Punjab State Board PSEB 9th Class Science Book Solutions Chapter 12 ध्वनि Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 9 Science Chapter 12 ध्वनि
PSEB 9th Class Science Guide ध्वनि Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
ध्वनि क्या है और कैसे उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
ध्वनि- ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में सुनने का अनुभव पैदा करती है।
ध्वनि उत्पन्न करना-हम भिन्न-भिन्न वस्तुओं में तुनका लगाकर, रगड़ कर, फूंक मार कर अथवा उनको हिलाकर ध्वनि उत्पन्न कर सकते हैं। अर्थात् वस्तुओं में कंपन पैदा करके ध्वनि उत्पन्न की जा सकती है। कंपन का अर्थ है किसी वस्तु को तीव्रता से बार-बार इधर-ऊधर गति कराना।
प्रश्न 2.
एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं ?
उत्तर-
ध्वनि के संचरण के लिए वायु सबसे अच्छा और सामान्य माध्यम है। वायु में उत्पन्न कोई ध्वनि जब कोई कंपमान वस्तु आगे की ओर करती है तो अपने सामने की वायु को पीछे धक्का देकर संपीडित करती है। इससे एक उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है। इसे संपीडन (C) कहते हैं। यह संपीडन कंपमान वस्तु से दूर आगे की ओर गति करता है। जब कंपमान वस्तु पीछे की ओर कंपन करती है तो एक निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है जिसे विरलन (R) कहते हैं जब वस्तु आगे और पीछे तेज़ी से गति करती है तो वायु में संपीडन और विरलन की एक श्रेणी बन जाती है। यही संपीडन और विरलन ध्वनि तरंग उत्पन्न करते हैं जो माध्यम से होकर संचरित होती है। संपीडन उच्च दाब का और विरलन निम्न दाब का क्षेत्र है।
प्रश्न 3.
किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
ध्वनि संचरण के लिए द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता – ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है तथा इसके संचरण के लिए किसी पदार्थ जैसे वायु, जल, स्टील आदि का होना आवश्यक है। ध्वनि निर्वात में नहीं चल सकती है। इसे निम्नलिखित प्रयोग द्वारा दर्शाया जा सकता है :
प्रयोग – एक विदयुत् घंटी और एक काँच का वायुरुद्ध बेलजार लो। विद्युत् घंटी को बेलजार में कार्क की सहायता से लटकाइए। एजार को एक निर्वात पंप से जोडिए। घंटी के स्विच को दबाने पर आपको उसकी ध्वनि सुनाई देती है। अब निर्वात पंप को चलाइए। जैसे-जैसे बेलजार की वायु धीरे-धीरे बाहर निकलती है, घंटी की ध्वनि धीमी होती जाती है यद्यपि उसमें पहले जैसे ही विद्युत् धारा प्रवाहित हो रही है। कुछ समय बाद जब बेलजार में बहुत कम वायु रह जाएगी तब आपको बहुत धीमी ध्वनि सुनाई देगी। यदि बेलजार की समस्त वायु निकाल दी जाए तो घंटी की ध्वनि नहीं सुनाई देगी। इससे सिद्ध होता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 4.
ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है ?
उत्तर-
ध्वनि तरंगों अनुदैर्ध्य तरंगें कहलाती हैं। इन तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समांतर होता है। कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते बल्कि अपनी विराम अवस्था से आगे-पीछे दोलन करते हैं। क्योंकि ध्वनि तरंगें इसी प्रकार संचरित होती हैं, इसलिए ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें हैं।
प्रश्न 5.
ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज़ पहचानने में आप की सहायता करता है ?
उत्तर-
ध्वनि की गुणवत्ता लक्षण के आधार पर हम अंधेरे कमरे में बैठे मित्र की आवाज़ को पहचान सकते हैं।
प्रश्न 6.
तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकंड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है ?
उत्तर-
आकाशीय तड़ित की चमक तथा बादल की गर्जन एक साथ उत्पन्न होते हैं परंतु प्रकाश की चाल (3 × 108 m/s) ध्वनि की चाल (340m/s) से बहुत अधिक है। इसलिए ध्वनि गर्जन की तुलना में प्रकाश की चमक पहले पहुँच जाती है।
प्रश्न 7.
किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परास 20Hz से 20KHz है। इन दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 ms-1 लीजिए।
उत्तर
(i) पहली स्थिति जब श्रव्य परास की निम्नतम सीमा है-
ध्वनि की आवृत्ति (v1) = 20 Hz
वायु में ध्वनि का वेग (V1 ) = 344 ms-1
तरंग दैर्ध्य (λ1) = ?
हम जानते हैं, V1 = v1 × λ1
या λ1 = \(\frac{v_{1}}{v_{1}}\)
= \(\frac{344}{20}\)
∴ तरंग दैर्ध्य (λ1) = 17.2m ……………… (1)
(ii) दूसरी स्थिति जब श्रव्य परास की उच्चतम सीमा है।
अब, ध्वनि की आवृत्ति (v2) = 20KHz
= 20 × 1000Hz
= 2 × 104 Hz
वायु में ध्वनि का वेग (V2 = V1) = 344 ms-1
तरंग दैर्ध्य (λ2) = ?
∴ λ2 = \(\frac{344}{2 \times 10^{4}}\)
= \(\frac{172}{10000}\)
= 0.0172 m
प्रश्न 8.
दो बालक किसी ऐलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लो पाइप की लंबाई = l
वायु में ध्वनि का वेग = 346 ms-1
ऐलुमिनियम में ध्वनि का वेग = 6420 ms-1
प्रश्न 9.
किसी ध्वनि स्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। एक मिनट में वह कितनी बार कंपन करेगा ?
हल :
ध्वनि स्रोत की आवृति = 100Hz
अर्थात् स्रोत द्वारा 1 सेकंड में किए गए कंपनों की संख्या = 100
∴ 1 मिनट = 60 सेकंड में किए गए कंपनों की संख्या = 100 × 60
= 6000
प्रश्न 10.
क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश तरंगें करती हैं ? इन नियमों को बताइए।
उत्तर-
ध्वनि परावर्तन के नियम पूर्ण रूप से वही हैं जो प्रकाश तरंगें प्रदर्शित करती हैं। प्रकाश की भांति ध्वनि भी ठोस या द्रव की सतह से परावर्तित होती है। ये नियम हैं-
नियम 1. परावर्तक सतह के किसी बिंदु पर आपतित ध्वनि तरंग तथा अभिलंब के बीच का कोण तथा परावर्तित ध्वनि तरंग तथा अभिलंब के बीच का कोण सदैव बराबर होते हैं।
नियम 2. आपतित ध्वनि तरंग, अभिलंब तथा परावर्तित ध्वनि तरंग तीनों एक ही धरातल में होते हैं।
प्रश्न 11.
ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक सतह के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्रोत तथा परावर्तक सतह की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी-
(i) जिस दिन तापमान अधिक हो ?
(ii) जिस दिन तापमान कम हो ?
उत्तर-
(i) जिस दिन तापमान अधिक है उस दिन ध्वनि की चाल अधिक होगी। इसलिए उस दिन प्रति ध्वनि शीघ्र सुनाई देगी।
प्रश्न 12.
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।
उत्तर-
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के व्यावहारिक उपयोग-
1. स्टेथोस्कोप एक डॉक्टरी उपकरण है जो शरीर के भीतर मुख्य रूप से हृदय तथा फेफड़ों में उत्पन्न होने वाली ध्वनि को सुनने के काम आता है। स्टेथोस्कोप में रोगी के हृदय की धड़कन की ध्वनि बार-बार परावर्तन के कारण डॉक्टर के कान तक पहुँचती है।
2. मैगाफोन अथवा लाउडस्पीकर, हॉर्न, तूती, शहनाई जैसे संगीतक यंत्र का अग्रिम खुला भाग शंक्वाकार बनाया जाता है ताकि जो स्रोत से उत्पन्न होने वाली ध्वनि तरंगों को बार-बार परावर्तित करके श्रोताओं की ओर आगे की दिशा में भेजा जा सके।
प्रश्न 13.
500 मीटर ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी ?
(g = 10 ms-2 तथा ध्वनि की चाल = 340 ms-1)
हल :
यहां आरंभिक वेग (u) = 0
मीनार की ऊँचाई (अर्थात् तय की गई दूरी) (S) = 500 मीटर
गुरुत्वीय त्वरण (g) =10 ms-2
समीकरण S = ut + \(\frac {1}{2}\) gt2 से
500 = 0 × t +\(\frac {1}{2}\) × 10 × t2
500 = 0 + 5 × t2
t2 = \(\frac{500}{5}\)
= 100
∴ t = \(\sqrt{100}\) = 10 सेकंड
अब ध्वनि ने ऊपर की दिशा में चोटी की ओर जाना है तथा ध्वनि का वेग ‘g’ से मुक्त है
∴ t’ =
= \(\frac{500}{340}\)
= 1.47 सेकंड
ध्वनि को ऊपर आने में लगा कुल समय = t + t’
= (10 + 1.47) सेकंड
= 11.47 सेकंड उत्तर
प्रश्न 14.
एक ध्वनि तरंग 339 ms-1 की चाल से चलती है। यदि इसकी तरंगदैर्ध्य 1.5cm हो तो तरंग की आवृति कितनी होगी ? क्या ये श्रव्य होगी ?
हल :
ध्वनि की तरंग चाल (v) = 339ms-1
तरंगदैर्ध्य (λ) = 1.5 cm
= \(\frac{1.5}{100}[latex] m = 0.015m
तरंग आवृति (v) = ?
हम जानते हैं, आवृत्ति (v) = [latex]\frac{v}{\lambda}\)
= \(\frac{339}{0.015}\)
= 22600 Hz
हाँ, यह ध्वनि तंरगें परा श्रव्य हैं क्योंकि इनकी आवृत्ति श्रव्य परास (20 Hz से 20000 Hz) के अंदर नहीं है।
प्रश्न 15.
अनुरणन क्या है ? इसे कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर-
अनुरणन (Reverberation) – ध्वनि का परावर्तन अनुरणन कहलाता है। यदि किसी बड़े हाल या भवन में ध्वनि के उत्पन्न होने के पश्चात् ध्वनि का दीवारों तथा छत से बार-बार परावर्तन हो। जिस कारण ध्वनि लगातार बनी रहे, को अनुरणन (गूंज) कहते हैं। अनुरणन अनावश्यक ध्वनि होती है क्योंकि इस कारण स्पष्ट सुनाई नहीं देता है। इसे कम करने के लिए हाल या भवन की दीवारों तथा छत के ऊपर ध्वनि शोषक पदार्थ जैसे संपीडित फाइबर बोर्ड खुरदरा पलस्तर अथवा भारी पर्दे लगा कर ढक दिया जाता है।
प्रश्न 16.
ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है ? यह किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर-
ध्वनि की ‘प्रबलता’ कानों की संवेदनशीलता का माप है। यह ‘तीव्रता’ के समान किसी एकांक क्षेत्रफल
से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा नहीं है। दो ध्वनियां समान तीव्रता की हो सकती हैं पर फिर भी इनमें से एक को दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रबल ध्वनि के रूप में सुन सकते हैं क्योंकि हमारे कान इसके लिए अधिक संवेदनशील हैं।
प्रश्न 17.
चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
चमगादड़ गहरे अंधेरे में अपने भोजन को खोजने के लिए उड़ते समय पराध्वनि तंरगें उत्पन्न करता है तथा परावर्तन के पश्चात् इनका संसूचन करता है। चमगादड़ द्वारा उत्पन्न उच्च तारत्व के पराध्वनि स्पंद अवरोधों या कीटों से परावर्तित होकर चमगादड़ के कानों तक पहुँचते हैं। इन परावर्तित स्पंदों की प्रकृति से चमगादड़ को ज्ञात हो जाता है कि अवरोध या कीट कहाँ पर है तथा वह किस प्रकार का है। वह सरलता से उनका शिकार कर लेता है?
प्रश्न 18.
वस्तुओं को साफ़ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं ?
उत्तर-
पराध्वनि प्रायः वस्तुओं के उन भागों को साफ़ करने में उपयोग की जाती है जहाँ तक पहुँचना कठिन होता है। सर्पिलाकार नली, विषम आकार के पुर्जे, इलेक्ट्रॉनिक अवयव आदि को साफ़ करना कठिन होता है। जिन वस्तुओं को साफ़ करना होता है उन्हें साफ़ करने वाले मार्जन विलयन में रखते हैं और इस विलयन में पराध्वनि तंरगें भेजी जाती है। उच्च आवृत्ति के कारण धूल, चिकनाई तथा गंदगी के कण अलग होकर नीचे गिर जाते हैं। इससे वस्तु पूर्णतया साफ़ हो जाती है।
प्रश्न 19.
सोनार की कार्यविधि तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसमें जल में स्थित पिंडों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।
कार्यविधि – सोनार में एक प्रेषित तथा एक संसूचक होता है। इसे किसी नाव या जहाज़ में लगाया जाता है।
प्रेषित पराध्वनि तंरगें उत्पन्न तथा प्रेषित करता है। ये तंरगें समुद्र तल में पिंड से टकराने के पश्चात् परावर्तित होकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं। संसूचक पराध्वनि तरंगों को विद्युत् संकेतों में बदल देता है जिनकी उचित रूप से व्याख्या कर ली जाती है। जल में ध्वनि की चाल तथा पराध्वनि के प्रेषण तथा अभिग्रहण के समय अंतराल को ज्ञात करके उस पिंड की दूरी की गणना की जा सकती है।
पिंड की दूरी का परिकलन – मान लीजिए पराध्वनि संकेत के प्रेषण तथा अभिग्रहण का समय अंतराल ‘t’ है। जल में ध्वनि की चाल ‘v’ तब सतह से पिंड की दूरी 2d होगी।
2d = v × t
इस विधि को प्रतिध्वनिक-परास कहते हैं। सोनार की तकनीक का उपयोग समुद्र की गहराई ज्ञात करने तथा जल के अंदर स्थित चट्टानों, पनडुब्बियों तथा डूबे हुए जहाज़ आदि की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 20.
एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5s पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।
हल :
ध्वनि तरंग के प्रेषण तथा सुंसाचन के बीच में लगा समय (t) = 5 s
समुद्र की गहराई (d) = 3625 m
प्रतिध्वनि द्वारा तय की गईं दूरी (2d) = 2 × 3625 m
= 7250 m
हम जानते हैं, 2d = ध्वनि की चाल × समय
7250 = ध्वनि की चाल × 5
∴ ध्वनि की चाल (υ) = \(\frac{7250}{5}\)
= 1450 m/s
प्रश्न 21.
किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
उद्योगों में पराध्वनि का उपयोग धातु के ब्लॉकों में दरारों तथा अन्य प्रकार के दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है। धात्विक घटकों को प्रायः बड़े-बड़े भवनों, पुलों, मशीनों, उद्योग-धंधों तथा वैज्ञानिक उपकरणों को बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। धातु के ब्लॉकों में विद्यमान दरार या छिद्र जो बाहर से दिखाई नहीं देते, मशीनों, उपकरणों, भवनों, पुलों आदि की संरचनी की मजबूती को कम कर देते हैं। पराध्वनि तंरगे धातु के ब्लॉक से गुजारी जाती हैं और प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता है। यदि कहीं थोड़ा-सा भी दोष होता है, तो पराध्वनि तरंगों में परावर्तन हो जाता है जो दोष की उपस्थिति को दर्शाती है।
प्रश्न 22.
मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है ? विवेचना कीजिए।
उत्तर-
मानव कान की कार्य विधि – मनुष्य के कान के बाहरी भाग को “पिन्ना” या “कर्ण पल्लव” कहलाता
है जो आस-पास के वातावरण से ध्वनि को एकत्रित करता है। यह एकत्रित की गई ध्वनि कर्ण नाली में से गुजरती हुई कर्ण नाली के ऊपरी सिरे पर लगी पतली झिल्ली (membrane) पर गिरती है। यहाँ माध्यम के संपीड़न के कारण झिल्ली के बाहरी ओर दबाव बढ़ जाता है जो कान को भीतर की ओर धकेलता है। विरलनों के पहुंचने पर कान का पर्दा बाहर की ओर गति करता है। इस प्रकार पर्दा कंपन करना आरंभ कर देता है। कान के मध्य भाग में लगी तीन हड्डियां (हथौड़ा, एनविल तथा स्टिरिप) इन कंपनों को कई गुना बढ़ा देती है तथा इन दबाव परिवर्तनों को कान के भीतरी भाग तक पहुँचा देती हैं। यहाँ पर इस दबाव परिवर्तनों को विद्युत् संकेतों में बदल दिया जाता है तथा श्रवण तंतुओं द्वारा दिमाग तक भेज दिया जाता है। दिमाग ( मस्तिष्क) इन्हें ध्वनि के रूप में वर्णित करता है।
Science Guide for Class 9 PSEB ध्वनि InText Questions and Answers
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न 1.
किसी माध्यम में ध्वनि दद्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहँचता है ?
उत्तर-
माध्यम में ध्वनि का कानों तक संचार – जब वस्तु कंपन करते हुए आगे की ओर बढ़ती है तो यह अपने सामने पड़े वायु के कणों को संपीडित करती है जिससे उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन हो जाता है। इस क्षेत्र को संपीडन कहते हैं। यह दाब कंपन कर रही वस्तु से आगे की दिशा में गति करता है। जब ये कंपन कर रही वस्तु पीछे की दिशा की ओर कंपन करती है तो एक कम दाब वाला क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है जिसे विरलन कहते हैं।
जब कंपन कर रही वस्तु आगे-पीछे की दिशा में तीव्रता पति कनी में लाद में पोडन तथा विरलन की एक श्रृंखला बन जाती है अर्थात् ध्वनि तरंग बन जाती है ! इस प्रकार एक माध्यम में ध्वनि संचार घनत्व के परिवर्तन के संचरण के रूप में होता है जो हमारे कानों तक पहँचकर ₹पनेक झिल्ली को दबाती है तथा उसमें कंपन उत्पन्न करती है जिससे हमें ध्वनि का अनुभव (‘संवेदना) होती है।
प्रश्न 2.
आपके विद्यालय की घंटी ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है ?
उत्तर-
जब विद्यालय की घंटी को हथौड़े से चोट लगाई जाती है तो यह कंपन करना आरंभ कर देती है जिससे ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं। यदि घंटी को तनिक छू दिया जाए तो हमें इन कंपनों का अनुभव होगा। तरंग एक विक्षोभ है जो माध्यम के निकटवर्ती कणों में गति उत्पन्न कर देते हैं ! ये कण इसी प्रकार की गति अन्य सटे हुए कणों में उत्पन्न करते हैं। माध्यम के कण स्वयं एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते परंतु विक्षोभ (हलचल) आगे बढ़ता है। अंत में ध्वनि तरंगें हम तक पहुंच जाती हैं।
प्रश्न 3.
ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है जो स्वयं उत्पन्न नहीं हो सकती है। इसे उत्पन्न करने के लिए यांत्रिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। चाहे वह ताली बजा कर है या फिर हथौड़े से घंटी को चोट लगाकर है। यह ध्वनि ऊर्जा तरंगों के रूप में माध्यम के कणों में हल-चल (विक्षोभ) उत्पन्न करके संचरित होती हैं। इसलिए ध्वनि तरंगों को यांत्रिक ऊर्जा का नाम दिया गया है।
प्रश्न 4.
मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चंद्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएंगे ?
उत्तर-
ध्वनि संचरण के लिए वायु या किसी अन्य पदार्थक माध्यम की आवश्यकता होती है। चंद्रमा पर ऐसा कोई माध्यम नहीं है जिस कारण ध्वनि निर्वात में एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जा सकती है। इसलिए आप अपने मित्र से बातचीत नहीं कर सकते और अपने मित्र द्वारा उत्पन्न की गई ध्वनि को नहीं सुन सकते हैं।
प्रश्न 5.
तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है ?
(a) प्रबलता
(b) तारत्व।
उत्तर-
(a) प्रबलता (Loudness) – किसी ध्वनि तरंग की प्रबलता का अनुमान उसके आयाम से लगाया जाता है। ध्वनि तरंगों का आयाम वस्तु को कंपन कराने के लिए बल के परिणाम पर निर्भर करता है। अधिक बल की मात्रा लगाने से प्रबल ध्वनि उत्पन्न होती है। प्रबल ध्वनि अधिक दूरी तक पहुँचती है क्योंकि इसमें अधिक ऊर्जा होती है। जैसे-जैसे ध्वनि स्रोत से दूर पहुँचती है, इसकी प्रबलता कम हो जाती है।
(b) तारत्व (Pitch)- किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृति को तारत्व कहते हैं। ध्वनि का तारत्व उसकी आवृति निर्धारित करती है। किसी स्रोत की कंपन जितनी अधिक होगी उतना ही तारत्व उसका अधिक होगा। इसी प्रकार ध्वनि का तारत्व कम होगा यदि उसकी आवृति कम है।
अधिक तारत्व वाली ध्वनि में किसी निश्चित बिंदु से एकाँक समय में गुज़रने वाले संपीड़नों की सख्या अधिक होगी।
प्रश्न 6.
अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है ?
(a) गिटार
(b) कार का हार्न।
उत्तर-
(a) गिटार।
प्रश्न 7.
किसी ध्वनि तरंग की तरंग-दैर्ध्य, आवृति, आवर्तकाल तथा आयाम का क्या अभिप्राय है ? ।
उत्तर-
(i) ध्वनि तरंग की तरंग-दैर्ध्य – माध्यम के किसी कण को एक कंपन करने में लगे समय के दौरान तरंग द्वारा तय की गई दूरी को तरंग-दैर्ध्य कहते हैं।
अथवा
यह लांगीच्यूडीनल अथवा (अनुदैर्ध्य) तरंग के दो निकटतम संपीडन या निरलन के बीच की दूरी होती है। तरंगदैर्ध्य को λ (ग्रीक अक्षर लैम्डा) से प्रदर्शित किया जाता है। इस का S.I. मात्रक मीयू (m) है।
(ii) आवृत्ति – किसी माध्यम में तरंग संचरण के दौरान माध्यम के किसी कण द्वारा एक सेकंड में पूरी की गई कंपनों की संख्या होती है। इसे से प्रदर्शित किया जाता है। आवृति का S.I. मात्रक हर्टज़ (Hz) है। आवृत्ति को किसी बिंदु से गुजरने वाली संपीडनों या विरलनों की संख्या द्वारा मापा जाता है।
(iii) आवर्तकाल – तरंग संचरण के दौरान माध्यम के किसी कण द्वारा एक कंपन को पूरा करने में लगा समय अंतराल होता है। इसे ‘T’ से प्रदर्शित किया जाता है। इसका S.I. मात्रक सेकंड है।
अथवा
ध्वनि तरंग की दो निकटतम संपीडनों या विरलनों को एक बिंदु से गुज़रने में लगा समय होता है।
(iv) आयाम – माध्यम के किसी कण का माध्य स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विस्थापन को आयाम कहते हैं। इसे प्रायः ‘A’ अक्षर द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। ध्वनि तरंग के लिए इसका मात्रक दाब या घनत्व का मात्रक होता है। ध्वनि की प्रबलता इसके आयाम पर निर्भर करता है।
प्रश्न 8.
किसी ध्वनि तरंग की तरंग-दैर्ध्य तथा आकृति उसके वेग से किस प्रकार संबंधित है ?
उत्तर-
ध्वनि तरंग को वेग (v) = तरंग-दैy (λ) × आवृत्ति (v).
प्रश्न 9.
किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है। इस तरंग की तरंग-दैर्ध्य की गणना कीजिए।
हल :
ध्वनि तरंग का वेग (v) = 440ms-1
ध्वनि की आवृत्ति (v) = 220Hz
ध्वनि तरंग का तरंग-दैर्ध्य (λ) = ?
हम जानते हैं, v = v × λ
440 = 220 × λ
∴ λ = \(\frac{440}{220}\)
अर्थात् तरंग-दैर्ध्य (λ) = 2m
प्रश्न 10.
किसी ध्वनि स्त्रोत से 450m दूरी पर बैठा हुआ कोई मनुष्य 500Hz की ध्वनि सुनता है। स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुँचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समय अंतराल होगा ?
हल :
दिया है, ध्वनि की आवृत्ति (v) = 500 हर्टज़ (Hz)
क्रमागत दो संपीडनों के मध्य की दूरी में लगा समय अंतराल = आवर्त काल (T) = ?
हम जानते हैं, आवर्तकाल (T) =
= \(\frac{1}{\text { आवृति }(y)}\)
= 0.002 सेकंड उत्तर
प्रश्न 11.
ध्वनि की प्रबलता और तीव्रता में अंतर बताइए।
उत्तर-
ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अंतर-
प्रबलता | तीव्रता |
1. ध्वनि के लिए प्रबलता कानों की संवेदनशीलता का माप है। | 1. यह किसी एकाँक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा है। |
2. ध्वनि की प्रबलता को नापा नहीं जा सकता। | 2. ध्वनि की तीव्रता को नापा जा सकता है। |
3. भिन्न-भिन्न प्रेक्षकों के लिए ध्वनि की प्रबलता अलग-अलग हो सकती है। | 3. सभी के लिए ध्वनि की तीव्रता एक समान है। |
4. पराश्रव्य तथा अवश्रव्य ध्वनि तरंगों की प्रबलता सुनाई न देने के कारण शून्य होती है। | 4. पराश्रव्य तथा अवश्रव्य ध्वनि तरंगों में तीव्रता का होना संभव है। |
प्रश्न 12.
वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज़ चलती है ?
उत्तर-
लोहे में ध्वनि वायु और जल की अपेक्षा तेज़ चलती है। लोहे में ध्वनि का वेग 5950 ms-1 होता है।
प्रश्न 13.
कोई प्रतिध्वनि 3s पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच कितनी दूरी होगी ?
हल :
ध्वनि की चाल (υ) = 342ms-1
प्रति ध्वनि सुनने में लिया गया समय (t) = 3s
∴ ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी (S) = υ × t
= 342 × 3
= 1026 m
अर्थात 35 में ध्वनि को स्रोत से परावर्तक सतह और फिर परावर्तक सतह से स्रोत तक वापिस आना है।
∴ स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच की दूरी = \(\frac{S}{2}\)
= \(\frac{1026}{2}\)
= 513 m
प्रश्न 14.
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं ?
उत्तर-
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार बनाई जाती हैं जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। ताकि ध्वनि परावर्तन के बाद परावर्तित ध्वनि हॉल के सभी भागों में एक समान पहुँचकर स्पष्ट सुनाई दे।
प्रश्न 15.
सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास क्या है ?
उत्तर-
सामान्य मनुष्य के लिए ध्वनि की श्रव्यता परास लगभग 20Hz से 20,000 Hz तक होती है।
प्रश्न 16.
निम्न से संबंधित आवृत्तियों के परास क्या हैं ?
(a) अवश्रव्य ध्वनि
(b) पराध्वनि।
उत्तर-
(a) अवश्रव्य ध्वनि के लिए ध्वनि की आवृत्ति सीमा 20Hz से कम है।
(b) पराध्वनि के लिए आवृत्ति सीमा 20 KHz (अर्थात् 20,000 Hz) से अधिक है।
प्रश्न 17.
एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी-चट्टान से टकराकर 1.025 के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो चट्टान की दूरी ज्ञात करो।
हल :
ध्वनि को पनडुब्बी से चट्टान तक और वापस आने में लगा समय = 1.02s
(अर्थात् प्रेषण तथा संसूचन के बीच लगा समय)
खारे पानी में पराध्वनि की चाल = 1531 m/s
ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी 2d = ध्वनि की चाल × लगा समय (∵ पनडुब्बी तथा चट्टान के बीच की दूरी = d)
= 1531 × 1.02
= 1561.62 m
d = \(\frac{1561.62}{2}\) m
= 780.81 m
अर्थात् पनडुब्बी से चट्टान के बीच की दूरी (d) = 780.81 m