Punjab State Board PSEB 5th Class Hindi Book Solutions Chapter 20 भूल गया है क्यों इंसान Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 5 Hindi Chapter 20 भूल गया है क्यों इंसान
Hindi Guide for Class 5 PSEB भूल गया है क्यों इंसान Textbook Questions and Answers
I. बताओ
प्रश्न 1.
इन्सान किस बात को भूल गया है?
उत्तर:
सब इन्सान मिट्टी के पुतले हैं और सबमें एक-जैसी जान है, इस बात को इन्सान भूल गया है।
प्रश्न 2.
अनेक देशों में किस की सन्तान बसी
उत्तर:
अनेक देशों में उसी परमेश्वर की सन्तान बसी हुई है।
प्रश्न 3.
देश और वेश-भूषा अलग होने पर भी मानव में क्या समानता है ?
उत्तर:
अलग-अलग देश और लोगों के पहनावे भिन्न-भिन्न होने पर भी सभी मानव समान हैं, क्योंकि सब में एक जैसे प्राण हैं।
II. सरलार्थ करो
सबकी है मिट्टी की काया
सब पर नभ की निर्मल छाया
यहाँ नहीं कोई आया है, ले विशेष वरदान।
भूल गया है क्यों इन्सान॥
उत्तर:
कवि कहता है कि मनुष्य यह बात क्यों भूल गया है कि शरीर मिट्टी का बना हुआ है। सबके सिर पर आकाश की स्वच्छ छाया है। इस संसार में कोई भी विशेष वरदान लेकर नहीं आया है। भाव यह है कि सब समान हैं।
III. समान तुक वाले शब्द मिलाओ
काया | वेश |
उपजाए | छाया |
देश | सन्तान |
वरदान | बनाए। |
उत्तर:
काया – छाया।
उपजाए – बनाए।
देश – वेश।
वरदान – सन्तान।
IV. चित्र को देखो. और पाँच पंक्तियाँ लिखो
उत्तर:
हमारे देश में अलग-अलग जातियों और धर्मों के लोग रहते हैं। उन सबकी वेशभूषा और रहन- सहन अलग-अलग है। हिन्दू लोग धोती और कुर्ता पहनते हैं तो मुस्लिम लोग कुर्ता-पायजामा पहनते हैं। औरतें सूट-सलवार तथा घाघरा चोली पहनती हैं। यहाँ लोग भारतीय वेशभूषा के साथ-साथ पश्चिमी वेशभूषा भी पहनते हैं। फिर भी सब मिलजुल कर रहते हैं इसीलिए मेरा भारत महान् है।
V. समानार्थक शब्द लिखो
(i) इन्सान = मानव, मनुष्य
(ii) काया = …………. , ………….
(iii) धरा = ………….. , …………….
(iv) सन्तान = …………… , …………..
उत्तर:
(i) इन्सान = मानव, मनुष्य।
(ii) काया = तन, शरीर।
(iii) धरा = वसुधा, वसुन्धरा।
(iv) सन्तान = पुत्र, तनय।
VI. करिए
कविता को हाव-भाव के साथ गाएँ।
VII. नए शब्द बनाएँ
(i) मिट्टी = ट् + ट = ……………
(ii) इन्सान = + स = …………….
(iii) निर्मल = र् + म = ……………
उत्तर:
(i) खट्टा
(ii) इन्सानियत।
(iii) निर्मम।
बहुवैकल्पिक प्रश्न
पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्प पर (✓) निशान लगाएं
प्रश्न 1.
इन्सान की काया किसकी है?
(क) मिट्टी की
(ख) सोने की
(ग) चाँदी की
(घ) खून की।
उत्तर:
(क) मिट्टी की
प्रश्न 2.
मानव किसने उपजाए?
(क) पिता ने
(ख) माँ ने
(ग) धरती ने
(घ) नभ ने।
उत्तर:
(ग) धरती ने
प्रश्न 3.
सभी देशों में किसकी संतान बसी है?
(क) परमेश्वर की
(ख) पिता की
(ग) माँ की
(घ) दोनों की।
उत्तर:
(क) परमेश्वर की
प्रश्न 4.
सभी मनुष्यों में एक जैसा क्या है ?
(क) प्राण
(ख) धन
(ग) सम्मान
(घ) वैभव।
उत्तर:
(क) प्राण
भूल गया है क्यों इंसान Summary
भूल गया है क्यों इंसान पाठ का सार
कवि मनुष्य को याद कराना चाहता है कि वह क्यों भूल गया है कि सबका शरीर मिट्टी से बना है। वह नाशवान है और सब पर आकांश की निर्मल छाया है। सदा के लिए यहाँ रहने का वरदान लेकर कोई नहीं आया है। चाहे इस संसार में लोगों के बनाए अनेक देश हैं पर सभी मनुष्यों का जीवन धरती के कारण ही है। चाहे देश भिन्न हों, उनका पहनावा अलग हो पर सभी मनुष्यों में प्राण तो एक-से ही हैं।
पद्यांशों के सरलार्थ
1. भूल गया है क्यों इन्सान।
सबकी है मिट्टी की काया,
सब पर नभ की निर्मल छाया,
यहाँ नहीं कोई आया है,
ले विशेष वरदान।
कठिन शब्दों के अर्थ:
इन्सान = मनुष्य। काया = शरीर। नभ = आकाश। निर्मल = स्वच्छ। छाया = छांव।
प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘बच्चन’ जी द्वारा लिखित कविता ‘भूल गया है क्यों इन्सान’ में से लिया गया है।
सरलार्थ:
कवि कहता है कि मनुष्य यह बात क्यों भूल गया है कि शरीर मिट्टी का बना हुआ है। सबके सिर पर आकाश की स्वच्छ छाया है। इस संसार में कोई भी विशेष वरदान लेकर नहीं आया है। भाव यह है कि सब समान हैं।
भावार्थ:
मनुष्य मरणधर्मा है। उसे निश्चित रूप से संसार छोड़कर मृत्यु को प्राप्त करना ही है।
2. भूल गया है क्यों इन्सान।
धरती ने मानव उपजाए,
मानव ने ही देश बनाए,
बहु देशों में बसी हुई है,
एक धरा-संतान।
कठिन शब्दों के अर्थ:
मानव = मनुष्य। उपजाए = पैदा किए। बहु = बहुत। धरा = धरती।
सरलार्थ:
कवि कहता है कि-मनुष्य इस बात को क्यों भूल गया है कि इस धरती ने मनुष्य को पैदा किया है। फिर मनुष्य ने देशों को बनाया है, बहुत-से देशों में यह धरती की सन्तान (मनुष्य) बसी हुई है।
भावार्थ:
इन्सान ने धरती पर रहते हुए भेदभाव के कारण देशों में भूमि को बाँट दिया है।
3. भूल गया है क्यों इन्सान।
देश अलग हैं, देश अलग हों,
वेश अलग हैं, वेश अलग हों,
मानव का मानव से लेकिन,
अलग न अन्तर-प्राण
भूल गया है क्यों इन्सान।
कठिन शब्दों के अर्थ:
वेश = पहनावा। अन्तर-प्राण = जीवात्मा।
सरलार्थ:
कवि कहता है-मनुष्य यह क्यों भूल गया है कि देश अलग-अलग हैं और भले ही ये अलग-अलग हों। मनुष्य के पहनावे अलग हैं और चाहे वे अलग-अलग हों, परन्तु मनुष्य में मौजूद जीवात्मा सब में समान है।
भावार्थ:
इन्सानों में चाहे भेदभाव है पर उनमें विद्यमान जीवात्मा एक ही होती है।