Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 18 शिवाजी का सच्चा स्वरूप
Hindi Guide for Class 9 PSEB शिवाजी का सच्चा स्वरूप Textbook Questions and Answers
(क) विषय-बोध
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
शिवाजी कौन थे ?
उत्तर:
शिवाजी एक प्रसिद्ध मराठा वीर थे।
प्रश्न 2.
मोरोपंत कौन था ?
उत्तर:
मोरोपंत एक पेशवा थे।
प्रश्न 3.
आवाजी सोनदेव कौन था ?
उत्तर:
आवाजी सोनदेव शिवाजी का एक सेनापति था।
प्रश्न 4.
शिवाजी के सच्चा स्वरूप को दर्शाती इस पाठ की घटना किस समय की है ?
उत्तर:
इस पाठ की घटना सन् 1648 ई० की संध्या की है।
प्रश्न 5.
मोरोपंत शिवाजी को आकर क्या शुभ समाचार देता है ?
उत्तर:
मोरोपंत शिवाजी को आकर यह शुभ समाचार देता है कि सेनापति आवाजी सोनदेव ने कल्याण प्रांत को जीत कर वहां का सारा खज़ाना लूटकर आ गए हैं।
प्रश्न 6.
आवाजी सोनदेव ने शिवाजी को सबसे बड़े तोहफे के बारे में क्या बताया ?
उत्तर:
आवाजी सोनदेव ने शिवाजी को बताया कि सबसे बड़े तोहफे के रूप में वह कल्याण सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को बंद करके लाया है।
प्रश्न 7.
शिवाजी की प्रसन्नता एकाएक लुप्त क्यों हो गयी थी ?
उत्तर:
अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति लेकर आया है, यह सुनकर शिवाजी की प्रसन्नता लुप्त हो गई। उन्हें अपने सेनापति के कार्य पर लज्जा आई थी।
प्रश्न 8.
शिवाजी ने सूबेदार की पुत्र-वधू की सुरक्षा करते हुए उसे क्या आश्वासन दिया ?
उत्तर:
शिवाजी ने उसे आश्वासन दिया कि उसे आराम, इज्जत, हिफ़ाजत और खबरदारी के साथ उसके शौहर के पास बिना देरी के पहुँचा दिया जाएगा।
प्रश्न 9.
शिवाजी पर-स्त्री को किसके समान मानते थे ?
उत्तर:
शिवाजी पर-स्त्री को माता के समान मानते थे।
प्रश्न 10.
शिवाजी ने अंत में क्या घोषणा की ?
उत्तर:
शिवाजी ने अंत में घोषणा की कि यदि कोई भविष्य में ऐसा काम करेगा तो उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाएगा।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
शिवाजी ने अपने सेनापति की ग़लती पर सूबेदार की पुत्र-वधू से किस प्रकार माफी मांगी ?
उत्तर:
शिवाजी ने कहा कि माँ, शिवा अपने सेनापति की इस हरकत पर आपसे माफी मांगता है। आप एक माँ के समान पूजनीय हैं। यदि मेरी माँ आप जैसी सुंदर होती तो मैं भी सुंदर होता। मैं आपकी सुंदरता का हिंदू विधि से पूजन करना चाहता हूँ।
प्रश्न 2.
शिवाजी ने अपने सेनापति को किस प्रकार डाँट फटकार लगायी ?
उत्तर:
शिवाजी ने सेनापति को फटकारते हुए कहा कि उसने ऐसा घृणित काम किया है जो शायद क्षमा नहीं किया जा सकता। तुम शिवा को नजदीक से जानते थे फिर भी ऐसा दुस्साहस किया। शिवा ने आज तक किसी मस्जिद की दीवार में बाल के बराबर दरार नहीं आने दी। सदा कुरान का सम्मान किया।
प्रश्न 3.
शिवाजी किस तरह सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे ?
उत्तर:
शिवाजी ऐसे सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे जहां सुख-शांति एवं भाईचारा हो। जहाँ पर-स्त्री का भी माँ के जैसा सम्मान हो। हिंदू-मुस्लिम सभी धर्म समान हों। मंदिर-मस्जिद दोनों का सम्मान हो। कोई भी आततायी न हो।
प्रश्न 4.
शिवाजी शील अर्थात् सच्चरित्र को जीवन का आवश्यक अंग क्यों मानते थे ?
उत्तर:
शिवाजी शील अर्थात् सच्चरित्र को जीवन का आवश्यक अंग इसलिए मानते थे, क्योंकि शील जीवन का मूल आधार है। इसी से जीवन महान् बनता है। यदि शिवा में शील नहीं तो सरदार और सेनापति में शील नहीं हो सकता है। बिना शील के हम लुटेरों, डाकुओं के समान हैं। इसके बिना जीवन से मृत्यु तथा विजय से पराजय कहीं ज्यादा श्रेष्ठ है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ पाठ के आधार पर शिवाजी का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
शिवाजी के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएं हैं
(1) वीर-शिवाजी एक प्रसिद्ध मराठा वीर थे। उनकी वीरता चारों तरफ बहुत प्रसिद्ध थी। उन्होंने अपनी वीरता के बल पर अनेक विदेशी आक्रमणकारियों से लोहा लिया और उन्हें खदेड़ दिया।
(2) चरित्रवान्-शिवाजी एक महान् चरित्रवान् राजा थे। उनकी शीलता बहुत प्रसिद्ध थी। उन्होंने कभी भी किसी स्त्री को नहीं सताया था। यहां तक कि वह मुस्लिम स्त्रियों को भी पूजनीय मानता था।
(3) नारी का सम्मान करने वाला-शिवाजी नारी का पूरा सम्मान करते थे। वे पर-स्त्री को अपनी माँ के समान पूजनीय मानते थे। इसीलिए उन्होंने कल्याण सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति द्वारा जीतने के बाद भी सम्मान सहित क्षमा मांग कर वापिस भिजवा दिया था।
(4) साहसी-शिवाजी एक साहसी वीर थे। उनमें साहस कूट-कूट भरा था। इसी साहस के बल पर उन्होंने अनेक आंतकियों को मार भगाया था।
(5) सभी धर्मों का सम्मान करने वाले-शिवाजी सभी धर्मों का आदर करते थे। उन का मानना था कि सभी धर्म श्रेष्ठ और पूजनीय होते हैं। वे मुस्लिम धर्म का पूर्ण रूप से सम्मान करते थे और किसी भी स्थिति में उस का निरादर करने की बात सोचते तक नहीं थे।
प्रश्न 2.
इस पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
इस पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि पर-स्त्री को सदा माँ के समान पूजनीय समझना चाहिए। उसका सदा आदर करना चाहिए। कभी भी वीरता का घमंड नहीं करना चाहिए। धैर्यवान् एवं चरित्रवान् बनना चाहिए। दूसरों का सदा सम्मान करना चाहिए। सभी धर्मों एवं लोगों को समान भाव से देखना चाहिए।
प्रश्न 3.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी के नाम की सार्थकता अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
इस एकांकी में लेखक ने शिवाजी की अपराजेय शक्ति, शौर्य और पराक्रम का चित्रण किया है। वे राष्ट्रीय गौरव के महान् ध्वज थे। उन्होंने धर्मान्ध विदेशी अत्याचारियों से निरंतर लोहा लिया। देश की शक्तियों को संगठित कर हिंदू स्वराज्य की स्थापना की, जो धर्मनिरपेक्ष था। उनका स्वराज्य मानव-मूल्यों की आधारशिला पर टिका हुआ था। जिसमें प्रत्येक नागरिक को सम्मानपूर्ण जीवनयापन के अधिकार प्राप्त थे। शिवाजी शीलवान और चरित्रवान् पुरुष थे। उनमें राजगद्दी का कोई अभिमान नहीं था। वे नारी जाति का पूर्ण सम्मान करते थे। शत्रु पत्नी उन्हें माँ से भी अधिक वंदनीय थी। यही कारण है कि सेनापति द्वारा शत्रु पत्नी को बंदी बनाकर लाने पर वे उनसे क्षमायाचना की थी तथा उन्हें सकुशल पति के पास भेजने का आश्वासन दिया था। उनका मानना था कि शिवा में शील होना आवश्यक था क्योंकि उनमें शील होने पर ही सेनापति तथा सरदारों में शील हो सकता था। बिना सच्चरित्र के लुटेरों, डाकुओं और हममें कोई अंतर नहीं। ऐसी अवस्था में जीवन से मृत्यु तथा विजय से पराजय कहीं ज्यादा श्रेष्ठ थी। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एकांकी का यह नाम बिल्कुल सार्थक है।
4. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए
प्रश्न 1.
आवाजी, क्या तुम मेरी परीक्षा लेना चाहते थे ? इसलिए तो तुमने यह कार्य किया ?
उत्तर:
जब आवाजी कल्याण के सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को बंदी बनाकर शिवाजी के सामने लाया तो शिवाजी ने उसको फटकार लगाई कि क्या वह उसकी परीक्षा लेना चाहता था। शायद इसलिए तुमने यह कार्य किया है।।
प्रश्न 2.
पेशवा, यह…… यह मेरे …. मेरे एक सेनापति ने ….. मेरे एक सेनापति ने क्या…. क्या कर डाला। लज्जा से मेरा सिर आज पृथ्वी में नहीं, पाताल में घुसा जाता है। इस पाप का न जाने मुझे कैसा ….. कैसा प्रायश्चित करना पड़ेगा ?
उत्तर:
शिवाजी अपने सेनापति द्वारा किए गए घृणित कार्य से बहुत लज्जित हुए। उनकी अंर्तात्मा उन्हें दुत्कारने लगी तो वे अंदर ही अंदर क्षमा याचना करते हैं कि पर-स्त्री को बंदी बनाने का घृणित कार्य उनके सेनापति ने किया है। उसके सेनापति ने कैसा लज्जापूर्ण कार्य कर डाला। आज लज्जा से मेरा सिर पृथ्वी में नहीं बल्कि पाताल में धंसा जाता है। इस पाप का न जाने मुझे कैसा प्रायश्चित करना पड़ेगा।
(ख) भाषा-बोध
1. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखिए
अशुद्ध – शुद्ध
दलान – ………………
सुसजित – ………………
वेषभूशा – ………………
गबराहट – ………………
हिंदू – ………………
मसजिद – ………………
श्रेसकर – ………………
सेनापती – ………………
उपसथित – ………………
मुसकुराना – ………………
खुबसूरती – ………………
सुराजय – ………………
घृणीत – ………………
प्राशचित – ………………
उत्तर:
अशुद्ध – शुद्ध
दलान – दालान
सुसजित – सुसज्जित
वेषभूशा – वेषभूषा
गबराहट – घबराहट
हिंदू – हिंदु
मसजिद – मस्जिद
श्रेसकर – श्रेयस्कर
सेनापती – सेनापति
उपसथित – उपस्थित
मुसकुराना – मुस्कुराना
खुबसूरती – खूबसूरती
सुराजय – स्वराज्य
घृणीत – घृणित
प्राशचित – प्रायश्चित
2. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए
- मुहावर – अर्थ – वाक्य
- भृकुटि चढ़ना – क्रोध आना – ………………
- (नीचे का) होंठ (ऊपर के) –
दाँतों के नीचे आना – क्रोध आना – ……………… - सिर पर चढ़ाना – सम्मान करना, आदर-भाव से ग्रहण करना – ……………
- बाल बराबर दरार न आने देना – ज़रा भी नुकसान न होने देना, एक समान भाव रखना, समानता रखना – …………….
उत्तर:
- भृकुटि चढ़ना (क्रोध आना) – दुर्योधन को देखकर अर्जुन की भृकुटि चढ़ गई।
- (नीचे का) होंठ (ऊपर के) दाँतों के नीचे आना (क्रोध आना) – दुश्मन को देखकर सिपाही का (नीचे का) होंठ (ऊपर के) दांतों के नीचे आ गया।
- सिर पर चढ़ाना (सम्मान करना) – प्रताप से सभी प्रेम करते हैं इसलिए वह सबके सिर चढ़ा रहता है।
- बाल बराबर दरार न आने देना (ज़रा भी नुकसान न होने देना एक समान भाव रखना अथवा समानता रखना)-शिवाजी ने कभी भी मस्जिदों में बाल बराबर दरार नहीं आने दी।
(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ पाठ में लेखक क्या कहना चाहता है ? क्या लेखक अपनी बात कहने में पूरी तरह सफल हुआ है ? अपने शब्दों में उत्तर दीजिए।
उत्तर:
इस पाठ के माध्यम से लेखक शिवाजी की मानवतावादी एवं मानव कल्याण की भावना को उजागर करना चाहता है। शिवाजी शक्ति, शौर्य और पराक्रम की साक्षात मूर्ति थे। उन्होंने विदेशी अत्याचारियों से निरंतर लोहा लिया। उन्होंने देश की शक्तियों को संगठित कर हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की। ऐसा स्वराज्य स्थापित किया जो धर्म-निरपेक्ष था। जो मानव मूल्यों की आधारशिला पर टिका था। उसमें प्रत्येक नागरिक को आदरपूर्वक जीवनयापन करने के पूर्ण अधिकार प्राप्त थे। शिवाजी को शत्रु-पत्नी माँ से भी अधिक वंदनीय थी। अन्य धर्मों को मानने वाले उन्हें बहुत प्रिय थे। उनके स्वराज्य में सभी धर्मों का सम्मान होता है, कहीं भी मस्जिद, कुरान का अपमान नहीं होता। इसीलिए वह कल्याण के सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति द्वारा बंदी बनाने पर उनसे क्षमायाचना करता है और उन्हें आदर सहित उनके पति के पास भेजता है। इस घृणा योग्य कार्य से वह बहुत लज्जित होता है। इस तरह लेखक अपनी बात कहने में पूरी तरह से सफल हुआ है।
प्रश्न 2.
यदि आप शिवाजी की जगह होते तो सेनापति आवाजी सोनदेव को उसकी नामाकूल हरकत के लिए क्या सज़ा देते ?
उत्तर:
यदि मैं शिवाजी की जगह होता तो सेनापति आवाजी सोनदेव को उनकी दुष्टतापूर्ण हरकत के लिए कड़ी से कड़ी सजा देता। उसे इस कार्य के लिए बिल्कुल माफ़ न करता। उसे आजीवन कारावास में डाल देता।
प्रश्न 3.
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः अर्थात् जहाँ नारी का पूजा (सम्मान) होती है वहाँ देवता निवास करते हैं-क्या आप इस बात से सहमत हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ, मैं इस बात से पूर्ण रूप से सहमत हूँ कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। नारी प्रकृति और उस परमात्मा का दूसरा रूप है। परमात्मा हर जगह विराजमान नहीं हो सकता था। इसलिए उसने संसार में अपने अनेक रूपों में नारी को बनाया। प्रकृति और प्रभु पूजनीय एवं श्रद्धा-योग्य हैं इसलिए नारी भी पूजनीय एवं श्रद्धेय है। अतः हमें नारी का सदा सम्मान करना चाहिए। उसकी सदा पूजा करनी चाहिए। जहां नारी की पूजा होती है वहां सदा सुख, शांति, समृद्धि का वास होता है। वहां कभी अशुभ नहीं हो सकता। इसलिए सदा नारी का आदर सम्मान करना चाहिए। उसकी पूजा करनी चाहिए।
प्रश्न 4.
स्त्री को छेड़ने/अपहरण आदि करतूत करने में बहादुरी नहीं होती। असली बहादुरी तो स्त्री रक्षा/ सुरक्षा में है। क्या आप इस बात से सहमत हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
हाँ, मैं इस बात से पूर्णतः सहमत हूँ कि स्त्री को छेड़ने या अपहरण आदि करतूत करने में बहादुरी नहीं होती बल्कि असली बहादुरी तो स्त्री की रक्षा या सुरक्षा करने में होती है। स्त्री को छेड़ना या अपहरण करना एक लज्जापूर्ण शिवाजी का सच्चा स्वरूप एवं घृणा योग्य कार्य है। इस कार्य को करने से समाज में बदनामी मिलती है। मान-सम्मान नष्ट हो जाता है। समाज ऐसे लोगों से घृणा करने लगता है। उनसे लोग अपना सामाजिक रिश्ता तोड़ लेते हैं। किंतु जो स्त्री की रक्षा या सुरक्षा करता है लोग उसे बहादुर कहकर उसका आदर सम्मान करते हैं। समाज में उसकी इज्जत बढ़ने लगती है। उसकी एक श्रेष्ठ होने की पहचान बन जाती है। इसलिए हमें सदा स्त्रियों की रक्षा या सुरक्षा करनी चाहिए।
प्रश्न 5.
नारी के उत्थान के लिए अनेक समाज सुधारकों/कवियों/लेखकों/महापुरुषों ने कार्य किये हैं। आप किससे प्रभावित हुए हैं ? नारी-उत्थान में उनके योगदान को उजागर करते हुए स्पष्ट करें।
उत्तर:
मैं हिंदी-साहित्य के प्रसिद्ध लेखक सूर्यकांत त्रिपाठी निराला से प्रभावित हुआ हूँ। उन्होंने नारी-उत्थान के लिए अनेक कार्य किए। उन्होंने अपने साहित्य में भारतीय नारी को विशेष स्थान दिया। उन्होंने नारी को सबसे श्रेष्ठ माना है। उन्होंने विधवा नारी को इष्टदेव के मंदिर की पूजा के समान बताया है। उन्होंने नारी पूजनीय एवं श्रद्धेय माना है।
(घ) पाठेत्तर सक्रियता
प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी को अपने स्कूल के मंच पर खेलिए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से एकांकी खेलें।
प्रश्न 2.
अपने स्कूल/शहर/गाँव के पुस्तकालय से शिवाजी से सम्बन्धित पुस्तक लेकर उनके अन्य जीवन प्रसंग पढ़िए। प्रेरक प्रसंगों की जानकारी इंटरनेट से भी प्राप्त हो सकती है।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।
प्रश्न 3.
नारी अबला नहीं, सबला है-इस विषय पर कक्षा में वाद-विवाद आयोजित करें। (नोट : कक्षा में सभी विद्यार्थियों को इस विषय के पक्ष या विपक्ष में बोलने के लिए 2 मिनट का समय दिया जाए)
उत्तर:
पक्ष : यह कथन सत्य है कि नारी अबला नहीं, सबला है। नारी शक्ति का दूसरा नाम है। नारी को दुर्गा शक्ति का अवतार माना जाता है। नारी किसी भी रूप में पुरुषों से पीछे नहीं है। 21वीं सदी को तो नारी सदी के नाम से ही पुकारा गया है। आज नारी ने हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। कोई ऐसा कार्य नहीं है जिसे नारी नहीं कर सकती। वह जीवन की हर कठिनाई एवं मुसीबत का बढ़-चढ़कर मुकाबला कर सकती है।
विपक्ष : नारी अबला है, सबला नहीं। नारी जीवन में केवल सहज कार्य ही कर सकती है वह केवल घर को संभालने में ही लगी रहती है। इतना ही नहीं वह किसी भी मुसीबत का मुकाबला नहीं कर सकती। वह हर जगह पुरुषों पर निर्भर रहती है।
(ङ ) ज्ञान-विस्तार
शिवाजी के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण बातें जानिए
- पूरा नाम : शिवाजी राजे भोसले
- जन्म तिथि : 19 फरवरी, 1630
- जन्म भूमि : शिवनेरी (महाराष्ट्र)
- पिता : शाह जी भोंसले
- माता : जीजाबाई
- पत्नी : साइबाई निम्बालकर
- सन्तान : शम्भा जी
- उपाधि : छत्रपति
- युद्ध : मुग़लों के विरुद्ध अनेक युद्ध
- निर्माण : अनेक क़िलों का निर्माण व पुनरुद्धार
- सुधार परिवर्तन : हिन्दू राज्य की स्थापना
- राजघराना : मराठा साम्राज्य
- वंश : भोंसले
- मृत्यु : 3 अप्रैल, सन् 1680
PSEB 9th Class Hindi Guide शिवाजी का सच्चा स्वरूप Important Questions and Answers
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
सेनापति आवाजी सोनदेव ने किस पर विजय प्राप्त की ?
उत्तर:
सेनापति ने कल्याण पर विजय प्राप्त की।
प्रश्न 2.
किनका काम कल्याण पर विजय में प्रशंसनीय रहा ?
उत्तर:
कल्याण विजय में पैदल सेना के अधिपति नायब, हवलदार, जुमलादार, एकहजारी, घुड़सवारों में अधिपति हवलदार, जुमलदार तथा सूबेदार का काम प्रशंसनीय रहा।
प्रश्न 3.
सेनापति ने किसका खजाना लूटा ?
उत्तर:
सेनापति ने कल्याण का खजाना लूटा।
प्रश्न 4.
कल्याण का सूबेदार कौन था ?
उत्तर:
कल्याण का सूबेदार अहमद था।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
सेनापति द्वारा अहमद की पुत्र-वधू को बंदी बनाकर लाने की बात सुनकर शिवाजी पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
शिवाजी की सारी प्रसन्नता अचानक लुप्त हो गई। उनकी भौहें चढ़ गईं थी। नीचे का होंठ ऊपर के दांतों के नीचे आ गया। उन्हें क्रोध आ गया।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
एकांकी का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस एकांकी में लेखक सेठ गोबिन्द दास ने शिवाजी के शील, शौर्य, पराक्रम एवं मानव मूल्यों का वर्णन किया है। इसमें शिवाजी का सच्चा स्वरूप उभरकर सामन आया है। वे हमारे राष्ट्रीय गौरव के महान् ध्वज थे। उन्होंने विदेशी अत्याचारियों से निरंतर लोहा लिया। देश की शक्तियों को संगठित कर हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की। यह एक धर्म-निरपेक्ष स्वराज्य था जो मानव मूल्यों का आधारशिला पर खड़ा था। यहां प्रत्येक नागरिक को सम्मानपूर्ण जीवन जीने के पूर्ण अधिकार प्राप्त थे। शिवाजी को शत्रु पत्नी उन्हें माँ से भी अधिक पूजनीय थी। अन्य धर्मों को मानने वाले बहुत प्रिय थे। वे मुस्लिम धर्म का पूर्ण सम्मान करते थे। इसलिए उन्होंने कल्याण के सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को सेनापति द्वारा बंदी बनाने पर उससे क्षमा याचना की थी तथा उसे वापिस भेजने का आश्वासन दिया था।
प्रश्न 2.
शिवाजी के लिए सभी धर्म पूज्य थे ? कैसें ?
उत्तर:
शिवाजी सभी धर्मों का आदर करते थे। यही कारण है कि उनकी सेना में हिंदु-मुसलमान दोनों थे। उन्होंने किसी मस्जिद की दीवार को कभी आंच नहीं आने दी। उन्हें कभी कुरान शरीफ़ मिली तो उसे आदर सहित मौलवी साहब की सेवा में भेजा था। उनके लिए हिंदू-मुसलमान प्रजा में कोई भेद नहीं था। इसीलिए उन्होंने धर्म-निरपेक्ष स्वराज्य की स्थापना की थी। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शिवाजी के लिए सभी धर्म पूजनीय थे।
एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी किसकी रचना है ?
उत्तर:
सेठ गोबिन्द दास की।
प्रश्न 2.
शिवाजी के लिए शत्रु की पत्नी कैसी है ?
उत्तर:
माँ से भी अधिक वंदनीय है।
प्रश्न 3.
सेनापति आवाजी सोनदेव कहाँ का खज़ाना लूट कर लाए हैं ?
उत्तर:
कल्याण प्रांत का।
प्रश्न 4.
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ एकांकी में किस स्थान और समय की घटना का वर्णन है ?
उत्तर:
रायगढ़ दुर्ग के एक प्लान में सन् 1648 ई० की संध्या का।
प्रश्न 5.
पेशवा का क्या नाम है ?
उत्तर:
मोरोपंत।
प्रश्न 6.
श्रीमंत सरकार शिवाजी को कौन संबोधित करता है ?
उत्तर:
पेशवा मोरोपंत और आवाजी सोनदेव सेनापति।
हां-नहीं में उत्तर दीजिए
प्रश्न 7.
अहमद की पुत्र-वधू को मोरोपंत ने बंदी बनाया था।
उत्तर:
नहीं।
प्रश्न 8.
अहमद की पुत्रवधू की आँखों में आँसू छलछला आए।
उत्तर:
हाँ।
सही-गलत में उत्तर दीजिए
प्रश्न 9.
मोरोपंत शिवाजी की परिवर्तित मुद्रा देखकर घबरा सा जाता है।
उत्तर:
गलत।
प्रश्न 10.
माँ, आपको आराम, इज्जत, हिफ़ाजत और ख़बरदारी के साथ आपके शौहर के पास पहुँचा दिया जायेगा।
उत्तर:
सही।
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
प्रश्न 11.
आवाजी, तुमने ऐसा …… किया है, जो ……. क्षमा नहीं किया जा सकता।
उत्तर:
आवाजी, तुमने ऐसा काम किया है, जो कदाचित् क्षमा नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 12.
तब तो ये ………… ये ……. घृणित …….. है।
उत्तर:
तब तो ये रक्तपात, ये लूटमार घृणित कृतियाँ हैं।
बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें
प्रश्न 13.
मसनत के सहारे शिवाजी किस आसन में बैठे हैं ?
(क) वज्रासन
(ख) सुखासन
(ग) वीरासन
(घ) पद्मासन।
उत्तर:
(ग) वीरासन।
प्रश्न 14.
आवाजी सोनदेव शिवाजी का क्या है ?
(क) सैनिक
(ख) मंत्रि
(ग) पेशवा
(घ) सेनापति।
उत्तर:
(घ) सेनापति।
प्रश्न 15.
द्वार पर शस्त्रों से सुसज्जित कितने मावली रक्षक खड़े हैं ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर:
(क) दो।
प्रश्न 16.
“लज्जा से मेरा सिर आज पृथ्वी में नहीं, पाताल में घुसा जाता है”-कथन किसका है ?
(क) मोरोपंत
(ख) सोनदेव
(ग) शिवाजी
(घ) अहमद की पुत्रवधू।
उत्तर:
(ग) शिवाजी।
कठिन शब्दों के अर्थ
मावली = शिवाजी के खास सैनिक। दुर्ग = किला। निस्तब्धता = चुप्पी। हम्माल = मज़दूर, कुली। मेणा = बंद पालकी। पेशवा = सरदार। वृत्त = इतिहास, वृत्तांत। भृकुटि = भौंह। तोहफा = भेंट, उपहार। सिपहसालार = सेनापति। श्रीमंत = श्रीमान्। नामाकूल हरकत = अनुचित व्यवहार, मूर्खतापूर्ण व्यवहार, बेहूदा शरारत। इबादत = पूजा। कमखाब = रंगीन बूटीदार। = रेशमी कपड़ा। अभिवादन = सत्कार। सदृश = समान। हिफाज़त = सुरक्षा। ख़बरदारी = सावधानीपूर्ण, होशियारी से। पर-स्त्री = पराई स्त्री। शौहर = पति। दालान = बरामदा। कदाचित् = शायद, कभी। घृणित = घृणा के योग्य। आततायी = सताने वाले। स्तंभ = खंभा। क्षति = नुकसान।। रक्तपात = खून बहाना। मसनद् = गोल लंबोतरा तथा बड़ा तकिया। उदारचेता = खुले विचारों वाला। शील = चरित्र। श्रेयस्कर = कल्याणकारी। वीरासन में बैठने का एक ढंग जो प्रायः प्राचीन योद्धाओं, योगियों आदि द्वारा अपनाया जाता है। इन्द्रियलोलुप = भोगविलास की इच्छा रखने वाला। प्रायश्चित्त = पछतावा। कनखी = तिरछी नज़र। अजीबो गरीब = विचित्र। संवाद = परस्पर बातचीत। सत्ता का अपहरण = राज्य छीनना।
शिवाजी का सच्चा स्वरुप Summary
शिवाजी का सच्चा स्वरुप जीवन-परिचय
जीवन परिचय-सेठ गोबिन्ददास हिंदी के श्रेष्ठ साहित्यकार थे। उनका जन्म सन् 1896 ई० में हुआ। वे लंबे समय तक लोकसभा के सदस्य रहे। भारत सरकार द्वारा इन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था।
रचनाएँ-सेठ जी ने साहित्य के सभी क्षेत्रों में लेखन कार्य किया है। परंतु नाटक-एकांकी के क्षेत्र में इन्होंने महान् ख्याति प्राप्त की है। इनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैंनाटक एकांकी-अलबेला, कर्ण, कर्त्तव्य, प्रकाश, विकास, शाप और वर, सच्चा जीवन, सेवापथ अशोक, हर्ष।
साहित्यिक विशेषताएँ-सेठ गोबिन्ददास साहित्य और राजनीति का संगम थे। इन्हें देश-प्रेम संस्कारों में मिला था। यही उनके जीवन तथा साहित्य का प्रमुख स्वर रहा है। इनके साहित्य में देश-प्रेम की भावना का वर्णन हुआ है। इन्होंने अपने नाटक एकांकियों में सामाजिक, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर जीवन की अनेक समस्याओं को उठाया है। इनमें भारतीय संस्कृति, देश-प्रेम तथा गांधी-दर्शन का प्रकाश उजागर किया गया है।
शिवाजी का सच्चा स्वरुप एकांकी का सार
‘शिवाजी का सच्चा स्वरूप’ सेठ गोबिन्ददास की प्रमुख एकांकी है। इसमें लेखक ने शिवाजी महाराज के सच्चे स्वरूप का वर्णन किया है। शिवाजी हमारे राष्ट्रीय गौरव का महान् ध्वज हैं। वे अपराजेय शक्ति, शौर्य और पराक्रमी थे। उन्होंने देश की शक्तियों को संगठित कर ‘हिन्दी स्वराज्य’ की स्थापना की। यह धर्म-निरपेक्ष स्वराज्य था। इन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों से निरंतर लोहा लिया। इस एकांकी में लेखक ने शिवाजी के इसी पवित्र चरित्र का वर्णन किया गया है। शिवाजी, मोरोपंत तथा आवाजी सोनदेव इस एकांकी के प्रमुख पात्र हैं। शिवाजी एक प्रसिद्ध मराठा वीर, मोरोपंत पेशवा तथा सोनदेव शिवाजी एक सेनापति थे। यह एकांकी सन् 1648 ई० की संध्या को राजगढ़ दुर्ग के दालान पर घटित होती है। दालान में मसनद् के सहारे शिवाजी आसन पर बैठे थे। राजगढ़ दुर्ग के दालान पर शस्त्रों के साथ सुदृढ़ शरीर वाले मावली रक्षक खड़े हुए हैं और बायीं तरफ से मोरोपंत पिगंले का प्रवेश हुआ। उसने शिवाजी सरकार को नमस्कार किया। उसने बताया कि सेनापति सोनदेव कल्याण प्रांत को जीतकर वहां का सारा खज़ाना लूटकर आए हैं। यह शुभ समाचार सुनकर शिवाजी बड़े खुश हुए। कुछ समय पश्चात् सेनापति आवाजी सोनदेव ने शिवाजी के सामने आकर अभिवादन किया। शिवाजी ने उसे इस जीत की बधाई दी तथा सेनापति ने शिवाजी को बधाई दी। दोनों में इस युद्ध के विषय में खूब चर्चा हुई। सेनापति ने जीत के साथ-साथ कल्याण के लूटे हुए खजाने के बारे में बताया तथा उसने बताया कि वह कल्याण सूबेदार अहमद की पुत्र-वधू को भी बंद कर आपकी सेवा में लाया है। यह सुनकर अचानक शिवाजी की मुद्रा बदल जाती है। सेनापति भी घबरा उठता है। क्रोधित स्वर में शिवाजी तुरंत मेणा को अपने सामने लाने के लिए कहा। आवाजी उसी समय एक बंद पालकी महाराज के सामने ले आए। उसमें से बहुत सुंदर युवती (अहमद की पुत्रवधु) बाहर निकल चुपचाप एक तरफ खड़ी हो जाती है।
शिवाजी उसे माँ कहकर अपने सेनापति के लिए माफी मांगते हैं, उन्होंने कहा कि वे तो उसके सौंदर्य का हिंदू विधि से पूजन करना चाहते हैं । इसके बाद शिवाजी क्रोधावेश में आकर सेनापति पर बरस पड़े कि तूने ऐसा घृणित कार्य किया। शिवा ने आजतक किसी मस्जिद में बाल बराबर भी दरार नहीं आने दी। उसने तो कुरान को भी सर माथे लगाया। उसका सम्मान किया। इस्लाम उसके लिए पूज्य है। इस्लाम के पवित्र स्थान तथा पवित्र ग्रंथ उनके लिए सम्माननीय हैं। शिवाजी की सेना में हिंदु ही नहीं मुस्लिम भी सैनिक थे। वह देश में हिंदू राज्य नहीं सच्चे स्वराज्य की स्थापना करना चाहते थे। वह आक्रमणकारियों से सत्ता लेकर उदार लोगों को देना चाहते थे। वह तो स्त्री को माता के समान पूजनीय मानता था। शिवाजी सेनापति के बुरे कार्य के लिए फटकारते रहे। वे बार-बार अपने सेनापति के इस बुरे कर्म की वजह से पश्चाताप करने लगे। उन्होंने उसी समय घोषणा की कि यदि आगे कोई ऐसा कार्य करेगा तो उसका सर उसी समय धड़ से अलग कर दिया जाएगा। यह कहकर शिवाजी का सिर नीचे झुक गया।