PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

SST Guide for Class 9 PSEB निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती Textbook Questions and Answers

(क) वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रिक्त स्थान भरें :

  1. विश्व की कुल निर्धन जनसंख्या के ………… से अधिक निर्धन -(ग़रीब) भारत में रहते है।
  2. निर्धनता निर्धन लोगों में ………… की भावना उत्पन्न करती है।
  3. ………… लोगों को ………….. से अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है।
  4. पंजाब राज्य उच्च …………… दर के विकास की सहायता से निर्धनता कम करने में सफल रहा है।
  5. जिंदगी की मुख्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए न्यूनतम आय को मापने के ढंग को………… कहते हैं।
  6. ………… निर्धनता के मापदंड का एक कारण है।

उत्तर-

  1. 1/5
  2. असुरक्षा
  3. ग्रामीण, शहरी
  4. कृषि
  5. निर्धनता रेखा
  6. सापेक्ष।

बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में निर्धनता में रहने वाले लोगों की संख्या कितनी है ?
(क) 20 करोड़
(ख) 26 करोड़
(ग) 26 करोड़
(घ) उपर्युक्त में कोई नहीं ।
उत्तर-
(घ) उपर्युक्त में कोई नहीं ।

प्रश्न 2.
ग़रीबी का अनुपात …………. में कम है।
(क) विकसित देशों में
(ख) विकासशील देशों में
(ग) अल्प विकसित देशों में
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर-
(क) विकसित देशों में

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प्रश्न 3.
भारत में सबसे अधिक निर्धन राज्य कौन-सा है ?
(क) पंजाब
(ख) उत्तर प्रदेश
(ग) बिहार
(घ) राजस्थान।
उत्तर-
(ग) बिहार

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय आय किसका सूचक है ?
(क) ग़रीबी रेखा
(ख) जनसंख्या
(ग) सापेक्ष निर्धनता
(घ) निरपेक्ष निर्धनता।
उत्तर-
(ग) सापेक्ष निर्धनता

सही/गलत :

  1. विश्वव्यापी ग़रीबी में तीव्र गति से कमी आई है।
  2. कृषि क्षेत्र में छिपी हुई बेकारी होती है।
  3. गांव में शिक्षित बेकारी अधिक होती है।
  4. राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण संगठन (NSSO) सर्वेक्षण करके जनसंख्या में हो रही वृद्धि का अनुमान लगाता हैं।
  5. सबसे अधिक ग़रीबी वाले राज्य बिहार और ओडिशा है।

उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. ग़लत
  4. ग़लत
  5. सही।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सापेक्ष ग़रीबी क्या है ?
उत्तर-
सापेक्ष ग़रीबी का अभिप्राय विभिन्न देशों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना के आधार पर निर्धनता से है।

प्रश्न 2.
निरपेक्ष ग़रीबी क्या है ?
उत्तर-
निरपेक्ष ग़रीबी से अभिप्राय किसी देश की आर्थिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्धनता के माप से है।

प्रश्न 3.
सापेक्ष निर्धनता के दो निर्धारकों के नाम लिखें।
उत्तर-
प्रति व्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय सापेक्ष निर्धनता के ही माप हैं।

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प्रश्न 4.
ग़रीबी रेखा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
ग़रीबी वह रेखा है जो उस क्रय शक्ति को प्रकट करती है जिसके द्वारा लोग अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं को संतुष्ट कर सकते हैं।

प्रश्न 5.
ग़रीबी रेखा को निर्धारित करने के लिए भारत के योजना आयोग ने क्या मापदण्ड अपनाया है ?
उत्तर-
भारत का योजना आयोग ग़रीबी रेखा का निर्धारण आय व उपभोग स्तर पर सकता है।

प्रश्न 6.
ग़रीबी के दो मापदण्डों (निर्धारकों) के नाम लिखें।
उत्तर-
आय तथा उपभोग ग़रीबी के दो निर्धारक हैं।

प्रश्न 7.
ग़रीब परिवारों में सर्वाधिक दुःख किसे सहन करना पड़ता है ?
उत्तर-
गरीब परिवारों में बच्चे सबसे अधिक पीड़ित होते हैं।

प्रश्न 8.
भारत के दो सबसे अधिक ग़रीब राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर-
ओडिशा तथा विहार दो निर्धन राज्य हैं।

प्रश्न 9.
केरल राज्य में निर्धनता को सबसे कम कैसे किया है ?
उत्तर-
केरल राज्य मानव संसाधन विकास पर ध्यान केंद्रित किया है।

प्रश्न 10.
पश्चिमी बंगाल को ग़रीबी कम करने में किसने सहायता की है ?
उत्तर-
भूमि सुधार उपायों ने पश्चिम बंगाल में ग़रीबी को कम करने में सहायता की है।

प्रश्न 11.
उच्च कृषि वृद्धि दर से ग़रीबी कम करने वाले दो राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर-
पंजाब और हरियाणा।

प्रश्न 12.
चीन व दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देश निर्धनता कम करने में सफल कैसे हुए ?
उत्तर-
चीन तथा दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों ने तीव्र आर्थिक संबृद्धि तथा मानव संसाधन विकास में निवेश से निर्धनता को कम किया है।

प्रश्न 13.
निर्धनता के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर-

  1. निम्न आर्थिक संवृद्धि
  2. उच्च जनसंख्या घनत्व।

प्रश्न 14.
निर्धनता कम करने वाले कोई दो कार्यक्रमों के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
  2. संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना।

प्रश्न 15.
राजकीय विद्यालयों में निःशुल्क भोजन प्रदान करने वाले कार्यक्रम का नाम क्या है ?
उत्तर-
न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम।

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(रव) लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
निर्धनता से क्या अभिप्राय है ? व्याख्या करें।
उत्तर-
निर्धनता से अभिप्राय है, जीवन, स्वास्थ्य तथा कार्यकुशलता के लिए न्यूनतम उपभोग आवश्यकताओं की प्राप्ति की अयोग्यता। इस न्यूनतम आवश्यकताओं में भोजन, वस्त्र, मकान, शिक्षा तथा स्वास्थ्य संबंधी न्यूनतम मानवीय आवश्यकताएं शामिल होती हैं। इस न्यूनतम मानवीय आवश्यकताओं के पूरा न होने से मनुष्यों को कष्ट उत्पन्न होता है। स्वास्थ्य तथा कार्यकुशलता की हानि होती है। इसके फलस्वरूप उत्पादन में वृद्धि करना तथा भविष्य में निर्धनता से छुटकारा पाना कठिन हो जाता है।

प्रश्न 2.
सापेक्ष व निरपेक्ष निर्धनता में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
निरपेक्ष निर्धनता से अभिप्राय किसी देश की आर्थिक अवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्धनता के माप से है। अर्थशास्त्रियों ने इस संबंध में निर्धनता की कई परिभाषाएं दी हैं, परंतु अधिकतर देशों में प्रति व्यक्ति उपभोग की जाने वाली कैलौरी तथा प्रति व्यक्ति न्यूनतम उपभोग व्यय स्तर द्वारा निर्धनता को मापने का प्रयत्न किया गया है जबकि दूसरी ओर, सापेक्ष निर्धनता से अभिप्राय विभिन्न देशों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना के आकार पर निर्धनता से है। जिस देश की प्रति व्यक्ति आय-अन्य देशों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना में काफी कम है वह देश सापेक्ष रूप से निर्धन है।

प्रश्न 3.
निर्धन लोगों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है ?
उत्तर-
निर्धन लोगों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है; जैसे- सूखा, अपवर्जन, भूखमरी आदि। अपवर्जन से अभिप्राय उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा कुछ लोग कुछ सुविधाओं, लाभों के अपवर्जित हो जाते हैं जो कि लोग अभोग करते हैं।

प्रश्न 4.
भारत में ग़रीबी रेखा का अनुमान कैसे लगाया जाता है ?
उत्तर-
भारत में ग़रीबी रेखा का अनुमान करते समय जीवन निर्वाह के लिए खाद्य आवश्यकताओं, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा संबंधी आवश्यकताओं आदि पर विचार किया जाता है। इस भौतिक मात्राओं को रुपयों में उनकी कीमतों से गुणा कर दिया जाता है। निर्धनता रेखा का आकलन करते समय आवश्यकता के लिए वर्तमान सूत्र वांछित कैलोरी की आवश्यकताओं पर आधारित है।

प्रश्न 5.
निर्धनता के मुख्य निर्धारकों का वर्णन करें।
उत्तर-
निर्धनता के अनेक पहलू हैं, सामाजिक वैज्ञानिक उसे अनेक सूचकों के माध्यम से देखते हैं। सामान्यत प्रयोग किए जाने वाले सूचक वे हैं, जो आय और उपयोग के स्तर से संबंधित हैं, लेकिन अब निर्धनता को निरक्षरता स्तर, कुपोषण
के कारण रोग प्रतिरोधी क्षमता की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, रोज़गार के अवसरों की कमी, सुरक्षित पेयजल एवं स्वच्छता तक पहुंच की कमी आदि जैसे अन्य सामाजिक सूचकों के माध्यम से को भी देखा जाता है।

प्रश्न 6.
1993-94 ई० से भारत में निर्धनता के रूझान का वर्णन करें।
उत्तर-
पिछले दो दशकों से निर्धनता रेखा को नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है। अतः शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में निर्धन लोगों की संख्या में काफी कमी आई है।
1993-94 में 4037 मिलियन लोग या 44.3% जनसंख्या निर्धनता रेखा को नीचे रह रही थी। निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लेगों की संख्या जो 2004-05 में 37.2% थी वह 2011-12 में और कम होकर 21.7% रह गई।

प्रश्न 7.
भारत में निर्धनता (ग़रीबी) में अंतराज्य असमानताओं का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
भारत में राज्यों के बीच निर्धनता का असमान रूप देखने को मिलता है। भारत में वर्ष 2011-12 में निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का प्रतिशत कम होकर 21.7 हो गया है परंतु ओडिशा व बिहार दो ऐसे राज्य हैं जहां निर्धनता का प्रतिशत क्रमश: 32.6 तथा 33.7 है। इसके दूसरी ओर केरल, हिमाचल प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश तमिलनाडु, गुजरात, पंजाब, हरियाणा आदि कुछ ऐसे राज्य हैं जहां पर निर्धनता काफी कम हुई है। इन राज्यों ने कृषि संवृद्धि दर तथा मानव पूंजी संवृद्धि में निवेश करके निर्धनता को कम किया है।

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प्रश्न 8.
भारत में निर्धनता के तीन प्रमुख कारण कौन-से हैं ?
उत्तर-
भारत में निर्धनता के कारण निम्न हैं

1. जनसंख्या का अधिक दबाव (Heavy Pressure of Population)-भारत में जनसंख्या में तीव्रता स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् अधिक हो गई। सन् 1951 के पश्चात् के समय को जनसंख्या विस्फोट का समय भी कहा जाता है क्योंकि उस समय जनसंख्या में तीव्रता आई। 1941-51 में जनसंख्या 1.0% थी जो 1981-91 में बढ़कर 2.1 प्रतिशत हो गई। 2011 में बढ़कर 121 करोड़ हो गई। शताब्दी के अंत तक हमारी जनसंख्या 100 करोड़ पहुंच चुकी है। देश की सम्पति का मुख्य भाग इस बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं की संतुष्टि में खर्च हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप देश के विकास के लिए अन्य कार्यों में धन कम पड़ जाता है। यहीं नहीं निरंतर बढ़ती जनसंख्या से निर्भर जनसंख्या अधिक तथा कार्यशील जनसंख्या में कमी आ रही है जिस कारण उत्पादन के लिए कार्यशील जनसंख्या कम तथा निर्भर जनसंख्या अधिक है जो देश को और निर्धन बना देती है।

2. बेरोज़गारी (Unemployment)-भारत में जिस तरह जनसंख्या बढ़ रही है उसी तरह बेरोज़गारी भी निरंतर बढ़ती जा रही है। यह बढ़ती बेरोज़गारी निर्धनता को जन्म देती है जो देश के लिए अभिशाप साबित हो रही है। भारत में न केवल शिक्षित बेरोज़गारी बल्कि अदृश्य बेरोज़गारी की समस्या भी पनपती जा रही है। भारत में 2011-12 में लगभग 234 करोड़ लोग बेरोज़गार थे। वर्ष 2016-17 तक 0.59 करोड़ बेरोज़गार रहने का अनुमान है।

3. विकास की धीमी गति (Slow Growth of Development) भारत का विकास जो धीमी गति से हो रहा है इस कारण से भी निर्धनता बढ़ती जा रही है। योजनाओं की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर लगभग 4 प्रतिशत रही है परंतु जनसंख्या की वृद्धि दर लगभग 1.76 प्रतिशत होने से प्रतिशित आय में वृद्धि केवल 2-3 प्रतिशत हो गई है। 2013-14 में विकास दर 4.7% के लगभग प्राप्त की गई। भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर 1.76 प्रतिशत रही है। जनसंख्या की इस वृद्धि के अनुरूप विकास की गति धीमी है।

प्रश्न 9.
निर्धनता बेरोज़गारी को प्रकट करती है। स्पष्ट करें।
उत्तर-
जनसंख्या में होने वाली तीव्र वृद्धि से दीर्घकालिक बेरोज़गारी तथा अल्प रोज़गार की समस्या उत्पन्न हुई है। दोनों सरकारी तथा निजी क्षेत्र रोज़गार संभावनाएं उत्पन्न करने में असफल रहे हैं। अनियमित निम्न आय, निम्न आवास सुविधाएं निर्धनता को बढ़ा रही हैं। शहरी क्षेत्रों में शैक्षिक बेरोज़गारी पाई जाती है जबकि गांवों में अदृश्य बेरोज़गारी पाई जाती है जो कृषि क्षेत्र से संबंधित है। इस तरह निर्धनता, बेरोज़गारी का मात्र एक प्रतिबंब है।

प्रश्न 10.
आर्थिक वृद्धि में प्रोत्साहन निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम में सहायक है। स्पष्ट करें।
उत्तर-
भारत में निर्धनता को दूर करने का एक महत्त्वपूर्ण उपाय आर्थिक विकास की गति को तीव्रता से बढ़ाता है। जब संवृद्धि की दर को बढ़ावा दिया जाता है, तो कृषि तथा औद्योगिक दोनों क्षेत्रों में रोज़गार बढ़ते गए हैं, आर्थिक रोज़गार का अर्थ है कम निर्धनता। अस्सी के दशक से भारत की संवृद्धि दर विश्व में एक उभरती हुई संवृद्धि दर है। आर्थिक-संवृद्धि ने मानव विकास में निवेश द्वारा रोज़गार की संभावनाओं को बढ़ाया है।

प्रश्न 11.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार अधिनियम-2005 की मुख्य विशेषताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम (NREGA) 2005 वर्ष में 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी देते हैं। यह ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को रोज़गार की सुरक्षा देता है इसमें कुल रोज़गार का 1/3 भाग महिलाओं के लिए आरक्षित है। केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर रोज़गार गारंटी के लिए कोष का निर्धारण करेंगी।

प्रश्न 12.
भारत सरकार द्वारा संचालित किन्हीं तीन ग़रीबी कम करने के कार्यक्रमों को स्पष्ट करें।
उत्तर-
भारत सरकार पंचवर्षीय योजनाओ के अंतर्गत निम्नलिखित उन्मूलन कार्यक्रम लागू कर रही है-

  1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)-इस योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन तथा रोजगार सृजन हेतु ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक परिवार के सदस्य को वर्ष में 100 दिन का रोज़गार प्रदान किया जाता है। इस कार्यक्रम के लिए ₹ 33.000 करोड़ खर्च किए जाएंगे। वर्ष 2013-14 में 475 करोड़ परिवारों को 219.72 करोड़ रोज़गार के व्यक्ति दिवस प्रदान किये गए।
  2. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM)-इस योजना का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2024-25 तक ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक ग़रीब परिवार को एक महिला सदस्य की स्वयं सहायता समूह (SHGs) का सदस्य बनाना है ताकि वे गरीबी रेखा से ऊपर रह सके। इस मिशन में 97.391 गाँवों को कवर करते हुए 20 लाख स्वयं सहायता समूह बनाए हैं जिसमें से 3.8 लाख नए SHGs हैं। वर्ष 2013-14 के दौरान ₹ 22121.18 करोड़ को बैंक शाख इन SHGs को प्रदान की जा चुकी है। वर्ष 2014-15 में NREM के लिए ₹ 3560 करोड़ की राशि आबंटित की गई है।
  3. राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM) सितम्बर, 2013 में स्वर्ण जयंती शहरी रोज़गार योजना (SISRY) को बदलकर इसका नाम NULM रखा गया है। इसका मुख्य उद्देश्य शहरी गरीब परिवारों को कौशल निर्माण तथा प्रशिक्षण द्वारा लाभदायक रोज़गार के अवसर प्रदान करता है तथा शहरी बेघर लोगों को आश्रय प्रदान करना। वर्ष 201314 में NULM के अंतर्गत ₹720.43 करोड़ प्रदान किये गए हैं। इससे 6,83,542 लोगों का कौशल प्रशिक्षण हुआ है और 1,06,205 लोगों को स्वरोजगार प्रदान किया गया है।

अन्य अभ्यास के प्रश्न

आइए चर्चा करें :

प्रश्न 1.
चर्चा करें कि आपके गांव अथवा नगर में गरीब परिवार किन दशाओं में रहते हैं ?
उत्तर-
हमारे गांव अथवा नगर में निर्धन परिवारों को अनियमित रोज़गार अवसर, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, रहने की खराब दशाएं हैं तथा अपने बच्चे को पाठशालाओं में भी नहीं भेजते हैं।

प्रश्न 2.
ग्रामीण व नगरीय निर्धनता के दिए गए उदाहरणों के अध्ययन के पश्चात् निर्धनता के निम्नलिखित कारणों पर चर्चा करके मालूम करें कि कहानी में दिए गए परिवारों की निर्धनता का कारण निम्नलिखित कारणों में है अथवा कोई अन्य कारण है।

  • भूमिहीन परिवार
  • बेरोज़गारी
  • परिवार का दीर्घ (बड़ा आकार)
  • अशिक्षा
  • कमज़ोर स्वास्थ्य और कुपोषित।

उत्तर-
भूमिहीन परिवार-दोनों ही मामलों में परिवार भूमिहीन हैं। उनके पास कृषि के लिए भूमि नहीं है जिसके कारण वे गरीब हैं।
बेरोज़गारी-ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के दोनों ही मामलों में लोग बेरोज़गार हैं । वे बहुत ही कम मज़दूरी पर कार्य कर रहे हैं जिसमें उनका पेट भी नहीं भरता।
बड़ा परिवार-उनके परिवारों का आकार भी बड़ा है जो कि उनकी गरीबी का कारण है।
अशिक्षा-परिवार अशिक्षित हैं। वे अपने बच्चों को भी पाठशाला नहीं भेज पा रहे जिससे वे गरीबी में जकड़े हुए हैं।
कमज़ोर स्वास्थ्य और कुपोषित-गरीबी के कारण उनका स्वास्थ्य कमज़ोर है क्योंकि खाने को भरपेट नहीं मिलता। बच्चे कुपोषित हैं उनके लिए जूते, साबुन एवं तेल जैसी वस्तुएं भी आरामदायक वस्तुओं की श्रेणी में आती हैं।
ग्राफ 3.1 वर्ष 2011-12 दौरान चयन
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स्रोत : आर्थिक सर्वेक्षण 2013-14 वित मंत्रालय, भारत सरकार

आइए चर्चा करें

  1. ग्राफ 3.1 को देखिए, पांच सबसे अधिक निर्धन लोगों की प्रतिशतता वाले राज्यों के नाम लिखिए।
  2. उन राज्यों के नाम बताइए जहां निर्धनता के अनुमान 22% में कम तथा 15% से अधिक है।
  3. उन राज्यों के नाम बताइए जहां सबसे अधिक तथा सबसे कम निर्धनता प्रतिशतता है।

उत्तर-

  1. पांच राज्य जिनमें सबसे अधिक निर्धनता की प्रतिशतता है
    • बिहार
    • उड़ीसा
    • आसाम
    • महाराष्ट्र
    • उत्तर प्रदेश।
  2.  ऐसे राज्य पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र तथा गुजरात हैं।
  3. सबसे अधिक निर्धनता प्रतिशतता बिहार तथा सबसे कम केरल में है।

PSEB 9th Class Social Science Guide निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
1993-94 में भारत में निर्धनों का प्रतिशत था :
(क) 44.3%
(ख) 32%
(ख) 19.3%
(ग) 38.3%.
उत्तर-
(क) 44.3%

प्रश्न 2.
इनमें कौन निर्धनता निर्धारण का मापक है ?
(क) व्यक्ति गणना अनुपात
(ख) सेन का सूचकांक
(ग) निर्धनता अंतराल सूचकांक
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ख) सेन का सूचकांक

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प्रश्न 3.
किस देश में डॉलर में प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक है ?
(क) U.S.A.
(ख) स्विट्ज़रलैंड
(ग) नार्वे
(घ) जापान।
उत्तर-
(ग) नार्वे

प्रश्न 4.
किस प्रकार की निर्धनता दो देशों में तुलना को संभव बनाती है ?
(क) निरपेक्ष
(ख) सापेक्ष
(ग) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) सापेक्ष

प्रश्न 5.
कौन-सा राज्य भारत में सबसे अधिक निर्धन राज्य है ?
(क) ओडिशा
(ख) बिहार
(ग) मध्य प्रदेश
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) ओडिशा

रिक्त स्थान भरें:

  1. ……….. से अभिप्राय है, जीवन, स्वास्थ्य तथा कार्यकुशलता के लिए न्यूनतम उपभोग आवश्यकताओं की प्राप्ति की अयोग्यता।
  2. ……….. निर्धनता से अभिप्राय किसी देश की आर्थिक अवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्धनता के माप से
  3. ………….. निर्धनता से अभिप्राय विभिन्न देशों की प्रति व्यक्ति-आय की तुलना के आधार पर निर्धनता से है।
  4. निर्धनता के ………….. प्रकार है।
  5. ………… वह है जो उस क्रय शक्ति को प्रकट करती है. जिसके द्वारा लोग अपनी न्यूनतम आवश्यकता को संतुष्ट कर सकते हैं।

उत्तर-

  1. निर्धनता
  2. सापेक्ष
  3. निरपेक्ष
  4. दो
  5. निर्धनता रेखा।

सही/गलत :

  1. निर्धनता के दो प्रकार हैं-सापेक्ष व निरपेक्ष निर्धनता।
  2. निर्धनता भारत की मुख्य समस्या है।
  3. व्यक्ति गणना अनुपात निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या को दर्शाती है।
  4. बढ़ रही जनसंख्या बढ़ रही निर्धनता को प्रकट करती है।
  5. व्यक्ति गणना अनुपात तथा निर्धनता प्रमाण अनुपात समान मदें हैं।

उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. सही
  4. सही
  5. सही।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न।

प्रश्न 1.
भारत में विश्व जनसंख्या का कितना भाग निवास करता है ?
उत्तर-
भारत में विश्व का \(\frac{1}{5}\) भाग निवास करता है।

प्रश्न 2.
UNICEF के अनुसार भारत में पांच वर्ष से कम आयु के मरने वाले बच्चों की संख्या क्या है ?
उत्तर-
लगभग 2.3 मिलियन बच्चे।

प्रश्न 3.
वर्ष 2011-12 में निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का प्रतिशत क्या था ?
उत्तर-
21.7 प्रतिशत।

प्रश्न 4.
निर्धनता के प्रकार क्या हैं ?
उत्तर-

  1. निरपेक्ष निर्धनता
  2. सापेक्ष निर्धनता।

प्रश्न 5.
कैलोरी क्या होती है ?
उत्तर-
एक व्यक्ति एक दिन में जितना भोजन करता है उसमें प्राप्त शक्ति को कैलोरी करते हैं।

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लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के सामने भावी चुनौती क्या है ?
उत्तर-
भारत में निर्धनता में निश्चित रूप में कमी आई है परंतु प्रगति के बावजूद निर्धनता उन्मूलन भारत की एक सबसे बाध्यकारी चुनौती है। भावी चुनौती निर्धनता की अवधारणा का विस्तार ‘मानव निर्धनता’ के रूप में होने से है। अतः भारत के सामने सभी को स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, रोज़गार सुरक्षा उपलब्ध कराना, लैंगिक समता तथा निर्धनों का सम्मान जैसी बड़ी चुनौतियां होंगी।

प्रश्न 2.
ग्रामीण तथा नगरीय क्षेत्र में कैलोरी में अंतर क्यों है ?
उत्तर-
यह अंतर इसलिए है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग शारीरिक काम अधिक करते हैं जिससे उन्हें अधिक थकावट होती है। नगरीय लोगों की तुलना में उन्हें अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3.
निर्धनता दूर करने के लिए उपाय बताएं।
उत्तर-
निर्धनता को निम्नलिखित उपायों द्वारा दूर किया जा सकता है-

  1. लघु व कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन।
  2. भारी उद्योग व हरित क्रांति के लिए प्रोत्साहन
  3. जनसंख्या नियंत्रण
  4. गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करना।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम क्या है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम’ को 2004 में सबसे पिछड़े 150 जिलों में निर्धनता उन्मूलन के लिए लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है जिन्हें मज़दूरी पर रोज़गार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं। इसका कार्यान्वयन शत-प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण कार्यक्रमों के रूप में किया गया है और राज्यों को खाद्यान्न निःशुल्क उपलब्ध करवाये जा रहे हैं।

प्रश्न 5.
निर्धनताग्रस्त कौन लोग हैं ?
उत्तर-
अनुसूचित जनजातियां, अनुसूचित जातियां, ग्रामीण खेतिहर मज़दूर, नगरीय अनियमित मज़दूर, वृद्ध लोग, ढाबों में काम करने वाले बच्चे, झुग्गियों में रहने वाले लोग, भिखारी आदि निर्धनताग्रस्त लोग हैं।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम क्या है ?
उत्तर-
यह विधेयक सितंबर, 2005 में पारित किया गया है जो प्रत्येक वर्ष देश के 200 जिलों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोज़गार का प्रावधान करता है। बाद में इसका विस्तार 600 जिलों में किया जाएगा। इसमें एक तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए आरक्षित है।

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम क्या है ? ।
उत्तर-
इस कार्यक्रम को वर्ष 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है, जिन्हें मज़दूरी पर रोज़गार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती के इच्छुक हैं। इसका कार्यान्वयन शत-प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण कार्यक्रम के रूप में किया गया है और राज्यों को खाद्यान्न निःशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

प्रश्न 8.
प्रधानमंत्री रोजगार योजना पर नोट लिखें।
उत्तर-
यह योजना वर्ष 1993 में आरंभ की गई है। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है। उन्हें लघु व्यवसाय और उद्योग स्थापित करने में सहायता दी जाती है।

प्रश्न 9.
ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम पर नोट लिखें।
उत्तर-
इसे वर्ष 1995 में आरंभ किया गया है जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों व छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के अंतर्गत 25 लाख नए रोज़गार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रश्न 10.
स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना का वर्णन करें।
उत्तर-
इसका आरंभ वर्ष 1999 में किया गया है जिसका उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों को स्वसहायता समूहों में संगठित कर बैंक ऋण और सरकारी सहायिकी के संयोजन द्वारा निर्धनता रेखा से ऊपर लाना है।

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प्रश्न 11.
प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना क्या है ?
उत्तर-
इसे वर्ष 2000 में आरंभ किया गया है। इसके अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण आश्रय, ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी मूल सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।

प्रश्न 12.
वैश्विक निर्धन परिदृश्य पर नोट लिखें।
उत्तर-
विकासशील देशों में अत्यंत आर्थिक निर्धनता (विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार प्रतिदिन 1 डॉलर से कम पर जीवन-निर्वाह करना) में रहने वाले लोगों का अनुपात 1990 के 28.प्रतिशत से गिरकर 2001 में 21 प्रतिशत हो गया है। यद्यपि वैश्विक निर्धनता में उल्लेखनीय गिरावट आई है, लेकिन, इसमें बृहत्त क्षेत्रीय भिन्नताएं पाई जाती हैं।

प्रश्न 13.
भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण कैसे होता है ?
उत्तर-
भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण आय अथवा उपभोग स्तरों के आधार पर किया जाता है। आय आकलन के आधार पर 2000 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में ₹ 328 प्रतिमाह और शहरी क्षेत्रों में ₹ 454 प्रतिमाह किया गया था। उपभोग आकलन के आधार पर भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन एवं नगरीय क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है।

प्रश्न 14.
निर्धनता के मुख्य आयाम क्या हैं ?
उत्तर-
निर्धनता के मुख्य आयाम निम्नलिखित हैं-

  1. निर्धनता का अर्थ भूख एवं आवास का अभाव है।
  2. निर्धनता का अर्थ शुद्ध जल की कमी एवं और सफाई सुविधाओं का अभाव है।
  3. निर्धनता एक ऐसी स्थिति है, जब माता-पिता अपने बच्चों को विद्यालय नहीं भेज पाते या कोई बीमार आदमी इलाज नहीं करवा पाता।
  4. निर्धनता का अर्थ नियमित रोज़गार की कमी भी है तथा न्यूनतम शालीनता स्तर का अभाव भी है।
  5. निर्धनता का अर्थ असहायता की भावना के साथ जीना है।

प्रश्न 15.
अगले दस या पंद्रह वर्षों में निर्धनता के उन्मूलन में प्रगति होगी। इसके लिए उत्तरदायी कुछ कारण बताएं।
उत्तर-

  1. सार्वभौमिक निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा वृद्धि पर ज़ोर देना।
  2. आर्थिक संवृद्धि।
  3. जनसंख्या संवृद्धि में गिरावट।
  4. महिलाओं की शक्तियों में वृद्धि।

प्रश्न 16.
निर्धनता विरोधी कार्यक्रमों का परिणाम मिश्रित रहा है। कुछ कारण बताएं।
उत्तर-

  1. अति जनसंख्या।
  2. भ्रष्टाचार।
  3. कार्यक्रमों के उचित निर्धारण की कम प्रभावशीलता।
  4. कार्यक्रमों की अधिकता।

प्रश्न 17.
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य क्या हैं ?
उत्तर-

  1. राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम सन् 2004 में देश के 150 सबसे अधिक पिछड़े जिलों में शुरू किया गया।
  2. यह कार्यक्रम सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है, जिन्हें मज़दूरी पर रोज़गार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं।
  3. इसका कार्यान्वयन शत-प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषित कार्यक्रम के रूप में किया गया है।

प्रश्न 18.
भारत में निर्धनता के कारण बताएं।
उत्तर-
भारत में निर्धनता के कारण निम्नलिखित हैं-

  1. ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन के दौरान आर्थिक विकास का निम्न स्तर।
  2. वैकल्पिक व्यवसाय न होने के कारण ग्रामीण लोगों की मात्र कृषि पर निर्भरता होना।
  3. आय की असमानताएं।
  4. जनसंख्या वृद्धि।
  5. सामाजिक कारण जैसे-निरक्षरता, बड़ा परिवार, उत्तराधिकार कानून और जाति-प्रथा आदि।
  6. सांस्कृतिक कारण जैसे-मेलों, त्योहारों आदि पर फिजूलखर्ची।
  7. आर्थिक कारण-ऋण लेकर उसे न चुका पाना।
  8. अक्षमता एवं भ्रष्टाचार के कारण निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों का प्रभावी ढंग से न लागू होना।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

प्रश्न 19.
निर्धनता उन्मूलन के कोई चार कार्यक्रमों का उल्लेख करें।
उत्तर-
ये निम्नलिखित हैं

  1. प्रधानमंत्री रोजगार योजना-इसे 1993 में प्रारंभ किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है। .
  2. ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम-यह कार्यक्रम 1995 में आरंभ किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के अंतर्गत 25 लाख नए रोजगार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है।
  3. स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना-इसका आरंभ 1999 में किया गया जिसका उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों को स्व-सहायता समूहों में संगठित कर बैंक ऋण और सरकारी सहायिकी के संयोजन द्वारा निर्धनता रेखा से ऊपर लाना है।
  4. प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना-इसका आरंभ 2000 में किया गया जिसके अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण, आश्रय, ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी मूल सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।

प्रश्न 20.
निर्धनता का सामाजिक अपवर्जन क्या है ?
उत्तर-
इस अवधारणा के अनुसार निर्धनता को इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि निर्धनों को बेहतर माहौल और अधिक अच्छे वातावरण में रहने वाले संपन्न लोगों की सामाजिक समता से अपवर्जित रहकर केवल निकृष्ट वातावरण में दूसरे निर्धनों के साथ रहना पड़ता है। सामान्य अर्थ में सामाजिक अपवर्जन निर्धनता का एक कारण व परिणाम दोनों हो सकता है। मोटे तौर पर यह एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति या समूह उन सुविधाओं, लाभों और अवसरों से अपवर्जित रहते हैं, जिनका उपभोग दूसरे करते हैं। इसका एक विशिष्ट उदाहरण भारत में जाति-व्यवस्था की कार्यशैली है, जिसमें कुछ जातियों के लोगों को समान अवसरों से अपवर्जित रखा जाता है।

प्रश्न 21.
निर्धनता की असुरक्षा धारणा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निर्धनता के प्रति असुरक्षा एक माप है जो कुछ विशेष समुदाय या व्यक्तियों के भावी वर्षों में निर्धन होने या निर्धन बने रहने की अधिक संभावना जताता है। असुरक्षा का निर्धारण परिसंपत्तियों, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती अवसरों के रूप में जीविका खोजने के लिए विभिन्न समुदायों के पास उपलब्ध विकल्पों से होता है। इसके अलावा, इसका विश्लेषण प्राकृतिक आपदाओं, आतंकवाद आदि मामलों में इन समूहों के समक्ष विद्यमान बड़े जोखिमों के आधार पर किया जाता है। अतिरिक्त विश्लेषण इन जोखिमों से निपटने की उनकी सामाजिक और आर्थिक क्षमता के आधार पर किया जाता है। वास्तव में, जब सभी लोगों के लिए बुरा समय आता है, चाहे कोई बाढ हो या भूकंप या फिर नौकरियों की उपलब्धता में कमी, दूसरे लोगों की तुलना में अधिक प्रभावित होने की बड़ी संभावना का निरूपण ही असुरक्षा है।

प्रश्न 22.
भारत में अंतर्राष्ट्रीय असमानताएं क्या हैं ?
उत्तर-
भारत में निर्धनता का एक और पहलू है। प्रत्येक राज्य में निर्धन लोगों का अनुपात एक समान नहीं है। यद्यपि 1970 के दशक के प्रारंभ से राज्य स्तरीय निर्धनता में सुदीर्घकालिक कमी हुई है, निर्धनता कम करने में सफलता की दर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है। हाल के अनुमान दर्शाते हैं कि 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निर्धनता अनुपात राष्ट्रीय औसत से कम है। दूसरी ओर, निर्धनता अब भी उड़ीसा, बिहार, असम, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश की एक गंभीर समस्या है। इसकी तुलना में केरल, जम्मू व कश्मीर, आंध्र प्रदेश, गुजरात राज्यों में निर्धनता में कमी आई है।

प्रश्न 23.
राष्ट्रीय ग्रामीण बेरोज़गारी उन्मूलन विधेयक (NREGA) की, गरीबी उन्मूलन में सहायक प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
राष्ट्रीय बेरोज़गारी उन्मूलन विधेयक की मुख्य विशेषताएं हैं-

  1. यह विधेयक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोज़गार का प्रावधान करता है। यह विधेयक 600 जिलों में लागू करने का प्रस्ताव है जिससे निर्धनता को हटाया जा सके।
  2. प्रस्तावित रोज़गारों का एक तिहाई रोज़गार महिलाओं के लिए आरक्षित है।
  3. कार्यक्रम के अंतर्गत अगर आवेदक को 15 दिन के अंदर रोज़गार उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह दैनिक बेरोज़गार भत्ते का हकदार होगा।

प्रश्न 24.
निर्धनता के समक्ष निरूपाय दो सामाजिक तथा दो आर्थिक समुदायों के नाम लिखिए। इस प्रकार के समुदाय के लिए और अधिक बुरा समय कब आता है ?
उत्तर-
निर्धनता के समक्ष निरूपाय दो सामाजिक समुदायों के नाम हैं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के परिवार जबकि आर्थिक समुदाय में ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार और नगरीय अनियप्त मज़दूर परिवार हैं। इन समुदायों के लिए और अधिक बुरा समय तब आता है जब महिलाओं, वृद्ध लोगों और बच्चियों को भी सुव्यवस्थित ढंग से परिवार के उपलब्ध संसाधनों तक पहुंच से वंचित किया जाता है।

प्रश्न 25.
भारत में निर्धनता को कम करने के किन्हीं तीन उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
सरकार द्वारा निर्धनता को कम करने के लिए सरकार ने कई कार्यक्रम अपनाए हैं

  1. राष्ट्रीय ग्रामीण गारंटी योजना, 2005 को सितंबर में पारित किया गया। यह विधेयक प्रत्येक वर्ष देश के 200 जिलों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोज़गार का प्रावधान करता है।
  2. दूसरा, राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम है जिसे 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया था।
  3. प्रधानमंत्री रोजगार योजना एक रोजगार सृजन योजना है, जिसे 1993 में आरंभ किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।

प्रश्न 26.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की किन्हीं तीन विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की मुख्य विशेषताएं हैं-

  1. सार्वजनिक वितरण – प्रणाली भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन की दुकानों के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों में वितरित करती है।
  2. राशन कार्ड रखने वाला कोई भी परिवार प्रतिमाह अनाज की एक अनुबंधित मात्रा निकटवर्ती राशन की दुकानों से खरीद सकता है।
  3. सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लक्ष्य दूर-दराज और पिछड़े क्षेत्रों में सस्ता अनाज पहुंचाना था।

प्रश्न 27.
परिवारों के सदस्यों के मध्य आय की असमानता किस प्रकार प्रतिबिंबित होती है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
परिवार के विभिन्न सदस्यों की आय भिन्न-भिन्न होती है तो यह आय की असमानता को प्रतिबिंबित करती है। उदाहरण के लिए एक परिवार में 5 सदस्य हैं। उनकी आय का विवरण निम्नलिखित है-

परिवार के सदस्य मासिक आय (₹ में)
1 40,000
2 25,000
3 20,000
4 10,000
5 3,000

उपरोक्त तालिका में स्पष्ट है कि इस परिवार के सदस्यों के बीच आय की असमानता अधिक है। पहले सदस्य की आय जहां ₹ 40,000 मासिक है वहीं पाँचवें सदस्य की आय ₹ 3,000 मासिक है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

प्रश्न 28.
भारत में निर्धनता उन्मूलन के लिए विकसित किए गए किन्हीं पांच कार्यक्रमों पर नोट लिखिए।
उत्तर-
भारत में निर्धनता विरोधी पांच कार्यक्रम निम्नलिखित हैं-

  1. प्रधानमंत्री रोजगार योजना-इसे 1993 में प्रारंभ किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
  2. ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम-यह कार्यक्रम 1995 में आरंभ किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
  3. स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना-इसे 1999 में आरंभ किया गया जिसका उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों को स्वसहायता समूहों में संगठित कर बैंक ऋण और सरकारी सहायिकी के संयोजन द्वारा निर्धनता रेखा से ऊपर लाना है।
  4. प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना-इसे 2000 में आरंभ किया गया जिसके अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, प्रारंभिक शिक्षा, ग्रामीण आश्रय, ग्रामीण पेयजल और विद्युतीकरण जैसी मूल सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
  5. अंत्योदय अन्न योजना-यह योजना दिसंबर, 2000 में शुरू की गई थी जिसके अंतर्गत लक्षित वितरण प्रणाली में आने वाली निर्धनता रेखा से नीचे के परिवारों में से एक करोड़ लोगों की पहचान की गई है।

प्रश्न 29.
“दो अग्रभागों पर असफलता : आर्थिक संवृद्धि को बढ़ाना तथा जनसंख्या नियंत्रण के कारण निर्धनता का चक्र स्थिर है।” इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
निम्नलिखित कारणों से निर्धनता का चक्र स्थिर है।

  1. राज्यों की असमान वृद्धि दरें।
  2. औद्योगिक की दर का जनसंख्या वृद्धि दर से कम होना।
  3. शहरों की ओर प्रयास।
  4. ऋण-ग्रस्तता के ऊंचे स्तर।
  5. सामाजिक बंधन।
  6. भूमि का असमान वितरण।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण कैसे होता है ? .
उत्तर-
योजना आयोग ने “गरीबी रेखा की भौतिक उत्तरजीविता” (Physical survival) की संघटना को छठी योजना तक अपनाया, जिसके अनुसार उसने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक दिन में एक व्यक्ति के लिए 2400 कैलोरी तथा शहरी क्षेत्रों के लिए एक दिन में 2100 कैलोरी की न्यूनतम पौषिक आवश्यकताओं के आधार पर परिभाषित किया। इस कैलोरी अन्तर्ग्रहण को फिर मासिक प्रति व्यक्ति व्यय में परिवर्तित किया जाता है। योजना आयोग को एक विधि एक अध्ययन समूह, जिसमें डी० आर, गाडगिल, पी० एस० लोकनाथ, बी० एन० गांगुली और अशोक मेहता थे, ने सुझाई। इस समूह ने राष्ट्रीय गरीबी रेखा का निर्धारण किया और इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि 1960-61 कीमतों पर ₹ 20 प्रति व्यक्ति प्रति मास निजी उपभोग व्यय न्यूनतम निर्वाह स्तर है। यह राशि चौथी योजना के लिए निश्चित की गई। बाद की योजनाओं में कीमतों के बढ़ने से यह राशि ऊँचे स्तर पर निश्चित की गई जो उन योजनाओं में गरीबी रेखा निर्धारित की गई। छठी योजना में ₹ 77 प्रति व्यक्ति प्रति मास ग्रामीण जनसंख्या के लिए ₹ 88 प्रति व्यक्ति मास शहरी जनसंख्या के लिए गरीबी रेखा का स्तर निर्धारित किया। इस आधार पर 1977-78 में 50.82 प्रतिशत ग्रामीण तथा 38.19 शहरी जनसंख्या निर्धन थी। दोनों को इकट्ठा कर लेने पर कुल जनसंख्या 48.13 प्रतिशत निर्धन थी।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) द्वारा अपने 55वें दौर के सर्वेक्षण (जुलाई 1999-जून 2000) में उपभोक्ता व्यय के सम्बन्ध में उपलब्ध कराए गए अद्यतन वृहद् नमूना सर्वेक्षण आँकड़ों के अनुसार 30 दिवसीय प्रत्यावहन के आधार पर देश में गरीबी अनुपात ग्रामीण क्षेत्रों में 27.09 प्रतिशत अनुमानित है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के अनुपात में वर्ष 1973-74 में 54.54% से निरन्तर गिरावट आई है जो वर्ष 1991-2000 में 27.09 प्रतिशत के स्तर तक पहँच गई। इस तरह, देश में अभी भी लगभग 20 करोड़ ग्रामीण जनसंख्या गरीबी की रेखा से नीचे का जीवन व्यतीत कर रही है। यद्यपि देश में गरीबी में व्यापक स्तर पर गिरावट आई है। फिर भी ग्रामीण गरीबी अनुपात अभी भी उड़ीसा, बिहार तथा उत्तरी पूर्व राज्यों में अपेक्षाकृत अधिक है।

प्रश्न 2.
निर्धनता को दूर करने के उपाय बताएं।
उत्तर-
ये उपाय निम्न हैं

1. पूँजी निर्माण की दर को बढ़ाना (High Rate of Capital Formation)-यह तो सब जानते हैं कि पूँजी निर्माण की दर जितनी ऊँची होगी, साधारणतया आर्थिक विकास भी उतनी ही तीव्र गति से सम्भव हो सकेगा। इसका कारण यह है कि विकास के प्रत्येक कार्यक्रम के लिए चाहे उसका सम्बन्ध कृषि की उत्पादकता में वृद्धि लाने से हो अथवा औद्योगीकरण या शिक्षा या स्वास्थ्य की व्यवस्था बढ़ने से हो, अधिकाधिक मात्रा में पूँजी की आवश्यकता होती है। यदि पर्याप्त मात्रा में पूँजी उपलब्ध है तो विकास का कार्य ठीक प्रकार से चल सकेगा अन्यथा नहीं। अतः देश में पूँजी निर्माण की ओर ध्यान देना अत्यन्त आवश्यक है। पूँजी निर्माण के लिए आवश्यक है कि लोग अपनी कुल आय को वर्तमान उपभोग पर व्यय न करके उसके एक भाग को बचाएँ और उसे उत्पादन कार्यों में विनियोग करें अथवा लगाएं। इस दृष्टि से हमें चाहिए कि हर ढंग से लोगों को प्रोत्साहित करें कि वे उपभोग के स्तर को सीमित करें। फिजूलखर्चों से बचें और आय के अधिकाधिक भागों को बचाकर उत्पादन क्षेत्र में लगाएँ। देश में साख मुद्रा और कर सम्बन्धी नीतियों में ठीक परिवर्तन लाकर पूँजी निर्माण की दर को ऊपर उठाया जा सकता है।

2. उत्पादन नीतियों में सुधार (Improved Methods of Production) उत्पादन की आधुनिक विधियाँ और साज समान को अपनाना चाहिए, तभी उत्पादन की मात्रा में अधिकाधिक वृद्धि लाकर लोगों का जीवन-स्तर ऊपर उठाया जा सकता है। लेकिन ऐसा करते समय हमें अपनी विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखना होगा। केवल उन्नत देशों की नकल से काम नहीं चलेगा। कारण, उनकी और हमारी परिस्थितियों में बहुत बड़ा अन्तर है। हमें चाहिए कि ऐसे नए तरीकों और साज-समान को अपनाएँ जिनमें अपेक्षाकृत बहुत अधिक मात्रा में पूँजी की आवश्यकता न पड़ती हो और श्रम की अधिक खपत हो सकती हो।

3. न्यायोचित वितरण (Better Distribution)-पूँजी-निर्माण की दर को ऊँचा करने तथा उत्पादन के नए तरीकों को अपनाने से उत्पादन को मात्रा में निश्चय ही भारी वृद्धि होगी। फलस्वरूप राष्ट्रीय आय में वृद्धि लाने से ही सर्वसाधारण की ग़रीबी दूर न होगी, उनका जीवन स्तर ऊपर न उठ सकेगा। साथ ही उसके ठीक विभाजन व वितरण के लिए भी आर्थिक व्यवस्था करना आवश्यक है जिससे आय और सम्पत्ति की विषमता घटे और देश में आर्थिक शक्ति का अधिक समान वितरण सम्भव हो सके। हमें ऐसी व्यवस्था करनी होगी जिससे जिन लोगों की आय बहुत कम है, उन की आय बढ़े और उन्हें अधिक लाभप्रद अवसर मिलें और साथ ही जिससे धन का संचय एक स्थान पर न होने पाए तथा समृद्धिशालियों के साधनों में अपेक्षाकृत कमी हो।

4. जनसंख्या पर नियन्त्रण (Population Control)-देश के तीव्र आर्थिक विकास के लिए हमें एक और कार्य करना होगा। वह है तेज़ी से बढ़ती हुई देश की भारी जनसंख्या पर नियन्त्रण करना। जब लोगों की आय और व्यय का स्तर नीचा होता है और जनसंख्या में वृद्धि का क्रम ऊँचा होता है तो आर्थिक विकास की गति में भारी रुकावट पैदा होती है। कारण, ऐसी परिस्थिति में श्रमिकों को बढ़ती हुई संख्या के लिए उपभोक्ता पदार्थों (Consumer’s goods) की आवश्यकताएँ और लाभप्रद रोज़गार की कमी है।

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