता है।
- कम घी में तलना-इसमें फ्राइंग पैन अथवा तवे पर थोड़ा सा घी डालकर भोजन पदार्थ को तला जाता है। परौंठे, आमलेट आदि इसी तरह तले जाते हैं।
- खुले घी में तलना-इस ढंग में खुले मुंह वाले बर्तन अथवा कड़ाही में काफ़ी सारा घी अथवा तेल लेकर इसे गर्म करके भोजन पदार्थ को इसमें तला जाता है। घी इतना होता है कि सारा भोजन पदार्थ इसमें डूब जाये।
पकौड़े, जलेबियां आदि इसी ढंग से बनाये जाते हैं।
प्रश्न 25.
मरीज़ को भोजन तलकर देना चाहिए या उबालकर?
उत्तर-
बीमारों को भोजन पदार्थ उबालकर देने चाहिएं न कि तल कर। उबला हुआ भोजन शीघ्र पचने लायक होता है जबकि तला हुआ भोजन जल्दी हज्म नहीं होता तथा इसमें पौष्टिक तत्त्वों की भी कमी होती है।
प्रश्न 26.
धीमी आंच पर पकाने और भाप से पकाने में क्या अन्तर है?
उत्तर
धीमी आंच पर पकाना | भाप से पकाना |
1. इसमें भोजन पदार्थ को थोड़े पानी में धीमी-धीमी आंच पर पकाया जाता है। | 1. इसमें भोजन को उबलते पानी की भाप से पकाया जाता है। |
2. इसमें समय अधिक लगता है। | 2. इसमें समय कम लगता है। |
3. फलों की स्टियू बनाने के लिए इस ढंग से पकाया जाता है। | 3. इडली, पुडिंग, दालों आदि को इस ढंग का प्रयोग किया जाता है। |
प्रश्न 27.
तलते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर-
तलते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए
- भोजन को उस समय तलना चाहिए जब घी अथवा तेल अच्छी तरह गर्म हो जाये तथा इसमें से हल्का नीला धुआँ निकलने लगे।
- तला हुआ भोजन कड़ाही से निकालने से पहले इसमें से घी अथवा तेल निचोड़ लेना चाहिए।
- तले जाने वाले भोजन के छोटे-छोटे टुकड़े कड़ाही में इकट्ठे हो जाते हैं, इन्हें निकाल देना चाहिए।
- भोजन को अधिक सेंक पर न पकाएं क्योंकि इस तरह बाहर से भोजन जल जायेगा पर अन्दर से कच्चा ही रह जाता है।
- भोजन को बाहर निकालकर सोखने वाले कागज़ पर रख लेना चाहिए ताकि अतिरिक्त तेल निचुड़ जाये।
- खाना पकाने के पश्चात् बचे हुए तेल को मलमल के टुकड़े अथवा बारीक छाननी से छान लेना चाहिए।
प्रश्न 28.
क्या पकाते समय पौष्टिक तत्त्वों को बचाया जा सकता है?
उत्तर-
भोजन पकाते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए
- सब्जियों के छिलके उतारे बिना अथवा बहुत पतला छिलका उतारकर सब्जी बनानी चाहिए।
- अनाज, दालों तथा सब्जियों को अधिक नहीं धोना चाहिए।
- बिना छाना हुआ आटा प्रयोग करना चाहिए।
- भोजन को ज़रूरत से ज्यादा सेंकना अथवा तलना नहीं चाहिए।
- जिस पानी में भोजन को उबाला जाए उसे फेंकना नहीं चाहिए।
- सब्जियों को काटने अथवा फलियों से दाने, खाना पकाते समय ही निकालने चाहिएं।
- प्रेशर कुक्कर में भोजन पकाने से तत्त्वों का कम-से-कम नुकसान होता है।
- भोजन को उतने समय के लिए ही पकाओं ताकि यह गलकर खाने योग्य हो जाये।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 29.
भोजन क्यों पकाया जाता है?
उत्तर-
भोजन पकाने के निम्नलिखित कारण हैं
- भोजन को पचने योग्य बनाने के लिए।
- स्वाद, सुगन्ध तथा स्वरूप सुधारने के लिए।
- भोजन में विभिन्नता लाने के लिए।
- अधिक समय के लिए सुरक्षित रखने के लिए।
- कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए।
- पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए।
1. भोजन को पचने योग्य बनाने के लिए भोजन पदार्थों में निशास्ते के कणों के इर्दगिर्द साधारणतया सख्त परत होती है। इस परत को मानवीय पाचन तन्त्र नहीं तोड़ सकता। जब भोजन को पकाया जाता है तो निशास्ते के कण पानी सोख लेते हैं और फूल जाते हैं। इस तरह यह सख्त परत फट जाती है। अब इस पर पाचक रस आसानी से असर कर सकते हैं। जैसे चावल, दालें, अनाज और मीट पकाने से नर्म हो जाते हैं और इनको चबाना भी आसान हो जाता है।
2. स्वाद, सुगन्ध और स्वरूप सुधारने के लिए-पकाने से भोजन पदार्थों का स्वाद, सुगन्ध और स्वरूप सुधारा जा सकता है जैसे भूना हुआ मीट, अण्डे का आमलेट, बैंगन का भुरथा आदि बनाने से इन भोजनों का स्वाद, सुगन्ध और स्वरूप ही बदल जाता है और इन को खाने से मज़ा भी आता है। भोजन पकाते समय मसालों का प्रयोग भी भोजन के स्वरूप, स्वाद और सुगन्ध पर अच्छा प्रभाव डालता है। कई भोजन जैसे करेले, जिमींकद आदि में प्राकृतिक रूप में कड़वाहट या लेसलापन होता है। पकाने से यह भोजन पदार्थ खुशबूदार हो जाते हैं और इन में से लेस या कड़वाहट भी दूर हो जाती है। __कुछ पदार्थों जैसे बासमती चावल में अंदरूनी खुशबू होती है जो पकाने से बाहर आ जाती है।
3. भोजन में भिन्नता लाने के लिए-पकाने से भोजन में भिन्नता लाई जा सकती है। एक ही तरह का भोजन खाने से मन भर जाता है, परन्तु पकाने के भिन्न-भिन्न ढंगों से एक भोजन को भिन्न-भिन्न रूप दिए जा सकते हैं। आलू के परौंठे, आलू चिप्स, आलू के पकौड़े, आलू चाट आदि आलू को भिन्न-भिन्न ढंगों से पका कर लाई भिन्नता की निशानी है। पकाते समय एक भोजन को भिन्न-भिन्न भोजनों से मिलाकर भी भिन्नता लाई जा सकती है।
4. अधिक समय तक सुरक्षित रखने के लिए-पका हुआ भोजन प्रायः कच्चे भोजन से अधिक समय तक सुरक्षित रह सकता है। जैसे उबाला हुआ दूध अधिक समय के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। इसी सिद्धान्त के आधार पर ही दूध को पास्चराइज़ भी किया जाता है। इसीलिए मक्खन से घी तथा कच्चे पनीर से तला हुआ पनीर काफ़ी समय तक सुरक्षित रहते हैं।
5. कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए-पकाने से भोजन को खराब करने वाले हानिकारक बैक्टीरिया तथा सूक्ष्मदर्शी जीवाणु मर जाते हैं क्योंकि 40°C से अधिक तापमान पर बैक्टीरिया की वृद्धि रुक जाती है तथा 60°C से अधिक तापमान पर भोजन पकाने से जीवाणुओं के स्पोरज़ भी मर जाते हैं। इसीलिए जब कोई महामारी फैलती है तो पीने वाला पानी भी उबाला जाता है। इस तरह भोजन पदार्थों को पकाने से इनके अन्दर वाले कीटाणु मर जाते हैं तथा इस तरह भोजन स्वास्थ्य के पक्ष से भी लाभदायक हो जाता है।
6. पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए-पकाते समय दो अथवा अधिक भोजन पदार्थों को मिलाकर पकाया जा सकता है। इस तरह भोजन की पौष्टिकता में सुधार लाया जा सकता है। जैसे दो अथवा तीन दालें इकट्ठी मिलाकर बनाई जाएं अथवा कई सब्जियां आलूगाजर-मटर, बंद गोभी, मटर-आलू, पालक गाजर, आलू आदि की सब्जी को बनाने से भोजन के पौष्टिक तत्त्वों में वृद्धि होती है। आटे में बेसन अथवा सोयाबीन का आटा मिला लिया जाये अथवा आटा गूंथते समय मूली, मेथी आदि मिला लिए जाए तो ऐसे आटे के परौंठे अधिक पौष्टिक हो जाते हैं। इसी तरह एक भोजन के पौष्टिक तत्त्वों की कमी दूसरा भोजन पूरी कर देता है। इसी तरह अनाज तथा दालें इकट्ठी खाने से बढ़िया प्रोटीन प्राप्त हो जाते हैं।
प्रश्न 30.
खाना पकाने के कौन-कौन से तरीके हैं? किन्हीं दो के बारे में बताओ।
उत्तर-
भोजन पकाने के तीन तरीके हैं
- सूखे सेंक से पकाना
- गीले सेंक अथवा पानी से पकाना
- घी तथा तेल में पकाना।
1. सूखे सेंक से पकानासूखे सेंक से पकाने के निम्नलिखित तरीके हैं(i) सेंकना (i) भूनना तथा (iii) बेक करना।
- सेंकना- भोजन पदार्थ को सीधे ही आग पर रखकर पकाने को सेंकना कहते हैं। जैसे- मांस, मुर्गा आदि को लोहे की सलाखों पर लगाकर सीधी आग पर रखकर सेंके जाते हैं।
- भूनना-भोजन पदार्थों को किसी धातु के बर्तन में डालकर आग पर रखकर अप्रत्यक्ष सेंका जाता है। इसे भूनना कहते हैं। जैसे कड़ी में रेत को गर्म करके इसमें दाने भूने जाते हैं।
- बेक करना-भोजन पदार्थ को किसी भट्ठी अथवा ओवन में बन्द करके गर्म हवा से पकाने को बेक करना कहते हैं। जैसे-बिस्कुट, ब्रेड, केक, खताइयां आदि को इसी तरह पकाया जाता है।
2. घी तथा तेल में पकानाभोजन को तीन तरीकों द्वारा तला जा सकता है
(i) सूखा भूनना तलना (ii) कम घी में तलना (iii) खुले घी में तलना।
- सूखा भूनना तलना-थोड़ा-सा घी बर्तन को लगाकर भोजन पदार्थ को इसमें पकाकर आग पर रखकर पकाया जाता है तथा भोजन पदार्थ को जल्दी-जल्दी हिलाया जाता है। घी को भोजन पदार्थ सोख लेता है।
- कम घी में तलना-इसमें फ्राइंग पैन अथवा तवे पर थोड़ा सा घी डालकर भोजन पदार्थ को तला जाता है। परौंठे, आमलेट आदि इसी तरह तले जाते हैं।
- खुले घी में तलना-इस तरीके से में खुले मुंह वाले बर्तन अथवा कड़ाही में काफ़ी सारा घी अथवा तेल लेकर इसे गर्म करके भोजन पदार्थ को इसमें तला जाता है। घी इतना होता है कि सारा भोजन पदार्थ इसमें डूब जाये।
पकौड़े, जलेबियां आदि इसी ढंग से बनाये जाते हैं।
प्रश्न 31.
किस तरीके से पकाया भोजन सबसे स्वादिष्ट होता है?
उत्तर-
भाप से भोजन पकाना एक उत्तम तरीका है। इसमें भोजन को उबलते पानी को भाप से पकाया जाता है। भाप से पकाने के तीन तरीके हैं प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष तथा दबाव में भाप से पकाना।
- प्रत्यक्ष-किसी खुले पतीले में पानी डालकर इसको उबालकर भाप बनाई जाती है तथा भोजन पदार्थ को किसी छननीदार बर्तन में डालकर इस पतीले पर रख दिया जाता है। इस तरह भोजन पदार्थ सीधे भाप के सम्पर्क में आता है तथा पककर तैयार हो जाता है। परन्तु इस ढंग से भोजन पकाते समय भोजन के कई आवश्यक खाद्य तत्त्व पानी में गिरते रहते हैं तथा विटामिन ऑक्सीकरण द्वारा नष्ट हो जाते हैं। इस ढंग से ईंधन का खर्च भी अधिक होता है। परन्तु इस तरह पका हुआ भोजन आसानी से पचने योग्य होता है। इडली इसी तरह बनाई जाती है।
हानियां-इस तरीके से भोजन पकाते समय भोजन के कई आवश्यक खुराकी तत्त्व पानी में गिरते रहते हैं और विटामिन ऑक्सीकरण द्वारा नष्ट हो जाते हैं, इस ढंग से ईंधन का खर्च अधिक होता है। - अप्रत्यक्ष- इस तरीके से भोजन पदार्थ को किसी डिब्बे में बंद करके भाप के सम्पर्क में लाया जाता है तथा भाप का सीधा सम्पर्क भोजन पदार्थ से नहीं होता। इसलिए इसे भाप द्वारा भोजन पकाने का अप्रत्यक्ष ढंग कहा जाता है। इस ढंग में भोजन के खाद्य तत्त्व नाम मात्र नष्ट होते हैं तथा सुगन्ध भी कायम रहती है। कई तरह के कस्टर्ड तथा पुडिंग इस ढंग से तैयार किये जाते हैं। इस तरीके से, पकाए खाने को गर्म भी किया जा सकता है।
भाप से पकाये भोजन हल्के होते हैं इसलिए रोगियों को देने की सिफ़ारिश की जाती है। - दबाव में भाप से पकाना-भाप से भोजन पकाने का यह सबसे बढ़िया तरीका है। इस ढंग में प्रैशर कुक्कर का प्रयोग करके खाना पकाया जाता है। प्रैशर कुक्कर में थोड़ा-सा पानी डालकर प्रैशर में भाप की गर्मी से इसमें खाना पकाया जाता है।
प्रेशर कुक्कर पर एक भार लगा होता है जो प्रैशर (दबाव) को नियन्त्रित करता है। जब भाप अधिक बन जाती है तो भार ऊपर उठ जाता है तथा भाप बाहर निकल जाती है। प्रैशर कुक्कर के प्रयोग से समय तथा ईंधन की काफ़ी बचत होती है। प्रेशर कुक्कर को कभी भी दो तिहाई (2/3) से अधिक न भरें। इस ढंग में भोजन पदार्थों के पौष्टिक तत्त्व नष्ट नहीं होते तथा भोजन आसानी से पचने योग्य होता है।
प्रश्न 32.
पकाते समय पौष्टिक तत्त्वों को बचाने के लिए किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर-
- फलों तथा हरी सब्जियों के छिलके के नीचे वाली परत में विटामिन तथा खनिज पदार्थ होते हैं। इसलिए जहां तक हो सके इन्हें छिलके समेत पकाया जाना चाहिए अथवा फिर छिलका बहुत बारीक उतारना चाहिए।
- सब्जियों को काटने से पहले अच्छी तरह धो लेना चाहिए। पकाने के लिए सब्जियों के टुकड़े बहुत बारीक न करो क्योंकि जितने टुकड़े अधिक होंगे उतना ही विटामिनों तथा खनिज पदार्थों का नुकसान भी अधिक होगा।
- सब्जियों को काटने अथवा फलियों से दाने निकालने का काम खाना पकाते समय ही करें।
- भोजन पकाने के लिए कम-से-कम पानी का प्रयोग करना चाहिए अथवा फिर जिस पानी में भोजन पकाया जाये उसे फेंकने की जगह किसी दूसरे पकवान में प्रयोग कर लेना चाहिए।
- खाने वाले भोजन पदार्थों को कम-से-कम समय के लिए इतना पकाओ कि वह गलकर खाने योग्य हो जाएं। अधिक समय तक पकाने से पौष्टिक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
- विटामिन तथा खनिज पदार्थ अनाजों की ऊपरि परत में ही होते हैं इसलिए बिना छाने आटे तथा बिना पॉलिश किये चावल अथवा दालों आदि का ही प्रयोग करो।
- भोजन को सदा ढककर ही पकाएं क्योंकि खुले बर्तन में पकाने से भी उड़ने वाले खाद्य तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
- प्रैशर कुक्कर के प्रयोग से तत्त्वों का कम-से-कम नुकसान होता है तथा समय तथा ईंधन की बचत भी होती है।
- भोजन को जल्दी पकाने के लिए सोडा तथा बेकिंग पाऊडर का प्रयोग न करें क्योंकि इनके प्रयोग से भी पौष्टिक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
- तलने के लिए घी बहुत ज्यादा गर्म न करें।
प्रश्न 33.
धीमी आंच पर खाना पकाने और सूखे सेंक से खाना पकाने में क्या अन्तर है? इन तरीकों में से सबसे उत्तम तरीका कौन-सा है और क्यों?
उत्तर-
सूखे सेंक से पकाना | धीमी आंच पर पकाना |
(i) इसमें भोजन पदार्थ को सीधे ही आंच मौजूदगी पर रख कर पकाया जाता है। | (i) इसमें भोजन पदार्थ को पानी की में पकाया जाता है। |
(ii) इस तरीके से भोजन पकाने के तीन धीमी ढंग हैं-सेंकना, भूनना तथा बेक पकाया करना। | (ii) इस तरीके से भोजन पकाने के लिए आंच पर थोड़े पानी में पकाना भोजन जाता है। |
(iii) इसमें भोजन पदार्थों के खुराकी से-कम नष्ट होते हैं। | (iii) इसमें भोजन के खुराकी तत्त्व कमतत्त्व नष्ट हो जाते हैं। |
(iv) इस तरीके से पकाया भोजन रोगियों के के लिए बढ़िया नहीं होता। | (iv) इस तरके से पकाया भोजन रोगियों लिए बढ़िया होता है। |
धीमी आंच पर गीले सेंक से खाना पकाने का ढंग बढ़िया है क्योंकि इस तरह पकाये भोजन में से खुराकी तत्त्व नष्ट नहीं होते तथा भोजन पचने योग्य भी होता है।
प्रश्न 34.
खाना पकाने का भोजन के तत्त्वों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
खाद्य पदार्थों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, चर्बी, विटामिन तथा खनिज लवण आदि खाद्य तत्त्वों पर ताप का अलग-अलग तरीके से प्रभाव पड़ता है।
- कार्बोहाइड्रेट्स
- निशास्ते के कण पानी में पकाने पर पानी सोख कर फूल जाते हैं तथा फट जाते हैं तथा पानी में घुल जाते हैं तथा फिर पचने योग्य हो जाता है।
- सेंकने से निशास्ता डैक्सिट्रन तथा फिर शर्करा में बदल जाता है जिसको पचाना आसान होता है।
- चीनी गर्म करने पर पिघलती है। बिना पानी के पकाई चीनी भूरे रंग की हो जाती है। इसको कैरामलाइज्ज़ चीनी कहा जाता है तथा इससे कस्टर्ड, पुडिंग आदि का रंग तथा स्वाद अच्छा हो जाता है।
- प्रोटीन-गर्म करने पर प्रोटीन जम तथा सिकुड़ जाता है तथा कुछ हानिकारक एन्ज़ाइम जोकि विटामिनों को नष्ट करते हैं, पकाने से नष्ट हो जाते हैं। पशु प्रोटीन अधिक पकाने पर सख्त हो जाते हैं। इसलिए इन्हें कम ताप पर धीरे-धीरे पकाना चाहिए ताकि वे जल्दी पच सकें परन्तु पौधों से मिलने वाली प्रोटीन (चने, मटर, सोयाबीन आदि) को पानी में अधिक ताप पर पकाना चाहिए। इससे यह जल्दी पच जाते हैं तथा स्वादिष्ट भी बनते हैं।
- चर्बी-अधिक देर तक चर्बी को गर्म करने पर इसका विघटन हो जाता है तथा यह अम्लों में बदल जाती है तथा इसका स्वाद तथा सुगन्ध भी खराब हो जाते हैं तथा चर्बी जल्दी नहीं पचती। इसीलिए बार-बार एक ही तेल में नहीं तलना चाहिए। इसी तरह कम ताप पर चर्बी को गर्म करने पर खाद्य पदार्थ अधिक चर्बी सोख लेते हैं तथा इन्हें पचाना कठिन है।
- विटामिन-अधिक देर तक तेज़ आग पर पकाने से विटामिन ‘बी’ की काफ़ी मात्रा तथा विटामिन ‘सी’ नष्ट हो जाते हैं। उबलते पानी में सब्जियां पकाई जाएं तो कम विटामिन नष्ट होते हैं। तलने तथा भूनने से भी विटामिन नष्ट हो जाते हैं। विटामिन ‘ए’ तथा ‘डी’ पर गर्मी का अधिक प्रभाव नहीं होता। सोडा डालकर भोजन पकाने से भी विटामिन नष्ट हो जाते हैं।
- खनिज लवण-खनिज लवण पकाते समय पानी में घुल जाते हैं। इसीलिए इस पानी को तरी की तरह प्रयोग कर लेना चाहिए, फेंकना नहीं चाहिए। उबालने से सोडियम भी नष्ट हो जाता है। इसकी कमी नमक डालकर पूरी की जा सकती है। दूध उबालने पर थोड़ी कैल्शियम भी नष्ट होती है।
Home Science Guide for Class 9 PSEB भोजन पकाना Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
रिक्त स्थान भरें
- भाप से पकाने के ……………. ढंग हैं।
- अधिक समय तक भोजन पकाया जाए तो …………. तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
- बैक्टीरिया की …………….. °C पर वृद्धि रुक जाती है।
- बीमारों के लिए …………………. खाना ठीक रहता है।
- इडली को …………………. ढंग से पकाया जाता है।
उत्तर-
- तीन,
- पौष्टिक,
- 40,
- उबला,
- भाप।
एक शब्द में उत्तर दें
प्रश्न 1.
बेक करके पकाई जाने वाली एक वस्तु बताएं।
उत्तर-
केक।
प्रश्न 2.
तले भोजन की एक हानि बताएं।
उत्तर-
शीघ्र पचता नहीं।
प्रश्न 3.
जीवाणुओं के स्पोरज़ कितने तापमान पर मर जाते हैं?
उत्तर-
60°C.
प्रश्न 4.
कौन-से विटामिन पर गर्मी का प्रभाव नहीं पड़ता?
उत्तर-
विटामिन ‘ए’ तथा ‘डी’।
प्रश्न 5.
बिना पानी के पकाई चीनी को क्या कहते हैं?
उत्तर-
कैरेमालाइज़ड।
ठीक/ग़लत बताएं
- बैक्टीरिया की 40°C पर वृद्धि रुक जाती है।
- सूखे सेंक से पकाने के तीन ढंग होते हैं।
- ज्यादा समय तक पकाना अच्छा है।
- दो या अधिक भोजन मिला कर पकाना अच्छा है।
- तले भोजन स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छे हैं।
उत्तर-
- ठीक,
- ठीक,
- ग़लत,
- ग़लत,
- ग़लत।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
तलने के ढंग हैं
(A) सूखा भूनना तलना
(B) कम घी में तलना ।
(C) खुले घी में तलना
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।
प्रश्न 2.
ठीक तथ्य हैं
(A) रोगी के लिए उबला हुआ भोजन ठीक रहता है
(B) तले भोजन जल्दी पचते नहीं
(C) भाप से बना खाना पकाना सबसे अच्छा ढंग है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।
प्रश्न 3.
सूखे सेंक से पकाने के ढंग हैं
(A) सेंकना
(B) भूनना
(C) वेक करना
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।
प्रश्न 4.
भोजन पकाने के कारण हैं
(A) भोजन को पचने योग्य बनाना
(B) भोजन में भिन्नता लाना
(C) कीटाणुओं को नष्ट करना
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(A) भोजन को पचने योग्य बनाना
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
सम्पूर्ण भोजन क्या होता है? किन्हीं दो सम्पूर्ण भोजन पदार्थों के नाम लिखो।
उत्तर-
सम्पूर्ण भोजन वह होता है जिसमें शरीर के लिए आवश्यक सभी पौष्टिक तत्त्व होते हैं। दूध तथा अण्डे को सम्पूर्ण भोजन माना जाता है।
प्रश्न 2.
दाने कौन-सी विधि द्वारा पकाये जाते हैं ? इस विधि द्वारा और क्या बनाया जाता है?
उत्तर-
दानों को कढ़ाही में रेत गर्म करके भूना जाता है। बैंगन को गर्म राख में भूना जाता है तथा शकरकंदी को भी इसी तरह भूना जाता है।
प्रश्न 3.
सीधी तेज़ आंच पर रखकर पकाने का क्या नुकसान है?
उत्तर-
सीधी तेज़ आंच पर रखकर पकाने से बाहरी परत जल जाती है तथा कई पौष्टिक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
प्रश्न 4.
जिस पानी में भोजन पकाया जाये, उसे फेंकना क्यों नहीं चाहिए?
उत्तर-
जिस पानी में भोजन पकाया जाये उसे इसलिए नहीं फेंकना चाहिए क्योंकि उसमें खनिज लवण घुल जाते हैं तथा पानी फेंकने से यह पौष्टिक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
प्रश्न 5.
कौन-से भोजन पदार्थों को बिना पकाये खाया नहीं जा सकता? सूची बनाओ।
उत्तर-
निम्नलिखित भोजन पदार्थों को बिना पकाये नहीं खाया जा सकता, जैसेअनाज, दालें, मांस, मछली, अण्डा आदि।
प्रश्न 6.
भोजन को प्रैशर कुक्कर में पकाने के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
प्रैशर कुक्कर में पका हुआ भोजन पौष्टिक होता है तथा इससे ईंधन की भी बचत होती है।
प्रश्न 7.
फल तथा सब्जियों के छिलके क्यों नहीं उतारने चाहिएं?
उत्तर-
फल तथा सब्जियों के छिलके की निचली परत में पौष्टिक तत्त्व अधिक होते हैं। इसलिए फल तथा सब्जियों को बिना छीले ही प्रयोग में लाना चाहिए।
प्रश्न 8.
बिना छना आटा क्यों प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर-
भोजन की पौष्टिकता बनाये रखने के लिए बिना छना आटा प्रयोग करना चाहिए क्योंकि छान बूरे को निकालने से विटामिन तथा खनिज नष्ट हो जाते हैं।
प्रश्न 9.
तले हुए भोजन से क्या नुकसान होते हैं?
उत्तर-
तले हुए भोजन से मोटापा होता है तथा अधिक तलने से विटामिन भी नष्ट हो जाते हैं तथा तला हुआ भोजन पचाना कठिन हो जाता है।
प्रश्न 10.
भट्ठी में भोजन पकाते समय क्या सावधानियां रखनी चाहिएं?
उत्तर-
भट्ठी में भोजन पकाने के लिए भट्ठी पहले से तपी होनी चाहिए तथा एक बार भोजन रखकर उसे बार-बार नहीं खोलना चाहिए।
प्रश्न 11.
भाप द्वारा भोजन पकाने का अप्रत्यक्ष ढंग से अभिप्राय है?
उत्तर-
इस ढंग से भोजन पदार्थ को किसी डिब्बे में बन्द कर दिया जाता है तथा डिब्बे को भाप से गर्म करके बीच के पदार्थ को पकाया जाता है।
प्रश्न 12.
सब्जियों के छोटे टुकड़े क्यों नहीं काटने चाहिएं?
उत्तर-
क्योंकि छोटे-छोटे टुकड़ों से खनिज पदार्थों तथा विटामिनों की अधिक हानि होगी।
प्रश्न 13.
कैरामालाइज्ड चीनी क्या होती है?
उत्तर-
चीनी को जब बिना पानी के पकाया जाता है तो यह भूरे रंग की हो जाती है, इसको कैरामालाइज्ड चीनी कहते हैं।
प्रश्न 14.
कौन-कौन से भोजन पदार्थों को भूना जा सकता है?
उत्तर-
निम्नलिखित भोजन पदार्थों को भूना जा सकता है
- आलू
- बैंगन
- माँस के टुकड़े
- मुर्गा
- मक्की की छल्ली
- रोटी
- मछली
- दाने।
प्रश्न 15.
फलों का स्टियू बनाने के लिए कौन-सी विधि का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
फलों का स्टियू बनाने के लिए सेब अथवा नाशपाती को थोड़े पानी में चीनी डालकर धीमी आंच पर रखकर पकाया जाता है।
प्रश्न 16.
भोजन पदार्थों को कैसे भूना जा सकता है? कोई दो उदाहरणे दो।
उत्तर-
किसी धातु के बर्तन को आग पर रखकर अथवा अप्रत्यक्ष सेंक से भोजन पदार्थों को भूना जाता है। जैसे कड़ाही में रेत डालकर दाने भूने जाते हैं तथा बैंगन को गर्म राख में रखकर भूना जाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पके हुए भोजन तथा कच्चे भोजन में क्या अन्तर है?
उत्तर-
पका हुआ भोजन | कच्चा भोजन |
(i) पका हुआ भोजन नर्म हो जाता है, तथा चबाने तथा पचाने में आसान होता है। | (i) कच्चा भोजन कठोर होता है। इसलिए इसे चबाना, पचाना कठिन होता है। |
(ii) पके हुए भोजन का रंग-रूप, स्वाद तथा खुशबू अच्छे हो जाते हैं। | (ii) बिना पकाये भोजन देखने अथवा खाने तथा खुशबू में अच्छे नहीं होते। |
(iii) पकाने से अधिक तापमान के कारण कई हानिकारक कीटाणु मर जाते हैं। | (iii) कच्चे भोजन में कई हानिकारक कीटाणु होते हैं जो स्वास्थ्य को हानि पहँचाते हैं। |
(iv) पकाने से एक ही वस्तु को विभिन्न तरीकों से बनाया जा सकता है। | (iv) यदि भोजन को न पकाया जाए तथा इसे एक ही रूप में खाया जाये तो उससे जल्दी मन भर जाता है। |
(v) पकाने से भोजन को अधिक देर तक सुरक्षित रखा जा सकता है। | (v) कच्चा भोजन जल्दी खराब हो जाता है। उसमें जीवाणु पैदा हो जाते हैं। |
प्रश्न 2.
उबालने तथा तलने के लाभ तथा हानियां लिखो।
उत्तर-
उबालने तथा तलने के निम्नलिखित लाभ तथा हानियां हैंउबालने के लाभ —
- उबला हुआ भोजन आसानी से पचने योग्य होता है।
- इस विधि में भोजन के पौष्टिक तत्त्व कम नष्ट होते हैं।
- यह विधि सरल तथा कम खर्चीली है।
- प्रैशर कुक्कर में खाद्य पदार्थ उबालने से समय तथा ईंधन की भी बचत होती है।
उबालने की हानियां —
- अधिक तेजी से पानी शीघ्र सूख जाता है तथा अधिक ईंधन खर्च होता है।
- इस विधि में वस्तु जल्दी नहीं पकती।
तलने के लाभ —
- तला हुआ भोजन अधिक स्वादिष्ट हो जाता है।
- भोजन पदार्थों का चिकनाहट से संयोग होने के कारण कैलोरी भार अधिक बढ़ जाता है।
- तले हुए पदार्थ शीघ्र खराब नहीं होते।
तलने के दोष —
- अधिक तलने-भूनने से कुछ पौष्टिक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
- भोजन भारी हो जाता है।
- भोजन पचने योग्य न होने के कारण कभी-कभी पाचन बिगड़ जाता है।
प्रश्न 3.
बेक करने तथा भूनने में क्या अन्तर है?
उत्तर-
बेक करने तथा भूनने में निम्नलिखित अन्तर हैं —
बेक करना | भूनना |
(i) इसमें पदार्थ को बन्द गर्म भट्ठी में रखकर गर्मी से पकाया जाता है। | (i) इसमें पदार्थ को थोड़ी-सी चिकनाहट लगाकर सेंका जाता है। |
(ii) भोजन वाले बर्तन को पहले अधिक तथा फिर कम सेंक पर रखा जाता है। | (ii) इसमें भोजन पदार्थ को सीधा ही आंच पर पकाया जाता है। |
(iii) इसमें भट्ठी का तापमान बराबर चाहिए। | (iii) इसमें भट्ठी का तापमान सदा मद्धम रहना रहना चाहिए। |
(iv) इसमें पानी के बिना भोजन के सभी जाते हैं0964 | (iv) इसमें भोजन के तत्त्व भी आग में गिर तत्त्व सुरक्षित रहते हैं। |
(v) इसमें कच्चे केले तथा अन्य फलों को भी मसाला लगाकर पकाया जाता है। | (v) इसमें दाने भट्ठी तथा कढ़ाही में रेत डाल कर भूने जाते हैं। |
प्रश्न 4.
उबालते समय कौन-सी बातों को ध्यान में रखोगे?
उत्तर-
- भोजन पदार्थों को उबालने से पहले अच्छी तरह धो लेना चाहिए।
- बर्तन अथवा पतीला ऐसा हो जिसका ढक्कन अच्छी तरह फिट हो जाये ताकि भाप कम-से-कम बाहर निकले तथा भोजन सूख कर न जले।
- ज़रूरत से अधिक न उबालें क्योंकि अधिक पका भोजन रंग, स्वाद तथा आकार के पक्ष से बिगड़ जाता है।
- आल या जड़ों वाली सब्जियों को छिलका उतारे बिना ही उबालना चाहिए।
प्रश्न 5.
टेबल सैट करने के लिए ध्यान रखने योग्य कौन-सी बातें हैं?
उत्तर-
- जिस कमरे में तथा मेज़ पर भोजन खाना होता है उनकी सफ़ाई सबसे ज़रूरी है। थालियां, कटोरियां, गिलास, चम्मच तथा अन्य सभी तरह के बर्तन अच्छी तरह से साफ़ किये होने चाहिएं। इन्हें सुखा कर रख लेना चाहिए। मेज़पोश तथा सभी टेबल नैप्किन भी अच्छी तरह साफ़ तथा प्रेस किये होने चाहिएं।
- मेज़ पर पड़ी चीजें इतनी दूर हों कि खाने वालों की पहुंच में हों। टेबल के एक ही तरफ सभी चीजें इकट्ठी नहीं कर लेनी चाहिएं।
- सभी प्लेटें तथा बर्तन इस ढंग से रखो कि खाने वालों को कोई कठिनाई न आये।
- मेज पर एक व्यक्ति के खाने के लिए इतनी जगह ज़रूर हो कि दूसरे व्यक्ति को कोई रुकावट न हो।
- टेबल सैट करने के लिए सरल तरीकों का प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्न 6.
फैमिली स्टाइल मेज़ सैट करने के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
फैमिली स्टाइल में सभी व्यक्ति एक मेज़ पर बैठकर खाना खाते हैं। प्रत्येक की के आगे एक व्यक्ति के लिए आवश्यक बर्तन रख दिये जाते हैं। भोजन की योजनाबन्दी अनुसार मेज़ सैट किया जाता है। फैमिली स्टाइल में मेज़ सैट करने के लिए साधारण नियम निम्नलिखित अनुसार हैं
- टेबल पर जितने व्यक्तियों ने भोजन ग्रहण करना हो, उस अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्लेटें, गिलास, कटोरियां, चम्मच आदि इकट्ठे करके पोंछ कर रख दो तथा मेज़ पर उतने ही टेबल मैट्स भी बिछा दो।
- टेबल मैट मेज़ के किनारे के साथ बिछाकर किनारे से 2.5 सेंटीमीटर स्थान छोड़कर टेबल मैट के बीच एक बड़ी प्लेट रखी जाती है।
- प्लेट के दाईं ओर चम्मच तथा छुरी रखो तथा बाईं और हाथ का कांटा रखो। छुरी का तीखा सिरा प्लेट की ओर रखना चाहिए। सभी चीजों का डण्डी वाला हिस्सा टेबल के किनारे की ओर अर्थात् व्यक्ति की ओर रखना चाहिए। इन्हें प्लेट से 2.5 सेंटीमीटर स्थान छोड़कर बिल्कुल सीधा रखना चाहिए।
- नैप्किन प्लेट के दाईं ओर सादा सी परत लगा के रखा जाता है।
- पानी का गिलास चम्मच के सिरे पर रखा जाता है।
- सभी पकवान मेज़ के बीच एक लाइन में रखे जाते हैं। कड़छियां प्रत्येक सब्जी के साथ दाईं ओर रखी जाती हैं तथा इनकी डण्डी वाला हिस्सा जिस तरफ मेहमान बैठे हों उस तरफ होना चाहिए।
- मेज़ सजाने के लिए मेज़ के बीच में अथवा एक कोने पर एक छोटा-सा फूलों का गुलदस्ता रखना चाहिए। परन्तु फूल खुशबूदार नहीं होने चाहिएं क्योंकि फूलों की गहरी सुगन्ध में भोजन की सुगन्ध दब जाएगी।
- पकवान मेज़ पर रखते समय यह ध्यान रखो कि मेहमान की तरफ सबसे पहले स्लाद, फिर चपातियां अथवा चावल, फिर सब्जियां, दही, अचार आदि रखा जाये।
प्रश्न 7.
बुफे स्टाइल में मेज़ सैट करने के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
इस प्रकार की सैटिंग तब की जाती है जब बड़ी चाय पार्टी अथवा बहुत सारे लोगों को खाने की दावत देनी हो। इसमें मेहमान मेज़ से खाने वाली चीजें प्लेटों में डालकर, खड़े होकर अथवा किसी अन्य स्थान पर बैठ कर खाते हैं। इसका तरीका निम्नलिखित है
- मेहमानों की संख्या के अनुमान अनुसार उतनी ही संख्या में प्लेटें, चम्मच, कप, गिलास तथा नैप्किन ले लें।
- एक बड़े टेबल पर खाने-पीने वाली चीजें रखने का इन्तज़ाम कर लेना चाहिए।
- एक तरफ नैप्किन, फिर प्लेटें तथा चम्मच रखने चाहिएं। यदि चाय पार्टी हो तो छोटी प्लेटें रखनी चाहिएं। यदि भोजन खिलाना हो तो बड़ी प्लेटें रखनी चाहिएं।
- फिर मेज़ के बीच एक लाइन में सभी खाने वाली चीजें रख देनी चाहिएं। मेहमानों को नैप्किनों वाली तरफ आरम्भ करने के लिए कहना चाहिए। कमरे के बाकी हिस्से में दीवारों के साथ-साथ मेहमानों के बैठने का प्रबन्ध किया जा सकता है। यदि कमरा छोटा हो तो बुफे स्टाइल की सैटिंग बाहर बरामदे में अथवा किसी खुली जगह पर की जा सकती है।
प्रश्न 8.
भोजन परोसने के तरीके के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
- गृहिणी को अपनी कुर्सी, मेज़ के एक तरफ लेनी चाहिए तथा उसकी कुर्सी रसोई की तरफ होनी चाहिए।
- एक तरफ से एक चीज़ का प्रयोग आरम्भ करने का संकेत गृहिणी को करना चाहिए। आरम्भ होने के बाद एक व्यक्ति इसको लेकर अगले व्यक्ति को देता है। इसी तरह करतेकरते एक खाने वाली चीज़ सभी व्यक्तियों में घूम जानी चाहिए।
- सभी चीजें सभी के पास पहुंच जाने के पश्चात् ही सभी को खाना आरम्भ करना चाहिए। इससे पहले किसी व्यक्ति को खाना आरम्भ नहीं करना चाहिए।
- कभी भी दूसरे व्यक्ति के आगे बाजू लम्बी करके वस्तु नहीं उठानी चाहिए।
- प्लेट एक बार ही वस्तुओं से नहीं भरनी चाहिए।
- जिस बर्तन में पकवान डालकर रखा जाता है वह साफ़-सुथरा होना चाहिए। बर्तन के किनारों पर सब्जी बिल्कुल नहीं लगी होनी चाहिए।
- फलों को काटकर बांटना चाहिए।
- टेबल पर सूप वितरण के पश्चात् खाना बांटना चाहिए।
- सजी हुई प्लेट को अन्य खाने वाली चीज़ों से पहले परोसना चाहिए।
- गृहिणी को प्रत्येक सदस्य का ध्यान रखना चाहिए कि किस व्यक्ति को किस चीज़ की जरूरत है।
- टेबल पर बैठकर उदासी भरी बातें नहीं अपितु खुशी भरी बातें करनी चाहिएं।
- सभी व्यक्ति खाना समाप्त कर लें, तभी मेज़ से उठना चाहिए।
- गृहिणी को खाने वाली चीजें बाईं तरफ से तथा पानी दाईं तरफ से बांटना चाहिए।
प्रयोगी
कुछ भोजन नुस्खे
रोटी (चपाती) बनाना
प्राय: गेहूँ के आटे की रोटी बनाई जाती है। पर सर्दियों में मक्की की तथा बेसन की रोटी भी बनाई जाती है।
गेहूं के आटे की रोटी बनाना
सामान —
- आटा — 200 ग्राम
- पानी — 175 मिली लिटर
- घी अथवा मक्खन — लगाने के लिए
विधि —
- थाली अथवा परात में आटे को विरल छननी से छानो ताकि छान कम-से-कम निकले। बारीक तथा साफ़-सुथरे आटे को छानने की कोई ज़रूरत नहीं होती।
- थोड़ा-सा आटा रखकर बाकी को थोड़ा-थोड़ा पानी डालकर ग्रंथो।
- परात अथवा थाली में गीला हाथ फेरकर दबावों से आटा गूंथो ताकि यह एक सा हो जाये।
- फिर इसे मलमल के गीले कपड़े से 15-20 मिनट के लिए ढक कर रख दो।
- एक बार फिर परात में गीला हाथ फेरकर दबावों से आटा गूंथों तथा ढककर रख लो।
- तवे को साफ़ करके गर्म होने के लिए आग पर रख दो।
- आटे के छोटे-छोटे पेड़े करें।
- पेड़े को सूखा आटा लगाकर दोनों हाथों की उंगलियों से दबा कर चपटा करें।
- फिर से पलाथी लगाकर चपटे किये पेड़े को चकले पर रख कर बेलन से पतली रोटी बेल लो।
- बेली हुई रोटी को गर्म तवे पर डाल दो।
- ऊपर से शुष्क हो जाये तो रोटी को उल्टा दो।
- दूसरी तरफ से थोड़ा-सा अधिक सेंक देना चाहिए। जब बादामी रंग के दाग पड़ जायें तो रोटी को उल्टा कर पहली तरफ फिर सेंके।।
- रोटी को कपड़े से थोड़ा-थोड़ा दबाते रहो तकि रोटी फल जाये।
- तवे से उतार कर इच्छानुसार घी अथवा मक्खन से इसको चुपड़ लो।
सादा परांठा
सामान —
- आटा — 200 ग्राम
- पानी — 175 मिली लीटर
- नमक — स्वादानुसार
- घी — 50 ग्राम
विधि —
- आटे में नमक डालकर गूंथो।
- पेड़े बनाकर रोटी बेल लो।
- बेली हुई रोटी के ऊपर की तरफ थोड़ा घी लगाओ।
- अब रोटी का एक तिहाई हिस्सा मोड़ लो तथा अब दूसरी तरफ से भी एक हिस्सा इस मुड़े हुए हिस्से ऊपर मोड़ो।
- इस रोटी को लम्बाई वाले दोनों सिरों को अन्दर की ओर इस तरह मोड़ो कि यह वर्गाकार बन जाये।
- इस को सूखा आटा लगाकर फिर से बेलें।
- इसको गर्म तवे पर डालकर चुपड़ दें।
- हल्का सेंकने के पश्चात् उल्टा दें तथा दूसरी तरफ से भी चुपड़ दो।
- परांठे को उल्टा-उल्टा कर सेंको तथा दोनों तरफ से करारा कर लो।
- सब्जी रायते आदि से गर्म-गर्म परोसो।
मेथी का परांठा
सामान —
- गेहूं का आटा — 225 ग्राम (तीन हिस्से)
- मक्की का आटा — 75 (1 हिस्सा)
- प्याज़ — 10 ग्राम
- हरी मेथी — 20 ग्राम
- हरी मिर्चे — 2
- नमक — स्वादानुसार
विधि —
- मेथी चुनकर तथा धोकर बारीक काटो।
- प्याज तथा हरी मिर्च को भी बारीक-बारीक काटो।
- आटे में नमक, मिर्च, मेथी तथा प्याज़ मिलाकर गूंथ लो।
- पेड़ा बनाकर रोटी बेलो तथा गर्म तवे पर डालकर चुपड़ दो।
- हल्का सेंकने के पश्चात् दूसरी तरफ पलटें तथा इसे भी चुपड़े दो।
- इसको दही अथवा मक्खन से गर्म-गर्म परोसो।
आलुओं का परांठा
सामान—
- गेहूं — 200 ग्राम
- आलू — 100 ग्राम
- छोटा प्याज़ — 1
- हरी मिर्चे — 2
- धनिया — कुछ पत्ते
- अदरक — एक टुकड़ी
- घी — तलने के लिए
- नमक — स्वादानुसार
विधि—
- आटा गूंथ कर तैयार कर लो।
- आलू उबाल कर छील लो तथा ठण्डे होने के पश्चात् इन्हें मसल लो।
- प्याज़, हरी मिर्च, अदरक तथा धनिया को धोकर छोटा-छोटा काट लो। यह सभी कुछ तथा स्वादानुसार नमक मसाले आलुओं में डालकर अच्छी तरह मिला लो।
- आटे का पेड़ा लो तथा थोड़ी-सी मोटी रोटी बेलो तथा घी लगाओ।
- आलुओं का पेड़ा बनाकर बेली हुई रोटी में आलुओं का पेड़ा रखकर रोटी में आलू छिपा दो तथा फिर से पेड़ा बना लो।
- गोल परांठा बेल कर गर्म तवे पर डाल दो।
- परांठा दोनों तरफ से घी तलकर करारा कर लो।
- इसको दही, मक्खन, लस्सी अथवा चाय के साथ गर्म-गर्म परोसें।
नोट-गोभी, मूली के परांठे अथवा किसी अन्य तरह के परांठे बनाने के लिए उपरोक्त विधि का प्रयोग किया जा सकता है।
चावल उबालना
सामान —
- चावल — 1 गिलास
- पानी — 2 गिलास
विधि —
- चावलों को चुनो तथा धो लो तथा पानी को उबलने के लिए रख दो।
- जब पानी उबल रहा हो तो इनमें चावल डालो तथा इन्हें कड़छी से हिलाकर अच्छी तरह ढक दो।
- एक उबाला आने पर दोबारा हिलाओ तथा फिर अच्छी तरह ढक दो।
- सेंक हल्का करो, कुछ मिनटों के पश्चात् चावल खाने योग्य हो जायेंगे।
- चावलों को तरी वाली सब्जी के साथ परोसो।
- चावलों में इच्छानुसार नमक तथा घी भी डाला जा सकता है।
नोट-पुराने चावल नये चावलों से अच्छे रहते हैं पर इनमें नए चावलों से थोड़ा अधिक पानी पड़ता है। नमकीन चावलों को जीरे का तड़का लगाया जा सकता है।
मटर का पुलाव
सामान —
- पानी — 2 गिलास
- चावल — 1 गिलास
- मटर निकाले हुए — 100 ग्राम
- प्याज़ — 1 छोटा
- लौंग — 4
- दाल चीनी — 2 छोटे टुकड़े
- घी — 50 ग्राम
- नमक — स्वादानुसार
- काली मिर्च — 10-12
विधि—
- चावलों को चुनो तथा धो लो।
- घी गर्म करो तथा इसमें लम्बे काटे हुए प्याज भूनो तथा इन्हें किसी कटोरी आदि में निकाल लो।
- फिर उसी घी में दालचीनी, लौंग, काली मिर्च तथा मटर डालकर दो-तीन मिनट तक भूनो।
- धोए हुए चावलों को भी एक मिनट के लिए भूनो तथा नमक तथा पानी डालकर हिलाओ।
- एक उबाल आने के पश्चात् एक बार फिर हिलाओ तथा अच्छी तरह से ढक दो, हल्के सेंक पर बनने दो।
- भुने हुए प्याज़ों से सजाकर परोसो।
नोट-इसी तरह गोभी, आलू, गाजर, फ्रैंच बींस, आलू, धनिया आदि सब्जियां डालकर पुलाव बनाया जा सकता है तथा सब्जियां भी प्रयोग की जा सकती हैं।
राज मांह
सामान —
- राज मांह — 250 ग्राम
- टमाटर — 100 ग्राम
- प्याज़ — 100 ग्राम
- अदरक — एक टुकड़ा
- लहसुन — 6 तुरियां
- गर्म मसाला — 1 चम्मच
- लाल मिर्च तथा नमक — स्वादानुसार
- घी — 100 ग्राम
- पानी — 500 मिली लिटर
विधि —
- राजमांह चुनो तथा रातभर इन्हें पानी में भिगोकर रख दो।
- प्याज़ों को चाकू से बारीक-बारीक काट लो अथवा कद्दू-कस कर लो।
- अदरक तथा लहसुन बारीक-बारीक काट लें तथा टमाटर और हरी मिर्चों को भी काट लो।
- कुक्कर में घी डालकर प्याज़ को भून कर बादामी रंग का कर लो।
- अब इसमें टमाटर, हरी मिर्चे, लहसुन तथा अदरक डालकर तब तक भूनो जब तक कि टमाटर न गल जाएं।
- भीगे हुए राजमांह, मिर्च, नमक तथा पानी कुक्कर में डालकर इन्हें 35 मिनट तक पकने दो।
- अब गर्म मसाले से सजा कर परोसो।
साबुत मूंगी की दाल
सामान —
- मूंगी की दाल — 200 ग्राम
- टमाटर — 100 ग्राम
- पानी — 600 मिलीलिटर
- घी — 100 ग्राम
- अदरक — एक टुकड़ा
- लहसुन — 6 तुरियां
- प्याज़ — 1
- हरी मिर्च — 2
- गर्म मसाला — 1 चम्मच
- हल्दी — 1 चम्मच
विधि —
- दाल को चुनो तथा धो लो।
- अदरक तथा लहसुन बारीक काट लो तथा टमाटर, हरी मिर्च तथा प्याज़ को भी काटो।
- कुक्कर में दाल, लहसुन, अदरक, नमक तथा पानी को डालकर सेंक कर रखो तथा पूरा दबाव बनने के पश्चात् 8 मिनट के लिए पकायो।
- घी गर्म करें प्याज़ भूनो तथा इसके पश्चात् टमाटर तथा हरी मिर्च डालकर पकाओ जब तक कि टमाटर गल न जाएं।
- इस मसाले को दाल में मिलाओ तथा गर्म मसाला डालकर परोसो।
नोट-अन्य दालें जैसे साबुत मसूर तथा धुली मुंगी की दाल आदि भी कुक्कर में इसी विधि से बनाई जा सकती है। पर पूरा दबाव बनने के पश्चात् केवल तीन मिनट के लिए पकाओ। दालों को कुक्कर के बिना धीमी आंच पर भी पकाया जाता है परन्तु इस तरह पानी और ईंधन अधिक लगता है। साबुत माह के लिए 55 मिनट तक पकाओ।
दम आलू
सामान —
- आलू — 500 ग्राम (बहुत छोटे-छोटे)
- घी — 100 ग्राम
- टमाटर — 250 ग्राम
- जीरा — 1/2 चम्मच
- इलायची — 2
- दालचीनी — 1 छोटा टुकड़ा
- अदरक — 1 छोटा टुकड़ा
- हरी मिर्च — 1
- लाल मिर्च — 1 चम्मच अथवा स्वादानुसार
- हल्दी — 1/2 चम्मच
- नमक — स्वादानुसार
विधि —
- उबाल कर आलुओं को छील लो तथा साबुत ही रखो।
- हरी मिर्च तथा टमाटर काट लो।
- अब जीरा, दाल चीनी, इलायची तथा पीसा हुआ अदरक घी में भून लो।
- इस मसाले में हरी मिर्च, टमाटर तथा नमक डालकर भूनो जब तक कि टमाटर गल न जाए।
- इसमें आलू डालकर अच्छी तरह हिलाओ।
- रोटी के साथ इन्हें गर्म-गर्म परोसो।
मटर पनीर
सामान —
- मटर — 500 ग्राम
- पनीर — 200 ग्राम
- घी— 60 ग्राम
- अदरक — 1 टुकड़ा
- प्याज़ — 2
- हल्दी — 1/2 चम्मच
- जीरा — 1/2 चम्मच
- मसाला — 1/2 चम्मच
- हरा धनिया — कुछ पत्ते
- टमाटर — 2
- नमक — स्वादानुसार
विधि—
- पनीर को चौकोर टुकड़ों में काटो तथा तल लें।
- प्याज़ कद्दूकस करो तथा अदरक और हरा धनिया बारीक काट लो।
- घी में प्याज़ भूनो तथा टमाटर, अदरक तथा अन्य मिर्च-मसालों को भी इसमें डाल दो।
- अब इसमें मटर डालो तथा थोड़ी देर पश्चात् इसमें कच्चा अथवा तला हुआ पनीर डालो।
- दो मिनट के लिए पकाओ तथा आग से उतार कर धनिये के हरे पत्तों से सजाकर परोसो।
नोट-आलू मटर, रसमिसे आलू अथवा तरी वाली सब्जियां इसी विधि से ही बनाई जाती हैं।
भिण्डी की सब्जी
सामान —
- भिण्डी — 300 ग्राम
- घी अथवा तेल — 60 ग्राम
- आमचूर — 1/2 चम्मच
- पिसा हुआ धनिया — 1/2चम्मच
- गर्म मसाला — 1/2 चम्मच
- नींबू — 1/2
- प्याज़ — 2
- हरी मिर्च — 2
- नमक मिर्च — स्वादानुसार
विधि —
- भिण्डियों को धोकर तथा सुखाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटो तथा प्याज़ तथा हरी मिर्च को भी काट लो।
- घी अथवा तेल को कड़ाही में डालकर अच्छी तरह गर्म करो तथा बीच में भिण्डियां डाल दो।
- भिण्डियों को थोड़ा सेंक लगाने के पश्चात् प्याज़ भी डाल दो।
- कुछ समय के लिए तलो तथा भिण्डी में लेस होने पर इसमें नींबू निचोड़ दो।
- नमक, मिर्च, आमचूर, हल्दी, धनिया डालकर हल्के सेंक पर तब तक पकाओ जब तक भिण्डी गल न जाये।
- उतारने से पहले इसमें गर्म मसाला डाल दो तथा गर्म-गर्म परोसो।
नोट-साबुत भिण्डी बनानी हो तो भिण्डी को लम्बे रुख चीरा देकर मसाला भर कर तला जाता है।
आलू गोभी
सामान —
- गोभी — 1 किलोग्राम
- आलू — 400 ग्राम
- टमाटर — 150 ग्राम
- घी — 60 ग्राम
- अदरक — 1 टुकड़ा
- प्याज़ — 2
- गर्म मसाला — 1 चम्मच
- हरा धनिया — कुछ पत्ते
- नमक मिर्च — स्वादानुसार
विधि —
- गोभी धोकर सुखा लो और इसके डण्ठल काट दो और धोकर फूल के टुकड़े काट लो और आलुओं को छीलकर काट लो।
- टमाटर, अदरक, हरी मिर्च, प्याज, हरा धनिया काट लो।
- घी में प्याज को भूनो और भूनने के पश्चात् टमाटर, हरी मिर्च और अदरक इस में डाल दो।
- अब इसमें आलू और गोभी डाल कर कड़छी से हिलाओ और पकने के लिए ढक दो।
- जब आलू गल जाएं तो गर्म मसाला और हरा धनिया डाल कर उतार लो। गर्म-गर्म परोसो।
नोट-आलू-गाजर, आलू-मेथी, बेंगन-आलू, बन्दगोभी-मटर आदि सब्जियां बनाने की भी यही विधि है। यदि सब्जी में पानी रह जाए तो पानी सुखा लेना चाहिए।
भरी हुई शिमला मिर्च
सामान —
- शिमला मिर्च — 250 ग्राम
- मटर निकाले हुए — 60 ग्राम
- आलू — 100 ग्राम
- गाजर — 50 ग्राम
- टमाटर — 100 ग्राम
- घी — 50 ग्राम
- जीरा — 1/2 चम्मच
- अदरक — 1 टुकड़ा
- प्याज — 1 टुकड़ा
- हरी मिर्च — 2
- नमक, मिर्च — स्वादानुसार
विधि —
- शिमला मिर्चों को धो लो और ऊपर से काट लो तथा मटर भी छील लो।
- आलुओं की छील उतार लो तथा बारीक काट लो।
- प्याज़ को कद्दूकस करो, टमाटर, अदरक, हरी मिर्च काट लो तथा थोड़े से घी में इन सभी सब्जियों को भून कर पका लो तथा नमक, मिर्च, मसाले भी इस में मिला लो तथा पानी सूख जाने दो।
- यह सब कुछ शिमला मिर्च में भर दो।
- घी को कड़ाही में डालकर गर्म करो तथा शिमला मिर्चों को इसमें तलो।
- पक जाने पर आग से उतारकर रोटी के साथ परोसो। नोट-करेले तथा भरे हुए बैंगन बनाने की यही विधि है।
कोफ्ते
सामान —
- घीआ (नर्म) — 250 ग्राम
- बेसन — 50 ग्राम
- टमाटर — 150 ग्राम
- हल्दी — 1/2 चम्मच
- काली मिर्च — 1/2 चम्मच
- सूखा धनिया — 1/2 चम्मच
- प्याज़ — 3
- अदरक — एक टुकड़ा
- हरी मिर्च — 2
- हरा धनिया — कुछ पत्ते
- गर्म मसाला — 1 चम्मच
- नमक मिर्च — स्वादानुसार
- घी — तलने के लिए
विधि —
- घीआ छील कर धो लो तथा कद्दूकस कर लो।
- कद्दूकस किये घीये में बेसन, सूखा धनिया, काली मिर्च, थोड़ा-सा नमक पानी डालकर गाढ़ा घोल बना लो।
- कड़ाही में घी डालकर गर्म करो तथा जब घी में से धुआँ निकलने लगे तो उपरोक्त घोल के गोल-गोल कोफ्ते बना कर गर्म घी में डालो तथा कोफ्तों को थोड़ा-सा तल कर बाहर निकाल लो।
- प्याज़ तथा अदरक कद्दूकस कर लो तथा हरी मिर्च, हरा धनिया तथा टमाटर बारीक-बारीक काट कर घी में भून कर तरी बना लो।
- नमक, मिर्च, मसाला, पानी डालकर उबाल लो तथा कोफ्ते डालकर कुछ समय तक पकने दो तथा हरे धनिये से सजा कर परोसो।
मीठे पकवान
खीर
सामान —
- दूध — 1 लिटर
- चीनी — 2 बड़े चम्मच
- चावल — 2 बड़े चम्मच
- छोटी इलायची — 1/4 चम्मच
- सूखे मेवे — आवश्यकतानुसार
विधि —
- चावलों को चुन लो तथा धोकर 15 मिनट तक भिगो कर रखो।
- दूध उबालो तथा उबले हुए दूध में चावल डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाते जाओ।
- अच्छी तरह चावल घुल जाएं तो चीनी तथा इलायची डालकर कुछ देर के लिए पकने
- बादाम, किशमिश तथा पिस्ता आदि खीर पर डालकर परोसो।
कस्टरड
सामान —
- दूध — 1/2 लिटर
- कस्टरड पाऊडर — 2 बड़े चम्मच
- चीनी — 4 बड़े चम्मच
विधि —
- कस्टरड को आधा कप दूध में घोलो तथा बाकी दूध को उबाल लो।
- उबले दूध में चीनी तथा कस्टरड वाला दूध धीरे-धीरे डालो तथा दूसरे हाथ से चम्मच से अच्छी तरह दूध को हिलाते जाओ ताकि गिल्टियां न बन जायें। उबाला आ जाये तो आंच से उतार लो। इसको गर्म अथवा ठण्डा करके परोसा जा सकता है। ऋतु अनुसार कस्टरड में फल जैसे केला, आम, अंगूर, सेब तथा सूखे मेवे डाले जा सकते हैं। यदि फल पकाने हों तो कस्टरड को फ्रिज में रखकर अच्छी तरह ठण्डा कर लो। ठण्डे कस्टरड को जैली के साथ परोसा जा सकता है।
सूजी का हलवा
सामान —
- सूजी — 100 ग्राम
- घी — 100 ग्राम
- चीनी — 100 ग्राम
- पानी — 35 मिलीलिटर
- बादाम तथा पिस्ता बारीक कटे हुए — 25 ग्राम
- इलायची — 2
- केसर — 1/4 चाय का चम्मच
विधि —
- चीनी तथा इलायची के छिलकों को पानी में डालकर उबाल लो ताकि चाश्नी बन जाये।
- चाश्नी को पतले कपड़े अथवा बारीक छाननी से छान लो।
- थोड़ा-सा गर्म पानी लेकर केसर घोलो।
- घी को गर्म करो तथा सूजी को धीमी आग पर भूनो।
- जब सूजी हल्की लाल हो जाए तो घी छोड़ दे तो इसमें चाश्नी डाल दो। धीरे-धीरे पकाओ ताकि पानी खुश्क हो जाये।
- इलायची, बादाम, पिस्ता तथा किशमिश मिला दो तथा गर्म-गर्म परोसो।
भोजन पकाना PSEB 9th Class Home Science Notes
- प्रायः शरीर के लिए आवश्यक तत्त्व किसी एक भोजन पदार्थ में नहीं पाये जाते परन्तु अण्डे तथा दूध को सम्पूर्ण भोजन समझा जाता है।
- भोजन पकाने के निम्नलिखित कारण हैं —
भोजन को पकाने योग्य बनाने के लिए स्वाद, सुगन्ध तथा स्वरूप सुधारने के लिए, भोजन में विभिन्नता लाने के लिए, कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए, अधिक समय के लिए भोजन सुरक्षित रखने के लिए, पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए। - भोजन पकाने के लिए निम्नलिखित मुख्य ढंग हैं —
सूखे सेंक के साथ पकाना, गीले सेंक अथवा पानी से पकाना, घी अथवा तेल में पकाना। - सूखे सेंक से पकाने के तीन ढंग हैं —
सेंकना, भूनना तथा बेक करना। - गीले सेंक अथवा पानी से पकाने के लिए तीन ढंग हैं — उबालना, धीमी च पर थोड़े पानी में पकाना, भाप से पकाना। भाप से पकाने के आगे फिर तीन ढंग हैं — प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष, दबाव में भाप से पकाना।
- घी अथवा तेल में पकाने के तीन ढंग हैं — सूखा भूनना ,तलना, कम घी में तलना, खुले घी में तलना।
- अधिक समय तक भोजन पकाया जाए तो खुराकी तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।